मामा की लकड़ी की चुदाई

Cousin sister sex मैं समर, गंगानगर, राजस्थान का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 20 साल है, और मेरा कद 5 फुट 10 इंच, रंग गोरा, और शरीर अच्छा-खासा फिट है क्योंकि मैं रोज जिम जाता हूँ। मेरा औज़ार, जैसा कि मैं बड़ाई नहीं करूँगा, 6 इंच लंबा और 2.5 इंच मोटा है, जो किसी भी लड़की को झटके देने में माहिर है। मुझे भरे-पूरे जिस्म वाली भाभियाँ और लड़कियाँ हमेशा से पसंद रही हैं, जिनके कर्व्स देखकर लंड खड़ा हो जाए। आज मैं आपको अपनी ममेरी बहन सोनू के साथ हुए उस तूफानी चुदाई के अनुभव की कहानी सुनाने जा रहा हूँ, जिसने मेरी रातों की नींद उड़ा दी थी।

बात जून 2017 की है। गर्मियों की छुट्टियाँ थीं, और मेरी ममेरी बहन सोनू हमारे घर आई थी। सोनू, 18 साल की, पढ़ाई में तेज, और दिखने में ऐसी कि किसी का भी दिल धड़क जाए। उसका रंग हल्का सांवला, कद 5 फुट 4 इंच, और शरीर ऐसा कि मानो मिट्टी से तराशा गया हो। उसके 32B के दूध, जो उसके टाइट कुर्ते में उभरकर दिखते थे, और उसकी चौड़ी, गुद्देदार गांड, जो चलते वक्त लचकती थी, मेरे मन में आग लगा देती थी। उसके भूरे निप्पल, जो मैंने बाद में देखे, मानो किसी चित्रकार की कृति हों। उसकी चूत, गुलाब की पंखुड़ियों-सी नाजुक, और उसकी महक ऐसी कि बस उसे चाटते रहने का मन करे।

हम बचपन में साथ खेला करते थे, पर अब जब हम जवान हुए, तो उसका बदन देखकर मेरे मन में कुछ और ही ख्याल आने लगे। मैं उसे दबा-दबाकर चोदने के सपने देखने लगा था। उसकी गांड को देखकर लगता था कि बस उसे पकड़कर उछाल-उछालकर चोद दूँ। हमारे घर में जगह कम थी, मेरा कमरा सबसे बाहर की तरफ था, जिसमें एक अटैच बाथरूम था। बाकी घरवाले बाहर वाले बाथरूम का इस्तेमाल करते थे। सोनू ने मुझसे मेरे बाथरूम में नहाने की इजाजत मांगी। मैंने बिना कुछ सोचे हां कर दी, क्योंकि मेरे कमरे में कोई आता-जाता नहीं था।

उस दिन मैं अपने कमरे में बैठा कुछ ऑनलाइन सेक्स स्टोरीज पढ़ रहा था। एक भाई-बहन की चुदाई की कहानी पढ़ते-पढ़ते मेरा लंड तन गया। तभी न जाने कैसे मेरा ध्यान बाथरूम की तरफ गया। मेरे बाथरूम के दरवाजे में छोटे-छोटे छेद थे, जिनसे मैंने कभी झांका नहीं था। पर उस दिन शैतान मेरे दिमाग में सवार था। मैं चुपके से दरवाजे के पास गया और एक छेद से अंदर झांका। जो नजारा मैंने देखा, उसने मेरे होश उड़ा दिए।

सोनू पूरी नंगी थी, पानी की बूंदें उसके मादक जिस्म पर मोतियों-सी चमक रही थीं। उसके 32B के दूध, गीले और साबुन से चमकते हुए, मानो मुझे बुला रहे थे। वह अपने स्तनों को मसल-मसलकर साफ कर रही थी, जैसे कोई रसीला फल निचोड़ रही हो। उसकी गीली गांड, जो पानी से भीगकर और मादक लग रही थी, देखकर मेरा लंड पजामे में तंबू बना रहा था। मैं बस टकटकी लगाए उसे देखता रहा, जैसे कोई भूखा शेर अपने शिकार को ताड़ रहा हो। तभी मुझे बाहर किसी की आहट सुनाई दी, और मैं जल्दी से अपने बेड पर लौट आया।

उस रात मुझे नींद नहीं आई। सोनू का वो नंगा जिस्म मेरे दिमाग में बार-बार घूम रहा था। मैंने लंड हिलाना शुरू किया, और यकीन मानिए, उस दिन इतना वीर्य निकला कि बेडशीट तक गीली हो गई। उस रात मुझे एक अजीब-सी संतुष्टि मिली, पर मन में एक तूफान सा उठ रहा था। अगले दो दिन मैंने उसे चोरी-छिपे देखने की कोशिश की। कभी बाथरूम के छेद से, तो कभी जब वह सो रही होती, मैं उसके पास जाकर उसकी चूचियों को हल्के-हल्के छूने की कोशिश करता। पर मन नहीं भर रहा था।

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मैंने सोचा कि ये गलत है, आखिर वो मेरी ममेरी बहन है। पर लंड का क्या? वो तो बस चूत की तलाश में रहता है। मेरे मन में उसकी चुदाई की आग भड़क रही थी। मैं सोचता रहा कि उसे कैसे चोदा जाए, पर फिर रोजमर्रा के कामों में उलझ गया, और वो कुछ दिन बाद अपने घर चली गई।

वक्त बीता, और जब भी सोनू हमारे घर आती, मैं मौका देखकर उसे छूने की कोशिश करता। कभी गले लगाकर उसे हवा में उठा लेता, तो उसके दूध मेरे सीने से रगड़ते, और मेरा लंड टनटना उठता। वो भी हंसकर मेरे साथ मजाक करती, जैसे उसे भी ये सब अच्छा लगता हो। कभी मैं उसे पीछे से पकड़ता और अपना लंड उसकी गांड में सटाकर उसकी सख्ती का अहसास करवाता। वो 18-19 साल की थी, इतनी नासमझ तो नहीं थी कि मेरे इरादे न समझे। धीरे-धीरे वो मुझसे बचने लगी, पर मैंने हिम्मत नहीं हारी।

फिर वो तूफानी रात आई, जिसने सब कुछ बदल दिया। जून 2017 में सोनू बी.ए. में एडमिशन के लिए हमारे घर आई। अब उसका जिस्म और भी भर गया था। उसका फिगर अब 32B-28-34 का हो गया था। उसकी गांड और दूध देखकर मेरा लंड सलामी देने लगता था। एडमिशन के लिए मैं उसे कॉलेज ले गया। रास्ते में बाइक पर मैं जानबूझकर ब्रेक लगाता, ताकि उसके दूध मेरी पीठ से टकराएं। वो समझ जाती, पर कुछ कहती नहीं।

दो दिन ऐसे ही बीत गए। मैं रोज बाथरूम में उसके नंगे जिस्म को ताड़ता। उसकी चूचियों की गहरी घाटी, उसकी गांड की दरार, सब मेरे दिमाग में बस्ते जा रहे थे। रात को जब वो सोती, मैं चुपके से उसके पास जाता और उसकी टी-शर्ट के ऊपर से उसकी चूचियाँ दबाने की कोशिश करता। पर मन नहीं भरता था।

एक रात, नींद खुलने पर मैंने देखा कि सोनू की टी-शर्ट ऊपर खिसक गई थी, और उसका लोअर नीचे सरकने से उसकी गांड की दरार दिख रही थी। बस, मुझसे रहा नहीं गया। मैंने धीरे से उसकी टी-शर्ट के अंदर हाथ डाला, पर उसने ब्रा पहनी थी, तो ज्यादा कुछ न कर सका। फिर न जाने क्या सूझा कि मैंने उसकी पैंटी में हाथ डालने की कोशिश की। जैसे ही मेरा हाथ उसकी झांटों तक पहुंचा, वो जाग गई और चिल्लाई, “कौन है?” मैं डर के मारे अपने कमरे में भाग गया।

अगले दिन सुबह मेरे वॉट्सएप पर सोनू का मैसेज था, “तू रात में बहुत इधर-उधर घूमता है!” ये पढ़कर मेरा खून सूख गया। उसने लिखा, “आइंदा से मुझसे बात मत करना।” मैं डर गया कि कहीं वो मम्मी या रिश्तेदारों को न बता दे। शर्मिंदगी के मारे मैं 4-5 दिन उसके सामने नहीं गया।

एक हफ्ते बाद मम्मी बोलीं, “हम दो दिन के लिए बाहर जा रहे हैं। तुम दोनों खाना-पीना देख लेना।” अगले दिन से घर में सिर्फ मैं और सोनू थे। हमारी बोलचाल बंद थी। फिर उसने खाने के बारे में पूछा। मैंने कहा, “जो बनाना हो, बना लो।” हमने खाना खाया और अपने-अपने कमरे में चले गए।

रात को टीवी देखते वक्त मैंने उस रात की घटना के लिए माफी मांगी। वो भड़क गई और मुझे खूब सुनाया। मैं चुपचाप सुनता रहा और अपने कमरे में चला गया। पर रात में सोचने लगा कि उसने अभी तक किसी को कुछ क्यों नहीं बताया? मेरे दिमाग में शैतानी चढ़ी। अगले दिन मैंने फिर माफी मांगी। इस बार वो नरम पड़ी और बोली, “आइंदा ऐसा नहीं होना चाहिए।” मैंने हां में हां मिलाई।

फिर मैंने पूछा, “तूने किसी को बताया क्यों नहीं?” वो चुप रही। मैंने सोचा, शायद ये भी चुदासी है। मैंने सीधे कह दिया, “मुझे तू अच्छी लगती है।” वो बोली, “ऐसा नहीं हो सकता, हम भाई-बहन जैसे हैं।” वो किचन की ओर जाने लगी, पर मैंने उसका रास्ता रोक लिया। मैंने उसे पीछे से पकड़ा और उसकी गर्दन पर किस करने लगा। मेरा लंड उसकी गांड में सट रहा था। वो छटपटाई और हॉल में भाग गई। वहां मैंने उसे फिर पकड़ा और उसके होंठों पर चूमने लगा।

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उसकी सांसें तेज हो रही थीं, और मेरी भी। धीरे-धीरे उसकी पकड़ ढीली पड़ी, पर अचानक उसने खुद को छुड़ाया और अपने कमरे में भाग गई। दरवाजा बंद करके बोली, “मुझे अकेला छोड़ दो।” मैं अपने कमरे में आकर सो गया। शाम को उसका मैसेज आया, “मुझसे छत पर मिल।” मैं छत पर गया, तो वो रो रही थी। बोली, “जो हुआ, वो गलत था।” मैंने उसे चुप कराया और कहा, “जो हुआ, जोश में हुआ। अब ऐसा नहीं होगा, जब तक तू न चाहे।”

रात में खाना खाते वक्त मैंने पूछा, “किस करते वक्त कैसा लगा?” उसने कहा, “कुछ अजीब-सा लगा।” मैंने पूछा, “आगे कुछ करने का मन है?” वो बोली, “मुझे सोचने का वक्त चाहिए।” मेरे मन में लड्डू फूटने लगे। रात 11 बजे उसने मेरे दरवाजे पर खटखटाया। उसने एक पतली-सी नाइटी पहनी थी, जिसमें उसके कर्व्स साफ दिख रहे थे। मैंने उसे अंदर बुलाया। वो अंदर आई और मुझसे लिपट गई। बोली, “मुझसे गलती हो गई, आई लव यू।”

मेरी तो लॉटरी लग गई। मैंने उसके चेहरे को उठाया और उसके होंठों पर चूमना शुरू किया। हमारी चुम्मा-चाटी ऐसी शुरू हुई कि सांस लेना भूल गए। मैंने उसके कान और गर्दन पर किस किए, जिससे वो सिहर उठी। वो “उम्म… आई लव यू…” की आवाजें निकाल रही थी। मैंने उसे पलटाया और उसके दूध दबाते हुए उसकी गर्दन पर चूमने लगा। वो मेरे लोअर के ऊपर से मेरा लंड सहलाने लगी। मैंने उसे फिर अपनी ओर पलटाया और उसके होंठों को चूसने लगा।

वो भी मेरे साथ उसी जोश में थी, जैसे सालों से मेरे साथ चुदाई कर रही हो। मैंने उसे गोद में उठाया और चूमते हुए बेड पर ले गया। हम एक-दूसरे में गुत्थम-गुत्था हो गए। कब हमारे कपड़े उतरे, पता ही नहीं चला। वो गुलाबी लेस वाली ब्रा और पैंटी में थी, और उसका जिस्म मानो जन्नत की हूर हो। उसके दूध और गांड देखकर मेरा लंड और सख्त हो गया। मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसके कान, गर्दन, और कंधों पर चूमने लगा। वो “उई… जानू… आह…” की सिसकियाँ ले रही थी।

मैंने उसकी नाइटी को धीरे-धीरे ऊपर खिसकाया, और उसकी ब्रा के ऊपर से उसके दूध दबाने लगा। वो मेरे बालों में उंगलियाँ फिरा रही थी, और उसकी सिसकियाँ मेरे जोश को दोगुना कर रही थीं। मैंने उसकी ब्रा की स्ट्रैप खोली और उसे अलग किया। अब वो सिर्फ पैंटी में थी। शर्म के मारे उसने अपने दूध छुपाने की कोशिश की, पर मैंने उसके हाथ अपने पैरों के नीचे दबा दिए। उसके 32B के दूध मेरे सामने नंगे थे, और उनके भूरे निप्पल मुझे पागल कर रहे थे। मैंने उन्हें जी भरकर दबाया, चूसा, और मसला। वो “आह… जानू… उई…” की आवाजें निकाल रही थी।

मैंने धीरे-धीरे उसकी पैंटी सरकाई। उसकी गुलाबी चूत, जो हल्की-सी गीली थी, देखकर मेरा लंड और तन गया। मैंने पहले उसकी चूत को चूमा, जिससे वो सिहर उठी। फिर मैंने अपनी जीभ से उसकी चूत की पंखुड़ियों को चाटना शुरू किया। उसकी महक और स्वाद ने मुझे दीवाना कर दिया। मैंने अपनी उंगली से उसका छेद टटोला, तो वो दर्द से बिलबिलाने लगी। मैं समझ गया कि उसकी चूत सील पैक थी। मैंने उसकी चूत को चूस-चूसकर ढीला किया। वो दो बार झड़ चुकी थी, और उसकी सिसकियाँ “उई… मम्मी… आह…” कमरे में गूंज रही थीं।

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मैंने उसे अपना 6 इंच का लंड दिखाया, तो उसकी आँखें चमक उठीं। मैंने उसे चूसने को कहा, पर उसने मना कर दिया। मैंने उसे एक ब्लोजॉब वीडियो दिखाया, ताकि वो सीख सके। फिर उसने धीरे-धीरे मेरा लंड चूसना शुरू किया। उसकी गर्म जीभ मेरे लंड पर फिसल रही थी, पर मुझे और मज़ा चाहिए था। मैंने उसे लिटाया और उसकी गांड के नीचे तकिया लगाया। मैंने वैसलीन ली और उसकी चूत के अंदर तक लगाई, फिर अपने लंड पर भी खूब चुपड़ लिया।

अब वो पल आ गया, जिसका मुझे सालों से इंतज़ार था। मैंने धीरे से अपना लंड उसकी चूत पर रखा और अंदर धकेलना शुरू किया। वो दर्द से चिल्लाने लगी, “नहीं… दर्द हो रहा है!” मैंने उसे चूमते हुए शांत किया और एक हल्का धक्का मारा। मेरा 3 इंच लंड उसकी चूत में घुस गया। वो रोने लगी और बाहर निकालने को कहने लगी। मैंने उसके दूध मसलते हुए उसे चूमना जारी रखा। फिर एक जोरदार धक्का मारा, और मेरा पूरा लंड उसकी चूत की सील तोड़ता हुआ अंदर घुस गया। वो दर्द से बेहोश-सी हो गई।

थोड़ी देर बाद जब उसे होश आया, मैंने पूछा, “दर्द कैसा है?” उसने कराहते हुए कहा, “कम हो रहा है।” मैंने उसकी इजाजत मांगी, और वो चुप रही। मैंने धीरे-धीरे मिशनरी पोजीशन में धक्के लगाने शुरू किए। पलंग “छर-छर” की आवाज़ कर रहा था, और कमरा हमारी चुदाई की “पट-पट” और उसकी सिसकियों “उई… मर गई… आह…” से गूंज रहा था। मैंने स्पीड बढ़ाई, और उसकी चूत अब गीली होकर मेरा लंड आसानी से ले रही थी।

फिर मैंने उसे डॉगी स्टाइल में किया। उसकी गुद्देदार गांड मेरे सामने थी, और मैंने उसके चूतड़ों पर दो चमाट मारे। वो “आह… जानू…” चिल्लाई। मैंने उसकी चूत में लंड डाला और जोर-जोर से धक्के मारने लगा। वो अब दर्द भूलकर मज़े ले रही थी, और उसकी सिसकियाँ “उई… और जोर से… आह…” मेरे कानों में मधुर संगीत की तरह थीं।

कुछ देर बाद मैंने उसे अपनी गोद में उठाया और उसे लंड पर उछाल-उछालकर चोदा। वो मेरे कंधों को पकड़कर “उई… मम्मी… जानू…” चिल्ला रही थी। थकान होने पर मैंने उसे ऊपर आने को कहा। उसने मेरे लंड को अपनी चूत में लिया और हौले-हौले कूल्हे हिलाने शुरू किए। वो अब किसी पेशेवर की तरह चुदाई कर रही थी। मैंने उसके दूध मसलना जारी रखा, और वो दो बार फिर झड़ गई।

25 मिनट की चुदाई के बाद मैं अपनी चरम सीमा पर था। मैंने उसे फिर मिशनरी पोजीशन में लिया और तेज-तेज धक्के मारने लगा। वो “आह… जानू… और जोर से…” चिल्ला रही थी। दो मिनट बाद मैंने अपना सारा वीर्य उसकी चूत में छोड़ दिया, और वो भी मेरे साथ झड़ गई। मैं उसके ऊपर ढेर हो गया, उसके दूध मसलते हुए।

आधे घंटे बाद जब हम उठे, तो चादर खून और वीर्य से सन गई थी। सोनू शर्माकर बाथरूम में चली गई। मैंने उसे देखा, और मेरे मन में एक अजीब-सी खुशी थी।

आप बताइए, क्या मुझे सोनू के साथ आगे बढ़ना चाहिए?

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