Indian bhabhi xxx mazdoor se choot chudai दोस्तो, मैं सोनम, अब 28 साल की, 34-32-36 के कातिलाना फिगर वाली, शादीशुदा भाभी, फिर से अपनी चुदाई की कहानी लेकर हाज़िर हूं। मेरे भरे-भरे चूचे, पतली कमर और उभरी हुई गांड किसी का भी लंड खड़ा कर सकती हैं।
कहानी का पिछला भाग: बॉयफ्रेंड के नौकर से चुदवाया
मेरे पति लोकेश, 32 साल के, एक कंपनी में जॉब करते हैं, लेकिन वो रमेश जैसे खुले दिमाग के नहीं हैं। रमेश, मेरा पुराना बॉयफ्रेंड, 29 साल का, 7 इंच के मोटे लंड वाला मर्द था, जो मुझे दूसरों से चुदवाने में मजे लेता था। वो मेरी चुदास को समझता था और मुझे बाबाओं और उसके कर्मचारी भोला से चुदवाकर अपनी ककिंग की फैंटेसी पूरी करता था। लेकिन लोकेश एकदम सीधे-सादे हैं। उन्हें चुदाई में ज्यादा रुचि नहीं, और ककिंग या ग्रुप सेक्स जैसी बातें उनके लिए पाप हैं। मुझे रमेश के साथ वो जंगली मस्ती याद आती थी, जब वो मुझे दूसरों के सामने नंगी करवाता था और मेरी चूत को तड़पने देता था। लोकेश के साथ ये सब मिस करती थी।
मेरी पिछली कहानी में आपने पढ़ा था कि कैसे मैंने रमेश के कर्मचारी भोला का 8 इंच का मोटा लंड लिया। अब ये कहानी उस मजदूर की है, जिसके घोड़े जैसे लंड ने मेरी चूत की आग बुझाई। उम्मीद है, ये इंडियन भाभी XXX चुदाई कहानी आपको उतना ही मजा देगी।
लोकेश का ट्रांसफर एक नई जगह पर हुआ था। वहां हमें कंपनी का क्वार्टर मिला, जो तीन मंजिला बिल्डिंग के सबसे नीचे था। मैं वहां नई थी, और पड़ोस की औरतें ज्यादा बातचीत नहीं करती थीं। मैं ज्यादातर समय घर पर नाइटी में रहती थी। मेरा फिगर 34-32-36 का है, और नाइटी में मेरे चूचे और गांड गजब ढा रहे थे। लोकेश सुबह जल्दी निकल जाते और रात को लौटते। उनकी थकान और सीधा स्वभाव मेरी चुदास को और भड़काता था। मुझे रमेश की वो हरकतें याद आती थीं, जब वो मुझे जंगल में बाबाओं से चुदवाता था और छुपकर मेरी चुदाई देखता था।
एक दिन मैंने सुना कि बिल्डिंग में मेंटेनेंस का काम चल रहा है। हमारी बिल्डिंग के पीछे और आगे भी बिल्डिंग थीं, और काम पीछे वाली बिल्डिंग से शुरू हुआ था। हमारे बेडरूम की खिड़की से बाहर का सब दिखता था। मैंने सोचा, मजदूरों को देखकर टाइम पास हो जाएगा। मैंने खिड़की पर पर्दा डालकर रखा, लेकिन उसे हल्का सा हटाकर बाहर देखने लगी। रूम की लाइट बंद रखती थी, ताकि बाहर से कोई अंदर न देख सके।
पहला दिन ऐसे ही निकल गया। अगले दिन सुबह 10 बजे एक 55 साल के आसपास का मजदूर आया। उसका नाम रामू था। वो लंबा, गठीला, और धोती पहने था। वो खिड़की के पास आया और धोती उठाकर पेशाब करने लगा। मैंने चोरी-चोरी देखा। उसका लंड करीब 8 इंच का, मोटा और काला, किसी घोड़े के लंड जैसा था। मेरी आंखें चमक उठीं। मेरी चूत में आग लग गयी। मैंने नाइटी में हाथ डालकर चूत रगड़नी शुरू की। “आह्ह… कितना मोटा लंड है…” मैं मन ही मन सोच रही थी। रमेश होता तो शायद मुझे रामू से चुदवाने का इंतजाम कर देता, लेकिन लोकेश को ये सब पसंद नहीं।
वो पेशाब करके थोड़ी दूर पर खुदाई करने लगा। मैं उसे देखते हुए चूत में उंगली डालने लगी। मेरी चूत गीली थी। थोड़ी देर में मैं झड़ गयी और बेड पर लेट गयी। फिर मैं नहाकर आयी। शाम 6:30 बजे वो काम खत्म करके चला गया। मैं रसोई में खाना बनाने चली गयी। रात को लोकेश आए। मेरे जिस्म में चुदाई की आग भड़क रही थी। मैंने उनके गले लगकर उन्हें सहलाया, लेकिन वो बोले, “सोनम, मैं थक गया हूं। बाद में करेंगे।” वो मूंह फेरकर सो गए। मैं सारी रात रामू के लंड के बारे में सोचती रही। मुझे रमेश की वो मस्ती याद आ रही थी, जब वो मुझे भोला के सामने चुदाई का खेल दिखवाता था।
अगली सुबह मैंने लोकेश को नाश्ता और टिफिन देकर विदा किया। मैंने जल्दी से नहाया और चूत के बाल साफ किए। मैं रामू के लंड को फिर देखने के लिए बेताब थी। मैंने एक टाइट स्पैगेटी पहनी, जो बिना बाजू की थी और इतनी छोटी कि झुकते ही मेरी गांड दिख जाए। मैंने ब्रा नहीं पहनी, सिर्फ काली पैंटी थी। मैं खिड़की के पास बैठकर रामू का इंतजार करने लगी।
10 बजे वो आया। उसे देखते ही मेरी चूत में खुजली होने लगी। मैंने पर्दा हटाया और रूम की लाइट ऑन कर दी। मैंने फोन का कैमरा ऑन करके खिड़की के पास रखा। मैं बेड पर चादर ठीक करने का नाटक करने लगी और गाना गुनगुनाने लगी। फिर डी स्टाइल में झुकी, ताकि मेरी पैंटी और गांड दिखे। मेरी स्पैगेटी ऊपर उठ गयी थी। 15 मिनट बाद मैं सीधी हुई और इधर-उधर देखने का नाटक किया। रामू खिड़की के पास खड़ा था।
मैं थोड़ी देर बाद लौटी तो वो सामने काम कर रहा था। मैंने फोन उठाकर वीडियो देखा। जब मैं झुकी थी, वो मेरी गांड देखकर लंड सहला रहा था। उसका लंड धोती में तनकर फौलाद जैसा दिख रहा था। मैं वीडियो देखते हुए चूत रगड़ने लगी और झड़ गयी। अगले दिन मैंने फिर वही स्पैगेटी पहनी। रामू आया और खिड़की से बोला, “मैडम जी, पानी मिलेगा?” मैंने कहा, “हां, अंदर आ जाओ।”
वो अंदर आया। मैंने उसे सोफे पर बिठाया और पानी की बोतल और गिलास दिया। फिर उसके सामने झुककर फर्श साफ करने का नाटक करने लगी। मेरे चूचे बिना ब्रा के हिल रहे थे। मैंने देखा कि उसका लंड धोती में तन गया था। वो उसे दबा रहा था। तभी मैंने मोच का नाटक किया और चीख पड़ी, “आह्ह…” उसने पूछा, “क्या हुआ, मालकिन?” मैंने कहा, “पैर में मोच आ गयी।” वो बोला, “आप आराम करो, मैं जाता हूं।” मैंने कहा, “नहीं, रुक। मेरे पैर में बाम लगा दे।”
उसने मुझे सहारा दिया, लेकिन मैंने नाटक किया कि चल नहीं पा रही। उसने मुझे गोद में उठा लिया। उसकी ताकत से मैं दंग थी। वो मुझे बेडरूम में ले गया और बेड पर लिटा दिया। मैंने बाम की ओर इशारा किया। वो बाम लेकर आया। मैंने कहा, “मेरे पैर में लगा।” मैं उल्टी लेट गयी। उसने मेरे पैरों में बाम मलना शुरू किया। मैंने कहा, “थोड़ा ऊपर तक लगा।” वो मेरी जांघों तक आ गया। उसका हाथ मेरी जांघों पर फिसल रहा था।
मैं सीधी हो गयी और आंखें बंद कर लीं। चोरी-चोरी देखा कि उसका लंड धोती में फौलाद जैसा तन गया था। वो मेरी जांघों पर बाम मलते हुए पैंटी तक पहुंच गया। उसने मेरी चूत पर हल्के से हाथ फेरा। “आह्ह…” मेरे मुंह से सिसकारी निकल गयी। वो समझ गया। उसने मेरी स्पैगेटी में हाथ डाला और चूचों को मसलने लगा। मैंने उसकी धोती के ऊपर से लंड सहलाया। उसने मेरी स्पैगेटी उतार दी और बोला, “तू तो गजब का माल है।” मैं हंसकर बोली, “तो मजे लूट ले।”
वो मेरे होंठों को चूसने लगा। मैंने उसे जकड़ लिया। वो मेरे चूचों को जोर-जोर से मसलने लगा। “आह्ह… हल्के से…” मैंने कहा, लेकिन वो नहीं माना। उसने मेरे निप्पल्स को चूसना शुरू किया। “आह्ह… और चूसो…” मैं सिसकार रही थी। मैंने अपने चूचे पकड़कर उसे चुसवाए। फिर उसने मेरी पैंटी उतार दी और चूत को चाटने लगा। “आह्ह… और चाटो… मेरी चूत खा जाओ…” मैं चिल्ला रही थी।
फिर वो उठा और अपना 8 इंच का लंड मेरे मुंह के सामने कर दिया। मैंने उसे मुंह में लिया। उसका सुपारा बमुश्किल समा रहा था। उसने मेरे मुंह में धक्के मारने शुरू किए। “गुउउ…” मेरे मुंह से आवाजें निकल रही थीं। फिर उसने मेरी टांगें खोलीं और लंड चूत पर रगड़ने लगा। उसने एक जोरदार धक्का मारा, और लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर गया। “आह्ह… मर गयी…” मैं चीख पड़ी। मेरी चूत जैसे फट गयी थी।
लोकेश ने मुझे 20 दिन से नहीं चोदा था। रामू का लंड कॉर्क की तरह फंस गया। उसने मेरे मुंह पर हाथ रखा और हल्के-हल्के धक्के मारने लगा। मैं दर्द से कांप रही थी। कुछ देर बाद दर्द कम हुआ। मैंने नीचे देखा, अभी भी आधा लंड बाहर था। मैंने कहा, “बस, और मत डाल…” लेकिन उसने एक तेज़ धक्का मारकर पूरा लंड पेल दिया। “आह्ह… उई… मर गयी…” मैं चिल्ला रही थी। उसने मेरे होंठ चूसना शुरू किया।
थोड़ी देर बाद मुझे मजा आने लगा। “आह्ह… और चोदो… मेरी चूत फाड़ दो…” मैं सिसकार रही थी। वो सांड की तरह चूत को रौंद रहा था। आधे घंटे तक उसने मुझे चोदा और चूत में ही झड़ गया। मैं दो बार झड़ चुकी थी। हमने थोड़ा आराम किया। फिर उसने मुझे घोड़ी बनाया और चोदना शुरू किया। वो बोला, “तेरी गांड मारना चाहता हूं।” मैंने कहा, “तेरा लंड चूत में ही दर्द दे रहा है। गांड तो गड्डा बन जाएगी।” उसने कहा, “आज रात अपनी गांड में तेल लगाकर पतली बोतल डालकर रख। कल मैं तेरी गांड मारूंगा।” मैंने हां कहा।
उसने फिर मुझे दो बार और चोदा। वो बोला, “तेरे पति का लंड बेकार है।” मैं हंस दी। चुदाई के बाद उसने कहा, “मेरा लंड चूसकर साफ कर।” मैंने उसके लंड को चाटकर साफ किया। उसका और मेरा मिश्रित रस चाटने में मजा आया। उसने बीड़ी जलाई, कपड़े पहने और मैंने उसे कुछ पैसे दिए। वो मुझे चूमकर चला गया। मैंने नहाकर चूत में उंगली डाली और उसका माल निकालकर चाटा।
अगली कहानी में बताऊंगी कि कैसे रामू और उसके दोस्त ने मेरी चूत और गांड एक साथ चोदी। मेरी इंडियन भाभी XXX चुदाई कहानी कैसी लगी? अपने कमेंट्स और मैसेज में जरूर बताएं।
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