माँ को चोद कर उसकी चीखें निकाली

Sexy Mummy Story: हाय दोस्तों, मैं विजय, एक बार फिर आपके लिए एक नई सेक्सी कहानी लेकर आया हूँ। मुझे उम्मीद है कि आपको मेरी ये कहानी बहुत पसंद आएगी। कहानी शुरू करने से पहले मैं अपने बारे में थोड़ा बता देता हूँ। मेरा नाम विजय है, मेरी उम्र 22 साल है, और मैं कॉलेज में पढ़ता हूँ। मेरी हाइट 5 फीट 9 इंच है, और मैं दिखने में भी काफी अच्छा हूँ। मेरे लंड का साइज़ 8 इंच है, जो किसी भी चूत को फाड़ने के लिए काफी है।

मैं अब तक करीब 8 लड़कियों, 3 आंटियों और 2 भाभियों को चोद चुका हूँ। और इन सब रंडियों में मेरी अपनी सगी माँ भी शामिल है। जी हाँ, मैंने अपनी माँ को पहले भी कई बार चोदा है, जैसा कि मैंने अपनी पिछली कहानी में बताया था। मेरी माँ का रंग गोरा है, और अगर मैं उनके फिगर की बात करूँ तो शायद आप यकीन ही न करें। मेरी माँ का फिगर 38-34-40 है। 38 की उम्र में ऐसा फिगर और उनकी जवानी, ये दोनों मिलकर बिस्तर पर आग लगा देती हैं। उनकी चूचियाँ इतनी रसीली और भारी हैं कि उन्हें देखकर किसी का भी लंड खड़ा हो जाए। उनकी गांड इतनी भारी और गोल है कि हर कदम पर लचकती है, और उनकी चूत… उफ़, उसका रस तो बस पीने लायक है।

ये कहानी भी मेरी माँ की चुदाई की है। मैं पिछले दो साल से अपनी माँ को चोद रहा हूँ, लेकिन अब तक मैंने उन्हें सिर्फ एक बार ही जी भरकर चोदा था, वो भी तब जब मैंने पहली बार उनकी चूत फाड़ी थी। उस दिन मैंने सुबह से शाम तक उन्हें लगातार चोदा था। उनकी चीखें, उनकी सिसकियाँ, और उनकी वो हालत, सब कुछ आज भी मेरे दिमाग में ताज़ा है। उस दिन के बाद माँ हर हफ्ते 2 से 4 बार मुझसे चुदवाती हैं, लेकिन अब मैं उन्हें ज्यादा से ज्यादा 15-20 मिनट ही चोद पाता हूँ, क्योंकि पापा ज्यादातर घर पर ही होते हैं।

उस दिन मैंने माँ की चूत और गांड का ऐसा हाल किया था कि पापा को शक होने लगा था। मैंने उनकी चूत का भोसड़ा बना दिया था, और उनकी गांड इतनी सूज गई थी कि वो दो दिन तक ठीक से चल भी नहीं पाई थीं। इसीलिए माँ अब मुझे ज्यादा देर तक चोदने नहीं देतीं, डरती हैं कि कहीं मैं फिर वैसा हाल न कर दूँ और पापा को शक हो जाए। लेकिन मेरी प्यारी माँ को कौन समझाए कि मैं और मेरा लंड तो उन्हें 3-4 घंटे तक चोदना चाहते हैं।

माँ मेरे लंड की इतनी दीवानी हो चुकी हैं कि जब भी मैं उनकी चुदाई करता हूँ, वो बोलती हैं, “विजय, तेरे बाप का लंड तो तेरे लंड से बहुत छोटा है। तू जब मेरे ऊपर चढ़ता है, तो उतरने का नाम ही नहीं लेता।” कभी-कभी तो वो कहती हैं, “जब तेरी शादी हो जाएगी, तब भी मैं तेरे लंड से चुदूँगी। और अगर तूने अपनी इस चुदक्कड़ माँ को चोदना बंद किया, तो मैं तेरी बीवी को उसके मायके भेजकर तुझसे जबरदस्ती चुदवाऊँगी।” उनकी ऐसी बातें सुनकर मेरा लंड और सख्त हो जाता है।

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माँ के इस रसीले जिस्म का कारण पापा ही थे। पहले पापा उन्हें चोद-चोदकर हका देते थे। मैंने कई बार पापा को माँ को चोदते देखा था, लेकिन अब उनकी बैटरी डाउन हो चुकी है। अब तो हालत ये है कि माँ जैसे ही पापा का लंड अपने हाथ में लेकर ऊपर-नीचे करती हैं, उनका पानी पिचकारी की तरह छूट जाता है। लेकिन अब मेरी और मेरे लंड की जिम्मेदारी है कि माँ और उनकी चूत को चोद-चोदकर उनकी नानी याद दिला दूँ। मैं उनकी चूत में अपना पूरा लंड एक ही झटके में पेलकर उनकी चूत फाड़ देता हूँ।

एक दिन पापा को किसी काम से शहर से बाहर जाना था। उनकी ट्रेन शाम को थी। जैसे ही शाम हुई, पापा स्टेशन जाने के लिए तैयार हो गए। मैं भी उन्हें ड्रॉप करने चला गया, लेकिन रास्ते भर मेरे दिमाग में बस माँ की चुदाई का प्रोग्राम बन रहा था। मैं सोच रहा था कि आज रात माँ को इतना चोदूँगा कि वो चल भी न पाएँ। पापा ट्रेन में बैठे ही थे कि मैं तेजी से घर की ओर भागा।

घर पहुँचते ही मैंने अपनी चुदासू माँ को ढूँढना शुरू किया। माँ किचन में खाना बना रही थीं। मैं पीछे से गया और उन्हें ज़ोर से दबोच लिया। मेरे हाथ उनकी कमर पर गए, और मैंने उनकी गांड को अपनी तरफ दबाया। माँ ने हँसते हुए कहा, “हरामी, तेरा बाप अभी गया भी नहीं और तू अपनी माँ को चोदने चला आया? चल, पहले खाना खा ले, मैं तो पूरी रात यहीं हूँ।”

खाना खाने के बाद मैंने माँ की चूचियों की तरफ इशारा करके कहा, “मम्मी, खाने के बाद मीठे में क्या है?” माँ ने मेरी तरफ शरारती मुस्कान दी और बोली, “चल, तू नहा ले, फिर जो तू देख रहा है, उसे तेरे मुँह में डालकर तेरा मुँह मीठा करवाती हूँ।” उनकी बात सुनकर मेरा लंड तन गया। मैं उठा और सीधा बाथरूम में चला गया। नहाते वक्त मैंने अपने लंड की पूरी ग्रूमिंग की, उसे माँ की चुदाई के लिए तैयार किया।

बाथरूम से बाहर आकर मैं सिर्फ़ अंडरवियर में माँ के बेड पर लेट गया और अपने मोबाइल में पॉर्न देखने लगा। करीब 15 मिनट बाद माँ कमरे में आईं। आते ही उन्होंने पूरे कमरे की लाइट्स बंद कर दीं और मोमबत्तियाँ जलाने लगीं। मैं ये सब देखकर सोच रहा था कि माँ ये क्या कर रही हैं। सारी मोमबत्तियाँ जलने के बाद माँ मेरे सामने खड़ी हो गईं और मुझे देखने लगीं। फिर उन्होंने अपनी नाइटी उतार दी। जैसे ही नाइटी उतरी, मेरे मुँह से निकला, “क्या चीज़ हो मम्मी! आज तो तुम मेरी जान ले लोगी!”

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उस वक्त अगर आप मेरी माँ को देखते, तो आपके मुँह से भी पानी टपकने लगता। माँ ने काले रंग की ट्रांसपेरेंट ब्रा और पैंटी पहनी थी। ब्रा इतनी छोटी थी कि उनकी चूचियों का आधा हिस्सा बाहर लटक रहा था। उनकी निपल्स साफ दिख रही थीं, जो ब्रा के ऊपर से उभरे हुए थे। पैंटी तो बस नाम की थी, सामने से थोड़ा कपड़ा और पीछे सिर्फ़ एक पतला सा धागा, जो उनकी मोटी गांड के बीच में फँसा हुआ था। माँ ने गहरे गुलाबी रंग की लिपस्टिक लगाई थी, जो उनके होंठों को और रसीला बना रही थी।

मैं उनको देखकर पागल हो गया। मैंने तुरंत उन्हें अपनी बाहों में खींच लिया और उनके होंठों को चूसने लगा। उनके नरम, रसीले होंठ मेरे मुँह में थे, और मैं उन्हें ज़ोर-ज़ोर से चूस रहा था। तभी मुझे उनकी जीभ मेरे मुँह में महसूस हुई। मैंने उनकी जीभ को अपने मुँह में लिया और उसे चूसने लगा। माँ भी मेरे होंठों को चूस रही थीं, और उनकी साँसें गर्म हो रही थीं। “उम्म… आह…” माँ की हल्की सिसकियाँ मेरे कानों में गूँज रही थीं।

मैंने उनके होंठ चूसते-चूसते उनकी ब्रा में हाथ डाला और उसे फाड़ दिया। फिर मैंने उनकी पैंटी को दोनों तरफ से पकड़ा और ज़ोर से खींचकर उसे भी फाड़ डाला। माँ अब पूरी नंगी मेरे सामने थीं। मैंने उन्हें बेड पर धकेल दिया और उनके ऊपर चढ़ गया। उनकी भारी चूचियाँ मेरे सामने थीं। मैंने एक चूची को अपने मुँह में लिया और उसे पागल कुत्ते की तरह चूसने लगा। “आह… विजय… धीरे… उफ़…” माँ की सिसकियाँ तेज हो गईं। मैंने उनकी दूसरी चूची को अपने हाथ से दबाया, उनके निपल्स को उंगलियों से मसला। उनकी चूचियाँ इतनी नरम और भारी थीं कि मैं पागल हो रहा था।

फिर मैं नीचे की ओर बढ़ा। उनकी चूत पहले से ही गीली थी, उसका रस टपक रहा था। मैंने अपनी जीभ उनकी चूत पर रखी और उसे चाटना शुरू किया। “आह… ओह… विजय… उफ़…” माँ की सिसकियाँ अब चीखों में बदल रही थीं। मैंने उनकी चूत के होंठों को अपनी जीभ से अलग किया और उनके दाने को चूसने लगा। माँ की चूत का स्वाद मेरे मुँह में घुल रहा था। मैंने उनकी चूत को इतना चाटा कि उनका पानी मेरे मुँह में आ गया। मैंने सारा रस पी लिया।

मैंने माँ को बेड पर उल्टा किया और उनकी गांड को अपने सामने किया। उनकी गांड इतनी मोटी और गोल थी कि मैं खुद को रोक नहीं पाया। मैंने उनकी गांड पर एक ज़ोरदार चपत मारी। “आह… हरामी… धीरे…” माँ ने सिसकारी भरी। मैंने उनकी गांड के दोनों हिस्सों को अपने हाथों से पकड़ा और उन्हें अलग किया। उनकी गांड का छेद मेरे सामने था। मैंने अपनी जीभ वहाँ रखी और उसे चाटना शुरू किया। माँ की सिसकियाँ अब और तेज हो गईं, “उफ़… विजय… ये क्या कर रहा है… आह…”

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मैंने फिर माँ को सीधा किया और अपने लंड को उनके मुँह के पास ले गया। माँ ने मेरे लंड को अपने हाथ में लिया और उसे सहलाने लगीं। “कितना मोटा है तेरा लंड, विजय…” माँ ने कहा और उसे अपने मुँह में ले लिया। वो मेरे लंड को चूस रही थीं, उनकी जीभ मेरे लंड के सुपाड़े पर घूम रही थी। “उम्म… आह…” मैं सिसक रहा था। माँ ने मेरे लंड को अपने थूक से गीला कर दिया।

मैंने माँ की दोनों टाँगें अपने कंधों पर रखीं और अपना 8 इंच का लंड उनकी चूत पर सेट किया। मैंने एक ज़ोरदार झटका मारा, और मेरा पूरा लंड उनकी चूत में समा गया। “आह… उफ़… विजय… धीरे…” माँ चीख पड़ीं। मैंने उनकी चूत में धक्के मारने शुरू किए। “पच… पच… पच…” मेरे लंड और उनकी चूत के टकराने की आवाज़ पूरे कमरे में गूँज रही थी। माँ की सिसकियाँ अब चीखों में बदल चुकी थीं, “आह… ओह… चोद मुझे… और ज़ोर से… उफ़…”

मैंने माँ को घोड़ी बनाया और उनकी गांड में अपना लंड डाला। उनकी गांड इतनी टाइट थी कि मेरा लंड अंदर जाने में थोड़ा रुका। मैंने धीरे-धीरे धक्के मारे, और फिर ज़ोर-ज़ोर से उनकी गांड चोदने लगा। “आह… विजय… फाड़ दे मेरी गांड… उफ़…” माँ चीख रही थीं। मैंने उनकी गांड को चोद-चोदकर लाल कर दिया।

पूरी रात मैंने माँ को अलग-अलग पोज़ में चोदा। कभी उनकी चूत, कभी उनकी गांड, तो कभी उनके मुँह को चोद-चोदकर मैंने उन्हें अपने लंड के पानी से नहला दिया। माँ की चीखें, उनकी सिसकियाँ, और उनकी वो हालत, सब कुछ मेरे लिए जन्नत जैसा था।

दोस्तों, आपको मेरी ये सेक्सी कहानी, जो मेरी माँ को चोदकर उनकी चीखें निकालने की थी, कैसी लगी? अपनी राय ज़रूर बताएँ।

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