नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम अजय सिंह शेखावत है। मैं 24 साल का हूँ, गठीला शरीर, गेहुंआ रंग, और 5 फीट 11 इंच का कद। खेती और पढ़ाई के बीच मेरा समय जाता है, और मेरी आँखों में हमेशा एक चालाकी भरी चमक रहती है। मैं अपनी पहली सच्ची कहानी लिख रहा हूँ, जो उन लोगों के लिए है जो सेक्स की असली भूख को समझते हैं। ये XXX मोसी पोर्न कहानी पूरी तरह असली घटना पर आधारित है, इसमें कुछ भी काल्पनिक नहीं। ये कहानी आपको रग-रग में मजा देगी।
मेरी मौसी, राधा, 38 साल की हैं। उनका गोरा रंग, भरा हुआ 36-30-38 का फिगर, और लंबे काले बाल उन्हें किसी हीरोइन जैसा बनाते हैं। उनके बोबे 36C के हैं, जो उनकी ब्लाउज में हमेशा तने रहते हैं। उनकी गाँड इतनी भारी और गोल है कि चलते वक्त लचकती है, और उनकी चूत की भूख उनकी आँखों में साफ दिखती है। मौसी का पति, मेरा मौसा, 45 साल का है, पतला-दुबला, और अब बिस्तर पर ज्यादा कुछ कर नहीं पाता। उनकी बेटी शालू, 19 साल की जवान लड़की, गोरी, 34-28-36 का फिगर, और कसी हुई जवानी। उसकी आँखों में शरारत और जिज्ञासा हमेशा रहती है।
मैं टोंक जिले में खेती करता हूँ, जहाँ कृषि विभाग से मुझे कई सुविधाएँ मिलती हैं। खेतों में काम करने वाली जवान लड़कियों और भाभियों को मैंने कई बार चोदा है। उनकी गर्म साँसें, पसीने से भीगा बदन, और भूखी नजरें मुझे हमेशा ललचाती थीं। मैंने कभी उनकी आग को ठंडा होने नहीं दिया।
एक दिन कृषि विभाग से खबर आई कि पाइप खरीदने के लिए मेरा ऋण पास हो गया। बाजार में ये पाइप 50,000 रुपये के थे, लेकिन विभाग मुझे 20,000 की सब्सिडी दे रहा था। खेती के लिए ये मौका सुनहरा था। मैंने अपने पिताजी को बताया, जो 50 साल के हैं, गाँव के सरपंच, और हमेशा व्यस्त। उन्होंने कहा, “अजय, तू समझदार है, जो ठीक लगे, कर ले।” उनकी बात सुनकर मैंने अपनी आल्टो कार निकाली, जो मैंने 2024 के नए साल पर 7 लाख में खरीदी थी।
कार में बैठकर मैं टोंक के लिए निकला। रास्ते में मेरा पुश्तैनी गाँव बाड़ा पड़ता है, जहाँ मेरे कई रिश्तेदार रहते हैं। मैं रिश्तेदारों से कम मिलता हूँ, लेकिन मौसी के घर जरूर जाता हूँ। उनकी जवानी मेरे दिमाग में हमेशा घूमती रहती है। टोंक टोल टैक्स पर मेरी कार रुकी, तो वहाँ मेरा रिश्तेदार मुकेश जी मिल गया। मुकेश जी, 40 साल के, मोटे, और गाँव के व्यापारी, मुझे देखकर बोले, “अरे अजय, कितने दिन बाद आया!”
मैंने कहा, “मुकेश जी, खेती में समय कम मिलता है। आज कृषि विभाग से लोन पर पाइप लेने जा रहा हूँ।”
वे हँसे, “वाह, फिर तो हमारा भी लोन करवा दे, हमें भी पाइप चाहिए!”
मैंने हँसकर कहा, “जरूर, आज मैं ले आता हूँ, फिर आपकी फाइल लगवाऊँगा।”
थोड़ी बातचीत के बाद मैंने मुकेश जी से विदा ली और मौसी के घर की ओर निकला। बाड़ा गाँव में मौसी का घर पुराना लेकिन बड़ा है, बाहर से सफेदी किया हुआ, और सामने छोटा सा आँगन। मैंने कार रोकी, तो देखा गेट बंद था। मैंने हॉर्न बजाया, कोई जवाब नहीं आया। निराश होकर मैंने वापस जाने का सोचा, तभी मम्मी की बात याद आई, “मौसी से जरूर मिलकर आना।” मैं कार से उतरा और गेट को हल्का सा धक्का दिया। गेट खुल गया।
अंदर जाकर मैंने आवाज लगाई, “मौसी!” बाथरूम से उनकी आवाज आई, “अजय, मैं नहा रही हूँ, रुक, अभी आती हूँ।” मैं उनके कमरे में चला गया, जहाँ उनका बाथरूम अटैच था। बेड पर उनकी लाल रंग की ब्रा और काली पैंटी पड़ी थी। ब्रा का साइज 36C लिखा था, और पैंटी सिल्क की थी, जिसे देखकर मेरा लंड तन गया। मैं उन्हें घूरने लगा, मन में वासना की लहरें उठने लगीं।
तभी मौसी बाथरूम से निकलीं, सिर्फ एक सफेद तौलिया लपेटे हुए। उनके गीले बाल उनके कंधों पर बिखरे थे, और तौलिया उनके बोबों को मुश्किल से ढक रहा था। उनकी जाँघें आधी दिख रही थीं, और पानी की बूँदें उनके बदन पर चमक रही थीं। मुझे देखकर वे चौंकीं, “अरे अजय, तू! क्या देख रहा है?”
मैंने हड़बड़ाते हुए कहा, “कुछ नहीं मौसी, आप ये ब्रा-पैंटी खुले में मत रखा करो।”
वे उदास होकर बोलीं, “यहाँ कौन है जो इन्हें देखकर कुछ करेगा?”
मैंने मजाक में कहा, “मौसी, मौसा तो हैं न, वो कुछ कर सकते हैं!”
मौसी ने मेरी बात टालते हुए कहा, “छोड़ ये सब, बता कैसे आया?”
मैंने बताया, “टोंक में कृषि विभाग में काम था, पाइप लेने आया हूँ। मम्मी ने कहा था, आपसे मिलकर जाऊँ।”
मौसी ने हँसकर कहा, “अच्छा, मम्मी की बात मानने आया है, या मुझे देखने की इच्छा थी?”
मैंने हँसकर कहा, “दोनों बातें, मौसी। आपकी याद बहुत आ रही थी।”
वे बोलीं, “चल झूठा!”
मौसी का तौलिया उनके बोबों को मुश्किल से ढक रहा था, और उनकी गाँड का उभार साफ दिख रहा था। मैंने कहा, “मौसी, अब कपड़े पहन लीजिए।”
वे बोलीं, “हाँ, तू दूसरे कमरे में जा, मैं चेंज कर लेती हूँ।”
मैं दूसरे कमरे की ओर गया, लेकिन उनके गीले, आधे नंगे बदन का नजारा मेरे दिमाग से नहीं गया। मेरा 7 इंच का लंड जींस में तन गया। मैंने सोचा, थोड़ा और देख लूँ। जैसे ही मैंने पीछे मुड़कर देखा, मौसी ने तौलिया खोल दिया। तौलिया जमीन पर गिरा, और उनका नंगा बदन मेरे सामने था। उनके 36C के बोबे गोल और तने हुए थे, गुलाबी निप्पल सख्त दिख रहे थे। उनकी चूत पर हल्के बाल थे, और उनकी गाँड इतनी भारी थी कि मेरे लंड में आग लग गई।
मैंने खुद को रोका, लेकिन वासना ने मेरे होश उड़ा दिए। मौसी बेड की ओर बढ़ीं और ब्रा-पैंटी उठाने लगीं। मैं चुपके से पीछे गया और उनके दोनों बोबे अपने हाथों में पकड़ लिए। “आह!” मौसी चौंककर चिल्लाईं, “अजय, ये क्या कर रहा है?”
मैंने उनके कान में फुसफुसाया, “मौसी, आपका हुस्न देखकर मेरा लंड बेकाबू हो गया। आज मुझे मत रोको।”
मौसी ने गुस्से में कहा, “ये गलत है अजय! छोड़ मुझे!”
मैंने कहा, “गलत कुछ नहीं। आपकी गाँड और बोबे देखकर लगता है, मौसा के अलावा भी कोई आपकी भोसड़ी लेता होगा।”
मौसी गुस्से से बोलीं, “बकवास मत कर! मैं ऐसी नहीं हूँ। छोड़, वरना चिल्लाऊँगी!”
मैंने हँसकर कहा, “मौसी, आप नंगी मेरे सामने खड़ी हो। अब शर्म कैसी? थोड़ी देर में हमारा रिश्ता प्यार में बदल जाएगा।”
मैंने उनके गाल चूमने शुरू किए। उनकी साँसें तेज हो गईं। शायद उनकी भूख भी जाग रही थी। वे रुककर बोलीं, “किसी को बताएगा तो नहीं?”
मैंने कहा, “आपका हुस्न भोगने को मिले, तो मैं गाँव में ढोल क्यों बजाऊँ? आप सिर्फ मेरी हो।”
मौसी ने हँसकर कहा, “ठीक है, मादरचोद, देर मत कर। तेरा मौसा अब बूढ़ा हो गया है। वो चूत चाटता है, लंड हिलाता है, और मेरी भोसड़ी की आग बढ़ाकर सो जाता है। मैंने अब तक सिर्फ दो मर्दों से चुदवाया है। तू तीसरा है। अगर तेरा लंड तगड़ा हुआ, तो मैं किसी और को नहीं दूँगी। वरना गाँड पर लात पड़ेगी।”
मैंने मुस्कुराकर कहा, “मौसी, मैंने जिसे चोदा, वो मेरा लंड दोबारा माँगती है। तुम्हारी आग मैं बुझाऊँगा।”
मौसी बोलीं, “पहले मेरी भोसड़ी को खुश कर, फिर तुझे हमेशा अपना लौड़ा बना लूँगी।”
मैंने मौसी को बाँहों में जकड़ा और उनके बोबे दबाए। “आह्ह!” वे चिल्लाईं, “धीरे मादरचोद, कहीं भाग नहीं रही!” मैंने हँसकर कहा, “ठीक है, डार्लिंग।” मैंने उनके बोबे धीरे-धीरे दबाए, उनके निप्पल उंगलियों से मसले। “उम्म्म!” उनकी सिसकारियाँ शुरू हो गईं। मैंने उनके बोबे चूसे, जीभ से निप्पल को चाटा। “आह्ह… चूस मेरे चूचे!” वे सिसकारीं। मैंने उनके पेट को चूमा, उनकी नाभि में जीभ डाली। फिर उनकी बगलों को चाटा, जहाँ से उनकी गर्म खुशबू मेरे लंड को और कड़क कर रही थी।
मैंने उनकी एक बगल को भोसड़ी समझकर अपने लंड को रगड़ा। “उम्म्म… अजय!” मौसी की सिसकारियाँ बढ़ गईं। वे अपनी चूत को मेरे मुँह की ओर लाने लगीं। “चाट मेरी भोसड़ी!” वे इशारे से कह रही थीं। मैंने उनकी जाँघें खोलीं, उनकी चूत गीली और गुलाबी थी। मैंने उनकी फाँकों को उंगलियों से सहलाया। “आह्ह… मादरचोद!” वे तड़प उठीं। मैंने उनकी चूत का दाना मसला, और वे मछली की तरह छटपटाने लगीं। “उम्म्म… और जोर से!” उनकी साँसें तेज हो गईं।
मैंने उनकी चूत को चाटना शुरू किया। “फच… फच!” मेरी जीभ उनकी फाँकों पर चल रही थी। “आह्ह… चाट मेरी भोसड़ी, मादरचोद! ये कितने दिन से भूखी है!” मौसी चिल्ला रही थीं। उनकी गालियों ने मेरे लंड को पत्थर बना दिया। मैंने उनकी चूत को और गहराई से चाटा, दाने को जीभ से कुरेदा। “उम्म्म… आह्ह!” उनकी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं। मैंने उनकी चूत में उंगली डाली, और धीरे-धीरे अंदर-बाहर करने लगा। “फच… फच!” उनकी चूत गीली होकर आवाजें करने लगी।
मौसी बोलीं, “अब तेरा लंड दे, मादरचोद!” मैंने कहा, “पहले इसे चूस, ताकि तेरी भोसड़ी को आसानी हो।” मौसी ने मेरी जींस खोली, मेरा 7 इंच का लंड बाहर निकाला। “ओ तेरी! ये तो मेरी चूत फाड़ देगा!” वे ललचाई नजरों से बोलीं। उन्होंने मेरा लंड मुँह में लिया और चूसने लगीं। “स्लर्प… स्लर्प!” चूसने की आवाजें कमरे में गूँजने लगीं। वे मेरे लंड को गहराई तक चूस रही थीं, और साथ में गालियाँ दे रही थीं, “तेरा मौसा गाँडू है, इसका लंड तो बस नाम का है!”
मैंने उनकी चूत चाटना जारी रखा। “फच… फच!” मेरी जीभ और उनकी चूत की मुलाकात गजब की थी। मौसी की सिसकारियाँ बढ़ती जा रही थीं। “आह्ह… चाट, मादरचोद!” वे चिल्ला रही थीं। मैंने उनकी चूत में दो उंगलियाँ डालीं और तेजी से अंदर-बाहर करने लगा। उनकी चूत इतनी गीली थी कि मेरी उंगलियाँ फिसल रही थीं। “उम्म्म… और तेज!” वे तड़प रही थीं।
करीब 10 मिनट की चुसाई के बाद मैंने मौसी को बेड पर लिटाया। उनकी जाँघें चौड़ी कीं और उनकी चूत को एक बार फिर चाटा। “फच… फच!” मेरी जीभ उनकी चूत पर नाच रही थी। मौसी चिल्लाईं, “अब चोद दे, मादरचोद! मेरी भोसड़ी में आग लगी है!” मैंने अपना लंड उनकी चूत पर सेट किया। “फच!” एक धक्के में आधा लंड अंदर गया। “आह्ह!” मौसी चिल्लाईं। मैंने धीरे से दूसरा धक्का मारा, और पूरा 7 इंच अंदर पेल दिया। “उम्म्म… मादरचोद, कितना बड़ा है!” वे सिसकारीं।
मैंने धक्के शुरू किए। “फच… फच… फच!” चुदाई की आवाजें कमरे में गूँजने लगीं। मौसी की चूत टाइट थी, और मेरा लंड उसे चीर रहा था। “आह्ह… चोद मेरी भोसड़ी!” वे चिल्ला रही थीं। मैंने उनके बोबे दबाए, निप्पल मसले। “उम्म्म… और जोर से!” उनकी सिसकारियाँ बढ़ती जा रही थीं। मैंने उनकी एक टाँग उठाई और गहरे धक्के मारे। “फच… फच!” मेरा लंड उनकी चूत की गहराई में जा रहा था। उनकी चूत गीली और गर्म थी, और हर धक्के के साथ उनकी सिसकारियाँ तेज हो रही थीं।
मैंने पोजीशन बदली और मौसी को घोड़ी बनाया। उनकी गोल गाँड मेरे सामने थी। मैंने उनकी गाँड पर एक चपत मारी। “आह!” वे सिसकारीं। मैंने उनका तौलिया पूरी तरह हटा दिया, जो अब तक उनके कमर पर अटका था। मैंने उनका लंड उनकी भोसड़ी पर सेट किया और एक जोरदार धक्का मारा। “फच!” पूरा लंड अंदर गया। “आह्ह… मादरचोद, फाड़ दे मेरी चूत!” वे चिल्लाईं। मैंने तेजी से धक्के मारे। “फच… फच… फच!” उनकी गाँड हर धक्के के साथ हिल रही थी। मैंने उनके बाल पकड़े और और जोर से पेला। “उम्म्म… चोद, मादरचोद!” उनकी गालियाँ मेरे लंड को और कड़क कर रही थीं।
करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद मैंने देखा कि शालू, उनकी 19 साल की बेटी, दरवाजे पर खड़ी हमें देख रही थी। मैं गेट बंद करना भूल गया था। शालू का चेहरा हैरानी और शरारत से भरा था। वह अपनी माँ को चुदते देख रही थी। मौसी की नजर दूसरी तरफ थी, और वे चिल्ला रही थीं, “आह्ह… और जोर से, मादरचोद!” मैंने शालू को देखा और सोचा, “देखने दे, ये भी जवान है। इसे भी लंड चाहिए होगा।” मैंने शालू को आँख मारी और मौसी को और जोर से चोदा। “फच… फच!” मेरा लंड उनकी चूत में तेजी से अंदर-बाहर हो रहा था। शालू मेरे लंड को अपनी माँ की चूत में घुसते-निकलते देख रही थी।
मौसी चिल्ला रही थीं, “आह्ह… मैं झड़ने वाली हूँ!” उनकी चूत सिकुड़ने लगी, और “उम्म्म!” के साथ वे झड़ गईं। मैंने भी दो धक्के और मारे और उनकी चूत में ही झड़ गया। “आह!” मेरी साँसें तेज थीं। शालू मुझे देखकर मुस्कुराई और चली गई।
मैंने मौसी को चूमा। वे अब भी नंगी थीं, उनका तौलिया बेड पर पड़ा था। मैंने अपने कपड़े पहने। मौसी बोलीं, “रात को यहीं रुक जा, पार्टी करेंगे।”
मैंने कहा, “शालू तो यहीं है न?”
वे हँसीं, “उससे कोई दिक्कत नहीं।”
मैंने पूछा, “क्या शालू आपके सारे राज जानती है?”
वे बोलीं, “ब्लैक लेवल ला, फिर बताऊँगी।” मैं समझ गया कि रात को माँ-बेटी दोनों की चुदाई का मौका मिल सकता है। मैं टोंक के लिए निकल गया।
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