मेरा नाम राजू है। मैं 20 साल का हूँ, कॉलेज में पढ़ता हूँ, और कोलकाता में रहता हूँ। मेरी रौशनी दीदी, जो मेरे फूफा की बेटी हैं, 22 साल की हैं। दीदी का रंग गोरा है, उनकी आँखें बड़ी-बड़ी और भूरी हैं, और उनका फिगर इतना आकर्षक है कि किसी का भी ध्यान खींच ले। लंबे काले बाल, पतली कमर, और भरे हुए स्तन, जो उनकी टाइट कुर्ती में और भी उभरकर दिखते थे। मैंने कभी दीदी को गलत नजरों से नहीं देखा था, लेकिन उनकी खूबसूरती हमेशा मेरे मन में एक अलग सा एहसास जगाती थी। मेरे फूफा, जो एक बिजनेसमैन हैं, उस वक्त बिजनेस के सिलसिले में शहर से बाहर गए थे। घर में सिर्फ मैं, दीदी, और फूफी थे। फूफी, जो करीब 45 साल की थीं, हमेशा थोड़ी सख्त मिजाज की थीं, लेकिन दीदी के साथ मेरी अच्छी बनती थी।
बात उस गर्मी की रात की है, जब कोलकाता की उमस भरी गर्मी ने सबको परेशान कर रखा था। रात का खाना खाने के बाद हम सब एक ही पलंग पर सोने चले गए। जगह की कमी की वजह से दीदी बीच में लेटी थीं, फूफी उनके बगल में, और मैं सबसे किनारे। दीदी ने उस रात हल्की सी पतली नाइटी पहनी थी, जो गर्मी की वजह से शायद थोड़ी ऊपर चढ़ गई थी। मैंने कभी दीदी को गलत नजर से नहीं देखा था, लेकिन उस रात कुछ ऐसा हुआ कि मेरे मन में अजीब सी हलचल शुरू हो गई।
मैं गहरी नींद में था, सपने में करीना कपूर की चूचियों को दबाने की कल्पना कर रहा था, कि अचानक मेरे चेहरे पर कुछ भारी सा गिरा। मेरी नींद टूट गई। कमरे में अंधेरा था, लाइट बंद थी। मैंने महसूस किया कि दीदी के दोनों पैर मेरे चेहरे पर थे। शायद फूफी को गर्मी की वजह से नींद नहीं आ रही थी, और वो नीचे चादर बिछाकर सो गई थीं। मैंने धीरे से दीदी के पैर हटाने की कोशिश की, तो पाया कि उनकी टांगों पर कोई कपड़ा नहीं था। उनकी नाइटी शायद कमर तक चढ़ गई थी। मेरे हाथ उनकी मुलायम, नंगी जांघों पर पड़े, और उस स्पर्श से मेरे शरीर में एक अजीब सी सनसनी दौड़ गई। सपने में करीना की चूचियां और अब दीदी की नंगी टांगों का स्पर्श—मेरा लंड धीरे-धीरे कड़ा होने लगा।
मेरे मन में एक उलझन थी। मैं जानता था कि ये गलत है, लेकिन उस पल जोश और उत्तेजना मेरे दिमाग पर हावी हो रहे थे। मैंने हिम्मत जुटाई और धीरे से दीदी की टांगों पर फिर से हाथ रखा। उनकी त्वचा इतनी नरम थी कि मेरे हाथ बेकाबू हो रहे थे। मैंने धीरे-धीरे अपने हाथ ऊपर की ओर बढ़ाए। उनकी कमर तक पहुंचा तो पाया कि नाइटी पूरी तरह ऊपर चढ़ी हुई थी, और दीदी ने सिर्फ पैंटी पहनी थी। मेरे दिल की धड़कनें तेज हो गईं। मैंने हल्के से उनकी पैंटी के ऊपर से उनकी चूत को छुआ। हाय, क्या मुलायम और गर्म एहसास था! मेरे लंड में अब पूरी तरह से तनाव आ चुका था, और वो 8 इंच का होकर मेरी लुंगी में तंबू बना रहा था।
मैंने हिम्मत बढ़ाई और धीरे से उनकी पैंटी के ऊपर से चूत को सहलाना शुरू किया। वो इतनी नरम थी कि मुझे लग रहा था जैसे मैं किसी रेशमी तकिए को छू रहा हूँ। मेरे हाथ अब और ऊपर बढ़े, उनकी नाभि तक गए, फिर धीरे-धीरे उनकी चूचियों की ओर। उनकी नाइटी उनकी चूचियों के ऊपर थी, लेकिन मैंने धीरे से उंगलियों से नाइटी को हटाया। दीदी की चूचियां मेरे सामने थीं—गोरी, भरी हुई, और उनके निप्पल गुलाबी रंग के, जो हल्के से कड़े हो रहे थे। मैंने हल्के से उनकी चूचियों को सहलाना शुरू किया। उनके निप्पल और सख्त होने लगे, और मुझे लगा कि शायद दीदी की जवानी अब जाग रही थी।
मेरे शरीर में रोमांच की लहरें दौड़ रही थीं। मैं चाहता था कि उनकी चूचियों को जोर से मसल दूँ, लेकिन डर भी था कि कहीं दीदी जाग न जाएं। फिर भी, मैंने हल्के से उनके निप्पल को उंगलियों से पकड़ा और धीरे-धीरे मसलना शुरू किया। उनके स्तन इतने मुलायम थे कि मेरे हाथ उनमें डूब से गए। मैंने अपनी टांगों से उनके चूतड़ों को छूना शुरू किया, जो गोल और भरे हुए थे। धीरे-धीरे मैंने एक निप्पल को अपने मुँह में ले लिया और हल्के से चूसना शुरू किया। “आह…” दीदी के मुँह से एक हल्की सी सिसकी निकली, और मुझे लगा कि शायद उनकी नींद खुल गई है। लेकिन वो चुप रही, शायद सोने का बहाना कर रही थीं।
मेरी हिम्मत बढ़ने लगी। मैंने अपना हाथ फिर से उनकी पैंटी पर ले गया। उनकी चूत अब गर्म और गीली हो चुकी थी। पैंटी पूरी तरह से भीग गई थी। दीदी ने हल्के से अपनी टांगें फैलाईं, जैसे मुझे और जगह दे रही हों। मैंने उनकी पैंटी को धीरे से नीचे खींचा और उनके पैरों से अलग कर दिया। अब मेरे सामने उनकी नंगी चूत थी—गुलाबी, रस से भरी, और एकदम साफ, बिना एक भी बाल के। उसकी मादक गंध मेरे होश उड़ा रही थी। मैंने धीरे से अपनी उंगली उनकी चूत की दरार पर फिराई। “उम्म…” दीदी ने फिर से एक हल्की सी सिसकी ली। मैंने एक उंगली उनकी चूत के अंदर डाली और धीरे-धीरे अंदर-बाहर करने लगा। उनकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरी उंगली को भी रुकावट महसूस हो रही थी।
दीदी ने अपनी टांगें और फैलाईं, और मैं समझ गया कि वो अब पूरी तरह से मेरे साथ थीं। मैं बिस्तर पर बैठ गया, और दीदी ने अपनी टांगें ऊपर उठा लीं, जिससे उनकी चूत पूरी तरह से खुल गई। मैंने अपना चेहरा उनकी चूत के पास ले गया। उसकी गंध मुझे पागल कर रही थी। मैंने धीरे से अपने होंठ उनकी चूत की दरार पर रखे। “आह… उह…” दीदी का शरीर तिलमिला उठा। मैंने अपनी जीभ उनकी चूत के होंठों पर फिराई, और वो सिसकने लगीं। मैंने उनकी चूत की पूरी दरार को चाटना शुरू किया, और मेरी जीभ उनके छेद के अंदर तक चली गई। “ओह… हाय…” दीदी की सिसकियां तेज हो गईं। मैंने अपनी जीभ से उनकी चूत को और जोर से रगड़ना शुरू किया। वो अब तड़प रही थीं, उनके हाथ मेरे सिर को उनकी चूत पर दबाने लगे। अचानक उनका शरीर कांपने लगा, और उनकी चूत ने ढेर सारा पानी छोड़ दिया। मैंने उनका सारा रस पी लिया, और वो हांफते हुए मेरी ओर देखने लगीं।
मैंने उनके कान के पास जाकर फुसफुसाया, “कैसा लगा, दीदी?”
उन्होंने गुस्से में कहा, “हटो यहाँ से! ये क्या कर रहे हो? मैं तुम्हारी दीदी हूँ, ये सब गलत है, पाप है!”
मैंने हल्के से हंसते हुए कहा, “अब तक तो मजे ले रही थीं, अब पाप याद आ रहा है? दीदी, मैं तुमसे प्यार करना चाहता हूँ, चाहे जो हो जाए!”
बोलते हुए मैंने उनकी बायीं चूची को अपने मुँह में भर लिया और जोर-जोर से चूसने लगा। उनकी चूची का निप्पल मेरी जीभ पर कड़ा हो रहा था। मैंने अपनी लुंगी खोल दी और दीदी के ऊपर लेट गया। मेरा लंड उनकी जांघों के बीच रगड़ खाने लगा। “आह… उह…” दीदी के मुँह से फिर से सिसकियां निकलने लगीं। मैंने उनकी दोनों चूचियों को कसकर पकड़ लिया और बारी-बारी से उन्हें चूसने लगा। उनके निप्पल मेरी जीभ पर रगड़ रहे थे, और मैं उन्हें हल्के से काट रहा था। दीदी की सांसें तेज हो रही थीं, और वो अपनी जांघों से मेरे लंड को मसल रही थीं।
धीरे से दीदी ने कहा, “भाई, धीरे करो… अगर माँ जाग गईं तो मुसीबत हो जाएगी!”
मैंने कहा, “चिंता मत करो, दीदी, माँ को कुछ पता नहीं चलेगा।”
फिर दीदी ने मुझे किस करना शुरू कर दिया। उनके होंठ मेरे होंठों पर थे, और वो मुझे इतनी गहराई से चूम रही थीं कि मैं जोश में आ गया। मैंने भी उन्हें अपनी बाहों में कस लिया और उनके होंठों को चूसने लगा। उनकी जीभ मेरी जीभ से टकरा रही थी, और हम दोनों एक-दूसरे में खो से गए थे। दीदी ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और मेरी टांगों के बीच बैठ गईं। उन्होंने मेरा लंड अपने हाथ में लिया और धीरे-धीरे सहलाने लगीं। फिर उन्होंने अपने मुलायम होंठ मेरे लंड पर रखे और चूसना शुरू कर दिया। “आह… दीदी…” मैं सिसक उठा। उनके होंठ मेरे लंड को ऐसे चूस रहे थे जैसे वो कोई लॉलीपॉप हो। उनकी जीभ मेरे लंड के सुपाड़े पर घूम रही थी, और मैं किसी दूसरी दुनिया में पहुँच गया था।
दीदी ने अपनी गति बढ़ा दी, और मेरा लंड अब उनके मुँह में पूरी तरह से अंदर-बाहर हो रहा था। “उम्म… आह…” मेरी सिसकियां तेज हो गईं। अचानक मेरे लंड से ढेर सारा पानी निकल गया, और दीदी ने उसे पूरा पी लिया। मैं निढाल होकर बिस्तर पर लेट गया, लेकिन दीदी ने हंसते हुए कहा, “क्या भाई, बस इतना ही? अभी तो पूरी रात बाकी है!”
मैंने कहा, “दीदी, बस एक मिनट… अभी फिर से तैयार हो जाता हूँ!”
वो हंसने लगीं और मुझसे लिपट गईं। मैंने उन्हें फिर से बिस्तर पर लिटा दिया। उनकी टांगें अपने आप ऊपर उठ गईं, और उनकी चूत फिर से मेरे सामने खुल गई। मैंने उनकी चूचियों को मसलना शुरू किया, और वो मेरे चेहरे को अपने चेहरे के पास ले आईं। “चोदो मुझे, राजू… अपनी रौशनी दीदी को चोदो!” उन्होंने फुसफुसाते हुए कहा।
मैंने अपना लंड उनकी चूत पर रखा और धीरे-धीरे रगड़ना शुरू किया। “आह… हाय…” दीदी तड़पने लगीं। उन्होंने मेरे बॉल्स को पकड़ लिया और कहा, “प्लीज, और मत तड़पाओ… जल्दी से अपना लंड मेरी चूत में डाल दो!”
मैंने धीरे से धक्का लगाया, लेकिन उनकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड का सुपाड़ा ही अंदर गया। “आ…ह… उई…” दीदी दर्द से तड़प उठीं। उनकी आँखों में आंसू आ गए। मैंने उन्हें अपनी बाहों में कस लिया और धीरे-धीरे प्रेशर देना शुरू किया। उनकी चूत इतनी टाइट थी कि मुझे भी थोड़ा दर्द हो रहा था। मैं रुक गया और उनकी चूचियों को चाटने लगा। थोड़ी देर बाद दीदी ने अपनी गांड हल्के-हल्के उचकानी शुरू की, और मैं समझ गया कि उनका दर्द अब कम हो गया है।
मैंने अपना लंड थोड़ा सा बाहर निकाला और फिर जोर से धक्का मारा। “फच्छ…” की आवाज के साथ मेरा पूरा लंड उनकी चूत में समा गया। दीदी ने अपने होंठ दबाए और रोने लगीं। मैंने उनके मुँह को अपने हाथ से बंद किया और कहा, “दीदी, चुप रहो, वरना माँ जाग जाएंगी!”
उनकी आँखों से आंसू बह रहे थे, लेकिन वो चुप हो गईं। मैंने धीरे-धीरे लंड को अंदर-बाहर करना शुरू किया। “आह… उह… हाँ…” दीदी अब मस्ती में कराहने लगीं। मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी, और उनकी चूत की गर्मी मेरे लंड को और उत्तेजित कर रही थी। “फट… फट… फट…” की आवाज कमरे में गूंजने लगी। दीदी अपनी गांड हिला-हिलाकर मेरा साथ दे रही थीं। “हाँ… ऐसे ही… जोर से…” वो सिसक रही थीं।
करीब 10 मिनट बाद दीदी का शरीर फिर से कांपने लगा। उनकी चूत ने मेरे लंड को जकड़ लिया, और उनका पानी फिर से निकल गया। बिस्तर की चादर पूरी तरह से भीग चुकी थी। मैंने उनकी टांगें और फैलाईं और लंबे-लंबे धक्के मारने लगा। “आह… ओह… हाय…” दीदी की सिसकियां कमरे में गूंज रही थीं। थोड़ी देर बाद मैंने भी उनकी चूत के अंदर ढेर सारा वीर्य छोड़ दिया। हम दोनों हांफते हुए वैसे ही लेटे रहे।
मैंने धीरे से अपना लंड उनकी चूत से निकाला। “फक…” की आवाज के साथ लंड बाहर आया, और उस पर मेरा वीर्य और थोड़ा सा खून लगा हुआ था। दीदी चुपचाप उठीं, चादर को समेटा, और बाथरूम की ओर चली गईं।
क्या आपको लगता है कि दीदी के साथ ये सब दोबारा होगा? अपनी राय कमेंट में बताएं!