विधवा भाभी ने मुझसे चुदवाया

Vidhwa bhabhi ke sath chudai – मेरा नाम समीर है और ये कहानी मेरी और मेरी विधवा भाभी की है। हमारे घर में अब सिर्फ हम दोनों ही रहते थे क्योंकि हमारे माता-पिता का दो साल पहले ही निधन हो चुका था। उसके एक साल बाद मेरे भाई ने शादी कर ली और घर में हम दो से तीन हो गए। मेरा भाई अक्सर काम के सिलसिले में शहर से बाहर जाता रहता था और लौटने में काफी समय लग जाता था। मेरी भाभी एक अच्छी और सुशील औरत थीं, उनका फिगर 38-28-38 का था। जब वो चलती थीं तो उनकी गांड देखकर हर कोई सोचता था कि काश उसकी गांड मारने को मिले।

शादी के छह महीने बाद ही मेरे भाई का एक्सीडेंट हो गया और वो उसमें मर गए। उस सदमे से भाभी थोड़ी पागल सी हो गई थीं। अब घर की सारी जिम्मेदारी मुझ पर आ गई थी। मैंने अपनी पढ़ाई छोड़ दी और नौकरी शुरू कर दी। देखते-देखते मैंने भाभी का इलाज करवाया और वो ठीक हो गईं। फिर भाभी के घरवालों ने उनकी दूसरी शादी की बात की, लेकिन भाभी ने मना कर दिया क्योंकि वो जानती थीं कि अगर वो शादी कर लेंगी तो मैं अकेला रह जाऊंगा। इस वजह से उन्होंने दूसरी शादी नहीं की और हम दोनों हंसी-खुशी रहने लगे।

एक दिन जब मैं काम से लौटा तो दरवाजा खुला पाया। अंदर जाकर देखा तो भाभी कपड़े धो रही थीं। उनकी साड़ी काफी ऊपर तक उठी हुई थी और सारे कपड़े भीग गए थे, जिससे उनकी ब्रा साफ दिख रही थी। वो एक लो-कट ब्लाउज पहने थीं और उनके बूब्स बाहर झांक रहे थे। ये देखकर मेरा लंड तुरंत खड़ा हो गया। मैं अपने रूम में गया और उसे शांत करने की कोशिश की। फिर भाभी को आवाज लगाकर कहा कि चलो कहीं घूमकर आते हैं। वो राजी हो गईं। हम ट्रेन से गए। लौटते वक्त ट्रेन में बहुत भीड़ थी। मैंने भाभी को आगे किया और खुद उनके पीछे खड़ा हो गया। थोड़ी देर बाद किसी ने धक्का मारा तो मैं उनके इतने करीब हो गया कि मेरा लंड उनकी गांड को हल्के से छूने लगा। उन्होंने ये महसूस किया। मैं पीछे हटने लगा तो वो भी पीछे हटीं। मैंने सोचा शायद भीड़ की वजह से, लेकिन घर पहुंचकर महसूस हुआ कि भाभी का मूड आज कुछ अलग है, उनकी चाल में एक अजीब सी मटक है।

हमने खाना खाया और अपने-अपने रूम में चले गए। रात को मुझे नींद नहीं आ रही थी तो मैं टीवी रूम में जाकर टीवी ऑन कर लिया। आवाज सुनकर भाभी भी आ गईं और पूछा कि क्या नींद नहीं आ रही? जैसे ही मैंने उन्हें देखा, मेरा लंड फिर से खंभे जैसा खड़ा हो गया क्योंकि उन्होंने पतली सी मलमल की नाइटी पहनी थी, जिसमें से उनकी ब्रा और पैंटी साफ दिख रही थी। ये देखकर मेरा लंड फड़फड़ाने लगा। वो मेरे पास आईं और सोफे पर बैठ गईं। बोलीं कि इतनी सर्दी में तुम्हें पसीना आ रहा है? मैं डर गया और नजर हटा ली, लेकिन हाथ अपने लंड पर रख लिया। मेरी नजर उनके बूब्स पर ही टिकी थी।

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कुछ देर बाद भाभी बोलीं कि उनके पूरे बदन में दर्द है, मालिश चाहिए। पूछा कि क्या कोई जानने वाला है जो मालिश कर दे? मैंने कहा नहीं, लेकिन मुझे मालिश आती है। वो मुस्कुराईं और बोलीं अच्छा? फिर मेरे करीब आ गईं और कहा कि क्या तुम मेरी मालिश करोगे? मैंने हां में सिर हिलाया। वो मुझे अपने रूम में ले गईं और लेट गईं। बोलीं कि शुरू करो। मैंने उनके पैरों से शुरू किया, पांच मिनट मालिश की। फिर कहा कि क्यों न आप अपना गाउन उतार दें? उन्होंने झट से उतार दिया। अब वो सिर्फ ब्रा और पैंटी में थीं। मैंने उन्हें ऐसे पहली बार देखा था। फिर तेल की बोतल ली और उनकी पीठ पर लगाने लगा। कुछ देर मालिश करने के बाद कहा कि आपकी ब्रा चुभ रही है। उन्होंने कहा खोल दो। मैंने खोल दी। फिर उन्हें पीठ के बल लेटने को कहा। जैसे ही वो पलटीं, उनकी नजर मेरे तने हुए लंड पर पड़ी। बोलीं समीर ये क्या है? मैंने कहा ये मेरा हथियार है, जैसा भाई के पास था वैसा ही।

भाभी बोलीं चलो मैं अपनी पैंटी उतारती हूं, तुम अपना शॉर्ट्स उतारो। मैंने पहले मना किया, लेकिन वो बोलीं मैंने ब्रा और पैंटी उतारने में क्या कहा? तुम शॉर्ट्स उतारने में इतना सोच रहे हो। मैंने कहा आप मेरी भाभी हो। उन्होंने कहा आज से मुझे नाम से बुलाओ, मेरा नाम पिंकी है। फिर मैंने शॉर्ट्स उतार दिया। जैसे ही उतारा, वो मेरे लंड को देखकर दंग रह गईं और बोलीं तुम्हारा लंड तो सच में बहुत बड़ा है। पूछा कितना लंबा है? मैंने कहा 9 इंच। बोलीं तुम्हारे भाई का तो सिर्फ 5 इंच था, खुद बताया था।

अब हम दोनों पूरी तरह नंगे थे। भाभी मेरे लंड को घूर रही थीं और मैं उनकी चूत को। फिर बोलीं अब मेरे बूब्स की मालिश करो। मैं उनके बूब्स दबाने लगा। भाभी ने मेरा लंड हाथ में लिया और सहलाने लगीं। मुझे मजा आने लगा। मैं उनके बड़े-बड़े बूब्स को धीरे-धीरे दबा रहा था, निप्पल्स को उंगलियों से मसल रहा था। वो सिसकारियां लेने लगीं, आह… उफ्फ… समीर, ऐसे ही दबाओ। मैंने उनके बूब्स पर तेल लगाया और गोल-गोल घुमाकर मालिश की, उनकी सांसें तेज हो गईं। वो मेरे लंड को ऊपर-नीचे कर रही थीं, सुपाड़े को सहला रही थीं। मैं उनके गले पर किस करने लगा, कान में फुसफुसाया कि पिंकी, तुम्हारे बूब्स कितने मुलायम हैं। वो शर्मा गईं लेकिन हाथ नहीं रोका। कुछ देर बाद मैं झड़ गया, सारा माल उनके हाथ और बूब्स पर गिरा। मैंने सॉरी कहा लेकिन वो कुछ नहीं बोलीं, बल्कि माल को चाटने लगीं, बड़े मजा से। फिर अपनी चूत में उंगली डाली और रगड़ने लगीं, मुझे देखते हुए। वो आह… ऊऊ… ईईई… निकाल रही थीं। मैं देखता रहा, मेरा लंड फिर से सख्त होने लगा। कुछ देर बाद उनकी चूत से पानी निकला और वो शांत हो गईं।

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फिर मैंने कहा भाभी, मैं सोने जा रहा हूं। उन्होंने कहा मैंने कहा न नाम से बुलाओ। मैंने पिंकी कहा और अपने रूम में चला गया। सुबह उठा तो रात की उस मालिश से मेरा लंड और बड़ा लग रहा था। सोचा पिंकी किचन में होगी। मैं कुछ नहीं पहना और किचन गया। वो वहां थीं। मुझे देखकर बोलीं तेरा लंड रात से और बड़ा हो गया। मैंने कहा ये सब तुम्हारी मेहरबानी है। वो हंस दीं और बोलीं क्या तुम भी वही चाहते हो जो मैं चाहती हूं? मैंने कहा बाद में बात करते हैं और बाथरूम गया। थोड़ी देर बाद आवाज लगाई, पिंकी साबुन देना। वो समझ गईं, सारे कपड़े उतारकर बाथरूम में आ गईं। बोलीं आज हम दोनों साथ नहाएंगे। मैंने कहा ठीक है। उन्होंने अपने बदन पर साबुन लगाना शुरू किया। मैं देखता रहा। पूछा ऐसे क्या देख रहे हो? मैंने कहा तुम्हारे बूब्स और गांड को, बड़े मस्त लगते हैं। बोलीं छूना चाहते हो? मैंने हां कहा। वो करीब आईं, मेरा लंड हाथ में लिया और बोलीं मेरे बूब्स दबाओ।

मैंने उनके बूब्स दबाने शुरू किए, गांड सहलाने लगा। वाह, क्या मुलायम गांड थी। मैंने देखा उनकी फुद्दी पर एक भी बाल नहीं था, साफ चिकनी। मैंने उनके बूब्स मुंह में लिए और चूसने लगा, निप्पल्स को दांतों से हल्का काटा। वो सिसकारी, आह… समीर, धीरे… लेकिन मजा ले रही थीं। मैंने उनकी फुद्दी पर हाथ रखा और रगड़ने लगा, क्लिट को उंगलियों से मसला। वो जोश में आ गईं, आआ… ऊऊ… श्ह्ह… कर रही थीं। मैंने उन्हें दीवार से सटाया, उनके होंठों पर किस किया, जीभ अंदर डाली। वो मेरे लंड को जोर से मसल रही थीं, मैं उनकी गांड पर थप्पड़ मार रहा था। फिर मैंने उन्हें बेडरूम में ले जाकर लिटाया। उनके बूब्स चूसते हुए फुद्दी में उंगली डाली, अंदर-बाहर करने लगा। वो कमर उचका रही थीं, आह… समीर, और अंदर…। फिर बोलीं मेरी चूत चाटो। मैंने उनकी फुद्दी चाटनी शुरू की, जीभ से क्लिट को चाटा, होंठों से चूसा। वो जोर से कराहने लगीं, आआ… ऊऊऊ… श्ह्ह… ईईई… और चाटो, और चाटो समीर। मैंने जीभ अंदर डाली, चूत के रस को चाटा, वो थरथरा रही थीं। दस मिनट बाद बोलीं मैं झड़ने वाली हूं। मैंने कहा मैं तुम्हारा रस पीऊंगा। वो झड़ गईं, मैंने सारा रस पी लिया।

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फिर मैंने उन्हें उठाया और मेरा लंड उनके मुंह में दे दिया, चूसो। उन्होंने चूसना शुरू किया, सुपाड़े को जीभ से घुमाया, पूरा मुंह में लिया। मैं उनके बाल पकड़कर अंदर-बाहर करने लगा, वो ग्लक-ग्लक की आवाज निकाल रही थीं। दस मिनट बाद मैं बोला मैं झड़ने वाला हूं। बोलीं मैं तुम्हारा वीर्य पीऊंगी। मैंने उनके मुंह में झाड़ दिया, उन्होंने सारा पी लिया। फिर हम लिपटकर लेटे रहे। पांच मिनट बाद मेरा लंड फिर खड़ा हो गया। मैंने कहा अब तुम्हारी चूत मारता हूं। उन्हें लिटाया, फुद्दी के द्वार पर लंड रखा। धीरे से धक्का मारा, आधा अंदर गया। वो चिल्लाईं, आह… दर्द हो रहा है। मैंने पूछा दर्द? बोलीं सात महीने से लंड नहीं लिया न, इसलिए। मैं रुका, उनकी क्लिट रगड़ी, बूब्स चूसे ताकि रिलैक्स हों। फिर दूसरा धक्का मारा, पूरा लंड अंदर। देखा खून निकल रहा है। मैंने कहा खून? बोलीं तुम्हारा लंड इतना बड़ा है न।

फिर मैं धक्के लगाने लगा, धीरे-धीरे स्पीड बढ़ाई। वो दर्द से मजा में आ गईं, कमर उठाकर साथ दे रही थीं। फच-फच की आवाज आ रही थी, चूत गीली हो चुकी थी। वो कराह रही थीं, आह… ऊऊ… श्ह्ह… म्म्म… और डालो समीर, और जोर से। मैं उनके ऊपर झुका, बूब्स दबाते हुए चोद रहा था। फिर उन्हें घोड़ी बनाया, पीछे से लंड डाला, गांड पकड़कर धक्के मारे। वो चिल्ला रही थीं, फाड़ दो मेरी चूत, फाड़ दो समीर। मैंने बाल पकड़े, स्पीड बढ़ाई, थप-थप की आवाज गूंज रही थी। फिर मिशनरी में वापस, उनके पैर कंधों पर रखे, गहराई से चोदा। वो आंखें बंद करके मजा ले रही थीं, नाखून मेरी पीठ पर गड़ा रही थीं। चुदाई चालीस मिनट चली, बीच में रुककर किस किया, बूब्स चूसे। फिर बोलीं बस करो, लेकिन मैं नहीं माना। दस मिनट बाद बोला झड़ने वाला हूं। बोलीं चूत में झाड़ दो। मैंने झाड़ दिया और उनके ऊपर लेट गया। फिर हमने पूरा दिन कम से कम आठ बार चुदाई की, अलग-अलग पोज में- घोड़ी, काउगर्ल जहां वो ऊपर थीं और उछल रही थीं, साइड से जहां मैं उनकी गांड सहलाते हुए चोद रहा था। रात को भी चुदाई की। अब भाभी मेरे बच्चे की मां बनने वाली हैं।

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