अनिकेत, 24 साल का एक जवान और मेहनती लड़का, जिसकी लंबाई 5 फीट 10 इंच थी, गठीला बदन, गेहुंआ रंग और आकर्षक हंसी वाला चेहरा। उसकी आँखों में एक चंचलता थी, जो हर किसी को अपनी ओर खींच लेती थी। उसकी शादी एक साल पहले ऋतू से हुई थी, जो 22 साल की थी, 5 फीट 4 इंच की कद-काठी, गोरी त्वचा, लंबे काले बाल और नाजुक चेहरा, जिसकी मुस्कान में मासूमियत और आँखों में शरारत झलकती थी। दोनों की शादी घरवालों की मर्जी से हुई थी, इसलिए अनिकेत और ऋतू एक-दूसरे को ज्यादा जानते-पहचानते नहीं थे। शादी के तुरंत बाद अनिकेत को अपनी नौकरी के लिए मुंबई जाना पड़ा, जिसके चलते उनकी सुहागरात टल गई। शादी के 15 दिन बाद अनिकेत ने ऋतू को मुंबई बुलवाया।
जब अनिकेत मुंबई एयरपोर्ट पर ऋतू को लेने पहुंचा, तो उसे देखकर उसका दिल धड़क उठा। ऋतू ने काली साड़ी पहनी थी, जो उसके गोरे बदन पर ऐसी चमक रही थी जैसे चांदनी रात में तारे। उसका पल्लू हल्का-हल्का लहरा रहा था, और उसकी कमर की हल्की-सी झलक अनिकेत को बेकरार कर रही थी। दोनों कार में बैठकर अनिकेत के छोटे से फ्लैट की ओर चल पड़े। रास्ते भर अनिकेत की नजरें बार-बार ऋतू पर जा रही थीं। उसकी साड़ी का आंचल हल्का-हल्का सरक रहा था, और उसका गोरा बदन अनिकेत को दीवाना बना रहा था।
घर पहुंचते ही ऋतू ने अपने बैग रखे और थोड़ा आराम करने का फैसला किया। लंबा सफर होने की वजह से वो थक गई थी। उसने अनिकेत से कहा, “मैं नहा लेती हूँ, बहुत थकान हो रही है।” अनिकेत ने मुस्कुराते हुए हां में सिर हिलाया और पास के रेस्टोरेंट से खाना ऑर्डर कर दिया। जब ऋतू नहाकर बाहर आई, तो उसने हल्का पीला सलवार-सूट पहना था। उसके गीले बालों से पानी की बूंदें टपक रही थीं, जो उसके चेहरे और गर्दन पर मोतियों की तरह चमक रही थीं। उसका सूट उसके बदन से चिपका हुआ था, और उसकी कर्व्स साफ नजर आ रहे थे। अनिकेत उसे देखकर मंत्रमुग्ध हो गया। उसका 34 इंच का सीना, पतली कमर और गोल नितंब उसे और आकर्षक बना रहे थे।
दोनों ने साथ बैठकर खाना खाया। खाने के दौरान उनकी बातें शुरू हुईं। ऋतू की आवाज में एक मिठास थी, जो अनिकेत को और करीब खींच रही थी। वो हंसते हुए अपनी कॉलेज की बातें बता रही थी, और अनिकेत उसकी हर बात को ध्यान से सुन रहा था। खाना खाने के बाद ऋतू थोड़ा और आराम करने के लिए सो गई। अनिकेत ने अपने ऑफिस से तीन दिन की छुट्टी ली थी, लेकिन कुछ बचा हुआ काम निपटाने के लिए लैपटॉप खोल लिया।
शाम 5 बजे ऋतू उठी और अनिकेत के पास आकर सोफे पर बैठ गई। उसने वही पीला सूट पहना हुआ था, और उसके बाल अब सूख चुके थे, लेकिन उसकी खुशबू अभी भी कमरे में फैल रही थी। अनिकेत ने लैपटॉप बंद किया और उससे उसकी जिंदगी के बारे में पूछने लगा। ऋतू ने बताया कि वो अपने छोटे से शहर में किताबें पढ़ने और गाने सुनने की शौकीन थी। उसकी बातों में एक सादगी थी, जो अनिकेत को बहुत पसंद आई। फिर दोनों थोड़ा टहलने के लिए बाहर निकले। मुंबई की हल्की ठंडी हवा और समंदर की सैर ने माहौल को और रोमांटिक बना दिया। रात 8 बजे वे घर लौट आए।
घर आने के बाद ऋतू ने किचन में जाकर खाना बनाना शुरू किया। उसने अनिकेत से कहा, “मैं ज्यादा अच्छा खाना तो नहीं बनाती, लेकिन कोशिश करती हूँ।” अनिकेत ने हंसते हुए कहा, “कोई बात नहीं, जो भी बनाओ, मेरे लिए स्पेशल है।” खाना साधारण था, लेकिन अनिकेत को उसकी मेहनत पसंद आई। खाना खाने के बाद दोनों बेडरूम में चले गए। ऋतू अभी भी उसी पीले सूट में थी, और उसका नाजुक बदन अनिकेत को बेकरार कर रहा था। दोनों बेड पर बैठे, लेकिन एक अजीब सी खामोशी थी। अनिकेत का दिल जोर-जोर से धड़क रहा था, और ऋतू की साँसें भी तेज चल रही थीं।
अनिकेत ने धीरे से ऋतू का हाथ अपने हाथ में लिया। उसकी उंगलियां नरम और ठंडी थीं। वो हल्का-सा शरमा गई और उसकी आँखें झुक गईं। अनिकेत ने उसे अपनी तरफ खींचा, और अब दोनों एक-दूसरे से सटकर बैठे थे। उसने धीरे से ऋतू के गाल पर एक चुम्बन लिया। ऋतू ने हल्का-सा मुस्कुराया और बोली, “अनिकेत, तुम बहुत जल्दी में हो क्या?” उसकी आवाज में शरारत थी। अनिकेत ने हंसते हुए कहा, “नहीं, बस तुम्हें पास से देखना चाहता हूँ।” उसने अपनी बाहें खोलकर ऋतू को अपने सीने से लगा लिया। ऋतू भी उसके गले लग गई, और उसकी साँसें अनिकेत के सीने पर महसूस हो रही थीं।
अनिकेत ने धीरे-धीरे उसकी गर्दन पर चुम्बन शुरू किए। उसकी गर्म साँसें ऋतू की त्वचा पर पड़ रही थीं, और वो हल्का-हल्का कांपने लगी। “अनिकेत… ये क्या कर रहे हो?” उसने शरमाते हुए पूछा, लेकिन उसकी आवाज में एक चाहत थी। अनिकेत ने उसके चेहरे को अपने हाथों में लिया और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। वो पल इतना गहरा था कि दोनों एक-दूसरे में खो गए। ऋतू ने भी अब उसका साथ देना शुरू किया और उसके होंठों को चूमने लगी। “उम्म… अनिकेत…” उसने धीरे से सिसकी ली। अनिकेत के हाथ उसके बालों में फिर रहे थे, और ऋतू के नरम हाथ उसकी पीठ को सहला रहे थे।
अनिकेत ने अपनी जीभ को उसके होंठों के बीच डाला, और ऋतू ने भी अपनी जीभ से उसका साथ दिया। दोनों लंबे समय तक एक-दूसरे को चूमते रहे, जैसे समय ठहर गया हो। अनिकेत ने धीरे से ऋतू के सूट की डोरियां खोलना शुरू किया। उसने उसकी गर्दन और कंधों को चूमते हुए उसका कुर्ता उतार दिया। अब ऋतू सिर्फ काली ब्रा और सलवार में थी। उसकी गोरी त्वचा और 34 इंच के उभरे हुए बूब्स अनिकेत को पागल कर रहे थे। ऋतू ने भी अनिकेत की शर्ट के बटन खोलने शुरू किए और उसके गठीले सीने को चूमने लगी। “तुम्हारा बदन तो पत्थर जैसा है…” उसने शरमाते हुए कहा।
अनिकेत ने उसे बेड पर लिटाया और उसके ऊपर लेट गया। उसके हाथ ऋतू के नरम बूब्स को दबा रहे थे। “आह्ह… अनिकेत… धीरे…” ऋतू की सिसकियां कमरे में गूंज रही थीं। उसने अनिकेत की शर्ट पूरी तरह उतार दी, और उसके नरम हाथ अनिकेत की पीठ पर चल रहे थे। अनिकेत ने उसकी ब्रा को कंधों से सरकाकर नीचे किया। अब उसके 34 इंच के गोल, नरम बूब्स पूरी तरह नंगे थे। ऋतू ने शरमाते हुए अपने हाथों से उन्हें ढकने की कोशिश की, लेकिन अनिकेत ने धीरे से उसके हाथ हटाए और उसके निप्पल्स को चूमना शुरू किया। “उह्ह… आह्ह… प्लीज… और करो…” ऋतू की आवाज में वासना थी। अनिकेत ने उसके निप्पल्स को चूसा और हल्के-हल्के काटा, जिससे वो और जोर से सिसकने लगी, “आह्ह्ह… उफ्फ…”
अनिकेत ने धीरे-धीरे उसके पेट को चूमना शुरू किया और उसकी गहरी नाभी तक पहुंच गया। जैसे ही उसने नाभी पर अपने होंठ रखे, ऋतू के मुंह से एक लंबी सिसकी निकली, “उह्ह्ह… अनिकेत…” उसने उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया। ऋतू ने शरमाते हुए अपनी योनि को अपने हाथों से ढक लिया। “नहीं… प्लीज… मुझे शर्म आ रही है…” उसने धीरे से कहा। अनिकेत ने उसके हाथ हटाए और उसकी काली पेंटी के ऊपर से उसकी योनि पर एक गहरा चुम्बन लिया। उसकी योनि से निकलने वाली गीली खुशबू अनिकेत को और जोशीला बना रही थी। “ऋतू, तुम्हारी ये खुशबू… मुझे पागल कर रही है…” उसने कहा।
उसने धीरे से उसकी सलवार और पेंटी उतार दी। अब ऋतू पूरी तरह नंगी थी, अपनी आँखें बंद किए हुए बेड पर लेटी थी। अनिकेत ने अपनी पेंट और अंडरवियर उतार दी। उसका 7 इंच का कड़ा लंड अब पूरी तरह तैयार था। दोनों की साँसें तेज चल रही थीं। अनिकेत उसके पास लेट गया और उसके कान में धीरे से बोला, “ऋतू, तैयार हो ना?” ऋतू ने शरमाते हुए हां में सिर हिलाया और बोली, “हां… लेकिन धीरे करना… मुझे डर लग रहा है।”
अनिकेत ने उसे अपनी बाहों में कस लिया। उनके नंगे जिस्म एक-दूसरे से लिपट गए। अनिकेत ने उसकी योनि पर एक लंबा चुम्बन लिया और अपनी जीभ से उसे चाटना शुरू किया। “आह्ह… उफ्फ… अनिकेत… ये क्या कर रहे हो…” ऋतू की सिसकियां तेज हो गईं। उसकी योनि गीली हो चुकी थी, और उसका रस अनिकेत के होंठों पर लग रहा था। ऋतू के हाथ अब अनिकेत के लंड को ढूंढने लगे। जैसे ही उसने उसे छुआ, वो हड़बड़ा गई। “ये… इतना बड़ा…” उसने शरमाते हुए कहा। उसने धीरे से उसे पकड़ा और सहलाने लगी। अनिकेत के पूरे बदन में सिहरन दौड़ गई। “ऋतू… और करो…” उसने सिसकते हुए कहा।
कुछ देर तक वो अनिकेत के लंड को सहलाती रही। फिर अनिकेत ने अपना लंड उसकी योनि के नरम होंठों पर रखा। “ऋतू, अब डालता हूँ…” उसने कहा। ऋतू ने हल्का-सा सिर हिलाया, लेकिन उसकी आँखों में डर और उत्साह दोनों थे। अनिकेत ने धीरे से जोर लगाया, लेकिन उसका लंड फिसल गया। दोनों का ये पहला अनुभव था, इसलिए थोड़ी मुश्किल हो रही थी। ऋतू ने अपने नरम हाथ से उसका लंड पकड़ा और उसकी योनि के मुंह पर सेट किया। “अब करो…” उसने धीरे से कहा।
अनिकेत ने हल्का-सा धक्का मारा, और उसका लंड थोड़ा-सा अंदर गया। “आह्ह… दर्द हो रहा है…” ऋतू ने सिसकी ली। अनिकेत ने रुककर उसके होंठों को चूमा और बोला, “बस थोड़ा सा… मैं धीरे करूंगा।” उसने फिर से एक जोरदार धक्का मारा, और इस बार उसका लंड आधा अंदर चला गया। ऋतू की आँखों में आंसू आ गए, और वो जोर से चिल्लाई, “आह्ह्ह… उह्ह… धीरे… प्लीज…” उसकी झिल्ली फट चुकी थी, और अनिकेत को अपने लंड पर गर्म खून का अहसास हुआ। उसने रुककर ऋतू के आंसुओं को चूमा और उसे शांत किया।
थोड़ी देर बाद जब ऋतू थोड़ा शांत हुई, उसने अनिकेत की कमर पर अपने हाथ रखे और बोली, “अब करो… मैं तैयार हूँ।” अनिकेत ने धीरे-धीरे अपनी कमर हिलानी शुरू की। उसका लंड अब ऋतू की योनि में अंदर-बाहर होने लगा। “आह्ह… उह्ह… हां… ऐसे ही…” ऋतू की सिसकियां अब दर्द से ज्यादा मजा लेने वाली थीं। उसने अपने पैर अनिकेत की कमर पर लपेट लिए और नीचे से हल्के-हल्के धक्के देने लगी। “अनिकेत… और जोर से… मुझे चोदो…” उसने वासना भरी आवाज में कहा।
अनिकेत ने अपनी रफ्तार बढ़ा दी। उसका लंड अब पूरी तरह ऋतू की गीली योनि में अंदर-बाहर हो रहा था। “फच… फच…” की आवाजें कमरे में गूंज रही थीं। ऋतू की सिसकियां तेज हो गईं, “आह्ह… उह्ह… हां… और तेज…” उसका बदन अकड़ने लगा, और अचानक उसकी योनि ने रस की फुहार छोड़ दी। अनिकेत का लंड पूरी तरह गीला हो गया। कुछ सेकंड बाद अनिकेत के बदन में भी उफान आया, और उसने जोर-जोर से धक्के मारते हुए अपना रस ऋतू की योनि में छोड़ दिया। “उह्ह… ऋतू…” उसने सिसकते हुए कहा।
दोनों संतुष्ट होकर एक-दूसरे से लिपट गए। अनिकेत ने ऋतू के जिस्म को चूमते हुए उसे अपनी बाहों में लिया, और दोनों थकान और संतुष्टि के मारे सो गए। सुबह 8 बजे जब अनिकेत की आँख खुली, तो वो अभी भी नंगा था। उसने देखा कि ऋतू बेड पर नहीं थी। तभी वो टॉवल लपेटे बाथरूम से निकली। उसके चेहरे पर पानी की बूंदें चमक रही थीं। वो अनिकेत को देखकर मुस्कुराई और बोली, “गुड मॉर्निंग… नाश्ता बनाऊं?” अनिकेत ने उसे अपनी बाहों में लिया और एक गहरा चुम्बन लिया।
दोनों ने साथ में नाश्ता किया और फिर बाहर घूमने निकल पड़े। दिन भर वे मुंबई की सैर करते रहे, फिल्म देखी और शाम को एक रोमांटिक कैंडल लाइट डिनर किया। अनिकेत और ऋतू अब एक-दूसरे के करीब आ चुके थे। उनकी शादीशुदा जिंदगी में प्यार और वासना का मिश्रण गहरा हो गया था। अनिकेत अब ऋतू को उसकी मर्जी से चोदता था, और वो उससे पूरी तरह संतुष्ट थी। दोनों एक-दूसरे के बिना अधूरे से लगते थे।
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