Aunty ki chudai sex story – हैलो दोस्तो! मैं २२ साल का एक साधारण सा लड़का हूँ। मेरी दिलचस्पी हमेशा ३५ साल या उससे ज्यादा उम्र की औरतों में रहती है। इसके दो बड़े कारण हैं। पहला तो ये कि इनकी गांड बहुत मोटी और चूतड़ों वाली होती है, और चूचियां इतनी बड़ी कि बस देखते ही लंड खड़ा हो जाए। दूसरा, अगर कभी इनकी ब्रा दिख रही हो या सलवार का नाड़ा ढीला हो जाए, तो ये सौ लड़कों के बीच में भी बिना शर्माए उसे ठीक कर लेती हैं। इनकी स्किन पर वो अनुभव की झुर्रियां होती हैं जो मुझे पागल कर देती हैं। Bus mein aunty ke saath sex
और हाँ, अगर कभी इनकी गांड में उंगली डाल दो या हाथ फेर लो, या चूची दबा दो, तो इन्हें कुछ महसूस ही नहीं होता। या अगर होता भी है तो नजरअंदाज कर देती हैं, क्योंकि इनकी चूत तो पहले से ही कई बार फटी हुई होती है, ढीली और गीली। अगर तुम्हारी दिलचस्पी इनमें नहीं भी है, तो भी मेरी ये कहानी पढ़ो। फिर देखना, तुम्हारा लंड भी मेरी तरह हर वक्त इनकी मोटी गांड देखकर खड़ा हो जाएगा, और माल उगलने को तैयार रहेगा।
दोस्तो, ये घटना तब की है जब मैं बस से सफर कर रहा था। बस में इतनी भीड़ थी कि पैर रखने की जगह नहीं थी। हर तरफ लोग एक-दूसरे से चिपके हुए थे। अचानक बस एक स्टॉप पर रुकी, और विश्वास करो या न करो, पूरी बस खाली हो गई। लेकिन मुझे अभी भी सीट नहीं मिली थी। मैं सोच रहा था कि आज किस्मत ही खराब है, वरना कोई न कोई आंटी तो दबाने-छूने के लिए मिल ही जाती। बस में वो गर्माहट, वो बदबू वाली हवा, सब कुछ मुझे उत्तेजित कर रहा था, लेकिन आज कुछ नहीं हो रहा था।
फिर भगवान ने मेरी सुन ली। अगले बस स्टॉप पर फैक्ट्री में काम करने वाली कुछ मजदूर औरतें चढ़ीं। सब ३५ से ४० साल के बीच की लग रही थीं। उनकी स्किन पर मेहनत की थकान साफ दिख रही थी, पसीने से भीगी हुईं, और वो साड़ियां जो थोड़ी पुरानी लेकिन टाइट बंधी हुईं। मेरे आगे एक बहुत छोटी कद की लेकिन मोटी औरत खड़ी हो गई। उसकी हाइट मुश्किल से ५ फुट होगी, लेकिन गांड इतनी चौड़ी कि बस में जगह घेर रही थी। उसके बाल थोड़े-थोड़े सफेद हो चुके थे, और उम्र लगभग ३८ साल की रही होगी। उसका चेहरा साधारण था, लेकिन आंखों में वो थकान जो मुझे आकर्षित कर रही थी।
कुछ ही मिनटों में भीड़ फिर बढ़ गई। बस झटके खा रही थी, और वो औरत अब मेरे बिल्कुल करीब आ गई। उसके बदन से पसीने की बदबू आ रही थी, वो मजदूर वाली बदबू, जो मुझे और ज्यादा उत्तेजित कर रही थी। मेरा लंड धीरे-धीरे सख्त होने लगा। उसके बालों में वो सफेदी, उसकी साड़ी की सिलवटें, सब कुछ मुझे पागल कर रहा था।
तभी वो थोड़ी पीछे की ओर हुई, और अपनी गांड को सीधा मेरे लंड पर लगा दिया। मेरा लंड २-३ सेकंड में ही पूरा खड़ा हो गया, पैंट में तंबू बन गया। उसने साड़ी पहनी थी, और मैं उसकी गांड के दो टुकड़ों के बीच का गैप साफ महसूस कर सकता था। वो नरम लेकिन मोटी गांड, जैसे स्पंज हो। मैंने धीरे से अपना लंड उसकी गांड पर दबाव बढ़ाना शुरू किया, बस के झटकों का फायदा उठाते हुए। वो कुछ नहीं बोली, बस खड़ी रही, जैसे कुछ हुआ ही न हो।
अभी मैं अपना लंड उसकी गांड पर और जोर से रगड़ ही रहा था कि अचानक मेरी पीठ पर दो मोटी-मोटी गोल चूचियां टकराईं। मैंने पीछे मुड़कर देखा तो एक ४५ साल की औरत खड़ी थी। वो कम से कम तीन बच्चों की मां लग रही थी, क्योंकि उसके चूचे इतने बड़े और लटके हुए थे। उसका रंग एकदम काला था, चेहरा थका हुआ, लेकिन आंखों में वो भूख जो मुझे लगा कि उसका शराबी पति उसे सुख नहीं दे पाता। वो गरीब लग रही थी, साड़ी फटी हुई, लेकिन बदन पर वो मादकता जो मुझे खींच रही थी। उसके होंठ मोटे और काले, और बाल बंधे हुए लेकिन कुछ लटें चेहरे पर।
मैं थोड़ा पीछे की ओर हुआ, और जैसे ही मैंने अपनी पीठ पर उसके चूचों को महसूस किया, वो आगे वाली आंटी ने अपनी गांड को मेरे लंड पर धक्के देना शुरू कर दिया। उसकी गांड इतनी चौड़ी थी कि मेरा लंड उसकी गांड की दरार में घुस जाता था। बस के हर झटके के साथ वो दबाव बढ़ रहा था। अब मेरी हालत खराब हो रही थी। चारों तरफ लोग थे, सब मुझे देख रहे थे, लेकिन मैं रुक नहीं पा रहा था। दिल तेज धड़क रहा था, पसीना आ रहा था, लेकिन मजा इतना कि बस रुकना नहीं चाहता था।
अब मैंने हिम्मत जुटाई और अपना हाथ आगे वाली आंटी की गांड की तरफ बढ़ाया। धीरे-धीरे उसकी साड़ी के ऊपर से उसकी चूत को छूने लगा। उसने पैंटी नहीं पहनी थी, और उसकी चूत गीली और ढीली महसूस हो रही थी। मैंने उंगली से उसकी चूत की लकीर को सहलाया, और वो थोड़ी सिहर गई, लेकिन कुछ नहीं बोली। मैंने अपना हाथ सूंघा, उसकी चूत की खुशबू ने मुझे पागल कर दिया। वो मजदूर वाली गंध, मिश्रित पसीने और उत्तेजना की।
मैं पागल सा हो रहा था कि पीछे वाली आंटी ने मुझे देख लिया। वो मेरी गर्दन पर गर्म सांस छोड़ने लगी, उसकी सांस में शराब की हल्की महक थी। फिर उसने एक हाथ मेरे लंड पर पीछे से लगा दिया और जोर से पकड़ लिया। उसका हाथ रूखा लेकिन मजबूत था, और वो धीरे-धीरे सहला रही थी। मेरा लंड अब फटने को था।
तभी आगे वाली आंटी पीछे मुड़ी और देखने लगी कि किसका हाथ उसकी गांड में घुस रहा है। वो हंस दी, जैसे मजाक हो। अब मेरे लंड पर दो कमाल हो रहे थे – पीछे वाली आंटी के हाथ का जादू और आगे वाली की गांड का दबाव। वो दोनों हंस रही थीं, लेकिन चुपचाप। बस में शोर था, लेकिन हमारी दुनिया अलग थी।
फिर पीछे वाली आंटी का स्टॉप आ गया। वो उतर गई, लेकिन जाते-जाते मेरे लंड को एक जोरदार दबाव दिया। अब मैं आगे वाली आंटी के साथ मजा लेने लगा। मैंने अपना हाथ उसकी चूत पर रखा और उंगली अंदर डालने लगा। वो गीली हो चुकी थी। तभी उसका स्टॉप भी आ गया। उसने मुझे इशारे से उतरने को कहा, आंखों में वो भूख। मैं भी उसके साथ उतर गया, दिल तेज धड़क रहा था। हम पीछे-पीछे चलने लगे। आगे गन्ने के खेत थे, और वो मुझे अंदर ले गई। खेत में अंधेरा था, लेकिन चांद की रोशनी में सब दिख रहा था।
जाते ही उसने अपनी साड़ी और पेटीकोट ऊपर उठा लिया। वो नाली के किनारे लेट गई, उसकी चूत एकदम काली और थोड़ी सूखी लग रही थी, लेकिन गीली हो चुकी थी। मैं उसके ऊपर लेट गया। पहले मैंने उसका ब्लाउज खोला, बटन एक-एक करके। उसके चूचे बाहर निकले, काले और बड़े, निप्पल सख्त। मैंने एक चूची मुंह में ली और चूसने लगा। “आह… चूसो… जोर से…” वो बड़बड़ाई, उसकी आवाज रूखी लेकिन उत्तेजित। मैंने जीभ से निप्पल को घुमाया, चूसा, काटा हल्का सा। वो सिहर रही थी, “ओह… हाँ… ऐसे ही…”
फिर मैंने अपना लंड बाहर निकाला, ८ इंच का, सख्त और लाल। उसने देखा और हाथ में लिया, सहलाया। “कितना मोटा है… डालो ना…” वो बोली। मैंने धीरे से उसकी चूत पर रगड़ा, ऊपर-नीचे। वो गीली हो रही थी। “आह… मत तड़पाओ… घुसाओ…” मैंने धक्का दिया, आधा लंड अंदर गया। वो चीखी, “आआआ… धीरे…” लेकिन मैंने जोर से धक्का मारा, पूरा अंदर। उसकी चूत ढीली लेकिन गर्म थी।
मैं धक्के मारने लगा, धीरे-धीरे। “फक… आह… जोर से… चोदो मुझे…” वो बोली, उसकी गांड नीचे से उठा रही थी। मैंने स्पीड बढ़ाई, पच-पच की आवाज आने लगी। उसके चूचे उछल रहे थे, मैंने उन्हें दबाया, चूसा। फिर मैंने उसे घुमाया, डॉगी स्टाइल में। उसकी गांड ऊपर, मैंने पीछे से घुसाया। “ओह… गांड में मत… चूत में…” वो हांफी। मैंने जोर-जोर से धक्के मारे, उसकी गांड थपथपाने लगी। “आआआ… हाँ… ऐसे चोदो… मजा आ रहा है…”
फिर मैंने उसे ऊपर बिठाया, वो मेरे लंड पर बैठ गई। ऊपर-नीचे होने लगी, उसके चूचे मेरे मुंह पर। “चूसो… आह… मैं झड़ने वाली हूँ…” वो चीखी। मैंने नीचे से धक्के मारे। “ओओओ… आआआ…” वो झड़ गई, उसकी चूत ने मेरे लंड को निचोड़ा। मैं भी नहीं रुक सका, सारा माल उसकी चूत में छोड़ दिया। “आह… गर्म माल…” वो बोली।
फिर हम अलग हुए। मैंने कपड़े ठीक किए, और खेत से बाहर आ गया। दोस्तो, मैंने उस औरत से बात तक नहीं की, बस उसकी चूत चोद दी। तब से मैं ऐसी आंटी ढूंढता रहता हूँ, लेकिन वैसी दोबारा नहीं मिली।
क्या तुम्हें भी ऐसी कोई घटना घटी है? कमेंट में बताओ, शायद कोई टिप्स मिल जाए!