अम्मी कुत्ते से चुदवाती है

Ammi Ki Kutte Ke Sath Chudai हेलो दोस्तों, आज मैं आपको अपनी अम्मी की एक ऐसी कहानी सुनाने जा रही हूँ, जो शायद आपने पहले कभी नहीं सुनी होगी। ये कहानी मेरी अम्मी सईदा की उनके प्यारे डोबरमैन कुत्ते जानू के साथ चुदाई की है। मैं आपको बताऊँगी कि कैसे अम्मी ने जानू के साथ चुदाई की, कैसे कुत्ते ने उनकी चूत को चाटा, कैसे उसने उनके चूतड़ों को चोदा, और कैसे वो दोनों एक-दूसरे में खो गए। मेरा नाम शाज़िया मिर्ज़ा है। मैं सैंतीस साल की एक तलाकशुदा औरत हूँ, जो अपने खुले ख्यालों और मॉडर्न सोच के लिए जानी जाती हूँ। मैं एक प्राइवेट बैंक में जनरल मैनेजर हूँ, और मेरी तनख्वाह इतनी अच्छी है कि मेरा लाइफ-स्टाइल काफी हाई-क्लास है। मेरा फिगर 34-28-36 है, और मैं अपनी फिटनेस का खास ख्याल रखती हूँ। मेरी स्किन गोरी और चमकदार है, और मैं हमेशा स्टाइलिश कपड़ों में रहती हूँ।

मैं नासिक में एम-कॉम कर रही थी, और फाइनल ईयर शुरू होने से पहले दो महीने की ट्रेनिंग के लिए मुम्बई आई थी। मेरी अम्मी सईदा, जो 47 साल की हैं, बेहद खूबसूरत और जिंदादिल औरत हैं। उनकी हाइट 5 फीट 5 इंच है, और उनका फिगर 36-30-38 इतना आकर्षक है कि कोई भी उनकी उम्र का अंदाज़ा नहीं लगा सकता। उनकी त्वचा गुलाबी-गोरी है, और उनके लंबे, घने बाल उनकी कमर तक लहराते हैं। वो हमेशा साड़ी या सलवार-कमीज़ में नज़र आती हैं, जो उनकी सेक्सी कर्व्स को और उभारती हैं। मैं उन्हें प्यार से ‘सईदा अम्मी’ बुलाती हूँ। उनके पास एक बड़ा सा काला डोबरमैन कुत्ता है, जिसका नाम जानू है। जानू की उम्र करीब चार साल है, और उसका काला, चमकदार कोट और मज़बूत बदन उसे और भी आकर्षक बनाता है। सईदा अम्मी उसे बहुत प्यार करती हैं और उसे ‘जानू’ कहकर पुचकारती हैं।

मैं ट्रेनिंग के लिए नरीमन पॉइंट जाती थी, इसलिए सुबह जल्दी निकल जाती और शाम को लौटती। घर आने के बाद मैं सईदा अम्मी के साथ किचन में खाना बनाने में मदद करती, जानू के साथ खेलती, और फिर हम सब टीवी देखते। उनका फ्लैट मुम्बई के पॉश इलाके में था, जिसमें तीन बेडरूम थे। मैं और सईदा अम्मी अलग-अलग कमरों में सोते थे। कुछ ही हफ्तों में मैं सईदा अम्मी के काफी करीब आ गई। वो बहुत खुले ख्यालों वाली थीं। हर रात खाने से पहले वो टीवी देखते हुए एक-दो पैग शराब पीतीं और मुझसे मेरे बॉयफ्रेंड्स या लव लाइफ के बारे में पूछतीं। वो अपनी जवानी के दिनों की इश्कबाज़ी और शादी से पहले गैर-मर्दों के साथ अपनी चुदाई की कहानियाँ भी बिना किसी हिचक के सुनातीं। उनकी बातों में एक अजीब सा खुलापन था, जो मुझे कभी-कभी हैरान करता, लेकिन उनकी बिंदास अदा मुझे पसंद थी।

एक शाम जब मैं ट्रेनिंग से लौटी, तो सईदा अम्मी ने बताया कि उन्हें एक पार्टी में जाना है और देर रात तक लौटेंगी। उन्होंने मुझे हिदायत दी कि मैं दरवाजा अच्छे से लॉक कर लूँ, खाना खाकर सो जाऊँ, और उनका इंतज़ार न करूँ। उनके पास फ्लैट की दूसरी चाबी थी, इसलिए मुझे उनकी चिंता करने की ज़रूरत नहीं थी। मैंने खाना खाया, जानू के साथ थोड़ा खेला, और फिर टीवी देखते-देखते सोफे पर ही सो गई। आधी रात को जब सईदा अम्मी लौटीं, तो उनकी आहट से मेरी नींद खुल गई। मैंने देखा कि वो काफी नशे में थीं। उनकी आँखें लाल थीं, और उनके कदम लड़खड़ा रहे थे। उन्होंने एक टाइट सलवार-कमीज़ पहनी थी, जो उनके जिस्म को पूरी तरह उभार रही थी। उनके पैरों में ऊँची पेंसिल हील के सैंडल थे, जो उनकी चाल को और भी सेक्सी बना रहे थे।

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“पार्टी में बहुत मज़ा आया, शाज़िया… आज थोड़ी ज़्यादा पी ली,” सईदा अम्मी ने मुस्कुराते हुए कहा, उनकी आवाज़ में नशे की मस्ती थी। “तू फिक्र न कर, जा कर सो जा… सुबह तुझे जल्दी जाना है ना? मैं थोड़ी देर टीवी देखूँगी। मेरी सहेली ने एक इंगलिश मूवी की कैसेट दी है।” मैंने उन्हें ड्राइंग रूम में छोड़कर अपने बेडरूम में चली गई और बिस्तर पर लेट गई। लेकिन करीब एक घंटे बाद, कुछ अजीब सी सिसकियों की आवाज़ ने मेरी नींद तोड़ दी। वो आवाज़ें ऐसी थीं, जैसे कोई मस्ती में कराह रहा हो। मैं 22 साल की थी, और भले ही मुझे चुदाई का कोई तजुर्बा नहीं था, लेकिन सेक्सी किताबों और ब्लू-फिल्मों की वजह से मैं उन सिसकियों का मतलब अच्छे से समझती थी।

मुझे हैरानी हुई कि सईदा अम्मी के साथ आखिर कोई मर्द कैसे हो सकता है। मैंने बिस्तर से उठकर धीरे से अपने कमरे का दरवाजा खोला और ड्राइंग रूम की ओर झाँका। जो नज़ारा मैंने देखा, उसने मेरे होश उड़ा दिए। सईदा अम्मी की सलवार-कमीज़ अब सोफे पर पड़ी थी। उनके जिस्म पर सिर्फ एक काली ब्रा थी, जो उनके भारी, गोरे मम्मों को मुश्किल से ढक रही थी, और उनके पैरों में वही ऊँची पेंसिल हील के सैंडल थे। लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात ये थी कि सईदा अम्मी फर्श पर अपने हाथों और घुटनों के बल झुकी हुई थीं, और उनका डोबरमैन कुत्ता जानू उनकी कमर पर चढ़ा हुआ था। उसने अपनी अगली टाँगें सईदा अम्मी की कमर के दोनों तरफ जकड़ रखी थीं और धीरे-धीरे अपने कुल्हों को हिलाकर उनके चूतड़ों पर झटके मार रहा था।

सईदा अम्मी की आँखें बंद थीं, और उनके चेहरे पर मस्ती और दर्द का मिश्रित भाव था। वो हल्के-हल्के सिसक रही थीं, और उनकी साँसें भारी थीं। जानू का मज़बूत, काला बदन उनकी गोरी पीठ पर पूरी तरह झुका हुआ था, और उसके कुल्हे एक लय में आगे-पीछे हो रहे थे। मैं दो मिनट तक अवाक् खड़ी रही, मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं। साफ था कि सईदा अम्मी जानू के लंड से अपनी चूत चुदवा रही थीं और पूरी तरह मस्ती में डूबी हुई थीं। उनके चूतड़ों पर हर झटके के साथ जानू का लंड और गहरा धंस रहा था, और सईदा अम्मी की सिसकियाँ तेज हो रही थीं।

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अचानक जानू ने एक ज़ोरदार झटका मारा और सईदा अम्मी की कमर पर और आगे झुक गया। उसकी रफ्तार अचानक इतनी तेज हो गई कि उसके पिछले पैर ज़मीन पर फिसलने लगे। “आआह…! ऊँह…! आआऊऽऽ!” सईदा अम्मी ज़ोर से कराहने लगीं। उन्होंने अपना एक हाथ नीचे ले जाकर अपनी चूत को सहलाना शुरू किया। “ओहह…! नहींऽऽ! आआह…! मर गईऽऽ!” उनकी आवाज़ में दर्द और मस्ती दोनों थे। मैंने देखा कि उनकी मुट्ठियाँ फर्श पर जकड़ रही थीं, और उनका चेहरा दर्द से सिकुड़ गया था। “मादरचोद जानू…! तूने फिर से अपनी गाँठ मेरी चूत में ठूँस दी!” सईदा अम्मी ने कराहते हुए कहा। वो थोड़ा सा आगे खिसकीं, लेकिन जानू उनके साथ चिपका हुआ था। उसका लंड उनकी चूत में फंस गया था, जैसे कुत्ते और कुत्तिया अक्सर चुदाई के बाद जुड़ जाते हैं।

मैं अब साफ देख पा रही थी कि जानू के लंड की जड़ में एक मोटी, फूली हुई गाँठ थी, जो सईदा अम्मी की चूत में पूरी तरह फंस गई थी। उनकी चूत उस गाँठ को जकड़े हुए थी, और दोनों एक-दूसरे से चिपके हुए थे। सईदा अम्मी ने जूझना बंद कर दिया और अपनी गाँड को और ऊपर उठाकर अपना सिर फर्श पर टिका दिया। “ऊँह…! जानू…!” वो कराह रही थीं, लेकिन अब उनकी आवाज़ में दर्द कम और मज़ा ज़्यादा था। जानू अब छोटे-छोटे, तेज झटके मार रहा था। उसके कुल्हे काँप रहे थे, और उसकी आँखें सामने की ओर टिकी हुई थीं। सईदा अम्मी की सिसकियाँ अब मस्ती भरी थीं। वो पूरी तरह उस चुदाई में खो चुकी थीं।

मुझे नहीं पता कब मेरी नाइटी ऊपर उठ गई और मेरा हाथ मेरी पैंटी के अंदर चला गया। मैं अपनी चूत को सहलाने लगी, और मेरी साँसें तेज हो गईं। सईदा अम्मी के ऊपर झुका हुआ जानू अचानक रुक गया। उसका बदन कस गया, और वो हल्के-हल्के काँपने लगा। सईदा अम्मी की चूत में उसका लंड अभी भी फंसा हुआ था। “नहीं जानू…! रुक…! प्लीज़!” सईदा अम्मी ने उसे टोका। जानू ने उनकी बात मानी और बिना हिले-डुले उनकी कमर पर चढ़ा रहा। वो हाँफ रहा था, और उसकी जीभ बाहर लटक रही थी। “मेरा प्यारा जानू…! बस ऐसे ही रुके रहो,” सईदा अम्मी ने प्यार से कहा। वो धीरे-धीरे खिसकने लगीं ताकि उनकी चूत में फंसी गाँठ पर ज़्यादा खिंचाव न पड़े।

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फिर सईदा अम्मी ने अपना दाहिना हाथ अपनी टाँगों के बीच ले जाकर अपनी चूत को सहलाना शुरू किया। वो धीरे-धीरे अपनी उंगलियों से अपनी चूत को रगड़ रही थीं, और उनकी सिसकियाँ फिर से तेज हो गईं। “आह…! ऊँह…! जानू…!” वो मस्ती में बुदबुदा रही थीं। मैं भी अपनी चूत को ज़ोर-ज़ोर से रगड़ रही थी। ये नज़ारा इतना चोदू था कि मैं खुद को रोक नहीं पा रही थी। अचानक जानू ने फिर से अपने कुल्हे हिलाने शुरू कर दिए। शायद सईदा अम्मी की चूत के सहलाने से उसका लंड फिर से उकस गया था। “नहीं जानू…! अब नहीं…!” सईदा अम्मी ने चीखते हुए कहा, लेकिन उनकी आवाज़ में मस्ती थी। वो खुद झड़ने के करीब थीं।

जानू ने ज़ोर-ज़ोर से अपनी कमर हिलानी शुरू की, और उसका लंड सईदा अम्मी की चूत में तेजी से आगे-पीछे होने लगा। “आआह…! ऊँह…! आआआईईईऽऽ!” सईदा अम्मी की चूत में झड़ने की लहरें शुरू हो गईं। वो अपने चूतड़ों को हिलाते हुए अपनी चूत को और ज़ोर से रगड़ने लगीं। उनका जिस्म लरज़ रहा था, और उनका एक हाथ अब भी फर्श पर टिका हुआ था। “ऊँह…! आआह…! जानू…! तूने मेरी चूत फाड़ दी!” वो चीख रही थीं। उनकी चूत में झड़ने की आखिरी लहरें दौड़ रही थीं, और वो पूरी तरह मस्ती में डूब गई थीं।

जानू भी फिर से झड़ने लगा। इस बार वो रिरियाते हुए झटके मार रहा था। “ओहह जानू…! तूने फिर से मेरी चूत भरी!” सईदा अम्मी सिसकते हुए बोलीं। उनका जिस्म काँप रहा था, और उनकी साँसें फूल रही थीं। जानू का गरम शीरा उनकी चूत में बह रहा था, और दोनों अपनी-अपनी मस्ती में डूबे हुए थे। कई हल्के-हल्के झटकों के बाद जानू रुक गया और सईदा अम्मी की पीठ पर निढाल हो गया। “मादरचोद जानू…! तूने मेरी चूत दर्द कर दी!” सईदा अम्मी ने हँसते हुए कहा, लेकिन उनकी आवाज़ में प्यार था। “बस अब रुके रहो, मेरा अच्छा बच्चा।” जानू उनकी पीठ पर चिपका हुआ था, और उसका लंड अभी भी उनकी चूत में फंसा हुआ था। सईदा अम्मी ने अपना सिर फर्श पर टिका दिया, लेकिन अपनी गाँड को ऊपर उठाए रखा ताकि जानू का लंड उनकी चूत में कायम रहे।

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