भैया ने तालाब में चोदा

Bhaiya bahen ki chudai – Family sex kahani – मेरा नाम निशा है, उम्र 27 साल, और मेरा फिगर 37C-26-36 है। मैं दिखने में गोरी, लंबे काले बालों वाली, और थोड़ी शरारती सी हूँ। मेरी शादी दो साल पहले एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर से हुई थी। मेरा पति मुझे बहुत खुश रखता है, लेकिन वो पिछले डेढ़ साल से अमेरिका में है, और मैं यहाँ मुंबई में अकेली रहती हूँ। मेरा मायका नासिक है, जहाँ मैं पली-बढ़ी। मेरी जिंदगी में सेक्स का खेल बचपन से ही शुरू हो गया था। जब मैं 10 साल की थी, तब हमारे पड़ोस का एक लड़का मेरे हाथ से अपना लंड हिलवाता था। उस वक्त मुझे कुछ समझ नहीं था, लगता था ये कोई खेल है। लेकिन जैसे-जैसे मैं बड़ी हुई, मेरे जीवन में एक के बाद एक पुरुष आए, और हर बार कहानी कुछ नई थी।

19 साल की उम्र में मेरे जीवन में पहला मर्द आया—मेरा भैया, जिसकी उम्र तब 27 साल थी। वो लंबा, चौड़ा कंधों वाला, और थोड़ा गंभीर स्वभाव का था, लेकिन उसकी आँखों में हमेशा एक शरारत छुपी रहती थी। ये बात तब की है जब मेरी 8वीं की परीक्षा खत्म हुई थी। मैं घर आई, माँ काम में व्यस्त थी, और पापा अपने ऑफिस गए थे। भैया टीवी देख रहे थे। मैंने माँ से कहा, “माँ, परीक्षा की वजह से मैं एक महीने से कहीं घूमने नहीं गई। अब तो कहीं जाना है।” माँ ने हँसते हुए कहा, “अच्छा, एक काम कर, अपने भैया के साथ सामने वाले तालाब चली जा।” मैं तो खुशी से उछल पड़ी। मैंने भैया से साइकिल निकालने को कहा और जल्दी से तालाब में नहाने के लिए कपड़े और तौलिया लिया। फिर भैया की साइकिल पर पीछे बैठ गई।

हमारा घर तालाब से करीब डेढ़ घंटे की दूरी पर था, लेकिन भैया ने शॉर्टकट लिया, जिससे हम आधे घंटे में ही पहुँचने वाले थे। रास्ता पथरीला था, और साइकिल हिचकोले खा रही थी। मैंने भैया को और साइकिल को कसकर पकड़ रखा था। एक बार साइकिल बड़े गड्ढे में गिरी, और मैं डर गई। भैया ने झट से मुझे अपनी बाहों में पकड़ लिया, उनका हाथ मेरे सीने पर था। मैं थोड़ी घबरा गई, लेकिन भैया ने बड़ी सफाई से साइकिल संभाल ली। रास्ते में मुझे अहसास हुआ कि भैया ने अब तक अपना हाथ मेरे सीने से नहीं हटाया। मेरे बूब्स, जो उस वक्त 31 साइज के थे, वो उनके हाथों में दब रहे थे। मुझे अजीब सा लगा, जैसे वो कोई और मर्द हो, मेरा भैया नहीं। मैंने कहा, “भैया, अपना हाथ हटाओ ना।” लेकिन भैया ने हँसकर टाल दिया।

आखिरकार हम तालाब पहुँच गए। दोपहर का वक्त था, आसपास कोई नहीं था। हमने पहले खूब मस्ती की। भैया ने मुझे तालाब के आसपास के नजारे दिखाए, पेड़ों पर चढ़ने में मेरी मदद की, और हमने खूब हँसी-मजाक किया। फिर हमने तालाब में नहाने का फैसला किया। दोपहर के 1 बज रहे थे। हमने पहले कुछ खाया, फिर तालाब की तरफ बढ़े। तभी मुझे याद आया कि मैं तो स्विमिंग सूट लाना ही भूल गई। मैं गुस्से में तौलिया लिए बैठ गई। भैया ने अपनी शर्ट-पैंट उतारी और सिर्फ निकर में तालाब में उतर गए। मुझे बुलाने लगे, “निशा, चल ना, पानी बहुत अच्छा है।” मैंने शर्माते हुए कहा, “भैया, मैं स्विमिंग सूट लाना भूल गई।” भैया बोले, “अरे, तूने तौलिया तो लिया है ना? अंदर ब्रा और निकर तो पहनी है?” मैंने कहा, “हाँ, भैया।” वो बोले, “तो फिर क्या, उसी में नहा ले। मौसम बड़ा सुहाना है।” मैंने शर्माते हुए मना किया, “नहीं भैया, मुझे शर्म आती है।” लेकिन भैया ने जिद की, और मैंने सोचा, ये तो मेरा भैया है, इसमें क्या।

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मैंने धीरे-धीरे अपना ड्रेस उतारा और ब्रा-पैंटी में तालाब में उतर गई। पानी ठंडा था, और हमने खूब मस्ती की। नहाते-नहाते मैं पानी के ऊपर आई, तभी मेरी ब्रा खिसक गई और पानी में बह गई। मैं शर्म से पानी में ही डूबकर बैठ गई। भैया ने हँसते हुए कहा, “चल, अब मैं तुझे पकड़ूँगा, भाग!” वो मेरे पास आए और बोले, “क्या हुआ?” मैंने शर्माते हुए कहा, “भैया, मेरी ब्रा पानी में चली गई।” भैया बोले, “तो क्या हुआ? चल, कुछ नहीं होता।” मैंने गुस्से में कहा, “आपको क्या, मैं तो पूरी नंगी हूँ!” भैया ने हँसकर अपनी निकर भी उतार दी और बोले, “अब मैं भी नंगा, तू भी नंगी। चल, अब भाग!”

मैं भागने लगी, और भैया मेरे पीछे। हम तालाब में एक-दूसरे का पीछा कर रहे थे। भैया पानी से बाहर किनारे पर चले गए, और मैं उनके पीछे। हम काफी दूर निकल गए। तभी मुझे ख्याल आया कि मैं तो पूरी नंगी हूँ। मैं वहीं रुक गई। भैया मेरे पास आए, और मैंने देखा—उनका लंड लंबा और लटकता हुआ था। वो मेरे नंगे बदन को घूर रहे थे। मैं भी उनके लंड को देख रही थी। हम दोनों 5 मिनट तक चुपचाप खड़े रहे। मैंने पूछा, “भैया, ये क्या है?” भैया ने हँसकर कहा, “इसे लंड कहते हैं, जादुई छड़ी।” मैंने शरमाते हुए पूछा, “इसका क्या करते हैं?” भैया बोले, “इसे हाथ में लेकर मसलो, फिर देखो।” मैंने वैसा ही किया। जैसे ही मैंने उनके लंड को हाथ में लिया, वो धीरे-धीरे सख्त और बड़ा होने लगा। मेरे हाथ में वो लोहे जैसा हो गया। मैंने पूछा, “भैया, अब इसका क्या करें?”

भैया ने मेरी चूत की तरफ इशारा करते हुए कहा, “इसे यहाँ डालते हैं, या मुँह में, या पीछे।” मैं शरमा गई और जाने लगी। भैया ने मुझे पकड़ लिया और बोले, “कहाँ जा रही है? इसे ऐसे अधूरा नहीं छोड़ते।” वो मुझे किस करने लगे, मेरे बूब्स को दबाने लगे। मेरे निप्पल्स को उंगलियों से मसल रहे थे, और मैं सिहर रही थी। भैया ने मुझे तालाब के किनारे घास पर लिटाया और बोले, “उल्टा बैठ जा।” मैंने मना किया, “नहीं भैया, ये गलत है।” लेकिन भैया बोले, “क्या गलत? दो साल से मैं इस दिन का इंतजार कर रहा हूँ। चुपचाप मजे ले।”

उन्होंने मुझे उल्टा किया और मेरी गांड पर थप्पड़ मारा। फिर अपना लंड मेरी गांड पर रगड़ने लगे। मैं डर गई, बोली, “भैया, दर्द होगा।” लेकिन भैया ने कहा, “चुप साली, रंडी, अब तू मुझे सिखाएगी?” उन्होंने धीरे-धीरे अपना 9 इंच का लंड मेरी गांड में डालना शुरू किया। “आआआह्ह्ह… भैया, नहीं!” मैं चिल्लाई। दर्द से मेरी आँखों में आँसू आ गए। लेकिन भैया ने धीरे-धीरे आगे बढ़ना शुरू किया। “उउउह्ह्ह… भैया, रुको!” मैंने कहा, लेकिन वो नहीं रुके। धीरे-धीरे उनका लंड मेरी गांड में समा गया। दर्द के साथ-साथ अब मुझे अजीब सा मजा भी आने लगा। भैया ने स्पीड बढ़ाई, और मैं “आआह्ह… ऊऊह्ह…” करने लगी।

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कुछ देर बाद भैया ने मुझे सीधा किया और मेरी चूत पर हाथ फेरा। मेरी चूत पहले से गीली थी। उन्होंने अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ा और बोले, “अब ये यहाँ जाएगा।” मैंने कहा, “भैया, ये नहीं जाएगा, मेरी चूत छोटी है।” भैया ने गुस्से में कहा, “चुप साली, तू मुझे सिखाएगी कि बड़ा है या छोटा?” उन्होंने धीरे-धीरे अपना लंड मेरी चूत में डालना शुरू किया। “आआआह्ह्ह… भैया, दर्द हो रहा है!” मैं चिल्लाई। लेकिन भैया ने धीरे-धीरे पूरा लंड अंदर डाल दिया। दर्द के साथ मजा भी आने लगा। मैंने कहा, “भैया, जोर से मारो, फाड़ दो मेरी चूत!” भैया ने स्पीड बढ़ाई, और “चट्ट… चट्ट…” की आवाजें तालाब के किनारे गूँजने लगी।

पाँच मिनट बाद भैया ने अपना लंड निकाला और मेरे मुँह में डाल दिया। मैंने चूसना शुरू किया। “उम्म्म… आह्ह…” मैं चूसते हुए सिसकारियाँ ले रही थी। तभी भैया ने अपना पानी मेरे मुँह में छोड़ दिया। मैंने सारा पानी निगल लिया। मुझे अजीब सा मजा आ रहा था। उस दिन के बाद हमारा रिश्ता भाई-बहन का नहीं, मियां-बीवी जैसा हो गया।

तीन दिन बाद मुझे चाचा के पास जाना था। पापा ने मुझे ट्रेन से छोड़ने का फैसला किया। हमारी ट्रेन में सेकंड क्लास का केबिन था। हमारे साथ दो विदेशी थे—एक लड़की और एक आदमी। वो दोनों इतने करीब थे कि लग रहा था मियां-बीवी होंगे। हमारा सफर 3 घंटे का था। आधे घंटे बाद वो दोनों किस करने लगे। 10 मिनट तक वो एक-दूसरे को चूमते रहे। फिर लड़की ने आदमी की पैंट में हाथ डाला और उसका लंड मसलने लगी। टीसी के आने के बाद वो थोड़ी देर चुप रहे। फिर उस आदमी ने हमसे पूछा, “कहाँ जा रहे हो? ये कौन है?” तभी लड़की ने उस आदमी को “पापा” कहकर पुकारा। मैं और पापा दंग रह गए।

पापा ने पूछा, “ये आपकी बेटी है?” वो बोला, “हाँ।” पापा ने गुस्से में कहा, “फिर ये क्या कर रहे थे?” वो आदमी हँसा और बोला, “हम ओशो के शिष्य हैं। सेक्स में भाई-बहन, बाप-बेटी का फर्क नहीं होता। सेक्स तो सेक्स है, उसे महसूस करना चाहिए।” उसने मेरी तरफ देखा और बोला, “तुम भी मेरे जैसे मजा लो।” फिर उसने हमें एक गोली दी। थोड़ी देर बाद पापा मुझे मुस्कुराते हुए देखने लगे। मैं भी मुस्कराई। फिर पापा ने मुझे किस किया और मेरे कपड़े उतारने लगे। हम सीट पर ठीक से नहीं कर पा रहे थे, तो उन दोनों ने हमें नीचे बिठाया।

पापा ने मुझे चोदना शुरू किया। “आआह्ह… पापा… ऊऊह्ह…” मैं सिसकारियाँ ले रही थी। मैं और सेक्स चाहती थी। मैंने पापा को इशारा किया, “पापा, एक बार और डालो, इस तालाब में डुबकी लगाओ।” वो आदमी हँसा और बोला, “क्या हुआ ओल्ड मैन, इतने में थक गए? मैं तो तीन बार करने के बाद चुप बैठता हूँ।” फिर उसकी बेटी पापा के पास गई और उनका लंड मसलने लगी। वो उसे मुँह में लेने लगी। मैं सेक्स की भूख में सब देख रही थी। तभी वो आदमी मेरे पास आया, अपने कपड़े उतारे, और मुझे चोदना शुरू किया। “आआआह्ह्ह… ऊऊऊह्ह…” मेरी सिसकारियाँ गूँज रही थीं। दो राउंड के बाद वो अपनी बेटी को चोदने लगा। फिर पापा से बोला, “मजा आया ना?” पापा बोले, “हाँ।” वो बोला, “तुमने पानी अंदर नहीं छोड़ा।” पापा बोले, “पागल हो? ये मेरी बेटी है।” वो हँसा और बोला, “तो क्या हुआ? ये भी मेरी बेटी है, और मेरे बच्चे की माँ बनने वाली है। मेरी बड़ी बेटी की शादी हो गई, लेकिन वो अपने पति से नहीं, मुझसे बच्चा चाहती है।”

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उसने बताया कि उनके घर में उसकी बीवी, दो बेटियाँ, और दामाद हर रविवार को मिलकर सेक्स करते हैं। उसकी बीवी अस्पताल में थी, क्योंकि वो अपने दामाद के बच्चे की माँ बनने वाली थी। उसकी छोटी बेटी शादी नहीं करना चाहती थी, क्योंकि उसे लगता था कि सेक्स के लिए पापा और जीजाजी ही काफी हैं। ये सुनकर मैं और पापा दंग रह गए।

कुछ देर बाद हम चाचा के पास पहुँचे। चाचा की दो बेटियाँ थीं—एक 18 साल की, दूसरी 20 साल की। उनकी बीवी गुजर चुकी थी। पापा ने चाचा को ट्रेन की सारी बात बताई और कहा, “अब मैं सेक्स को लेकर सहमत हूँ।” चाचा ने मेरी तरफ देखा। रात को खाना खाने के बाद हम गार्डन में बैठे। चाचा ने अपनी बेटी को समझाया, और मैंने भी उससे बात की। फिर मैंने उसके साथ सेक्स शुरू किया। तभी चाचा और पापा आए, और हम सबने मिलकर मेरी और मेरी कजिन की चुदाई की। चाचा ने मेरे साथ सेक्स किया। उनका 3 साल का जमा पानी मेरी चूत में डाल दिया।

कुछ दिनों बाद मुझे अजीब सा महसूस हुआ। डॉक्टर को दिखाया, तो उसने कहा, “बधाई हो, आप माँ बनने वाली हैं।” मेरे होश उड़ गए। चाचा ने डॉक्टर से बात कर मेरा अबॉर्शन करवाया। इलाज के बाद मैं दो महीने तक चाचा के पास रही। इस दौरान मैंने सेक्स नहीं किया, तो मेरे बदन में फिर से आग भड़कने लगी। एक दोपहर मैं उठी, तो देखा चाचा और बाकी लोग बाहर गए थे। मेरी नजर हमारे नौकर रामू पर पड़ी। उसकी उम्र 42 साल थी, और वो थोड़ा भारी-भरकम था। मैंने उसे चाय लाने को कहा और अपने कमरे में चली गई। मैंने दरवाजा खुला छोड़ा, अपने सारे कपड़े उतारे, और बॉडी पर तेल लगाने लगी। 5 मिनट बाद रामू चाय लेकर आया। मुझे नंगा देखकर वो “सॉरी” बोलकर जाने लगा। मैंने कहा, “रामू, रुको, कोई बात नहीं।” मैं नंगी ही उसके पास गई और उसकी धोती खोल दी। उसका 2 इंच चौड़ा और 10 इंच लंबा लंड मेरे सामने था। मैंने उसे मुँह में लिया और चूसने लगी। “उम्म्म… आह्ह…” रामू सिसकारियाँ ले रहा था।

इस तरह मेरा एक महीने में भैया, पापा, चाचा, और अब रामू के साथ सेक्स का तजुर्बा हो गया। शादी के बाद पति और देवर के साथ भी ये सिलसिला चलता रहा। अब आप बताइए, आपके साथ ऐसा कोई अनुभव हुआ है? अपनी राय जरूर बताएँ।

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