Devar bhabhi chudai – मेरे प्यारे दोस्तों, मैं अपनी ज़िंदगी की एक सच्ची और गहरी कहानी सुनाने जा रही हूँ। ये कहानी मेरे और मेरे परिवार की है, जिसमें मेरे पति हैं, लेकिन उनकी एक कमी ने मेरी ज़िंदगी को अधूरा सा कर दिया था। मेरे पति का लंड बहुत छोटा है, जिससे मेरी जवानी की प्यास कभी पूरी नहीं हो पाती थी। लेकिन मेरी किस्मत ने मुझे मेरे देवर के साथ ऐसा मौका दिया, जिसने मेरी ज़िंदगी को नया रंग दे दिया। ये कहानी है कि कैसे एक परिवार ने एक-दूसरे की जरूरतों को समझा और एक-दूसरे को सुख दिया।
मेरा नाम जोया अली है। मैं 28 साल की हूँ, गोरी, लंबी, और मेरी फिगर 34-28-36 है, जो मुझे बेहद आकर्षक और सेक्सी बनाती है। मेरा चेहरा नाजुक, आँखें बड़ी-बड़ी, और होंठ गुलाबी हैं, जो हर किसी को अपनी ओर खींच लेते हैं। दो साल पहले की बात है, मैं दिल्ली में एक मल्टीनेशनल कंपनी में सेल्स मैनेजर थी। उसी कंपनी में अमित जोशी की एंट्री हुई। अमित 30 साल के थे, 5 फीट 10 इंच के, गोरे, और हैंडसम। उनकी मुस्कान और बात करने का अंदाज ऐसा था कि कोई भी उनसे प्रभावित हो जाए। मैं उनसे सीनियर थी, लेकिन उनकी हंसी-मजाक और खुशमिजाजी ने मुझे जल्दी ही उनका दीवाना बना दिया।
हमारी मुलाकातें बढ़ीं, और धीरे-धीरे हमारी दोस्ती प्यार में बदल गई। मैं दिल ही दिल में उन पर फिदा थी। उस वक्त मेरी शादी नहीं हुई थी, और अमित भी कुंवारे थे। लेकिन मेरे घरवाले हमारे रिश्ते के खिलाफ थे, क्योंकि मैं मुसलमान थी और अमित हिंदू। हमने उनके विरोध को नजरअंदाज किया और दो महीने बाद कोर्ट में शादी कर ली। अमित का एक छोटा भाई था, जतिन, जो 21 साल का था। जतिन 6 फीट लंबा, गठीला, और अमित से भी ज्यादा हैंडसम था। उसका चेहरा तेजस्वी, आँखें शरारती, और शरीर ताकतवर था। वो बीए फाइनल में पढ़ रहा था और बेहद मजाकिया था। उसका हंसमुख अंदाज मुझे बहुत पसंद था, और हम दोनों में खूब हंसी-मजाक होता था। अमित भी हमें देखकर खुश होते थे।
शादी के बाद अमित ने मुझसे नौकरी छोड़ने को कहा, क्योंकि वो चाहते थे कि मैं घर संभालूं। मैंने उनकी बात मान ली और नौकरी छोड़ दी। अब मैं घर पर रहती थी, जबकि जतिन कॉलेज जाता था। अमित ने शादी के लिए 15 दिन की छुट्टी ली थी, और हमारा हनीमून घर पर ही बीता। लेकिन सुहागरात ने मेरे सारे सपनों को चकनाचूर कर दिया। जब मैंने अमित का लंड देखा, तो मेरे होश उड़ गए। उनका लंड सिर्फ 3 इंच लंबा और पतला था, जैसे कोई छोटा बच्चा हो। जब उन्होंने पहली बार मेरी चूत में लंड डाला, तो मुझे बस एक हल्की सी सिहरन हुई। उनका पूरा लंड एक ही धक्के में मेरी चूत में समा गया। “आह…” मेरे मुँह से सिर्फ इतना निकला। उन्होंने मुश्किल से 5 मिनट चोदा और झड़ गए। मैं बिल्कुल असंतुष्ट रह गई। मेरी जवानी की आग बुझी नहीं, बल्कि और भड़क गई। फिर भी, मैं अमित से बेपनाह मोहब्बत करती थी, और उनकी इस कमी ने मेरे प्यार को कम नहीं किया।
15 दिन बाद अमित की छुट्टियाँ खत्म हुईं, और वो ऑफिस जाने लगे। जाते वक्त उन्होंने मुझसे कहा, “जोया, जतिन को बहुत देर तक सोने की आदत है। उसे सुबह जगा देना और कॉलेज भेज देना।”
मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “ठीक है, मैं जगा दूँगी।”
अमित सुबह 9 बजे ऑफिस चले जाते थे, और जतिन 10 बजे कॉलेज। जतिन दोपहर 3 बजे घर लौट आता था, जबकि अमित रात 7 बजे तक आते थे। अगले दिन, अमित के ऑफिस जाने के बाद मैं जतिन को जगाने उसके कमरे में गई। जैसे ही मैंने दरवाजा खोला, मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं। जतिन गहरी नींद में था, खर्राटे ले रहा था। उसकी लुंगी खुलकर बेड के किनारे पड़ी थी, और उसका लंड पूरी तरह खड़ा था। मैंने देखा, उसका लंड 8 इंच लंबा और इतना मोटा था कि मेरी साँसें थम गईं। “ये क्या…” मैं मन ही मन सोचने लगी। बड़े भाई का लंड 3 इंच और छोटे भाई का 8 इंच! कुदरत का खेल देखकर मैं हैरान थी।
मेरी जवानी की प्यास अमित से पूरी नहीं हुई थी। उनकी हर रात की कोशिश मेरे लिए अधूरी थी। जतिन का लंड देखकर मेरी चूत में गुदगुदी होने लगी। उसका लंड इतना आकर्षक था कि मैं उसे छूना चाहती थी। उसका सुपाड़ा गुलाबी, चिकना, और मोटा था, जैसे कोई ललचाने वाली चीज। मैंने खुद को रोका, लेकिन मेरी आँखें उससे हट नहीं रही थीं। “काश… अमित का लंड भी ऐसा होता,” मैं सोचने लगी। मेरी चूत गीली होने लगी थी, और मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। मैंने सोचा, जतिन को कॉलेज भी जाना है, उसे जगाना होगा। लेकिन उसे ऐसे हाल में जगाने से वो क्या सोचेगा? मैं खड़ी-खड़ी सोचती रही, और मेरी नजरें उसके लंड पर टिकी रहीं। मेरे दिल में एक खयाल आया, “काश जतिन मुझे चोद देता… मेरी जवानी को तो मज़ा मिल जाता।”
मैं धीरे से उसके पास गई और बोली, “जतिन, साढ़े नौ बज रहे हैं। उठना नहीं है क्या?”
वो हड़बड़ाकर उठा और अपने नंगे बदन को देखकर चौंक गया। उसकी नजरें कभी मुझ पर, तो कभी अपने लंड पर जा रही थीं। उसने शरमाते हुए कहा, “भाभी, ये… गहरी नींद में मेरी लुंगी अक्सर खुल जाती है। आपने मेरा लंड देख लिया। अब क्या होगा?”
मैंने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा, “होगा क्या? कुछ नहीं।”
उसने अपने लंड की ओर इशारा करते हुए कहा, “भाभी, ये मुझे बहुत परेशान करता है। सुबह-सुबह हमेशा खड़ा हो जाता है।”
मैंने उसकी लुंगी उठाकर उसे थमाते हुए कहा, “तुम ऐसे ही अच्छे लग रहे हो। लुंगी की क्या जरूरत?”
वो हंस पड़ा और बोला, “क्या मैं ही अच्छा लग रहा हूँ, या मेरा लंड भी?”
मैंने शरारत से कहा, “वो तो बहुत ही अच्छा है।”
“पसंद आया?” उसने पूछा।
“हाँ,” मैंने जवाब दिया, मेरी आवाज में एक अजीब सी उत्तेजना थी।
“तो फिर इसे हाथ लगाकर देख लो,” उसने कहा, और उसकी आँखों में शरारत चमक रही थी।
मैंने कहा, “कॉलेज नहीं जाना?”
“जाना तो है, लेकिन पहले इसे पकड़ लो। फिर मैं चला जाऊँगा,” उसने ठहरे हुए अंदाज में कहा।
मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। मैं जतिन से चुदवाना चाहती थी, लेकिन डर भी रही थी। मैंने कहा, “अगर तुम कहते हो, तो पकड़ लेती हूँ… लेकिन तुम कुछ गलत तो नहीं करोगे ना?”
“बिल्कुल नहीं, भाभी,” उसने भरोसा दिलाया।
मैं बेड पर उसके बगल में बैठ गई। मेरी चूत पहले से ही गीली थी, और मेरे बदन में सिहरन दौड़ रही थी। उसने मेरा हाथ अपने लंड पर रख दिया। जैसे ही मैंने उसका लंड पकड़ा, मेरे पूरे शरीर में बिजली सी दौड़ गई। उसका लंड गर्म, सख्त, और इतना मोटा था कि मेरी उंगलियाँ पूरी तरह से इसे लपेट नहीं पा रही थीं। मैंने धीरे-धीरे उसे सहलाना शुरू किया। “आह…” जतिन के मुँह से हल्की सी सिसकारी निकली। उसका लंड और सख्त हो गया, और उसका सुपाड़ा चमकने लगा।
“और तेज सहलाओ, भाभी,” उसने कहा, उसकी आवाज में उत्तेजना थी।
मैंने उसका लंड और तेजी से सहलाना शुरू किया। मेरी चूत अब पूरी तरह गीली थी, और मेरी साँसें तेज हो रही थीं। थोड़ी देर बाद मैंने कहा, “अब जाओ, नहा लो।”
“थोड़ा और, भाभी,” उसने लगभग विनती की।
मैं उसका लंड सहलाती रही। तभी उसने पूछा, “चुदवाओगी?”
मैं चौंक गई और बोली, “नहीं! पागल हो क्या?”
“क्यों? मेरा लंड पसंद नहीं आया?” उसने शरारत से पूछा।
“लंड तो तेरा… माशा अल्लाह, बड़ा दिलकश है,” मैंने हँसते हुए कहा।
“तो फिर चुदवा लो,” उसने जोर दिया।
“मैं तेरी भाभी हूँ, जतिन। ये गलत है,” मैंने कहा, लेकिन मेरी आवाज में झिझक थी।
“भाभी, भैया का लंड सिर्फ 3 इंच का है। मैं जानता हूँ, वो आपको मज़ा नहीं दे पाते। मुझसे चुदवा लो, मैं आपकी जवानी की प्यास बुझा दूँगा,” उसने आत्मविश्वास से कहा।
मैंने चौंककर पूछा, “तुझे कैसे पता कि उनका लंड छोटा है?”
“हम दोनों बचपन में साथ नहाते थे। मैं उनके लंड को अच्छे से जानता हूँ,” उसने हँसते हुए कहा। “आप मुझसे चुदवा लो, भाभी। मैं आपको पूरा मज़ा दूँगा।”
“तेरे भैया को पता चला तो?” मैंने डरते हुए पूछा।
“वो कुछ नहीं कहेंगे। भैया ब्रॉड माइंडेड हैं। वो जानते हैं कि वो आपको संतुष्ट नहीं कर पाते,” जतिन ने कहा।
मैंने कहा, “ठीक है, देखा जाएगा। अब तू नहा ले, मैं नाश्ता बनाती हूँ।”
जतिन नहाने चला गया, और मैं किचन में चली गई। उस दिन मेरे दिमाग में जतिन का लंड ही घूमता रहा। रात को जब मैं अमित के साथ बेड पर थी, वो जाग रहे थे। जैसे ही मैं उनके पास बैठी, उन्होंने पूछा, “जोया, जतिन का लंड कैसा लगा?”
मैंने चौंककर कहा, “क्या मतलब?”
“शादी से पहले मैं ही उसे जगाता था। उसकी लुंगी अक्सर खुल जाती थी, और उसका लंड दिखता था। अब तुम उसे जगाती हो, तो मुझे यकीन है तुमने उसका लंड देख लिया होगा,” उन्होंने शांत स्वर में कहा।
मैंने शरमाते हुए कहा, “हाँ, आज सुबह उसकी लुंगी खुली थी। उसका लंड… बहुत लंबा और मोटा है। उसकी बीवी को बहुत मज़ा आएगा।”
अमित ने गहरी साँस लेते हुए कहा, “जोया, मैं जानता हूँ कि मेरा लंड छोटा है। मैं तुम्हें वो मज़ा नहीं दे पाता, जो तुम डिजर्व करती हो। अगर तुम चाहो, तो जतिन से चुदवा लो। मुझे कोई ऐतराज नहीं। इस तरह बात घर में ही रहेगी, और तुम्हारी जवानी की प्यास भी बुझ जाएगी।”
मैंने हैरानी से कहा, “तुम नशे में तो नहीं हो?”
“नहीं, मैं पूरी तरह होश में हूँ। मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ, और नहीं चाहता कि मेरी कमी की वजह से तुम अधूरी रहो। जतिन से चुदवाओ, और जवानी का मज़ा लो,” उन्होंने प्यार से कहा।
मेरा दिल तो पहले से ही जतिन की ओर था। अब अमित की इजाजत ने मेरे सारे डर खत्म कर दिए। मैंने कहा, “ठीक है, देखती हूँ।”
“देखना नहीं, जोया। कल ही उससे चुदवाओ। उसे कॉलेज मत जाने दो, और दिनभर खूब मज़ा लो,” उन्होंने हँसते हुए कहा।
मैंने मुस्कुराकर कहा, “ठीक है, कोशिश करूँगी।”
उसके बाद हम सो गए। अगले दिन सुबह अमित ऑफिस चले गए। मैंने नहाया और जानबूझकर अंदर कुछ नहीं पहना। मैंने सिर्फ एक पतली, पारदर्शी नाइटी पहनी, जो मेरे कर्व्स को और उभारे। मेरी चूचियाँ नाइटी में साफ दिख रही थीं, और मेरे निप्पल्स उभरे हुए थे। मैंने ऊँची हील की चप्पलें पहनीं और जतिन के कमरे में चली गई। मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। मैं बार-बार उसके लंड के बारे में सोच रही थी।
जब मैं कमरे में पहुँची, जतिन गहरी नींद में था। उसकी लुंगी आज बेड के नीचे फर्श पर पड़ी थी, और उसका 8 इंच का लंड फिर से खड़ा था। मैंने उसकी लुंगी उठाकर ड्रेसिंग टेबल पर रख दी। फिर मैं बेड पर उसके बगल में बैठ गई और उसके लंड को देखने लगी। उसका लंड इतना मोटा और सख्त था कि मेरी चूत में फिर से गुदगुदी होने लगी। मेरी साँसें तेज हो गईं, और मेरी चूत गीली होने लगी। मैंने खुद को रोका, लेकिन मुझसे रहा नहीं गया। मैंने धीरे से उसका लंड पकड़ लिया। “आह…” मेरे मुँह से हल्की सी सिसकारी निकली। उसका लंड गर्म और सख्त था, जैसे कोई लोहे की रॉड। मैंने उसे धीरे-धीरे सहलाना शुरू किया।
दो मिनट बाद जतिन की आँखें खुलीं। उसने मुझे अपना लंड सहलाते देखा और शरारत से बोला, “लगता है, भाभी, आज चुदवाने का इरादा है।”
मैंने शरमाते हुए कहा, “कुछ ऐसा ही समझ लो।”
“तो फिर आ जाओ,” उसने कहा और मुझे अपनी ओर खींच लिया। मैं पहले से ही जोश में थी। उसने मेरे होंठों को चूमना शुरू किया। “आह… जतिन…” मैं सिसकारी। उसका लंड मेरे हाथ में और सख्त हो गया। “और तेज सहलाओ, भाभी,” उसने कहा। मैंने उसके लंड को तेजी से सहलाना शुरू किया। उसका सुपाड़ा गुलाबी और चमकदार था। मैंने अपनी उंगली उसके सुपाड़े पर फिराई, तो वो सिसकार उठा, “उह… भाभी, क्या मज़ा दे रही हो!”
उसने मेरी नाइटी खींचकर उतार दी। अब मैं पूरी तरह नंगी थी। मेरी चूचियाँ हल्के से हिल रही थीं, और मेरे निप्पल्स सख्त हो चुके थे। मैंने शरम से आँखें बंद कर लीं। जतिन ने मेरे निप्पल्स को अपनी उंगलियों से मसलना शुरू किया। “आह… ओह…” मैं जोश में सिसकार रही थी। मेरी चूत अब पूरी तरह गीली थी। उसने मेरा चेहरा अपने लंड की ओर किया और बोला, “देखो, भाभी, ये तुम्हारे लिए तैयार है।”
मैंने आँखें खोलीं। उसका लंड अब और बड़ा और सख्त लग रहा था। “इसे मुँह में लो,” उसने कहा और मेरा सिर अपने लंड की ओर खींच लिया। उसका सुपाड़ा मेरे होंठों से टकराया। “चूसो, भाभी,” उसने कहा। मैंने उसके सुपाड़े को अपने मुँह में लिया और धीरे-धीरे चूसना शुरू किया। “आह… भाभी… उह…” जतिन सिसकार रहा था। मैंने उसका लंड गहराई तक चूसा, और मेरी जीभ उसके सुपाड़े पर गोल-गोल घूम रही थी। उसने एक हाथ से मेरे सिर को सहलाया और दूसरे से मेरी चूचियों को मसला। “आह… जतिन… और कर…” मैं जोश में बुदबुदाई।
थोड़ी देर बाद उसके लंड से रस निकलने लगा। मैंने पहली बार लंड का रस चखा था, और इसका स्वाद मुझे जन्नत जैसा लगा। मैंने उसका सारा रस निगल लिया। जतिन खुश होकर बोला, “भाभी, तुम तो कमाल हो। अब चुदवाओगी?”
मैंने शरमाते हुए कहा, “नहीं… तेरा लंड बहुत बड़ा है। दर्द होगा।”
“दर्द के साथ मज़ा भी आएगा,” उसने हँसते हुए कहा। उसने मुझे बेड पर लिटा दिया और मेरी चूत को सहलाने लगा। “आह… उह…” मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थीं। उसने अपने होंठ मेरे होंठों पर रखे और मुझे चूमने लगा। मैंने भी जोश में उसके होंठ चूमे। उसने एक उंगली मेरी चूत में डाली और अंदर-बाहर करने लगा। “आह… जतिन… और कर…” मैं सिसकारी। मेरी चूत से रस टपकने लगा था।
उसने मेरी चूत में दो उंगलियाँ डालीं और तेजी से अंदर-बाहर करने लगा। “ओह… भाभी, तुम्हारी चूत कितनी टाइट है,” उसने कहा। मैंने जोश में अपने चूतड़ उठाए और बोली, “जतिन… और तेज…” तभी मुझे लगा कि मेरी चूत से कुछ निकलने वाला है। मैंने शरमाते हुए कहा, “जतिन, उंगली निकाल लो… कुछ होने वाला है।”
“अरे, ये तो मज़ा है। तुम्हारा रस निकलेगा,” उसने कहा और सिक्सटी-नाइन पोजीशन में आ गया। उसने मेरी चूत को चाटना शुरू किया। उसकी जीभ मेरी क्लिट पर गोल-गोल घूम रही थी। “आह… ओह… जतिन…” मैं चीख रही थी। मैंने उसका लंड फिर से मुँह में लिया और चूसने लगी। उसकी जीभ मेरी चूत के अंदर तक जा रही थी, और मैं पागल सी हो रही थी। तभी मेरी चूत से गरम-गरम रस निकला। “आह… उह…” मैं सिसकारी। जतिन ने मेरा सारा रस चाट लिया।
अब उसका लंड फिर से खड़ा था। उसने मेरी टाँगें फैलाईं और अपने लंड का सुपाड़ा मेरी चूत पर रगड़ने लगा। “आह… जतिन… डाल दे…” मैं जोश में चीखी। उसने मेरी चूचियों को मसलते हुए एक धक्का मारा। “आह…” मेरी चीख निकल गई। उसका सुपाड़ा मेरी चूत में घुस गया था। दर्द के साथ मज़ा भी आ रहा था। उसने धीरे-धीरे अपने लंड को और अंदर डाला। “उह… भाभी, तुम्हारी चूत कितनी गर्म है,” उसने कहा।
“जतिन… और अंदर… आह…” मैं सिसकारी। उसने एक और जोरदार धक्का मारा। “आह… मर गई…” मेरी चीख निकली, और मेरी आँखों में आँसू आ गए। उसका पूरा 8 इंच का लंड मेरी चूत में था। दर्द हो रहा था, लेकिन मज़ा उससे कहीं ज्यादा था। उसने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। “चट… चट…” उसकी जाँघें मेरी जाँघों से टकरा रही थीं। “आह… जतिन… और तेज…” मैं चीख रही थी।
उसने मुझे घोड़ी बनाया और पीछे से मेरी चूत में लंड डाला। “आह… उह…” मैं सिसकार रही थी। उसने मेरी कमर पकड़ी और तेजी से धक्के मारने शुरू किए। “भाभी, तुम्हारी चूत कितनी रसीली है,” उसने कहा। “जतिन… चोद मुझे… और तेज…” मैं चीख रही थी। उसने मेरी चूचियों को पकड़कर मुझे और जोर से चोदा। “चट… चट…” कमरे में चुदाई की आवाजें गूँज रही थीं।
थोड़ी देर बाद उसने मुझे बेड पर लिटाया और मेरी टाँगें अपने कंधों पर रखीं। “अब तुझे गहराई तक चोदूँगा,” उसने कहा और अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया। “आह… जतिन… मज़ा आ रहा है…” मैं चीखी। उसने तेजी से धक्के मारने शुरू किए। मेरी चूत से रस टपक रहा था, और उसका लंड मेरी चूत को चीर रहा था। “आह… उह… जतिन… और…” मैं पागल सी हो रही थी।
———–क्रमशः————–
कहानी का अगला भाग: पति का छोटा सा लंड – पार्ट 2
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