नमस्तार दोस्तों, आप सबका फिर से स्वागत है। मेरी कहानी के पहले भाग में आपने पढ़ा होगा कि मम्मी के गुजर जाने के बाद मेरी बुआ हमारे घर आई थीं। उन्होंने पापा का दुख देखा और मुझे सुझाव दिया कि मैं पापा के साथ शादी कर लूं। ये सुनकर मेरी चूत में एक अजीब सी गुदगुदी होने लगी थी। पापा ने भी मुझसे शादी की बात की।
कहानी का पिछला भाग: बेटी बनी पापा की पत्नी – 1
अब आगे की कहानी…
पापा ने मुझसे कहा, “तो इसका मतलब तुम मुझे अभी पूरी तरह से स्वीकार नहीं कर रही हो?” मैंने शरमाते हुए जवाब दिया, “नहीं पापा, ऐसी बात नहीं है। मैं तो हमेशा से आपके जैसा ही पति चाहती थी, लेकिन कुदरत को देखिए, उसने आपको ही मेरा जीवनसाथी बना दिया। आई लव यू पापा, मैं आपसे बहुत प्यार करती हूँ। मैं पूरी कोशिश करूँगी।”
पापा ने ठीक ही कहा था। वो अब मेरे पापा की जगह मेरे होने वाले बच्चों के पापा बनने वाले थे। तो अब मैं उन्हें पापा कैसे बुला सकती थी? कुछ ही दिनों में हमारा बाप-बेटी का रिश्ता खत्म होकर एक नया रिश्ता बनने वाला था। मैंने कहा, “जी, मैं कोशिश करूँगी।”
पापा ने खुशी से मेरा चेहरा अपने मजबूत हाथों में लिया और मेरी आँखों में देखते हुए बोले, “बस, अब मैं अपनी निशी के मुँह से वो सुनने को बेताब हूँ।” मम्मी हमेशा पापा को ‘जी सुनते हो’ या ‘अजी सुनते हो’ कहकर बुलाती थीं। मैंने शरमाते हुए, अपनी लहराती जुल्फों को ठीक करते हुए कहा, “जी, कोशिश करूँगी।”
मैंने पापा की आँखों में आँखें डालकर ग्रीन सिग्नल दे दिया था कि अब मैं उन्हें पापा नहीं बुलाऊँगी। वो अब मेरे पापा नहीं, मेरे डार्लिंग, मेरे साजन, मेरे बलम बनने वाले थे। अब मेरे बच्चे ही उन्हें पापा कहेंगे। जब भी मेरी नजर पापा की नजरों से मिलती, वो मुस्कुराते, और मैं अपनी आँखें चुराकर बच्चों से बात करने लगती।
बच्चों से बात करते हुए चोरी-छिपे पापा की ओर देखती, तो पाता कि वो मुझे ही निहार रहे हैं। मेरा चेहरा शर्म से लाल हो जाता। जैसे कोई आशिक अपनी माशूका को भीड़ में आँखों से इशारे करता है, वैसे ही हमारी आँखें बातें कर रही थीं। तभी दोनों बच्चे पापा से किसी चीज के लिए जिद करने लगे। पापा ने मना किया, तो बच्चे मुझसे बोले, “मम्मी, आप ही दिला दो ना।” मैंने कहा, “ठीक है, ले लो।” बच्चे मेरी छोटी बहन की तरह पापा की ओर देखने लगे और बोले, “रहने दो मम्मी, पापा गुस्सा करेंगे।” मैंने पापा को देखकर मुस्कुराते हुए कहा, “नहीं करेंगे।” पापा कुछ नहीं बोले, बस मुस्कुरा दिए। आज मैं बिल्कुल वैसी थी, जैसे एक पत्नी अपने पति के साथ व्यवहार करती है।
फिर हम एक आइसक्रीम पार्लर गए। पापा ने सबके लिए आइसक्रीम ली और मेरी आँखों में आँखें डालकर मुझे आइसक्रीम खिलाने लगे। मैं मुस्कुराते हुए मुँह खोलकर आइसक्रीम खाने लगी और आँखों के इशारे से पूछने लगी, “ये आइसक्रीम खिलानी है, या कोई और आइसक्रीम?” मैं जानती थी कि मुझे वो खास आइसक्रीम खिलाने के लिए कुछ दिन इंतजार करना होगा।
पापा ने पूछा, “निशी, कैसी लगी आइसक्रीम?” मैंने उनकी आँखों में देखते हुए अपने होंठों को चाटा और शरारत से कहा, “पापा, आपकी आँखें मेरे होंठों को देखकर मुस्कुरा रही हैं। आपको मेरे होंठों पर प्यार बरसाते देखकर लगता है कि ये आइसक्रीम कितनी मलाईदार है।” मेरे चेहरे की शरारती मुस्कान देखकर पापा भी मुस्कुरा दिए। मेरी इस जानलेवा अदा पर कोई मर्द कैसे काबू में रह सकता था? पापा ने मेरी कामुक नजरों को देखा और जींस में खड़े अपने लंड को सहलाते हुए बोले, “लड़कियों को तो मलाईदार, क्रीमी आइसक्रीम ही पसंद होती है। अब तुम्हें रोज़ बढ़िया ब्लैक चोकोबार आइसक्रीम खिलाऊँगा।”
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मैं समझ गई कि पापा किस चोकोबार की बात कर रहे हैं। मेरा चेहरा शर्म से लाल हो गया। मैंने आँखों के इशारे से कहा, “जानती हूँ, आप किस आइसक्रीम की बात कर रहे हैं।” हम देर तक घूमे, फिर रात का खाना पैक करवाकर घर लौट आए।
मैंने खाना लगाया और पापा व बच्चों को बुलाया। पापा बोले, “निशी, तुम भी आओ ना।” मैंने कहा, “आप लोग खा लीजिए, मैं बाद में खा लूँगी।” पापा ने जिद की, “नहीं, मेरे साथ खाओ।” मैं मुस्कुराई और बोली, “जी, पहले परोस तो दूँ।” जैसे ही मैं खाना परोसने के लिए झुकी, मेरी साड़ी का पल्लू खिसक गया। मेरी चुचियाँ, जो आधी ब्लाउज़ से बाहर झाँक रही थीं, पापा की नजरों के सामने थीं। पापा की नजर मेरी चुचियों पर टिक गई। मैं शर्म से लाल हो गई, लेकिन जैसे ही उनकी आँखें मेरी आँखों से मिलीं, मैंने धीरे से मुस्कुराकर पल्लू से अपनी चुचियों को ढक लिया।
पापा ने फिर मुझे साथ बैठने को कहा। मैं उनका इंकार न कर सकी। हमने एक ही थाली में खाना खाया। बच्चों की नजर बचाकर पापा ने मुझे अपने हाथ से खाना खिलाया, और मैंने भी उन्हें खिल立案 तपाकी। ये पल इतने रोमांटिक थे कि मैं शर्म से पानी-पानी हो गई।
बच्चों को सुलाने के बाद मैंने पापा से कहा, “आप आराम कर लीजिए।” पापा बेडरूम में चले गए। मैं बर्तन साफ करने लगी। पापा अभी तक जाग रहे थे और बार-बार मेरे करीब आने की कोशिश कर रहे थे। सोने से पहले मैंने सोचा कि पापा को दूध दे दूँ, क्योंकि उन्होंने दो दिन से शराब नहीं पी थी। मैंने बाहर से आवाज़ लगाई, “अजी सुनते हो, जी, रिंकी के पापा, क्या आपको दूध दे दूँ?”
पता नहीं मेरे मुँह से पापा की जगह ‘अजी सुनते हो’ कैसे निकल गया, जैसा मम्मी बुलाती थीं। मैं शर्म से जमीन में गड़ गई। मैंने पापा को अपने पति के रूप में बुलाया था। पापा ने अंदर से जवाब दिया, “श्रीमती जी, क्या पूछ रही हो?” मुझे श्रीमती कहकर बुलाने पर मैं और शरमाई। मैं हकलाते हुए बोली, “जी, वो मैं…” और वहाँ से जाने लगी। पापा ने बाहर आकर मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे अपनी बाहों में खींच लिया। मेरे कान में बोले, “डार्लिंग, जैसी सरकार की इच्छा। हम तो आपके गुलाम हैं।” मैं पानी-पानी हो गई। मैंने शरमाते हुए कहा, “मुझे दूध पिलाकर आइसक्रीम खाओगी?” मैं जानती थी कि वो किस आइसक्रीम की बात कर रहे हैं। मैंने ना में सिर हिलाया और बोली, “आपने ड्रिंक नहीं किया, तो सोचा दूध पिला दूँ।”
पापा ने मेरे चेहरे को ऊपर उठाकर मेरी आँखों में देखा और बोले, “इतना नशा तुम्हारी आँखों में है कि किसी और नशे की जरूरत ही नहीं। बस तुम इन नशीली आँखों से पिलाती रहो।” मैं शर्म से लाल होकर बोली, “क्या आप भी, मैं दूध गर्म करके लाती हूँ।”
पापा ने शरारत से कहा, “तुम इतनी गर्म हो, दूध को हाथ लगाओ तो खुद गर्म हो जाए।” मैं मुस्कुराकर बोली, “क्या आप भी, रिंकी के पापा!” और दूध गर्म करने चली गई। मैंने दूध का गिलास पापा को दिया। उन्होंने मेरी आँखों में देखकर कहा, “जान, तुम अपनी आँखों से पिला दो ना।” दूध पीते हुए बोले, “इसमें मीठा नहीं डाला।” मैंने कहा, “डाला तो है।” पापा ने गिलास मेरी ओर बढ़ाया और बोले, “खुद पीकर देखो।” मैंने पिया, तो मीठा था। पापा ने मुस्कुराकर कहा, “पहले नहीं था, तुम्हारे रसीले होंठों से छूकर मीठा हो गया।”
पापा ने फिर कहा, “ये दूध तो स्वादिष्ट नहीं, असली दूध पीने का मजा ही कुछ और है।” मैं समझ गई कि वो मेरी चुचियों की बात कर रहे हैं। मैं शर्म से भागकर अपने कमरे में चली गई और पापा की बातें सोचकर मुस्कुराने लगी। पापा इतने रोमांटिक होंगे, मैंने कभी नहीं सोचा था। वो मेरे दूध पीने की बात कर रहे थे, कितने बदमाश हैं!
पापा मेरे पीछे आए और मुझे बाहों में जकड़ लिया। मेरे कान में बोले, “आई लव यू, जानू। मुझे बताओ, असली वाला दूध कब पिलाओगी?” मैंने शरमाते हुए कहा, “पापा, रुक जाइए ना। मेरा मन तो कर रहा है, लेकिन शादी के बाद पीजिएगा।” तभी बुआ का फोन आ गया। मैंने बुआ से बात की। उन्होंने पूछा, “भाभी, क्या कह रही हो?” मैंने बताया कि हम बच्चों के साथ आइसक्रीम खाने गए थे। बुआ ने छेड़ते हुए कहा, “भैया ने तुम्हारा हाथ तो नहीं पकड़ा?” मैंने शरमाते हुए कहा, “नहीं दीदी, वो बच्चों के सामने कह रहे थे कि मुझे रोज़ चोकोबार आइसक्रीम खिलाएँगे।” बुआ हँस पड़ीं, “अरे भाभी, वो असली चोकोबार होती है, बड़ी मज़ेदार।”
मैंने हैरानी से कहा, “क्या दीदी, आप भी जीजा जी का…?” बुआ बोलीं, “हाँ, उनका रस मलाई का जवाब नहीं। तुम भी भैया की रसमलाई चखोगी, तो सब भूल जाओगी।” मैं शर्म से पानी-पानी हो गई। अपने कमरे में लेटकर मैं सोचने लगी कि क्या पापा की रसमलाई इतनी स्वादिष्ट होगी? मैं बिस्तर पर लेटी यही सोच रही थी। मेरी चूत गीली हो रही थी। मैंने तकिया अपनी टाँगों के बीच दबा लिया और अपनी चूत को रगड़ने लगी। मेरी चूत की आग बढ़ती जा रही थी। मैंने सोचा, “इस आग को अब तकिया नहीं, पापा का लंड ही बुझा सकता है।”
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मैं शीशे के सामने खड़ी होकर अपनी चुचियों को देखने लगी। मेरी चुचियाँ टाइट थीं। मैंने सोचा, “पापा को मेरी चुचियाँ इतनी पसंद हैं कि वो हर बार इन्हें घूरते हैं। शादी के बाद तो वो सारा दिन मेरी चुचियों को मसलते और चूसते रहेंगे।” मेरी चूत सुबह से गीली थी। मैंने सलवार में हाथ डालकर अपनी चूत सहलानी शुरू की। पहली बार मुझे अपनी चूत रगड़ने में इतना मज़ा आ रहा था। मेरी चूत रसीली हो गई थी। मैं “आआआह्ह्ह… रिंकी के पापा, बस करो!” चिल्लाई और मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया। मुझे नींद आ गई।
अगले दिन सुबह बच्चे स्कूल चले गए। पापा सो रहे थे। मैंने बुआ को फोन किया और पूछा, “दीदी, क्या आपने पापा से शादी की बात की?” बुआ बोलीं, “हाँ भाभी, भैया तो तुम्हारे लिए बेकरार हैं। उन्होंने खुद मुझसे पूछा कि क्या निशी तैयार है।” मैं शरमा गई। तभी पापा किचन में आए। उन्होंने पजामा और बनियान पहनी थी। उनकी बालों वाली छाती देखकर मेरी चूत गीली हो गई। वो मेरे पीछे खड़े हो गए। उनका खड़ा लंड मेरी गाँड की दरार में टच हो रहा था। मेरे बदन में सिहरन दौड़ गई। मैंने शरमाते हुए कहा, “मैं कर लूँगी, आप जाइए।” पापा ने मुस्कुराकर मेरे कंधों पर हाथ रखा और बोले, “निशी, जल्दी तैयार हो जाओ, कहीं घूमने चलते हैं।”
पापा को किसी काम से जाना पड़ा। मैंने घर का काम शुरू किया। पापा के कमरे में उनके कपड़े लेने गई। उनकी अंडरवियर मेरी पैंटी के ऊपर थी। मेरी चूत गीली हो गई। मुझे लगा जैसे मेरी चूत पर पापा का लंड टच हो रहा हो। मेरा हाथ अपनी चूत पर चला गया, जो पूरी तरह गीली थी। मैं मुस्कुराते हुए काम में लग गई।
तभी डोरबेल बजी। मैंने दरवाजा खोला, तो एक कूरियर वाला था। उसने कहा, “मदाम, ये राज चौधरी जी के लिए लेटर है।” मैंने कहा, “मैं उनकी पत्नी हूँ, मुझे दे दीजिए।” खुद को पापा की पत्नी कहते हुए मुझे गर्व हुआ।
शाम को पापा लौटे। मैंने खाना लगाया और बोली, “अजी सुनते हो, रिंकी के पापा, खाना लगा दिया।” मैं मम्मी की तरह बोलने लगी थी। मम्मी का सब कुछ अब मेरा था—उनका घर, उनके बच्चे, उनका बिस्तर, और उनका पति। पापा ने शरारत से कहा, “सुनाए, मेरी हुस्न की सरकार।” मैं शरमा गई और बोली, “धत्त, खाना लगा है।”
पापा बोले, “आज हम साथ खाएँगे।” मैंने उनका प्यार देखकर मुस्कुराते हुए सिर हिलाया। बच्चे सो गए। मैंने पापा को लेटर दिया, जो कूरियर वाला लाया था। पापा बोले, “मैंने उससे कहा था कि मेरी पत्नी को दे दे।” मैं शरमा गई।
बुआ का फोन आया। उन्होंने कहा, “भाभी, भैया तुम्हारे पीछे लट्टू हैं। जीजा जी भी तुम्हारी तारीफ करते हैं।” मैंने शरमाते हुए कहा, “क्या दीदी!” बुआ बोलीं, “पंडित जी ने तुम्हारी और भैया की शादी की तारीख 11 दिसंबर फिक्स की है। तुम्हारी जोड़ी राम-सीता जैसी है।” मैं खुश हो गई।
पापा के कमरे में गई, तो वो मुझसे बोले, “निशी, कपड़े ट्राई किए?” मैं शरमाकर बोली, “कर लूँगी।” पापा ने कहा, “कम पीना, नशा हो जाएगा।” मैंने जवाब दिया, “आपको नशा हो जाएगा।” पापा ने मेरा हाथ पकड़कर मुझे अपनी बाहों में खींच लिया और बोले, “नशा तो तुम्हारी आँखों में है।” उन्होंने मेरे होंठों को चूम लिया। मैं शरमाकर बोली, “बच्चे आ जाएँगे।” पापा मेरे पीछे किचन में आए और मेरी कमर पकड़कर मुझे चिपका लिया। मैंने कहा, “जाइए ना, रिंकी आ जाएगी।” पापा ने मेरे झुमके छेड़ते हुए कहा, “जादूगरनी, तुमने मुझे जादू कर दिया है।”
हम शॉपिंग के लिए मॉल गए। पापा ने मेरे लिए साड़ियाँ और सेक्सी ब्लाउज़ चुने। हमारी पसंद एक जैसी थी। पापा ने मेरा हाथ पकड़ा, तो मेरे बदन में बिजली दौड़ गई। रात को मैं बिस्तर पर पापा के बारे में सोच रही थी। उनकी तस्वीर देखकर मैं मुस्कुराई और बोली, “बड़ी प्रैक्टिस कर रहे थे, लगता है मैच जोरदार होगा।”
अगले दिन पापा बोले, “निशी, तैयार हो जाओ, घूमने चलते हैं।” मैंने मम्मी की काली साड़ी और सेक्सी स्लीवलेस ब्लाउज़ पहना। मैंने साड़ी नीचे बाँधी, ताकि मेरी गहरी नाभी दिखे। मैंने चूड़ियाँ, झुमके, और बिंदी लगाई। पापा ने मुझे देखा, तो उनका मुँह खुला रह गया। उन्होंने मुझे सोने के कंगन गिफ्ट किए और मेरे हाथों में पहनाए। मैं शरमा गई।
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पापा ने कहा, “पूजा से बात हुई?” मैंने कहा, “जी, 11 दिसंबर की तारीख फिक्स है।” पापा मुस्कुराए और मुझे बाहों में भर लिया। रिंकी आ गई, तो मैं अलग हुई। रिंकी ने पापा से कहा, “मम्मी सुंदर लग रही हैं, आपने उनकी पुच्ची क्यों नहीं ली?” मैं शरमाकर रिंकी को डाँटा। पापा मुस्कुरा रहे थे।
हम मॉल गए। पापा ने मेरे लिए सेक्सी ब्रा और थॉन्ग चुने। कुछ पर ‘फक मी’ लिखा था। मैं शरमाकर बोली, “ये क्या?” पापा बोले, “फिल्मों में देखा नहीं?” मैंने कहा, “नहीं।” पापा ने मेरी कमर पकड़कर कहा, “आज दिखा दूँगा।” मैं शरमा गई। पापा ने एक सेक्सी रेड नाइटी चुनी। मैंने कहा, “ये सुंदर है।” पापा ने कहा, “रात को नाइटी में कम्फर्टेबल रहोगी।” हमने बेडरूम के लिए नया बेड चुना। मैंने कहा, “मम्मी के बिस्तर पर सुहागरात नहीं मनाऊँगी।” पापा बोले, “जमीन पर सेज सजा लेंगे।”
रात को पापा के कमरे की खिड़की से मैंने देखा कि वो सिर्फ वी-शेप अंडरवियर में थे। वो मेरी तस्वीर देख रहे थे और अपने लंड को सहला रहे थे। उनका लंड अंडरवियर को तंबू बना रहा था। मैं काँप गई। उनका लंड लंबा और मोटा था, जैसे लोहे की रॉड। मैंने सोचा, “इतना बड़ा लंड मेरी चूत में कैसे जाएगा?” मैं डर और खुशी से काँप रही थी।
पापा ने अंडरवियर उतारा। उनका काला लंड किसी नाग की तरह फनफना रहा था। वो मेरी तस्वीर को चूमते हुए अपने लंड को जोर-जोर से हिला रहे थे। “आआआह्ह्ह… मेरी जान, अपनी टाँगें खोलो!” वो तकिए को मेरे नाम से पुकार रहे थे। मैं बाहर खड़ी उनकी हरकतें देख रही थी। मेरी चूत गीली हो गई। पापा ने तकिए को चोदते हुए कहा, “निशी, मेरी जान!” मैं सोच रही थी कि शादी से पहले ही पापा मेरा बैंड बजा देंगे।
पापा का लंड तेजी से हिल रहा था। “आआआह्ह्ह… मेरी जान, मेरा निकलने वाला है!” उनके लंड से सफेद पिचकारी छूटी। मैं अपने कमरे में भागी। मेरी साँसें तेज थीं। मैं पापा के लंड के बारे में सोचकर मुस्कुरा रही थी। मैंने उनकी तस्वीर को चूमते हुए कहा, “बड़ी प्रैक्टिस कर रहे थे। आपकी अमानत हूँ, मुझे इस्तेमाल कर लीजिए।”
मैंने सलवार में हाथ डाला और अपनी चूत रगड़ने लगी। “आआआह्ह्ह… पापा, मेरी चूत में अपना लंड डाल दो! चोद डालो मुझे!” मैंने अपनी टाँगें फैलाईं और उंगली अंदर-बाहर करने लगी। मेरी चूत रसीली थी। “आआआह्ह्ह… पापा, चोदो मुझे!” मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया। मैं शरमाकर तकिए में मुँह छुपाकर सो गई।
सुबह मैंने बच्चों को स्कूल के लिए तैयार किया। रिंकी जिद करने लगी कि मैं उसे स्कूल छोड़ूँ। मैंने पापा को बुलाया, “अजी सुनते हो, बच्चों को स्कूल छोड़ आओ।” पापा बोले, “वैन से चले जाएँगे।” मैंने जिद की। पापा ने मेरी बगल में हाथ डालकर कहा, “जो हुकम सरकार।” मैं मुस्कुराकर बोली, “जल्दी जाइए।”
पापा के बिस्तर पर गीले धब्बे थे। मैं मुस्कुराकर बोली, “सबर नहीं होता!” बुआ का फोन आया। उन्होंने कहा, “भाभी, भैया को अपने इशारों पर नचा रही हो।” मैंने शरमाते हुए कहा, “रिंकी जिद कर रही थी।” मैंने बुआ से पूछा, “दीदी, क्या सबका इतना बड़ा होता है?” बुआ हँसीं, “क्या, भैया का देख लिया?” मैंने बताया कि मैंने पापा को रात में अपना लंड हिलाते देखा। बुआ बोलीं, “भैया अपने हथियार को तेज कर रहे हैं। बड़ा लंड जितना मज़ा देता है, उतना छोटा नहीं।”
पापा आए और बोले, “निशी, घूमने चलें?” मैंने लाल साड़ी पहनी। पापा ने मेरे खुले बाल देखकर कहा, “कितनी सुंदर लग रही हो।” हम शॉपिंग करने गए। पापा ने मेरे लिए 50,000 रुपये दिए और बोले, “जितना दिल चाहे खर्च करो।” हम एक सुनसान किले के पास गए। मैं डर गई कि कहीं पापा मुझे यहीं चोद न दें। पापा ने कहा, “मैं तुम्हारी फोटो खींचने लाया हूँ।” मैंने राहत की साँस ली।
पापा ने मेरा हाथ पकड़ा और मेरी कमर पर रख दिया। मेरे बदन में करंट दौड़ गया। पापा मेरे करीब आए और बोले, “निशी, तुम स्वर्ग की अप्सरा हो।” उन्होंने मेरे गालों को चूमा और मेरे चूतड़ों को दबाया। मैं कसमसाई, “हाय जी, क्या कर रहे हैं? दम घुट रहा है!” रिंकी के आने की आहट हुई, तो मैं अलग हो गई।
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पापा ने मेरी तस्वीरें खींचीं। उन्होंने मुझे बाहों में भरा और मेरे होंठों को चूमा। मेरी साँसें तेज हो गईं। मैं शरमाकर बोली, “कोई देख लेगा।” पापा मुझे पेड़ों के झुंड में ले गए और मेरे होंठों को चूसने लगे। “आआआह्ह्ह… निशी, तुम कितनी नमकीन हो!” उनके हाथ मेरे चूतड़ों को मसल रहे थे। मैं शरमाकर अलग हुई।
हम शॉपिंग के लिए गए। पापा ने मेरे लिए सेक्सी ब्रा, थॉन्ग, और नाइटी चुनी। मैं शरमाकर बोली, “ये क्या?” पापा बोले, “शादी के बाद पहनोगी।” हमने नया बेड चुना। मैंने कहा, “सुहागरात मम्मी के बिस्तर पर नहीं मनाऊँगी।” पापा बोले, “जमीन पर सेज सजा लेंगे।”
रात को मैंने डिनर लगाया। पापा ने कहा, “निशी, कपड़े ट्राई किए?” मैं शरमाकर बोली, “कर लूँगी।” पापा ने मेरे होंठों को चूमा और बोले, “तुम्हारे रसीले होंठों का नशा ही काफी है।” मैं शरमाकर भाग गई।
क्या पापा और निशी की शादी से पहले ही चुदाई हो जाएगी? अगले भाग में पढ़ें। अगर आपको कहानी पसंद आई, तो कमेंट ज़रूर करें!
कहानी का अगला भाग: बेटी बनी पापा की पत्नी – 3
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