गाँव के जमीदार ने कर्ज के बदले मेरी बहन को तीन दिन रगड़कर चोदा

Jawan ladki ki khet mein chudai: हेल्लो दोस्तों, मैं मुरली हूँ, और आज मैं आपको अपनी जिंदगी की एक ऐसी सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हूँ, जो मेरे दिल को आज भी कचोटती है। ये कहानी मेरी और मेरी बहन प्रतिभा की है, जिसे मैंने अपनी मजबूरी के चलते एक हैवान के हवाले कर दिया। मैं रामपुर जिले के एक छोटे से गाँव का रहने वाला हूँ। मेरे घर में मैं, 25 साल का एक मेहनती किसान, मेरी 20 साल की जवान बहन प्रतिभा, और मेरी 45 साल की माँ रहते हैं। मेरी बहन प्रतिभा एकदम हूर-सी खूबसूरत है। उसका 5 फुट 2 इंच का कद, गोरी चमकती त्वचा, लंबे काले बाल, और 38-36-32 का भरा हुआ फिगर गाँव के हर लड़के को उसकी ओर खींचता है। उसकी आँखें बड़ी-बड़ी और कजरारी हैं, और जब वो मुस्कुराती है, तो उसके गालों पर पड़ने वाले डिंपल उसे और भी हसीन बनाते हैं। मेरी माँ एक साधारण गृहिणी हैं, जो हमेशा घर के काम और हमारी चिंता में डूबी रहती हैं।

मेरे पास पहले 40 बीघा जमीन थी, जिसमें मैं गन्ने और गेहूं की खेती करता था। लेकिन पिछले कुछ सालों से बारिश ने धोखा दिया। मैं खेतों में दिन-रात मेहनत करता, बीज बोता, खाद डालता, लेकिन जब फसल तैयार होने का वक्त आता, तो सूखा सब कुछ बर्बाद कर देता। मेरी सारी जमीन धीरे-धीरे गाँव के जमींदार चौधरी समरथ सिंह चौहान के पास गिरवी हो गई। समरथ सिंह, 50 साल का एक बलिष्ठ, ठरकी और क्रूर इंसान, जिसके पास न सिर्फ पैसा और पावर थी, बल्कि एक दर्जन गुंडों की फौज भी थी। गाँव में उसका इतना खौफ था कि लोग उसका नाम सुनते ही सिहर उठते थे। वो गाँव की जवान लड़कियों और बहुओं को अपनी हवस का शिकार बनाने के लिए कुख्यात था। उसकी गंदी नजरें हर खूबसूरत चेहरे पर टिक जाती थीं, और मौका मिलते ही वो अपनी ताकत और पैसे का इस्तेमाल करके उनकी इज्जत लूट लेता था।

समरथ की नजर मेरी बहन प्रतिभा पर भी थी। वो कई बार खेतों में काम करते वक्त उसे घूरता था। एक बार तो उसने प्रतिभा को बाजार जाते वक्त अपनी बुलेट पर बिठाने की कोशिश की थी। उस दिन प्रतिभा ने हल्की गुलाबी सलवार-कमीज पहनी थी, जिसमें वो किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी। उसका गुलाबी दुपट्टा हवा में लहरा रहा था, और उसकी गोरी कमर हल्की-हल्की झलक रही थी। “प्रतिभा जान, आओ ना, मेरी बुलेट पर बैठ जाओ। मैं तुम्हें बाजार तक छोड़ दूँगा,” समरथ ने अपनी भारी आवाज में कहा था, उसकी आँखों में हवस साफ झलक रही थी। लेकिन प्रतिभा को उसके इरादे भाँप गए थे, और उसने बहाना बनाकर मना कर दिया। मैं ये सब जानता था, लेकिन मेरी मजबूरी ने मुझे फिर से समरथ के दरवाजे पर लाकर खड़ा कर दिया।

मेरी किसानी पूरी तरह डूब चुकी थी। गन्ने की नई फसल के लिए मुझे बीज, खाद, और सिंचाई के लिए कम से कम 50 हजार रुपये की जरूरत थी। मेरे पास एक भी पैसा नहीं था, और गाँव में कर्ज देने वाला कोई नहीं था, सिवाय समरथ सिंह के। एक दिन मैं हिम्मत जुटाकर उसकी हवेली पर गया। उसकी हवेली गाँव के बीचों-बीच थी, बड़ी-सी और आलीशान, जिसके चारों ओर गुंडे तैनात रहते थे। समरथ अपने बरामदे में एक बड़े से सोफे पर बैठा था, हाथ में सिगरेट और सामने शराब का गिलास। उसने मुझे देखते ही तंज कसा, “क्या मुरली, फिर कर्ज माँगने आया है?”

“हाँ, मालिक। मुझे 50 हजार रुपये चाहिए,” मैंने सिर झुकाकर, हाथ जोड़कर कहा।

“50 हजार? तेरा तो पहले से 2 लाख बाकी है। और कर्ज दूँ? तू चुकाएगा कैसे?” उसने सिगरेट का लंबा कश लेते हुए कहा।

“मालिक, मेरी मजबूरी है। गन्ने की फसल के लिए पैसों की सख्त जरूरत है। प्लीज, कुछ कर दीजिए,” मैंने गिड़गिड़ाते हुए कहा।

“हम्म… जमीन के कागजात ला, वो गिरवी रख दे,” समरथ ने ठंडी साँस छोड़ते हुए कहा।

मेरे दिल में जैसे बिजली कौंध गई। मेरी 40 बीघा जमीन पहले ही उसके पास थी, और अब वो बची-खुची जमीन भी हड़पना चाहता था। मैं किसी भी हाल में अपनी आखिरी जमीन नहीं दे सकता था। मेरे पास और कोई रास्ता नहीं था।

“मालिक, कागजात तो माँ ने कहीं रख दिए हैं, मुझे नहीं मिल रहे। कुछ और तरीका हो तो बताइए,” मैंने काँपती आवाज में कहा।

समरथ की आँखों में एक शैतानी चमक उभरी। वो मुस्कुराया और बोला, “ठीक है, मुरली। अपनी जवान बहन प्रतिभा को मेरे हवाले कर दे। उसकी चूत दे दे, और जितना कर्ज चाहिए, ले जा।”

उसके शब्द मेरे कानों में तीर की तरह चुभे। मैं सन्न रह गया। मेरी बहन, जो मेरे लिए मेरी जान से भी प्यारी थी, उसकी इज्जत का सौदा? लेकिन मेरे पास और कोई चारा नहीं था। मैं उदास मन से घर लौट आया। रात भर नींद नहीं आई। मेरे दिमाग में प्रतिभा का चेहरा और समरथ की गंदी बातें घूमती रहीं। मैंने सोचा, अगर मैंने ये सौदा नहीं किया, तो हमारा पूरा परिवार भुखमरी के कगार पर आ जाएगा। मेरी माँ पहले ही बीमार रहती थी, और अगर फसल नहीं बोई, तो हमारी जिंदगी और मुश्किल हो जाएगी। मैंने अपने दिल पर पत्थर रख लिया और प्रतिभा से बात करने का फैसला किया।

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अगले दिन मैंने प्रतिभा को एकांत में बुलाया। वो उस दिन एक साधारण हरी सलवार-कमीज में थी, जिसमें उसकी गोरी त्वचा और भरा हुआ जिस्म और निखर रहा था। मैंने उसे सारी बात बताई। वो सुनकर सिहर उठी। उसका चेहरा पीला पड़ गया, और उसकी आँखों में आँसू छलक आए। “भैया, ये आप क्या कह रहे हो? मैं उस हैवान के साथ… नहीं, भैया, मैं नहीं कर सकती,” उसने काँपती आवाज में कहा। उसकी आवाज में डर और गुस्सा दोनों थे। मैंने उसका हाथ पकड़ा और उसे समझाया, “प्रतिभा, हमारे पास और कोई रास्ता नहीं है। अगर फसल नहीं बोई, तो हम सड़क पर आ जाएँगे। माँ की तबीयत पहले ही खराब है। तू मेरी बहन है, मैं तुझे इस हाल में नहीं देख सकता। बस तीन दिन की बात है, और फिर हम अपनी जिंदगी फिर से शुरू करेंगे।”

प्रतिभा रो रही थी। उसकी आँखों में मजबूरी और डर साफ दिख रहा था। उसने कई बार मना किया, लेकिन आखिरकार मेरे बार-बार समझाने पर वो चुप हो गई। “ठीक है, भैया… लेकिन ये मेरे लिए बहुत मुश्किल है,” उसने धीमी आवाज में कहा। मैंने उसे गले लगाया और दिलासा दिया, लेकिन मेरा दिल भी रो रहा था। मैं जानता था कि मैं अपनी बहन को एक भेड़िये के सामने छोड़ने जा रहा हूँ।

अगली शाम मैं प्रतिभा को लेकर समरथ की हवेली पहुँचा। उसने एक नीली सलवार-कमीज पहनी थी, जिसके साथ एक पारदर्शी दुपट्टा था। उसकी गोरी त्वचा उस नीले रंग में और निखर रही थी। उसके बाल खुले थे, जो हल्की हवा में लहरा रहे थे। उसका चेहरा शर्म और डर से लाल था, और उसकी आँखें नीचे की ओर थीं। समरथ ने उसे देखते ही अपनी जीभ दाँतों तले दबा ली। “वाह, मुरली! तूने तो माल लाया है! ये तो जन्नत की हूर है!” उसने लालची नजरों से प्रतिभा को ऊपर से नीचे तक घूरते हुए कहा। उसकी आँखें प्रतिभा के भरे हुए जिस्म पर टिकी थीं, और उसका चेहरा हवस से चमक रहा था।

“मालिक, मेरी बहन को आराम से… मतलब… उसका ख्याल रखना,” मैंने काँपती आवाज में कहा। समरथ ने ठहाका लगाया, “हाहा! चिंता मत कर, मुरली। मैं इसे ऐसा मजा दूँगा कि ये मुझे भूल नहीं पाएगी!” मैंने प्रतिभा की ओर देखा। उसकी आँखें नीचे थीं, लेकिन वो सब समझ रही थी। मैं चुपचाप घर लौट आया, लेकिन मेरा दिल बार-बार प्रतिभा के लिए धड़क रहा था। मेरे कदम भारी थे, और मेरे दिमाग में सिर्फ यही सवाल घूम रहा था कि क्या मैंने सही किया?

समरथ ने प्रतिभा को अपनी हवेली की पहली मंजिल पर ले गया। उसका बेडरूम विशाल था, जिसमें एक बड़ा सा पलंग था, जिस पर लाल मखमली चादर बिछी थी। कमरे में मद्धम रोशनी थी, और हल्की-सी अगरबत्ती की खुशबू फैली हुई थी। दीवारों पर पुराने जमींदारों की तस्वीरें टंगी थीं, जो समरथ की ताकत और रुतबे को दिखा रही थीं। प्रतिभा का दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। उसने अपने दुपट्टे को कसकर पकड़ रखा था, जैसे वो उससे अपनी इज्जत बचाने की आखिरी कोशिश कर रही हो। समरथ ने उसे पास बुलाया, “आओ, प्रतिभा जान, जरा पास तो आओ। अपनी खूबसूरती दिखाओ मुझे।” उसकी आवाज में हवस भरी थी, और उसकी आँखें प्रतिभा के जिस्म को नोच रही थीं।

प्रतिभा ने धीमे कदमों से उसकी ओर बढ़ना शुरू किया, लेकिन उसका शरीर काँप रहा था। उसकी साँसें तेज थीं, और उसकी आँखों में डर साफ दिख रहा था। समरथ ने उसकी कलाई पकड़ी और उसे अपनी ओर खींच लिया। उसने प्रतिभा के गाल पर अपनी खुरदरी उंगलियाँ फिराईं और बोला, “क्या मस्त माल है तू! तेरे भाई ने तो कमाल कर दिया!” फिर उसने प्रतिभा के गाल पर एक गीली चुम्मी ले ली। प्रतिभा का चेहरा शर्म और डर से लाल हो गया। उसने नजरें नीचे रखीं, लेकिन समरथ की हवस भरी नजरें उसके जिस्म को छेद रही थीं।

उसने धीरे-धीरे प्रतिभा के नीले दुपट्टे को खींचकर नीचे गिरा दिया। उसकी गोरी गर्दन अब नजर आ रही थी, जिस पर एक छोटा-सा काला तिल था, जो उसे और भी आकर्षक बना रहा था। समरथ ने अपनी खुरदरी उंगलियाँ उसकी गर्दन पर फिराईं और धीरे-धीरे नीचे की ओर बढ़ा। उसने प्रतिभा की कमीज के बटन खोलने शुरू किए। एक-एक बटन खुलने के साथ प्रतिभा का दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। उसकी साँसें तेज हो रही थीं, और उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया था। कुछ ही पलों में उसकी नीली कमीज उतर चुकी थी। अब वो सिर्फ काले रंग की ब्रा और नीली सलवार में थी। उसकी भरी-भरी छातियाँ ब्रा में कैद थीं, और उनकी गोलाई समरथ को पागल कर रही थी।

“उफ्फ! क्या मस्त चुच्चे हैं तेरे, प्रतिभा!” समरथ ने लालची आवाज में कहा और अपनी मोटी उंगलियों से ब्रा के ऊपर से ही प्रतिभा के मम्मों को दबाना शुरू किया। उसकी उंगलियाँ इतनी सख्त थीं कि प्रतिभा के मुँह से हल्की सी सिसकारी निकल गई, “आह्ह… मालिक… धीरे… दर्द हो रहा है…” लेकिन समरथ कहाँ रुकने वाला था। उसने जोर-जोर से प्रतिभा के मम्मों को दबाना शुरू किया, जैसे वो कोई रस भरे आम निचोड़ रहा हो। प्रतिभा की साँसें और तेज हो गईं, और उसका शरीर सिहर उठा।

समरथ ने प्रतिभा की नीली सलवार का नाड़ा पकड़ा और एक झटके में उसे खींच दिया। सलवार नीचे सरक गई, और अब प्रतिभा सिर्फ काले रंग की ब्रा और मैचिंग काली पैंटी में थी। उसकी गोरी, चिकनी जाँघें देखकर समरथ का लंड तन गया। उसकी जाँघें इतनी चिकनी थीं कि उन पर हल्की-हल्की रोशनी चमक रही थी। समरथ ने अपने कपड़े उतारे और सिर्फ काले अंडरवियर में रह गया। उसका भारी-भरकम शरीर और 10 इंच का तना हुआ लंड प्रतिभा को डरा रहा था। उसका लंड इतना मोटा और नसों से भरा हुआ था कि उसका गुलाबी सुपाड़ा चमक रहा था। प्रतिभा ने उसे देखा और डर से उसकी आँखें और बड़ी हो गईं।

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समरथ ने प्रतिभा को बिस्तर पर धकेल दिया और उसके ऊपर चढ़ गया। उसने प्रतिभा के होंठों को अपने होंठों में ले लिया और जोर-जोर से चूसने लगा। उसकी जीभ प्रतिभा की जीभ से टकरा रही थी, और वो उसे फ्रेंच किस की तरह चूस रहा था। “उम्म… कितने रसीले होंठ हैं तेरे, रंडी!” समरथ ने कहा और फिर से उसके होंठों को चूसने लगा। प्रतिभा ने विरोध करने की कोशिश की, लेकिन समरथ का वजन और ताकत उसके सामने कुछ भी नहीं थी। उसकी साँसें तेज हो रही थीं, और उसका शरीर धीरे-धीरे गर्म होने लगा था।

कुछ देर बाद समरथ ने प्रतिभा की काली ब्रा का हुक खोला और उसे पूरी तरह उतार दिया। प्रतिभा के 38 इंच के गोल, भरे हुए मम्मे अब आजाद थे। उनकी गुलाबी निपल्स, जो हल्के भूरे घेरों से घिरी थीं, समरथ को पागल कर रही थीं। उसने एक मम्मे को अपने मुँह में लिया और चूसने लगा, जबकि दूसरा मम्मा उसकी मोटी उंगलियों में मसला जा रहा था। “आह्ह… उह्ह… मालिक… धीरे करो… आह्ह…” प्रतिभा सिसकार रही थी। समरथ की जीभ उसकी निपल्स पर गोल-गोल घूम रही थी, और वो बार-बार उन्हें हल्के से काट रहा था। प्रतिभा का शरीर सिहर उठा, और उसकी साँसें तेज हो गईं। उसकी निपल्स अब सख्त हो चुकी थीं, और हर चूसने पर वो और उत्तेजित हो रही थी।

समरथ ने लगभग 30 मिनट तक प्रतिभा के मम्मों को चूसा, दबाया और चाटा। उसकी जीभ कभी निपल्स पर रुकती, तो कभी मम्मों के बीच की गहरी खाई में घूमती। प्रतिभा को अब दर्द के साथ-साथ हल्का-हल्का मजा भी आने लगा था। उसका शरीर गर्म हो रहा था, और उसकी चूत में हल्की-हल्की गुदगुदी शुरू हो गई थी। समरथ ने धीरे-धीरे नीचे की ओर बढ़ना शुरू किया। उसने प्रतिभा की गहरी, सेक्सी नाभि को अपनी जीभ से चाटना शुरू किया। उसकी जीभ नाभि के अंदर तक जा रही थी, और प्रतिभा की सिसकारियाँ तेज हो गईं, “आह्ह… मालिक… ये क्या कर रहे हो… उह्ह…” उसका शरीर अब पूरी तरह गर्म हो चुका था, भले ही उसका मन अभी भी इस सब के लिए तैयार नहीं था।

समरथ ने प्रतिभा की काली पैंटी की इलास्टिक पकड़ी और धीरे-धीरे उसे नीचे सरकाया। अब प्रतिभा पूरी तरह नंगी थी। उसकी चूत गुलाबी, चिकनी और बिल्कुल साफ थी। उसने कल ही अपनी झाँटें साफ की थीं, जिससे उसकी चूत और भी खूबसूरत लग रही थी। उसकी चूत के होंठ भरे हुए थे, और उसका छोटा-सा गुलाबी दाना हल्के से बाहर झाँक रहा था। समरथ ने अपनी उंगलियाँ उसकी चूत के होंठों पर फिराईं, जिससे प्रतिभा सिहर उठी। “उफ्फ! क्या मस्त बुर है तेरी, प्रतिभा! एकदम कच्ची कली!” समरथ ने कहा और अपनी जीभ उसकी चूत पर रख दी। उसने धीरे-धीरे चूत के दाने को चाटना शुरू किया, और उसकी जीभ चूत के होंठों पर गोल-गोल घूमने लगी।

प्रतिभा की सिसकारियाँ अब और तेज हो गईं, “आह्ह… उह्ह… मालिक… ये क्या… आह्ह… बहुत अच्छा लग रहा है…” वो अपने हाथों से अपने मम्मों को दबा रही थी, और उसका शरीर तड़प रहा था। समरथ की जीभ उसकी चूत के अंदर तक जा रही थी, और वो हर चाट के साथ प्रतिभा को और उत्तेजित कर रहा था। उसने अपनी एक उंगली धीरे-धीरे प्रतिभा की चूत में डाली, जिससे वो और जोर से सिसकारी, “आह्ह… मालिक… धीरे… उह्ह…” समरथ ने अपनी उंगली अंदर-बाहर करनी शुरू की, और साथ ही अपनी जीभ से चूत के दाने को चूस रहा था। प्रतिभा की चूत अब पूरी तरह गीली हो चुकी थी, और उसका रस टपक रहा था। उसकी चूत से हल्की-हल्की खुशबू आ रही थी, जो समरथ को और पागल कर रही थी।

लगभग 25 मिनट तक समरथ ने प्रतिभा की चूत को चाटा, चूसा और उसका रस पिया। उसने अपनी जीभ को चूत के हर कोने में घुमाया, और प्रतिभा का दाना अब सख्त हो चुका था। प्रतिभा अब और बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी। “मालिक… अब… अब चोद दो मुझे… आह्ह… और मत तड़पाओ…” उसने तड़पते हुए कहा। समरथ ने हँसते हुए अपने काले अंडरवियर को उतारा। उसका 10 इंच का मोटा, तना हुआ लंड बाहर आया, जिसका सुपाड़ा गुलाबी और चमकदार था। नसों से भरा हुआ उसका लंड देखकर प्रतिभा डर गई, लेकिन उसकी चूत अब लंड के लिए तड़प रही थी।

समरथ ने प्रतिभा की दोनों टाँगें चौड़ी कीं और अपने लंड का सुपाड़ा उसकी चूत पर रगड़ने लगा। “आह्ह… मालिक… धीरे… मैंने पहले कभी नहीं किया…” प्रतिभा ने डरते हुए कहा। “चिंता मत कर, जान। आज तुझे चुदाई का असली मजा दूँगा,” समरथ ने कहा और अपने लंड को प्रतिभा की चूत के दाने पर रगड़ने लगा। उसका गुलाबी सुपाड़ा प्रतिभा की चूत के होंठों को सहला रहा था, और हर रगड़ के साथ प्रतिभा की सिसकारियाँ तेज हो रही थीं, “आह्ह… उह्ह… मालिक… प्लीज… अब डाल दो…”

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समरथ ने अपने लंड का सुपाड़ा उसकी चूत के मुहाने पर रखा और एक जोरदार धक्का मारा। प्रतिभा की चीख निकल गई, “आआआ… मम्मी… मर गई… आह्ह…” उसकी कुंवारी चूत की सील टूट गई थी, और समरथ का मोटा लंड उसकी चूत में पूरा घुस गया था। उसकी चूत से खून की कुछ बूँदें टपकीं, जो लाल चादर पर साफ दिख रही थीं। समरथ ने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। “उह्ह… उह्ह… कितनी टाइट चूत है तेरी, प्रतिभा… उफ्फ…” वो कहता हुआ अपनी कमर हिलाने लगा। “पच… पच… पच…” की आवाजें कमरे में गूँज रही थीं। प्रतिभा की चूत अब ढीली पड़ने लगी थी, और उसे भी दर्द के साथ-साथ मजा आने लगा था। “आह्ह… उह्ह… मालिक… और जोर से… आह्ह…” वो सिसकार रही थी।

समरथ ने प्रतिभा की टाँगें अपने कंधों पर रखीं और उसे और गहराई से चोदने लगा। उसका लंड प्रतिभा की चूत की गहराइयों को छू रहा था। “ले, रंडी… ले मेरा लौड़ा… कितनी मस्त चूत है तेरी…” समरथ गंदी बातें करते हुए उसे चोद रहा था। प्रतिभा के मम्मे हर धक्के के साथ उछल रहे थे, और वो अपने हाथों से बिस्तर की चादर को कसकर पकड़े हुए थी। “आह्ह… उह्ह… मालिक… और जोर से… चोद दो मुझे… आह्ह…” प्रतिभा अब पूरी तरह चुदाई के मजे में डूब चुकी थी। उसकी चूत अब समरथ के लंड को आसानी से ले रही थी, और हर धक्के के साथ उसका शरीर सिहर रहा था।

कुछ देर बाद समरथ ने प्रतिभा को पलट दिया और उसे घोड़ी बनाया। उसने पीछे से अपनी उंगलियाँ प्रतिभा की चूत में डालीं और उसे और गीला किया। उसकी उंगलियाँ प्रतिभा की चूत के रस से चिपचिपी हो गईं। फिर उसने अपना लंड पीछे से उसकी चूत में डाल दिया और जोर-जोर से धक्के मारने लगा। “पच… पच… पच…” की आवाजें और तेज हो गईं। प्रतिभा की चीखें और सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं, “आह्ह… उह्ह… मालिक… कितना बड़ा है आपका… आह्ह… फाड़ दो मेरी चूत…” समरथ ने उसकी कमर पकड़ी और उसे और तेजी से चोदने लगा। उसका लंड प्रतिभा की चूत को रगड़ रहा था, और दोनों को जन्नत का मजा मिल रहा था। प्रतिभा की गोल-गोल गांड हर धक्के के साथ हिल रही थी, और समरथ उसे थपथपाकर और उत्तेजित कर रहा था। “क्या मस्त गांड है तेरी, रंडी! इसे भी चोदूँ क्या?” उसने हँसते हुए कहा।

लगभग 40 मिनट की चुदाई के बाद समरथ ने प्रतिभा को फिर से पीठ के बल लिटाया और उसकी टाँगें हवा में उठा दीं। उसने अपना लंड उसकी चूत में डाला और तेज-तेज धक्के मारने लगा। प्रतिभा की चूत अब पूरी तरह खुल चुकी थी, और वो हर धक्के का जवाब अपनी कमर हिलाकर दे रही थी। “आह्ह… उह्ह… मालिक… और जोर से… चोद दो मुझे… आह्ह…” वो चिल्ला रही थी। समरथ का लंड अब फटने को तैयार था। उसने एक जोरदार धक्का मारा और अपना सारा माल प्रतिभा की चूत में छोड़ दिया। “उह्ह… ले, रंडी… ले मेरा रस…” वो चिल्लाया। प्रतिभा का शरीर सिहर उठा, और वो भी झड़ गई। उसकी चूत से रस और समरथ का माल मिलकर टपक रहा था। दोनों की साँसें तेज चल रही थीं।

तीन रात तक समरथ ने प्रतिभा को अलग-अलग तरीकों से चोदा। कभी उसे घोड़ी बनाकर, कभी उसकी टाँगें कंधों पर रखकर, कभी उसे अपनी गोद में बिठाकर। एक बार उसने प्रतिभा को दीवार के सहारे खड़ा करके चोदा, जहाँ उसने उसकी एक टांग उठाकर अपने लंड को उसकी चूत में गहरे तक उतारा। प्रतिभा की चूत को उसने हर तरह से रगड़ा और उसकी जवानी का रस निकाला। हर रात वो नई-नई पोजीशन में प्रतिभा को चोदता, और प्रतिभा की सिसकारियाँ पूरी हवेली में गूँजती थीं। तीन दिन बाद जब मैं उसे लेने गया, तो वो चल भी नहीं पा रही थी। उसकी आँखों में थकान थी, लेकिन चेहरे पर एक अजीब सा सुकून भी था। उसकी नीली सलवार-कमीज अब मैली हो चुकी थी, और उसके बाल बिखरे हुए थे। समरथ ने मुझे 50 हजार रुपये दे दिए और कहा, “तेरी बहन ने तो कमाल कर दिया, मुरली। फिर कभी जरूरत पड़े तो लाना इसे।” मैं चुपचाप प्रतिभा को लेकर घर आ गया।

दोस्तों, ये थी मेरी बहन प्रतिभा और गाँव के जमींदार समरथ सिंह की चुदाई की कहानी। आपको ये कहानी कैसी लगी? क्या आपने कभी ऐसी मजबूरी का सामना किया है? नीचे कमेंट करके जरूर बताएँ।

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