Hot bhabhi devar sex story- हेल्लो, मेरा नाम दीया है। मैं शादीशुदा हूँ, और मेरी उम्र 26 साल है। मेरा फिगर 34-28-36 है, और मेरी गोरी त्वचा और लंबे काले बाल मेरी खूबसूरती को और निखारते हैं। मैं अपने पति, अजय, जो 30 साल के हैं, के साथ एक छोटे से शहर में रहती हूँ। अजय का कद 5 फीट 10 इंच है, और उनका रंग सांवला लेकिन आकर्षक है। हमारा घर छोटा सा है, दो बेडरूम, एक हॉल और किचन, लेकिन प्यार और सुकून से भरा हुआ। शादी को एक साल हो चुका था, और हमारी सेक्स लाइफ भी काफी अच्छी थी। अजय मुझे बिस्तर पर हमेशा संतुष्ट करते थे, और मैं भी उनकी हर इच्छा पूरी करती थी। लेकिन ये कहानी उस वक्त की है जब मेरी जिंदगी में एक नया मोड़ आया, जिसने मेरे बदन में आग लगा दी।
एक सुबह, अजय नाश्ते की टेबल पर बैठे अखबार पढ़ रहे थे। अचानक एक पत्र देखकर वो बोले, “दीया, मेरा कजिन सोनू, जो पास के गाँव में रहता है, उसका एस.एस.सी. का एग्जाम हमारे शहर में है। वो कुछ दिन हमारे यहाँ रहेगा, पढ़ाई और एग्जाम के लिए। तुम्हें कोई ऐतराज तो नहीं?” मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “अरे, भला मुझे क्या ऐतराज होगा? आपका भाई है, मेरा तो देवर हुआ ना।” मैंने हल्के से मजाक किया, लेकिन मन में सोच रही थी कि अब घर में थोड़ा और रौनक आ जाएगी।
अगले दिन सोनू आ गया। उसका पूरा नाम सुनील था, लेकिन सब उसे प्यार से सोनू बुलाते थे। वो 19 साल का था, लंबाई 5 फीट 8 इंच, और बदन कसा हुआ, जवान और ताकतवर। उसका रंग गोरा था, और चेहरे पर हल्की सी मूंछें उसे और आकर्षक बनाती थीं। उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी, जो शायद उसकी जवानी की बेचैनी को दर्शाती थी। वो देखने में इतना स्मार्ट था कि कोई भी लड़की उसे देखकर थोड़ा रुक जाए। मैंने उसे देखकर मन ही मन सोचा, “हम्म, ये तो काफी हैंडसम है।”
हम तीनों सुबह नाश्ता साथ करते थे। अजय ऑफिस चले जाते, और मैं घर के कामों में व्यस्त हो जाती। पहले मैं दिनभर अकेली रहती थी, लेकिन अब सोनू के आने से घर में एक नया मेहमान था। वो दिनभर अपने कमरे में पढ़ाई करता, और मैं उसे डिस्टर्ब नहीं करती थी। दोपहर में लंच और चाय के समय हम साथ बैठते। मैं उससे पूछती, “पढ़ाई कैसी चल रही है, सोनू?” वो जवाब देता, “ठीक है, भाभी। बस थोड़ा और फोकस करना है।” फिर मैं चाय बनाने चली जाती। हमारी बातें सामान्य थीं, लेकिन धीरे-धीरे मैंने नोटिस किया कि वो मुझे चोरी-छिपे देखता था।
एक दोपहर, मेरी नींद जल्दी खुल गई। मैं सोनू के कमरे की तरफ गई ताकि उससे चाय के लिए पूछूँ। उसका दरवाजा बंद था, और अंदर से कुछ अजीब सी आवाजें आ रही थीं। “आह… आह…” की आवाजें थीं, जो मेरे कानों में गूंज रही थीं। मैं रुक गई। मन में ख्याल आया कि ये क्या हो रहा है? दरवाजा खटखटाने वाली थी, लेकिन फिर सोचा, पहले देख लूँ। उस कमरे की एक खिड़की हॉल में खुलती थी, जो पूरी तरह बंद नहीं थी। मैंने धीरे से खिड़की को थोड़ा और खोला और अंदर झाँका। जो नजारा देखा, उसने मेरे होश उड़ा दिए।
सोनू पूरी तरह नंगा खड़ा था। उसका लंड, जो करीब 7 इंच लंबा और मोटा था, पूरा तना हुआ था। वो उसे अपने हाथ में पकड़े हुए जोर-जोर से हिला रहा था। उसकी आँखें बंद थीं, और चेहरा लाल हो रहा था। उसकी साँसें तेज थीं, और हर धक्के के साथ उसका बदन हल्का सा कांप रहा था। मैं स्तब्ध थी। मेरी आँखें उसकी जवानी पर टिक गईं। उसका कसरती बदन, मजबूत जांघें, और बीच में तना हुआ लंड… ओह, क्या सीन था! मेरे बदन में एक अजीब सी सनसनी दौड़ गई। मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था, और मेरी चूत में हल्की सी गीलापन महसूस होने लगा।
मेरे संस्कार चिल्ला रहे थे कि मुझे वहाँ से चले जाना चाहिए, लेकिन मेरे पैर जम गए। मैं बस उसे देखती रही। उसका लंड और सख्त हो रहा था, और उसकी हरकतें तेज। थोड़ी देर बाद, उसके लंड से एक फव्वारा सा छूटा, और वो ढीला पड़ गया। उसने आँखें खोलीं, और मैं जल्दी से वहाँ से हट गई। मेरी पैंटी पूरी गीली हो चुकी थी। मैंने जाकर उसे बदला, लेकिन वो नजारा मेरे दिमाग से हट ही नहीं रहा था।
उस रात, जब मैं अजय के साथ सोने गई, मेरा दिमाग उसी सीन में अटका हुआ था। मैं इतनी गर्म हो गई थी कि मैंने अजय को पकड़ लिया और उनके ऊपर चढ़ गई। मैंने उनकी शर्ट उतारी, उनकी छाती पर किस किया, और उनकी पैंट खोलकर उनके लंड को बाहर निकाला। मैंने उसे मुँह में लिया और चूसने लगी। अजय हैरान थे। वो बोले, “दीया, आज तुझे क्या हो गया? इतनी जोश में क्यों है?” मैंने हँसकर कहा, “बस, आप कल से 10 दिन के दौरे पर जा रहे हो ना, इसलिए थोड़ा ज्यादा प्यार चाहिए।” वो हँस पड़े और बोले, “चल, ठीक है, आज तुझे जन्नत दिखाता हूँ।” उस रात हमने जमकर चुदाई की। मैं बार-बार सोनू के लंड को अपने दिमाग में देख रही थी, और उसकी वजह से मेरी उत्तेजना दोगुनी हो गई थी।
अगले दिन अजय सुबह जल्दी निकल गए। अब घर में सिर्फ मैं और सोनू थे। मेरा मन अब पूरी तरह सोनू पर अटक गया था। मेरी चूत उससे चुदवाने के लिए तड़प रही थी, लेकिन मैं उसे सीधे कैसे कहती? वो सुशील लड़का था। अगर उसने मना कर दिया, तो मेरी इज्जत का क्या? मैंने सोचा, मुझे ऐसा कुछ करना होगा कि वो खुद मेरे लिए तरस जाए।
मैंने एक प्लान बनाया। मैंने स्नान किया और अपने कपड़ों में बदलाव शुरू किया। मैंने अपनी पुरानी शादी की एक लो-कट ब्लाउज निकाली, जो अब मेरे 34C के बोब्स के लिए थोड़ी टाइट थी। मेरे बोब्स पिछले एक साल में अजय के रोज मसलने से और बड़े और गोल हो गए थे। मैंने उस ब्लाउज को पहना, जिसमें मेरी क्लीवेज पूरी तरह दिख रही थी। साड़ी भी मैंने कमर से नीचे बाँधी, ताकि मेरी नाभि और कर्व्स साफ नजर आएँ। मैंने आईने में खुद को देखा और मन ही मन मुस्कुराई। मैं तैयार थी।
नाश्ते के लिए मैंने टेबल पर सब कुछ सजा दिया। सोनू को बुलाया, “सोनू, नाश्ता तैयार है, आ जाओ।” वो आया और टेबल पर बैठ गया, लेकिन उसका ध्यान अपनी किताबों में था। मैंने सोचा, इसे तो मेरे बोब्स की तरफ देखना ही होगा। मैंने जानबूझकर कुछ आइटम्स टेबल के दूसरी तरफ रखे थे। जब वो कुछ माँगने लगा, मैं उसके पास गई और झुककर उसे परोसने लगी। मेरे बोब्स उसके चेहरे के इतने करीब थे कि उसकी साँसें मेरी त्वचा को छू रही थीं। मैंने देखा, उसकी नजर मेरे बोब्स पर टिक गई। वो बस देखता रहा, जैसे दुनिया रुक गई हो।
मैंने धीरे से साँस ली, जिससे मेरे बोब्स और उभर आए। मैंने उससे कहा, “देवर जी, नाश्ता कर लो, ठंडा हो जाएगा।” वो चौंका और नजर हटाकर खाने लगा, लेकिन मैंने देखा कि वो बार-बार मेरी क्लीवेज की तरफ देख रहा था। मेरा प्लान काम कर रहा था। अगले दिन मैंने एक स्लीवलेस और और भी लो-कट ब्लाउज पहना। मेरी गोरी बाहें और कंधे अब पूरी तरह नजर आ रहे थे। तीसरे दिन मैंने एक पारदर्शी ब्लाउज चुना, जिसमें से मेरी काली ब्रा साफ दिख रही थी। सोनू अब हर बार चोरी-छिपे मेरे बोब्स को घूरता था।
चौथे दिन मैंने ब्रा पहनना छोड़ दिया। मेरा ब्लाउज इतना टाइट और पारदर्शी था कि मेरे निप्पल्स की आउटलाइन साफ दिख रही थी। मैंने ब्लाउज को साइड से थोड़ा और काटकर और सेक्सी कर लिया। जब मैं उसे नाश्ता परोसने गई, मैं इतना झुकी कि मेरे बोब्स उसके चेहरे के बिल्कुल पास आ गए। उसकी गर्म साँसें मेरे निप्पल्स को छू रही थीं। एक बार तो उसका चेहरा मेरे बोब्स से टच हो गया। उसकी आँखों में अब वासना साफ दिख रही थी। मैं जानती थी, वो अब मेरे जाल में फँस चुका है।
पाँचवें दिन मैंने साड़ी और नीचे बाँधी, ताकि मेरी कमर और नाभि पूरी तरह दिखे। मैंने मेकअप भी किया, लाल लिपस्टिक और काजल लगाकर। जब मैं उसे परोस रही थी, मैंने जानबूझकर ब्लाउज का एक हुक ढीला छोड़ दिया। जैसे ही मैं झुकी, वो हुक टूट गया, और मेरे बोब्स बाहर उछल आए। मैंने शर्माने का नाटक किया और बोली, “अरे, ये क्या हो गया!” फिर जल्दी से अपने कमरे में चली गई और हुक ठीक करके वापस आई। सोनू की हालत देखने लायक थी। उसका चेहरा लाल था, और वो बेचैन लग रहा था।
उसी दोपहर, मैं हॉल में सोफे पर लेट गई। मैंने जानबूझकर एक किताब, जिसमें देवर-भाभी के नाजायज रिश्ते की कहानी थी, खुली रखी। साड़ी को मैंने घुटनों तक सरका लिया, ताकि मेरी गोरी जांघें दिखें। मैं सोने का नाटक कर रही थी। चाय का समय हुआ, लेकिन मैं नहीं उठी। सोनू चाय के लिए बुलाने आया। उसने मुझे ‘सोया’ हुआ देखा और किताब उठा ली। वो पढ़ने लगा, और उसकी साँसें तेज होने लगीं। किताब में देवर-भाभी की चुदाई का खुल्लम-खुल्ला ब्योरा था।
मैंने करवट बदली, और साड़ी मेरी कमर तक सरक गई। मेरी पूरी जांघ और पैंटी की झलक दिखने लगी। मैंने आँखें हल्की सी खोलीं और देखा कि सोनू का लंड उसकी चड्डी में तन गया था। वो उसे पकड़कर सहला रहा था। उसने किताब रख दी और मेरी तरफ बढ़ा। उसका हाथ मेरी जांघ की तरफ गया, लेकिन अचानक वो रुक गया और अपने कमरे में चला गया। मैं निराश हो गई। वो फिर अपने कमरे में जाकर हस्तमैथुन करने लगा। मैंने खिड़की से देखा, उसका लंड आज और सख्त और बड़ा लग रहा था। मुझे अफसोस हुआ कि वो मेरी चूत में होना चाहिए था, उसके हाथ में नहीं।
मैंने सातवें दिन का प्लान बनाया। सुबह मैंने अपने कमरे का फ्यूज निकाल दिया और कहा कि गीजर खराब है। मैंने सोनू के बाथरूम में नहाने का फैसला किया। नहाकर मैं सिर्फ एक टॉवल लपेटकर बाहर निकली, जो मेरे निप्पल्स से शुरू होकर चूत तक ढक रहा था। मेरे गीले बाल मेरे कंधों पर थे, और मेरा गोरा बदन पानी की बूंदों से चमक रहा था। मैं जानबूझकर सोनू के सामने खड़ी रही। वो सिर्फ चड्डी में था, और मुझे देखकर उसकी आँखें फटी की फटी रह गईं।
मैंने उसकी बेड पर वही किताब देखी और पूछा, “सोनू, ये भाभी-देवर की चुदाई की कहानी कैसी लगी?” उसने कहा, “बड़ी मजेदार है, भाभी। पर ऐसा तो सिर्फ कहानियों में होता है ना?” मैंने हँसकर कहा, “कहानियाँ भी तो समाज से ही बनती हैं। किताब में महेश ने हंसा को छुआ, तो हंसा ने भी साथ दिया। बस मर्द को पहल करनी पड़ती है।” वो मेरी बात समझ गया और मेरे करीब आया। उसने मेरे गीले बालों में उंगलियाँ फेरीं और मेरे चेहरे को ऊपर उठाया। उसकी आँखों में वासना थी, और मेरी आँखों में भी। वो झुका और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
मेरी चूत में करंट सा दौड़ गया। मैंने उसे चूमने दिया, कोई विरोध नहीं किया। उसकी हिम्मत बढ़ी, और उसने मुझे अपनी बाहों में खींच लिया। मैंने टॉवल खोल दिया, और अब मैं पूरी नंगी थी। वो सिर्फ चड्डी में था। मैं उससे चिपक गई। उसने मुझे जोर से किस किया, लेकिन उसे ज्यादा अनुभव नहीं था। मैंने उसकी जीभ को अपनी जीभ से मिलाया और उसे सिखाया। हम लंबे समय तक किस करते रहे, हमारे होंठ और जीभ एक-दूसरे में खो गए। मैंने अपनी बाहें उसके गले में डाल दीं, और उसकी बाहें मेरी पीठ पर फिर रही थीं। मैंने कहा, “सोनू, मुझे अपनी बाहों में और जोर से दबाओ।” उसने मुझे इतना जोर से दबाया कि मेरे बोब्स उसकी छाती से चिपक गए। मेरे निप्पल्स उसकी त्वचा को चुभ रहे थे।
वो मेरे होंठों को छोड़कर नीचे उतरा। उसने मेरे बोब्स को किस करना शुरू किया। पहले हल्के से, फिर जोर से। वो मेरे निप्पल्स को चूस रहा था, और एक हाथ से मेरे दूसरे बोब को मसल रहा था। मैं सिसकारियाँ ले रही थी, “आह… सोनू… और जोर से…” वो और बेरहमी से मेरे बोब्स को मसलने लगा। मुझे दर्द हो रहा था, लेकिन मजा भी आ रहा था। उसने मेरी कमर को चूमा, मेरी जांघों को सहलाया, और फिर मेरी चूत के पास पहुँचा। वो थोड़ा रुका, शायद उसे समझ नहीं आ रहा था। मैंने उसके सिर को पकड़ा और अपनी चूत पर रख दिया। मैंने कहा, “सोनू, जीभ से चाटो।” वो तुरंत समझ गया और मेरी चूत चाटने लगा।
उसकी जीभ मेरी चूत के होंठों पर फिर रही थी। मैंने अपनी टाँगें और चौड़ी कीं, और उसने मेरी चूत को और गहराई से चाटा। “आह… आह… सोनू… और अंदर…” मैं सिसकार रही थी। मेरी चूत पूरी गीली थी, और मेरा बदन गर्म हो चुका था। मैंने उसे रोका और कहा, “अब मेरी बारी है।” मैंने उसकी चड्डी उतारी, और उसका 7 इंच का लंड बाहर उछल आया। मैंने उसे किस किया, फिर उसके टॉप को चूसा। मैंने अपने दोनों हाथों से उसके लंड को रगड़ा, जैसे मक्खन मथ रही हो। वो सिसकारने लगा, “आह… भाभी… ये क्या कर रही हो…” मैंने कहा, “बस, तुझे तैयार कर रही हूँ।”
मैंने उसके लंड को मुँह में लिया और चूसने लगी। उसका लंड और सख्त हो गया। मैंने उसे बेड पर लिटाया और अपनी टाँगें चौड़ी करके उसका लंड अपनी चूत पर रखा। उसने एक जोरदार धक्का मारा, और उसका लंड मेरी चूत में पूरा घुस गया। “आह… सोनू… कितना मोटा है तेरा लंड…” मैं चिल्लाई। उसने चोदना शुरू किया। उसका लंड मेरी चूत की दीवारों को रगड़ रहा था। हर धक्के के साथ मेरी चूत में आग लग रही थी। “फच… फच…” की आवाजें कमरे में गूंज रही थीं। मैं चिल्ला रही थी, “सोनू, और जोर से चोद… मेरी चूत फाड़ दे… आह… तू कितना अच्छा चोदता है…”
वो मुस्कुराया और बोला, “भाभी, तुमने तो मुझे पागल कर दिया था। अब देख, तेरी चूत को कैसे फाड़ता हूँ।” उसने स्पीड बढ़ा दी। मैंने अपनी टाँगें और ऊपर उठाईं, ताकि उसका लंड और गहराई तक जाए। वो मुझे ‘कुत्तिया स्टाइल’ में चोदने लगा। मैंने अपनी गांड पीछे की, और उसने मेरे बोब्स को पीछे से पकड़ लिया। “आह… सोनू… और जोर से… मेरी चूत को बुर बना दे…” मैं चिल्ला रही थी। उसने मेरे बाल पकड़े और मुझे और जोर से चोदा।
थोड़ी देर बाद मैंने उसे रोका और कहा, “अब मैं ऊपर आती हूँ।” मैंने उसे लिटाया और उसके लंड पर बैठ गई। मैं ऊपर-नीचे होने लगी, और मेरे बोब्स उछल रहे थे। वो मेरे निप्पल्स को मसल रहा था। “आह… आह… सोनू… तेरा लंड मेरी चूत में कितना अच्छा लग रहा है…” मैं सिसकार रही थी। उसने मेरी गांड पर थप्पड़ मारा और बोला, “भाभी, तू तो रंडी से भी ज्यादा गर्म है।” मैं हँसी और बोली, “हाँ, तेरा लंड मुझे रंडी बना देगा।”
हमने कई पोजीशन बदली। कभी मैं नीचे, कभी वो ऊपर। हर धक्के के साथ मेरी चूत में आग लग रही थी। आखिरकार, उसका लंड फटने को तैयार था। मैंने कहा, “सोनू, मेरी चूत में ही झड़ जा।” उसने एक जोरदार धक्का मारा, और उसका गर्म माल मेरी चूत में भर गया। मैं भी झड़ गई। “आह… आह…” मेरी सिसकारियाँ कमरे में गूंज रही थीं। हम दोनों थककर लेट गए।
अगले तीन दिन हमने जमकर चुदाई की। सुबह, दोपहर, रात, हर वक्त। कभी बाथरूम में, कभी किचन में। सोनू अब बिल्कुल खुल गया था। वो मुझे हर बार नए तरीके से चोदता था। उसकी जवानी और मेरी वासना का ये मेल अविस्मरणीय था।
तो दोस्तों, ये थी मेरी और मेरे पागल देवर की चुदाई की कहानी। आपको मेरी कहानी कैसी लगी? क्या आपने भी कभी ऐसा कुछ अनुभव किया है? नीचे कमेंट करके जरूर बताएँ।