मेरा नाम माया है। मैं २२ साल की एक बहुत ही सुंदर औरत हूँ। औरत इसलिए क्योंकि मैं शादीशुदा हूँ। मेरी शादी को तीन साल हो चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई बच्चा नहीं हुआ। मेरे पति का टूर जॉब है, जिसके चलते वो हमेशा बाहर ही रहते हैं। मेरे घर में सास-ससुर और एक छोटा देवर है। मेरा देवर, राहुल, २१ साल का जवान, तगड़ा और मस्तमौला लड़का है, जिसका शरीर देखकर किसी का भी मन डोल जाए।
डॉक्टर ने साफ बताया कि बच्चा न होने की वजह मेरे पति की कमजोरी है। बोले, “पहले उनके इलाज की जरूरत है।” ये सुनने से पहले मेरे सास-ससुर यही समझते थे कि सारी गलती मुझमें है। मुझे हर दिन ताने सुनने पड़ते थे—कभी सास की चुभती बातें, तो कभी ससुर की तिरछी नजरें। जब मैंने अपनी सास को बताया कि डॉक्टर ने पति में प्रॉब्लम बताई है, तब जाकर वो लोग चुप हुए। उस वक्त राहुल भी वहाँ था, चुपके से हमारी बातें सुन रहा था, और उसकी आँखों में एक अजीब-सी चमक थी। मेरे सास-ससुर नीचे वाले फ्लोर पर रहते हैं, जबकि मेरा और राहुल का कमरा ऊपर है, एक-दूसरे के बगल में।
उस रात खाना खाने के बाद मैं छत पर टहल रही थी, हल्की ठंडी हवा में अपने बालों को लहरा रही थी। तभी राहुल आ गया। उसने मुस्कुराते हुए कहा, “भाभी, आप तो आज बहुत मस्त लग रही हो। आपका डिओड्रेंट की खुशबू तो ऐसी है कि कोई भी लड़का आपके पीछे पागल हो जाए।” मैंने हँसते हुए उसे टोका, “चल झूठे, चुप हो जा।” फिर मैंने तिरछी नजरों से उसे देखा और बोली, “आज तुझे बड़ी शरारत सूझ रही है। लगता ही नहीं कि तू उसी का भाई है, जो मुझे देखता तक नहीं। और तू है कि मेरे डिओड्रेंट की खुशबू से खिंचा चला आता है।”
राहुल ने बेशर्मी से हँसते हुए कहा, “तो भाभी, मैं ही बन जाता हूँ आपका पति। आपको जो चाहिए—वो सारा मजा, वो सारी गर्मी—मैं दे दूँगा।” उसकी बात सुनकर मेरे गाल लाल हो गए, लेकिन मन में एक अजीब-सी सिहरन भी दौड़ गई। मैंने उसे टोकते हुए कहा, “नहीं जी, मैं वैसी औरत नहीं हूँ, जैसा तू सोच रहा है। मैं सिर्फ अपने पति की हूँ।” फिर हम दोनों छत पर बैठ गए और बातें करने लगे। बातों-बातों में मैंने पूछा, “देवर जी, तू तो बड़े मजे करता है। हमेशा हिल स्टेशन, होटल, घूमता-फिरता रहता है। इतना पैसा कहाँ से लाता है?”
राहुल ने शरारती मुस्कान के साथ कहा, “भाभी, मैं जिगोलो हूँ। बड़े घरों की औरतों और उनकी जवान बेटियों को पैसे लेकर चोदता हूँ।” ये सुनकर मैं एकदम अवाक रह गई। मेरे मुँह से निकला, “अच्छा! कोई गलियों में लड़कियों को पटाने के लिए भटकता है, और तू है जो चुदाई करके पैसे भी कमा लेता है।” उसने हँसते हुए कहा, “हाँ जी, भाभी। मैं सेक्स के बदले पैसे लेता हूँ। और मजा भी देता हूँ।”
रात के करीब बारह बज गए थे। बात करते-करते समय कब बीत गया, पता ही नहीं चला। हम दोनों अपने-अपने कमरे में सोने चले गए। लेकिन उस रात मुझे नींद कहाँ आने वाली थी? मेरे मन में राहुल की बातें घूम रही थीं। उसकी वो बेशर्म बातें, उसकी शरारती मुस्कान, और उसका तगड़ा शरीर मेरे दिमाग में छा गया। मैं सोच रही थी कि क्या मैं सचमुच राहुल से चुदवाना चाहती हूँ? मन में हल्की शर्म थी, लेकिन चूत में एक अजीब-सी गर्मी भी थी। मैं करवटें बदल रही थी, सोच रही थी कि ये बात उसे कैसे कहूँ।
तभी मेरे मोबाइल पर कॉल आई। इतनी रात को कॉल! नंबर देखा तो राहुल का था। मैंने फोन उठाया। उसने कहा, “सॉरी भाभी, इतनी रात को नींद से उठाया।” मैंने हल्के से कहा, “कोई बात नहीं, बोल।” उसने धीमी आवाज में कहा, “भाभी, मेरा मन नहीं लग रहा। क्या मैं आपके कमरे में आकर सो जाऊँ?” मेरे दिल की धड़कन तेज हो गई। मैंने हल्की हिचकिचाहट के साथ कहा, “ठीक है, आ जा।”
वो मेरे कमरे में आ गया। आते ही उसने कहा, “भाभी, आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो। मैंने तो बहुत सारी लड़कियों और औरतों को चोदा है, लेकिन आपको देखकर मेरा लंड खड़ा हो जाता है। आपकी गांड का वो उभार, आपके चूचे की वो टाइट शेप—बस, रहा नहीं जाता। हर बार आपको सोचकर मूठ मारनी पड़ती है, तब जाकर राहत मिलती है।” उसकी बातें सुनकर मेरे बदन में आग-सी लग गई। वो बोला, “मैं सोचता हूँ, जब मैं मूठ मारकर सब बर्बाद कर देता हूँ, तो क्या फायदा? भाभी, आपको तो यही चाहिए। मैं आपकी चूत की प्यास बुझा दूँ। आप माँ भी बन जाओगी, और घर में एक नन्हा मेहमान भी आ जाएगा।”
उसकी बात मेरे दिल को छू गई। मेरी चूत में गीलापन बढ़ रहा था। मैंने शर्माते हुए, लेकिन हिम्मत जुटाकर उसे गले से लगा लिया और उसके होंठों को चूमते हुए कहा, “राहुल, तुमने मेरे मन की बात सुन ली। मैं तुम्हारी हूँ। जो चाहो, कर लो। बस ये बात किसी को नहीं बतानी।” उसने मेरे कानों में फुसफुसाया, “नहीं भाभी, ये हमारा राज रहेगा।”
फिर उसने मेरे होंठों पर किस करना शुरू कर दिया। उसकी गर्म साँसें मेरे चेहरे पर पड़ रही थीं। उसने पीछे से मेरे चूतड़ों को जोर से दबाया और अपने लंड के पास खींच लिया। ऊपर से ही वो धक्के मारने लगा। मैंने हँसते हुए कहा, “अरे, इतनी जल्दी क्या है? पूरी रात हमारे पास है। मम्मी-पापा नीचे सो गए हैं। जो करना है, आराम से, मजे ले-लेकर कर।” उसने मेरे ब्लाउज के बटन खोल दिए और ब्रा को एक झटके में उतार फेंका। मेरे चूचे आजाद हो गए। वो उन्हें देखकर बोला, “भाभी, क्या मस्त चूचे हैं तुम्हारे!” उसने मेरे चूचों को अपने मुँह में लिया और चूसने लगा। “उम्म… आह्ह…” मैं सिसकारियाँ ले रही थी। उसका एक हाथ मेरे चूचों को दबा रहा था, तो दूसरा मेरे चूतड़ों को मसल रहा था। मैं उसके बालों में उंगलियाँ फिराते हुए बोली, “हाँ, और चूस… मेरे चूचों को चूस ले, राहुल।”
उसने मेरा पेटीकोट खींचकर उतार दिया और मेरी चूत को देखकर बोला, “भाभी, तुम्हारी चूत तो बिल्कुल गुलाबी है। इसे तो मैं आज चाट-चाटकर खा जाऊँगा।” उसने मेरी चूत पर अपनी जीभ फिराई। उसकी गर्म जीभ मेरे चूत के दाने को छू रही थी। “आह्ह… ऊह्ह… राहुल, और चाट… मेरी चूत को चूस ले!” मैं सिसकारियाँ ले रही थी। वो मेरी चूत को ऐसे चाट रहा था जैसे कोई भूखा कुत्ता हड्डी चाटता है। करीब दस मिनट तक उसने मेरी चूत को चाटा, और मेरा पानी निकल गया। “उम्म… कितना गीला कर दिया तूने मेरी चूत को!” मैंने कहा। वो मेरे पानी को चाटता रहा और बोला, “भाभी, तुम्हारी चूत का पानी तो अमृत है।”
मैं अब और बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी। मेरी चूत में आग लगी थी। मैंने उसे बेड पर धक्का दिया और उसकी लुंगी खींचकर उतार दी। उसका जाँघिया उतारते ही उसका मोटा, लंबा लंड मेरे सामने था। “हाय… कितना मोटा लंड है तेरा, राहुल!” मैंने कहा और उसे मुँह में ले लिया। मैं उसके लंड को चूस रही थी, और वो सिसकारियाँ ले रहा था, “आह्ह… भाभी, और चूसो… मेरा लंड तेरे मुँह में कितना अच्छा लग रहा है।” मैंने उसके लंड को जीभ से चाटा, उसके टोपे को चूमा, और फिर पूरा मुँह में ले लिया।
फिर मैंने नीचे लेटते हुए कहा, “राहुल, अब और मत तड़पा। चोद दे मुझे। मेरी चूत की सारी प्यास बुझा दे।” उसने मेरी चूत पर अपना लंड रखा और एक जोरदार धक्के में अंदर पेल दिया। “आह्ह… ऊह्ह… कितना मोटा है तेरा लंड!” मैं कराह उठी। उसका लंड मेरी चूत के अंदर तक जा रहा था। “थप-थप-थप” की आवाजें कमरे में गूँज रही थीं। वो बोला, “भाभी, तेरी चूत कितनी टाइट है। मजा आ रहा है।” मैंने कहा, “हाँ, चोद मुझे… अपनी भाभी की चूत को फाड़ दे… और जोर से पेल!”
हर धक्के के साथ मेरी चीख निकल रही थी, “आह… धीरे… ओह्ह… हाँ, और जोर से!” दस-बीस धक्कों के बाद मेरी चूत उसके लंड की आदी हो गई। मैं अपनी गांड उठा-उठाकर चुदवाने लगी, “हाँ… और जोर से… मेरी चूत को चोद… इसे अपना बना ले!” वो मेरे चूचों को दबाते हुए बोला, “भाभी, तुझे चोदकर आज मैं तेरी चूत का भोसड़ा बना दूँगा।” मैंने सिसकारी लेते हुए कहा, “हाँ, बना दे… मेरी चूत को तेरा गुलाम बना दे!”
पूरी रात हमने चुदाई की। कभी मैंने उसका लंड चूसा, कभी उसने मेरी गांड मारी। “आह्ह… ऊह्ह… राहुल, मेरी गांड में तेरा लंड… हाय… और जोर से पेल!” मैं चीख रही थी। उसने मेरी चूत और गांड को बार-बार चोदा। हर बार मैं झड़ती रही, और मेरी सिसकारियाँ कमरे में गूँजती रहीं, “आह्ह… ऊह्ह… हाँ, और चोद… मेरी चूत को भर दे!” उसने कहा, “भाभी, तुझे चोदकर मैं तुझे माँ बनाऊँगा। मेरा माल तेरी चूत में डाल दूँगा।”
ये सिलसिला उस रात से शुरू हुआ और तीन महीने तक चलता रहा। हर रात वो मेरे कमरे में आता, और हम चुदाई के नए-नए तरीके आजमाते। कभी मैं उसके लंड को चूसती, तो कभी वो मेरी गांड मारता। हर रात मेरी चूत और गांड उसकी गुलाम बनती। अब एक खुशखबरी है—मैं माँ बनने वाली हूँ। मेरे बच्चे का पिता मेरा देवर, राहुल, है। ये बात हमारे बीच का राज है, और हम इसे हमेशा छुपाकर रखेंगे।
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