मौसी की चुदाई की ख़ुशी

Mausi aur Nephew sex: मेरा नाम रोहित है, और मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ। मैं 25 साल का हूँ, और एक मल्टीनेशनल कंपनी में इंजीनियर के तौर पर काम करता हूँ। मेरा कद 5 फीट 10 इंच है, रंग गोरा, और शरीर अच्छा-खासा फिट है क्योंकि मैं जिम जाता हूँ। मेरा लंड सात इंच का है, और उसकी मोटाई भी ठीक-ठाक है, जो किसी भी औरत को खुश करने के लिए काफी है। ये कहानी तब की है जब मैं 19 साल का था, यानी 6 साल पहले की बात है, जब मैंने अपनी जवानी में कदम रखा था। उस वक्त मुझे सेक्स के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं था, बस जवान खून में गर्मी थी और कुछ करने की चाह थी।

ये कहानी मेरी और मेरी मौसी नीलू की है। नीलू मेरी सगी मौसी नहीं थी, लेकिन रिश्तेदारी में मौसी ही लगती थी। वो दिल्ली में अपने पति और दो बच्चों के साथ रहती थी। नीलू मौसी की उम्र उस वक्त 34 साल थी, लेकिन उनकी खूबसूरती ऐसी थी कि कोई भी उनको देखकर पागल हो जाए। उनका रंग दूध सा गोरा, आँखें बड़ी-बड़ी, और होंठ गुलाबी थे। उनके चूचे ज्यादा बड़े नहीं थे, लेकिन संतरे जैसे गोल और रसीले थे, जिन्हें देखकर किसी का भी मन ललचा जाए। उनकी कमर पतली थी, और गांड इतनी भारी और उभरी हुई थी कि हर कदम पर लचकती थी। वो जब चलती थीं, तो उनकी चाल में एक अलग ही अदा थी, जो मर्दों के दिल में आग लगा दे।

बात उस वक्त की है जब मेरी माँ को अपनी दीदी के यहाँ चंडीगढ़ जाना था सात दिनों के लिए। माँ ने नीलू मौसी को घर पर बुलाया था, क्योंकि घर में खाना बनाने वाला कोई नहीं था। पापा तो दिनभर दफ्तर में बिजी रहते थे, और मैं भी अपनी जॉब की शुरुआत कर रहा था। जब मौसी हमारे घर आईं, तो मैंने उन पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। वो सलवार-कमीज में थीं, और उनका दुपट्टा उनके चूचों को ढक रहा था, लेकिन उनकी टाइट कमीज उनकी फिगर को उभार रही थी। माँ ने पैकिंग शुरू की, और मैं उनकी मदद करने लगा। मौसी रसोई में चली गईं और खाना बनाने में जुट गईं। उस रात हमने खाना खाया और सो गए। मौसी और माँ की बातें होती रहीं, लेकिन मेरी उनसे कोई खास बात नहीं हुई।

अगले दिन मैं माँ को रेलवे स्टेशन छोड़ने गया और वहाँ से मेट्रो लेकर अपनी जॉब पर चला गया। हमारा घर दो मंजिल का है। नीचे वाला फ्लोर किराए पर दिया हुआ है, और ऊपर वाले फ्लोर पर हम रहते हैं। ऊपर दो कमरे हैं—एक में माँ-पापा रहते हैं, और दूसरा मेरा है। मेरे कमरे में दो सिंगल बेड हैं, ताकि मेहमान आ जाएँ तो उनके लिए जगह हो। चूंकि माँ चली गई थीं, तो पापा अपने कमरे में अकेले सोए, और मौसी को मेरे कमरे में मेरे साथ सोना था।

उस दिन ठंड का मौसम था, और दिल्ली की सर्दी तो जानलेवा होती है। मैं शाम को घर लौटा तो देखा कि मौसी बाथरूम में नहा रही थीं। मैंने सोचा कि चाय बना लूँ। रसोई में जाकर मैंने केतली चढ़ाई और चाय बनाकर अपने कमरे में ले आया। तभी मौसी बाथरूम से बाहर निकलीं, सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में। उनकी गोरी त्वचा पर पानी की बूँदें चमक रही थीं, और ठंड से उनका बदन काँप रहा था। उनकी काली ब्रा उनके चूचों को मुश्किल से संभाल रही थी, और पैंटी उनकी चूत को ढकते हुए उनकी जाँघों को और आकर्षक बना रही थी। मैं उन्हें देखकर स्तब्ध रह गया। मेरी नजरें उनके गीले बदन पर टिक गईं।

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मौसी ने मुझे देखा और घबरा गईं। वो जल्दी से बाथरूम की ओर भागीं, लेकिन गीले फर्श पर उनका पैर फिसल गया, और वो धड़ाम से गिर पड़ीं। मैं तुरंत दौड़ा और उन्हें उठाने की कोशिश की। “मौसी, आप ठीक हैं?” मैंने घबराते हुए पूछा। वो शर्म से लाल हो गई थीं और बोलीं, “रोहित, मैं ठीक हूँ, बस पैर फिसल गया।” मैंने उन्हें गोद में उठाया, और इस दौरान मेरा हाथ गलती से उनके चूचों पर लग गया। उनके मुलायम, गर्म चूचे मेरे हाथों में दबे, और मेरे बदन में करंट सा दौड़ गया। मौसी ने कुछ नहीं कहा, बस नीचे देखती रहीं। मैंने उन्हें बेड पर लिटाया और देखा कि उनके पैर में मोच आ गई थी। वो उठने की कोशिश कर रही थीं, लेकिन दर्द की वजह से नहीं उठ पा रही थीं।

मैंने कहा, “मौसी, आप लेट जाइए, मैं पापा को बताता हूँ।” तभी पापा घर आए। हम हॉल में बैठकर टीवी देखने लगे, जहाँ रसोई भी थी। मौसी ने कपड़े पहन लिए थे—एक ढीली टी-शर्ट और पजामा। मैंने पापा को बताया कि मौसी का पैर फिसल गया है और मोच आ गई है। मैंने कहा, “मौसी, मैं खाना बाहर से मंगवा लेता हूँ, आप आराम करें।” लेकिन मौसी ने जिद की कि वो खाना बना लेंगी। पापा ने कहा, “नहीं, नीलू, आज आराम करो। रोहित, तुम खाना मंगवा लो, और नीलू के पैर में मालिश कर देना।” मैंने हामी भरी।

हमने खाना मंगवाया और साथ में डिनर किया। खाने के बाद मौसी ने मुझे याद दिलाया, “रोहित, पापा ने कहा था ना, मालिश कर देना।” वो हल्के से मुस्कराईं, लेकिन उनकी आँखों में शरम थी। मैंने कहा, “हाँ, मौसी, मैं भूल गया था।” वो बोलीं, “पैर के साथ-साथ मेरी कमर में भी दर्द है।” मैंने मूव की ट्यूब ली और उनके बेड पर बैठ गया। मौसी पेट के बल लेट गईं और अपनी टी-शर्ट ऊपर की। उनकी गोरी कमर चमक रही थी, और उनकी पजामा उनकी गांड पर टाइट था, जिससे उसका उभार साफ दिख रहा था।

मैंने मूव उनकी कमर पर लगाना शुरू किया। मेरी उंगलियाँ उनकी नरम त्वचा पर फिसल रही थीं, और मैं धीरे-धीरे उनकी गांड की ओर बढ़ने लगा। मेरा लंड तनने लगा था, और मैं जानबूझकर उनकी गांड के पास उंगलियाँ ले गया। एक बार मेरी उंगली उनकी गांड के छेद के करीब पहुँची, तो मौसी ने हल्के से मना किया, “बस, रोहित, इतना ही।” उनकी आवाज में शरम थी, लेकिन कुछ और भी था—शायद एक हल्की सी उत्तेजना। मैंने मालिश बंद की, और हम अपने-अपने बेड पर सो गए। लेकिन मेरे दिमाग में वही सीन घूम रहा था—मौसी की ब्रा-पैंटी, उनकी गीली त्वचा, और उनकी गांड का उभार। मेरा लंड रातभर तना रहा।

अगली सुबह मौसी नाश्ता बनाने रसोई में थीं। वो एक टाइट कुर्ती और लेगिंग में थीं, जो उनकी फिगर को और उभार रही थी। नाश्ते के दौरान मैंने देखा कि वो मुझे चोर नजरों से देख रही थीं। उनकी आँखों में कुछ था—शायद शरम, शायद कुछ और। मैंने नाश्ता किया और जॉब पर चला गया। पूरे दिन मेरे दिमाग में मौसी का गीला बदन घूमता रहा।

शाम को जब मैं घर लौटा, पापा अभी नहीं आए थे। मैं अपने कमरे में टीवी देख रहा था, तभी मौसी बाथरूम से तौलिया लपेटे निकलीं। उनका तौलिया बस उनकी चूत और चूचों को ढक रहा था, और उनकी जाँघें पूरी नंगी थीं। मुझे देखकर वो मुस्कराईं और बोलीं, “रोहित, तू आ गया? मैं कपड़े लेने जा रही हूँ।” वो दूसरे कमरे में चली गईं। उस रात हमने खाना खाया और सोने की तैयारी करने लगे।

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रात के करीब 12 बजे मुझे लगा कि कोई मुझे हिला रहा है। मैंने आँखें खोलीं तो देखा कि मौसी मेरे बेड के पास खड़ी थीं। वो बोलीं, “रोहित, मुझे बहुत ठंड लग रही है। मैं तेरे पास सो जाऊँ?” उनकी आवाज में एक अजीब सी मासूमियत थी, लेकिन उनकी आँखें कुछ और कह रही थीं। मैंने कहा, “हाँ, मौसी, आ जाइए।” वो मेरे बेड पर आ गईं, और उनकी गांड मेरी तरफ थी। वो एक पतली सी नाइटी पहने थीं, जिसमें से उनकी ब्रा और पैंटी की आउटलाइन साफ दिख रही थी।

मेरा दिमाग फिर से उसी सीन में चला गया—मौसी का गीला बदन, उनकी ब्रा-पैंटी। मेरा लंड खड़ा हो गया। मैंने धीरे से अपना हाथ उनकी छाती की ओर बढ़ाया और उनकी चूची पर रख दिया। उनकी चूची नरम और गर्म थी, और मेरे स्पर्श से वो हल्के से सिहर उठीं। मैंने डरते-डरते उनकी चूची को दबाया, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं कहा। मैंने सोचा, शायद वो सो रही हैं। मैंने और जोर से दबाया, और मेरा लंड उनकी गांड पर टच होने लगा। तभी मौसी ने करवट बदली और सीधी हो गईं। अब मैं आसानी से उनकी चूचियों को दबा सकता था।

मैंने जोर-जोर से उनकी चूचियों को मसलना शुरू किया। मौसी की साँसें तेज हो गईं, और वो सिसकने लगीं, “उम्म… रोहित, ऐसे नहीं दबाते, बुद्धू।” उनकी आवाज सुनकर मैं चौंक गया। वो सो नहीं रही थीं! वो बोलीं, “धीरे-धीरे, प्यार से।” उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा और अपनी चूचियों पर रखकर दबवाया। उनकी सिसकारियाँ तेज हो गईं, “आह… हाँ, ऐसे ही…” उनका एक हाथ मेरे लंड पर चला गया, और वो मेरे पजामे के ऊपर से उसे सहलाने लगीं।

मौसी की साँसें गर्म थीं, और वो बोलीं, “रोहित, जब से मैंने तुझे देखा, तब से मेरी चूत में आग लगी है। मैं तुझसे चुदना चाहती हूँ।” ये सुनकर मेरे होश उड़ गए। उन्होंने मुझे किस करना शुरू किया, और मैंने भी उनके होंठों को चूसना शुरू कर दिया। उनके होंठ मुलायम और रसीले थे, जैसे कोई गुलाबी मिठाई। मैंने उनका नाइटी ऊपर किया और देखा कि उन्होंने ब्रा नहीं पहनी थी। उनकी चूचियाँ मेरे सामने थीं, गोल, नरम, और निप्पल्स एकदम तने हुए। मैंने एक चूची को मुँह में लिया और चूसने लगा। “आह… उह… रोहित, हाय…” मौसी की सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं।

मैंने उनकी नाइटी पूरी उतार दी। अब वो सिर्फ़ पैंटी में थीं। उनकी चूत पर हल्के-हल्के बाल थे, जो उनकी चूत को और सेक्सी बना रहे थे। मैंने उनकी पैंटी पर हाथ रखा, और वो तड़प उठीं। उनकी चूत पहले से ही गीली थी। मैंने उनकी पैंटी उतारी और उनकी चूत को देखा—गुलाबी, गीली, और गर्म। मैंने अपनी जीभ उनकी चूत पर रखी और चाटना शुरू किया। “उम्म… आह… हाय… रोहित, ये क्या कर रहा है… उह…” मौसी की सिसकारियाँ तेज हो गईं। उनकी चूत का स्वाद नमकीन और नशीला था। मैंने उनकी चूत के दाने को चूसा, और वो पागल सी हो गईं, “हाय… बस… अब और नहीं… डाल दे, रोहित!”

मुझे डर था कि उनकी आवाज़ पापा तक न पहुँच जाए। मैंने कहा, “मौसी, धीरे बोलिए, पापा सुन लेंगे।” वो बोलीं, “मुझे परवाह नहीं, बस चाटता रह… आह…” मैंने उनकी चूत को और जोर से चाटा, और वो झड़ गईं। उनकी चूत से गर्म रस निकला, जो मेरे मुँह पर लगा। मैंने उठकर अपना पजामा उतारा और अपना लंड उनके हाथ में दे दिया। वो मेरे लंड को देखकर बोलीं, “हाय, कितना मोटा है तेरा लंड… इससे तो मेरी चूत फट जाएगी।” वो मेरे लंड को चूसने लगीं। उनकी जीभ मेरे लंड के टोपे पर घूम रही थी, और मैं सातवें आसमान पर था। दो मिनट में ही मेरा पानी निकल गया, और वो सारा माल पी गईं।

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हम दोनों कुछ देर तक किस करते रहे। मौसी बोलीं, “रोहित, तेरा लंड तो जन्नत का मजा देगा।” पांच मिनट बाद मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। मैंने मौसी की टाँगें चौड़ी कीं और उनकी चूत पर एक लंबा सा किस किया। उनकी चूत फिर से गीली हो गई थी। मैंने अपना लंड उनकी चूत पर रगड़ा, और वो सिसकने लगीं, “हाय… डाल दे, रोहित… अब और मत तड़पा।” मैंने धीरे से अपना लंड उनकी चूत में डाला। उनकी चूत टाइट थी, और मेरा लंड धीरे-धीरे अंदर गया। “आह… उह… हाय…” मौसी की सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं।

मैंने धीरे-धीरे धक्के मारना शुरू किया। उनकी चूत गर्म और गीली थी, और हर धक्के के साथ “चप… चप…” की आवाज़ आ रही थी। मैंने उनकी चूचियों को मुँह में लिया और चूसते हुए धक्के मारने लगा। “उम्म… आह… रोहित, और जोर से… हाय…” मौसी मेरे बालों को सहलाने लगीं। मैंने स्पीड बढ़ा दी, और उनकी चूत में तेजी से धक्के मारने लगा। “चप… चप… फच… फच…” की आवाज़ पूरे कमरे में गूँज रही थी। मौसी झड़ गईं, और उनकी चूत ने मेरे लंड को और टाइट कर लिया। लेकिन मैं रुका नहीं। मैंने और जोर से धक्के मारे, और मौसी फिर से गर्म हो गईं। “हाय… रोहित, तू तो जान लेगा… आह… और जोर से…”

करीब 25 मिनट तक मैंने उनकी चूत मारी। उनकी सिसकारियाँ और चूत की गर्मी मुझे पागल कर रही थी। आखिरकार, मेरा पानी निकलने वाला था। मैंने कहा, “मौसी, मेरा निकलने वाला है।” वो बोलीं, “अंदर ही डाल दे, रोहित… आह…” मैंने अपना सारा माल उनकी चूत में डाल दिया, और हम दोनों हाँफते हुए बेड पर लेट गए। हमने एक-दूसरे को किस किया और नंगे ही सो गए।

अगले सात दिनों तक मैंने मौसी की जमकर चुदाई की। हर रात हम नए-नए तरीके से एक-दूसरे के साथ मजे लेते। कभी मैं उनकी चूत चाटता, कभी वो मेरा लंड चूसतीं। उनकी चूत का स्वाद और उनकी सिसकारियाँ मुझे दीवाना बना रही थीं। जब तक मौसी घर पर थीं, हमने हर पल को चुदाई के मजे में बदला। फिर वो अपने घर चली गईं, लेकिन मेरे दिल में उनकी चुदाई की यादें हमेशा के लिए बस गईं।

आपको मेरी और मौसी की चुदाई की कहानी कैसी लगी? क्या आपने भी कभी ऐसा अनुभव किया? कमेंट में जरूर बताएँ।

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