चुदाई की शुरुआत भाग 1:-(माँ)

Maa apni chut me ungli kar rhi thi – मेरा नाम आरव शर्मा है। मेरी उम्र 20 साल है और मैं राजस्थान के अजमेर जिले का रहने वाला हूँ। ये कहानी मेरे और मेरी माँ के बीच हुई चुदाई की है, जो मेरी जिंदगी का एक ऐसा मोड़ थी जिसने सब कुछ बदल दिया। सबसे पहले मैं आपको अपने परिवार के बारे में बता देता हूँ। मेरे परिवार में तीन लोग हैं – मेरे पिताजी अजय शर्मा, मेरी माँ श्रेया शर्मा और मैं। मेरे पिताजी की उम्र 45 साल है और वो एक पायलट हैं। उनकी जॉब की वजह से वो ज्यादातर वक्त घर से बाहर ही रहते हैं, कभी हफ्तों तो कभी महीनों। मेरी माँ की उम्र 46 साल है, जी हाँ, वो मेरे पिताजी से एक साल बड़ी हैं। लेकिन उनकी उम्र का जरा भी असर उनके जिस्म पर नहीं दिखता। माँ दिखने में किसी माल से कम नहीं। उनके बड़े-बड़े स्तन, भारी-भरकम गांड और पतली कमर इस उम्र में भी ऐसा जलवा बिखेरती है कि जवान लड़कों का लंड खड़ा हो जाए। उनके लंबे काले बाल और गोरा रंग उनके हुस्न में चार चाँद लगाते हैं। माँ एक हाउसवाइफ हैं और घर का काम-काज ही संभालती हैं। लेकिन एक बात मैं बताना भूल गया, मेरी माँ बहुत सख्त मिजाज की हैं, खासकर मेरे साथ। फिर भी उनका प्यार मेरे लिए कम नहीं है। अब जब आप मेरे परिवार से वाकिफ हो गए हैं, तो चलिए कहानी शुरू करते हैं।

ये बात आज से तीन साल पहले की है। मेरी जिंदगी बिल्कुल नॉर्मल चल रही थी। प्यार करने वाले माँ-बाप, पढ़ाई, दोस्त, सब कुछ ठीक था। हाँ, माँ थोड़ी सख्त थीं, लेकिन उनका प्यार भी उतना ही गहरा था। उस दिन रविवार था। मैं सुबह 9 बजे उठा, फ्रेश हुआ और 9:30 तक ब्रेकफास्ट के लिए डाइनिंग टेबल पर आ गया। माँ किचन में ब्रेकफास्ट बना रही थीं। पिताजी कहीं दिख नहीं रहे थे। मैंने माँ से पूछा, “माँ, पापा कहाँ हैं?” माँ ने जवाब दिया, “वो, पापा की फ्लाइट थी आज सुबह। जल्दी चले गए। अब हफ्ते भर बाद ही आएँगे।”

ये हमारे घर में आम बात थी। पिताजी पायलट थे, तो उनका ज्यादातर वक्त बाहर ही बीतता था। इस वजह से मैं और माँ ही ज्यादातर वक्त साथ बिताते थे। मैं आपको बता दूँ, उस वक्त तक मेरे मन में माँ के लिए कोई गलत खयाल नहीं था। मैं उनकी बहुत इज्जत करता था। लेकिन जो कुछ होने वाला था, वो सब कुछ इतनी जल्दी बदला कि मेरी जिंदगी की दिशा ही बदल गई।

ब्रेकफास्ट करने के बाद मैं अपने कमरे में गया और प्लेस्टेशन पर God of War खेलने लगा। जिन लोगों ने पुराने God of War गेम्स खेले हैं, उन्हें पता होगा कि उनमें कितनी न्यूडिटी होती थी। मुझे ये बात पता थी, इसलिए मैं हमेशा गेम खेलते वक्त कमरे का दरवाजा लॉक कर देता था। लेकिन उस दिन मैं लॉक करना भूल गया। गेम में एक सेक्स सीन आया, जिसमें एक नंगी औरत और मर्द की चुदाई दिख रही थी। ऐसे सीन देखकर मेरा लंड हमेशा खड़ा हो जाता था और मैं मुठ मार लेता था। उस दिन भी मैंने वही किया। मेरा 6 इंच लंबा लंड मैंने पजामे से बाहर निकाला और जोर-जोर से हिलाने लगा। स्क्रीन पर औरत की चूत में लंड अंदर-बाहर हो रहा था और मैं अपनी दुनिया में खोया हुआ था। तभी अचानक माँ मेरे कमरे में आ गईं।

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“आरव, ये क्या कर रहा है तू?” माँ ने जोर से चिल्लाकर कहा।

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मेरी नजर माँ पर पड़ी और मेरी आत्मा जैसे शरीर से निकल गई। मैं अपने लंड को पकड़े हुए उनकी तरफ देख रहा था। माँ मुझे ऐसे घूर रही थीं जैसे मैंने कोई कत्ल कर दिया हो। मेरे होश उड़ गए। मैंने जल्दी से पजामा ऊपर चढ़ाया और हकलाते हुए बोला, “माँ, जैसा आप सोच रही हैं, वैसा कुछ नहीं है। मैं बस गेम खेल रहा था।”

माँ का चेहरा गुस्से से लाल था। “गेम? तू ऐसे गेम खेलता है? और वो… वो तेरा उस… के साथ क्या कर रहा था? ये सब कहाँ से सीखा तूने?”

“माँ, माफ कर दो। गलती हो गई। दोबारा नहीं करूँगा,” मैंने गिड़गिड़ाते हुए कहा।

माँ ने और सख्ती से कहा, “गलती? तेरी उम्र नहीं है ये सब करने की। ये सब तुझे ये गंदे गेम्स ही सिखा रहे हैं। आज से तेरा गेम बंद!”

“नहीं माँ, ऐसा मत करो। प्लीज, मुझसे गलती हो गई। आज के बाद ऐसा दोबारा नहीं होगा,” मैंने मिन्नतें की।

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काफी देर तक हमारी बहस चलती रही। मैं बार-बार माफी माँगता रहा और आखिरकार माँ मान गईं। लेकिन जाते-जाते उन्होंने सख्त लहजे में कहा, “ठीक है, लेकिन आज के बाद अगर मैंने तुझे ऐसा कुछ करते देखा, तो याद रखना, तेरी खाल उधेड़ दूँगी!”

माँ के जाने के बाद मेरा दिल इतनी जोर से धड़क रहा था कि क्या बताऊँ। मैंने ठान लिया था कि अब ऐसा कुछ नहीं करूँगा। फिर शाम हुई। डोरबेल बजी। माँ ने कहा, “जा, देख कौन आया है।” मैंने गेट खोला तो सामने सविता आंटी थीं।

अब आपको सविता आंटी के बारे में बता दूँ। सविता आंटी माँ की कॉलेज फ्रेंड हैं और दोनों बहुत गहरी दोस्त हैं। सविता आंटी का जिस्म भी माँ की तरह ही है – भरे-भरे स्तन, मोटी गांड और पतला फिगर। वो भी किसी जवान लड़के का लंड खड़ा कर सकती थीं। मैं सच बताऊँ तो मैंने सविता आंटी के नाम की कई बार मुठ मारी थी। वो अंदर आईं और माँ ने उन्हें देखते ही गले से लगा लिया। दोनों के चेहरों पर खुशी की लहर दौड़ गई। सविता आंटी ने माँ से कुछ कहा, लेकिन मैं सुन नहीं पाया। तभी माँ ने मुझे पुकारा, “आरव, सुन। दही खत्म हो गया है। जाकर जल्दी दही ले आ।”

“ठीक है, माँ,” मैंने कहा और दही लेने निकल गया। जाते-जाते मेरे दिमाग में एक बात आई। जब भी सविता आंटी घर आती थीं, ज्यादातर वक्त पिताजी घर पर नहीं होते थे। और माँ मुझे किसी न किसी बहाने से बाहर भेज देती थीं। मैंने सोचा, शायद मैं ज्यादा सोच रहा हूँ। दही लेकर जब मैं वापस आया, सविता आंटी जा रही थीं।

“अरे आंटी, आप जा रही हैं?” मैंने पूछा।

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“हाँ बेटा, कुछ काम से आई थी। वो हो गया। अब जाना पड़ेगा,” सविता आंटी ने मुस्कुराते हुए कहा। जाते-जाते उन्होंने मेरे गाल पर एक किस किया और चली गईं। उनके उस किस की वजह से मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया, लेकिन मैंने इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। मैंने माँ को दही दिया और हमने खाना खाया। फिर सोने चले गए।

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रात को करीब 12 बजे मेरी नींद खुली। मुझे जोर से सुस्सु आई थी। मैं फटाफट बाथरूम गया। वापस आते वक्त मैंने देखा कि माँ के कमरे से हल्की रोशनी आ रही थी। मुझे अजीब लगा, क्योंकि माँ इतनी रात तक कभी नहीं जागती थीं। मैं उनके कमरे के पास गया। उनका दरवाजा हल्का सा खुला था। मैंने अंदर झाँका और जो देखा, उससे मेरे होश उड़ गए।

माँ बिस्तर पर पूरी नंगी लेटी थीं। उनके लैपटॉप पर एक पोर्न वीडियो चल रहा था, जिसमें एक जवान लड़का एक औरत को चोद रहा था। माँ अपनी चूत में उंगली डाल रही थीं और आहें भर रही थीं, “आह… उह… कितना मोटा लंड है…” उनकी आँखें लैपटॉप स्क्रीन पर टिकी थीं और उनकी उंगलियाँ उनकी गीली चूत में अंदर-बाहर हो रही थीं। उनकी भारी-भारी साँसें और कराहें कमरे में गूँज रही थीं। मैं ये देखकर हैरान था। सुबह जब मैंने मुठ मारी थी, तब तो माँ ने मुझे इतना डाँटा था, और अब वो खुद ये सब कर रही थीं? मेरे मन में गुस्सा भी आया और साथ ही मेरा लंड भी तन गया।

मैं कुछ करने जा रहा था कि तभी माँ का फोन बजा। ये सविता आंटी का कॉल था। माँ ने फोन उठाया और बोलीं, “अरे सविता, मेरी जान! क्या पोर्न लाकर दिया है यार! पिछले एक घंटे से मैं अपनी चूत सहला रही हूँ।”

सविता आंटी की आवाज फोन से आई, “कोई ना डियर, तू मेरी दोस्त है। तेरे लिए तो मैं इतना कर ही सकती हूँ।”

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माँ ने हँसते हुए कहा, “यार, मैं तुझे क्या बताऊँ। जब ये अपनी ट्रिप्स पर रहते हैं ना, तब मेरी चूत में इतनी खुजली होती है। वैसे तो ये मेरी खूब चुदाई करते हैं, लेकिन जब इतनी लंबी ट्रिप्स आती हैं, मेरी चूत की खुजली कंट्रोल से बाहर हो जाती है। तेरे ये पोर्न ही मेरा सहारा हैं। वैसे एक बात बता, तू जो भी पोर्न लाती है, उसमें हमेशा एक जवान लड़का ही क्यों किसी औरत को चोद रहा होता है? कभी कोई और मर्द लाकर दे।”

सविता आंटी ने हँसकर जवाब दिया, “यार, तू मेरी बात सुन। तुझे नहीं पता कि ये जवान लड़के हमारी जैसी बड़ी उम्र की औरतों पर कितना मरते हैं। तेरे बेटे को ही देख ले। जब भी वो मुझे देखता है, उसका लंड खड़ा हो जाता है।”

माँ ने चौंककर कहा, “क्या बात कर रही है? वैसे उस लड़के से और उम्मीद भी क्या है? पता है, आज सुबह मैंने उसे अपना लंड हिलाते हुए पकड़ लिया था।”

“तो?” सविता आंटी ने पूछा।

“तो तुझे इसमें कुछ गलत नहीं लगा?” माँ ने हैरानी से कहा।

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“गलत? इसमें गलत क्या है? वो एक जवान लड़का है। उसकी उम्र में ये सब नॉर्मल है। तूने उसे कुछ कहा तो नहीं?” सविता आंटी ने पूछा।

माँ ने गुस्से में कहा, “कहा ना! मैंने साफ बोला कि अगर आज के बाद उसने ऐसा कुछ किया, तो मैं उसकी खाल खींच लूँगी।”

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सविता आंटी ने तुरंत कहा, “नहीं, ये तूने गलत किया। अगर तेरे हिसाब से वो जो कर रहा था, वो गलत है, तो फिर तू भी तो वही कर रही है।”

माँ ने हँसते हुए कहा, “अरे, देखो तो मेरे बेटे की वकील को! ओए, कहीं तू मेरे बेटे को चोदने का प्लान तो नहीं बना रही?”

सविता आंटी ने मजाक में कहा, “पागल है क्या? पर आइडिया बुरा भी नहीं है।”

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माँ ने सख्ती से कहा, “ओए, मेरे बेटे से दूर रहियो। वैसे भी तेरी नजर जवान लड़कों पर ठीक नहीं है।”

सविता आंटी हँसीं और बोलीं, “हा हा, ठीक है। वैसे अगर तेरा पति इतना दूर रहता है और तेरी चूत में इतनी खुजली होती है, तो बोल, मैं चुदाई का इंतजाम करवाऊँ?”

माँ ने गुस्से में कहा, “पागल है क्या? मैं अपने पति के साथ धोखा नहीं करूँगी। मैं किसी गैर मर्द से क्यों चुदवाऊँ?”

सविता आंटी ने चुटकी लेते हुए कहा, “अच्छा, गैर मर्द से नहीं, तो क्या अपने बेटे से चुदवाने का प्लान बना रही है?”

माँ ने गुस्से में कहा, “सविता, अब तू हद पार कर रही है।”

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सविता आंटी ने माफी माँगी, “अच्छा, सॉरी बाबा। माफ कर दे। अब नहीं बोलूँगी।”

माँ ने कहा, “ठीक है, अब माफ कर रही हूँ। लेकिन फिर ऐसी बकवास की, तो तेरी खैर नहीं। और हाँ, सुन, कल नए वीडियो लाकर देना। ये सारे मैंने खत्म कर दिए।”

सविता आंटी ने हँसकर कहा, “वाह, सारे खत्म कर दिए? चल, कोई ना। कल तेरे लिए ऐसा वीडियो लाऊँगी कि तेरा दिमाग खराब हो जाएगा।”

माँ और सविता आंटी की बात खत्म हुई। मैं फटाफट अपने कमरे में आ गया। मेरा दिमाग उस बातचीत को सुनकर फट रहा था। ये लोग ऐसी बातें कैसे कर सकती थीं? मैं अपने बिस्तर पर लेट गया। मेरा लंड पूरा तना हुआ था। मैंने उस रात पहली बार अपनी सगी माँ के बारे में सोचकर मुठ मारी। माँ की नंगी चूत, उनके बड़े-बड़े स्तन और उनकी कराहें मेरे दिमाग में घूम रही थीं। “आह… उह…” उनकी आवाजें मेरे कानों में गूँज रही थीं। उस रात मैंने ठान लिया कि मैं अपनी माँ की चुदाई करके रहूँगा। लेकिन इसके लिए मुझे एक पक्का प्लान बनाना होगा। मैं पूरी रात यही सोचता रहा कि कैसे अपनी माँ को चोदने का मौका मिलेगा।

बाकी की कहानी अगले भाग में। आपको इस कहानी का पहला भाग कैसा लगा? कृपया कमेंट में बताएँ।

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