दो चाचियों की एक साथ चुदाई

मेरा नाम जगदीश बिष्ट है। मैं दिल्ली से पढ़ाई पूरी करके अभी-अभी लौटा हूँ और अब कॉम्पिटिटिव एग्जाम्स की तैयारी कर रहा हूँ। मेरे घर में मेरे मम्मी-पापा के अलावा मेरी दो चाचियाँ और उनके बच्चे भी रहते हैं। मेरी बड़ी चाची का नाम आशा है, उनकी उम्र 36 साल है। वो 5 फीट 6 इंच की गोरी-चिट्टी औरत हैं, जिन्हें देखकर लगता ही नहीं कि वो 30 से ज्यादा की हैं। उनका फिगर इतना मेन्टेंड है कि हर कोई उनकी तारीफ करता है। उनके बेटे की उम्र 18 साल है, जो अब कॉलेज में है। मेरी छोटी चाची, मोहिनी, 30 साल की हैं। वो थोड़ी साँवली लेकिन बेहद आकर्षक हैं। उनका फिगर भी कमाल का है, और वो अपने स्टाइल से हर किसी का ध्यान खींच लेती हैं। उनकी बेटी 10 साल की है, जो स्कूल में पढ़ती है। दोनों चाचियाँ पढ़ी-लिखी हैं और खुद को फिट और स्टाइलिश रखती हैं।

मैं पहले ही बता दूँ कि मैं अपनी दोनों चाचियों के साथ अलग-अलग मौकों पर नजदीकियाँ बना चुका हूँ। लेकिन आज की कहानी उस दिन की है जब मैंने दोनों को एक साथ अपने जाल में फँसाया और एक अनोखा अनुभव जिया। बात उस दिन की है जब मम्मी घर पर नहीं थीं। दोनों चाचियाँ किचन में खाना बना रही थीं। मैं चुपके से किचन में घुसा और मोहिनी चाची के पीछे जाकर उनके मुलायम बूब्स को उनके ब्लाउज के ऊपर से ही दबाने लगा। वो हड़बड़ा गईं और बोलीं, “जगदीश, ये क्या कर रहा है? कोई देख लेगा!” मैंने हँसते हुए कहा, “चाची, कोई नहीं है घर में, दरवाजा लॉक है।” तभी आशा चाची वहाँ आ गईं और मुझे डाँटते हुए बोलीं, “जगदीश, थोड़ी तो शर्म कर! अगर कोई आ गया तो हमारी बदनामी हो जाएगी।” मैंने उनकी तरफ देखा और शरारत से कहा, “चाची, आज तो मैं आप दोनों को एक साथ मजा देना चाहता हूँ।”

मोहिनी चाची मेरी बात सुनकर भागकर अपने कमरे में चली गईं। मैंने आशा चाची को अपनी बाहों में खींच लिया और उनके ब्लाउज के ऊपर से उनके बूब्स दबाने लगा। उनकी साड़ी को थोड़ा ऊपर उठाकर मैंने उनके नरम कुल्हों को सहलाना शुरू किया। वो शरमाते हुए बोलीं, “जगदीश, कमरे में चल, मैं आती हूँ।” मैंने कहा, “नहीं चाची, आज तो मैं आप दोनों को एक साथ चोदना चाहता हूँ।” ये सुनकर आशा चाची ने साफ मना कर दिया और बोलीं, “ये नहीं हो सकता। मोहिनी मेरी छोटी बहन जैसी है।” मैंने हार नहीं मानी और मोहिनी चाची के पास जाकर वही बात दोहराई। वो भी बोलीं, “नहीं जगदीश, आशा दीदी के सामने मैं ऐसा कैसे कर सकती हूँ?” मैंने जिद पकड़ ली और कहा, “चाची, अब मैं तभी खाना खाऊँगा और तभी कुछ करूँगा जब आप दोनों एक साथ राजी होंगी।”

उस रात मैंने खाना नहीं खाया। मम्मी ने डिनर टेबल पर पूछा, “जगदीश, क्या बात है? खाना क्यों नहीं खा रहा?” मैंने कहा, “मम्मी, मैंने दोनों चाचियों से एक काम माँगा है, वो नहीं मान रही हैं।” मम्मी ने हँसते हुए दोनों चाचियों से कहा, “अरे, मान लो ना उसकी बात। वैसे भी वो ज्यादा दिन तो यहाँ रुकने वाला नहीं। थोड़े दिन बाद चला जाएगा, फिर कोई कुछ नहीं कहेगा।” आशा चाची ने मोहिनी चाची की तरफ देखा और धीरे से कहा, “ठीक है।” मैं मन ही मन खुश हो गया।

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रात में जब दोनों चाचियाँ बर्तन साफ कर रही थीं, मैं उनके पास गया और बोला, “चाची, आप दोनों बहुत अच्छी हैं। लव यू!” मैंने दोनों को गाल पर एक-एक चुम्मी दी। आशा चाची ने कहा, “जगदीश, हमारी भी एक शर्त है। 10 दिन बाद तुम्हारी बुआ की बेटी की शादी में सब लोग जा रहे हैं। हम तभी ये सब करेंगे।” मैंने तुरंत हामी भर दी।

मैंने मार्केट से दोनों चाचियों के लिए सेक्सी ब्रा और पैंटी खरीदीं। आशा चाची के लिए ग्रीन रंग की लेस वाली ब्रा और पैंटी, और मोहिनी चाची के लिए ब्लैक रंग की। साथ में मैंने तीन फ्लेवर के कंडोम और एक कैप्सूल भी लिया, जो मेरे स्टैमिना को और बढ़ाए। घर लौटकर मैंने दोनों चाचियों को उनके गिफ्ट दिए और कहा, “उस दिन ये पहनकर आना।” दोनों ने शरमाते हुए हामी भरी।

शादी के लिए सब लोग तैयार हो गए। दोनों चाचियों ने किसी तरह घरवालों को मना लिया कि वो रुकेंगी। मैं सबको स्टेशन छोड़ने गया और लौटते वक्त वो कैप्सूल खा लिया। घर पहुँचते ही मैंने देखा कि दोनों चाचियाँ अपने-अपने काम में व्यस्त थीं। आशा चाची ने मुझे देखते ही कहा, “जगदीश, तुझे तो हमारे बूब्स का साइज अच्छे से पता है। एकदम फिटिंग की ब्रा लाया है।” मैंने हँसते हुए कहा, “चाची, अब तैयार हो जाओ, आज हम ग्रुप सेक्स करेंगे।” दोनों ने कहा, “बस 15 मिनट दे, हम तैयार होकर आती हैं।”

मैं अपने कमरे में गया, नहाया, अच्छा सा परफ्यूम लगाया और पजामा पहनकर तैयार हो गया। सबसे पहले आशा चाची आईं। उन्होंने ग्रीन साड़ी पहनी थी, जिसमें उनका डीप नेक ब्लाउज उनके भरे हुए बूब्स को और उभार रहा था। उनकी लाइट पिंक लिपस्टिक और हल्का मेकअप उन्हें और सेक्सी बना रहा था। थोड़ी देर बाद मोहिनी चाची आईं। वो ब्लैक साड़ी में थीं, स्लीवलेस ब्लाउज और रेड लिपस्टिक के साथ। दोनों को देखकर मेरा लंड तन गया।

हम तीनों बेड पर लेट गए। मेरे एक तरफ आशा चाची और दूसरी तरफ मोहिनी चाची। मैंने कहा, “चाची, अब कुछ करना भी है, बस सोना नहीं।” आशा चाची ने हँसते हुए कहा, “आइडिया तेरा है, शुरूआत भी तू कर।” मैंने आशा चाची की साड़ी का पल्लू हटाया और उनके बूब्स को ब्लाउज के ऊपर से दबाने लगा। उनके मुँह से हल्की सी सिसकारी निकली, “आह्ह…” मैंने मोहिनी चाची को पास बुलाया और उनके बूब्स को भी मसलना शुरू किया। दोनों चाचियाँ शरमा रही थीं, लेकिन उनकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी।

मैंने धीरे-धीरे दोनों की साड़ियाँ उतार दीं। आशा चाची ग्रीन ब्लाउज में और मोहिनी चाची ब्लैक ब्लाउज में थीं। दोनों का फिगर देखकर मैं पागल हो गया। मैंने कहा, “चाची, अब मेरे कपड़े भी उतारो।” दोनों ने मिलकर मेरा पजामा और टी-शर्ट उतार दिया। मेरा 7 इंच का लंड तनकर खड़ा था। मैंने आशा चाची से कहा, “आप मोहिनी चाची का ब्लाउज और पेटीकोट उतारो।” और मोहिनी चाची से कहा, “आप आशा चाची का।” दोनों ने एक-दूसरे को देखा, थोड़ा हिचकिचाईं, फिर धीरे-धीरे एक-दूसरे के कपड़े उतारने लगीं। देखते ही देखते दोनों ब्रा और पैंटी में थीं। आशा चाची की ग्रीन ब्रा में उनके 36D बूब्स उभरे हुए थे, और मोहिनी चाची की ब्लैक ब्रा में उनके 34C बूब्स कमाल लग रहे थे।

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मैंने दोनों को बेड पर लिटाया और उनके ऊपर चढ़ गया। पहले मैंने आशा चाची को किस किया, उनकी जीभ को चूसा, फिर मोहिनी चाची के होंठों को। दोनों की सिसकारियाँ, “आह्ह… ओह्ह…” कमरे में गूँज रही थीं। मैंने आशा चाची की ब्रा उतारी और उनके गोल-मटोल बूब्स को चूसने लगा। उनके निप्पल्स सख्त हो गए थे। मैंने एक हाथ मोहिनी चाची की पैंटी में डाला। उनकी चूत पूरी तरह साफ थी। मैंने उनकी तरफ देखा तो वो शरमाते हुए बोलीं, “आज के लिए खास तैयारी की है।” मैंने उनकी ब्रा भी उतार दी और उनके बूब्स को चूसने लगा।

मैंने आशा चाची से कहा, “चाची, मेरा लंड चूसो।” वो झट से नीचे आईं और मेरा लंड मुँह में ले लिया। उनकी गर्म जीभ मेरे लंड पर फिसल रही थी, “स्लर्प… स्लर्प…” की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी। मैंने मोहिनी चाची की चूत में उंगली डाली और उसे चाटने लगा। उनकी चूत गीली हो चुकी थी, और वो सिसकार रही थीं, “आह्ह… जगदीश… और कर…”

मैंने दोनों को पूरा नंगा कर दिया। फिर मैंने वैनिला फ्लेवर का कंडोम अपने लंड पर चढ़ाया और दोनों से कहा, “अब इसे चूसो।” दोनों बारी-बारी से मेरे लंड को चूसने लगीं। आशा चाची मेरे लंड को गहराई तक ले रही थीं, और मोहिनी चाची मेरे टट्टों को सहला रही थीं। मैंने कहा, “चाची, आप दोनों एक-दूसरे को किस करो।” दोनों ने बहुत मना किया, लेकिन मेरी जिद के आगे हार मान ली। दोनों ने एक-दूसरे के होंठ चूमे, और वो सीन इतना हॉट था कि मेरा लंड और सख्त हो गया।

मैंने आशा चाची की चूत चाटना शुरू किया। उनकी चूत का स्वाद नमकीन और गर्म था। मैंने मोहिनी चाची से कहा, “आप आशा चाची की चूत चाटो।” वो हिचकिचाईं, लेकिन फिर धीरे-धीरे उनकी चूत पर जीभ फेरी। आशा चाची सिसकार उठीं, “आह्ह… मोहिनी… ऐसे ही…” हम तीनों करीब 20 मिनट तक एक-दूसरे को चाटते रहे। दोनों चाचियाँ एक-एक बार झड़ चुकी थीं। उनकी सिसकारियाँ, “ओह्ह… आह्ह…” कमरे में गूँज रही थीं।

फिर मोहिनी चाची मेरे लंड पर बैठ गईं। वो धीरे-धीरे ऊपर-नीचे होने लगीं। उनका टाइट चूत मेरे लंड को जकड़ रहा था। “थप… थप…” की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी। मैंने आशा चाची को अपने मुँह पर बिठाया और उनकी चूत चाटने लगा। वो जोर-जोर से सिसकार रही थीं, “आह्ह… जगदीश… और तेज…” फिर मैंने उनकी गांड के छेद को चाटा और धीरे से एक उंगली अंदर डाली। वो चिहुंक उठीं, “उह्ह… धीरे…” मोहिनी चाची ने अपनी रफ्तार बढ़ा दी और 5-6 मिनट बाद वो जोर से चिल्लाईं, “आह्ह… मैं झड़ रही हूँ…” और मेरे लंड पर ही झड़ गईं।

मोहिनी चाची मेरे बगल में लेट गईं। उनका चेहरा पसीने से चमक रहा था। आशा चाची ने कहा, “अब मेरी बारी।” उन्होंने मेरा कंडोम उतारा, नया स्ट्रॉबेरी फ्लेवर का कंडोम चढ़ाया और मेरे लंड को चूसने लगीं। दो मिनट बाद वो मेरे लंड पर बैठ गईं और धीरे-धीरे अंदर-बाहर करने लगीं। मैंने मोहिनी चाची को अपने मुँह पर बिठाया और उनकी गांड और चूत चाटने लगा। उनकी गांड में पसीने की बूँदें थीं, जो चाटने में और मजा दे रही थीं। मैंने उनकी गांड में उंगली डाली और जोर-जोर से चाटने लगा। आशा चाची ने अपनी स्पीड बढ़ा दी और 10 मिनट बाद वो भी झड़ गईं, “आह्ह… जगदीश… बस…”

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हम तीनों थोड़ी देर लेटे रहे। फिर मैंने दोनों को 69 की पोजीशन में आने को कहा। दोनों ने एक-दूसरे की चूत चाटी। उनकी सिसकारियाँ, “आह्ह… ओह्ह…” कमरे में गूँज रही थीं। फिर मैंने दोनों को घोड़ी बनाया। पहले मैंने आशा चाची की गांड में अपना लंड डाला। उनकी गांड टाइट थी, और वो सिसकार रही थीं, “आह्ह… धीरे… दर्द हो रहा है…” मैंने मोहिनी चाची की गांड में तीन उंगलियाँ डालीं, जिन पर कंडोम चढ़ा था। दोनों को एक साथ चोदने का मजा अलग ही था। करीब 20 मिनट बाद आशा चाची बोलीं, “बस जगदीश, अब और नहीं…” मैंने उनका लंड निकाला और मोहिनी चाची की गांड में डाल दिया। आशा चाची की चूत में मैंने अपनी उंगलियाँ डालीं। मोहिनी चाची को भी 20 मिनट तक चोदा, और वो भी थक गईं।

अब मैंने कंडोम उतारा और दोनों को कहा, “मेरे लंड को चूसो।” दोनों मेरे लंड को बारी-बारी चूसने लगीं। 10 मिनट बाद मैं झड़ गया। मेरा सारा माल मोहिनी चाची के मुँह में गया। मैंने कहा, “चाची, आधा आशा चाची को दो।” दोनों ने एक-दूसरे के मुँह को चिपकाया और मेरा माल आधा-आधा बाँट लिया। फिर हम तीनों नंगे ही बिस्तर पर लेट गए और कब नींद आ गई, पता ही नहीं चला।

सुबह जब मेरी आँख खुली, दोनों चाचियाँ सो रही थीं। उनकी गांड सूजी हुई थी। मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। मैंने आशा चाची की चूत में अपना लंड डाल दिया। वो दर्द से चिल्लाईं, “आह्ह… जगदीश, रुक जा… दर्द हो रहा है।” मैंने कहा, “चाची, आप जैसी हसीना सामने हो तो रुकना मुश्किल है।” मैंने उनकी चूत को जोर-जोर से चोदा। वो चिल्ला रही थीं, “आह्ह… बस… मर जाऊँगी…” फिर मैंने मोहिनी चाची की चूत में लंड डाला। वो भी चिल्लाईं, “बस कर जगदीश…” लेकिन मैंने उनकी एक न सुनी और 10 मिनट बाद उनकी चूत पर ही झड़ गया।

फिर हम तीनों बाथरूम में गए। मैंने दोनों की चूत और गांड को रगड़-रगड़कर साफ किया। आशा चाची मेरे ऊपरी हिस्से को नहलाने लगीं, और मोहिनी चाची मेरे लंड और टट्टों को। नहाने के बाद हम बाहर आए। पूरे दिन मैंने दोनों को नंगा रखा। रात में भी हमने खूब सेक्स किया। चार दिन तक, जब तक घरवाले वापस नहीं आए, हमने जमकर मस्ती की। अब भी जब मौका मिलता है, हम चालू हो जाते हैं।

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