मैं अपने कमरे में किताबों के ढेर के बीच डूबा हुआ था, रात का सन्नाटा और टेबल लैंप की हल्की रोशनी मेरे साथ थी। तभी अचानक मम्मी की दबी-सी चीख सुनाई दी। मैं चौंककर किताबें छोड़कर बाहर भागा। देखा तो मम्मी फर्श पर गिरी पड़ी थीं, उनके चेहरे पर दर्द की लकीरें साफ दिख रही थीं। मैंने फौरन उनकी तरफ लपका, उनके कंधों को सहारा देकर उठाया और चिंता से पूछा, “मम्मी, क्या हुआ? आप ठीक तो हैं?”
“अरे, फर्श पर पानी पड़ा था, मैंने ध्यान नहीं दिया और फिसल गई,” मम्मी ने कराहते हुए कहा, उनकी आवाज में दर्द साफ झलक रहा था।
“चोट तो नहीं लगी?” मैंने उनकी टांगों की तरफ देखते हुए पूछा।
“टांग मुड़ गई, बेटा। दर्द हो रहा है,” मम्मी ने कहा, अपनी दाहिनी टांग को हल्का-सा हिलाने की कोशिश की, लेकिन दर्द से उनका चेहरा सिकुड़ गया।
“चलो, पहले आपको बिस्तर पर लेटाते हैं। हल्दी वाला दूध पी लो, आराम मिलेगा,” मैंने सुझाव दिया।
“नहीं, दूध की जरूरत नहीं। बस टांग में दर्द है, लगता है नस पर नस चढ़ गई,” मम्मी ने धीमी आवाज में कहा।
“ठीक है, आप लेट जाओ। मैं आपको कमरे तक ले चलता हूँ,” मैंने कहा और उन्हें सहारा देकर उनके बेडरूम तक ले गया। मम्मी को बिस्तर पर लिटाते हुए मैंने कहा, “अब कोई काम नहीं करना, बस आराम करो।”
“हाय राम, टांग तो हिल भी नहीं रही,” मम्मी ने कराहते हुए कहा, उनकी साड़ी का पल्लू थोड़ा सरक गया था, जिससे उनकी गोरी कमर हल्की-सी नजर आई।
“मम्मी, मैं आपकी टांग दबा दूँ? शायद थोड़ा आराम मिले,” मैंने पूछा, उनकी तकलीफ देखकर दिल में बेचैनी सी हो रही थी।
“हाँ, थोड़ा दबा दे,” मम्मी ने सहमति दी, उनकी आवाज में थकान और दर्द का मिश्रण था।
मैं उनके पैरों के पास बैठ गया और उनकी दाहिनी टांग को हल्के-हल्के दबाने लगा। उनके पैरों की नरम त्वचा मेरे हाथों के नीचे थी, और मैं धीरे-धीरे उनके पंजों से लेकर घुटनों तक मालिश करने लगा। मम्मी की साड़ी घुटनों तक थोड़ी ऊपर सरक गई थी, और उनकी गोरी, चिकनी टांगें देखकर मेरा ध्यान थोड़ा भटकने लगा।
“कुछ आराम मिल रहा है, मम्मी?” मैंने पूछा, उनकी तरफ देखते हुए।
“हाँ, बेटा, थोड़ा बेहतर लग रहा है,” मम्मी ने आँखें बंद करते हुए जवाब दिया।
“मम्मी, मेरा ख्याल है तेल की मालिश करें तो जल्दी आराम मिलेगा। मेरे पास वो बॉडी ऑयल है, वही लगा दूँ?” मैंने सुझाव दिया।
“हाँ, ठीक है। जा, ले आ,” मम्मी ने कहा, उनकी आवाज में अब थोड़ा सुकून था।
मैं अपने कमरे से तेल की शीशी लेकर आया। मम्मी ने अपनी साड़ी को घुटनों तक और ऊपर खींचने की कोशिश की, लेकिन दर्द की वजह से वो ज्यादा नहीं कर पाईं। मैंने हिचकते हुए कहा, “मम्मी, अगर आपको बुरा न लगे तो मैं तेल लगा दूँ?”
तभी फोन की घंटी बजी। मैंने फोन उठाया तो पापा का कॉल था। “बेटा, मैं आज रात खाना खाने नहीं आ पाऊँगा। देर हो जाएगी,” पापा ने जल्दी-जल्दी कहा और फोन रख दिया।
“किसका फोन था?” मम्मी ने पूछा।
“पापा का। बोले आज वो खाना खाने नहीं आएँगे,” मैंने जवाब दिया।
“अच्छा,” मम्मी ने हल्के से कहा, जैसे उन्हें इसकी परवाह न हो।
“तो मम्मी, तेल लगा दूँ?” मैंने फिर पूछा।
“हाँ, लगा दे,” मम्मी ने कहा, उनकी आवाज में अब थोड़ा विश्वास था।
मैंने उनके पैरों से लेकर घुटनों तक तेल लगाना शुरू किया। उनकी त्वचा इतनी मुलायम थी कि मेरे हाथ अपने आप उनकी चिकनी टांगों पर फिसल रहे थे। कुछ देर बाद मम्मी बोलीं, “बेटा, दर्द तो घुटनों से ऊपर है, जांघ में ज्यादा हो रहा है।”
“ठीक है, मम्मी। एक काम करते हैं। आप कम्बल ओढ़ लो, मैं कम्बल के अंदर हाथ डालकर आपकी जांघ की मालिश कर दूँगा,” मैंने सुझाव दिया, थोड़ा हिचकते हुए।
“नहीं, मैं खुद लगा लूँगी,” मम्मी ने थोड़ा संकोच करते हुए कहा।
“मम्मी, आप दर्द में हैं। मुझे करने दो, जल्दी आराम मिलेगा,” मैंने जिद की।
“ठीक है, अलमारी से कम्बल निकाल दे,” मम्मी ने आखिरकार हामी भर दी।
मैंने कम्बल लाकर उनके ऊपर डाल दिया। फिर धीरे से कम्बल के अंदर हाथ डाला और उनकी साड़ी को थोड़ा और ऊपर सरकाया। मम्मी की साड़ी अब उनकी जांघों के ऊपर थी, और उनकी चिकनी, गोरी जांघें मेरे सामने थीं। मैंने तेल लेकर उनकी जांघों पर मालिश शुरू की। उनकी त्वचा इतनी नरम थी कि मेरे हाथों को जैसे कोई जादू सा छू रहा था। मम्मी ने आँखें बंद कर लीं, और उनकी साँसें थोड़ी भारी होने लगीं।
“मम्मी, कहाँ तक तेल लगाऊँ?” मैंने धीरे से पूछा, मेरा गला थोड़ा सूख रहा था।
“थोड़ा और ऊपर, जांघों पर,” मम्मी ने धीमी आवाज में कहा।
मैंने तेल उनकी जांघों की अंदरूनी सतह पर लगाना शुरू किया। मम्मी ने अपनी टांगें हल्की-सी फैला लीं, और मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। मेरे हाथ अनायास ही उनकी पैंटी के पास चले गए, और मैंने हल्के से उनकी चूत के ऊपर से हाथ फेरा। मम्मी की साँसें और तेज हो गईं, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं कहा। मैं कम्बल के अंदर और करीब चला गया, उनकी टांगें मेरी कमर के पास थीं।
“मम्मी, अगर आप पेट के बल लेट जाएँ तो मैं पीछे से भी मालिश कर दूँगा,” मैंने सुझाव दिया, मेरी आवाज में अब हल्की-सी कँपकँपी थी।
“ठीक है,” मम्मी ने कहा और धीरे-से पलट गईं। उनकी साड़ी अब पूरी तरह से ऊपर थी, और उनकी पैंटी साफ दिख रही थी। मैं उनके पैरों के बीच बैठ गया और उनकी जांघों और हिप्स पर तेल लगाने लगा।
“मम्मी, कुछ आराम मिल रहा है?” मैंने पूछा।
“हम्म,” मम्मी ने हल्के से जवाब दिया, उनकी आवाज में अब सुकून के साथ कुछ और भी था।
“मम्मी, एक बात बोलूँ?” मैंने हिम्मत जुटाकर कहा।
“बोल,” मम्मी ने आँखें बंद रखते हुए कहा।
“आपकी जांघें… बहुत मुलायम हैं, जैसे मखमल,” मैंने धीरे से कहा, मेरे हाथ अब उनकी हिप्स पर तेल मल रहे थे।
मम्मी चुप रहीं, लेकिन उनकी साँसें और गहरी हो गईं। मैंने हिम्मत करके कहा, “मम्मी, आपकी हिप्स को छूकर… मन करता है बस इन्हें छूता रहूँ, मसलता रहूँ। आपकी त्वचा तेल से भी ज्यादा चिकनी है। क्या आपकी कमर भी ऐसी ही है?”
“तुझे नहीं पता? खुद देख ले,” मम्मी ने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा।
मैंने मम्मी को फिर से पीठ के बल लेटने को कहा। वो पलट गईं, और मैंने उनके पेट और कमर पर हाथ फेरना शुरू किया। उनकी नाभि छोटी और गहरी थी, और उनकी कमर इतनी मुलायम थी कि मेरे हाथ अपने आप वहाँ रुक गए।
“बेटा, मैं अब मोटी हो रही हूँ, ना?” मम्मी ने हल्के से पूछा, उनकी आवाज में शरारत थी।
“नहीं मम्मी, आप पहले से ज्यादा… सेक्सी लग रही हो,” मैंने हिचकते हुए कहा।
“सेक्सी?” मम्मी ने हँसते हुए पूछा, “ये क्या होता है?”
“सेक्सी… मतलब कामुक,” मैंने कहा, मेरी नजर उनकी आँखों पर थी।
“सच्ची? मैं तुझे कामुक लगती हूँ?” मम्मी ने थोड़ा शरमाते हुए पूछा।
“हाँ, मम्मी। आपकी हिप्स, आपकी जांघें… इतनी चिकनी हैं कि कोई भी पागल हो जाए। क्या मैं आपकी हिप्स पर किस कर सकता हूँ?” मैंने हिम्मत करके पूछा।
“क्या?” मम्मी ने चौंककर कहा, लेकिन उनकी आँखों में हल्की-सी चमक थी।
“प्लीज, मम्मी, बस एक बार,” मैंने अनुरोध किया।
“ठीक है, लेकिन किसी को बताना नहीं,” मम्मी ने गंभीरता से कहा।
“प्रॉमिस,” मैंने कहा और धीरे से उनकी हिप्स पर किस किया। मेरे होंठ उनकी चिकनी त्वचा पर टच हुए, और मैंने हल्के से अपनी जीभ से उनकी हिप्स को चाटा। मम्मी की साँसें और तेज हो गईं।
“बेटा, कम्बल हटा दे,” मम्मी ने धीरे से कहा।
मैंने कम्बल हटाया। उनकी साड़ी अब पूरी तरह से ऊपर थी, और उनकी पैंटी साफ दिख रही थी। “मम्मी, आपकी हिप्स तो मक्खन से भी मुलायम हैं,” मैंने कहा।
“अच्छा?” मम्मी ने हल्के से हँसते हुए कहा।
“मम्मी, क्या मैं आपकी नाभि पर किस कर सकता हूँ?” मैंने पूछा, मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था।
“नहीं, बेटा। तूने हिप्स पर कहा था, वो मैंने करने दिया। अब और नहीं,” मम्मी ने थोड़ा सख्ती से कहा।
“प्लीज, मम्मी। जब हिप्स पर कर लिया तो नाभि से क्या फर्क पड़ता है?” मैंने जिद की।
“तो तू आखिर चाहता क्या है?” मम्मी ने पूछा, उनकी आवाज में अब थोड़ा गुस्सा और थोड़ा उत्साह था।
“मम्मी, मैं आपकी जांघों को चूमना चाहता हूँ। आपकी जांघें इतनी खूबसूरत हैं कि मेरा मन ललचा रहा है। आपकी पैंटी आपकी कमर पर इतनी फिट है कि… मेरे मुँह में पानी आ रहा है। क्या मैं आपकी जांघों पर किस कर सकता हूँ?” मैंने एक साँस में कह डाला।
“पता नहीं तूने मुझमें क्या देख लिया,” मम्मी ने हल्के से हँसते हुए कहा। “ठीक है, लेकिन जो भी करेंगे, सिर्फ आज करेंगे। और इसके बाद कभी इस बारे में बात नहीं करेंगे। प्रॉमिस?”
“प्रॉमिस,” मैंने तुरंत कहा।
“तो ठीक है, मेरी साड़ी पूरी उतार दे,” मम्मी ने धीरे से कहा।
मैंने उनकी साड़ी को धीरे-धीरे खींचकर उतारा। अब मम्मी सिर्फ पैंटी और ब्लाउज में थीं। उनकी गोरी, चिकनी त्वचा चाँदनी की तरह चमक रही थी। मैंने उनकी नाभि पर किस किया, फिर अपनी जीभ से उसे चाटने लगा। मम्मी ने आँखें बंद कर लीं और हल्की-सी सिसकारी भरी, “आह्ह…”
मैंने उनकी जांघों को दबाना शुरू किया, फिर धीरे-धीरे चूमने लगा। उनकी त्वचा इतनी गर्म और मुलायम थी कि मेरा शरीर सिहर उठा। मैंने उनकी पैंटी के ऊपर से उनकी चूत पर हल्का-सा किस किया। मम्मी ने जोर से सिसकारी भरी, “आह्हह… बेटा, ये क्या… बहुत अच्छा लग रहा है।”
“मम्मी, मैं आपकी चूत चखना चाहता हूँ,” मैंने धीरे से कहा, मेरी आवाज में उत्साह और हिचक दोनों थे।
“क्या चखना चाहता है?” मम्मी ने शरारत से पूछा।
“आपकी चूत,” मैंने साफ कहा।
“चूत क्या होती है?” मम्मी ने हँसते हुए पूछा, जैसे वो मुझसे मजाक कर रही हों।
“चूमकर बताऊँ?” मैंने कहा और फिर से उनकी पैंटी के ऊपर से उनकी चूत को चूमा। मम्मी ने जोर से सिसकारी भरी, “आआह्हह… बेटा, मेरी चूत को और चूम।”
“पैंटी के ऊपर से?” मैंने पूछा।
“नहीं, पैंटी उतार दे,” मम्मी ने गहरी साँस लेते हुए कहा।
मैंने उनकी पैंटी को धीरे-धीरे नीचे सरकाया। उनकी चूत साफ और गीली थी, जैसे कोई फूल खिल रहा हो। मैंने अपनी जीभ से उनकी चूत को चाटना शुरू किया। मम्मी की सिसकारियाँ कमरे में गूँजने लगीं, “ईईस्स… आआह्ह… बेटा, तेरी जीभ… हाय, कितना मजा आ रहा है।”
मैंने उनकी चूत को और गहराई से चाटा, मेरी जीभ उनकी गीली त्वचा पर फिसल रही थी। मम्मी की साँसें तेज हो रही थीं, और वो अपनी जांघों को और फैला रही थीं। मैंने उनकी चूत के होंठों को हल्के से चूसा, और मम्मी की सिसकारियाँ अब चीखों में बदलने लगीं, “आआह्ह… बेटा, और कर… हाय, मेरी चूत में आग लग रही है।”
मैंने अपनी उंगलियों से उनकी चूत को हल्के से खोला और जीभ को और गहराई तक ले गया। मम्मी का शरीर काँप रहा था, और वो मेरे सिर को अपनी चूत की तरफ दबा रही थीं। “ईईस्स… बेटा, तूने ये कहाँ से सीखा… आआह्ह… मेरी चूत को और चाट,” मम्मी की आवाज में अब पूरी तरह से वासना थी।
कुछ देर बाद मेरा लंड मेरे पैंट में तन गया। मैंने कहा, “मम्मी, मेरा लंड अब बेचैन हो रहा है।”
“लंड क्या होता है?” मम्मी ने शरारत से पूछा, उनकी आँखों में चमक थी।
मैंने अपना पैंट उतारा और मेरा 7 इंच का लंड उनके सामने था। “मम्मी, इसे कहते हैं लंड,” मैंने कहा।
“हाय राम, इतना बड़ा… तू कब से इतना गंदा हो गया?” मम्मी ने चौंकते हुए कहा, लेकिन उनकी नजर मेरे लंड पर टिकी थी।
“मम्मी, मेरा लंड आपकी चूत के लिए मचल रहा है,” मैंने हिम्मत करके कहा।
“नहीं, बेटा। माँ की चूत में बेटे का लंड नहीं जा सकता। ये गलत है,” मम्मी ने कहा, लेकिन उनकी आवाज में हल्का-सा संकोच था।
“क्यों, मम्मी? आप पहले एक औरत हैं, और मैं एक मर्द। एक मर्द का लंड औरत की चूत में नहीं जाएगा तो कहाँ जाएगा?” मैंने तर्क दिया।
“लेकिन… ये पाप है,” मम्मी ने हिचकते हुए कहा।
“मम्मी, जब मैंने आपकी चूत चाट ली, तो अब चुदाई में क्या गलत है?” मैंने पूछा।
“चुदाई?” मम्मी ने हल्के से हँसते हुए पूछा। “ये क्या होता है?”
“मम्मी, चुदाई मतलब मेरा लंड आपकी चूत में,” मैंने साफ कहा।
मम्मी चुप हो गईं, लेकिन उनकी साँसें तेज थीं। “बेटा, मेरी चूत इस वक्त लंड की भूखी है। लेकिन कहीं बच्चा न हो जाए,” मम्मी ने चिंता जताई।
“नहीं, मम्मी। मैं अपना माल आपकी चूत में नहीं गिराऊँगा। प्रॉमिस,” मैंने विश्वास दिलाया।
“ठीक है, तो अपनी माँ की चूत की आग बुझा दे,” मम्मी ने गहरी साँस लेते हुए कहा।
मैंने मम्मी को बिस्तर पर बैठाया और खुद नीचे लेट गया। “मम्मी, मेरे लंड पर बैठ जाओ,” मैंने कहा।
मम्मी धीरे-धीरे मेरे ऊपर आईं। उनकी चूत मेरे लंड के ऊपर थी। मैंने धीरे से अपना लंड उनकी चूत के मुँह पर रखा और एक हल्का धक्का मारा। “आआह्ह…” मम्मी की सिसकारी निकली। उनकी चूत गीली थी, लेकिन टाइट थी। मैंने धीरे-धीरे अपने लंड को उनकी चूत में डाला। मम्मी की आँखें बंद थीं, और वो जोर-जोर से सिसकार रही थीं, “ईईस्स… बेटा… हाय, कितना मोटा है तेरा लंड।”
मैंने धीरे-धीरे धक्के मारना शुरू किया। हर धक्के के साथ मम्मी की चूत मेरे लंड को और कस रही थी। “आआह्ह… बेटा, और जोर से… मेरी चूत को फाड़ दे,” मम्मी की आवाज में वासना और मस्ती थी। मैंने अपने धक्कों की रफ्तार बढ़ा दी। हर धक्के के साथ “फच… फच…” की आवाज कमरे में गूँज रही थी।
मम्मी मेरे ऊपर झुक गईं, और मैंने उनके होंठों को चूमना शुरू किया। हमारी जीभें एक-दूसरे से मिल रही थीं, और मम्मी की सिसकारियाँ मेरे मुँह में घुल रही थीं। “ऊऊऊ… बेटा, तेरे लंड में जादू है… मेरी चूत को और चोद,” मम्मी ने कहा।
मैंने उनकी कमर पकड़ी और जोर-जोर से धक्के मारने शुरू किए। मम्मी की चूत मेरे लंड को पूरी तरह निगल रही थी। “आआह्ह… मम्मी, आपकी चूत कितनी टाइट है… जैसे मेरे लंड के लिए बनी हो,” मैंने कहा।
“हाँ, बेटा… मेरी चूत तेरे लंड के लिए ही है… और जोर से चोद,” मम्मी ने सिसकारते हुए कहा।
हमारी चुदाई अब अपने चरम पर थी। मम्मी की सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं, “आआह्ह… ईईस्स… बेटा, मेरी चूत में आग लग रही है… और जोर से…” मैंने अपनी पूरी ताकत से धक्के मारे। फच… फच… की आवाज के साथ मम्मी का शरीर काँप रहा था।
“मम्मी, मेरा माल निकलने वाला है,” मैंने साँस फूलते हुए कहा।
“मेरा भी… बेटा, रुकना मत… और चोद… आआह्ह…” मम्मी की आवाज काँप रही थी।
“मम्मी, मैं लंड बाहर निकालूँ?” मैंने पूछा।
“नहीं… नहीं… मेरी चूत में ही चोद… तेरे लंड में मेरी जान है,” मम्मी ने जोर से चीखते हुए कहा।
मैंने और तेज धक्के मारे। मम्मी की चूत मेरे लंड को कस रही थी, और आखिरकार हम दोनों एक साथ झड़ गए। “आआआह्ह… ऊऊऊ…” मम्मी की चीख और मेरी सिसकारी कमरे में गूँज रही थी। मैंने अपना माल उनकी चूत के बाहर निकाला, और हम दोनों हाँफते हुए बिस्तर पर लेट गए।
“बेटा, ये… गलत था, लेकिन… इतना मजा आया,” मम्मी ने हाँफते हुए कहा।
“मम्मी, आपकी चूत में मेरे लंड की जान है,” मैंने हँसते हुए कहा।
क्या आपको लगता है कि मम्मी और बेटे का ये रिश्ता अब और कहाँ जाएगा? अपनी राय कमेंट में बताएँ!