बहकती बहू-7

Husband Wife Sex – Sasur ne Bete Bahu ki chudai dekhi – कहानी का पिछला भाग: – बहकती बहू-6

मोहिनी के उद्घाटन की यादों में खोया मदनलाल का मूसल फिर खड़ा हो गया। वो उसे मसलते हुए सोच रहा था कि काम्या को कैसे तैयार किया जाए। उसे याद आया कि उसका अफगानी लंड देखकर हर औरत मोहित हो जाती है। तभी उसके दिमाग में आइडिया आया—किसी बहाने काम्या को अपने लंड के दर्शन करवाएगा, वो भी ऐसे कि लगे गलती से हुआ। उसने “लिंग दर्शन समारोह” की योजना बनाई।
अगले दिन सुबह वो दूर की दुकान से देसी वियाग्रा ले आया। उसका इरादा था कि लंड अपने पूरे शबाब में हो—आखिर “first impression is last impression.” वो शाम तक सोचता रहा कि काम्या को लंड कैसे दिखाया जाए, मगर कोई ठोस आइडिया नहीं आया। शाम को काम्या ने खबर दी कि सुनील अगले हफ्ते तीन दिन के लिए आ रहा है। रात को मदनलाल काम्या के कमरे में गया, मगर दरवाजा बंद था। उसने खटखटाया, पर जवाब नहीं आया। हल्ला करना बेकार था, तो वो छत पर गया और वहाँ से फोन लगाया।
काम्या: हाँ, बाबूजी।

मदनलाल: बहू, दरवाजा क्यों बंद किया? खोलो।

काम्या: नहीं, बाबूजी, वो आ रहे हैं। हम नहीं खोलेंगे।

मदनलाल: सुनील तो अगले हफ्ते आएगा। अभी से क्यों डर रही हो? थोड़ा कर लेने दो।

काम्या: नहीं, बाबूजी। मेरी छाती पर आपके दाँतों के निशान हैं। इन्हें मिटने में हफ्ता लगेगा। अगर और बन गए, तो जवाब कैसे दूँगी?

मदनलाल: ठीक है, मुँह में नहीं लेंगे। बस थोड़ा हाथ से खेल लेने दो।

काम्या: बिल्कुल नहीं। जब तक आपका बेटा वापस न जाए, तब तक मम्मी के मम्मों से खेलिए। —और फोन काट दिया।
काम्या डर रही थी कि ज्यादा बात की, तो कमजोर पड़ जाएगी। बेचारा मदनलाल टापता रह गया। अगले दिन से काम्या उससे दूरी बनाए रखने लगी। सुनील के आने से एक रात पहले मदनलाल बेचैन था। उसने छत से फिर फोन किया।
काम्या: हाँ, बाबूजी। नींद नहीं आ रही?

मदनलाल: बहू, प्लीज, पाँच मिनट के लिए आ जाओ। बहुत मन कर रहा है।

काम्या: बिल्कुल नहीं। आप पागल हो गए? कल वो आ रहे हैं। आपको मौका मिला, तो आज ही कबाड़ा कर देंगे।

मदनलाल: कसम से कुछ नहीं करेंगे। प्रॉमिस।

काम्या: कुछ करना ही नहीं, तो आने की क्या जरूरत?

मदनलाल: बस, तुम्हें देखने का मन है।

काम्या: आधा घंटा पहले डिनर में तो देख ही रहे थे।

इसे भी पढ़ें   भाभी के मुतने की आवाज ने लंड खड़ा किया

मदनलाल: वो कोई देखना थोड़े है। उस दिन बाथरूम में जैसे देखा था, वैसे।

काम्या: क्या! स्स्स… आप बहुत गंदे हैं। गंदी बात करते हैं।

मदनलाल: प्लीज, बहू, एक बार देख लेने दो। दिल को चैन आ जाएगा।

काम्या: कोई चैन नहीं आएगा। उल्टा आप कंट्रोल खो देंगे।

मदनलाल: नहीं, कसम से कंट्रोल में रहेंगे।

काम्या: हमें सब मालूम है। बाथरूम में आप कंट्रोल नहीं कर पाए थे। अब तो परेशान ही कर देंगे। अनकंट्रोल हो गए, तो भगवान भी नहीं बचा पाएगा।

मदनलाल: कैसी बात करती हो? हमने कभी जबरदस्ती की? तुमने जहाँ रोका, हम रुक गए। प्लीज मान जाओ।

काम्या: नहीं, बाबूजी। आज कोई रिस्क नहीं। सॉरी।

मदनलाल: अच्छा, एक काम करो। मैं खिड़की पर खड़ा रहूँगा। वहीं से दिखा दो। प्लीज, बच्चे पर रहम करो।

काम्या: ओहो, बच्चे भी आप! एक नंबर के बिगड़े बच्चे हो।

मदनलाल: बिगड़े हैं, तो क्या? तुम्हारे ही हैं ना। प्लीज, बहू।
मदनलाल की मिन्नतों से काम्या पसीज गई। उसे भी अपनी जवानी को कोई देखे, इसका लालच था।

काम्या: बस दो मिनट देखने मिलेगा। वो भी खिड़की से।

मदनलाल: मंजूर है।

काम्या: ठीक। दस मिनट बाद नीचे आ जाना।
मदनलाल खिड़की पर पहुँचा। अंदर का नजारा देखकर उसकी साँसें अटक गईं। काम्या बिल्कुल नंगी बिस्तर पर थी, करवट लेकर लेटी हुई। उसकी गाण्ड गजगामिनी लग रही थी। दोनों फाँकें खरबूजों की तरह चिकनी और ठोस। मदनलाल पागल हो गया। उसने लुंगी से अपना घोड़ा-पछाड़ साँप निकाला और मुठियाने लगा। सिसकारियाँ सुनकर काम्या समझ गई कि बाबूजी आ गए। वो कुछ देर लेटी रही, फिर नजाकत से बैठ गई। उसके मतवाले चूचे और मांसल जाँघें कहर ढा रही थीं। मदनलाल की आँखें गाण्ड और जाँघों के मिलन बिंदु पर अटक गईं। काम्या जानबूझकर पीछे का हिस्सा दिखा रही थी, क्योंकि वो उसकी कमजोरी जानती थी। मदनलाल की सिसकारियाँ तेज हुईं। काम्या ने लाइट ऑफ कर दी, और मदनलाल ने खिड़की पर छटाक भर रबड़ी गिरा दी।
काम्या बेड शो से गर्म हो गई थी। उंगली करने से वो झड़ गई। आधे घंटे बाद पेशाब के लिए बाहर निकली, तो खिड़की के पास चिपचिपा वीर्य देखकर हैरान रह गई। “हाय भगवान, इतना सारा माल! लगता है तीन-चार लोगों का है।” फिर बुदबुदाई, “नहीं, घर में तो सिर्फ बाबूजी हैं। शायद तीन-चार बार किया। लेकिन सुनील तो एक बार ही करते हैं। इतना माल कहाँ से?” उसने सोचा, “लगता है, जबसे हम दूर रहे, शीशी में इकट्ठा किया और आज गुस्से में डाल दिया।” उसने साफ-सफाई की और कमरे में लेटकर सोचने लगी। उसने बाबूजी को थोड़ी छूट दी थी, ताकि उनका मन बहल जाए, मगर वो पूरा चाहते हैं। “खिड़की पर माल गिराकर शायद बता रहे हैं कि ये तुम्हारे लिए है। लेकिन मैं सुनील को धोखा कैसे दूँ? मुझे इन्हें रोकना होगा।”
सुनील के आने वाले दिन चारों ने साथ खाना खाया। गपशप के बाद सुनील-काम्या अपने कमरे में गए, शांति नींद की गोली खाकर सो गई। मदनलाल की नींद उड़ चुकी थी। काम्या ने कई दिन से छूने नहीं दिया था, और कल के जलवों ने उसे पागल कर दिया। उसे पता था कि आज सुनील काम्या का बाजा बजाएगा। काम्या के चेहरे पर रहस्यमयी मुस्कान थी। मदनलाल की इच्छा थी कि खिड़की से काम्या का नंगा बदन देखे, मगर सुनील को उस हाल में देखना उसे गवारा नहीं था। फिर भी वासना जीत गई। शास्त्र कहते हैं, “कामवासना बड़े-बड़े ज्ञानियों को भी हरा देती है।” मदनलाल संसारी और ठरकी था। उसने खिड़की से आँख लगाई।
अंदर सुनील और काम्या बिस्तर पर थे। काम्या खिड़की की तरफ थी, पूरी नंगी। सुनील सिर्फ अंडरवियर में था। काम्या के चेहरे पर शर्म थी—भारतीय नारी का स्वभाव। दोनों बात कर रहे थे। मदनलाल को कुछ सुनाई नहीं दे रहा था। काम्या का सौंदर्य उसे सम्मोहित कर रहा था—बड़ी आँखें, लंबी नाक, टमाटर जैसे गाल, रसीले होंठ, सुराहीदार गर्दन, गर्व से खड़े चूचे, चिकनी बलखाती कमर, और वो गाण्ड जिसने उसे अधर्म के रास्ते पर डाल दिया। गाण्ड इतनी उभरी थी कि लेटने पर कमर बिस्तर से दो इंच ऊपर थी। जाँघों के जोड़ पर हल्का सा चीरा और ट्रिम किए बालों का झुरमुट। सुनील काम्या के चूचों से खेल रहा था, बीच-बीच में होंठ चूम लेता। अचानक उसने हाथ नीचे सरकाया और झाँटों पर फेरने लगा। काम्या का चेहरा शर्म और उत्तेजना से लाल हो गया। सुनील ने उंगली चूत में डालने की कोशिश की, मगर काम्या ने जाँघें सिकोड़ रखी थीं। सुनील ने पैर से उसकी एक टाँग हटाई और उंगली अंदर डाल दी। वो धीरे-धीरे उंगली चलाने लगा। छह महीने बाद काम्या की चूत में कुछ गया था। वो गर्म हो गई, आँखें बंद कर सिर हिलाने लगी। सुनील ने एक चूची मुँह में ली और चूसने लगा। मदनलाल का मन कर रहा था कि दूसरी चूची वो ले ले, मगर सोचने से दुनिया नहीं चलती।
कुछ देर फिंगर-फकिंग और चूची-चुसाई के बाद सुनील ने कुछ कहा, मगर काम्या ने ना में सिर हिलाया। सुनील ने दो-तीन बार कहा, पर काम्या मना करती रही। मदनलाल को लगा, शायद लंड चूसने की बात है, क्योंकि घरेलू औरतें इसे गंदा मानती हैं। सुनील ने फिर चूचियों और चूत की सेवा शुरू की। कुछ देर बाद उसने फिर कुछ कहा। इस बार काम्या ने आँखें खोलीं, सुनील की ओर देखा और धीरे से उठकर बिस्तर के किनारे घोड़ी बन गई। “ओह, तो साहबजاده घोड़ी बनवाना चाह रहे थे,” मदनलाल बुदबुदाया।
उसे खुशी हुई कि उसका बेटा भी इस आसन का शौकीन है। कामसूत्र में इसे कामधेनु आसन कहते हैं, अंग्रेज इसे डॉगी स्टाइल। रसिक इसे मोरनी बनाकर चोदना कहते हैं। इस आसन में गाण्ड चौड़ी हो जाती है, और लंड अंदर-बाहर होता दिखता है। काम्या की गाण्ड खिले कमल जैसी लग रही थी। मदनलाल ने संकल्प लिया कि काम्या अगर तैयार हुई, तो पहली चुदाई मोरनी स्टाइल में होगी। सुनील ने काम्या की गाण्ड सहलाई और अंडरवियर उतारा। उसका लंड देखकर मदनलाल का चेहरा मुरझा गया। मुश्किल से चार इंच, अंगूठे जितना पतला। “इस मरे चूहे से क्या जंग जीतेगी? इस गदराई बहू को तो मेरा मोटा बैंगन चाहिए,” मदनलाल बुदबुदाया।
सुनील ने अपना झुनझुना काम्या की चूत में सेट किया और एक झटके में अंदर डाल दिया। काम्या का मुँह खुल गया, उसने जोर से साँस ली। मदनलाल को आश्चर्य हुआ, मगर फिर सोचा, “गली अगर संकरी हो, तो साइकिल भी मुश्किल से चलती है।” उसे खुशी हुई कि उसे टाइट माल मिलेगा। सुनील ने दो सेकंड रुककर धक्के शुरू किए। दस सेकंड में ही वो उसेन बोल्ट को हराते हुए झड़ गया और हाँफने लगा। मदनलाल निराश हो गया। “ये तो बहू के साथ नाइंसाफी है। मैंने इसे पसंद करके लाया, मैं ही इंसाफ करूँगा।” सुनील और काम्या लेट गए। सुनील खर्राटे मारने लगा, काम्या ने चादर ओढ़ ली। मदनलाल बाथरूम भागा और लौटकर देखा, तो सुनील सो रहा था।

इसे भी पढ़ें   मैं और मेरे दोस्त ने माँ बहन की चुदाई करी। Sis Mom Xxx Noneg Sex Story

कहानी का अगला भाग: बहकती बहू-8

Related Posts

Report this post

1 thought on “बहकती बहू-7”

Leave a Comment