बेटी बनी पापा की पत्नी – 3

नमस्ते दोस्तों, मैं आपका फिर से स्वागत करती हूँ। आपने कहानी के पिछले हिस्से में पढ़ा था कि माँ की मृत्यु के बाद मेरी बुआ ने मुझे मेरी बहनों की माँ बनने को कहा था। पापा भी यही चाहते थे। मैं भी अपने जीवन में पापा जैसा ही जीवनसाथी चाहती थी। नियति ने मुझे पापा को ही मेरा हमसफर बना दिया। अब उसी पल से यह कहानी आगे बढ़ती है।

कहानी का पिछला भाग: बेटी बनी पापा की पत्नी – 2

मैं: (पापा से) अरे, मैं कौन सी जादूगरनी हूँ? मैंने कौन सा जादू कर दिया?

पापा: अरे मेरी रानी, तुमने कुछ किया ही नहीं? फिर ये हसीनों की अदा कैसे, जिसने मुझे तुम्हारा गुलाम बना लिया? और तुम कहती हो कि कुछ किया ही नहीं!

मैं: (हँसते हुए) अरे, क्या पापा, आप भी ना! मैंने कब कहा कि मैंने आपको गुलाम बनाया? मेरे पास ऐसा क्या है जो आप मेरे लिए गुलाम बन जाओगे?

पापा: (मुस्कुराते हुए) मेरी जान, तुम्हारे पास तो वो खजाना है जो दुनिया में कहीं नहीं। तुम्हारी एक मुस्कान ही लाखों की है। तुम्हारी वो रसीली आँखें, वो गुलाबी गाल, वो नाजुक होंठ—सब कुछ तो अनमोल है। मैं तो तनख्वाह में अपनी जान दे दूँगा, बस तुम्हारी मेहरबानी चाहिए।

हम दोनों की बातें चल ही रही थीं, तभी रिंकी आ गई। हम दोनों हड़बड़ा गए और जल्दी से अलग हो गए। पापा फुर्र से बाहर चले गए, और मैं रसोई का काम निपटाने में लग गई। रसोई का काम खत्म करके मैं पापा के कमरे में गई। मैंने पापा से उनका फोन माँगा, क्योंकि बुआ से बात किए बिना मुझे चैन नहीं पड़ता था।

पापा: (हँसते हुए) अरे, फोन छोड़ो ना, मेरी जान। आओ, हम दोनों बैठकर बातें करते हैं।

मैं: (थोड़ा गुस्से में) रहने दीजिए, आप अपना फोन रखिए। मुझे नहीं चाहिए। मैं नया फोन लूँगी, तभी बात करूँगी।

यह कहकर मैं कमरे से बाहर जाने लगी। पापा ने मेरा हाथ पकड़ लिया।

आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

पापा: अरे, मेरी रानी, नाराज़ हो गईं? मेरी सरकार, हमारी क्या गलती? तुम्हें मनाने के लिए क्या करना पड़ेगा? लो, फोन लो, और बता दो, इस गुस्ताख को माफी मिलेगी या नहीं?

पापा का ये प्यारा अಂದाज़ देखकर मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गई। मैंने फोन लिया और बाहर जाने लगी। पापा बोले:

पापा: यहीं बात कर लो ना, हमें भी तो पता चले कि तुम्हारी मेहरबानी किस पर बरस रही है। कहीं हमारी शिकायत तो नहीं हो रही?

मैं दरवाजे के पास रुकी, पीछे मुड़कर पापा को देखा और मुस्कुराते हुए बोली: गलती करते ही क्यों हो जो माफी माँगनी पड़े? समझे? और बाहर जाते-जाते बोली: दीदी से बात करके आपको दूध देती हूँ।

पापा: (हँसते हुए) अरे, दूध रहने दो, मेरी जान।

मैं: (मुस्कुराते हुए) क्या, आप मेरा दूध पीने से मना कर रहे हैं?

पापा: (शरारत से) मेरी रानी, तुम्हारा दूध पीने से कौन मना कर रहा है?

मैंने देखा कि पापा की नज़र मेरी चूचियों पर थी। उनकी बात का मतलब समझकर मैं शरमा गई और जल्दी से बाहर निकल आई। मैंने बुआ को फोन मिलाया, लेकिन उन्होंने नहीं उठाया। मुझे चैन नहीं था। मैंने फिर से फोन किया, इस बार बुआ ने उठाया। हमने सुबह की शॉपिंग की बातें की। फिर मैंने कुछ बताना चाहा तो बुआ छेड़ते हुए बोलीं:

बुआ: अरे, कौन सी बात? ये तो नहीं कि तुमने और भैया ने शादी से पहले ही सुहागरात मना ली? वैसे, भाभी, तुम्हारा रूप ऐसा है कि देवता भी डगमगा जाएँ।

मैं: (शरमाते हुए) दीदी, क्या आप भी! ऐसा कुछ नहीं हुआ।

आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

बुआ: (हँसते हुए) अच्छा, तो बताओ, क्या हुआ? अब तो हम सीक्रेट भी शेयर करते हैं ना?

मैं: दीदी, आज शॉपिंग करते वक्त पापा ने जो ब्रा और पैंटी का सेट चुना, उस पर इतना गंदा-गंदा लिखा था कि मैं शर्म से मर ही गई।

बुआ: तो क्या, भैया ने पहचान लिया?

मैं: (शरमाते हुए) दीदी, आप भी ना!

बुआ: फिर क्या हुआ?

मैं: दीदी, वो पैंटी ऐसी थी कि पहनो या ना पहनो, एक बराबर। बस एक छोटा सा कपड़ा आगे और पीछे एक पतली सी डोरी। सब कुछ तो दिखेगा। मुझे तो बहुत शर्म आएगी।

बुआ: (हँसते हुए) अरे भाभी, आजकल के मर्दों को यही पसंद है। हमें अपने मर्दों को खुश करने के लिए यही पहनना पड़ता है। वैसे, पहनो या ना पहनो, क्या फर्क पड़ता है? एक बार जब वो पैंटी उतार देते हैं, तो सारी रात नंगी ही सुलाते हैं। मुझे तो अब नंगी सोने की आदत हो गई है। जब मूड बन जाए, तो कपड़े उतारने-पहनने का झंझट कौन करे?

बुआ की बात सुनकर मैं मस्ती के मूड में आ गई।

मैं: दीदी, जीजा जी का मूड बनता है या आपका?

बुआ: (हँसते हुए) अरे, जब इनका मूड बनता है, तो मेरा क्यों नहीं? जब जीजा जी का घोड़ा सारी रात मेरे अस्तबल पर दस्तक देता है, तो मैं भी उनके घोड़े को पकड़कर सवारी कर लेती हूँ। फिर उसे अपने अस्तबल में बंद करके सो जाती हूँ। वैसे, भाभी, कुछ दिन बाद तुम भी भैया के साथ नंगी पड़ी रहोगी।

आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

मैं जानती थी कि बुआ से बातों में जीतना मुश्किल है, इसलिए मैंने बात बदल दी। हमारी शादी को बस चार दिन बचे थे। मैंने बुआ से पूछा कि वो कब आएँगी।

बुआ: शादी से एक दिन पहले आऊँगी, और उसी दिन वापस चली जाऊँगी। बच्चों के एग्ज़ाम हैं, और फूफा जी को भी जरूरी काम है।

मुझे बुरा लगा, और मैं नाराज़ हो गई। बुआ ने समझाया कि अगर इस मुहूर्त में शादी नहीं हुई, तो अगले चार महीने कोई मुहूर्त नहीं है।

बुआ: बताओ, तुम और भैया चार महीने रुक पाओगे?

मैं सोच में पड़ गई। मुझे तो नहीं पता था, लेकिन पापा का बस चले तो वो चार घंटे भी ना रुकें।

बुआ: वैसे, भैया यहाँ ट्रांसफर करवा रहे हैं। जल्दी ही तुम लोग यहाँ आ जाओगे।

मैं: (खुश होकर) अच्छा, दीदी, जैसा आप कहो।

बुआ: भाभी, सुहागरात की तैयारी कर लो।

मैं: दीदी, क्या तैयारी? आप आ जाओ, मुझे गाइड कर देना। आप मेरी सहेली भी तो हो।

बुआ: (हँसते हुए) अरे, मेरी बन्नो रानी, इतना दोस्ताना!

आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

फिर मैंने फोन काट दिया। मुझे पापा को फोन लौटाने उनके कमरे में जाना था। रात को उनके कमरे की ओर जाते हुए मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। मुझे डर था कि अगर मैं रात को उनके साथ रुक गई, तो पापा आज ही मुझे कली से फूल बना देंगे। लेकिन फिर सोचा, अगर सुहागरात आज ही हो जाए, तो क्या गलत है? आखिर वो मेरे होने वाले पति हैं।

पापा के कमरे में पहुँचकर मैंने उनसे बात की। फिर अपने कमरे की ओर जाने लगी।

पापा: अरे, निशी, जा रही हो? थोड़ी देर और बैठो ना।

मैं: (शरमाते हुए) जी, नींद आ रही है।

पापा: अरे, मेरी जान, थोड़ी देर तो बैठो।

पापा ने म्यूज़िक ऑन कर दिया। मैंने मन में सोचा, लगता है जनाब के इरादे नेक नहीं। आज रात ही मेरा बाजा बजा देंगे। फिर मुस्कुराते हुए सोचा, बजाना तो इन्हें ही है। मैं पापा के पास चली गई।

पापा ने धीरे-धीरे कमर हिलाते हुए डांस शुरू किया और मुझसे बोले: आओ ना, निशी, थोड़ा डांस करते हैं।

मैं: (शरमाते हुए) मुझे नाचना नहीं आता।

पापा: (मेरा हाथ पकड़कर) अरे, आओ ना, मैं जानता हूँ तुम कितना अच्छा डांस करती हो।

पापा ने मुझे अपनी बाहों में खींच लिया। मैं चिपककर मुस्कुराई और बोली: मुझे नहीं पता था कि आपने ऐसे शौक पाल रखे हैं।

आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

पापा ने मेरा एक हाथ पकड़ा, दूसरा हाथ मेरी कमर पर रखा, और धीरे-धीरे नाचने लगे। मैंने भी अपना दूसरा हाथ उनके कंधे पर रख दिया। पापा की आँखें मुझे देखकर मुस्कुरा रही थीं, और उनकी गाँड धीरे-धीरे हिल रही थी। मेरे मुँह से मस्ती भरी “आआआह्ह्ह” निकल गई।

इसे भी पढ़ें   शादीशुदा बहन बनी भाई के लंड की दीवानी | Marriaged Sister Chudai Ki Kahani

हमारे बदन एकदम चिपके हुए थे। पापा के गाल मेरे गालों से रगड़ रहे थे, जिससे मेरे अंदर उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी। मैं और चिपक गई। तभी मुझे पापा का खड़ा लंड मेरी साड़ी के ऊपर से मेरी चूत को टकराता हुआ महसूस हुआ। मेरी साँसें और तेज़ हो गईं। मैं कामातुर होकर और चिपक गई। पापा के होंठ मेरे होंठों से बस एक इंच दूर थे। अचानक पापा ने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और चूसने लगे।

“आआह्ह्ह… पापा…” मैं सिसकारी।

हम देर तक ऐसे ही नाचते रहे, एक-दूसरे के होंठ चूसते रहे। मैंने उनकी बाहों से निकलकर कहा: क्या, सारी रात ऐसे ही नाचने का इरादा है?

पापा: (मेरा हाथ पकड़कर) दिल तो यही चाहता है, मेरी जान। तुम्हें बाहों में लेकर सारी ज़िंदगी प्यार करता रहूँ।

मैं शरमाकर बाहर की ओर निकल गई और मुड़कर बोली: इसके लिए आपको कुछ पल इंतज़ार करना पड़ेगा।

पापा: (हँसते हुए) जा रही हो? मेरी लुंगी तो दे दो।

पापा ने अपनी पैंट खोलनी शुरू की। मैं नज़रें झुकाए खड़ी थी। पापा की पैंट उनके पैरों में गिरी। मैंने पैंट उठाने के लिए झुका, तभी मेरी नज़र उनके अंडरवियर में खड़े लंड पर पड़ी। पापा का मूसल लंड उस छोटे से अंडरवियर में समा नहीं रहा था। साइड से उनकी झाँटें और बाल साफ दिख रहे थे।

मैं: (शरमाते हुए) पापा, आप बड़ा अंडरवियर ले आइए।

पापा: (शरारत से) अभी कह रही हो बड़ा लाऊँ? शादी के बाद कहोगी, इसे पहनने की क्या ज़रूरत?

आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

पापा मेरे सामने अपने लंड को सहलाने लगे। मैं शरमाकर बोली: आप भी ना, रिंकी के पापा!

यह कहकर मैं अपने कमरे में आ गई। नींद नहीं आ रही थी। मैंने सोचा, क्यों ना वो ब्रा और पैंटी पहनकर देखूँ। मैंने शॉपिंग बैग खोला, ब्रा और पैंटी निकाली, और पहनकर आईने में खुद को देखा। मैं शरमा गई। सोचने लगी, क्या पापा मुझे इस रूप में देखने को बेताब हैं? मुझे यकीन था कि पापा मेरा ये रूप सोचकर अपना लंड हिला रहे होंगे।

मैं उनके कमरे की ओर चली। बाहर से देखा, दरवाजा खुला था। पापा अपना विशाल लंड अंडरवियर से निकालकर हिला रहे थे। मैं उन्हें निहारने लगी। मेरा हाथ मेरी सलवार में चला गया, और मैं अपनी चूत सहलाने लगी।

“आआह्ह्ह… पापा…” मैंने मन में सोचा।

पापा अपने लंड को तकिए पर दबाकर धक्के मार रहे थे, बड़बड़ा रहे थे: “निशी, मेरी जान, तुम्हारी चूत…”

मैं सोचने लगी, अगर इतना मन है, तो मुझे बता देते। मैं उनकी शादी से पहले अपने हाथ से उनका लंड पकड़कर पानी निकाल देती। पापा का मोटा, गधे जैसा लंड सोचकर मेरी चूत गीली हो गई। मैं शरमाकर अपने कमरे में लौट आई।

मेरी हालत भी पापा जैसी थी। मेरी चूत पानी छोड़ रही थी। मैं नंगी हो गई और अपनी चूत सहलाने लगी। “आआह्ह्ह… पापा… आपका लंड…” मैं सिसकारियाँ भरने लगी। मैंने तकिए में मुँह छुपाया, जैसे पापा के सीने में मुँह छुपा लिया हो। मैंने उंगली डाली, जैसे पापा का लंड हो।

“आआआह्ह्ह… उई माँ…” मेरी चूत गीली थी, और मैं पापा के लंड को सोचकर पागल हो रही थी। मेरी आँखें बंद थीं, लेकिन सामने पापा का गठीला शरीर, चौड़ा सीना, घने बाल, और उनका शेर जैसा लंड दिख रहा था। मैं अपनी चूत में उंगली घचाघच डाल रही थी। “आआह्ह्ह… पापा… चोदो ना…” मैंने एक हाथ से अपनी चूचियाँ सहलाईं, निपल्स मसले।

“आआआह्ह्ह… रिंकी के पापा… करो ना… नहीं तो मर जाऊँगी…”

मेरी चूत की आग बढ़ती जा रही थी। उंगली से ठंडा करने की कोशिश कर रही थी, लेकिन पापा का लंड ही वो आग बुझा सकता था। पता नहीं कब मुझे नींद आ गई।

आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

शादी की तैयारियाँ जोरों पर थीं। मुझे बस एक दुख था कि बुआ ज्यादा दिन नहीं रुकेंगी। मैंने सोचा, पापा से कहूँ। मैंने पापा से कहा:

मैं: जी, दीदी कह रही थीं कि वो शादी से एक दिन पहले आएँगी और उसी दिन चली जाएँगी।

पापा: हाँ, वो बच्चों के एग्ज़ाम की बात कर रही थीं। मैंने ज्यादा जोर नहीं दिया।

मुझे भी लगा कि बुआ ठीक कह रही थीं। लेकिन अब जब भी मैं पापा को देखती, उनकी जींस के ऊपर उनका विशाल लंड नज़र आता। मैं सोचने लगती कि पापा मुझे कैसे चोदेंगे।

हम शादी का जोड़ा और मंगलसूत्र लेना भूल गए थे। मैंने पापा से कहा:

मैं: सुनिए, हमने मंगलसूत्र और शादी का जोड़ा तो लिया ही नहीं।

पापा: अरे, तुम्हारी मम्मी का जोड़ा है ना।

मैं: (गुस्से में) मैं वो नहीं पहनूँगी।

पापा: क्यों, क्या हुआ? तुम शादी नहीं करोगी?

मैं: (मुस्कुराते हुए) मैंने कब कहा कि शादी नहीं करूँगी? लेकिन माँ का जोड़ा नहीं पहनूँगी। वो आपकी पहली बीवी थीं, अब मेरी सौतन हैं। मैं अपनी शादी में सौतन का जोड़ा नहीं पहनूँगी।

आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

पापा: (हँसते हुए) बस इतनी सी बात? चलो, अभी शादी का जोड़ा और मंगलसूत्र ले लेते हैं।

हम बाज़ार गए और मैंने खूबसूरत लाल जोड़ा और डायमंड का मंगलसूत्र लिया। पापा बोले:

पापा: चले?

मैं: अरे, बिस्तर नहीं लेना? सुहागरात यहीं मनाएँगे या ट्रांसफर के बाद?

पापा: (हँसते हुए) इतना जुल्म क्यों कर रही हो, मेरी जान?

हमने एक शानदार डबल बेड लिया।

आखिर वो दिन आ गया—मेरी और पापा की शादी। बुआ एक दिन पहले आ गईं और सारी रस्में करवाईं—हल्दी, मेहंदी। रात को मैं बुआ के साथ अपने कमरे में थी। बुआ मुझे सुहागरात की बातें बता रही थीं।

बुआ: भाभी, एक बात बताओ, अपनी झाँटें साफ कीं या नहीं?

मैं: (शरमाते हुए) दीदी, झाँटें क्या होती हैं?

बुआ: (हँसते हुए) अरे, मेरी बन्नो, तुम्हारी चूत के ऊपर के रेशमी बाल—उन्हें झाँटें कहते हैं।

आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

मैं: (शरम से लाल) दीदी, आप भी ना! कोई बालों को झाँटें कहता है?

बुआ: हाँ, भाभी, सभी औरतें सुहागरात से पहले साफ करती हैं। मर्दों को चिकनी चूत चाटने में मज़ा आता है।

मैं: दीदी, क्या पापा ने भी अपनी झाँटें साफ की होंगी? उनका तो घना जंगल है।

बुआ: (हँसते हुए) मर्द अक्सर नहीं साफ करते। उन्हें लगता है हमें उनका घना जंगल पसंद है। उनकी झाँटें रगड़ती हैं तो जन्नत का मज़ा आता है। वैसे, अगर तुम्हें पसंद न आए, तो शादी के बाद खुद साफ कर देना।

मैं शरम से लाल हो गई और चेहरा छुपा लिया।

बुआ: अगर नहीं की, तो कल ब्यूटी पार्लर चलेंगे।

मैं: नहीं, मैं किसी से नहीं करवाऊँगी।

बुआ: (छेड़ते हुए) तो भैया को बोल दो, वो साफ कर देंगे।

मैं: (शरमाते हुए) जीजा जी आपकी साफ करते होंगे।

बुआ: हाँ, जब रात को दर्द होता है, तो कह देती हूँ, “इतनी ही चिकनी चाहिए, तो खुद साफ कर लो।” फिर वो टाँगें खोलकर अच्छे से साफ करते हैं।

आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

मैं: दीदी, आपको शर्म नहीं आती?

बुआ: शर्म कैसी? रोज़ नंगी करते हैं। अब भैया को बुलाओ, झाँटें साफ करने।

मैं: नहीं, मैं खुद कर लूँगी।

बुआ ने मुझे गले लगाया। मैंने पूछा:

मैं: दीदी, क्या सब सुहागरात को ही कर लेते हैं?

मुझे सेक्स का डर था। मैंने पूछा: दीदी, सुहागरात को क्या होता है? क्या मर्द अपनी चूत चोदकर ही सुहागरात मनाते हैं?

बुआ: हाँ, बन्नो, सभी मर्द सुहागरात को अपनी दुल्हन की चूत में लंड घुसाकर सील तोड़ते हैं। चूत फाड़ देते हैं।

मैं: हाय, दीदी, चूत फटने में दर्द नहीं होता?

बुआ: थोड़ा दर्द होता है, और पहली बार खून निकलता है। ये पति के लिए सबसे बड़ा गिफ्ट है। फिर मज़ा इतना आता है कि पूछो मत।

मैं: दीदी, अपनी सुहागरात बताओ ना। फूफा जी ने कैसे मनाई?

आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

बुआ: (हँसते हुए) कल भैया के साथ मनाओगी, सब पता चल जाएगा।

मैंने बुआ को चूमकर मनुहार की। बुआ बोलीं:

बुआ: पहले दरवाजा बंद कर, साड़ी पहन, लाइट बंद कर, और नाइट लैंप जलाकर दुल्हन की तरह बिस्तर पर बैठ।

इसे भी पढ़ें   खेल खेल में दीदी की बुर मिली

मैंने सब किया। कमरे में हल्की लाल रोशनी थी।

बुआ: मान लो तुम मैं हूँ, और मैं तुम्हारे फूफा जी।

बुआ मेरे पास बैठीं और बोलीं: पूजा, आज से हम पति-पत्नी हैं।

उन्होंने मेरी चुन्नी उतारी, माथा चूमा, आँखें चूमीं, और बोलीं: पूजा, तुम कितनी खूबसूरत हो। आई लव यू, मेरी मल्लिका।

मैं शरमा गई। बुआ ने मेरे होंठ चूसने शुरू किए। मेरी साँसें भारी हो गईं। मैंने भी उनके होंठ चूसने शुरू किए। बुआ ने मेरी चूचियाँ पकड़कर सहलाईं, फिर दबाईं। मेरी सिसकारियाँ निकलीं: “आआह्ह्ह… दीदी… गुदगुदी हो रही है।”

बुआ: (फूफा जी के रोल में) अब मुझे एजी बोलो। आई लव यू, पूजा। तुम्हारी चूचियाँ कितनी मजेदार हैं।

बुआ ने मेरी चूचियाँ चूसनी शुरू कीं। मैंने उनका ब्लाउज़ और ब्रा उतार दी, उनकी चूचियाँ दबाईं। बुआ बोलीं:

आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

बुआ: फिर फूफा जी ने मेरी साड़ी और पेटीकोट में हाथ डालकर चूत पकड़ ली।

बुआ ने मेरी साड़ी और पेटीकोट उतार दिया।

बुआ: पूजा, तुम्हारी चूत कितनी चिकनी है। मैं इसे खा जाऊँगा।

मैं: (सिसकारी) आआह्ह्ह… जी, ऐसा मत करो… कुछ हो रहा है।

बुआ मेरी चूत सहलाने लगीं। मैं गर्म हो गई। मैंने बुआ के सारे कपड़े उतार दिए। हम दोनों नंगी थीं। बुआ बोलीं:

बुआ: फिर फूफा जी ने मेरी चूत में लंड घुसाया। पहली बार था, मैं चिल्लाई। मेरी चूत फट गई, खून निकला।

मैं: दीदी, बहुत दर्द हुआ होगा?

बुआ: थोड़ा खून निकलता है, फिर मज़ा आता है।

बुआ ने मेरी चूत में उंगली डाली। मैं चिहुँकी: “आआह्ह्ह… दीदी…”

बुआ मेरे ऊपर लेट गईं, मेरी चूचियाँ दबाने लगीं, चूत चूमने लगीं। मैं तड़प उठी: “आआह्ह्ह… उई माँ… दीदी, जीजा जी ने आपकी चूत भी पी थी?”

आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

बुआ: हाँ, बहुत मज़ा आया। तू भी अपने जीजा को चूत पिलाएगी?

मैं: (हँसते हुए) धत्त! मैं तो पापा को पिलाऊँगी।

बुआ ने अपनी चूत मेरी चूत पर रखकर धक्के दिए। मैं पानी छोड़ चुकी थी। मैंने बुआ को नीचे किया और उनकी चूत पर अपनी चूत रगड़ने लगी। “आआह्ह्ह… दीदी…” हम दोनों पानी छोड़कर चिपक गए।

बुआ: ये मेरी पहली चुदाई थी। फूफा जी ने रात भर चार बार मेरी चूत मारी।

मैं: दीदी, ये क्या था?

बुआ: इसे लेस्बियन सेक्स कहते हैं। कैसा लगा?

मैं: अच्छा था, दीदी।

बुआ: जब चाहो, कर सकते हैं।

मैं: आप मेरी गुरु हो। जब कहेंगी, मैं तैयार हूँ।

हम सो गए। सुबह हमें ब्यूटी पार्लर जाना था। वहाँ मेरे पूरे बदन की वैक्सिंग हुई। मेरी चूत अब चिकनी मैदान बन गई थी। लाल जोड़े और मेहंदी में सजी मैं शीशे में देखकर शरमा गई। मुझे एक्साइटमेंट थी कि आज मैं पापा की बीवी बनने जा रही हूँ।

आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

मंदिर में पापा और फूफा जी ने सारा इंतज़ाम किया था। मैं जोड़े में इतनी सुंदर लग रही थी कि पापा की नज़र मुझसे हट नहीं रही थी। पंडित जी ने हमें मंडप में बिठाया। जीजा जी पापा को छेड़ रहे थे:

जीजा जी: साले साहब, बीवी को ऐसे क्यों देख रहे हो? रात तुम्हारी है, जो मर्ज़ी करो।

मैं शरम से पानी-पानी हो गई। पंडित जी ने जयमाला, मंत्र, हवन, और फेरे करवाए। पापा ने मेरी माँग में सिन्दूर भरा और गले में मंगलसूत्र पहनाया। अब मैं उनकी बीवी बन चुकी थी। पंडित जी बोले:

पंडित जी: आज से तुम पति-पत्नी हो। एक-दूसरे की हर इच्छा का सम्मान करो। बेटी, अपने पति के सुख में तुम्हारा सुख है।

विवाह के बाद हम घर आए। जीजा जी मज़ाक करते रहे:

जीजा जी: साले साहब, अब तो शादी हो गई। पार्टी कब दोगे?

मैं शरम से चुप रही। रात हो गई थी। बुआ और जीजा जी जाने की तैयारी कर रहे थे। बुआ मुझे कमरे में ले गईं और बोलीं:

बुआ: भाभी, अब अपने परिवार को संभालो। पति को खूब प्यार दो। अच्छा खाना बनाओ, उनकी हर बात मानो। रात में उनकी हर इच्छा पूरी करो। अगर वो तुम्हें नंगी रखना चाहें, दस बार भी चोदना चाहें, तो मना मत करना।

मैं: दीदी, आप मेरी गुरु हो। जैसा कहेंगी, वैसा करूँगी।

बुआ ने मुझे चूमा और बोलीं: थोड़ी देर में हम चले जाएँगे। सुहागरात कैसी लग रही है?

आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

मैं: दीदी, डर लग रहा है। उनका इतना बड़ा है।

बुआ: (हँसते हुए) कितना बड़ा? ले चुकी हो क्या?

मैं: (शरमाते हुए) नहीं, दीदी, मैंने बिस्तर पर देखा था। 9 इंच लंबा, 3 इंच मोटा। मुझे डर है, कहीं मर ना जाऊँ।

बुआ: अरे, कोई नहीं मरता। जितना बड़ा, उतना मज़ा। हमारे जीजा जी का 10 इंच लंबा, साढ़े तीन इंच मोटा है। आज भी मज़ा देता है। हिम्मत रखो।

हम बाहर आए। बुआ जीजा जी से बोलीं: चलिए, बच्चों के एग्ज़ाम हैं।

पापा: निशी, मैं इन्हें स्टेशन छोड़कर आता हूँ।

बुआ मेरे पास आईं और बोलीं: भाभी, अच्छे से सुहागरात मनाना। भैया तुम पर रहम नहीं करेंगे। आज तुम्हारी चूत की धज्जियाँ उड़ा देंगे।

बुआ ने पापा को बुलाकर कहा: भैया, इसे खूब प्यार करना। ये अभी जवान है, पहली बार है। प्यार से करना, बेरहम मत बनना।

मैं शरम से मर गई। पापा बोले: पूजा, ये मेरी जान है। मैं इसका पूरा ख्याल रखूँगा।

पापा बुआ और जीजा जी को स्टेशन छोड़ने गए। मेरी बेटियाँ थककर सो गईं। मैं अपने नए कमरे—पापा के कमरे—की ओर गई। दरवाजा खोला तो कमरा फूलों की खुशबू से महक रहा था। बिस्तर पर फूलों का दिल बना था, जिस पर “बाबू” और “निशी” लिखा था। “हैप्पी वेडिंग मिस्टर एंड मिसेज राज” लिखा देखकर मैं शरमा गई।

आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

अब बस कुछ पल बाद पापा मेरी कली को फूल बनाने वाले थे। मेरी चूत सुबह से उनके लंड के स्वागत के लिए बेताब थी। “आआह्ह्ह…” मेरी चूत में सुरसुराहट हो रही थी। तभी पापा की गाड़ी का हॉर्न बजा। मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। मैं घूंघट निकालकर बिस्तर पर बैठ गई।

पापा के कदमों की आहट सुनाई दी। दरवाजा खुला, और पापा ने कमरा अंदर से बंद कर लिया। मेरी साँसें तेज़ थीं। पापा बिस्तर के पास आए और बैठ गए। कमरे में सन्नाटा था, बस हमारी साँसों की आवाज़ गूँज रही थी।

पापा ने मेरा हाथ पकड़ा। मैंने हटाने की कोशिश की, लेकिन पापा ने कसकर पकड़ लिया।

पापा: आज कमरा खुशबू से महक रहा है। ये फूल समझते हैं कि ये उनकी खुशबू है, पर नहीं जानते कि असली खुशबू मेरे इस फूल की है।

पापा ने मेरा हाथ अपने मर्दाना हाथों में लिया। मेरी चूड़ियों की खनक से मधुर संगीत बजा। मैं शरम से सिमट रही थी। पापा बोले:

पापा: निशी, मेरी जान, आई लव यू। तुम नहीं जानती, पहले मैं खुद को सबसे बुरा इंसान मानता था। लेकिन आज मैं सबसे खुशकिस्मत हूँ, क्योंकि मुझे तुम जैसी खूबसूरत पत्नी मिली। तुम मेरे ख्वाबों की मल्लिका हो, मेरी जनम-जनम की साथी।

मैं शरम से चुप थी। पापा ने मुझे बाहों में भर लिया और मेरी झुल्फों की खुशबू लेते हुए बोले: निशी, आई लव यू।

पापा मेरे घूंघट को उठाने लगे। मैंने रोकने की कोशिश की। पापा ने जेब से हीरे का हार निकाला और बोले:

पापा: ये तुम्हारे खादिम की ओर से पहला तोहफा। अब इजाज़त दो, इस चाँद से चेहरे का दीदार कर लूँ।

पापा ने मेरा घूंघट उठाया। मैंने शरम से आँखें बंद कर लीं। पापा ने मेरा चेहरा उठाकर कहा:

आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

पापा: स्वर्ग की अप्सरा लग रही हो। तुम्हारा ये शृंगार, ये हुस्न—साक्षात कामदेवी हो।

मैं मुस्कुरा दी। पापा ने दूध का गिलास उठाया। मैंने गिलास उनके मुँह की ओर बढ़ाया। पापा ने मेरा हाथ पकड़कर मुझे अपने पास बिठाया और बोले:

पापा: मेरी जान, इसे अपने होंठों से लगाकर प्यारा कर दो।

मैंने सिप लिया, फिर पापा ने। हमने एक ही गिलास से दूध पिया।

इसे भी पढ़ें   फेंटेसी: चस्का लगा बाली उमर में

पापा: निशी, क्या तुम इस शादी से खुश हो?

मैंने उनका कंधा पकड़ा और सिर उनके सीने पर रख दिया। पापा ने मुझे बाहों में भरा और बोले:

पापा: निशी, बताओ, मुझसे प्यार करती हो?

मैं शरम से चुप थी। पापा ने फिर पूछा। मैंने धीरे से कहा: आप मेरे स्वामी हैं।

पापा: अच्छा, पर बोलो ना, आई लव यू।

मैंने शरमाते हुए कहा: बाबू, आई लव यू।

आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

पापा ने मुझे बाहों में समेट लिया। मेरे होंठ उनके होंठों के पास थे। उनकी गर्म साँसें मेरे चेहरे पर पड़ रही थीं। पापा ने मेरे होंठों को अपने होंठों से लॉक कर दिया। “आआह्ह्ह…” मैं सिसकारी। पापा मेरे होंठ चूसने लगे। मेरी लिपस्टिक उनके होंठों पर लग गई, लेकिन वो रुके नहीं। मेरे होंठ गुलाबी हो गए, जैसे खून टपक रहा हो।

पापा मेरी जीभ को चूसने लगे। “आआह्ह्ह… पापा…” मेरी साँसें तेज़ थीं। पापा मेरे होंठों का रस चूस रहे थे, जैसे भँवरा कली का रस चूसता हो। मैंने उनकी गर्दन में बाहें डाल दीं। हमारे होंठ चिपके थे। पापा का एक हाथ मेरी पीठ सहलाने लगा, फिर मेरे पेट पर आया।

“आआह्ह्ह…” उनकी उंगलियाँ मेरी नाभी में घुसीं। मेरे बदन में गुदगुदी हुई। पापा ने मेरी जीभ को मुँह में खींच लिया। कमरे में चूड़ियों की खनक और चुम्बनों की “चप-चप” आवाज़ गूँज रही थी।

पापा का हाथ मेरी चूची पर गया। “आआह्ह्ह… उई माँ…” मैं सिसकारी। पापा ने मेरी चूची को चोली के ऊपर से दबाया। मैं रोकना चाहती थी, लेकिन मुँह से कुछ निकला नहीं। पापा ने जोर से दबाया।

मैं: (सिसकारी) आआह्ह्ह… धीरे करिए ना… दर्द होता है।

पापा: (आँखों में देखते हुए) सॉरी, मेरी जान। पर तुम इतनी मुलायम हो, ऋषि-मुनि भी डोल जाएँ।

मैं मुस्कुराई। पापा ने मुझे बिस्तर पर लिटाया और मेरे ऊपर लेट गए। मेरी चुनरी हटाकर फेंक दी। मेरी चोली में कैद चूचियाँ उनके सामने थीं। मेरी चोली का गला खुला था, जिससे मेरी घाटी साफ दिख रही थी। पापा ने मेरी नाभी पर होंठ रखे।

“आआह्ह्ह… उई माँ…” मैंने चादर खींची। पापा मेरी नाभी चूसने लगे। मेरे हाथ उनके बालों में चले गए। पापा मेरी नाभी को काटने लगे। “आआह्ह्ह… बस करो… उई…” मैं सिसकारियाँ भर रही थी।

पापा मेरी चूचियों की ओर बढ़े। चोली के ऊपर से चूमने लगे। “आआह्ह्ह…” मैं तड़प उठी। पापा ने मुझे बाहों में भरा और मेरे गाल चूमने लगे।

पापा: निशी, तुम मेरी हो। आई लव यू।

आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

मैं: (सिसकारी) आआह्ह्ह… जी… रिंकी के पापा…

पापा: आँखें खोलो, मेरी जान।

मैंने धीरे से आँखें खोलीं। पापा ने फिर मेरे होंठ चूसने शुरू किए। “आआह्ह्ह…” पापा ने मेरी चुनरी पूरी तरह हटा दी। मेरी चोली में टाइट चूचियाँ उनके सामने थीं। पापा मेरे ऊपर चढ़ गए। उनका लंड मेरी चूत के ऊपर टकरा रहा था। “आआह्ह्ह…” मैं सिहर उठी।

पापा मेरे गाल चूस रहे थे। उनका एक हाथ मेरी चोली के नीचे गया। मेरी चोली इतनी टाइट थी कि उनकी उंगलियाँ ही अंदर गईं। मेरी चूची का निचला हिस्सा उनकी उंगलियों को छू रहा था। मैंने लंबी साँस छोड़ी, जिससे चोली ढीली हुई, और पापा का पूरा हाथ अंदर चला गया।

“आआह्ह्ह… पापा…” मेरी चूची उनके हाथ में थी। पापा मेरे गाल काटने लगे। “उई माँ… आआह्ह्ह…” मैं सिसकारियाँ भर रही थी। पापा का दूसरा हाथ मेरी नाभी से मेरे लहंगे की डोरी तक गया। मैंने टाँगें जोड़ लीं।

पापा मेरे लहंगे में हाथ डालने की कोशिश करने लगे। मैंने डोरी कसकर बाँधी थी। पापा ने मेरे पेट को अंदर खींचा, और उनका हाथ मेरी पैंटी पर चला गया। मेरी पैंटी मेरी चूत के रस से भीग चुकी थी। “आआह्ह्ह…” मैंने टाँगें और सिकोड़ लीं।

पापा मेरे गाल चूस रहे थे, एक हाथ मेरी चूची पर, दूसरा मेरी चूत पर। उनकी गर्म साँसें मेरे चेहरे पर पड़ रही थीं।

पापा: मेरी रानी, कितनी नमकीन हो… आआह्ह्ह… इतनी मुलायम…

मैं शरम से चुप थी। पापा बोले:

पापा: निशी, अपनी टाँगें खोलो ना।

आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

मैं चुप रही। पापा ने जोर लगाकर मेरी टाँगें खोल दीं। उनका हाथ मेरी चूत पर था, जिसे वो प्यार से सहला रहे थे। “आआह्ह्ह… उई…” मैं सिसकारी।

पापा ने चोली का हुक खोल दिया। मेरी चोली खुल गई। मैं शरम से पापा से चिपक गई। मेरी ब्रा में कैद चूचियाँ उनके सामने थीं। पापा ने मेरी चोली उतारकर फेंक दी।

“आआह्ह्ह…” मैं शरम से सिमट रही थी। पापा मेरे गाल और होंठ चूमने लगे। मैं उनका साथ दे रही थी। पापा मेरे ऊपर थे, उनका लंड मेरी चूत के पास टकरा रहा था।

पापा: निशी, मेरी जान, आई लव यू।

मैं: (सिसकारी) आआह्ह्ह… जी…

पापा ने मेरी ब्रा का हुक खोल दिया। मेरी चूचियाँ आज़ाद हो गईं। “आआह्ह्ह… उई माँ…” पापा ने मेरी चूचियाँ पकड़ लीं और चूसने लगे। “आआह्ह्ह… पापा… धीरे…” मैं तड़प रही थी।

पापा मेरी चूचियाँ चूस रहे थे, जैसे कोई भूखा शेर अपनी शिकार पर टूट पड़ा हो। “आआह्ह्ह… उई… पापा…” मेरी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं। पापा का एक हाथ मेरी पैंटी में चला गया। मेरी चूत गीली थी।

पापा: (कान में) मेरी रानी, तुम्हारी चूत कितनी रसीली है… आआह्ह्ह… इसे चूस लूँ?

मैं: (सिसकारी) आआह्ह्ह… पापा… शर्म आ रही है…

पापा ने मेरी पैंटी उतार दी। मेरी चिकनी चूत उनके सामने थी। पापा ने अपनी जीभ मेरी चूत पर रख दी। “आआह्ह्ह… उई माँ…” मैं तड़प उठी। पापा मेरी चूत चूसने लगे। “आआह्ह्ह… पापा… बस करो… उई…” मेरी साँसें तेज़ थीं।

आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

पापा ने अपनी पैंट और अंडरवियर उतार दिया। उनका 9 इंच लंबा, 3 इंच मोटा लंड मेरे सामने था। मैं शरम से मुँह फेर लिया। पापा मेरे ऊपर लेट गए। उनका लंड मेरी चूत को छू रहा था।

पापा: निशी, मेरी जान, तैयार हो?

मैं: (डरते हुए) पापा… धीरे करना… डर लग रहा है…

पापा ने मेरे होंठ चूसे और धीरे से अपना लंड मेरी चूत में डाला। “आआह्ह्ह… उई माँ…” मैं चिल्लाई। दर्द हुआ, लेकिन पापा रुके नहीं। “घच-घच…” उनकी हर धक्के की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी।

मैं: आआह्ह्ह… पापा… धीरे… दर्द हो रहा है…

पापा: (कान में) मेरी रानी, बस थोड़ा सा… आआह्ह्ह… तुम्हारी चूत कितनी टाइट है…

पापा ने धीरे-धीरे धक्के मारे। “आआह्ह्ह… उई…” मेरी चूत में खून निकला। पापा ने मुझे बाहों में भरा और चूमने लगे। दर्द धीरे-धीरे मज़े में बदल रहा था। “आआह्ह्ह… पापा… और करो…” मैं सिसकारी।

पापा ने रफ्तार बढ़ाई। “घच-घच… चप-चप…” मेरी चूत उनके लंड से रगड़ रही थी। “आआह्ह्ह… उई माँ… पापा… चोदो ना…” मैं पागल हो रही थी। पापा मेरी चूचियाँ चूस रहे थे, मेरी चूत में लंड डाल रहे थे।

पापा: मेरी रानी, तुम्हारी चूत का मज़ा… आआह्ह्ह… लो, और लो…

मैं: आआह्ह्ह… पापा… हाय… मर गई… उई…

आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

पापा ने मुझे अलग-अलग पोज़ में चोदा। मैं उनकी बाहों में तड़प रही थी। “आआह्ह्ह… पापा… और जोर से…” मेरी चूत पानी छोड़ चुकी थी। पापा ने अपना पानी मेरी चूत में छोड़ा। “आआह्ह्ह…” हम दोनों थककर चिपक गए।

पापा: निशी, मेरी जान, कैसा लगा?

मैं: (शरमाते हुए) आआह्ह्ह… पापा… बहुत मज़ा आया…

हम बाहों में बाहें डाले लेट गए। सुहागरात की कहानी अगले हिस्से में पढ़ें।

दोस्तों, आपको ये कहानी कैसी लगी? ढेर सारी कमेंट्स करें और अपने दोस्तों के साथ फेसबुक और व्हाट्सएप पर शेयर करें।

कहानी का अगला भाग: बेटी बनी पापा की पत्नी – 4

Related Posts

Report this post

2 thoughts on “बेटी बनी पापा की पत्नी – 3”

Leave a Comment