Bahen ki kuwari chut ki chudai – हाय दोस्तो, कैसे हैं आप सब? उम्मीद करती हूँ कि आप सब ठीक होंगे। मैं भी बिल्कुल मस्त हूँ। जैसा कि मैंने आपको पहले बताया था, मेरा छोटा भाई बबलू है, जिसे मैंने बाथरूम में फंसाया था। अब आगे की कहानी सुनिए।
कहानी का पिछला भाग: छोटे भाई से चुदवायी कुंवारी चूत – भाग 1
मैं नहाकर बाहर आई तो बबलू अपने कमरे में था, सिर झुकाए खड़ा था। जैसे ही मैं कमरे में घुसी, उसने मुझे देखा और फटाफट बोला, “दीदी, वो सब गलती से हो गया था। मैंने जानबूझकर कुछ नहीं किया। प्लीज, आप किसी को कुछ मत बताना।” उसकी आवाज में डर साफ झलक रहा था। मैंने सख्त लहजे में कहा, “अगर तूने मेरी बात नहीं मानी, तो मैं मम्मी को सब बता दूँगी।”
वो घबरा गया और बोला, “दीदी, आप जो भी कहोगी, मैं वो करूँगा। बस मम्मी को कुछ मत बताना।” मैंने फिर दोहराया, “ठीक है, लेकिन मेरी एक भी बात नहीं मानी, तो मैं मम्मी को सब बता दूँगी।” वो बार-बार माफी माँग रहा था, “हाँ दीदी, मैं सब मानूँगा।” मैंने कहा, “चल, अब जा, नहा ले, वरना स्कूल के लिए लेट हो जाएगा।”
वो बाथरूम में चला गया। मैं मन ही मन इतनी खुश थी कि बता नहीं सकती। मुझे जो चाहिए था, वो अब मेरी मुट्ठी में था। आज नहीं तो कल, मेरी चूत की आग बुझने वाली थी। वो नहाकर बाहर आया, अपना बैग पैक किया और स्कूल जाने को तैयार हुआ। मैंने कहा, “बबलू, नाश्ता तो कर ले।” उसने मना कर दिया। लेकिन मैं जानती थी कि अगर वो नाश्ता नहीं करता, तो मम्मी मुझ पर गुस्सा होंगी।
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मैंने फिर कहा, “बबलू, थोड़ा-सा तो खा ले।” वो फिर भी नहीं माना। मैंने गुस्से में दबाव बनाया, “अगर तूने नाश्ता नहीं किया, तो मैं मम्मी को बाथरूम वाली बात बता दूँगी।” बस, ये सुनते ही वो तुरंत मान गया और नाश्ता करने बैठ गया। वो इतनी जल्दी-जल्दी खा रहा था, जैसे कोई रेस जीतने की कोशिश कर रहा हो। मैंने कहा, “आराम से खा, अगर गले में अटक गया तो मुसीबत हो जाएगी।”
लेकिन वो नहीं माना और जल्दी-जल्दी खाने लगा। तभी अचानक उसके गले में कुछ फंस गया। वो जोर-जोर से खाँसने लगा। मैंने कहा, “रुक, पानी पी ले।” लेकिन उसकी छाती में दर्द होने लगा। मैंने कहा, “रुक, मैं तेरी मदद करती हूँ।” मैंने उसकी छाती पर हाथ फेरना शुरू किया। उसकी चिकनी और मस्कुलर छाती को छूते ही मेरे पूरे बदन में करंट-सा दौड़ गया। उसकी बॉडी इतनी अट्रैक्टिव थी कि मेरे मन में गंदे ख्याल आने लगे। मैं धीरे-धीरे उसकी छाती सहलाने लगी, और मुझे मजा आने लगा।
वो बोला, “दीदी, अब ठीक लग रहा है।” ये कहकर वो स्कूल के लिए निकल गया। मैं भी घर के बचे-खुचे काम निपटाकर अपने कमरे में चली गई। वहाँ मैंने बबलू का एक पेन लिया और उसे अपनी चूत में अंदर-बाहर करने लगी। मैं सोच रही थी कि उसका लंड कैसा होगा। उसकी चिकनी छाती का स्पर्श अभी भी मेरे दिमाग में था। मैंने पूरा दिन पोर्न देखा, और करीब 4:30 बजे मैंने कपड़े पहने और बाहर आई।
मैं घर के कामों में लग गई। तभी डोरबेल बजी। मैंने दरवाजा खोला तो मम्मी थीं। मैंने उन्हें पानी दिया और पूछा, “मम्मी, आप इतनी जल्दी आ गईं?” उन्होंने बताया कि उनके सारे काम जल्दी खत्म हो गए थे। फिर मम्मी ने कहा, “आज मैं खाना बनाऊँगी, तू जा, अपना काम कर।”
मैं अपने कमरे में चली गई और एक नया प्लान बनाया। मैंने अपनी अलमारी साफ करने का फैसला किया। उसमें मेरे ढेर सारे पुराने कपड़े थे, जिनमें ज्यादातर मेरी पुरानी ब्रा और पैंटी थीं। तभी फिर से डोरबेल बजी। मम्मी ने दरवाजा खोला, और मुझे बबलू की आवाज सुनाई दी। वो घर में शांति देखकर समझ गया कि मैंने मम्मी को कुछ नहीं बताया। वो मेरे कमरे में आया और बोला, “थैंक्स दीदी, आपने मम्मी को कुछ नहीं बताया।”
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मैंने सख्ती से कहा, “अगर तूने मेरी बात नहीं मानी, तो मैं मम्मी को सब बता दूँगी।” वो बोला, “हाँ दीदी, मैं आपकी हर बात मानूँगा। जो आप कहोगी, वही करूँगा।” मैंने कहा, “ठीक है, जा, फ्रेश हो जा।” वो फ्रेश होने चला गया। मैंने सोचा, क्यों न उसकी अलमारी भी साफ कर दूँ। उसकी अलमारी में भी ढेर सारे कपड़े थे। जब वो वापस आया, तो मैंने कहा, “बबलू, तूने अपनी अलमारी कितनी गंदी कर रखी है।”
वो बोला, “दीदी, इसे सेट करने का टाइम ही नहीं मिलता।” मैंने कहा, “इसमें तेरे कई पुराने कपड़े हैं जो अब तुझे फिट नहीं होंगे। इन्हें फेंक क्यों नहीं देता?” उसने कहा कि उसे टाइम नहीं मिला। मैंने कहा, “चल, एक-एक करके ट्राई कर, जो नहीं आते, उन्हें फेंक देंगे।” वो कपड़े लेकर बाथरूम जाने लगा। मैंने कहा, “बाथरूम में क्यों जा रहा है? यहीं चेंज कर ना।”
वो शरमाते हुए बोला, “दीदी, मुझे आपके सामने शर्म आती है। मैं बाथरूम में करता हूँ।” मैंने गुस्से में कहा, “रुक, मैं मम्मी को बता देती हूँ।” वो तुरंत डर गया और बोला, “रुको दीदी, मैं यहीं ट्राई करता हूँ।” उसने धीरे-धीरे अपनी शर्ट उतारनी शुरू की। उसकी बॉडी इतनी शानदार थी, जैसे किसी हीरो की। मैं तो बस उसकी चिकनी और मस्कुलर छाती को देखती रह गई।
उसने एक-एक करके शर्ट्स ट्राई कीं। एक शर्ट के बटन नहीं लग रहे थे। मैंने कहा, “रुक, मैं मदद करती हूँ।” मैंने उसके बटन लगाते हुए उसकी बॉडी को छुआ। उसकी त्वचा इतनी मुलायम थी कि मेरे मन में फिर से गंदे ख्याल आने लगे। वो हँसने लगा। मैंने पूछा, “क्यों हँस रहा है?” उसने कहा, “दीदी, मुझे गुदगुदी हो रही है।” मैंने उसे स्माइल दी और जानबूझकर और गुदगुदी करने लगी।
सारी शर्ट्स ट्राई हो गईं, अब पैंट की बारी थी। उसने कहा, “दीदी, अब पैंट ट्राई करनी है। बाथरूम में करूँ?” मैंने कहा, “यहीं कर ना।” वो फिर शरमाने लगा और बोला, “नहीं दीदी, मुझे शर्म आती है।” मैंने गुस्से में कहा, “रुक, मैं मम्मी को बता देती हूँ।” वो पीछे से मेरा हाथ पकड़कर बोला, “प्लीज दीदी, मम्मी को मत बताना। मैं यहीं करता हूँ।”
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मैंने दरवाजा लॉक किया और उसके सामने बैठ गई। वो धीरे-धीरे अपनी पैंट उतारने लगा। मैंने गुस्से में कहा, “जल्दी कर, पैंट उतारने में इतना टाइम क्यों लगा रहा है?” उसने पैंट उतार दी और एक हाथ से अपनी नुन्नी छुपाने की कोशिश करने लगा। उसने पैंट ट्राई करनी शुरू की, लेकिन एक हाथ से पैंट पहनना मुश्किल था। मैंने कहा, “रुक, मैं मदद करती हूँ।”
मैं उसके सामने घुटनों के बल बैठ गई और उसकी पैंट ऊपर चढ़ाने लगी। मैंने कहा, “हाथ हटा, मुझे बटन लगाने हैं।” उसने धीरे से हाथ हटाया, और उसका 4 इंच लंबा और 1.5 इंच मोटा लंड मेरी आँखों के सामने आ गया। वो अभी शांत था, फिर भी इतना बड़ा था। मैं तो उसे देखती ही रह गई। मैं सोचने लगी, अगर ये खड़ा हो गया तो कितना बड़ा होगा? तभी उसने कहा, “दीदी, अब बटन लगाओ ना।”
मैं शरमा गई और अपना ध्यान उसके लंड से हटाकर दूसरी तरफ किया। मैंने कहा, “ये पैंट परफेक्ट है। अब दूसरी ट्राई कर।” उसने फिर पैंट उतारी और अपने लंड पर हाथ रख लिया। मैंने कहा, “रुक, मैं तुझे पैंट पहनाती हूँ।” मैंने एक-एक करके उसकी पैंट्स सिलेक्ट और रिजेक्ट कीं। एक पैंट बहुत छोटी थी, जो उसे फिट नहीं हो रही थी। मैंने जानबूझकर उसे जबरदस्ती पहनाने की कोशिश की। इस दौरान मेरा हाथ बार-बार उसके लंड को छू रहा था।
उसने कहा, “दीदी, आपका हाथ मेरी नुन्नी को लग रहा है।” मैंने बेफिक्री से कहा, “हाँ तो, क्या हुआ?” वो फिर बोला, “दीदी, बार-बार लग रहा है।” मैंने हँसते हुए कहा, “अरे, ये सब तो चलता है।” ये कहकर मैंने उसके लंड को जोर से दबा दिया। उसके मुँह से “आह्ह” निकल गई। मैंने पूछा, “क्या हुआ?” उसने कहा, “कुछ नहीं दीदी।” मैंने फिर पूछा, “तो तूने आह्ह क्यों की?” उसने बताया, “जब आपने मेरी नुन्नी दबाई, तो दर्द हुआ।”
वो अपने लंड को मुझसे छुपाने की कोशिश करने लगा। मैंने कहा, “बता, कहाँ दर्द हो रहा है?” उसने बताने से मना कर दिया। मैंने गुस्से में कहा, “अबे, बोल ना, कहाँ दर्द हो रहा है?” उसने शरमाते हुए कहा, “जब आपने मेरी नुन्नी दबाई, आपके नाखून मुझे चुभ गए।” मैंने उसके लंड को अपने हाथ में लिया और देखने लगी। सचमुच मेरे नाखून के निशान थे। मैंने कहा, “सॉरी, रुक, मैं तेरी नुन्नी पर तेल लगा देती हूँ।”
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मैं तेल की बोतल लेने गई। लौटकर मैंने कहा, “पैंट उतार, मैं तेल लगा देती हूँ।” उसने पैंट नहीं उतारी। मैंने खुद उसकी पैंट उतार दी। इस दौरान मेरा दुपट्टा भी गिर गया। मैंने उसे साइड में रखा और उसका लंड अपने हाथ में लिया। मैंने धीरे-धीरे तेल लगाना शुरू किया। उसका लंड इतना मुलायम और गर्म था कि मुझे पोर्न फिल्म की हीरोइन जैसा लग रहा था। मैं धीरे-धीरे उसके लंड को सहलाने लगी, जैसे वो मेरा पति हो। मुझे बहुत मजा आ रहा था।
मैंने सोचा, अब इसे मुँह में ले लूँ। मेरे से कंट्रोल नहीं हो रहा था। मैंने जैसे ही अपना मुँह खोला, तभी बाहर से किसी ने दरवाजा खटखटाया। मैं डर के मारे सहम गई। मेरी आवाज ही नहीं निकल रही थी। तभी मम्मी की आवाज आई, “आलिया, आज खाना नहीं खाना क्या?”
मैंने हड़बड़ाते हुए कहा, “हाँ मम्मी, आती हूँ।” मम्मी बोलीं, “ठीक है, बबलू को भी साथ ले आ। जल्दी नीचे आ।” मैंने कहा, “जी मम्मी, आ रही हूँ।” बबलू अभी भी वैसे ही खड़ा था, उसका लंड मेरे सामने था। मुझे मजबूरी में कहना पड़ा, “पैंट पहन ले।”
हम दोनों नीचे आए और खाने की टेबल पर बैठ गए। तभी मेरे दिमाग में एक शैतानी प्लान आया। मैंने जानबूझकर कहा, “मम्मी, आज सुबह जब मैं…” इतना कहते ही बबलू ने डरते हुए मेरी तरफ देखा और धीरे से बोला, “दीदी, प्लीज मत बोलो।” मम्मी ने पूछा, “हाँ, तो आगे क्या हुआ, बोल?” बबलू की तो हालत खराब हो गई थी, वो डर के मारे काँप रहा था।
दोस्तो, आगे क्या हुआ? क्या मैंने बबलू का लंड चूसा या नहीं? ये सब जानने के लिए मेरी इस कहानी के अगले भाग का इंतजार करें। आप अपने कमेंट्स जरूर करें और बताएँ कि आपको ये कहानी कैसी लगी।
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कहानी का अगला भाग: छोटे भाई से चुदवायी कुंवारी चूत – भाग 3
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