कजिन दीदी ने बूब्स दबवाया मुझसे

Indian sex stories cousin – Cousin didi family taboo sex: हेलो दोस्तों, मेरा नाम अभिषेक है और मैं राजकोट, गुजरात का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र अभी 25 साल है, मेरी हाइट 5 फीट 5 इंच है, और मेरा लंड 5 इंच का है, जो एवरेज है लेकिन काम बखूबी करता है। मेरी स्किन गोरी है, और मैं दुबला-पतला हूँ, पर जिम जाने की वजह से थोड़ा फिट दिखता हूँ। ये कहानी मेरी और मेरी कजिन दीदी अनु की है, जो मेरे बड़े पापा की बेटी हैं। अनु दीदी मुझसे 9 साल बड़ी हैं, यानी अब वो 34 साल की हैं। दीदी गोरी-चिट्टी, भरे हुए जिस्म वाली हैं। उनके बूब्स 36C के हैं, जो उनकी टाइट सलवार-कमीज में हमेशा उभरे हुए दिखते हैं। उनकी कमर पतली, और गांड गोल-मटोल है, जो चलते वक्त लचकती है। उनके बाल लंबे, काले, और घने हैं, जो उनकी कमर तक लहराते हैं। ये मेरी पहली और सच्ची कहानी है, अगर कोई गलती हो जाए तो माफ करना। अब बोर न करते हुए सीधे कहानी पर आता हूँ।

ये बात तब की है जब मैं 18 साल का था, और दीदी 27 की थीं। उस वक्त मैं कॉलेज में नया-नया गया था, और सेक्स के बारे में थोड़ी-बहुत उत्सुकता थी, पर ज्यादा कुछ समझ नहीं थी। दीदी मेरे साथ बचपन से ही बहुत फ्रैंक थीं। हम दोनों दिन में खेल-कूद करते, मजाक करते, और रात को एक ही बिस्तर पर सोते थे। हमारे घर में ये आम बात थी, क्योंकि दीदी मेरे लिए बहन से कम, दोस्त ज्यादा थीं। दीदी को मेरे साथ मजाक करने की आदत थी। वो मेरे गाल खींचतीं, मुझे गुदगुदी करतीं, और रात को सोते वक्त मेरे साथ लिपट कर सोती थीं। उनकी गर्म सांसें मेरे गले पर लगती थीं, और उनकी खुशबू—हल्की सी गुलाबी परफ्यूम की—मुझे अच्छी लगती थी। उस वक्त मैं इतना मासूम था कि उनके इस प्यार को सिर्फ बहन-भाई का प्यार समझता था।

एक रात की बात है, हम दोनों एक ही बिस्तर पर सो रहे थे। दीदी ने हल्की गुलाबी रंग की सलवार-कमीज पहनी थी, जो पतली थी और उनके जिस्म को हल्का-हल्का उभार रही थी। मैंने नीली टी-शर्ट और ग्रे पायजामा पहना था। रात को अचानक मेरे हाथ में मच्छर ने काट लिया। नींद में मैंने बेचैनी से हाथ इधर-उधर घुमाया, और मेरा हाथ दीदी के बूब्स पर चला गया। उनकी कमीज के ऊपर से उनके बूब्स मुलायम और भरे हुए लगे। मैं नींद में था, तो अनजाने में उनके बूब्स को हल्के-हल्के दबाने लगा। दीदी की नींद खुल गई। उनकी सांसें तेज हो गईं, और मैंने महसूस किया कि वो मेरे हाथ को अपनी कमीज के ऊपर से अपने बूब्स पर और जोर से दबा रही थीं। उनकी कमीज इतनी पतली थी कि उनके निप्पल्स का सख्त होना मुझे साफ महसूस हो रहा था।

थोड़ी देर बाद मेरी नींद खुली। मैंने देखा कि दीदी मेरे हाथ को अपने बूब्स पर दबाए हुए हैं। मेरे दिल की धड़कन तेज हो गई, और मैं घबरा गया। दीदी ने मेरे कान के पास मुँह लाकर धीरे से फुसफुसाया, “अभिषेक, मजा आ रहा है ना?” उनकी आवाज में एक कामुक सा लहजा था, जो मैंने पहले कभी नहीं सुना था। मैं समझ नहीं पाया कि क्या कहूँ। मेरे मुँह से बस “हाँ” निकला। दीदी ने मेरे हाथ को अपनी कमीज के अंदर डाल दिया। उनकी काली ब्रा के नीचे उनके नंगे बूब्स मेरे हाथ में आए। उनके बूब्स गर्म, मुलायम, और भरे हुए थे। उनके निप्पल्स गहरे भूरे रंग के थे, जो सख्त होकर मेरी हथेली में चुभ रहे थे। मैंने धीरे-धीरे दबाना शुरू किया। दीदी की सांसें और तेज हो गईं, और वो मेरे कान में बोलीं, “और जोर से दबा, अभिषेक… आह्ह… मम्म… ऐसे ही।”

मैंने उनके बूब्स को और जोर से दबाना शुरू किया। उनकी कमीज ऊपर खिसक गई थी, और उनकी ब्रा नीचे सरक चुकी थी। दीदी ने अपनी कमीज को और ऊपर उठाया और ब्रा को पूरी तरह खोल दिया। उनके बूब्स चांदनी रात में चमक रहे थे, जैसे दो गोरे-गोरे पहाड़, जिनके ऊपर भूरे निप्पल्स गर्व से खड़े थे। मैं उन्हें देखकर दंग रह गया। दीदी ने मेरे सिर को पकड़ा और मेरे मुँह को अपने बूब्स पर रख दिया। वो बोलीं, “चूस इसे, अभिषेक… मेरे दूध पी।” मैंने हँसते हुए कहा, “दीदी, इसमें तो दूध नहीं आएगा।” वो हँसीं और बोलीं, “चूस तो सही, फिर देख क्या मजा आता है।”

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मैंने उनके निप्पल को मुँह में लिया। उनका निप्पल मेरे मुँह में सख्त हो गया, और मैं उसे चूसने लगा। दीदी की सिसकारियाँ शुरू हो गईं, “आह्ह… अभिषेक… उह्ह… ऐसे ही… मम्म… और जोर से चूस।” मैं एक बूब को चूस रहा था और दूसरे को दबा रहा था। उनके बूब्स इतने मुलायम थे कि मेरी उंगलियाँ उनमें धंस रही थीं। दीदी का जिस्म गर्म हो रहा था, और वो मेरे बालों में उंगलियाँ फिरा रही थीं। वो अपने मुँह को तकिए में दबा रही थीं, ताकि उनकी सिसकारियाँ बाहर न जाएँ। मैंने उनके निप्पल को हल्के से काटा, और दीदी की सिसकारी और तेज हो गई, “आह्ह… अभिषेक… मत काट… उह्ह… चूसता रह।”

थोड़ी देर बाद मैंने कहा, “दीदी, इसमें तो दूध नहीं आ रहा।” वो हँसीं और बोलीं, “अरे, दूध तो मजाक था, बस तू ऐसे ही चूसता रह। इतना मजा आ रहा है।” मैं फिर से उनके बूब्स चूसने लगा। दीदी की सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं। वो मेरे सिर को अपने बूब्स पर दबा रही थीं, और उनका जिस्म हल्के-हल्के काँप रहा था। उस रात हमने बस यही किया—मैं उनके बूब्स चूसता रहा, और वो मजे लेती रहीं। फिर हम थक कर सो गए।

सुबह जब हम उठे, तो एक-दूसरे को देखकर मुस्कुराए। दीदी की आँखों में एक शरारत थी, और मैं थोड़ा शरमा रहा था। दिन में वो मेरे साथ पहले की तरह ही थीं—मजाक करतीं, मेरे साथ हँसतीं, और मेरे गाल खींचतीं। लेकिन रात होते ही उनका मूड बदल जाता। ये हमारा रूटीन बन गया। दिन में हम भाई-बहन की तरह हँसते-खेलते, और रात को उनके बूब्स दबाना और चूसना। हर रात वो मुझे थोड़ा और सिखाती थीं। कभी वो मेरे हाथ को अपने बूब्स पर रखतीं, कभी मेरे मुँह को। मुझे ये सब मजा देने लगा था, और दीदी को भी।

कुछ महीने बाद मेरा 19वाँ जन्मदिन आया। दीदी ने मुझे सरप्राइज देने का प्लान बनाया। वो मुझे शोरूम ले गईं और एक सिल्वर डायल वाली घड़ी गिफ्ट की। घर लौटकर उन्होंने मेरी पसंद का खाना बनाया—पनीर टिक्का, बटर नान, दाल मखनी, और गुलाब जामुन। दीदी ने उस दिन लाल रंग की टाइट सलवार-कमीज पहनी थी, जिसमें उनके बूब्स और गांड और भी उभर रहे थे। खाना खाने के बाद हम अपने कमरे में गए। सब सो चुके थे। दीदी ने दरवाजा बंद किया और मुझे अपनी बाहों में ले लिया। उनकी गर्म सांसें मेरे गले पर लग रही थीं, और वो मेरे जिस्म को अपने जिस्म से रगड़ने लगीं। उनकी कमीज के ऊपर से उनके निप्पल्स सख्त हो रहे थे, जो मेरे सीने से टकरा रहे थे।

मैंने उनके बूब्स को दबाना शुरू किया। दीदी की सिसकारियाँ फिर से शुरू हो गईं, “आह्ह… अभिषेक… उह्ह… ऐसे ही… मम्म…” वो मेरे कान में फुसफुसाईं, “आज तेरा बर्थडे है, मेरे राजा। आज कुछ खास करेंगे।” उन्होंने अपनी लाल कमीज को धीरे-धीरे ऊपर उठाया। उनकी काली ब्रा उनके गोरे बूब्स को ढँके हुए थी। वो बोलीं, “खोल दे इसे।” मैंने काँपते हाथों से उनकी ब्रा का हुक खोला। उनके बूब्स आजाद हो गए, और उनके भूरे निप्पल्स मेरे सामने थे। मैंने उनके बूब्स को जोर-जोर से चूसना शुरू किया। दीदी की सिसकारियाँ तेज हो गईं, “आह्ह… अभिषेक… उह्ह… कितना मस्त चूसता है तू… मम्म…” वो अपने मुँह को तकिए में दबा रही थीं, ताकि कोई जाग न जाए।

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थोड़ी देर बाद दीदी ने मेरी टी-शर्ट उतारी और मेरा पायजामा नीचे खींच दिया। मेरा लंड मेरे नीले अंडरवियर में तन गया था। दीदी ने मेरा अंडरवियर भी उतार दिया। मेरा लंड खुली हवा में तनकर खड़ा था। मेरा सुपारा गुलाबी और चमकदार था, और लंड की नसें फूल रही थीं। दीदी ने मेरे लंड को देखकर कहा, “अरे, ये तो पूरा जवान हो गया! इसे लंड कहते हैं, और ये लड़की की चूत में जाता है। यही सेक्स होता है।” मैंने उत्सुकता से पूछा, “चूत क्या होती है, दीदी?” उन्होंने अपनी सलवार और काली पैंटी नीचे खींची। उनकी चूत हल्के काले बालों से ढकी थी, और उनकी क्लिट गुलाबी और गीली चमक रही थी। वो बोलीं, “ये चूत है, और इसमें तेरा लंड जाएगा।”

मैं तो जैसे पागल हो गया। मैंने कहा, “दीदी, मुझे सेक्स करना है।” वो हँसीं और बोलीं, “अरे, जल्दी क्या है? पहले तुझे और मजा देती हूँ।” उन्होंने मुझे फिर से अपने बूब्स चूसने को कहा। मैं उनके बूब्स पर टूट पड़ा। एक बूब को चूस रहा था, और दूसरे को दबा रहा था। दीदी की सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं, “आह्ह… अभिषेक… उह्ह… और जोर से… मम्म…” फिर वो मुझे नीचे की ओर धकेलने लगीं और बोलीं, “अब मेरी चूत चाट, अभिषेक।”

मैंने पहले मना किया, “दीदी, ये तो गंदा है।” वो बोलीं, “अरे, एक बार चाट के देख। इतना मजा आएगा कि तू रोज चाटेगा।” मैंने धीरे से उनकी चूत पर जीभ रखी। उनकी चूत की खुशबू मेरे दिमाग में चढ़ गई। उसका स्वाद हल्का नमकीन लेकिन मस्त था। मैंने धीरे-धीरे चाटना शुरू किया। उनकी क्लिट मेरी जीभ से टकरा रही थी, और दीदी की सिसकारियाँ तेज हो गईं, “आह्ह… अभिषेक… उह्ह… और जोर से चाट… मम्म… मेरी चूत को चूस ले।” मैंने उनकी चूत को और जोर से चाटना शुरू किया। उनकी चूत से रस निकलने लगा, जो मेरे मुँह में जा रहा था। मैंने उनकी क्लिट को हल्के से चूसा, और दीदी का जिस्म काँपने लगा।

थोड़ी देर बाद दीदी ने मेरा सिर अपनी चूत में दबा लिया और जोर-जोर से सिसकारने लगीं, “आह्ह… अभिषेक… मैं झड़ने वाली हूँ… उह्ह… चाटता रह…” और फिर वो मेरे मुँह में झड़ गईं। उनका रस मेरे मुँह में था, और मैंने उसे चाट लिया। दीदी ने मुझे ऊपर खींचा और मेरे होंठों को चूम लिया। उनकी जीभ मेरी जीभ से टकरा रही थी, और वो अपने ही रस का स्वाद ले रही थीं। वो बोलीं, “कैसा लगा, अभिषेक?” मैंने कहा, “दीदी, ये तो बहुत मस्त था। I love you, दीदी।” वो हँसीं और बोलीं, “I love you too, मेरे राजा।”

फिर दीदी ने मेरा लंड अपने हाथ में लिया और उसे सहलाने लगीं। मेरा सुपारा और चमकने लगा। वो बोलीं, “अब तुझे असली मजा देती हूँ।” उन्होंने मेरा लंड अपने मुँह में लिया और चूसना शुरू किया। उनकी गर्म जीभ मेरे सुपारे पर फिसल रही थी, और मैं सिसकारने लगा, “आह्ह… दीदी… उह्ह… ये क्या कर रही हो… मम्म…” वो मेरे लंड को और जोर से चूसने लगीं। उनकी जीभ मेरे लंड की नसों पर घूम रही थी, और वो मेरे टट्टों को हल्के से दबा रही थीं। 7-8 मिनट बाद मुझे लगा कि कुछ होने वाला है। मैंने कहा, “दीदी, मुझे कुछ हो रहा है।” वो और जोर से चूसने लगीं, और फिर मेरे लंड से पिचकारी छूटी। मेरा माल उनके मुँह में चला गया, और वो उसे पूरा पी गईं।

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मैं थक कर बिस्तर पर लेट गया। दीदी मेरे ऊपर आईं और मेरे पूरे जिस्म को चूमने लगीं। वो मेरे सीने, गले, और फिर से मेरे लंड को चूमने लगीं। थोड़ी देर बाद मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। दीदी ने मेरे ऊपर चढ़कर मेरा लंड अपनी चूत पर सेट किया। वो बोलीं, “अब तैयार हो जा, अभिषेक। थोड़ा दर्द होगा, लेकिन मजा बहुत आएगा।” उन्होंने धीरे-धीरे मेरे लंड को अपनी चूत में लिया। उनकी चूत टाइट थी, और मुझे हल्का दर्द हुआ। दीदी को भी दर्द हुआ, और उनकी आँखों से आँसू निकल आए। वो मेरे ऊपर झुकीं और मुझे लिप किस करने लगीं। उनकी जीभ मेरे मुँह में थी, और मैं भी उन्हें उतनी ही जोश से चूम रहा था।

थोड़ी देर बाद दर्द कम हुआ, और दीदी ऊपर-नीचे होने लगीं। उनकी चूत मेरे लंड को चूस रही थी, और कमरे में “पच-पच” की आवाजें गूँज रही थीं। दीदी सिसकार रही थीं, “आह्ह… अभिषेक… उह्ह… तेरा लंड मेरी चूत को फाड़ रहा है… मम्म…” मैं भी नीचे से धक्के देने लगा। दीदी ने अपनी स्पीड बढ़ाई, और उनकी चूत मेरे लंड को जकड़ रही थी। हम दोनों पसीने से भीग चुके थे। दीदी ने कहा, “अभिषेक, अब पोजीशन बदलते हैं।”

वो बिस्तर पर लेट गईं और अपनी टाँगें फैला दीं। उनकी चूत गीली और चमक रही थी। मैं उनके ऊपर चढ़ा और मिशनरी स्टाइल में अपना लंड उनकी चूत में डाला। उनकी चूत गर्म और टाइट थी। मैं धक्के देने लगा, और दीदी सिसकारने लगीं, “आह्ह… अभिषेक… और जोर से… उह्ह… चोद मुझे… मेरी चूत को फाड़ दे…” मैंने स्पीड बढ़ाई, और कमरे में “थप-थप” की आवाजें गूँजने लगीं। दीदी की चूत मेरे लंड को जकड़ रही थी, और वो दो बार झड़ चुकी थीं। मैं भी झड़ने वाला था। मैंने कहा, “दीदी, मैं झड़ने वाला हूँ।” वो बोलीं, “अंदर ही झड़ जा, मेरे राजा।” मैंने जोर-जोर से धक्के मारे, और फिर उनकी चूत में झड़ गया।

हम दोनों थक कर एक-दूसरे से लिपट गए। दीदी ने मुझे चूमा और बोलीं, “यही सेक्स है, अभिषेक। मजा आया?” मैंने कहा, “दीदी, ये तो जन्नत से कम नहीं। हम रोज करेंगे ना?” वो हँसीं और बोलीं, “हाँ, मेरे राजा, रोज करेंगे।” हमने उस रात फिर से चुदाई की। दीदी ने मुझे एक बार फिर लंड चूसकर खड़ा किया, और इस बार हमने डॉगी स्टाइल में चुदाई की। दीदी की गोल-मटोल गांड मेरे सामने थी। मैंने उनकी कमर पकड़ी और पीछे से लंड उनकी चूत में डाला। वो सिसकार रही थीं, “आह्ह… अभिषेक… और जोर से… उह्ह… मेरी चूत को चोद… फाड़ दे इसे…” मैंने उनकी गांड पर हल्का सा थप्पड़ मारा, और वो और जोश में आ गईं, “आह्ह… मार और… उह्ह… चोद मुझे…”

हमारी ये चुदाई का सिलसिला कई महीनों तक चला। हर रात हम नए-नए तरीके आजमाते। कभी दीदी मेरे ऊपर चढ़तीं, कभी मैं उन्हें मिशनरी में चोदता। लेकिन फिर दीदी की शादी हो गई, और वो अपने ससुराल चली गईं। उसके बाद हमारी चुदाई नहीं हुई। फिर मैंने मेरे बड़े पापा की दूसरी बेटी को पटाया, जिसकी कहानी मैं अगले पार्ट में बताऊँगा।

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