भैया ने बाजी मार ली

Bhaiya ne choda sex story – मैं शहर की एक घनी बस्ती में रहती हूँ, जहाँ चारों तरफ छोटी-बड़ी दुकानों की भीड़ है। मकान इतने सटे हुए हैं कि खिड़की खोलो तो पड़ोसी का चेहरा सामने दिख जाए। मेरा नाम काजल है, उम्र 21 साल, कॉलेज में पढ़ती हूँ, और गोरी-चिट्टी, मध्यम कद-काठी की लड़की हूँ। मेरे बाल लंबे और घने हैं, जो अक्सर लोग तारीफ करते हैं। मेरे घर में मम्मी-पापा और मेरा छोटा भाई राहुल है, जो 19 साल का है। राहुल लंबा, पतला, और थोड़ा शरारती है, लेकिन उसकी हँसी में एक अजीब-सी मासूमियत है।

जब मैंने कॉलेज की पढ़ाई के लिए घर के ऊपर वाले कमरे में शिफ्ट किया, तो मेरी नजर सामने वाले मकान की खिड़की पर पड़ी। वो खिड़की हमेशा खुली रहती थी, और मुझे लगा कि कोई मुझे देख सकता है। मैंने फौरन अपनी खिड़की पर हल्का नीला पर्दा लगा लिया, ताकि कोई झाँक न सके। लेकिन कुछ ही दिनों में मुझे पता चला कि उस कमरे में मनोज रहता है। मनोज, मेरा कॉलेजमेट, 22 साल का, लंबा, गोरा, और थोड़ा सा शर्मीला-सा दिखने वाला लड़का। उसकी आँखों में एक चमक थी, जो मुझे हमेशा थोड़ा बेचैन कर देती थी। शायद उसने हाल ही में वो कमरा किराए पर लिया था।

मैं रात को देर तक पढ़ाई करती थी, और मनोज भी अपनी खिड़की के पास बैठकर किताबें खोलता था। कभी-कभी मैं चुपके से पर्दे के पीछे से उसे देख लेती थी। उसकी टेबल पर एक छोटा-सा लैंप जलता था, और वो ध्यान से किताब में डूबा रहता था। एक रात, अचानक हमारी नजरें टकरा गईं। मेरे दिल की धड़कन थोड़ी तेज हो गई, और मैंने जल्दी से पर्दा खींच लिया। लेकिन उसने हल्की-सी मुस्कान दी, और मुझे लगा कि वो भी मुझे देख रहा था।

धीरे-धीरे ये सिलसिला बढ़ने लगा। हम दोनों चुपके-चुपके एक-दूसरे को देखते, और कभी-कभी वो खिड़की पर आकर खड़ा हो जाता। एक बार तो उसने मुझे देखकर हाथ हिलाया, जैसे कोई पुराना दोस्त हो। मैंने भी हल्के से मुस्कुरा दिया, और फिर ये रोज की बात हो गई। मैं भी अब खिड़की पर ज्यादा वक्त बिताने लगी थी। एक रात, जब मैं पर्दे के पीछे से उसे देख रही थी, उसने मुझे इशारा किया और एक कागज में कुछ लिखकर पत्थर में लपेटकर मेरी खिड़की की तरफ फेंक दिया। मेरा दिल जोर से धड़का। मैंने कागज खोला तो उसमें सिर्फ लिखा था, “हाय स्वीटी, गुड लक फॉर एग्जाम!”

मैंने उस कागज को फाड़कर नीचे फेंक दिया, लेकिन मन ही मन मुस्कुरा रही थी। कुछ दिनों बाद, मैंने भी हिम्मत करके एक छोटा-सा नोट लिखा और उसकी खिड़की की तरफ फेंका। बस, यहीं से हमारे बीच चिट्ठियों का खेल शुरू हो गया। पहले तो सिर्फ शुभकामनाएँ और छोटी-मोटी बातें होती थीं, लेकिन धीरे-धीरे बातें खुलने लगीं। एक दिन उसने लिखा, “स्वीटी, बस एक फ्लाइंग किस दे दो!” मैंने शरारत में खिड़की से उसे फ्लाइंग किस दे दी, और वो हँसते हुए ताली बजा उठा।

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अब हमारी चिट्ठियाँ और इशारे ज्यादा बोल्ड होने लगे। एक रात उसने लिखा, “मुझे तुम्हारी चूचियाँ देखनी हैं। प्लीज, बस एक बार!” मैं शरमा गई, लेकिन बदन में एक अजीब-सी सनसनी दौड़ गई। मैंने पर्दे के पीछे से अपनी टी-शर्ट थोड़ी ऊपर उठाई और उसे एक झलक दिखा दी। मेरे स्तन, जो 34C के थे, हल्के से उछल पड़े। उसकी आँखें चमक उठीं। अगले दिन मैंने जवाब में लिखा, “अब तुम्हारी बारी, क्या दिखाओगे?” उसने बिना देर किए अपना पजामा नीचे खींचा और अपना खड़ा हुआ लंड दिखाया। उसका लंड मोटा और लंबा था, शायद 7 इंच का, और उसका लाल सुपाड़ा चमक रहा था। मेरे बदन में गर्मी सी दौड़ गई, और मैंने खुद को रोकते हुए पर्दा बंद कर लिया।

अब ये हमारा रोज का खेल बन गया। कभी मैं उसे अपनी चूचियाँ दिखाती, कभी वो मुझे अपना लंड। हम दोनों को ये शरारत भा रही थी। लेकिन मुझे नहीं पता था कि मेरी ये हरकतें कोई और भी देख रहा था। मेरा छोटा भाई राहुल, जो हमेशा चुपके-चुपके मेरे कमरे में आता-जाता था, मेरे फेंके हुए कागज उठाकर जोड़ लेता था। वो हमारी सारी चिट्ठियाँ पढ़ चुका था, और मेरे और मनोज के बीच चल रहे इस खेल को जान गया था।

एक रात, मैंने मनोज को चिट्ठी फेंकी, लेकिन वो खिड़की से टकराकर नीचे गिर गई। मैं घबराकर नीचे दौड़ी, लेकिन वो कागज मुझे नहीं मिला। मैंने सोचा सुबह ढूँढ लूँगी और वापस कमरे में आ गई। लेकिन जैसे ही मैं कमरे में दाखिल हुई, राहुल वहाँ खड़ा था। उसके हाथ में वही चिट्ठी थी, और उसकी मुस्कान में एक शरारत थी। “ये ढूँढ रही थी, दीदी?” उसने पूछा।

मेरा चेहरा लाल हो गया। “राहुल, प्लीज, ये वापस दे दे। और किसी को मत बताना!” मैंने लगभग गिड़गिड़ाते हुए कहा।

राहुल ने हल्के से हँसते हुए कहा, “बताऊँगा तो नहीं, लेकिन एक शर्त है। जो मैं कहूँ, वो करना पड़ेगा।”

मैंने घबराते हुए पूछा, “क्या?”

वो बिस्तर पर बैठ गया और मुझे अपने पास बुलाया। “बस, अपनी टी-शर्ट थोड़ी ऊपर कर दे।”

मैं सन्न रह गई। “क्या? राहुल, मैं तेरी बहन हूँ!”

“तो क्या? मनोज को तो दिखा रही थी ना? अगर पापा को पता चला तो?” उसने धमकी दी।

मेरे पास कोई चारा नहीं था। मैंने आँखें बंद कीं और धीरे से अपनी टी-शर्ट ऊपर उठाई। मेरे 34C के स्तन बाहर आ गए, और मेरे निप्पल्स सख्त हो चुके थे। राहुल की आँखें चमक उठीं। उसने फौरन मेरे एक स्तन को पकड़ लिया और धीरे से दबाया। “हाय रे, दीदी, कितने सॉफ्ट हैं!”

“राहुल, मत कर…” मैंने कहा, लेकिन मेरे शरीर में एक अजीब-सी गर्मी दौड़ रही थी। मेरी चूत में हल्की-सी गीलापन महसूस होने लगा था।

“अब स्कर्ट ऊपर कर,” उसने कहा, उसकी आवाज में एक अजीब-सी उत्सुकता थी।

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“राहुल, ये गलत है… मैं नंगी हो जाऊँगी!” मैंने विरोध किया, लेकिन मेरी आवाज कमजोर थी।

“वही तो देखना है। मनोज को तो खूब दिखाती है!” उसने ताना मारा।

मैं अब पूरी तरह वासना में बह चुकी थी। मेरे शरीर में सनसनी थी, और मैंने धीरे से अपनी स्कर्ट ऊपर उठाई। मैंने उस रात पैंटी नहीं पहनी थी, क्योंकि मैं मनोज को अपनी चूत दिखाने वाली थी। मेरी गुलाबी चूत, जो हल्के बालों से ढकी थी, अब राहुल के सामने थी। उसकी साँसें तेज हो गईं।

“दीदी, तूने तो पैंटी भी नहीं पहनी!” उसने हैरानी से कहा।

“अरे, अभी मनोज को दिखाने वाली थी…” मैंने शरमाते हुए कहा।

“तो अब ये ले!” ये कहकर राहुल ने मुझे बिस्तर पर धकेल दिया और मेरे ऊपर चढ़ गया। उसका शरीर गर्म था, और उसकी साँसें मेरे चेहरे पर पड़ रही थीं। उसने अपने चूतड़ हिलाने शुरू किए, जैसे कुत्ते की तरह मेरे ऊपर रगड़ रहा हो।

“राहुल, ये क्या कर रहा है? मुझे चोदेगा?” मैंने घबराते हुए पूछा, लेकिन मेरी चूत अब पूरी तरह गीली हो चुकी थी।

“पहले मेरी बारी है, दीदी। फिर मनोज को बुला लेंगे। तू मेरी बहन है, पहले मेरा हक है!” उसने कहा और अपना पजामा नीचे खींच दिया। उसका लंड बाहर आया, करीब 6 इंच का, मोटा और सख्त, जिसका सुपाड़ा लाल और चमकदार था।

“हाय रे, ये क्या है!” मैंने चौंकते हुए कहा, लेकिन मेरी आँखें उस पर टिकी थीं।

“छू ले इसे,” उसने कहा।

मैंने हिचकते हुए उसका लंड पकड़ लिया। वो गर्म और सख्त था, और जैसे ही मैंने उसे दबाया, राहुल की सिसकारी निकल गई, “उह्ह… दीदी, मज़ा आ गया!”

“राहुल, ये गलत है…” मैंने कहा, लेकिन मेरी उंगलियाँ अब उसके लंड को सहला रही थीं। मैंने उसका सुपाड़ा धीरे-से मसला, और वो और सख्त हो गया।

“अब तू दिखा, दीदी!” उसने कहा।

मैंने अपनी स्कर्ट पूरी तरह ऊपर कर दी, और मेरी चूत अब पूरी तरह खुली थी। राहुल की नजरें मेरी चूत पर टिक गईं। उसने धीरे से अपनी उंगली मेरी चूत के होंठों पर फिराई, और मैं सिहर उठी। “हाय… राहुल… मत कर…” मैंने कहा, लेकिन मेरी आवाज में अब विरोध नहीं, बल्कि एक अजीब-सी मस्ती थी।

उसने अपनी उंगली मेरी चूत के अंदर डाल दी, और मैंने एक लंबी सिसकारी भरी, “आह्ह…” मेरी चूत अब रस से लबालब थी। उसने अपनी उंगली अंदर-बाहर की, और मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं, “उह्ह… हाय… राहुल…”

“दीदी, तू तो पूरी गीली है!” उसने कहा और अपनी जीभ मेरी चूत पर रख दी। उसकी गर्म जीभ मेरी चूत के दाने को चाटने लगी, और मैं पागल-सी हो गई। “आह्ह… राहुल… ये क्या कर रहा है… हाय…!” मैंने अपने चूतड़ उछालने शुरू कर दिए।

“अब ले, दीदी!” उसने कहा और अपना लंड मेरी चूत के मुँह पर रख दिया। उसने धीरे से धक्का मारा, और उसका लंड मेरी चूत में फिसल गया। “आह्ह… उह्ह…” मैंने सिसकारी भरी। उसका लंड मेरी चूत को पूरा भर रहा था, और हर धक्के के साथ मेरे बदन में बिजली-सी दौड़ रही थी।

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“राहुल… धीरे… आह्ह… मज़ा आ रहा है…” मैंने कहा, और मेरे चूतड़ अब उसके धक्कों के साथ ताल मिलाने लगे। “थप… थप… थप…” हमारे जिस्मों के टकराने की आवाज कमरे में गूँज रही थी।

“दीदी, तेरी चूत कितनी टाइट है… उह्ह… मज़ा आ रहा है!” उसने कहा और अपने धक्के तेज कर दिए। मैंने अपने पैर और चौड़े कर दिए, ताकि उसका लंड और गहराई तक जाए। “आह्ह… हाय… चोद ना… और जोर से!” मैंने चिल्लाते हुए कहा।

राहुल अब पूरी ताकत से मुझे चोद रहा था। उसका लंड मेरी चूत के अंदर-बाहर हो रहा था, और हर धक्के के साथ मेरी सिसकारियाँ बढ़ रही थीं, “आह्ह… उह्ह… हाय रे…!” मेरी चूत अब रस छोड़ने वाली थी। मैंने अपनी कमर को और उछाला, और राहुल के धक्कों के साथ ताल मिलाने लगी। “राहुल… हाय… मैं झड़ने वाली हूँ…!”

उसने अपने धक्के और तेज कर दिए, और मेरी चूत ने रस छोड़ दिया। “आह्ह…!” मैंने एक लंबी सिसकारी भरी, और मेरा शरीर काँपने लगा। उसी वक्त राहुल ने अपना लंड बाहर निकाला और मेरे पेट पर अपनी पिचकारी छोड़ दी। उसका गर्म वीर्य मेरे पेट और स्तनों पर गिरा, और मेरी टी-शर्ट पूरी तरह गीली हो गई।

“हाय रे, दीदी… तू तो मस्त है!” राहुल हाँफते हुए बोला।

मैं भी झड़कर शांत पड़ी थी, लेकिन मेरे बदन में अभी भी एक हल्की-सी गर्मी थी। मैंने उसकी तरफ देखा और मुस्कुराई। “राहुल, ये गलत था… लेकिन मज़ा आया।”

वो हँसते हुए बोला, “अब तो रोज चोदूंगा तुझे, दीदी। तू तो मस्त माल है!”

मैंने हल्के से उसे धक्का मारा और कहा, “चल हट! लेकिन मनोज को भी बुला देना। दोनों मिलकर मज़ा करेंगे।”

राहुल कुछ देर तक मेरे पास लेटा रहा, और हम दोनों हँसते-बातें करते रहे। फिर वो उठने लगा। “अच्छा, दीदी, अब जाता हूँ। रात बहुत हो गई है।”

मैंने उसका हाथ पकड़ लिया। “अरे, रुक ना… एक बार और करें?”

राहुल की आँखें चमक उठीं। वो फिर से मेरे बिस्तर पर आ गया, और उसका लंड एक बार फिर मेरी चूत के दरवाजे पर था। “थप… थप…” की आवाज फिर से कमरे में गूँज उठी, और हमारी सिसकारियाँ रात की खामोशी को चीरने लगीं।

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