मेरा नाम सुमन है, और मैं दिल्ली में अपने परिवार के साथ रहती हूँ। मेरी उम्र 18 साल है, और मेरा भाई मनीष 23 साल का है। हमारा परिवार छोटा सा है—मैं, मनीष, और हमारी माँ संगीता। मेरे पापा का देहांत कई साल पहले हो चुका है, और तब से माँ अकेले ही हम दोनों को पाल रही हैं। मैं आपको अपनी और अपने भाई की चुदाई की कहानी सुनाने जा रही हूँ, जो कुछ ही दिन पहले घटी। ये कहानी बिल्कुल सच्ची है, और इसे लिखते वक्त मेरे मन में वही उत्तेजना और घबराहट है, जो उस दिन थी। मेरी शक्ल-सूरत की बात करें तो मैं गोरी हूँ, मेरे बूब्स 18 साल की उम्र में ही किसी 21 साल की लड़की जैसे बड़े और भरे हुए हैं। मैं अक्सर टाइट और छोटे कपड़े पहनती हूँ, जिससे मेरी गांड और भी उभर कर दिखती है। मेरा गोरा रंग और भरा हुआ बदन देखकर लोग मुझे घूरते हैं। मनीष की बात करें तो वो जिम जाता है, उसकी बॉडी मस्कुलर है, और उसका 10 इंच का लंड इतना मोटा है कि मेरी चूत में घुसते वक्त मुझे चीख निकल जाती है। माँ 38 साल की हैं, लेकिन उनकी फिगर अभी भी कसी हुई है। उनके बूब्स भरे हुए हैं, और उनकी गांड गोल-मटोल है, जो टाइट साड़ी में और भी सेक्सी लगती है।
ये कहानी उस दिन से शुरू होती है, जब मैं अपनी सहेलियों के साथ एक एडल्ट मूवी देखने गई थी। हमने प्लेटिनम टिकट लिया और सबसे पीछे की सीट पर बैठ गए। मूवी शुरू हुई, और उसमें इतने हॉट सीन थे कि मेरा मन गरम होने लगा। अचानक, मैंने पीछे की सीट पर एक कपल को देखा। अंधेरे में उनकी बॉडी ही दिख रही थी, लेकिन मैं समझ गई कि वो कुछ न कुछ कर रहे हैं। वो लड़की उस आदमी का लंड पकड़कर हिला रही थी, और वो दोनों एक-दूसरे को किस कर रहे थे। मैं उन्हें देखकर इतनी गरम हो गई कि अपनी चूत में उंगली डालकर सहलाने लगी। मुझे इतना मजा आ रहा था कि मैं खुद को रोक नहीं पाई। थोड़ी देर में मेरा पानी निकल गया, और मैंने देखा कि वो दोनों भी झड़ चुके थे। मूवी खत्म हुई, लाइट्स ऑन हुईं, और जब मैंने पीछे मुड़कर देखा तो मेरे होश उड़ गए। वो मेरी माँ संगीता और मेरा भाई मनीष थे! मैंने जल्दी से खुद को छुपाया और अपनी सहेलियों के साथ बाहर निकल आई।
घर जाते वक्त मेरा दिमाग घूम रहा था। माँ और मनीष? ये क्या हो रहा है? शुरू में मुझे गुस्सा आया, लेकिन फिर मैंने सोचा कि पापा को गुजरे कई साल हो गए हैं। माँ को भी किसी की जरूरत होगी। शायद इसीलिए उन्होंने मनीष को चुना। ये सोचते-सोचते मेरी चूत फिर से गीली हो गई। मुझे अब इस सब में मजा आने लगा था। मैं मन ही मन सोचने लगी कि काश मैं भी मनीष से चुदवाऊँ। उसका मोटा लंड मेरी चूत में जाए, और वो मुझे रात भर चोदे। मैंने ठान लिया कि मैं मनीष से जरूर चुदवाऊँगी।
अगले कुछ दिन मैंने मनीष को ललचाने की कोशिश शुरू कर दी। मैं और भी छोटे कपड़े पहनने लगी। ब्रा और पैंटी तो मैंने पहनना ही छोड़ दिया। मेरे बूब्स टाइट टॉप में उछलते थे, और जब मैं मनीष के सामने जाती, तो जानबूझकर अपनी गांड मटकाती। मैं देख सकती थी कि मनीष का लंड मेरे बूब्स और गांड को देखकर खड़ा हो रहा था। एक रात, जब मनीष माँ की चुदाई कर रहे थे, मैंने चुपके से उनकी बातें सुनीं। मनीष बोला, “माँ, सुमन अब बड़ी हो गई है। उसके बूब्स मुझे पागल कर रहे हैं।” माँ ने हँसते हुए कहा, “तो क्या हुआ? चोद दे उसकी। मैंने भी नोटिस किया है कि वो कई दिनों से चुदाई माँग रही है।” मनीष ने कहा, “हाँ, मैं सही मौका देखकर उसे कल चोद दूँगा।” ये सुनकर मैं इतनी खुश हुई कि अपने कमरे में जाकर उंगली करके सो गई। मैं अगले दिन का इंतजार करने लगी।
अगली रात मैंने जानबूझकर कुछ नहीं पहना। बस एक पतली चादर ओढ़कर सो रही थी। आधी रात को माँ मेरे कमरे में आईं और मुझे नंगी देखकर मनीष को इशारा किया। मेरी नींद हल्की-हल्की खुल चुकी थी, लेकिन मैंने सोने का नाटक किया। माँ ने मनीष से धीरे से कहा, “ये सही मौका है। चोद दे इसे।” फिर माँ ने दरवाजा बंद किया और चली गईं। मनीष धीरे-धीरे मेरे पास आए और मेरे बूब्स को पकड़कर मसलने लगे। उनकी उंगलियाँ मेरे निप्पल्स को दबा रही थीं, और मेरी चूत में हल्की-हल्की सनसनी होने लगी। मैंने सोने का नाटक जारी रखा। फिर मनीष ने मेरी चादर हटाई, और मेरा पूरा नंगा बदन उनके सामने था। वो मेरे ऊपर झुक गए और मेरे होंठों को चूमने लगे। उनकी जीभ मेरे होंठों पर फिर रही थी, और वो मेरे होंठों को चूस रहे थे जैसे कोई भूखा शेर। मैंने अचानक आँखें खोलीं और नाटक किया कि मुझे डर लग रहा है। मैंने कहा, “भैया, ये क्या कर रहे हो?” लेकिन मनीष ने मेरी एक न सुनी। उनकी ताकत के सामने मैं कुछ नहीं कर पाई। फिर मैंने भी हार मान ली। मेरे मन की मुराद जो पूरी हो रही थी।
मनीष ने मुझे बेड पर उठाया और अपना 10 इंच का काला, मोटा लंड बाहर निकाला। मैं उसे देखकर डर गई। इतना बड़ा लंड मेरी छोटी सी चूत में कैसे जाएगा? मनीष ने मेरे बाल पकड़े और मेरा मुँह अपने लंड की तरफ ले गए। मैंने उनके लंड को मुँह में लिया। उसका मोटा सुपारा मेरे गले तक जा रहा था। मैं साँस भी नहीं ले पा रही थी। मनीष ने मेरे सिर को पकड़कर अपने लंड को और अंदर धकेला। “चूस, सुमन! और जोर से चूस!” वो चिल्लाए। मैंने पूरी कोशिश की, लेकिन उनका लंड मेरे मुँह में पूरा नहीं समा रहा था। 15 मिनट तक मैंने उनका लंड चूसा। उनकी गोलियाँ मेरे ठोढ़ी से टकरा रही थीं। फिर अचानक मनीष ने मेरे मुँह में झड़ दिया। उनका गर्म वीर्य मेरे गले में उतर गया। मैंने सारा वीर्य पी लिया। उसका स्वाद नमकीन और गाढ़ा था।
फिर मनीष ने मुझे बेड पर लिटाया और मेरी टाँगें चौड़ी कीं। वो मेरी चूत के पास अपना मुँह ले गए और उसे चाटने लगे। उनकी जीभ मेरी चूत के दाने को छू रही थी, और मैं सिहर उठी। “आआह्ह्ह… भैया… ऊऊऊ…” मैं सिसक रही थी। उनकी जीभ मेरी चूत के अंदर तक जा रही थी, और मैं पागल हो रही थी। 10 मिनट तक मेरी चूत चाटने के बाद मैं झड़ गई। मेरा पानी उनके मुँह में गया, और उन्होंने उसे चाट लिया। “तेरी चूत का स्वाद गजब है, सुमन,” मनीष ने कहा।
अब मनीष ने मेरी चूत पर क्रीम लगाई। मैं समझ गई कि अब वो मुझे चोदने वाले हैं। उन्होंने अपना मोटा लंड मेरी चूत के मुँह पर रखा। मैं डर रही थी, लेकिन उत्साहित भी थी। मनीष ने मेरे होंठों पर अपने होंठ रखे और एक जोरदार झटके में अपना आधा लंड मेरी चूत में घुसा दिया। “आआआह्ह्ह्ह… भैया… निकालो… दर्द हो रहा है!” मैं चिल्लाई। मेरी चूत में जैसे किसी ने गर्म लोहा घुसा दिया हो। मेरी आँखों में आँसू आ गए। मनीष ने मेरे मुँह को अपने होंठों से बंद कर रखा था। फिर उन्होंने एक और जोरदार झटका मारा, और उनका पूरा 10 इंच का लंड मेरी चूत को फाड़ता हुआ अंदर चला गया। मैं बेहोश होने की कगार पर थी। “रुक जा, सुमन… बस थोड़ा सा दर्द है,” मनीष ने कहा। वो धीरे-धीरे झटके मारने लगे। मेरा दर्द धीरे-धीरे कम हुआ, और अब मुझे मजा आने लगा। “आआह्ह्ह… ऊऊऊ… भैया… और जोर से…” मैं सिसक रही थी। मनीष ने अपनी स्पीड बढ़ा दी। उनकी गोलियाँ मेरी गांड से टकरा रही थीं, और “थप-थप” की आवाज कमरे में गूँज रही थी। मैं अपनी गांड उठा-उठाकर उनका साथ दे रही थी। “चोद मुझे, भैया… और जोर से चोद!” मैं चिल्लाई। मनीष ने मुझे और जोर से चोदा। 25 मिनट की दमदार चुदाई के बाद मनीष झड़ गए। उनका गर्म वीर्य मेरी चूत में भरा हुआ था। मैं भी उनके साथ झड़ गई। मेरी चूत से हल्का-हल्का खून निकल रहा था।
उस दिन हमने 5 बार चुदाई की। मेरी चूत इतनी सूज गई थी कि मैं चल भी नहीं पा रही थी। माँ ने मेरी चूत पर क्रीम लगाई और कहा, “पहली बार तो ऐसा होता ही है। अब तुझे मजा आएगा।” उसके बाद माँ भी हमारी चुदाई में शामिल हो गईं। अब हम तीनों रोज चुदाई करते हैं। दोस्तों, ये थी मेरी और मेरे भाई की पहली चुदाई की कहानी। अगर आपको ये कहानी पसंद आई, तो मुझे जरूर बताएँ। मैं आपको अगली कहानी में बताऊँगी कि कैसे मैं चार लोगों से चुदवाने लगी और एक रंडी बन गई। आपकी राय का इंतजार रहेगा। क्या आपको लगता है कि मुझे अपनी अगली कहानी में और क्या जोड़ना चाहिए?