दो गर्म बहनें एक साथ चुदी

हाय, मैं आसिफ, फिर से आपसे मुलाकात हो रही है। मेरी पिछली असली कहानी ‘साले की बीवी की मस्त गांड’ को आप सबने इतना प्यार दिया, इसके लिए दिल से शुक्रिया। आप सबके ईमेल और रिक्वेस्ट के जवाब में मैं अब अपनी अगली सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हूँ। जिन्होंने मेरी पहली कहानी नहीं पढ़ी, उनके लिए मैं अपने और आयशा का थोड़ा परिचय दे देता हूँ। मैं 33 साल का हूँ, मेरी हाइट 5 फुट 7 इंच है, और वजन ज्यादा नहीं, बस 64 किलो, जो कोई भी लड़की आसानी से झेल सकती है। दिखने में मैं काफी स्मार्ट हूँ, और मेरा हथियार 7.5 इंच लंबा है, जो किसी को भी संतुष्ट करने के लिए काफी है। मैं दिल्ली की एक कंपनी में काम करता हूँ। मेरे साले बिलाल की बीवी, जिसका नाम आयशा है, वो 25 साल की है। उसकी हाइट 5 फुट 3 इंच है, गोरी-चिट्टी, स्लिम और एकदम मलाइका शेरावत जैसी दिखती है। उसकी आवाज़ तो उससे भी ज्यादा सेक्सी है। उसके सीने पर दो सेब जैसे उभरे हुए स्तन हैं, जिन्हें मैं अब मसल-मसलकर पपीते जैसा बना दूँगा। जब वो चलती है, तो उसकी मटकती हुई गोल-गोल गांड की तरफ नजर अपने आप चली जाती है। कुल मिलाकर, उसे हुस्न और सेक्स की जीती-जागती मूर्ति कह सकते हैं। मैंने उसे कैसे पटाया (वो अपने पति के लंड से संतुष्ट नहीं थी), ये मैं पिछली कहानी में बता चुका हूँ। अगर मैं वो बातें यहाँ दोहराऊँगा, तो कहानी बहुत लंबी हो जाएगी।
अब आयशा और मैं महीने में दो बार मिलते थे और खूब मस्ती करते थे। कभी घर पर, तो कभी बाहर किसी होटल में। वो मुझे फोन करके बता देती थी कि कहाँ आना है, और मैं ऑफिस से छुट्टी लेकर चला जाता। फिर हम शाम तक खूब चुदाई करते। महीने में एक बार घर पर और एक बार होटल में, क्योंकि हमने तय किया था कि महीने में दो बार से ज्यादा नहीं मिलेंगे, चाहे मेरा मन उसे कितना भी चोदने का हो या उसका चुदवाने का। हम नहीं चाहते थे कि हमारे इस चुदाई वाले रिश्ते की भनक किसी को लगे, क्योंकि अगर ऐसा हो गया, तो हमारे दोनों भरे-पूरे परिवार तबाह हो सकते थे। लोगों के सामने हम एक-दूसरे को अवॉइड करते थे। मैं अपनी बीवी के सामने आयशा की बुराई करता, और वो अपने पति के सामने मेरी। इससे उनके मन में हमारे लिए कोई शक नहीं होता था।
लेकिन जब भी हम अकेले में मिलते, तो खूब मस्ती करते। 2-3 घंटे में मैं उसकी दो-तीन बार या तो चूत चोद देता या फिर गांड मार लेता। मैं उसे हर आसन में चोदता था—कभी वो मेरे ऊपर होती, कभी मैं। कभी खड़े-खड़े, तो कभी मैं खड़ा होकर उसे अपनी गोद में बिठाकर चोदता। वो भी मेरा पूरा साथ देती थी और ख्याल रखती थी। गंदी बातें करने में वो अब एक्सपर्ट हो गई थी। हर बार मेरी पसंद के हिसाब से नई-नई स्टाइल और रंग की ब्रा-पैंटी पहनकर आती थी, जो बिलाल (उसका पति) उसे लाकर देता था। एक दिन मैं उसकी गांड मारकर होटल के कमरे में उसके साथ लेटा हुआ था। बातों-बातों में मैंने उससे कहा, “कब अपनी कजिन से मिलवा रही हो?” वो बोली, “क्यों जीजू, मुझसे मन भर गया क्या?” मैंने कहा, “नहीं, ऐसा नहीं है। लेकिन जवानी जिंदगी में एक बार ही आती है। इसमें जितने मजे लूट सको और लुटा सको, उतना अच्छा। वरना जवानी निकलने के बाद सिर्फ पछतावा ही हाथ लगता है।” वो बोली, “जीजू, बिल्कुल सही कह रहे हो। मैं मौका देखकर उससे बात करके आपको बताती हूँ। लेकिन फिर आपको भी मुझे दो लंड के मजे दिलवाने पड़ेंगे। मैंने ब्लू फिल्म में देखा है कि लड़कियाँ कैसे दो-दो आदमियों का लंड लेती हैं। थोड़ी तकलीफ तो होती है, लेकिन बाद में मजा भी बहुत आता है।” मैंने उसकी चूत मसलते हुए कहा, “बिल्कुल, मैं तुमसे वादा करता हूँ, तुम्हारी चूत की कसम।”
फिर एक दिन उसने अपनी शादी की सीडी में अपनी उस कजिन को दिखाया, जिसके बारे में वो बात करती थी। उसका नाम साइमा था। वो भी आयशा की तरह ही खूबसूरत और स्लिम थी। उम्र में आयशा से करीब 3 साल बड़ी थी और दो बच्चों की माँ थी। लेकिन देखने से बिल्कुल नहीं लगता था कि वो दो बच्चों की माँ है। उसने अपने शरीर को बहुत अच्छे से मेंटेन किया हुआ था।
एक दिन मैं ऑफिस में बैठा काम कर रहा था, तभी आयशा का फोन आया। वो बोली, “जीजू मेरी जान, कल दोपहर 12 बजे घर आ जाना, मैं इंतज़ार करूँगी।” मैंने कहा, “जरूर आ जाऊँगा, चिनाल। लेकिन अभी पिछले हफ्ते ही तो मैंने तुम्हारी चुदाई की थी। क्या फिर से गांड में खुजली चल रही है?” वो बोली, “पहले कल घर आ जाओ, फिर बताती हूँ। लंच साथ में ही करेंगे। और घर पर दीदी से बोलकर आना कि रात को देर से लौटेंगे, क्योंकि कल बिलाल ड्यूटी से सीधे अपने दोस्तों के साथ पार्टी में जाएगा और रात 12 बजे तक लौटेगा।” मैंने कहा, “ठीक है।” फिर मैंने अपने ऑफिस से एक सेल्स टैक्स ऑफिसर, जो मेरी ही उम्र का था और मेरा अच्छा दोस्त बन गया था, उसे फोन लगाया। मैंने कहा, “मेरी तुमसे एक पर्सनल रिक्वेस्ट है। मुझे कुछ जरूरी काम से छुट्टी चाहिए, लेकिन मेरा बॉस छुट्टी नहीं दे रहा। कल 11:30 बजे बॉस को फोन करके बोल देना कि सेल्स टैक्स में जो केस चल रहा है, उसकी फाइल लेकर मुझे तुम्हारे पास भेज दो। उस फाइल को निपटाने में शाम हो जाएगी, और मैं वहाँ से सीधे घर चला जाऊँगा। बदले में मैं तुम्हारी हर महीने की रिश्वत 500 रुपये बढ़वा दूँगा।” वो मान गया। थोड़ी देर बाद मेरे बॉस का फोन आया कि कल 11:30 बजे सेल्स टैक्स चले जाना, और अगर देर हो जाए तो वहाँ से सीधे घर चले जाना।
अगले दिन मैंने अपनी बीवी को बताया कि मुझे ऑफिस के काम से बाहर जाना है, रात को आने में थोड़ी देर हो सकती है। ऑफिस पहुँचकर मैंने अपने जरूरी काम निपटाए, एक सेल्स टैक्स की फाइल बैग में रखी, और बॉस को सेल्स टैक्स जाने का बोलकर आयशा के घर के लिए निकल पड़ा। रास्ते में मैं सोचता रहा कि आज तो आयशा को सीढ़ियों पर बिठाकर चोदूँगा। और अगर वो मुझे दो चूतों का मजा दिलवाती है, तो मैं भी अपने इस सेल्स टैक्स ऑफिसर दोस्त के साथ मिलकर उसे चोदूँगा। वो भी मेरी उम्र का था, और उससे मुझे कई फायदे हो सकते थे। उससे मेरी अच्छी पटती थी, और हम हर तरह की बातें कर लेते थे। एक-दूसरे के घर भी आना-जाना था।
मैं आयशा के घर पहुँचा और डोरबेल बजाई। थोड़ी देर बाद दरवाजा खुला, तो मैंने देखा कि आयशा की जगह उसकी कजिन साइमा ने दरवाजा खोला। वो क्या सेक्सी लग रही थी! मेरी नजरें उसे ऊपर से नीचे तक निहार रही थीं। उसने स्काई ब्लू रंग की साड़ी पहनी थी, जो इतनी टाइट और आकर्षक थी कि उसका गोरा पेट, नाभि, और पीठ साफ दिख रही थी। ब्लाउज भी काफी लो-कट था, जिसमें से उसकी आधी-आधी चूचियाँ जरूर दिख रही होंगी, पर पल्लू होने की वजह से मुझे नहीं दिखीं। उसे अचानक वहाँ देखकर मैं चौंक गया, क्योंकि आयशा ने फोन पर उसके बारे में कुछ नहीं बताया था। वो मुझे देखकर दरवाजे से हटी और बोली, “अंदर आइए।” मैं अंदर जाकर सोफे पर बैठा, तो उसने बाहर का दरवाजा बंद कर दिया। मैंने पूछा, “आयशा कहाँ है?” साइमा बोली, “आयशा नहा रही है। आपका इस वक्त कैसे आना हुआ?” मैंने कहा, “बस, यूं ही इधर से गुजर रहा था, तो सोचा हाल-चाल पूछ लूँ। आप कब आईं?” साइमा बोली, “रात को ही आई हूँ, दो दिन के लिए। परसों चली जाऊँगी।” मैंने कहा, “इतनी जल्दी?” वो बोली, “हाँ, बच्चों को घर पर अकेले छोड़कर आई हूँ।” मैंने कहा, “अच्छा।” उससे बात करते-करते मैंने उसका पूरा शरीर अपनी नजरों से नाप लिया। उसकी चूचियाँ लगभग 34 साइज की, कमर 32, और गांड की गोलाई 44 की होगी।
इतने में आयशा नहाकर बाहर आई। उसने एक बहुत पतले कपड़े का प्रिंटेड गाउन पहना था, जिसमें से उसकी गुलाबी ब्रा और पैंटी साफ दिख रही थीं। उसे देखकर साइमा बोली, “जीजाजी इधर से गुजर रहे थे, तो तुम्हारा हाल-चाल पूछने घर आ गए।” और वो आयशा की तरफ देखकर मुस्कुराने लगी। आयशा भी मुस्कुराते हुए बोली, “जीजाजी, हमारे हाल-चाल तो ठीक हैं, आपके सुनाओ।”
अब मुझे कुछ-कुछ समझ आ रहा था, लेकिन मैंने इंतज़ार करना बेहतर समझा। जब तक सामने से हरी झंडी न मिले, मैं आगे नहीं बढ़ना चाहता था। साइमा मेरे सामने कुर्सी पर बैठ गई, और आयशा अपने बाल सुखाने लगी। उसके गीले बालों से पानी उसकी पीठ और कमर पर होता हुआ उसके चूतड़ों तक पहुँच रहा था, जिससे उसका गाउन उसके शरीर से चिपक गया। मैं उसे देख रहा था, और साइमा मुझे। कभी-कभी वो मेरी पैंट के ऊपर से मेरे लंड को देख रही थी, शायद मन ही मन उसकी लंबाई का अंदाजा लगा रही थी। आयशा ने अपने बालों में कंघी की, हमारे लिए चाय, बिस्किट और मिठाई लाई, और मेरे पास ही सोफे पर बैठ गई। उसने धीरे से मेरी जांघ पर चिकोटी काट दी। साइमा अपनी कुर्सी से उठी और बोली, “मैं अभी आई,” और बाथरूम चली गई। मैंने आयशा की तरफ देखा, तो वो मुझे आँख मारते हुए बोली, “जीजू, मैंने सारा मामला फिट कर दिया है। आज हम दोनों को चूत और गांड का मजा लेना है।” मैंने उसका निप्पल दबाते हुए कहा, “तुमने उसे मेरे बारे में सब बता दिया ना?” आयशा बोली, “हाँ, मैंने बता दिया कि आपको सेक्स में खुलापन पसंद है, शर्माना नहीं, गंदी-गंदी बातें पसंद हैं, और गांड मारना और चाटना पसंद है।” मैंने पूछा, “क्या वो तैयार है?” आयशा बोली, “इसलिए तो आपको बुलाया, वरना फोन क्यों करती?” इतने में साइमा बाथरूम से निकली। मैं और आयशा सीधे होकर बैठ गए। साइमा वापस अपनी कुर्सी पर बैठने लगी, तो आयशा बोली, “अरे दीदी, वहाँ क्यों बैठ रही हो? हमारे पास ही आकर बैठो। आखिर जीजाजी भी तो अपने ही हैं, इनसे क्या शर्माना?” साइमा थोड़ा झिझकते हुए मेरे दूसरी तरफ सटकर बैठ गई। अब अगर मैं अपना कोई भी हाथ हिलाता, तो एक तरफ आयशा की चूची टच हो जाती, और दूसरी तरफ साइमा की।
मैंने अपना एक हाथ साइमा की जांघ पर रखा और दूसरा आयशा की जांघ पर, और दोनों की जांघों को हल्के-हल्के सहलाने लगा। मैंने साइमा से कहा, “ऐसे क्यों चुपचाप बैठी हो? लो, चाय लो।” और मैंने अपना हाथ उसकी गर्दन में डालकर उसका गाल अपने मुँह के सामने किया और उसे किस कर लिया। साइमा मुस्कुराने लगी। तभी आयशा ने मुझे किस करते हुए कहा, “जीजू, चलो अब जल्दी से चाय-नाश्ता खत्म करो और हम दोनों बहनों को बेडरूम में ले चलकर जल्दी से अपनी रंडी बना डालो।” मैंने कहा, “जो हुक्म मेरी जान।” फिर हम लोग चाय पीने लगे। मैंने मिठाई का एक टुकड़ा उठाया और अपनी जीभ पर रखकर जीभ बाहर निकाली आयशा की तरफ। आयशा ने तुरंत अपना मुँह खोलकर मेरी जीभ अंदर ले ली और चूसने लगी। मेरी जीभ पर रखा मिठाई का टुकड़ा उसने खा लिया। फिर मैंने अपनी जीभ पर एक और टुकड़ा रखा और साइमा की तरफ बढ़ाया। उसने भी आयशा की तरह चूस-चूसकर खा लिया। मैंने साइमा को अपनी गोद में खींचा और उसकी साड़ी का पल्लू हटाकर उसके ब्लाउज के ऊपर से ही उसके स्तन मसलने लगा। मैंने कहा, “क्या तुम्हारे पति ने कभी ऐसे मिठाई खिलाई है?” साइमा बोली, “नहीं, कभी नहीं। आप तो बहुत मजे से हर काम करते हो।” मैंने कहा, “तुम्हें कैसे पता?” वो बोली, “मुझे आयशा ने आप दोनों के बीच क्या चलता है, सब बता दिया है।” अब मैंने आयशा की तरफ देखा और उसके स्तन को गाउन के ऊपर से ही मसलने लगा। आयशा बोली, “हाँ जीजू, मैंने इसे सब बता दिया है। और सुबह बिलाल के ऑफिस जाने के बाद मैंने इसे एक बीएफ भी दिखाई, जिसमें एक लड़का और दो लड़कियाँ थीं।” मैंने कहा, “वेरी गुड।”
हमने चाय-नाश्ता खत्म कर लिया। साइमा की झिझक अब तक काफी हद तक खत्म हो चुकी थी। मेरा लंड खड़ा होकर साड़ी के ऊपर से ही उसकी गांड की दरार में फंसा हुआ था। जब मैं झटका देता, तो साइमा भी ऊपर उछल जाती। मैंने उसके गाल सहलाते हुए कहा, “क्या अब तुम तैयार हो एक नया आनंद लेने के लिए?” वो बोली, “मैं नहीं, हम दोनों तैयार हैं।” मैंने कहा, “चलो, अब दोनों रंडियों, बेडरूम में चलो।” मैं खड़ा हो गया, और वो दोनों मेरे आजू-बाजू खड़ी हो गईं। मैंने अपने हाथ पीछे ले जाकर उनके चूतड़ों पर फेरे। फिर आयशा का गाउन पीछे से उठाकर उसकी चड्डी में हाथ डाला और उसकी गांड के छेद को सहलाने लगा। दूसरे हाथ से मैंने साइमा की साड़ी उठाकर उसकी चड्डी में भी हाथ डालकर उसकी गांड के छेद को सहलाया और बोला, “अब चलो।” दोनों बहनें मेरे साथ चलने लगीं। सीढ़ियाँ चढ़ते वक्त मैं पीछे से उनकी गांड सहलाता रहा।
हम बेडरूम में पहुँचे। वहाँ सेंट की भीनी-भीनी खुशबू आ रही थी। बेडरूम में खड़े-खड़े ही मैंने दोनों को अपने सामने किया और दोनों को साथ-साथ किस करने लगा। वो भी कभी मुझे, तो कभी एक-दूसरे को किस करने लगीं। ये दौर करीब दस मिनट चला। फिर हम तीनों थक गए। मैंने आयशा से कहा, “साइमा ने ज्वेलरी और चूड़ियाँ बहुत पहन रखी हैं, इन्हें उतार दो। फिर तुम दोनों एक-दूसरे को रगड़कर गर्म करो और अपने ऊपरी कपड़े उतारो।” वो मेरा कहा मानकर साइमा की ज्वेलरी उतारने लगीं और एक-दूसरे को किस करने लगीं। साइमा भी अब गर्म हो चुकी थी। मैं पलंग पर जाकर बैठ गया। आयशा और साइमा एक-दूसरे के मुँह में जीभ डालकर अपनी चूचियाँ आपस में रगड़ रही थीं। तभी साइमा ने आयशा के गाउन की डोरी खींच दी और गाउन उतार फेंका। आयशा अब सिर्फ गुलाबी रंग की लेस वाली पैंटी और ब्रा में थी। आयशा ने भी धीरे-धीरे साइमा के कपड़े उतारने शुरू किए और उसे सिर्फ काले रंग की ब्रा और पैंटी में ले आई। अब दोनों बहनें एक से बढ़कर एक सेक्सी लग रही थीं। मैंने कहा, “तुम दोनों कुतियों के चूत के बाल साफ हैं ना?” आयशा बोली, “हाँ जीजू, आज सुबह ही किए हैं।” मैंने कहा, “ठीक है। अब दोनों एक-दूसरे की चूचियाँ मसलो और आपस में अपनी चूत रगड़ो। क्या मस्त लग रही हो दोनों बहनें!” वो मेरे आदेश का पालन करने लगीं, और मैं भी अपने कपड़े उतारने लगा। अब मैं सिर्फ अपनी नेवी ब्लू रंग की जॉकी रियो अंडरवियर में था। उनकी तरफ देखा, तो उन्होंने अपनी-अपनी ब्रा निकाल दी थी और एक-दूसरे के निप्पल दबा रही थीं, चिपटकर पीठ सहला रही थीं।
मैं उठकर उनके पास पहुँचा और उनकी एक-एक चूची मुँह में लेकर पीने लगा। उनकी पैंटी पर हाथ ले जाकर उनकी चूत सहलाने लगा। मैंने देखा कि उनकी पैंटी काफी गीली हो चुकी थी। तभी साइमा ने मेरे लंड को अंडरवियर के ऊपर से ही सहलाया और बोली, “हाय जीजू, कितना बड़ा और मोटा लंड है आपका! मैं तो मर ही जाऊँगी। इतना तगड़ा तो मैंने अपने जीवन में किसी का नहीं देखा। ये रंडी आयशा कैसे ले लेती है आपका?” आयशा बोली, “जीजू का इतना तगड़ा और मोटा है, तभी तो मैं इनकी चुदाई की इतनी दीवानी हूँ। तू भी एक बार अपनी चूत में ले लेगी, तो फिर देखना, किसी दूसरे मर्द से चुदवाने की इच्छा ही नहीं करेगी, मेरी चिनाल दीदी।”
मैंने साइमा की छोटी-सी पैंटी के अंदर हाथ डालकर उसकी चूत के दाने को मसलते हुए कहा, “तू बता, तू अपने पति से कैसे चुदवाती है, और लोगों से भी कैसे चुदवाती है?” अब आयशा साइमा के स्तन अपने मुँह में लेकर उन पर हल्के-हल्के काट रही थी। साइमा बोली, “उह्ह्ह… आआआ… जीजू, मेरे पति का तो बस 4-5 इंच का है। साला रोज रात को शराब पीकर आता है और मुझे ठीक से गर्म किए बिना ही चोद देता है। जब तक मैं गर्म होती हूँ, आआह्ह… आयशा चिनाल, धीरे-धीरे चूस… तब तक वो झड़ जाता है और दूसरी तरफ मुँह करके सो जाता है। सच्ची कहूँ, तो मैंने शादी के बाद किसी दूसरे मर्द से कभी नहीं चुदवाया। लेकिन कॉलेज में मेरे एक बॉयफ्रेंड और उसके दोस्त ने मुझे तीन-चार बार चोदा था। पर उनके हथियार आपके जैसे तगड़े नहीं थे।” अब साइमा मेरे अंडरवियर में हाथ डालकर मेरे लंड को पकड़कर सहला रही थी। मैंने कहा, “इसका मतलब तूने दो-दो लंड एक साथ ले चुकी है, रंडी।” साइमा बोली, “नहीं, वो एक-एक करके कमरे में आकर मुझे चोदते थे।”
अब मैंने साइमा को छोड़कर आयशा को पकड़ा। उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी, जिसे मैं चूसने लगा और दोनों हाथों से उसके स्तन दबाने लगा। फिर मैंने अपना एक हाथ साइमा की पीठ में डालकर उसे भी जोर से अपने साथ चिपका लिया और बोला, “तेरी ये छोटी बहन भी अपनी जवानी बिना लंड का सुख भोगे खतम कर रही थी। समय रहते मैं मिल गया, वरना बेचारी की जवानी इसका पति तो ठंडी ही नहीं कर पाता था।” फिर मैं घुटनों के बल बैठ गया और आयशा की पैंटी को अपने मुँह से खींचकर निकाल दिया। उसकी चूत को चूसने लगा। वो “उफ्फ्फ… जलिम भोसड़ी के, अब मेरी चूत में अपना लंड डाल दे,” कहने लगी। फिर मैंने अपने मुँह से साइमा की पैंटी भी निकाली और उसकी चूत भी चूसी। दोनों की पैंटी उठाकर मैंने आयशा की पैंटी साइमा के मुँह में और साइमा की पैंटी आयशा के मुँह में घुसेड़ दी और बोला, “दोनों कुतिया, पहले एक-दूसरे की चूत का रस तो चख लो।” वो दोनों बड़े प्यार से पैंटी अपने मुँह में डालकर चूसने लगीं। साइमा ने आगे बढ़कर मेरा अंडरवियर उतार दिया।
अब दोनों के हाथ मेरे लंड को पकड़कर सहला रहे थे और मुँह से एक-दूसरे की पैंटी चूस रही थीं। फिर मैंने आयशा को बेड पर लिटाकर उसके ऊपर साइमा को 69 पोजीशन में लिटाया और एक-दूसरे की चूत चाटने को कहा। दोनों बहनें एक-दूसरे की चूत चाट रही थीं। उनकी बिना बालों वाली चूत बहुत प्यारी लग रही थी। मैं कभी साइमा की चूत को अपनी उंगलियों से खोल देता, तो कभी आयशा की, ताकि उनकी जीभ और अंदर जा सके। दोनों “उफ्फ्फ… आआआ… ओओओ… चाटो मेरी चूत को… आआआ…” कहते हुए अपनी कमर उछाल-उछालकर चाट रही थीं। फिर मैंने साइमा की चूत से टपक रहे रस से अपनी दोनों उंगलियाँ गीली कीं और उसकी गांड के छेद पर लगाया। फिर अपनी दो उंगलियाँ उसकी गांड में एकदम से आधी-आधी गहराई तक डाल दीं। साइमा चीख पड़ी, “उफ्फ्फ… आआआ… मम्म्मा… मार डाला रे… ये क्या… उफ्फ्फ… कर रहे हो… प्लीज मेरी गांड… आआआ… मन से उंगलियाँ निकालो… बहुत दर्द हो रहा है… प्लीज…” आयशा ने उसका सिर अपनी दोनों जांघों से अपनी चूत पर और दबा लिया और बोली, “दीदी, मेरा जीजू ऐसे ही चोदता है, तड़पा-तड़पाकर। अब तकलीफ छोड़ और मजा ले, देखना कितना मजा देगा ये मेरा बड़े लंड वाला जीजू।” फिर मैं अपनी दोनों उंगलियों को अंदर-बाहर करने लगा। उसकी गांड का जो माल निकल रहा था, उसे मैं आयशा के मुँह में अपनी उंगलियों को घुसेड़कर चटा देता, फिर उसकी गांड में उंगली कर देता। फिर मैं उठकर आयशा की चूत के पास आया और उसकी गांड में भी उंगली डाली और उसे साइमा को चटाया। लेकिन अब आयशा की गांड चुद-चुदकर ढीली हो गई थी, इसलिए उसे उतना दर्द नहीं हुआ, जितना साइमा को। फिर दोनों बहनें एक-दूसरे के मुँह में झड़ गईं।
फिर दोनों एक-एक करके बाथरूम गईं और मेरे आजू-बाजू पलंग पर लेट गईं। मैंने साइमा से कहा, “तेरी छोटी बहन लंड बहुत अच्छा चूसती है। तू भी चूसकर बता कि तू भी अपनी बहन की तरह चिनाल है या उससे ज्यादा।” और मैंने उसके बाल पकड़कर उसका मुँह अपने लंड के सामने कर दिया। वो मेरे सोए हुए लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी और कभी-कभी अपनी जीभ मेरी गोटियों पर फेरती थी, जिससे मेरा मजा दोगुना हो जाता था। मैंने आयशा को अपने ऊपर खींचकर उसके स्तन अपने मुँह में भर लिए और अपने हाथों से उसके चूतड़ मसलने लगा। इधर मेरा लंड अब पूरी तरह तन गया था। मैं उसे ज्यादा देर चूसने देना नहीं चाहता था, क्योंकि मुझे दो-दो औरतों को चोदना था। आयशा मुझसे बोली, “जीजाजी, आज तो आप इस साइमा की बुर को अच्छे से रगड़कर चोदना। इसका भोसड़ा बना देना। सुबह से ही हरामजादी की चूत में चीटियाँ काट रही हैं।” मैंने कहा, “तुम दोनों की चूतों का क्या हाल करेगा मेरा ये लवड़ा, तुम अपने सामने ही देख लेना। चलो, अब अपनी चूत फटवाने तैयार हो जाओ।” और मैंने साइमा के मुँह से अपना लवड़ा निकाला और उसे पलंग पर सीधा सुलाकर उसकी गांड के नीचे एक तकिया रखा। उसके दोनों पैर उठाकर अपने कंधों पर रख लिए और अपना लंड उसकी चूत के मुँह पर रगड़ने लगा। वो “उउउउ… आआह्ह्हा…” करने लगी और आयशा की तरफ देखकर मुस्कुराने लगी। वो बोली, “आआह्ह्ह… उउउह्ह… येस्स्स… बहन हो तो ऐसी… कितना ख्याल रखती है… आआह्ह्ह… नोओओ… प्लीज… अपनी बड़ी बहन का… प्लीज जीजू… उउउई… माँ… मेरी चूत में चीटियाँ काट रही हैं… प्लीज अब अपना… ओओओफ्फ्फ… मूसल अंदर डाल दो ना… मैं… आआआ… तड़प रही हूँ… प्लीज मेरी चूत को चोदो ना… आआआ… कुत्ते जीजू, अपना लंड डाल दे ना… आआआ…”
मैंने देखा कि उसकी चूत में से पानी आने लगा था। मैंने आयशा की तरफ देखा, तो उसने मुझे आँख मारकर इशारा किया। मैंने उसके दोनों निप्पल अपने हाथ से दबाने शुरू किए और एक तगड़ा शॉट मारा। साइमा चीखी, “उउउउई… मम्म्मा… नोओओ… प्लीज… ये क्या किया… मेरी चूत फाड़ दी रे… ओओह्ह्हा…” मैंने देखा कि मेरा लंड उसकी चूत में लगभग चार इंच धंस गया था। उसकी चूत वाकई में बहुत टाइट लग रही थी। मैं उसके निप्पल और जोर से मसलते हुए बोला, “साली कुतिया बहनचोद, इतना चिल्ला क्यों रही है? जैसे पहली बार अंदर गया हो। तेरी माँ की चोद, दो-दो बच्चों को इस चूत से जन्म दिया, फिर भी कुंवारी बन रही है। चुपचाप पड़ी रह और लंड पूरा तो पेलने दे, फिर देखना।” साइमा की आँखों में से आँसू आ गए और वो बोली, “जीजू, प्लीज धीरे-धीरे डालो। मैंने इतना मोटा और लंबा लंड कभी नहीं लिया। आपका तो घोड़े से भी मोटा है। मैं मर जाऊँगी… प्लीज…” मैंने कहा, “तेरी ये चिनाल बहन मरी क्या? ये मादरचोद तो चूत और गांड पूरे मजे से मरवाती है।” फिर मैंने एक और शॉट मारा। इस बार लंड दो इंच और अंदर चला गया। साइमा “आआआउउई… नोओओ… प्लीज… प्लीज… निकाल लो अपना लंड… मुझे नहीं चुदवाना तुमसे… मम्म्मा… मार गई रे… ओहो… आयशा, तूने मेरी चूत फटवा दी रे रंडी… प्लीज इस कुत्ते को बोल, मुझे नहीं चुदवाना… तू ही चुदवा ले इस मूसल से… ओहो…” आयशा ने साइमा के होंठ चूमते हुए कहा, “प्लीज दीदी, थोड़ी और हिम्मत रखो। मुश्किल से दो इंच ही बाहर रह गया है। फिर देखना, थोड़ी देर बाद इतना मजा आएगा कि बस इसी लंड से चुदवाने की कसम खाओगी।”
मैंने उसकी चूत में धीरे-धीरे अपना लंड अंदर-बाहर करना शुरू किया। लगभग दस मिनट में वो नॉर्मल हो गई। फिर मैंने अपना लंड पूरा बाहर खींचा, सिर्फ सुपाड़ा ही चूत के अंदर रहने दिया और एक तगड़ा झटका मारा। लंड पूरा का पूरा अंदर। लेकिन इस बार वो ज्यादा चीख नहीं पाई, क्योंकि आयशा ने उसके होंठ अपने होंठों में ले रखे थे। मैंने कहा, “बस, हो गया तेरा काम। गया पूरा अंदर।” लगभग पाँच मिनट बाद उसकी साँसें नॉर्मल हुईं। अब आयशा ने साइमा का मुँह छोड़ दिया था और उठकर उसकी चूत के पास आई। मेरे लंड को उसकी चूत में फंसा देख रही थी। मैंने अपना लंड धीरे-धीरे अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया। साइमा कुछ ज्यादा ही चीख रही थी, “आआह्ह्हा… आआह्ह्ह… ऑफ्फ… माँ… मार गई… आयशा बहन की लवड़ी… आआआ… कहाँ फंसा दिया तूने… प्लीज इस कुत्ते को बोल… आआआ… कि निकाल ले अपना लवड़ा… और तुझे अपनी चूत में लेना है तो ले साली कुतिया… मुझसे सहन नहीं हो रहा इतना बड़ा लंड… आआह्ह्हा…”
आयशा कुछ नहीं बोल रही थी, बल्कि अपनी दो उंगलियाँ अपनी चूत में अंदर-बाहर कर रही थी और धीरे-धीरे “आआ… ऑफ्फ…” कर रही थी। अब मैंने साइमा की चूत की जमकर ठुकाई शुरू कर दी। लगभग 30-40 शॉट चूत में झेलने के बाद उसे भी थोड़ा आनंद आने लगा और वो धीरे-धीरे कमर उछालकर मेरे शॉट का जवाब दे रही थी। मैंने कहा, “अब बता चिनाल मादरचोद, तेरी चूत की खुजली कम हो रही है कि नहीं? मजा आ रहा है कि नहीं? अगर नहीं आ रहा, तो मैं तेरी चूत में से लंड निकालकर आयशा की चूत में डाल दूँगा।” साइमा बोली, “ह्ह्हाई… तुम्हें मेरी कसम, जो मेरी चूत में से लंड बाहर निकाला… ऑफ्फ… ओह्ह्ह… येस्स्स… बहुत मजा आ रहा है अब… ओओओ… और चोदो मुझे जोर-जोर से… और बाहर बचा है, तो अंदर डाल दो… चाहे मेरी बच्चेदानी फट जाए… आआआ… ऐसे लंड के लिए तो मैं कुछ… ऑफ्फ… आआआ… क्क्कर सक्ती हूँ… आज मुझे पता चला कि लंड क्या होता है… ये चूत में अंदर जाकर कितना… आआओओफ्फ… येस्स्स… मजा देता है रे… और जोर से चोद अपनी इस रंडी को प्लीज… आआआ… मजा आ रहा है रे… तेरा लंड बहुत सुख दे रहा है… ले, फाड़ डाल मेरी चूत… ओओफ्फ…”
फिर आयशा खड़ी हो गई और साइमा के दोनों तरफ पैर डालकर अपनी चूत मेरे मुँह के सामने कर दी। मैंने उसकी चूत की दोनों फांकों को अपने होंठों में दबा लिया और उसकी चूत को पीने लगा। उसने अपने दोनों हाथों से मेरा सिर पकड़कर अपनी चूत पर प्रेशर बनाना शुरू कर दिया। मैं समझ गया कि इसकी चूत का रस टपकने वाला है। नीचे मैं साइमा की चूत में जमकर शॉट मार रहा था। वो “उफ्फ्फ… येस्स्स… आह्ह्ह…” करते हुए पता नहीं क्या-क्या बके जा रही थी। जब आयशा की चूत का रस टपकने वाला था, तो वो दोनों पाँव के बल उकड़ूँ बैठ गई और अपनी चूत को साइमा के मुँह पर रख दिया। साइमा ने उसकी चूत का सारा रस अपनी जीभ उसकी चूत में अंदर डालकर पी लिया। फिर आयशा बाजू में बैठ गई। अब साइमा बोली, “मैं भी झड़ने वाली हूँ। तुम भी मेरी चूत में ही झड़ जाओ।” आयशा मुस्कुराते हुए बोली, “जीजू के लंड का रस अभी नहीं निकलेगा इतनी जल्दी। वो तो हम दोनों की चूत का कचूमर बनाकर ही झड़ेंगे, देखना।” साइमा बोली, “वाह… आज सोने को मिला है असली मर्द के नीचे।” और वो अपनी कमर नीचे से तेज-तेज चलाने लगी। मैं भी जमकर ठोकर मार रहा था। थोड़े समय में साइमा बोली, “उउउई… मम्म्मा… मैं गई रे… ओह्ह्ह… मेरी चूत के अंदर से लावा निकल रहा है…” और वो झड़ गई।
फिर मैंने उसकी चूत में से लंड निकालकर बेड पर सीधा लेट गया। आयशा मेरे ऊपर बैठकर अपनी चूत को मेरे लंड पर रखकर धीरे-धीरे बैठने लगी और लगभग आधा लंड अंदर ले लिया। फिर मैंने नीचे से उसकी कमर पकड़कर एक तगड़ा धक्का दिया। लंड जड़ तक उसकी चूत में घुस गया। वो चीखी, “आआआ… हरामी… ऑफ्फ… मार डाला भोसड़ी के… एकदम से डाल दिया… आआआ… नो… रंडी समझ रखा है क्या मुझे… ओह्हा…” फिर वो खुद ही मेरे लंड पर उठने-बैठने लगी। लगभग दस मिनट बाद उसने अपनी कमर तेजी से चलाना शुरू कर दिया और अपनी कमर को गोल-गोल घुमाकर मटक-मटककर मेरा लंड अपनी चूत में ले रही थी। वो बोल रही थी, “ले जीजू… ऑफ्फ… ओओह्ह्हा… मैंने तुझे आज दो-दो चूतों का मजा दिया है… अब तू भी मुझे दो-दो लंड का मजा देना… अपना प्रॉमिस याद है ना… आआह्ह्हा… ममममा…” मैंने कहा, “जरूर दूँगा। दोनों लंड तुझे जरूर मिलेंगे। एकसाथ तेरी गांड और चूत फाड़ेंगे।” साइमा अपने दूध सहलाते हुए बोली, “ओहो, मेरी छोटी बहन इतनी बड़ी रंडी बन गई कि दो-दो लंड लेगी एक साथ।” मैंने कहा, “एक रोज इसे चार-चार लंड का मजा भी दिलाऊँगा, तुम देखना।” और मैंने नीचे से अपनी कमर तेज-तेज चलाना शुरू कर दिया। आयशा “आआआ… व्व्वो… आआआ… चोदो… और चोदो… फाड़ दो मेरी चूत को…” कहते हुए झड़ गई। लगभग 5 मिनट मैंने आयशा को उसके झड़ने के बाद भी चोदा और बोला, “अब मैं भी आने वाला हूँ। तुम दोनों बहनें अपना मुँह खोलकर मेरे लंड के सामने करो।” फिर आयशा ने अपनी चूत में से मेरा लंड निकाला और दोनों बहनें अपना मुँह खोलकर जीभ बाहर निकालकर मेरा लंड अपने हाथ से जल्दी-जल्दी आगे-पीछे करने लगीं। फिर मैंने अपने वीर्य के तीन फव्वारे आयशा के मुँह में और चार फव्वारे साइमा के मुँह में छोड़कर झड़ गया। मेरे वीर्य को दोनों बहनों ने पी लिया और जो नीचे गिरा था, उसे चाट-चाटकर साफ कर दिया। साइमा बोली, “व्व्वाह… जीजू, आपका माल कितना गाढ़ा और स्वादिष्ट है।” मैंने कहा, “आज दिनभर इसे ही पीना है तुझे।” हमारा ये चुदाई प्रोग्राम पूरे पचास मिनट चला। अब दोनों बहनें मेरे आजू-बाजू चिपककर लेट गईं। साइमा के चेहरे पर एक असीम तृप्ति के भाव थे, लेकिन साथ ही लंबी चुदाई की थकान भी थी।
आयशा मेरे पास से उठी और अपने कपड़े पहनने लगी। मैंने कहा, “कहाँ जा रही हो?” आयशा बोली, “जीजू, मैं नीचे किचन में जा रही हूँ। खाना बनाऊँगी। फिर हम सब साथ में खाकर, मैं अपनी एक सहेली के यहाँ चली जाऊँगी। शाम को 6-7 बजे तक वापस आ जाऊँगी।” मैंने हँसते हुए साइमा के गाल सहलाए और कहा, “फिर तेरी बहन को कौन चुदाएगा?” आयशा बोली, “मेरी बहन खुद ही जी भरकर आपसे चुदवा लेगी। अब आज आप इसके ही मजे लो। मुझे तो आप जब चाहे चोद सकते हो, लेकिन ये बार-बार नहीं आ सकती।” और वो अपने कपड़े पहनकर नीचे किचन में चली गई।
अब मैं और साइमा बेड पर अकेले नंगे पड़े हुए थे और एक-दूसरे के शरीर से खिलवाड़ कर रहे थे। वो मेरे लंड पर फिर से हाथ घुमाने लगी, और मैं उसके होंठों को चूमता हुआ उसके चूतड़ों को मसलने लगा। मैं कभी-कभी अपनी एक उंगली उसकी गांड के काले छेद पर घुमा देता। मैंने कहा, “डार्लिंग, पसंद आया कि नहीं मेरा लंड?” साइमा बोली, “बहुत जीजू। शुरू में तो ऐसा लगा कि मेरी चूत ही फट जाएगी। लेकिन बाद में बहुत मजा दिया आपके इस लंड ने। अब आप जब चाहे मुझे चोद सकते हैं, जितनी बार चाहे चोद सकते हैं। आज मुझे कितना सुख मिला, मैं आपको शब्दों में नहीं बता सकती।” मैंने कहा, “क्या तुम एक और सुख लेना चाहोगी?” साइमा बोली, “कौन-सा सुख?” मैंने कहा, “तुम्हारी गांड में सुख। अब मेरा लंड तुम्हारी चूत के बाद तुम्हारी गांड की सैर करना चाहता है।” वो बोली, “जीजू, आपने मुझे आज जो सुख दिया है, उसके बदले आप मेरी जान भी माँगो तो कम है। आपकी इच्छा है, तो मैं गांड जरूर मरवाऊँगी। आखिर जब आयशा गांड मरवा सकती है, तो मैं क्यों नहीं? चाहे मेरी गांड फट जाए, मैं आपसे गांड जरूर मरवाऊँगी।”
फिर हम दोनों बाथरूम गए और पेशाब किया। लौटते समय मैं वहाँ से वैसलीन की शीशी उठा लाया और साइमा को बेड पर पेट के बल लिटा दिया। उसके दोनों पैर चौड़े करके उनके बीच बैठ गया। वो बोली, “क्या कर रहे हो?” मैंने कहा, “तेरी गांड को पहले तैयार करना पड़ेगा।” फिर मैंने उसके दोनों चूतड़ों को दोनों हाथों से पकड़कर फैलाया, जिससे उसकी गांड की दरार और बड़ी हो गई और गांड का गुलाबी छेद एकदम साफ दिखने लगा। मैंने पहले अपनी नाक ले जाकर उसकी खुशबू सूँघी और फिर जीभ से उसकी गांड चाटने लगा। वो बोली, “कुत्ते, ये क्या कर रहा है? मेरी गांड में गुदगुदी हो रही है… आआह्ह्ह…” मैंने कहा, “बहनचोद, अभी होने दे गुदगुदी। अभी दर्द भी होगा, जब लंड अंदर जाएगा।” साइमा बोली, “प्लीज धीरे-धीरे डालना। मैंने पहले कभी गांड नहीं मरवाई। ज्यादा दर्द हुआ, तो मैं नहीं मरवाऊँगी गांड।” मैंने उसकी गांड चाटते हुए कहा, “मेरी जान, थोड़ा दर्द सह लेना। फिर देखना, गांड मरवाने में कितना मजा आता है। तेरी छोटी बहन की तो जब तक गांड नहीं मारूँ, तब तक जाने ही नहीं देती। कहती है, मुझे गांड मरवाना चूत मरवाने से ज्यादा पसंद है।”
अब मैंने उसकी गांड में से जीभ निकाल ली। उसकी गांड मेरे थूक से गीली हो गई थी। मैंने अपनी उंगली उसकी गांड के छेद में डाल दी और तेजी से अंदर-बाहर करने लगा। वो “उफ्फ्फ… उआआफ्फ… आआह्ह्ह… उफ्फ्फ… आआफ्फ… आआआ… नोओओ… आह्ह्ह… मजा आ रहा है… दोनों उंगलियाँ डाल दो गांड में…” कहने लगी। मैंने लगभग 5 मिनट तक उसकी गांड में उंगलियाँ चलाकर उसका छेद अच्छे से फैला दिया। फिर मैं वहाँ से उठकर पलंग के किनारे अपने दोनों पैर नीचे करके बैठ गया और बोला, “ले, अब मेरा लंड अच्छे से चूमकर तैयार कर अपनी गांड में लेने के लिए। जितना अच्छे से चूमकर तैयार करेगी, उतना ही कम दर्द होगा।” वो मेरे सामने जमीन पर बैठ गई और मेरा लंड अपने हाथ से पकड़कर हिलाने लगी। उसने सुपाड़ा निकालकर अपनी जीभ उस पर गोल-गोल घुमाने लगी। फिर मेरा लंड उसने मुँह में ले लिया और मुँह आगे-पीछे करने लगी। अब मेरा लंड खड़ा होना शुरू हो गया और पूरी तरह तन गया। मैंने कहा, “आआह्ह्ह… साइमा, ले ले इसे पूरा अपने मुँह में… ओह्ह्ह… साली, तू तो बड़ा अच्छा लंड चूसती है… ले मेरी जान, इसे पूरा खा जा… थोड़ा सा भी न बचे बाहर…”
उसने मेरा रॉड की तरह खड़ा लंड अपने मुँह में और लेना शुरू किया। मैं उसके बालों को एक हाथ से सहला रहा था, तो दूसरे हाथ से उसके स्तन खींच रहा था। वो मेरा लंड धीरे-धीरे मुँह आगे-पीछे करती हुई और अंदर किए जा रही थी। धीरे-धीरे उसने पूरा का पूरा लंड अपने मुँह में ले लिया। मैंने उसके सिर को पकड़कर अपने लंड पर दबा लिया और एक मिनट तक दबाए रखा। उसकी साँसें फूलने लगीं और वो मुँह में से “गूं… गूं…” की आवाज करने लगी। मैंने उसका सिर छोड़ा, तो उसने पूरा लंड बाहर निकाला और साँस लेकर फिर से पूरा लंड मुँह में ले लिया। मैंने कहा, “वाह चिनाल, क्या लंड चूसती है! वाह, मजा आ गया। तू तो आयशा से भी अच्छा लंड चूसती है रे।” उसने मेरा लंड ऐसे ही 5 मिनट और चूसा। फिर मैंने कहा, “चल, अब असली रासलीला करते हैं।”
मैंने उसे फिर पलंग पर किनारे पर घोड़ी बनाया और उसकी गांड के छेद पर वैसलीन लगाई। अपने लंड के सुपाड़े पर भी अच्छे से वैसलीन लगाकर अपना लंड उसकी गांड के छेद पर टेका और उसे बोला, “गांड को सिकोड़ना नहीं, फैलाने की कोशिश कर।” वो अपनी गांड फैलाने की कोशिश करने लगी। मैंने मौका देखा और झट से लंड उसकी गांड में डाल दिया और उसकी कमर को अच्छे से पकड़ लिया। वो बहुत जोर से चीख पड़ी, “आआह्ह्हा… उउउउई… माँ… बचाओ… छोड़ो… उउह्ह्ह… प्लीज… नो… आआह्ह्ह…” और कमर को छुड़ाने की कोशिश करने लगी। लेकिन मेरे हाथों की मजबूत पकड़ से नहीं छूट पाई। मैंने एक और शॉट मारा। इस बार वो और जोर से चीखी, “आआह्ह्हा… प्लीज निकालो अपने लंड को मेरी गांड में से… आआह्ह्ह… बहुत दुख रही है… आउउई… माँ… बचाओ… मैं मर गई रे… आआह्ह्हा…” मेरा आधा लंड उसकी गांड में जा चुका था। इतने में आयशा किचन से भागती हुई आई और बोली, “प्लीज दीदी, इतना मत चिल्लाओ। तुम्हारी आवाज बाहर तक जा रही है। कोई क्या सोचेगा? प्लीज जीजाजी, आप भी धीरे-धीरे करो।” साइमा ने आयशा को खा जाने वाली नजरों से देखा और कहा, “साली कुतिया, तुझे मेरी आवाज की पड़ी है? यहाँ मेरी गांड फट गई है वो। देख, इस कुत्ते ने मेरी गांड फाड़ दी है। और मैं कह रही हूँ कि निकाल, मुझे नहीं मरवाना, तो ये गandu और अंदर लंड करे जा रहा है… आआह्ह्हा… साली मादरचोद, मुझे फंसाकर खुद बाहर भाग गई। अब बोल अपने इस हरामी पिल्ले से कि मुझे नहीं मरवानी गांड। अपना लंड बाहर कर ले ये मादरचोद।” मैंने कहा, “ठहर जा बहनचोद, अभी बताता हूँ तुझे गाली देना।” और मैंने अपना लंड बाहर खींचा, सिर्फ सुपाड़ा अंदर रहने दिया और एक तगड़ा झटका जो दिया उसकी गांड पर, तो मेरा लंड पूरा का पूरा जड़ तक अंदर चला गया। आयशा ने मुझे ये करते हुए देख लिया, तो वो फौरन साइमा के मुँह के पास आई और उसका मुँह जोर से अपने हाथ से दबा लिया। उसकी चीख अंदर ही घुटकर रह गई, लेकिन आँखों में से आँसू जरूर निकल आए। वो अपनी कमर मटकाकर छुड़ाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन मेरे मजबूत हाथों से उसकी कमर नहीं छूट पा रही थी। गांड मटकने के कारण बल्कि लंड अपने आप ही अंदर-बाहर हो रहा था उसकी गांड में।
मैंने उसे उसी पोजीशन में 4-5 मिनट पड़े रहने दिया। फिर आयशा ने उसका मुँह छोड़ा, तो अब वो चीख नहीं रही थी। आयशा बोली, “सॉरी दीदी, लेकिन ये जरूरी था। नहीं तो तुम इतना जोर से चीखती कि पूरा मोहल्ला इकट्ठा हो जाता।” वो बोली, “आआह्ह्हा… ठीक है आयशा, लेकिन मैं तो मर गई रे… मेरी गांड फट गई है… आआह्ह्हा… बहुत अंदर जाकर फंसा है इसका लंड। आआह्ह्हा… तू कैसे मरवाती है रे अपनी गांड?” आयशा ने फिर उसके स्तन सहलाए और उसे किस किया। फिर उठकर मेरे पास आई और मुझे किस करते हुए साइमा की गांड में मेरे फंसे हुए लंड को देखकर मुस्कुराती हुई बोली, “प्लीज जीजू, आराम से।” और वहाँ से चली गई।
अब साइमा भी थोड़ी नॉर्मल हो गई। मैंने कहा, “बस, हो गया डार्लिंग। अब बस मजा ही मजा आएगा। अब मेरे लंड ने तेरी गांड में अपनी जगह बना ली है।” और मैंने अपना लंड धीरे-धीरे आगे-पीछे करना शुरू किया। साइमा “आआह्ह्हा… आउई… माँ… फाड़ दी मेरी गांड तूने रे… आआह्ह्हा… नोओओ… येस्स्स्स… आह्ह्हा… प्लीज…” करती रही। फिर थोड़ी देर बाद मैंने पूछा, “अब कैसा लग रहा है कुतिया डार्लिंग?” तो वो बोली, “आआह्ह्हा… अब मजा आ रहा है… प्लीज और जोर से लंड डालो अंदर।” मैंने फटाफट अपने लंड की स्पीड बढ़ा दी। वो “आआह्ह्हा… आउउउउ… आआआ… मजा आ गया रे… बहुत अच्छा लग रहा है… और पेल मेरी गांड में… आआआ… फाड़ दे मेरी गांड बहनचोद… तूने पहले मेरी गांड क्यों नहीं मारी साले… वाह, मजा आ रहा है रे… आआह्ह्हा… और पेल अपना लंड मेरी गांड में… आआह्ह्हा… वाह, तू तो बहुत अच्छे से गांड में मजे दे रहा है रे… आआह्ह्हा…”
मैंने उसकी गांड कुतिया बनाकर 15 मिनट तक मारी। फिर उसकी गांड में से लंड निकाल लिया। मैंने देखा कि उसकी गांड अब एक 3 इंच चौड़े सूराख की तरह हो गई थी। वो उसे बंद करने की कोशिश अपनी गांड दबा-दबाकर कर रही थी, लेकिन उसे बंद होने में एक मिनट लग गया। अब मैंने उसे खड़ा कर उसका मुँह दीवार की तरफ किया, दीवार पर उसके दोनों हाथ टिका दिए। उसने अपनी कमर पीछे कर दी और मैंने उसकी गांड में फिर से लंड डाल दिया। इस बार वो खुद ही मेरे लंड पर धक्के लगा रही थी। मैंने कहा, “वाह साइमा, मेरी जान, मुझे भी बहुत मजा आ रहा है। तेरी गांड बहुत टाइट है। वाह, तेरी जवानी की कसम, अब तक जितनी भी औरतों की गांड मारी है, सबसे मजेदार तेरी ही गांड लगी।” वो भी “ऑफ्फ… आह्ह…” करते हुए अपनी गांड मरवाती रही। पूरा कमरा उसके चूतड़ों के मेरी जांघ पर टकराने की आवाज और “आआह्ह्ह… आआआ…” की आवाज से गूँज गया। लगभग दस मिनट बाद मैं उसकी गांड में ही झड़ गया। उसने मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चाटकर साफ किया और अपनी पैंटी उठाकर लंड साफ किया और अपनी गांड भी।
हम दोनों ने रात 10 बजे तक इसी तरह मजे किए। मैंने उसकी दो बार और गांड मारी और चार बार उसे चोदा। फिर हम लोग कपड़े पहनकर नीचे आ गए। आयशा ने चाय बनाई और मेरा लंड निकालकर 2 कप, जिनमें आधे-आधे कप चाय थी, उनमें मूतने को बोला। मैंने अपने पेशाब से उन कपों को पूरा भर दिया। दोनों ने उन कपों को उठाया और चाय में मिली मेरी पेशाब भी चाय के साथ पी गई। जब मैं घर जाने लगा, तो साइमा आकर मेरे गले से लिपट गई और जोर-जोर से रोने लगी। बोली, “आज आपने मुझे जो सुख दिया है, उसका कर्ज मैं कैसे उतार पाऊँगी? प्लीज मुझे अपनी बीवी बना लो। मैं अब उस नमर्द पति के पास नहीं रहना चाहती हूँ।” मैंने और आयशा ने उसे बड़ी मुश्किल से चुप कराया और कहा, “जब भी चुदवाने का मन करे, आयशा के घर आ जाना। मैं हाजिर हो जाऊँगा।” और मैंने दोनों के स्तन जोर-जोर से दबाए और उन्हें किस करते हुए अपने घर के लिए निकल पड़ा।

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