Desi gay sex story रोज़ रात की तरह आज भी मेरी आँखों से नींद कोसों दूर थी। जैसे ही मैं बिस्तर पर लेटने जाता, मेरे दिमाग में बस पिंकू का चेहरा घूमने लगता। क्या मस्त लड़का था वो! उसका गोरा-चिट्टा चेहरा, गुलाबी-गुलाबी गाल, और वो मासूम सी स्माइल—हाय! बस उसे देखते ही दिल में आग सी लग जाती। मैं सोचने पर मजबूर हो जाता कि अगर उसके गाल इतने मस्त हैं, तो उसकी गांड कितनी कमाल की होगी! ये ख्याल आते ही मेरा लंड किसी लोहे की रॉड की तरह खड़ा हो जाता। मुझे खुद नहीं पता चलता था कि कब ये शैतान तनकर तैयार हो जाता। एक बार अगर मेरा लंड किसी चिकने लड़के पर अटक जाए, तो बस कयामत आ जाती। जब तक मैं उसकी चिकनी गांड में अपना मोटा लंड ना घुसा दूं, ये शाला सोने का नाम ही नहीं लेता। दस बार मुठ मार लो, फिर भी ये तुरंत खड़ा हो जाता। हाथ दर्द करने लगता, लेकिन ये लंड? ना जाने किस चीज का बना है, साला मानता ही नहीं!
खैर, पिंकू के बारे में थोड़ा डिटेल में बता दूं, ताकि तुम्हारा लंड भी थोड़ा गर्म हो जाए। पिंकू मेरे ही मोहल्ले में रहता था। उम्र? 18 साल। एकदम दूध-सा गोरा, स्लिम बॉडी, और 6 फीट की हाइट। भगवान ने उसका बदन इतने फुर्सत से बनाया होगा, जैसे कोई मूर्तिकार अपनी बेस्ट मूर्ति तराशता है। लंबी-लंबी टांगें, बड़ी-बड़ी आँखें, और वो गोल-मटोल मासूम चेहरा—हाय! कुल मिलाकर ऐसा माल कि जिसे देखते ही लोगों की पैंट गीली हो जाए। हा हा! उसकी एक झलक ही काफी थी कि किसी का भी लंड सलामी देने लगे।
कल होली थी। मैं सोच रहा था कि अगर किसी तरह पिंकू की गांड मारने का मौका मिल जाए, तो मज़ा आ जाएगा। मेरे घर में कोई नहीं था—सब लोग होली मनाने अपने गांव चले गए थे। मैं अकेला था, और मेरे दिमाग में बस एक ही प्लान चल रहा था—पिंकू की गांड में अपना सिंगापुरी केला घुसाना है, और ना सिर्फ घुसाना, बल्कि उसकी गांड को फाड़ डालना है! हा हा! सुबह-सुबह मैंने प्लान बना लिया कि आज किसी भी तरह पिंकू को पटाना है। मैंने उसके घर के चक्कर लगाने शुरू कर दिए, ताकि वो बाहर निकले और मुझे उससे बात करने का मौका मिले।
कुछ देर बाद पिंकू बाहर निकला। मैंने उसे आवाज़ दी, “अरे पिंकू! इधर आ ना!” वो मेरे पास आया, और हमने इधर-उधर की बातें शुरू कीं। थोड़ी देर बाद मैंने कहा, “पिंकू, मैंने आज घर पर होटल से मुर्गा और पुलाव मंगवाया है। दोपहर में मेरे साथ खाना खा लेना।” पिंकू ने हंसते हुए कहा, “अरे, ये तो मस्त बात है! मज़ा आएगा!” मैंने मन ही मन सोचा—मज़ा तो अब आएगा, मेरे दोस्त!
सुबह 9 बजे से हम दोनों मोहल्ले में साथ-साथ होली खेलने लगे। मैं हर वक्त यही कोशिश करता कि पिंकू मेरे पास ही रहे। जहां कहीं भी भांग का पुआ या कोई नशीला खाना मिलता, मैं जानबूझकर पिंकू को ज़्यादा खिला देता। दो घंटे में ही पिंकू को भांग का नशा चढ़ गया। उसकी आँखें लाल हो गईं, और वो थोड़ा लड़खड़ाने लगा। मैंने देखा कि अब वो पूरी तरह नशे में है। बस, यही मौका था! मैंने मौके का फायदा उठाना शुरू किया। होली के हंगामे में जब भी हम किसी भीड़ में घुसते, मैं जानबूझकर उसके पीछे चिपक जाता। उसकी चिकनी गांड मेरे लंड से टकराती, और यार, मैं बता नहीं सकता कि मुझे कितना मज़ा आ रहा था! उसकी गांड इतनी मुलायम थी कि मेरा लंड हर बार और सख्त हो जाता।
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दोपहर 1 बजे तक हमने खूब होली खेली। पिंकू अब भांग के नशे में पूरी तरह डूब चुका था। वो ठीक से चल भी नहीं पा रहा था। मैंने कहा, “पिंकू, अब बहुत देर हो गई। चल, घर चलते हैं। मुर्गा-पुलाव की दावत खाते हैं।” पिंकू ने नशे में हंसते हुए कहा, “हां, चलो!” उसकी हालत ऐसी थी कि मुझे उसे पकड़कर घर लाना पड़ा। वो लड़खड़ा रहा था, और मैं उसे सहारा देता हुआ अपने घर ले आया।
घर पहुंचते ही हम दोनों मुर्गा और पुलाव पर टूट पड़े। मैं जल्दी-जल्दी खाना खत्म करना चाहता था, क्योंकि मुझे डर था कि कहीं पिंकू नशे में सो ना जाए। खाना खत्म होते ही मैंने कहा, “पिंकू, चल अंदर रूम में बिस्तर पर थोड़ा आराम करते हैं।” पिंकू जैसे ही खड़ा हुआ, दो कदम चला और लड़खड़ाकर मेरे ऊपर गिर पड़ा। उसका पूरा वजन मेरे ऊपर आ गया, और मैं भी ज़मीन पर गिर गया। गिरते वक्त मैंने जानबूझकर उसे कसकर पकड़ लिया। अब वो ज़मीन पर पीठ के बल लेटा था, और मैं उसके ठीक ऊपर।
ये मौका मुझे परफेक्ट लगा। मैंने फट से अपने होंठ उसकी गर्दन पर रख दिए और उसे कसकर चिपक गया। पिंकू को पहले तो कुछ समझ ही नहीं आया। वो नशे में था, और शायद उसे लग रहा था कि ये सब मज़ाक है। लेकिन मैंने मौका नहीं छोड़ा। मैंने एक हाथ से उसकी गांड को सहलाना शुरू किया और दूसरे हाथ से उसका लंड पकड़ लिया। उसका लंड अभी सोया हुआ था, लेकिन मेरा लंड? हाय, वो तो पहले से ही सिंगापुरी केला बन चुका था, और अब बस उसकी चिकनी गांड में घुसने को बेताब था।
पिंकू ने थोड़ा विरोध किया। उसने मुझे धक्का देने की कोशिश की, लेकिन मैंने उसे कसकर पकड़ रखा था। मैंने धीरे-धीरे उसके जीन्स का बटन खोला और ज़िप नीचे सरकाई। फिर मैंने अपना एक हाथ उसकी अंडरवियर के अंदर डाला और उसके लंड को मसलना शुरू किया। पहले तो उसका लंड नरम था, लेकिन मेरे हाथों की गर्मी से वो धीरे-धीरे खड़ा होने लगा। अब मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए। जब वो पूरी तरह नंगा हो गया, मैंने उसके बदन को गौर से देखा। यार, क्या मस्त जism था! एकदम मक्खन-सा चिकना, जैसे कोई मूर्ति हो। उसकी गांड इतनी गुलाबी और मुलायम थी कि मैं बता नहीं सकता। वो Katrina Kaif के गाल से भी ज़्यादा चिकनी थी। उसका गांड का छेद एकदम गुलाबी, जैसे अभी तक किसी ने छुआ ना हो।
मैंने भी फट से अपने सारे कपड़े उतार फेंके। मेरा लंड अब पूरी तरह बेकाबू हो चुका था। मैं फिर से पिंकू से चिपक गया। अब वो भी धीरे-धीरे गर्म होने लगा था। उसने मेरे बदन को कसकर पकड़ लिया और मेरे होंठों पर kiss करने लगा। मैंने भी जवाब में उसके पूरे बदन को चूमना शुरू किया। उसकी गर्दन, छाती, पेट—हर जगह मेरे होंठ घूम रहे थे। फिर मैंने उसे पलटने को कहा। पिंकू ने धीरे से पलटकर अपनी गांड ऊपर की। यार, क्या नज़ारा था! उसकी गांड इतनी मस्त थी कि मैं पागल हो गया। मैंने अपने मुँह से थोड़ा थूक निकाला और उसकी गांड के छेद पर लगाया। फिर मैंने अपना मोटा लंड उसके छेद पर रखा और धीरे-धीरे अंदर धकेलना शुरू किया।
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पिंकू का छेद बहुत टाइट था। लगता था उसने पहले कभी गांड नहीं मरवाई थी। मैंने थोड़ा ज़ोर लगाया, लेकिन वो चीख पड़ा, “मदरचोद! तूने तो मेरी गांड फाड़ दी!” मैंने हंसते हुए कहा, “अरे, अभी तो शुरूआत है!” मैंने फिर एक ज़ोर का झटका मारा, और मेरा लंड का सुपाड़ा उसकी गांड में घुस गया। वो फिर चीखा, “हाय! मेरी गांड!” लेकिन मैंने रुकने का नाम नहीं लिया। मैंने धीरे-धीरे अपना पूरा लंड उसकी गांड में घुसा दिया। पहले तो वो चिल्लाता रहा, लेकिन कुछ देर बाद वो शांत हो गया। अब मैं जोर-जोर से उसकी चुदाई करने लगा। “आह… ऊह…” उसकी सिसकारियां कमरे में गूंज रही थीं।
कुछ देर बाद मैंने देखा कि पिंकू भी अपनी गांड उछालने लगा। वो अब मज़े ले रहा था। मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी। “चटाक… चटाक…” मेरे लंड के धक्कों की आवाज़ पूरे कमरे में गूंज रही थी। मैंने कहा, “पिंकू, तेरी गांड तो जन्नत है!” उसने नशे में मुस्कुराते हुए कहा, “हां, और तेरा लंड तो कयामत है!” हम दोनों हंस पड़े, लेकिन चुदाई रुकी नहीं। मैंने उसे अलग-अलग पोज़िशन में चोदा—कभी उसे घोड़ी बनाकर, कभी उसे लिटाकर। हर धक्के के साथ उसकी सिसकारियां और तेज़ हो रही थीं, “आह… ऊह… और ज़ोर से!” मैं भी पूरा जोश में था।
शाम तक मैंने पिंकू की पांच बार चुदाई की। हर बार मैंने उसे अलग-अलग तरीके से चोदा। कभी मैंने उसे अपनी गोद में बिठाकर चोदा, तो कभी उसे दीवार के सहारे खड़ा करके। उसकी गांड अब इतनी खुल चुकी थी कि लगता था दिल्ली का कुतुब मीनार भी आराम से अंदर चला जाएगा। हा हा! पिंकू भी अब थक चुका था, लेकिन उसके चेहरे पर एक अजीब सी संतुष्टि थी। वो नशे में मुस्कुरा रहा था।
हम दोनों बिस्तर पर लेट गए, थके हुए लेकिन खुश। मैंने सोचा, ये तो बस शुरुआत है। अगली होली में और मज़ा करेंगे। तुम लोग बताओ, क्या आपको पिंकू की गांड की कहानी पसंद आई? अगली बार और क्या देखना चाहोगे?