Sagi bhabhi ke sath chudai Sex Story हाय दोस्तों और मेरी प्यारी भाभियों, मेरा नाम शानू है। मैं पंजाब का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 20 साल है, हाइट 6 फीट, और बदन स्लिम पर 6 पैक वाला। रोज़ जिम में 2-3 घंटे पसीना बहाता हूँ, जिससे मेरी बॉडी टोन्ड और आकर्षक बनी है। मेरा रंग गोरा है, और चेहरा ऐसा कि कॉलेज की लड़कियाँ अक्सर तारीफ करती हैं। ये मेरी पहली कहानी है, तो कोई गलती हो जाए तो माफ करना। ये गर्मागर्म कहानी मेरी सगी भाभी पूर्णिमा के साथ मेरे पहले सेक्स की है, जो इतनी उत्तेजक है कि आपकी चूत और लंड पानी छोड़े बिना नहीं रहेंगे। bhabhi ki gand chudai
हमारे घर में मैं, मेरे बड़े भाई, और उनकी नई-नवेली बीवी पूर्णिमा भाभी रहते हैं। भाभी 24 साल की हैं, उनका फिगर एकदम हंसिका मोटवानी जैसा—36-30-38, मलाई-सा गोरा बदन, भरे-पूरे नितंब, जो किसी को भी दीवाना बना दें। उनकी बड़ी-बड़ी आँखें, गुलाबी होंठ, और कमर तक लहराते लंबे बाल उनकी खूबसूरती को और बढ़ाते हैं। भाई 28 साल के हैं, किसी कंपनी में बड़े ओहदे पर काम करते हैं, और अक्सर टूर पर रहते हैं। पंजाब की लड़कियाँ अपने भरे-पूरे जिस्म और चटपटे खान-पान के लिए जानी जाती हैं, और भाभी इसका जीवंत उदाहरण थीं।
जब भाई की शादी हुई, तब भाभी का फिगर कुछ खास नहीं था। मैं उन्हें हमेशा इज्जत से देखता था। लेकिन जवानी का जोश और चूत-लंड का आकर्षण ज्यादा दिन तक दूर नहीं रहता। शादी के एक साल बाद भाभी का बदन ऐसा भरा कि उनकी हर हरकत वासना जगा दे। उनकी चाल में एक मादकता थी, जैसे हर कदम पर उनके चूतड़ हिलकर लुभाते हों। मेरा लंड, जो पहले छोटा-सा लगता था, अब 8 इंच लंबा और 4 इंच मोटा हो चुका था। जब मैं उसे हाथ में पकड़ता, तो गर्व महसूस होता।
एक सुबह मैं कॉलेज के लिए लेट हो रहा था। जल्दी में चिल्लाते हुए भाभी के कमरे में घुसा, “भाभी, नाश्ता कहाँ है? देर हो रही है!” कोई जवाब नहीं आया। मैं उन्हें ढूँढते हुए उनके बाथरूम की तरफ गया और गलती से दरवाजा जोर से खोल दिया। सामने का दृश्य देखकर मेरे होश उड़ गए। भाभी सिर्फ काली पैंटी में थीं, एक हाथ से अपने बूब्स पर साबुन मल रही थीं, और दूसरे से पानी डाल रही थीं। उनके गोरे, भरे-पूरे बूब्स, जिनके गुलाबी निप्पल साबुन की चिकनाहट में चमक रहे थे, देखकर मेरा लंड पैंट में तन गया। उनकी जांघें इतनी मांसल थीं कि पैंटी उनके चूतड़ों को ढक नहीं पा रही थी। बाथिंग स्टूल उनके बड़े-बड़े नितंबों के नीचे गायब-सा हो गया था।
मुझे देखते ही भाभी चौंक गईं और अपने बूब्स को हाथों से ढकते हुए चिल्लाईं, “शानू, ये क्या बदतमीजी है? बाहर निकल!” मैं उनकी चांदनी-से बदन में खोया हुआ था, पर उनकी डाँट से होश आया और मैं बाहर भाग गया। सारा दिन कॉलेज में मैं यही सोचता रहा कि भाई ने भाभी के साथ क्या किया होगा कि उनका बदन इतना भरा और कामुक हो गया। मेरा लंड बार-बार तन रहा था, और मैं बाथरूम में मुठ मारने की सोचने लगा।
शाम को घर लौटा तो भाभी किचन में थीं। पहली बार मैंने उन्हें वासना भरी नजरों से देखा। उन्होंने काली टाइट लेगी और लाल कुर्ता पहना था, जो उनकी कमर तक था। उनके नितंब इतने चौड़े और उभरे हुए थे कि हर कदम पर हिल रहे थे। मैं अपने कमरे से ये नजारा देख रहा था, तभी भाभी ने पीछे मुड़कर मुझे पकड़ लिया। उनकी नजर मेरे पैंट में बने तंबू पर पड़ी, और वो गुस्से में नजरें फेरकर काम में लग गईं। मुझे डर लगा कि कहीं वो भाई को मेरी शिकायत न कर दें।
अगले तीन-चार दिन भाभी ने मुझसे बात नहीं की। मैं चोरी-छिपे उनकी हर अदा देखता रहा। एक दिन मैंने उनके कमरे के कीहोल से झाँका। भाभी नहाकर सिर्फ लाल, पारदर्शी चुन्नी लपेटे थीं। उनके गोरे बूब्स और नितंब चुन्नी से साफ दिख रहे थे। जब वो शीशे के सामने खड़ी होकर अपने बाल संवारीं, तो उनके चूतड़ हिल रहे थे, जैसे दो बड़ी गेंदें रगड़ खा रही हों। मैं इतना गर्म हो गया कि बाथरूम में जाकर मुठ मारने लगा। आधे घंटे तक मैं भाभी की चूत और नितंबों को याद करके लंड हिलाता रहा। तभी भाभी मेरे कमरे में आईं और बाथरूम का दरवाजा खोल दिया। मेरा 8 इंच का लंड देखकर उनकी आँखें चौड़ी हो गईं, और उनके मुँह से “आह्ह” निकल गया। वो शर्मिंदगी में दरवाजा बंद करके भाग गईं।
मैं भी शर्म से मर रहा था। बाद में भाभी ने मुझे डाँटा, “शानू, ये क्या हरकतें हैं? अपनी आदतें सुधार, वरना मैं तुम्हारे भाई को बता दूँगी!” मैंने जवाब दिया, “भाभी, मैंने गलती की, पर आपने भी मेरे बाथरूम में बिना बताए घुसकर गलती की।” ये सुनकर भाभी चुप हो गईं और अपने नितंब हिलाते हुए हॉल में चली गईं।
अगले दिन पता चला कि भाई को ऑफिस के काम से तीन-चार दिन के लिए बाहर जाना है। घर में सिर्फ मैं और भाभी रह गए। मैं मन ही मन खुश था, पर भाभी घबराई हुई थीं। रात को खाना खाकर हम अपने-अपने कमरे में सोने चले गए। मुझे नींद नहीं आ रही थी। मैं भाभी की कल्पना में लंड हिलाते हुए सो गया। सुबह 10 बजे भाभी मुझे जगाने आईं, “शानू, नाश्ता कर लो!” उन्होंने मुझे एक बड़ा केला दिया। मैंने मजाक में कहा, “भाभी, इतना बड़ा केला कैसे खाऊँ?” वो गुस्से में बोलीं, “बड़े-छोटे केले की बात मुझसे मत कर!” और काम में लग गईं।
मैं किताब पढ़ रहा था, तभी भाभी झाड़ू लगाने लगीं। जब वो नीचे झुकीं, तो उनके बूब्स का क्लीवेज साफ दिखा। फिर वो पोंछा लगाने लगीं। उनकी कुर्ती ऊपर उठी, और टाइट लेगी में उनके चूतड़ साफ दिख रहे थे। मैं उन्हें देखता रहा, और मेरा लंड फिर खड़ा हो गया। शाम को भाभी ने कहा, “शानू, सारा दिन किचन में खड़े रहने से मेरे पैर दुख रहे हैं।” मैंने मौका देखकर कहा, “भाभी, मैं तेल मल दूँ?” पहले उन्होंने मना किया, पर मेरे जिद करने पर मान गईं।
भाभी ने मेक्सी पहनी थी और औंधी लेट गईं। मैंने उनकी मेक्सी घुटनों तक उठाई और उनके गोरे, मांसल पैरों पर तेल मलने लगा। धीरे-धीरे मेरी उंगलियाँ उनकी जांघों तक गईं। मैंने मेक्सी को और ऊपर किया, जिससे उनकी काली पैंटी दिखने लगी। भाभी ने तुरंत मेक्सी नीचे की और गुस्से में बोलीं, “शानू, ये क्या? तेल की शीशी दो और अपने कमरे में जाओ!” मैंने माफी माँगी, पर मुझे लग रहा था कि भाभी भी गर्म हो रही थीं, बस अपने पतिव्रत धर्म की वजह से रुक रही थीं।
अगले दिन भाभी बाथरूम में नहा रही थीं, तभी उनकी चीख सुनाई दी। मैं दौड़कर गया तो देखा कि वो फर्श पर फिसल गई थीं। सिर्फ पैंटी में थीं, उनके बूब्स नंगे थे, और वो कमर दर्द से कराह रही थीं। मैंने उन्हें तुरंत गोद में उठाया। उनकी कमर में इतना दर्द था कि वो कुछ बोल नहीं पा रही थीं। सीढ़ियों से उतरते वक्त मेरा लंड उनकी पैंटी को छू रहा था। मैं जानबूझकर उनके बूब्स दबा रहा था। भाभी गुस्से से देख रही थीं, पर दर्द की वजह से चुप थीं।
मैंने उन्हें अपने बेड पर लिटाया और कहा, “मैं डॉक्टर को बुलाता हूँ।” भाभी ने मना किया और अपनी अलमारी से कमर दर्द की क्रीम माँगी। मैंने क्रीम दी, पर उनका हाथ कमर तक नहीं पहुँच रहा था। मैंने कहा, “भाभी, मैं लगा दूँ?” पहले उन्होंने मना किया, पर मेरे कहने पर मान गईं। वो पेट के बल लेट गईं, सिर्फ पैंटी में। मैं उनकी कमर और पीठ पर क्रीम लगाने लगा। उनकी पैंटी उनके आधे नितंबों को ही ढक रही थी।
तभी भाभी बोलीं, “शानू, तुम मुझसे खुलकर बात क्यों नहीं करते?” मैंने कहा, “ऐसा क्या भाभी?” वो हँसते हुए बोलीं, “तुमने अपने उस तंबू के बारे में कुछ नहीं बताया!” और मेरे लंड की तरफ इशारा किया। मैं शरमा गया। फिर वो बोलीं, “कोई बात नहीं, पर अपनी वासना पर काबू रखो। तुम्हारी बीवी आएगी, उस पर ये सब करना।” फिर धीरे से बोलीं, “क्या किस्मत वाली होगी वो!” मैंने पूछा, “क्या कहा भाभी?” वो हँसीं, “तुम्हारा ये तंबू इतना बड़ा और मोटा है, तुम्हारी बीवी बहुत लकी होगी।” मैंने पूछा, “भाई का कितना बड़ा है?” वो बोलीं, “तुम्हारे आधा!” ये सुनकर मैं खुश हो गया।
फिर मैंने मजाक में कहा, “भाभी, इस तंबू को और क्या कहते हैं?” वो शरमाकर बोलीं, “तुम भी ना, इतने सीधे मत बनो! इसे लंड कहते हैं, पागल!” हम दोनों हँस पड़े। फिर वो बोलीं, “क्रीम लग गई, अब मैं कपड़े पहन लूँ।” मैंने मौका देखकर कहा, “भाभी, मेरी बीवी से पहले आप ही इस आनंद को लें।” वो गुस्से से बोलीं, “शानू, पागल हो गए हो? मैं तुम्हारी माँ जैसी हूँ!” मैंने कहा, “भाभी, इस वक्त धर्म की बातें नहीं सूझती।” वो मुस्कुराईं और कपड़े पहनने लगीं।
तभी मैंने उन्हें अपनी तरफ खींचा और बेड पर धकेल दिया। उनकी पैंटी उतार दी। अब वो मेरे सामने पूरी नंगी थीं। उनका गोरा, चमकदार बदन, कसी हुई चूत, और भरे-पूरे नितंब देखकर मैं पागल हो गया। भाभी बोलीं, “शानू, प्लीज, ये गलत है।” पर मैं उनकी बात नहीं सुना। मैंने अपने कपड़े उतारे, सिर्फ अंडरवियर में था। भाभी ने हँसकर कहा, “ये तो नाइंसाफी है!” और मेरे अंडरवियर को झटके से उतार दिया। मेरा 8 इंच का लंड देखकर वो बोलीं, “हाय राम, इतना बड़ा और मोटा! इतनी छोटी उम्र में ऐसा लंड!”
मैंने भाभी को बेड पर लिटाया और उनके होंठों को चूमने लगा। उनके गुलाबी होंठ इतने नरम थे कि मैं खो गया। मेरी जीभ उनकी जीभ से मिली, और हम गहरे चुम्बन में डूब गए। “आह्ह, शानू…” भाभी की सिसकारी निकली। मैंने उनके गले को चूमा, फिर धीरे-धीरे उनके बूब्स की तरफ बढ़ा। उनके गुलाबी निप्पल सख्त हो चुके थे। मैंने एक निप्पल को मुँह में लिया और धीरे-धीरे चूसने लगा। “उम्म… शानू, ये क्या कर रहे हो?” भाभी की आवाज में वासना थी। मैंने दूसरे बूब को हाथ से दबाया, और वो सिहर उठीं।
मैंने उनके पेट को चूमा, उनकी नाभि में जीभ डाली, जिससे वो कसमसाने लगीं। “शानू, प्लीज… आराम से,” वो कराह रही थीं। मैं उनकी जांघों की तरफ बढ़ा। उनकी गोरी, मांसल जांघें चूमते हुए मैं उनकी चूत के पास पहुँचा। भाभी की चूत गुलाबी, कसी हुई, और बिल्कुल साफ थी। मैंने धीरे से अपनी जीभ उनकी चूत पर फेरी। “आआह्ह… शानू, ये क्या… हाय!” भाभी का शरीर काँप उठा। मैंने उनकी चूत को चाटना शुरू किया, उनकी क्लिट को जीभ से सहलाया। “उम्म… आह्ह… शानू, बस करो!” वो चिल्ला रही थीं, पर उनकी आवाज में मस्ती थी।
मैंने उनकी चूत को 10 मिनट तक चाटा, और वो बार-बार सिहर रही थीं। उनकी चूत गीली हो चुकी थी। भाभी ने मेरे बाल पकड़े और मुझे ऊपर खींचा। “शानू, अब बर्दाश्त नहीं होता!” वो बोलीं और मेरे लंड को हाथ में लिया। “हाय, इतना मोटा… ये कैसे जाएगा?” वो हँसते हुए बोलीं। फिर उन्होंने मेरे लंड को लॉलीपॉप की तरह मुँह में लिया और चूसने लगीं। “उम्म… म्म…” उनकी आवाज मेरे लंड को और सख्त कर रही थी। वो मेरे लंड को गहरे तक ले रही थीं, और मैं उनके बाल पकड़कर उनकी स्पीड बढ़ा रहा था।
मैंने भाभी को बेड पर लिटाया और उनके पैर फैलाए। उनकी चूत गीली और चमक रही थी। मैंने अपने लंड का टोपा उनकी चूत पर रगड़ा। “आह्ह… शानू, धीरे!” भाभी कराह रही थीं। मैंने धीरे से एक धक्का मारा, और मेरा टोपा उनकी चूत में घुस गया। “आआह्ह!” भाभी चिल्लाईं। मैंने रुककर उनके बूब्स को चूमा और फिर धीरे-धीरे आधा लंड अंदर डाला। “हाय… शानू, ये बहुत बड़ा है!” वो कसमसाने लगीं। मैंने एक जोरदार धक्का मारा, और मेरा पूरा 8 इंच का लंड उनकी चूत में समा गया। “आआह्ह… मर गई!” भाभी की आँखों में आँसू आ गए, पर मैं रुकने वाला नहीं था।
“धप… धप…” मेरे धक्कों की आवाज कमरे में गूँज रही थी। भाभी की चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड हर धक्के में रगड़ खा रहा था। “आह्ह… शानू, आराम से… उफ्फ!” वो कराह रही थीं। मैंने उनके बूब्स को जोर-जोर से दबाया और उनके निप्पल्स को चूसा। “भाभी, तुम्हारी चूत कितनी टाइट है… मजा आ रहा है!” मैं बोला। वो शरमाकर बोलीं, “बस कर पागल, चुपचाप चोद!”
मैंने 15 मिनट तक उन्हें मिशनरी पोज में चोदा। फिर मैंने कहा, “भाभी, घोड़ी बनो।” वो डर गईं, “नहीं शानू, मेरी चूत में ही इतना दर्द है, कहीं तू मेरी गांड न मार ले!” मैंने हँसकर कहा, “भाभी, चिंता मत करो, मैं सिर्फ चूत चोदूँगा।” वो घोड़ी बन गईं। उनके बड़े-बड़े चूतड़ मेरे सामने थे। मैंने पीछे से उनकी चूत में लंड डाला। “आआह्ह… शानू!” वो चिल्लाईं। “धप… धप…” मेरे धक्कों की आवाज तेज हो गई। मैं उनके चूतड़ों पर थप्पड़ मार रहा था, जिससे वो और सिहर रही थीं।
चुदाई के जोश में मेरी नीयत बिगड़ गई। मैंने चालाकी से लंड उनकी चूत से निकाला और उनकी गांड पर रखकर धक्का मार दिया। मेरा टोपा उनकी गांड में घुस गया। “आआह्ह… शानू, ये क्या किया!” भाभी जोर से चिल्लाईं। मैंने कहा, “सॉरी भाभी, गलती हो गई!” पर मैंने थूक लगाकर फिर धक्का मारा, और आधा लंड उनकी गांड में घुस गया। “उफ्फ… मर गई… शानू, निकाल इसे!” वो चिल्ला रही थीं। मैंने धीरे-धीरे धक्के मारे, और 10 मिनट तक उनकी गांड चोदी। उनकी गांड इतनी टाइट थी कि मेरा लंड हर धक्के में रगड़ खा रहा था।
मैंने भाभी को फिर मिशनरी पोज में लिटाया और उनकी चूत में लंड डाला। “आह्ह… शानू, तू तो जान लेगा!” वो कराह रही थीं। मैंने उनके पैर अपने कंधों पर रखे और जोर-जोर से धक्के मारे। “धप… धप…” कमरे में सिर्फ हमारी सिसकारियाँ और चुदाई की आवाजें थीं। फिर मैंने उन्हें साइड पोज में चोदा, जहाँ वो एक तरफ लेटी थीं और मैं पीछे से उनकी चूत में लंड डाल रहा था। “उम्म… आह्ह… शानू, ये तो बहुत मजा दे रहा है!” भाभी की आवाज में मस्ती थी।
करीब 40 मिनट तक मैंने उन्हें अलग-अलग पोज—मिशनरी, घोड़ी, साइड, और काउगर्ल—में चोदा। काउगर्ल में भाभी मेरे लंड पर उछल रही थीं, और उनके बूब्स मेरे सामने हिल रहे थे। “आह्ह… शानू, तेरा लंड मेरी चूत को फाड़ देगा!” वो चिल्ला रही थीं। मैंने उनके नितंब पकड़े और उनकी स्पीड बढ़ा दी। आखिर में मैंने उन्हें फिर घोड़ी बनाया और जोर-जोर से चोदा। “आआह्ह… शानू, बस अब… मैं झड़ने वाली हूँ!” भाभी चिल्लाईं, और उनकी चूत ने मेरे लंड को जकड़ लिया। मैं भी झड़ने वाला था। “भाभी, मैं भी…” मैंने कहा और अपना माल उनकी चूत में छोड़ दिया।
हम दोनों हाँफते हुए बेड पर लेट गए। भाभी बोलीं, “शानू, ये हमारी पहली और आखिरी बार है।” मैंने कहा, “ठीक है भाभी।” पर मन ही मन मैं जानता था कि ये पल मेरे जीवन का सबसे हसीन पल था। इसके बाद क्या हुआ, ये मैं आपको अगली कहानी में बताऊँगा।
आपको ये कहानी कैसी लगी? क्या आपने भी कभी ऐसा अनुभव किया? कमेंट में जरूर बताएँ!