First night sex story – हेलो दोस्तों, आप सब कैसे हैं! मेरा नाम प्रीति है और मैं रोपड़ की रहने वाली हूँ। मेरा रंग गोरा है, हाइट 5 फीट 4 इंच है और मेरा फिगर 36-29-38 है। फिगर से तो आप समझ ही गए होंगे कि मैं थोड़ी मोटी हूँ, लेकिन दिखने में बहुत क्यूट हूँ। मेरे बाल लंबे, घने और काले हैं, जो कमर तक लहराते हैं। मेरी आँखें बड़ी-बड़ी हैं और होंठ गुलाबी, जो मेरी स्माइल को और आकर्षक बनाते हैं। मैं अपने मम्मी-पापा के साथ रोपड़ में रहती हूँ और अपनी ज़िंदगी से बहुत खुश हूँ।
दोस्तों, आज जो कहानी मैं आपको सुनाने जा रही हूँ, वो मेरी अपनी आपबीती है। ये बात उस वक्त की है जब मैं 19 साल की थी और कॉलेज में फर्स्ट ईयर की पढ़ाई कर रही थी। तो चलिए, शुरू करते हैं।
मैं पढ़ाई में हमेशा से तेज थी। स्कूल में टॉपर रही और कॉलेज में भी मन लगाकर पढ़ती थी। उस वक्त मेरे घरवालों ने मुझे एक रिलायंस का फोन दिलवाया था, जिसे मैं कम ही इस्तेमाल करती थी। लेकिन जब से मेरी एक दोस्त ने मेरे लिए r-world पर मेरी आईडी बनाई, मुझे फोन का चस्का लग गया। कॉलेज से लौटने के बाद दोपहर में मैं फोन पर लग जाती और अपनी सहेलियों से चैट करती। उसी दौरान मुझे दिल्ली के एक लड़के की रिक्वेस्ट आई। मैंने उसे बिना ज्यादा सोचे एक्सेप्ट कर लिया।
जब बात शुरू हुई तो पता चला कि उसका नाम रवि था और वो कॉलेज में पढ़ता था। शुरू-शुरू में मैं उससे कम बात करती थी, लेकिन धीरे-धीरे हमारी चैट बढ़ने लगी। मैं दिनभर उससे बातें करने लगी। मेरे पापा गवर्नमेंट जॉब में थे और मम्मी हाउसवाइफ, तो दोपहर में जब मम्मी सो जातीं, मैं रवि से खूब बातें करती। मुझे उसका नेचर बहुत अच्छा लगने लगा। धीरे-धीरे हमारी फोन कॉल्स भी शुरू हो गईं।
पहली बार जब रवि का कॉल आया, मैं मम्मी के पास बैठी थी। अनजान नंबर देखकर मैंने मम्मी के सामने ही फोन उठाया। जैसे ही उसने अपना नाम रवि बताया, मैं घबरा गई और गलत नंबर कहकर फोन काट दिया। फोन भी ऑफ कर दिया ताकि वो दोबारा कॉल न करे। थोड़ी देर बाद मैं ऊपर अपने कमरे में गई और रवि को कॉल किया। उससे पहली बार फोन पर बात हुई। उसने पूछा, “गलत नंबर क्यों कहा?” मैंने बताया कि मम्मी पास में थीं। उस दिन के बाद हमारी रोज़ लंबी-लंबी बातें होने लगीं। मैं उसे दिल ही दिल में प्यार करने लगी थी। या शायद ये सिर्फ़ अटैचमेंट थी, मुझे नहीं पता, लेकिन जो भी था, बहुत अच्छा लग रहा था।
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हमारे घर के ऊपरी हिस्से में एक लड़का किराए पर रहता था। उसका नाम अर्जुन था। वो बी.ए. फाइनल ईयर का स्टूडेंट था। अर्जुन की नज़र मुझ पर थी, और उसके देखने के अंदाज़ से लगता था कि वो मुझसे प्यार करता है। लेकिन उसका ये प्यार एकतरफा था। अर्जुन दिखने में काफी स्मार्ट था, लंबा-चौड़ा कद, हल्की दाढ़ी और चश्मा, जो उसे और आकर्षक बनाता था। वो मुझे रोज़ मैसेज करता, लेकिन मैं जवाब नहीं देती थी। मेरे लिए उस वक्त सिर्फ़ रवि ही सब कुछ था। अर्जुन को ये भी नहीं पता था कि मैं किसी और से बात करती हूँ। रवि दिल्ली में था, तो हमारी मुलाकात कभी हुई नहीं। हमारी सारी बातें फोन पर ही होती थीं।
एक दिन अर्जुन का मैसेज आया और गलती से मैंने उसे जवाब दे दिया। पता नहीं कैसे, लेकिन जवाब दे दिया। फिर धीरे-धीरे उससे भी बात शुरू हो गई। मैं उससे कम बात करती थी, क्योंकि मेरा दिल तो रवि के पास था। लेकिन एक दिन रवि से मेरी किसी बात पर ज़बरदस्त लड़ाई हो गई। मैंने गुस्से में उससे बात करना बंद कर दिया। उस लड़ाई ने मुझे बहुत दुखी किया, और शायद उस दुख को कम करने के लिए मैंने अर्जुन से बात शुरू कर दी।
अर्जुन और मैं एक ही घर में रहते थे, तो धीरे-धीरे हमारी दोस्ती गहरी होने लगी। कई बार हम साथ में बाहर खाना खाने या कॉफी पीने चले जाते। उसका एकतरफा प्यार मुझ पर भी असर करने लगा। मैं भी उसे दिल ही दिल में चाहने लगी। छह महीने की दोस्ती के बाद हमारा रिश्ता और गहरा हो गया। अर्जुन ने मुझे कभी गलत तरीके से छुआ तक नहीं। वो सब कुछ शादी के बाद करना चाहता था। उसका ये व्यवहार मुझे बहुत अच्छा लगता था। शायद यही वजह थी कि मैं उस पर पूरी तरह फिदा हो गई थी।
एक दिन मैंने और अर्जुन ने घरवालों से छुपकर मंदिर में शादी कर ली। ये बात किसी को नहीं बताई। इसके बाद पापा ने मुझे पढ़ाई के लिए देहरादून भेज दिया। मैं वहाँ हॉस्टल में रहने लगी और कॉलेज की पढ़ाई शुरू कर दी। उधर अर्जुन की जॉब लग गई और वो भी देहरादून आ गया। हम दोनों वहाँ मिलने लगे। अर्जुन ने देहरादून में एक कमरा किराए पर लिया और हमने अपनी सुहागरात की तैयारी शुरू कर दी।
जिस दिन हमारी सुहागरात थी, अर्जुन मुझे हॉस्टल से लेने आया। उसने मुझे अपनी बाइक पर बिठाया और उस कमरे में ले गया। कमरे में घुसते ही उसने मुझे गोद में उठाया और नई बहू की तरह मेरा स्वागत किया। कमरा लाल गुलाबों से सजा हुआ था। बेड पर लाल बेडशीट थी, जिस पर दिल के आकार में मेरा नाम लिखा था। ये सब देखकर मेरा दिल खुशी से भर गया। मैंने अर्जुन को गले से लगा लिया। ये हमारा पहला ऐसा स्पर्श था, और मेरे पूरे शरीर में एक सिहरन-सी दौड़ गई।
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मैं बेड पर बैठ गई। अर्जुन मेरे पास आया और मुझे अपनी बाहों में ले लिया। उसने मेरे गाल पर धीरे से एक चुम्मी दी। उसकी चुम्मी से मेरे शरीर में जैसे करंट-सा दौड़ गया। मैं उससे और करीब हो गई। उसने मेरे होंठों पर अपने होंठ रखे और धीरे-धीरे उन्हें चूसने लगा। उसकी गर्म साँसें मेरे चेहरे पर टकरा रही थीं, और मैं पूरी तरह खो चुकी थी। उसने मेरी सलवार-कमीज़ की चुन्नी हटाई और मेरी कमीज़ को धीरे-धीरे ऊपर उठाया। मैं शरमा रही थी, लेकिन उसकी बाहों में इतना सुकून था कि मैंने कुछ नहीं कहा।
अर्जुन ने मेरी कमीज़ उतार दी। अब मैं सिर्फ़ ब्रा और सलवार में थी। उसने मेरी पीठ पर हाथ फेरना शुरू किया, और उसकी उंगलियाँ मेरी रीढ़ पर धीरे-धीरे नाचने लगीं। मेरे पूरे शरीर में गुदगुदी हो रही थी। उसने मेरी ब्रा का हुक खोला और उसे धीरे से उतार दिया। मेरे बूब्स को देखकर उसकी आँखें चमक उठीं। “प्रीति, तू कितनी खूबसूरत है,” उसने धीमी आवाज़ में कहा। उसने मेरे बूब्स को अपने हाथों में लिया और धीरे-धीरे दबाने लगा। उसका स्पर्श इतना नरम था कि मैं सिहर उठी। फिर उसने मेरे निपल्स को अपने मुँह में लिया और चूसने लगा। “आह्ह… अर्जुन…” मैं सिसकारी। मेरे मुँह से हल्की-हल्की सिसकियाँ निकलने लगीं।
उसने मेरी सलवार का नाड़ा खोला और उसे नीचे खींच दिया। अब मैं सिर्फ़ पैंटी में थी। अर्जुन ने अपने कपड़े भी उतार दिए। उसका लंड देखकर मैं थोड़ा घबरा गई। वो करीब 7 इंच का था, मोटा और सख्त। उसने मुझे बेड पर लिटाया और मेरे पूरे शरीर को चूमना शुरू किया। मेरे गले से लेकर मेरे पेट तक, उसकी जीभ हर जगह घूम रही थी। जब वो मेरी नाभि पर रुका, तो मैंने उसका सिर अपने हाथों में पकड़ लिया। “अर्जुन… ये क्या कर रहा है…” मैंने शरमाते हुए कहा।
वो हँसा और बोला, “बस, तुझे और मज़ा देने जा रहा हूँ।” उसने मेरी पैंटी उतारी और मेरी चूत को देखकर बोला, “प्रीति, ये तो बिल्कुल गुलाबी फूल जैसी है।” उसने अपनी उंगलियाँ मेरी चूत पर फेरीं। मेरी चूत पहले से ही गीली हो चुकी थी। उसने अपनी जीभ मेरी चूत पर रखी और धीरे-धीरे चाटना शुरू किया। “उम्म… आह्ह…” मेरी सिसकियाँ तेज़ हो गईं। उसकी जीभ मेरी चूत के दाने को छू रही थी, और मैं पागल हो रही थी। मैंने उसका लंड अपने हाथ में लिया और उसे सहलाने लगी। उसका लंड और सख्त हो गया।
मैंने उसे खींचकर अपने ऊपर लिया और बोली, “अर्जुन, अब और मत तड़पाओ।” हम 69 की पोज़ीशन में आ गए। मैंने उसका लंड अपने मुँह में लिया और चूसना शुरू किया। उसका लंड मेरे गले तक जा रहा था। मैं उसे ज़ोर-ज़ोर से चूस रही थी, और वो मेरी चूत को चाट रहा था। “प्रीति, तेरा स्वाद तो इतना मस्त है,” उसने कहा। उसकी बातें मुझे और गर्म कर रही थीं। “अर्जुन, और ज़ोर से चाटो… आह्ह…” मैं सिसकार रही थी।
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कुछ देर बाद हम दोनों का पानी निकल गया। मैंने उसका सारा पानी पी लिया, और उसने मेरी चूत का रस चाट-चाटकर साफ कर दिया। लेकिन हमारा मन अभी भरा नहीं था। मैंने फिर से उसका लंड मुँह में लिया और उसे चूस-चूसकर दोबारा सख्त कर दिया। “अर्जुन, अब डाल दो… मैं और नहीं रुक सकती,” मैंने कहा। उसने मेरी चूत पर अपना लंड सेट किया और मेरे बूब्स को चूसते हुए धीरे-धीरे अंदर धकेला। “आह्ह… अर्जुन… धीरे…” मैं चीखी। मेरी चूत टाइट थी, और उसका लंड उसे फाड़ता हुआ अंदर जा रहा था।
पहले तो मुझे दर्द हुआ, लेकिन धीरे-धीरे मज़ा आने लगा। “उफ्फ… अर्जुन… और ज़ोर से…” मैंने कहा। उसने अपनी स्पीड बढ़ा दी। “चप… चप… चप…” की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी। मेरी चूत से खून निकल रहा था, लेकिन मज़ा इतना था कि मैंने उसे नहीं रोका। वो मेरे बूब्स को दबाते हुए मुझे चोद रहा था। “प्रीति, तेरी चूत कितनी टाइट है… उफ्फ… मज़ा आ रहा है,” उसने कहा।
फिर उसने मुझे घोड़ी बनाया। मैंने अपने घुटनों और कोहनियों पर वज़न डाला, और उसने पीछे से मेरी चूत में लंड डाला। “आह्ह… अर्जुन… और गहरा…” मैं चीख रही थी। वो मेरी कमर पकड़कर ज़ोर-ज़ोर से धक्के मार रहा था। मेरी चूत हर धक्के के साथ और गीली हो रही थी। “प्रीति, तेरी गांड कितनी मस्त है,” उसने कहा और मेरी गांड पर हल्का-सा थप्पड़ मारा। मैं और उत्तेजित हो गई।
करीब 40 मिनट तक हम अलग-अलग पोज़ीशन में चुदाई करते रहे। कभी मैं उसके ऊपर, कभी वो मेरे ऊपर। आखिर में हम दोनों फिर से झड़ गए। मैंने उसका सारा पानी अपनी चूत में लिया, और वो मेरे ऊपर गिर गया। हम दोनों एक-दूसरे की बाहों में लिपटकर सो गए।
सुबह जब हम उठे, तो हमने साथ में नहाया। नहाते वक्त भी उसने मुझे अपनी बाहों में लिया और मेरे बूब्स को सहलाया। “प्रीति, तू मेरी ज़िंदगी है,” उसने कहा। हमने नहाने के बाद नाश्ता किया, और फिर वो मुझे कॉलेज छोड़ने गया। रास्ते में हमने ढाबे पर पराठे खाए। कॉलेज छोड़ने के बाद वो अपने ऑफिस चला गया।
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देहरादून में हम अक्सर मिलने लगे। लेकिन अर्जुन को ये पसंद नहीं था कि मैं किसी और लड़के से बात करूँ। एक बार जब मेरे क्लासमेट का फोन आया, तो अर्जुन ने उसे गालियाँ दे दीं। इस बात पर हमारी लड़ाई हो गई। इस झगड़े की वजह से मुझे हॉस्टल बदलना पड़ा, जहाँ के नियम बहुत सख्त थे। अब मैं अर्जुन से कम मिल पाती थी। कुछ समय बाद अर्जुन की पोस्टिंग किसी और शहर में हो गई। हमारी लड़ाइयाँ बढ़ने लगीं, शायद इसलिए कि हम अब पहले की तरह सेक्स नहीं कर पाते थे।
क्या आपको मेरी कहानी पसंद आई? कृपया अपने विचार कमेंट में बताएँ। क्या आपको लगता है कि हमारा रिश्ता आगे चल पाएगा, या ये सिर्फ़ एक सुहागरात की याद बनकर रह जाएगा?