नमस्ते दोस्तों। आज इस कहानी का आखिरी हिस्सा है, और यकीन मानिए, ये बेहद जोशीला और धमाकेदार होने वाला है। मेरा देवर मेरी गांड मारने के लिए बेताब है, और उधर एक नया मर्द मेरी नजरों में है, जो अपने लंड को हाथ में थामे मुझे ललचा रहा है। तो आइए, इस चुदक्कड़ खेल में शामिल हो जाइए।
कहानी का पिछला भाग: पति का छोटा सा लंड – पार्ट 2
जतिन ने मुझे देखते हुए कहा, “अभी मैंने तुम्हें पूरी तरह से औरत कहां बनाया है? थोड़ी देर बाद मैं तुम्हें ऐसी औरत बनाऊंगा कि तुम मेरे बिना रह ही न पाओगी!”
मैंने हल्के से मुस्कुराते हुए पूछा, “वो कैसे?”
वो बोला, “तुमने देखा था ना कि मैंने समरीन की चूत और गांड दोनों को कितनी बेदर्दी से चोदा था। अभी तो मैंने सिर्फ तुम्हारी चूत की चुदाई की है। जब मैं तुम्हारी गांड भी मार लूंगा, तब तुम पूरी तरह से औरत बन जाओगी।”
मैंने गिड़गिड़ाते हुए कहा, “प्लीज, जतिन, ऐसा मत करो। मेरी चूत में पहले से ही इतना दर्द हो रहा है। अगर तुम आज मेरी गांड भी मार डालोगे, तो मैं बिस्तर से उठ भी न पाऊंगी।”
वो हंसते हुए बोला, “तो क्या हुआ? मैं तुम्हें आज पूरी तरह से औरत बनाकर ही छोडूंगा।”
पंद्रह मिनट बाद जतिन का लंड मेरी चूत में फिर से खड़ा होने लगा। उसने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। इस बार दर्द कम था, क्योंकि उसका लंड मेरी चूत से बाहर निकला ही नहीं था। उसकी हरकतों से मेरी चूत फिर से गीली होने लगी। मैंने अपनी कमर को हल्का-हल्का हिलाना शुरू किया, और जतिन ने अपने धक्कों की रफ्तार बढ़ा दी। “आह्ह… जतिन… और जोर से,” मैंने सिसकारी भरी। उसका लंड मेरी चूत की गहराइयों को छू रहा था, और हर धक्के के साथ मेरी चूत से चप-चप की आवाजें आ रही थीं। मैं पूरी तरह मस्त हो चुकी थी, अपने चूतड़ उठा-उठाकर उससे चुदवाने लगी।
जतिन ने अचानक अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाला। उसका लंड मेरे रस से चमक रहा था। उसने मुझे पलटकर डॉगी स्टाइल में कर दिया। मेरी गांड अब उसके सामने थी। उसने अपने लंड का सुपाड़ा मेरी गांड के छेद पर रखा और मेरी कमर को जोर से पकड़ लिया। मेरे दिल की धड़कनें तेज हो गईं। मैं डर रही थी, क्योंकि मुझे पता था कि अब बहुत दर्द होने वाला है। उसने एक जोरदार धक्का मारा। “आआह्ह… जतिन… नहीं!” मेरी चीख निकल गई। उसका लंड मेरी गांड को चीरता हुआ अंदर घुस गया। दर्द इतना तेज था कि मेरी आंखों से आंसू छलक आए। मैंने गिड़गिड़ाया, “जतिन, प्लीज, इसे बाहर निकाल लो, मैं मर जाऊंगी। मेरी गांड फट जाएगी।”
जतिन ने मेरी बात अनसुनी कर दी और एक और धक्का मारा। इस बार उसका लंड मेरी गांड में चार इंच तक घुस गया। मैं जोर-जोर से चीखने लगी, “आआह्ह… जतिन… रुक जाओ… बहुत दर्द हो रहा है!” उसने बिना रुके एक झटके में अपना लंड बाहर निकाला और तुरंत मेरी चूत में घुसेड़ दिया। “उफ्फ… आह्ह…” मैं सिसकारी। उसने मेरी चूत की चुदाई शुरू कर दी। थोड़ी देर में दर्द कम हुआ, और मैं फिर से मजे में खो गई। उसका लंड मेरी चूत में अंदर-बाहर हो रहा था, और हर धक्के के साथ मेरी चूत से रस टपक रहा था।
जतिन ने फिर से अपना लंड मेरी चूत से निकाला और एक झटके में मेरी गांड में डाल दिया। “आआह्ह… मम्मी… जतिन, मैं मर जाऊंगी!” मैं चिल्लाई। उसने मेरी कमर को और जोर से पकड़ा और एक और धक्का मारा। इस बार उसका लंड और गहराई तक घुस गया। मेरी सांसें रुक गईं। मैं दर्द से तड़प रही थी। “जतिन, प्लीज… धीरे करो,” मैंने रोते हुए कहा।
वो हंसते हुए बोला, “अरे, शांत हो जाओ। क्या तुमने कभी सुना है कि किसी औरत की गांड मरवाने से मौत हो गई हो?”
मैंने रोते हुए कहा, “नहीं… लेकिन ये दर्द बर्दाश्त नहीं हो रहा।”
वो बोला, “बस थोड़ा सा दर्द होगा। फिर तुम खुद रोज मुझसे गांड मरवाने को कहोगी।”
उसने फिर से एक जोरदार धक्का मारा। “आआह्ह…” मेरी चीख गूंज उठी। मेरा पूरा शरीर पसीने से लथपथ हो गया। उसका पूरा लंड मेरी गांड में समा गया। मैं रो रही थी, मेरी आंखों से आंसू बह रहे थे। जतिन ने बिना रुके अपना लंड बाहर खींचा और फिर से एक झटके में अंदर डाल दिया। “उफ्फ… आह्ह…” मैं फिर चीखी। उसने मेरी चीखों पर कोई ध्यान नहीं दिया और लगातार चार-पांच बार ऐसा किया। मेरी गांड की हालत खराब हो चुकी थी।
फिर उसने अपना लंड मेरी चूत में डाला और चुदाई शुरू कर दी। “आह्ह… जतिन… हां… ऐसे ही…” मैं सिसकारियां भरने लगी। थोड़ी देर में मैं गांड का दर्द भूल गई और चुदाई के मजे में डूब गई। जतिन ने फिर से अपना लंड मेरी गांड में डाला। इस बार मैं चीखी, लेकिन दर्द पहले से कम था। उसने तेजी से मेरी गांड मारनी शुरू कर दी। “थप-थप-थप” की आवाजें कमरे में गूंज रही थीं। मैं पांच मिनट तक चीखती रही, फिर धीरे-धीरे शांत हो गई। अब मुझे गांड मरवाने में भी मजा आने लगा था।
जतिन ने दस मिनट तक मेरी गांड मारी, फिर अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया। “आह्ह… उफ्फ… जतिन… और जोर से…” मैं सिसकारियां भर रही थी। मेरी चूत गीली थी, और हर धक्के के साथ मेरे रस की चप-चप की आवाजें आ रही थीं। थोड़ी देर बाद जब उसने अपना लंड बाहर निकाला, मैंने हंसते हुए कहा, “अब तो तुमने मुझे पूरी तरह से औरत बना दिया!”
जतिन बोला, “अभी कहां! अभी तो बस शुरुआत है।”
मैंने पूछा, “अब क्या बाकी है?”
वो बोला, “अभी मैंने तुम्हारी गांड को ढीला किया है। अगली बार मैं सिर्फ तुम्हारी गांड मारूंगा और अपना सारा रस तुम्हारी गांड में ही निकालूंगा। तब तुम पूरी तरह से औरत बन जाओगी।”
पैंतालीस मिनट बाद जतिन का लंड फिर से खड़ा हो गया। उसने मुझे फिर से डॉगी स्टाइल में किया और मेरी गांड मारनी शुरू कर दी। पहले तो मुझे दर्द हुआ, लेकिन जल्द ही दर्द मजा में बदल गया। “आह्ह… जतिन… हां… और जोर से…” मैं सिसकारियां भर रही थी। उसने मेरी गांड को इतनी बेदर्दी से मारा कि मेरी चूत से दो बार पानी निकल चुका था। “थप-थप-थप” की आवाजें कमरे में गूंज रही थीं। पंद्रह मिनट तक उसने मेरी गांड मारी और फिर मेरी गांड में ही झड़ गया। उसका गर्म रस मेरी गांड में भर गया। मैं पूरी तरह मस्त हो चुकी थी।
जतिन मेरे बगल में लेट गया। मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “अब तो मैं पूरी तरह से औरत बन गई हूं, या अभी कुछ और बाकी है?”
वो हंसते हुए बोला, “नहीं, अब तो मैंने तुम्हें पूरी तरह से औरत बना दिया है!”
सारा दिन जतिन मेरी चुदाई करता रहा। कभी मेरी चूत, कभी मेरी गांड। शाम को अमित का फोन आया कि ऑफिस में काम की वजह से वो रात ग्यारह बजे तक आएंगे। ये सुनकर जतिन और मैं दोनों खुश हो गए। रात के ग्यारह बजे तक जतिन ने मुझे पांच बार चोदा और तीन बार मेरी गांड मारी। “आह्ह… उफ्फ… जतिन… तुम तो कमाल हो…” मैं हर बार सिसकारियां भर रही थी। मेरी चूत और गांड सूज चुकी थीं। मैं बिस्तर से उठने की हालत में नहीं थी।
जब अमित घर आए, जतिन ने दरवाजा खोला और अपने कमरे में चला गया। मैंने चादर ओढ़ रखी थी। अमित ने मुझे देखा और पूछा, “क्या हुआ?”
मैंने बेझिझक कहा, “वही जो होना चाहिए था। मैंने आज जतिन से सारा दिन जमकर चुदवाया। उसने मेरी गांड भी मारी। आज मुझे जवानी का असली मजा मिला, जो तुम मुझे कभी नहीं दे सकते।”
अमित ने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा, “चलो, अच्छा ही हुआ। अब तुम्हें सारी जिंदगी जतिन से मजा मिलता रहेगा। तुम्हें कहीं और जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। खुश हो ना?”
मैंने कहा, “हां, मैं बहुत खुश हूं। जतिन ने मुझे आज पूरी तरह से संतुष्ट कर दिया।”
अमित ने चादर हटाई और मेरी चूत और गांड को देखा। वो बोले, “तेरी चूत और गांड की हालत तो खराब हो गई है। बिस्तर की चादर भी तुम दोनों के रस से भीग चुकी है।”
मैंने कहा, “हां, मैं जानती हूं। ये चादर मैं साफ नहीं करूंगी। इससे मेरी यादें जुड़ी हैं। इसे मैं सारी जिंदगी संभालकर रखूंगी।”
उस रात अमित ने भी मेरी चुदाई की, लेकिन जतिन के लंड ने मेरी चूत को इतना चौड़ा कर दिया था कि मुझे अमित का लंड महसूस ही नहीं हुआ। हम सो गए। सुबह अमित के ऑफिस जाने के बाद जतिन ने फिर से मेरी चुदाई शुरू कर दी। उस दिन वो कॉलेज नहीं गया। सारा दिन वो मुझे चोदता रहा और मेरी गांड मारता रहा।
ये सिलसिला दो महीने तक चला। इन दो महीनों में मैंने जतिन से खूब मजा लिया। समरीन भी मेरी सहेली बन गई। वो भी जतिन से चुदवाने आती थी। हम तीनों मिलकर चुदाई का मजा लेते। मैं और समरीन एक-दूसरे की चूत चाटते, अपने जिस्म रगड़ते। समरीन चुदवाने से पहले हमेशा शराब पीती थी, और उसकी संगत में मुझे भी ये आदत लग गई।
फिर जतिन बीस दिनों के लिए कॉलेज टूर पर चला गया। उसके जाने के बाद मैं और समरीन लेस्बियन चुदाई तो करते रहे, लेकिन जतिन के दमदार लंड की कमी खलती थी। एक दिन अमित ऑफिस से उदास चेहरा लिए लौटे।
मैंने पूछा, “क्या हुआ?”
वो बोले, “बृजवासी को जानती हो ना?”
मैंने कहा, “हां, वो तो हमारे बॉस हैं। क्या हुआ?”
अमित ने बताया, “उसने मुझे अपने चैंबर में बुलाया और कहा कि पुराना मैनेजर नौकरी छोड़कर चला गया है। अगर मैं मैनेजर बनना चाहता हूं, तो बोलूं। मैंने कहा कि बनना चाहता हूं। उसने पूछा कि मैं इसके बदले उसे क्या दूंगा। मैंने कहा कि सब कुछ तो उसका ही है। फिर उसने कहा कि शर्मा भी मैनेजर बनना चाहता है और वो अपनी बीवी को एक रात के लिए देगा। उसने मुझसे पूछा कि मैं क्या दूंगा। अगर मैं तुम्हें दो रात के लिए दूं, तो वो मुझे मैनेजर बना देगा। मैंने मना कर दिया।”
मैंने अमित से कहा, “बृजवासी ऐसा ही है। वो ऐयाशी के बदले ही तरक्की देता है। ऑफिस की कई औरतें उसके साथ रात बिता चुकी हैं। तबस्सुम को तो तुम जानते ही हो। उसने भी बृजवासी के साथ रात गुजारी थी, ताकि वो उसकी पर्सनल असिस्टेंट बन सके। उसने मुझे बताया था कि बृजवासी का लंड दस इंच लंबा और मोटा है। पहले मुझे यकीन नहीं हुआ, लेकिन जतिन का आठ इंच का लंड देखने के बाद मुझे यकीन हो गया। मैं जतिन के लंड की आदी हो चुकी हूं। बृजवासी का लंड उससे भी बड़ा है। उससे चुदवाने में मुझे और मजा आएगा। जतिन टूर पर है, मेरी चूत में खुजली हो रही है। तुम मैनेजर बन जाओ, तनख्वाह दोगुनी हो जाएगी, और हमारी जिंदगी बेहतर होगी। मुझे भी चुदवाने का मौका मिलेगा।”
अमित सोच में पड़ गए। थोड़ी देर बाद बोले, “मैं कल बृजवासी से बात करूंगा।”
अगले दिन अमित उदास चेहरा लिए लौटे। मैंने पूछा, “क्या हुआ? बृजवासी राजी नहीं हुआ?”
वो बोले, “अब वो चार दिन के लिए तुम्हें अपने पास रखना चाहता है। ऑफिस में दो लोग और अपनी बीवियां देने को तैयार हैं।”
मैंने कहा, “तुम उसे फोन करके कह दो। जितनी देर करोगे, उतने ज्यादा दिन मुझे उसके पास रहना पड़ेगा।”
अमित ने बृजवासी को फोन किया। बृजवासी ने कहा, “अभी नहीं। मैं और इंतजार करूंगा। शायद कोई अपनी बीवी को और ज्यादा दिनों के लिए दे।”
अमित उदास हो गए। मैंने कहा, “तुम मैनेजर बनना चाहते हो या नहीं?”
वो बोले, “बनना तो चाहता हूं, लेकिन बृजवासी मान जाए तब ना।”
मैंने कहा, “उसे दोबारा फोन करो और कहो कि तुम हर कीमत पर मैनेजर बनना चाहते हो। वो चाहे जितने दिन मुझे रख ले। मैं जानती हूं कि वो सात दिन से ज्यादा मुझे नहीं रखेगा, क्योंकि उसे हमेशा नई औरतें चाहिए।”
अमित ने बृजवासी को फोन किया। वो तैयार हो गया, लेकिन उसने कहा कि मुझे आज ही जाना होगा। मैंने अमित से कहा, “मुझे उसके घर छोड़ दो। जतिन को कुछ पता नहीं चलना चाहिए।”
अमित मुझे बृजवासी के घर छोड़कर चले गए। बृजवासी ने मुझे सेक्सी हाई हील सैंडल थमाते हुए कहा, “कपड़े उतार दो। अगले दस दिन तुम्हें सिर्फ ये सैंडल पहनने हैं।”
मैंने कहा, “ठीक है, सर।”
तबस्सुम ने मुझे बृजवासी के बारे में सब बताया था। मैं उसे तबस्सुम से भी ज्यादा खुश करना चाहती थी। मैंने बृजवासी को शराब पिलाई, उसे जोश दिलाया, और खुद भी पीकर मस्त हो गई। बृजवासी ने कपड़े उतारे तो मैं उसका लंड देखती रह गई। उसका लंड जतिन के लंड से भी लंबा और मोटा था। मैं समझ गई कि मुझे दिक्कत होगी, लेकिन मजा भी खूब आएगा।
बृजवासी ने मेरी चूत में अपना लंड घुसाना शुरू किया। “आह्ह… सर… धीरे…” मैं सिसकारी। उसका लंड मेरी चूत को चौड़ा करता हुआ आठ इंच तक घुस गया। जब उसने और अंदर डाला, तो मैं चीख पड़ी, “आआह्ह… सर… बहुत दर्द हो रहा है!” दर्द के मारे मेरा बुरा हाल था। बृजवासी मेरे चेहरे को देख रहा था। उसने पूरा लंड घुसाकर चुदाई शुरू की। “थप-थप-थप” की आवाजें गूंजने लगीं। मैं दर्द से चीख रही थी, लेकिन धीरे-धीरे मजा आने लगा। “आह्ह… सर… और जोर से…” मैंने जोश में कहा। उसने मेरी चूत को आधे घंटे तक चोदा। मैं तीन बार झड़ चुकी थी। उसने अपना सारा रस मेरी चूत में निकाल दिया और मेरे बगल में लेट गया।
दस मिनट बाद मैंने उसका लंड मुंह में लिया और चूसने लगी। “उम्म… सर… आपका लंड कितना शानदार है…” मैंने कहा। वो खुश हो गया और बोला, “तुम तो बहुत सेक्सी हो। अभी दस मिनट भी नहीं बीते और तुमने मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया।”
मैंने कहा, “सर, मैं आपको पूरी तरह खुश करना चाहती हूं।”
दस मिनट में उसका लंड फिर खड़ा हो गया। उसने मुझे फिर से चोदना शुरू किया। “आह्ह… उफ्फ… सर… और जोर से…” मैं सिसकारियां भर रही थी। उसने आधे घंटे तक मुझे चोदा। मैंने कहा, “सर, आप मुझे इतनी अच्छी तरह चोद रहे हैं। मेरा पति मुझे ऐसे नहीं चोद पाता।”
वो खुश हो गया। छह दिन तक उसने मुझे अलग-अलग स्टाइल में चोदा। सातवें दिन मैं उसके साथ शराब पी रही थी। नशे में मैंने कहा, “सर, अब मैं आपको दूसरा मजा देना चाहती हूं।”
वो बोला, “कौन सा मजा?”
मैंने कहा, “क्या आपने कभी किसी की गांड मारी है?”
वो बोला, “सारी लड़कियां मेरे लंड से चुदवाने में इतना चीखती थीं कि मुझे मौका ही नहीं मिला। क्या तुम तैयार हो?”
मैंने कहा, “हां, सर। मेरी गांड मारिए।”
उसने मेरी गांड में लंड डाला। “आआह्ह… सर… धीरे…” मैं चीखी। दर्द बहुत था, लेकिन बाद में मजा आने लगा। चार दिन तक उसने मेरी गांड मारी। दसवें दिन उसने कहा, “अब तुम जा सकती हो।”
मैंने कहा, “सर, मेरी रुखसती नहीं करेंगे?”
वो बोला, “रुखसती?”
मैंने कहा, “मेरी चूत में खुजली हो रही है। एक बार और चोद दीजिए।”
उसने मुझे फिर चोदा। मैं मस्त हो गई। घर लौटकर अमित ने पूछा, “काम बन गया?”
मैंने मजाक में कहा, “वो तुम्हें मैनेजर नहीं बनाएगा।”
अमित उदास हो गए। मैंने कहा, “मजाक कर रही थी। बृजवासी तुम्हें जनरल मैनेजर बनाएगा।”
अमित खुश हो गए। अगले दिन बृजवासी ने अमित को जनरल मैनेजर बना दिया। जतिन को कुछ पता नहीं चला। अब बृजवासी मुझे अक्सर बुलाता है, और मैं उसके लंड से चुदवाकर मस्त हो जाती हूं। जतिन भी अब अमित के सामने मुझे चोदता है। हम तीनों खुश हैं।
सच-सच बताना, कितनी बार मुठ मारी? अच्छी लगी ये कहानी?