माँ की चुदाई नाइटी में

हाय दोस्तों, मेरा नाम विजय है और मैं दिल्ली-रोहतक से हूँ। मेरी उम्र 19 साल है, और मेरे परिवार में मैं, मेरी मम्मी और पापा हैं। पापा की जॉब ऐसी है कि उनकी ज्यादातर नाइट शिफ्ट रहती है, और वो अक्सर बाहर ही रहते हैं। उनकी उम्र 42 साल है, लेकिन वो इतने बिजी रहते हैं कि घर पर कम ही वक्त बिताते हैं। मेरी मम्मी की उम्र 37 साल है, उनकी हाइट 5 फीट 4 इंच है, और वो दिखने में इतनी जवान और हॉट हैं कि कोई भी उन्हें देखकर पागल हो जाए। उनके बूब्स एकदम गोल और सॉलिड हैं, और उनकी गांड… उफ्फ, जब वो चलती हैं तो उनकी गांड का हिलना किसी का भी दिल धड़का देता है। उनकी कमर पतली और चेहरा इतना खूबसूरत है कि मोहल्ले के लोग उन्हें भाभी समझ लेते हैं।

पिछले कुछ महीनों से मैंने नोटिस किया कि मैं अपनी मम्मी की तरफ अजीब तरह से आकर्षित होने लगा हूँ। पहले तो मैं इसे इग्नोर करता रहा, लेकिन धीरे-धीरे मेरे मन में उनकी खूबसूरती और कामुकता को लेकर वासना जागने लगी। मैं उन्हें चोरी-छिपे देखता, उनके कपड़े बदलते वक्त, या जब वो किचन में काम करतीं, तो उनकी गांड और बूब्स पर मेरी नजरें अटक जातीं। ये कहानी कुछ दिन पहले की है, जब पापा अपने दोस्तों के साथ मुंबई टूर पर गए थे। वो चार दिन के लिए घर से बाहर थे, और अब घर में सिर्फ मैं और मम्मी थे।

एक शाम मम्मी ने कहा, “विजय, बेटा, आज मार्केट चलते हैं, कुछ सामान लेना है।” मैंने तुरंत हामी भर दी। मैंने अपनी बाइक निकाली, और मम्मी मेरे पीछे बैठ गईं। उनकी साड़ी हल्की-सी हवा में उड़ रही थी, और उनकी कमर का हल्का-सा हिस्सा दिख रहा था। मैं बाइक चलाते वक्त बार-बार मम्मी के बारे में ही सोच रहा था। हम पास के एक मॉल में पहुंचे और अंदर चले गए। मम्मी ने मुझसे पूछा, “तुझे कुछ चाहिए?” मैंने कहा, “नहीं, मम्मी, आप बताओ, क्या लेना है?” वो बोलीं, “चल, पहले कपड़े देखते हैं।”

हम एक कपड़े की दुकान में गए। मम्मी ने कुछ सूट देखे, फिर उनकी नजर एक काले रंग की सिल्की नाइटी पर पड़ी। वो नाइटी इतनी हॉट थी कि उसे देखकर मेरा मन मचल गया। मम्मी ने उसे हाथ में लिया और बोलीं, “ये अच्छी लग रही है, क्या कहता है?” मैंने हंसते हुए कहा, “मम्मी, ये तो बहुत सेक्सी है।” वो हल्का-सा शरमाईं, लेकिन उनकी आँखों में एक शरारत थी। उन्होंने वो नाइटी खरीद ली।

जब मम्मी दूसरा सामान देखने में बिजी थीं, मैंने मौका देखकर चुपके से लेडीज़ अंडरगारमेंट्स की दुकान पर जाकर एक लाल रंग की ब्रा और पैंटी का सेट लिया। वो इतना हॉट था कि मैं सोचने लगा कि मम्मी इसे पहनकर कैसी लगेंगी। मैंने चुपके से वो सेट सामान के बैग में डाल दिया ताकि मम्मी को पता न चले। फिर हम घर के लिए निकल पड़े।

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रास्ते में मैं मम्मी के बारे में ही सोच रहा था। उनकी गांड मेरे पीछे बाइक पर टच हो रही थी, और मेरा लंड धीरे-धीरे खड़ा होने लगा। तभी अचानक एक कुत्ता बाइक के सामने आ गया, और मैंने जोर से ब्रेक मार दी। मम्मी के बूब्स मेरी पीठ से टकराए, और वो एकदम मुझसे चिपक गईं। मैंने पलटकर देखा, लेकिन मम्मी ने कुछ नहीं कहा। वो अब और करीब बैठ गईं, उनकी सांसें मेरी गर्दन पर महसूस हो रही थीं। मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। हम घर पहुंचे, खाना खाया और अपने-अपने कमरे में सोने चले गए। लेकिन मेरी आँखों में नींद कहाँ थी? मैं रात भर यही सोचता रहा कि मम्मी को कैसे चोदूँ।

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अगले दिन मम्मी घर का काम कर रही थीं। वो एक हल्की सी साड़ी में थीं, और उनकी कमर बार-बार दिख रही थी। मैं बाहर घूमने चला गया, लेकिन मेरा दिमाग मम्मी पर ही अटका था। शाम को जब मैं घर लौटा, तो मम्मी का मूड कुछ बदला-सा लगा। वो हल्का-हल्का मुस्कुरा रही थीं, जैसे कोई राज़ हो उनके पास। रात को खाना खाने के बाद मम्मी अचानक मेरे कमरे में आईं। वो उस काली सिल्की नाइटी में थीं, जो हमने कल खरीदी थी। नाइटी इतनी टाइट थी कि उनके बूब्स और गांड का शेप साफ दिख रहा था। मैं टीवी देख रहा था, रात के 11 बज रहे थे। मम्मी बोलीं, “विजय, नींद नहीं आ रही क्या?” मैंने कहा, “नहीं मम्मी, आपको भी नहीं आ रही?” वो बोलीं, “नहीं, थोड़ी देर तेरे साथ टीवी देखती हूँ।”

वो मेरे बेड पर मेरे पास लेट गईं। उनकी नाइटी का गला थोड़ा गहरा था, और उनके बूब्स का क्लीवेज साफ दिख रहा था। मेरा लंड धीरे-धीरे टाइट होने लगा। हम टीवी देख रहे थे, लेकिन मेरा ध्यान मम्मी पर था। मैंने टीवी की वॉल्यूम कम कर दी और कुछ रोमांटिक गाने लगा दिए। फिर मैंने हिम्मत करके कहा, “मम्मी, आप इस नाइटी में बहुत हॉट लग रही हो।” वो हल्का-सा शरमाईं, लेकिन उनकी आँखों में शरारत थी। उन्होंने कहा, “अच्छा? थैंक्स, बेटा।” तभी टीवी पर एक हॉट गाना शुरू हो गया। मैंने मौका देखकर कहा, “मम्मी, एक डांस हो जाए?” वो हंसते हुए बोलीं, “हाँ, क्यों नहीं!”

हम दोनों खड़े हुए और डांस करने लगे। मैंने धीरे से मम्मी का हाथ पकड़ा और उन्हें अपनी तरफ खींच लिया। अब वो मेरे इतने करीब थीं कि उनकी सांसें मेरे चेहरे पर टकरा रही थीं। मैंने उनकी कमर पर हाथ रखा और धीरे-धीरे डांस करने लगा। वो भी मेरे साथ ताल मिला रही थीं। उनकी नाइटी का सिल्की कपड़ा मेरे हाथों में फिसल रहा था। मैंने हिम्मत करके उनकी कमर पर और जोर से पकड़ बनाई और उन्हें और करीब खींच लिया। वो मुस्कुराईं, और मुझे लगा कि ये ग्रीन सिग्नल है।

मैंने धीरे से मम्मी की नाइटी का चेन खींचा। वो एकदम से मेरी तरफ देखने लगीं, लेकिन कुछ बोलीं नहीं। मैंने उनकी नाइटी को धीरे-धीरे नीचे सरकाया। जब नाइटी नीचे गिरी, तो मैं दंग रह गया। मम्मी ने वही लाल ब्रा और पैंटी पहनी थी, जो मैंने चुपके से खरीदी थी। उनकी गोरी चमड़ी पर वो लाल ब्रा और पैंटी इतनी सेक्सी लग रही थी कि मेरा लंड एकदम टाइट हो गया। उनके बूब्स ब्रा में कसे हुए थे, और पैंटी उनकी चूत को बमुश्किल ढक रही थी। मैंने मम्मी को अपनी बाहों में उठाया और बेड पर लिटा दिया।

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मैंने जल्दी से अपने कपड़े उतारे। मेरा 7 इंच का लंड अब पूरी तरह खड़ा था। मैंने उसे मम्मी के होंठों के पास ले जाकर रखा। वो हल्का-सा हिचकिचाईं, लेकिन फिर उन्होंने मेरे लंड को अपने नरम होंठों से चूम लिया। धीरे-धीरे वो उसे चूसने लगीं। “पच-पच” की आवाज कमरे में गूंजने लगी। वो मेरे लंड को इतने प्यार से चूस रही थीं कि मैं सातवें आसमान पर था। कभी वो अपनी जीभ से मेरे लंड के टॉप को चाटतीं, तो कभी पूरा लंड अपने मुँह में ले लेतीं। मैंने उनके बाल पकड़े और धीरे-धीरे उनके मुँह में धक्के देने लगा। वो “उम्म… उम्म…” की आवाजें निकाल रही थीं।

करीब 5 मिनट तक चूसने के बाद मैंने उनकी ब्रा का हुक खोला। उनके 34D साइज के बूब्स आजाद हो गए। वो इतने गोरे और सॉलिड थे कि मैं देखता ही रह गया। मैंने उनके बूब्स को अपने हाथों में लिया और जोर-जोर से दबाने लगा। उनके निपल्स गुलाबी और सख्त थे। मैंने एक निपल को अपने मुँह में लिया और चूसने लगा। मम्मी की सिसकारियाँ शुरू हो गईं, “आह्ह… विजय… आह्ह…” वो मेरे सिर को अपने बूब्स पर दबा रही थीं। मैंने उनके दूसरे बूब को दबाते हुए चूसना जारी रखा। उनकी सिसकारियाँ और तेज हो गईं, “उह्ह… बेटा… आह्ह…”

मैंने अब उनकी पैंटी पर ध्यान दिया। मैंने धीरे से उनकी पैंटी को नीचे सरकाया। उनकी चूत एकदम क्लीन शेव थी, हल्की-सी लाल और गीली। मैंने अपनी उंगलियाँ उनकी चूत पर फेरीं, और वो सिहर उठीं। मैंने उनकी चूत को चूम लिया और अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया। उनकी चूत से हल्की-सी खुशबू आ रही थी, जो मुझे और उत्तेजित कर रही थी। मैंने उनकी चूत के दाने को अपनी जीभ से छेड़ा, और मम्मी जोर-जोर से सिसकारियाँ लेने लगीं, “आह्ह… विजय… उह्ह… और कर… आह्ह…” वो मेरे सिर को अपनी चूत पर दबा रही थीं। उनकी चूत से पानी निकलने लगा था, और मैं उसे चाट रहा था।

मैंने पूछा, “मम्मी, पापा आपके साथ सेक्स नहीं करते क्या?” वो बोलीं, “वो तो घर पर रुकते ही कहाँ हैं, बेटा। मैं तो सालों से प्यासी हूँ।” उनकी बात सुनकर मुझे और जोश आ गया। मैंने उन्हें अपनी बाहों में लिया और उनके बूब्स को फिर से दबाने लगा। मैं उनके निपल्स को चूस रहा था, और वो “आह्ह… उह्ह…” की आवाजें निकाल रही थीं।

मम्मी अब पूरी तरह गरम हो चुकी थीं। उन्होंने कहा, “विजय, अब और मत तड़पाओ… डाल दे अंदर…” मैंने अपना लंड उनकी चूत पर रखा और हल्का-सा रगड़ा। उनकी चूत इतनी गीली थी कि मेरा लंड आसानी से फिसल रहा था। मैंने एक जोरदार धक्का मारा, और मेरा लंड उनकी चूत में आधा घुस गया। मम्मी की चीख निकल गई, “आह्ह… विजय… धीरे…” मैंने थोड़ा रुका, फिर धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। उनकी चूत इतनी टाइट थी कि मुझे लग रहा था जैसे मैं किसी कुंवारी लड़की को चोद रहा हूँ।

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मैंने एक और जोरदार धक्का मारा, और मेरा पूरा लंड उनकी चूत में समा गया। मम्मी की जोरदार सिसकारी निकली, “आह्ह… बेटा… तेरा बहुत बड़ा है… उह्ह…” वो मेरी कमर पर अपने पैर लपेट चुकी थीं। मैंने धक्के मारने शुरू किए, और कमरे में “पच-पच” की आवाज गूंजने लगी। मम्मी की सिसकारियाँ भी तेज हो गईं, “आह्ह… उह्ह… विजय… और जोर से… चोद अपनी मम्मी को…” उनकी बातें सुनकर मेरा जोश दोगुना हो गया। मैंने उनकी चूचियों को दबाते हुए और जोर-जोर से धक्के मारने शुरू किए।

मम्मी अब अपनी गांड उठा-उठाकर मेरा साथ दे रही थीं। वो बार-बार कह रही थीं, “चोद बेटा… और जोर से… आह्ह… मार डाला तूने…” मैंने उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उन्हें चूमते हुए धक्के मारने लगा। उनकी चूत से पानी निकल रहा था, और मेरा लंड उसमें आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था। करीब 10 मिनट की चुदाई के बाद मम्मी झड़ गईं। उनकी चूत ने मेरे लंड को और जोर से जकड़ लिया, और वो “आह्ह… उह्ह…” करते हुए तड़पने लगीं।

लेकिन मेरा अभी नहीं हुआ था। मैंने धक्के मारना जारी रखा। मम्मी अब फिर से गरम हो गई थीं। वो बोलीं, “विजय, रुक मत… और चोद… अपनी मम्मी की चूत फाड़ दे…” मैंने उनकी टांगें अपने कंधों पर रखीं और और जोर-जोर से धक्के मारने लगा। कमरा हमारी चुदाई की आवाजों से गूंज रहा था, “पच-पच… आह्ह… उह्ह…” मम्मी की चूचियाँ हर धक्के के साथ उछल रही थीं। मैंने उनके बूब्स को फिर से पकड़ा और जोर-जोर से दबाने लगा।

करीब 15 मिनट की ताबड़तोड़ चुदाई के बाद मैं भी झड़ने वाला था। मैंने मम्मी से पूछा, “मम्मी, कहाँ निकालूँ?” वो बोलीं, “अंदर ही डाल दे, बेटा… मैं तेरे माल से भरना चाहती हूँ…” मैंने आखिरी बार जोरदार धक्का मारा, और मेरा सारा माल उनकी चूत में निकल गया। हम दोनों हाँफते हुए एक-दूसरे की बाहों में लेट गए। मम्मी मेरे सीने पर सिर रखकर बोलीं, “विजय, तूने आज अपनी मम्मी को जन्नत दिखा दी।” मैंने उन्हें चूम लिया और कहा, “मम्मी, ये तो बस शुरुआत है।”

उसके बाद जब भी हमें मौका मिलता, हम चुदाई का मजा लेते। अगर कोई लड़की या लेडी मेरे साथ चुदाई का मजा लेना चाहती हो, या मेरी इस कहानी पर फीडबैक देना चाहती हो, तो नीचे कमेंट करें।

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