मेरा नाम कुंदन शाह है। मैं 24 साल का हूँ, बनारस में रहता हूँ, और बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में पढ़ता हूँ। मेरा कद 5 फीट 10 इंच, गठीला जिस्म, और 8 इंच का लंड, जो गर्मी में तनकर लोहे जैसा सख्त हो जाता है। मेरे बड़े भैया, राजेश शाह, 32 साल के हैं, सरकारी दफ्तर में क्लर्क हैं। उनका 6 इंच का लंड भाभी को रात-दिन चोदने में माहिर है। उनकी बीवी, मेरी कांची भाभी, 26 साल की हैं। भाभी एकदम माल हैं—गोरी, भरे हुए जिस्म वाली, बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी की टॉपर। उनका चेहरा ऐसा कि मर्दों का लंड खड़ा हो जाए—कजरारी आँखें, गुलाबी होंठ, 38 इंच के भरे हुए मम्मे, 28 इंच की पतली कमर, और 42 इंच के उभरे हुए चूतड़, जो साड़ी में लहराते हुए सबका ध्यान खींच लेते हैं।
भैया की शादी चार साल पहले बड़े धूमधाम से हुई थी। सुहागरात को भैया ने भाभी को नंगा करके उनकी चूत की ऐसी जोरदार चुदाई की कि बिस्तर की चरमराहट और भाभी की सिसकियाँ—“आह्ह… ऊह्ह… स्स्स…”—पूरा घर गूंज उठा। भैया की चुदाई इतनी जबरदस्त थी कि पड़ोसियों को भी भाभी की सिसकियाँ सुनाई देती थीं। वो दिन-रात भाभी के कमरे में घुसे रहते। सुबह उठते ही भाभी की साड़ी खींचकर उनकी चूत चाटते, दोपहर को किचन में पकड़कर चोदते, और रात को देर तक “घप-घप” धक्के मारते। मम्मी-पापा, जो 55 और 60 साल के हैं, सोचते थे कि साल भर में भाभी की गोद में बच्चा होगा। लेकिन चार साल बीत गए, बच्चा नहीं हुआ।
दोस्तों, भैया की चुदाई में कोई कमी नहीं थी। वो भाभी की चूत को दिन में तीन-चार बार चोद-चोदकर लाल कर देते। लेकिन बच्चा पैदा होने के लिए सिर्फ जोरदार चुदाई काफी नहीं होती। भैया का स्पर्म काउंट बहुत कम था, यानी उनके वीर्य में इतने स्वस्थ शुक्राणु नहीं थे कि भाभी गर्भवती हो सकें। डॉक्टर ने बताया कि भैया में कमी थी—उनका वीर्य बच्चा पैदा करने लायक नहीं था। ये सुनकर मम्मी ने भाभी को “बांझ” कहकर ताने मारने शुरू कर दिए। भाभी चुपचाप सहती थीं, जबकि वो पूरी तरह ठीक थीं।
एक दिन दोपहर में, जब मम्मी-पापा और भैया रिश्तेदार के यहाँ गए थे, मैं अपने कमरे में किताब पढ़ रहा था। कांची भाभी मेरे पास आईं। वो लाल साड़ी में थीं, जिसका पल्लू उनकी गोरी कमर को हल्का ढक रहा था। उनका गहरे गले वाला ब्लाउज उनके 38 इंच के मम्मों को मुश्किल से संभाल रहा था। “कुंदन, मुझसे बहुत जरूरी बात करनी है,” भाभी ने धीमी, लेकिन चुदासी आवाज में कहा।
“बताओ भाभी, क्या बात है?” मैंने किताब बंद करके पूछा।
भाभी ने गहरी सांस ली और बोलीं, “डॉक्टर ने बताया कि तुम्हारे भैया का स्पर्म काउंट बहुत कम है। वो मुझे बच्चा नहीं दे सकते। मम्मी मुझे ताने मारती हैं, लेकिन मैं ठीक हूँ। कुंदन, अब तुम ही मेरा सहारा हो।” उनकी आँखें गीली थीं, लेकिन आवाज में एक चुदास भरा जोश था।
मैं सुनकर दंग रह गया। दोस्तों, मैंने कई बार भाभी को चुपके-चुपके बाथरूम में नहाते देखा था। उनकी गोरी जांघें, भरे हुए मम्मे, और गुलाबी चूत… उफ्फ! कितनी बार मैंने उनके बारे में सोचकर मुठ मारी थी। सपनों में तो मैं भाभी को कसकर चोद चुका था। “भाभी, मैं आपकी मदद करूँगा,” मैंने हल्की हिचक के साथ कहा।
“कुंदन, फिर देर क्यों? चलो, अभी शुरू करते हैं,” भाभी ने मेरी आँखों में देखते हुए कहा। वो मेरा हाथ पकड़कर बाथरूम की ओर खींच ले गईं। “कमरे में नहीं, बाथरूम में मजा आएगा,” उन्होंने शरारत भरी मुस्कान के साथ कहा।
बाथरूम में पहुँचते ही भाभी ने दरवाजा बंद किया और मुझे दीवार से सटा लिया। उनकी साड़ी का पल्लू सरक गया, और उनके मम्मे ब्लाउज में उभर आए। “कुंदन, आज मेरी चूत को फाड़ दो… मुझे बच्चा चाहिए,” उन्होंने मेरे कान में फुसफुसाया। उनकी गर्म साँसें मेरे गले पर लग रही थीं। मैंने भाभी को बाहों में भर लिया और उनके गुलाबी होंठों को चूमने लगा। “आह्ह… ऊह्ह…” भाभी की सिसकियाँ शुरू हो गईं।
“भाभी, तू तो एकदम रसीली माल है,” मैंने कहा और उनकी गर्दन, कंधों, और गालों पर चुम्मियाँ लेने लगा। भाभी मेरे सीने से चिपक गईं। “कुंदन, मेरे मम्मे दबा… जोर से,” उन्होंने बेचैनी में कहा। मैंने उनके ब्लाउज के बटन खोले। उनका काला ब्रा उनके 38 इंच के मम्मों को मुश्किल से संभाल रहा था। मैंने ब्रा के ऊपर से ही उनके मम्मों को मसलना शुरू किया। “आह्ह… स्स्स… और जोर से, कुंदन!” भाभी चिल्ला रही थीं।
मैंने उनकी ब्रा का हुक खोला, और उनके गोरे, चिकने मम्मे बाहर उछल पड़े। उनके निप्पल्स गहरे भूरे, तने हुए थे। “उफ्फ… भाभी, तेरे मम्मे तो कमाल हैं,” मैंने कहा और एक निप्पल को मुँह में लेकर चूसने लगा। “आह्ह… ऊह्ह… हाय… कुंदन, और चूस!” भाभी मेरे सिर को अपने मम्मों पर दबाने लगीं। मैंने एक मम्मा चूसा, दूसरे को मसला, और निप्पल्स को हल्के से काटा। “स्स्स… हाय… कितना मजा आ रहा है!” भाभी की सिसकियाँ बाथरूम में गूंज रही थीं।
मैंने 15 मिनट तक उनके मम्मों को चूसा, मसला, और निप्पल्स को चाटा। फिर मैंने उनकी साड़ी का पल्लू नीचे खींचा। उनकी गोरी कमर और पेटीकोट में बंधे चूतड़ दिखने लगे। “कुंदन, मेरी साड़ी उतार… मेरी चूत को देख,” भाभी ने चुदासी अंदाज में कहा। मैंने पेटीकोट का नाड़ा खींचा, और वो नीचे सरक गया। उनकी काली पैंटी में उनकी चूत का उभार साफ दिख रहा था। “कुंदन, मेरी चूत में उंगली डाल… अब और मत तड़पा,” भाभी ने कहा।
मैंने उनकी पैंटी में हाथ डाला और उनकी गीली चूत को सहलाने लगा। “आह्ह… स्स्स… हाय…” भाभी की जांघें कांपने लगीं। मैंने अपनी बीच वाली उंगली उनकी चूत में पेल दी और तेजी से अंदर-बाहर करने लगा। “चप-चप” की आवाज गूंजने लगी। “आह्ह… ऊह्ह… कुंदन, मेरी चूत को फाड़ दे!” भाभी चिल्ला रही थीं। उनकी चूत इतनी गीली थी कि मेरा हाथ भीग गया। मैंने 20 मिनट तक उनकी चूत में उंगली की, फिर उंगली निकालकर अपने मुँह में डाल ली। उनकी चूत का नमकीन स्वाद मेरे दिमाग में चढ़ गया।
“भाभी, अब मेरा लंड चूस,” मैंने कहा और अपने सारे कपड़े उतार दिए। मेरा 8 इंच का लंड तनकर लोहे जैसा हो गया था। भाभी ने मेरे लंड को हाथ में लिया। “कुंदन, ये तो बहुत मोटा है… भैया से दोगुना,” उन्होंने शरारती अंदाज में कहा। फिर वो मेरे लंड को मुँह में लेने लगीं। उनकी जीभ मेरे टोपे पर घूम रही थी। “स्स्स… आह्ह… भाभी, और चूस!” मैंने उनके सिर को पकड़ लिया। भाभी किसी रंडी की तरह मेरा लंड चूस रही थीं। कभी पूरा मुँह में लेतीं, तो कभी टोपे को जीभ से चाटतीं। “उफ्फ… भाभी, तू तो लंड चूसने में उस्ताद है,” मैंने कहा।
मैंने उनके मम्मों को पकड़ा और लंड को उनके क्लीवेज में डालकर चोदने लगा। “चप-चप” की आवाज के साथ भाभी की सिसकियाँ गूंज रही थीं, “आह्ह… ऊह्ह… कुंदन, मेरे मम्मों को चोद!” मैंने उनके मम्मों को कसकर दबाया और 25 मिनट तक चोदा। फिर मैंने उनकी टांगें फैलाईं और उनकी चूत चाटने लगा। उनकी चूत गुलाबी, चिकनी, और पूरी तरह साफ थी। “भाभी, तूने तो सुबह चूत शेव की है ना?” मैंने पूछा। भाभी ने शरमाते हुए हां में सिर हिलाया।
मैंने उनकी चूत को जीभ से चाटना शुरू किया। “आह्ह… स्स्स… हाय… कुंदन, मेरी चूत को खा जा!” भाभी चिल्ला रही थीं। उनकी चूत का पानी मेरे मुँह में आने लगा। मैंने उनकी जांघें पकड़ीं और चूत को 30 मिनट तक चाटा। उनकी जांघें कांप रही थीं। “कुंदन, अब डाल दे… मेरी चूत फट रही है!” भाभी ने बेचैनी में कहा।
मैंने अपना लंड उनकी चूत पर सेट किया और एक जोरदार धक्का मारा। “आह्ह… ऊह्ह… मर गई!” भाभी चीख पड़ीं। मेरा लंड उनकी चूत में पूरा घुस गया था। “कुंदन, तेरा लंड तो मेरी चूत को फाड़ देगा… और जोर से चोद!” भाभी चिल्ला रही थीं। मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। “घप-घप… चप-चप…” की आवाज बाथरूम में गूंज रही थी।
मैंने उनकी चूत में थूक दिया और धक्के तेज कर दिए। उनकी पतली कमर नाच रही थी, और उनके 38 इंच के मम्मे हर धक्के के साथ उछल रहे थे। “आह्ह… ऊह्ह… स्स्स…” भाभी की सिसकियाँ और “घप-घप” की आवाज तूफान मचा रही थी। “कुंदन, मेरी चूत को रगड़ दे… तेरा लंड बहुत मोटा है!” भाभी चिल्ला रही थीं। मैंने उनके मम्मों को पकड़ लिया और निप्पल्स को मसलते हुए चोदने लगा।
मैंने उनकी जांघें और ऊपर उठाईं और गहरे धक्के मारने लगा। उनकी चूत का पानी मेरे लंड को चिकना कर रहा था। “चप-चप… घप-घप…” की आवाज तेज होती जा रही थी। “आह्ह… ऊह्ह… हाय… कुंदन, मेरी चूत फाड़ दे!” भाभी की आवाज में चुदास भरी थी। मैंने 60 मिनट तक उनकी चूत की जोरदार धुनाई की। फिर मैंने अपना माल उनकी चूत में छोड़ दिया। “आह्ह… ऊह्ह… मेरी चूत भर दे… मुझे बच्चा चाहिए!” भाभी चीखीं।
हम दोनों हांफ रहे थे। भाभी ने मुझे गले लगाया और बोलीं, “कुंदन, तूने तो मेरी चूत को तृप्त कर दिया।” दो हफ्ते तक भाभी रोज मेरे पास आतीं। कभी बाथरूम में, कभी कमरे में, हमारी चुदाई चलती रही। नौ महीने बाद भाभी को एक प्यारा सा बेटा हुआ। मम्मी-पापा खुश थे, उन्हें लगता था कि ये भैया का बच्चा है। लेकिन भाभी ने मुझे चुपके से गले लगाया और कहा, “कुंदन, तूने मेरी गोद भर दी।”
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