Aunty Threesome sex story हेलो दोस्तों, मेरा नाम भरत है। मैं 20 साल का हूँ और फरीदाबाद के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ता हूँ। मेरी हाइट 5 फीट 10 इंच है, रंग गोरा, और बॉडी फिट है क्योंकि मैं जिम जाता हूँ। ये कहानी मेरी और मेरे दोस्त की माँ मंजू आंटी और उनकी ग्राहक निशा की है। मंजू आंटी 42 साल की हैं, लेकिन उनकी खूबसूरती ऐसी कि कोई भी पागल हो जाए। उनका फिगर 36-30-38 है, और वो जब चलती हैं तो उनकी गांड का मटकना किसी का भी दिल चुरा लेता है। उनकी आँखें भूरी, बाल लंबे और रेशमी, और चेहरा ऐसा कि बॉलीवुड की हिरोइन भी फेल। निशा, उनकी ग्राहक, 38 साल की हैं, उनका फिगर 34-28-36 है, और वो भी कम सेक्सी नहीं। उनकी स्माइल में एक शरारत भरी चमक है, और उनकी बातों में वो मस्ती जो किसी को भी अपनी ओर खींच ले।
ये बात एक महीने पहले की है, जब मेरे पेपर शुरू होने वाले थे। मैं फरीदाबाद से अपने घर आया था, क्योंकि मुझे कुछ किताबें लेनी थीं और सोचा कि थोड़ा घरवालों से भी मिल लूँ। उस शाम मैंने मंजू आंटी को देखा, वो अपने घर के बाहर खड़ी थीं। उन्होंने टाइट सलवार-कमीज पहनी थी, जो उनके कर्व्स को और उभार रही थी। उनकी चूड़ियों की खनक और हल्की सी स्माइल ने मेरा दिल धड़का दिया। मैंने उन्हें नमस्ते की, तो वो बोलीं, “अरे भरत, कब आया तू?” मैंने कहा, “आज ही आया, आंटी। किताबें लेने और थोड़ा घर पर टाइम बिताने।” वो मुस्कुराईं और बोलीं, “अच्छा, ठीक है। चल, फिर मिलते हैं।” उनकी वो बात और मटकती चाल मेरे दिमाग में बस गई।
अगले दिन छुट्टी थी। मैं सुबह 12 बजे सोकर उठा। पढ़ने की कोशिश की, लेकिन मंजू आंटी का ख्याल बार-बार आ रहा था। उनकी वो सेक्सी स्माइल, उनकी गांड का मटकना, सब कुछ मेरे दिमाग में घूम रहा था। मैंने किताब बंद की, आँखें मूंदीं और उनके बारे में सोचने लगा। मेरा लंड खड़ा हो गया और मैं उसे सहलाने लगा। तभी अचानक मंजू आंटी मेरे घर आ गईं। वो मेरे रूम में आईं और उनकी नजर सीधे मेरे लोवर के उभार पर पड़ी। मैंने जल्दी से लंड छुपाने की कोशिश की, लेकिन वो दो मिनट तक चुपचाप खड़ी मुझे देखती रहीं। फिर बोलीं, “क्या कर रहा है, भरत? पढ़ रहा था या सपनों में खोया हुआ है?” मैंने हड़बड़ाते हुए कहा, “नहीं आंटी, बस थोड़ा आराम कर रहा था।” वो हंस पड़ीं और बोलीं, “हाँ, मुझे सब पता है तू कितना ‘आराम’ कर रहा था।” फिर वो बोलीं, “तेरी मम्मी कहाँ हैं?” मैंने बताया कि मम्मी चाची के घर गई हैं, उनकी तबीयत ठीक नहीं है। आंटी ने कहा, “अच्छा, मैं सूट की सिलाई के लिए आई थी। बाद में आऊँगी। तू अपनी ‘पढ़ाई’ कर।” उनकी बातों में शरारत थी, और वो चली गईं।
उनके जाने के बाद मेरा दिमाग और खराब हो गया। मैंने मंजू आंटी के नाम की मुठ मारी, और फिर शाम को अपने दोस्त के साथ बाहर घूमने चला गया। वापस लौटा तो देखा कि मंजू आंटी अपनी ग्राहक निशा के साथ बाहर खड़ी थीं। निशा ने गुलाबी सूट पहना था, जो उनकी गोरी स्किन पर गजब ढा रहा था। आंटी ने मुझे बुलाया और निशा से मिलवाया, “ये भरत है, मेरे बेटे का दोस्त। इंजीनियरिंग कर रहा है, सारा दिन पढ़ता रहता है।” फिर वो हंसते हुए बोलीं, “सपनों में भी पढ़ाई ही करता है।” निशा ने भी हँसकर मुझे देखा। मैंने मौके का फायदा उठाया और बोला, “आंटी, यही तो टाइम है सपने देखने का। अब नहीं देखूँगा तो आगे कैसे बढ़ूँगा?” दोनों हंस पड़ीं। निशा बोली, “अच्छा, इतनी जल्दी बढ़ने की बात?” मैंने हँसते हुए कहा, “हाँ, आंटी। आप बताओ, कब बढ़ना चाहिए?” वो शरमाईं और चुप हो गईं।
अगले दिन मम्मी ने कहा कि मंजू आंटी को उनका सूट दे आ। मैं आंटी के घर गया। वो मेक्सी में थी, जो इतनी पतली थी कि उनकी ब्रा और पैंटी साफ दिख रही थी। मैंने सूट दिया और जाने लगा, तो वो बोलीं, “रुक जा, दस मिनट। मैं इसे ठीक कर देती हूँ।” वो मेरे लिए कोल्ड ड्रिंक लाईं और जब झुकीं तो उनकी मेक्सी का गला नीचे सरक गया। उनके बूब्स की क्लीवेज साफ दिखी। मेरा लंड तुरंत खड़ा हो गया। वो बोलीं, “क्या देख रहा है, भरत?” मैंने हड़बड़ाते हुए कहा, “कुछ नहीं, आंटी।” वो हंस पड़ीं और बोलीं, “बाहर जाकर बहुत बदल गया है तू। लगता है गर्लफ्रेंड बनवानी पड़ेगी।” मैंने हिम्मत करके कहा, “हाँ, आंटी। आप ही कोई बनवा दो। आपकी दुकान में तो कई आती हैं।” वो बोलीं, “क्यों, दो-चार को एक साथ संभाल लेगा?” मैंने हंसते हुए कहा, “दो को तो क्या, आपको भी संभाल लूँगा।” वो चौंकी, फिर हंस पड़ीं, “अच्छा, मेरे को तो मेरे हसबैंड भी नहीं संभाल पाए।” मैंने कहा, “आजमाकर देख लो, पता चल जाएगा।” तभी निशा आंटी आ गईं। मैं मन ही मन बड़बड़ाया कि ये बीच में कहाँ से टपक पड़ी। निशा ने पूछा, “क्या कर रहा है यहाँ?” मैंने कहा, “मम्मी का सूट देने आया हूँ।” फिर वो मंजू आंटी से बातें करने लगीं।
मंजू आंटी ने निशा को सूट दिया और बोलीं, “पहनकर देख ले।” निशा पर्दे के पीछे गईं। वहाँ एक शीशा था, और पर्दा हल्का सा हवा से उड़ रहा था। मैंने देखा कि निशा ने कमीज़ उतारी। उन्होंने ब्रा नहीं पहनी थी, और उनके गोरे, मोटे बूब्स साइड से दिख रहे थे। मैं पागल हो गया। फिर उन्होंने सलवार उतारी। उनकी काली पैंटी में उनकी गांड इतनी सेक्सी लग रही थी कि मेरा लंड पैंट फाड़ने को तैयार था। वो जानबूझकर और साइड हुईं, अपने बूब्स पर हाथ फेरने लगीं। फिर वो झुकीं तो उनकी गांड की दरार दिखी। मैं तो बस देखता रह गया। निशा ने सूट पहना और बाहर आई, बोलीं, “ये थोड़ा टाइट है।” मंजू आंटी ने कहा, “तो ब्रा-पैंटी पहनकर देख।” उन्होंने अपनी अलमारी से ब्रा और पैंटी निकालकर दी। निशा फिर पर्दे के पीछे गईं। मैंने इस बार थोड़ा और साइड होकर देखा। निशा ने ब्रा पहनी और मंजू आंटी को बुलाया, “जरा हुक बंद कर दो।” मंजू आंटी ने मुझे देखा और बोलीं, “जा, निशा की मदद कर दे।” मैं खुशी से उछल पड़ा।
पर्दे के पीछे गया तो निशा की ब्रा टाइट थी। मैंने हुक बंद करने के बहाने उनके बूब्स को छुआ। मेरा लंड उनकी गांड से टकरा रहा था। अचानक ब्रा छूटकर नीचे गिरी, और उनके बूब्स मेरे सामने थे। मैं तो जैसे जन्नत में था। वो झुकीं तो मेरा लंड उनकी गांड से और रगड़ा। मैंने हल्का सा धक्का मारा। वो चौंकी, पीछे धकेली और गुस्से में बोलीं, “पागल हो गया है क्या?” मंजू आंटी ने हंसकर कहा, “अरे, मजाक कर लिया तो क्या हो गया?” मेरा मूड खराब हो गया, और मैं वहाँ से चला गया।
तीन दिन तक मैं उनके घर नहीं गया। मंजू आंटी ने फोन किया, लेकिन मैंने नहीं उठाया। फिर मम्मी ने कहा कि उनका सूट ले आ। मैं गया तो आंटी बोलीं, “फोन क्यों नहीं उठाया?” मैं चुप रहा। वो पास आईं और बोलीं, “उस दिन की बात पर नाराज है?” मैंने कुछ नहीं कहा। वो बोलीं, “अच्छा, मान जा। मैंने तेरे लिए एक गर्लफ्रेंड ढूंढी है।” मैं खुश होकर उनके गले लग गया, लेकिन फिर पता चला कि वो मजाक कर रही थीं। मैंने कहा, “आपने बोला तो अब गर्लफ्रेंड चाहिए, वरना आप ही बन जाओ।” वो बोलीं, “मैं तेरे दोस्त की माँ हूँ।” मैंने कहा, “अगर मैं आपका दोस्त न होता, तब बनतीं?” वो चुप हो गईं। मैंने मौका देखकर उनका हाथ पकड़ा और बोला, “आंटी, मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ। मेरी गर्लफ्रेंड बनोगी?” वो कुछ देर सोचती रहीं, फिर हाँ बोल दी। मैं खुशी से चला गया।
अब हम फोन पर बातें करने लगे। मैं दिनभर मंजू आंटी को मैसेज करता। एक दिन मैंने सेक्सी चुटकुला भेजा। उन्होंने जवाब नहीं दिया। मैंने कॉल किया तो बोलीं, “अंकल के लिए खाना बना रही हूँ।” मैंने और सेक्सी मैसेज भेजे तो वो बोलीं, “मैंने मना नहीं किया, इसका मतलब ये नहीं कि तू सारा दिन ये भेजता रहे।” मैंने कहा, “मुझे लगा आपको पसंद है।” वो बोलीं, “सब पता है मुझे।” मैंने हिम्मत करके कहा, “जब सब पता है तो इतना नखरा क्यों? सीधे दे दो ना।” वो चौंकी, फिर हंस पड़ीं। मैंने कहा, “चलो, फिल्म देखने चलें?” वो बोलीं, “पागल, कोई देख लेगा।” मैंने कहा, “डीवीडी लाता हूँ, आपके घर देखेंगे।” वो पहले मानी नहीं, लेकिन मेरे बार-बार कहने पर हाँ कर दी।
मैंने एक सेक्सी इंग्लिश फिल्म ली और सुबह 10 बजे उनके घर पहुँच गया। अंकल और उनका बेटा घर पर नहीं थे। आंटी ने टाइट सूट पहना था, जिसमें उनकी गांड गजब की लग रही थी। मैंने हाए बोला तो वो बोलीं, “बैठ, पानी लाती हूँ।” वो पानी लाईं तो मैंने कहा, “बैठो मंजू, पानी बाद में।” वो हंस पड़ीं, “आंटी से सीधा मंजू? क्या इरादा है?” मैंने कहा, “अब गर्लफ्रेंड हो तो मंजू ही बोलूँगा।” वो शरमाईं। मैंने फिल्म लगाई। फिल्म में एक सीन आया जहाँ लड़का लड़की को किस करता है। मैंने मौका देखकर आंटी का हाथ पकड़ा और उस पर किस किया। फिर उन्हें गले लगाया। वो बोलीं, “ये क्या कर रहा है? मैं तेरी गर्लफ्रेंड इस लिए नहीं बनी।” मैंने कहा, “अच्छा, मेरा दिल रखने के लिए कर लो।” वो मना करने लगीं। मैंने मुंह बनाया और जाने लगा तो वो बोलीं, “रुक, सिर्फ किस करूँगी।”
मैंने एक गाना चलाया और उन्हें डांस के लिए कहा। वो तैयार हो गईं। मैं उनके पीछे गया, उनकी गर्दन पर किस करने लगा। मेरा हाथ उनके कर्व्स पर घूमने लगा। वो गरम होने लगीं। मैंने उनके होंठों पर किस किया। हम स्मूच करने लगे। उनकी साँसें तेज हो गईं। मैंने उनकी कमीज़ उतारी। उनकी ब्रा में उनके बूब्स गजब ढा रहे थे। मैंने ब्रा उतारी और उनके मोटे, गोरे बूब्स को चूसने लगा। “आह्ह्ह… भरत… उफ्फ्फ…” वो सिसकियाँ ले रही थीं। मैंने उनकी नाभि पर किस किया, फिर उनकी सलवार उतारी। उनकी पैंटी गीली थी। मैंने पैंटी उतारी और उनकी साफ चूत को चाटने लगा। “उह्ह्ह… हाय… और चाट… आह्ह्ह…” वो मेरे बाल खींच रही थीं। मैंने उंगली डाली तो वो और सिसकने लगीं। कुछ देर बाद वो झड़ गईं। मैंने उनका सारा रस पी लिया।
अब वो मेरे ऊपर आईं। मेरा लंड पैंट में तंबू बना रहा था। उन्होंने मेरा लंड मुंह में लिया और चूसने लगीं। “उमम्म… कितना मोटा है… आह…” वो जोर-जोर से चूस रही थीं। मैं जन्नत में था। फिर वो बेड पर लेट गईं। मैंने उनके ऊपर आकर लंड उनकी चूत पर रखा। एक जोरदार धक्का मारा। “आह्ह्ह… हाय… दर्द हो रहा है…” वो चीखीं। मैंने दूसरा धक्का मारा। मेरा 7 इंच का लंड उनकी चूत में समा गया। मैं धक्के देने लगा। “आह्ह्ह… उफ्फ्फ… और जोर से… हाँ…” वो गांड उठाकर मेरा साथ दे रही थीं। उनके बूब्स उछल रहे थे। मैंने उनके बूब्स दबाए और चोदता रहा। “हाय… भरत… और जोर से… चोद दे मेरी चूत को…” वो चिल्ला रही थीं। मैंने स्पीड बढ़ाई। हम दोनों एक साथ झड़ गए। मैं उनकी चूत में ही झड़ गया।
दस मिनट बाद वो मेरे लंड को चाटकर साफ करने लगीं। हमने कपड़े पहने और मैंने उन्हें किस करके घर चला गया। बाद में मैसेज किया, “मजा आया, गर्लफ्रेंड?” वो बोलीं, “हाँ, बहुत। कल फिर करेंगे।” अगली शाम मैं उनके बेटे को बुलाने गया। वो सो रहा था। मैंने आंटी को किस किया और उनके बूब्स दबाए। फिर हम अलग हुए, क्योंकि उनका बेटा घर पर था। मैंने मैसेज करके लंड के दर्द के बारे में पूछा। वो बोलीं, “पहली बार होता है। कल तुझे गिफ्ट दूँगी।” मैंने कहा, “गांड?” वो बोलीं, “पागल, कोई और सरप्राइज।”
अगले दिन मैं उनके घर गया। उन्होंने मेक्सी पहनी थी। मैंने उन्हें हग किया और बोला, “जानू, आज तो गजब लग रही हो।” वो बोलीं, “तू भी तो खुश लग रहा है।” मैंने उनकी गांड पर हाथ फेरा। वो बोलीं, “रुक, सरप्राइज तो ले ले।” मैंने उनकी चूत चाटी। “आह्ह्ह… उफ्फ्फ… और चाट…” वो सिसक रही थीं। तभी निशा आंटी आ गईं। मैं बड़बड़ाया, लेकिन मंजू आंटी बोलीं, “ये ही तेरा गिफ्ट है।” मैं चौंक गया। उन्होंने बताया कि निशा ने ही सारा प्लान बनाया था। मैं खुश हो गया।
निशा ने मुझे किस किया। मंजू आंटी ने मेरे कपड़े उतारे। मैंने निशा की कमीज़ और ब्रा उतारी। उनके बूब्स मंजू आंटी से भी मोटे थे। मैंने उन्हें चूसा। “आह्ह्ह… हाय… और चूस…” निशा सिसक रही थी। मंजू आंटी मेरा लंड चूसने लगीं। मैंने निशा की सलवार और पैंटी उतारी, उनकी चूत चाटी। वो और मंजू आंटी एक-दूसरे को किस करने लगीं। मैंने निशा की चूत पर लंड रखा और धक्का मारा। “आह्ह्ह… उफ्फ्फ… कितना मोटा है…” वो चिल्लाईं। मैं जोर-जोर से चोदने लगा। मंजू आंटी उनके बूब्स चूस रही थीं। निशा झड़ गईं। मैंने भी उनकी चूत में झड़ दिया।
पांच मिनट बाद मंजू आंटी ने मेरा लंड सहलाया। मैंने कहा, “आपकी गांड मारनी है।” वो बोलीं, “आ जा।” मैंने उन्हें डॉगी स्टाइल में किया। निशा ने क्रीम लाकर मेरे लंड और आंटी की गांड पर लगाई। मैंने लंड उनकी गांड पर रखा और धक्का मारा। “आह्ह्ह… मर गई… उफ्फ्फ…” वो चीखीं। मैंने दूसरा धक्का मारा। मेरा लंड उनकी टाइट गांड में समा गया। मैं धक्के देने लगा। निशा उनके बूब्स दबा रही थी। दस मिनट बाद मैं उनकी गांड में झड़ गया।
अगले दो दिन हमने खूब मजे किए। फिर मैं पेपर के लिए फरीदाबाद चला गया। वहाँ मैंने उनके साथ सेक्स चैट की। अब पेपर खत्म हो गए हैं, और मैं उन दोनों को खूब चोदता हूँ।
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