मैंने Xxx Cousin Bhabhi Devar Ki Chudai Kahani में अपनी बुआ की पुत्रवधू से सेक्स किया। हम एक शादी में मिले। मैं भी शुरू हो गया जब भाभी ने मुझे वासना दिखाई।
मैं प्रीतम मौर्य हूँ।
मैं उत्तर प्रदेश में गोरखपुर का रहने वाला हूँ।
यह मेरी Xxx Cousin Bhabhi Devar Ki Chudai Kahani पहली है।
एक जगह मैं शादी में गया था।
मेरे बुआ के लड़के की पत्नी यानि मेरी भाभी भी वहां आयी थीं।
शादी के दिन मैं वहां भाभी से मिला और हम दोनों बातें करने लगे।
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पढ़ी थी।
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मैं भी भाभी से मजाक कर रहा था।
भाभी को कहीं जाना था, तो उन्होंने मेरा नंबर भी लिया और मुझे कॉल करने को कहा।
हम सब शादी की तैयारी करने लगे क्योंकि शाम को बारात आने वाली थी।
बारात आ गयी, विवाह हो गया।
मैं कुछ काम करने के लिए घर गया क्योंकि कुछ रस्म होना बाकी था।
भाभी एक बार फिर मिल गईं।
बाहर उनका लड़का सो रहा था।
भाभी ने उसे उठाकर घर में एक कमरे में लाकर सुलाने के लिए कहा।
मैंने उसे घर लाकर सुला दिया।
भाभी भी पहुंचीं।
हम फिर वहां बैठकर बात करने लगे।
भाभी ने मिठाई का एक पैकेट लाया।
भाभी ने मुझे आधा रसगुल्ला खिलाया और आधा खुद खाया।
जब मैंने उन्हें ऐसा करते देखा, वे कुछ कामुक लगीं।
तो मैं भी उन्हें प्यार से देखा।
भाभी, आपको अच्छा लगा?
मैंने हां में सर हिला दिया।
भाभी ने पहले खुद खाया और फिर मुझे खिलाया।
हम दोनों खाते -खाते बातें करते रहे।
भाभी और मैं एकदम से चिपककर बैठ गए और एक दूसरे के कंधे पर हाथ डाल लिया।
फिर उन्होंने अपने होंठों को मेरे होंठों के पास लाकर लिप किस का संकेत दिया।
मैं भी उनके होंठों के पास अपना होंठ ले गया।
भाभी ने लगभग चार से पांच सेकंड का छोटा सा किस दिया, लेकिन यह एक सुखद किस था।
यह मेरा किसी भी लड़की से पहला किस था।
हम दोनों ने बहुत बात की और उन्होंने कहा कि बगल के घर में चलो।
मैंने पूछा कि उधर क्यों?
उन्होंने कहा कि उधर खाली घर है।
मैंने पूछा कि किसका घर है।
“हमारे कुछ जान पहचान वाले का ही,” भाभी ने कहा। शादी में आए कुछ लोग अभी भी सो रहे हैं। उधर कुछ जगह देखना मनोरंजन होगा।
हम दोनों वहां गए।
उधर हर जगह भरा हुआ था।
एक जगह अंधेरा और कुछ खाली थी।
हम दोनों ने उधर रुककर एक दूसरे को अपनी बांहों में भर लिया।
मैं भी भाभी के होंठ चूसने लगा।
इस बार, लगभग दस मिनट चूसने और ऊपर से दूध दबाने के बाद मैंने भाभी से उनके मम्मों में हाथ डालकर दबाने को कहा।
उसने हामी भर दी।
पहले, मैं किस करते समय ऊपर से दबा रहा था।
उसने हामी भर दी और ब्लाउज का बटन खोलकर अपने बूब्स को दबाने लगी।
मैंने उनकी ब्रा को दोनों मम्मों के किनारे कर दिया और अंदर हाथ डाला।
उनके दोनों बूब्स को अच्छी तरह से दबाया।
तब भी भाभी मुठ मारकर मेरी पैंट के ऊपर से मेरा लंड पकड़ रही थीं।
जब मैं उनके बूब्स को ऊपर से काटने लगा, वे आह, आह, आह करने लगीं।
भाभी बहुत गर्म थीं, लेकिन वहाँ कही चुदाई की जगह नहीं थी।
फिर आधा घंटे बाद भाभी शादी की तैयारी में चली गईं।
मैं भी बाहर आ गया और शादी के बाकी काम करके सो गया।
सुबह पांच बजे मैं जाग गया।
भाभी की याद मैं मुझे नींद नहीं आई।
मैं सिर्फ डेढ़ घंटे सो पाया।
भाभी कुछ काम से बाहर आईं जब मैं जागा।
तब मैंने उनसे बात की।
फिर भाभी ने मुझे अपने घर यानि बुआ के यहां बुलाया।
भाभी ने बुआ से कहा कि वे यहां से दो से तीन दिन बाद अपने घर चले जाएंगे।
मैं चुपचाप सुनकर चला गया, कुछ नहीं कहा।
मैं फिर घर आकर अपने कॉलेज गया।
वह मेरी भाभी थीं, इसलिए मैंने कॉलेज में अपने किसी भी दोस्त से ये बात नहीं बताई।
शाम को कॉलेज से वापस घर आकर मैंने उनसे फोन पर बात की।
मैं अब हर समय उनसे बात करने लगा।
वह तीन दिन बाद अपने घर गई।
मैं भी कुछ दिनों बाद उनके घर गया।
कॉलेज में मेरी गर्मी की छुट्टी उस समय हुई थी।
मई महीना था।
एक दिन सुबह मैं उनके घर के लिए निकला, लेकिन रास्ते में मामा का घर पड़ता था, इसलिए मैं वहीं रुका।
अगले दिन मैं भाभी के पास जाना चाहता था।
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वहां रुका तो मामी जाने नहीं देती थीं।
वे कह रही थी कि 2-3 बाद चले जाना।
मामी ने मेरी बाइक की चाभी जबरन अपने पास रखी।
भाभी निरंतर फोन कर रही थीं।
मैं मामी से अपनी बाइक की चाभी लेकर वहां से चला गया।
फिर मैं 3:30 बजे भाभी के घर पहुंचा।
मुझे देखकर वे बहुत प्रसन्न हुईं।
उस समय भाभी के घर में बुआ-फूफा और दीदी ही सब थे।
भाभी ने खाना बनाकर खिलाकर आराम करने को कहा।
फिर बुआ-फूफा और दीदी सब मजदूरी करने के लिए खेत में चले गए, और घर पर मैं और भाभी ही रह गए।
हम एक दूसरे को किस करने लगे।
किस करने के बाद भाभी मुझे अपने बेडरूम में ले गईं।
वहां हम दोनों ने चिपककर बहुत किस किया, और मैंने उनके दूध को दबाकर उनके पूरे शरीर पर किस किया।
भाभी बहुत गर्म हो गई थीं और “आह आह्ह…” की आवाज निकालती थीं।
कुछ ही देर में भाभी ने अपनी दोनों टांगों को खोलकर बेड पर लेट गई।
मैं भी भाभी की चूत में लंड डालना चाहता था।
मैंने बैठकर उनकी दोनों टांगों के बीच में लंड डाला।
फिर मैंने धीरे-धीरे भाभी की चूत पर अपना लंड रखा।
भाभी की चूत एक छोटी लड़की की चूत से मिलती-जुलती थी।
लंड चूत में नहीं जा रहा था।
तब उन्होंने अपना थूक अपनी चूत में डालकर उसे खोला और मेरे लंड से चूत को रगड़ा।
मैंने भी जोर लगाकर सुपारा को मेरी चूत में डाल दिया. कुछ देर के बाद सुपारा भाभी के चूत में घुस गया।
भाभी चिल्लाने लगी: “मां मर गई।” आह, आपका बहुत मोटा हैं!
मैंने पूछा: निकालना हैं क्या?
भाभी ने दर्द से तड़फकर कहा, “नहीं पेल दो धीरे-धीरे।” कुछ समय बाद सही होगा।
मैं धीरे-धीरे उनकी चुदाई करने लगा।
वे काफी समय बाद अपनी चूत मरवा रही थीं, लेकिन उन्होंने कभी इतने मोटे लंड को अपनी चूत में नहीं लिया था।
इससे भाभी बहुत दुखी हो गई।
भाभी की कसी हुई चूत को चोदने में भी मजा आया।
यह पहली बार था कि मैं भाभी की पतली चूत में लंड डाल रहा था।
मैं कुछ पांच से छह मिनट की चुदाई के बाद उनकी चूत में झड़ गया।
तब हम दोनों थक गए।
अब देर हो चुकी थी।
घर के सभी सदस्य वापस घर आने वाले थे।
भाभी और मेरा लंड दोबारा चुदाई करने को राजी नहीं थे क्योंकि मेरी गांड भी फट रही थी।
दुबारा लंड खड़ा करने में समय लग रहा था, लेकिन भाभी ने फिर से लंड चूसने की इच्छा नहीं व्यक्त की।
जब खेल खत्म हो गया, हम दोनों अपने कपड़े बदलकर बाहर निकल गए।
हमारी कल्पना सही निकली।
बीस मिनट बाद सभी लोग घर पहुंचे।
मेरी सबसे महत्वपूर्ण बात
उधर भाभी और उनकी ननद भोजन करने लगी थीं।
जब खाने का समय आया, सबने खाना खाया।
फूफा बाहर से दारू और चिकन लेकर आये थे। भाभी ने चिकन बनाया।
बुबा फूफा सब कुछ पीते और खाते थे।
मैंने भी चिकन की टांग पकड़ी और दो पैग गटक गया।
दारू तेजी से बोलने लगी।
अब सोने का समय आ गया।
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तब भाभी ने बुआ से कहा कि उनका तीन साल का लड़का उनके साथ था, इसलिए मुझे अपने कमरे में सोने को कहा।
बुआ ने हां कहा।
वे भी नशे में थी और शायद फूफा को सवारी करवाने की इच्छा में थी।
दीदी ऊपर सो गईं।
मैं अपनी भाभी के कमरे में सोने चला गया।
लड़के को सुलाकर भाभी ने बेड के किनारे एक ओर लेटा दिया।
अब हम एक दूसरे को किस करने लगे।
मैंने उनके होंठ चूसने लगा।
वे मुझे भी भूखी शेरनी की तरह चूस रही थी।
हम दोनों ने एक दूसरे के होंठों को प्यार से चुसाया।
फिर भाभी धीरे-धीरे मेरे लिंग को सहलाने लगी।
मेरा मोटा, साढ़े सात इंच लंबा और एकदम खड़ा लंड था।
मैं उनके दूध को पीकर दूसरे को मसल रहा था।
मैं भी उनके दोनों निप्पलों से बहुत अच्छा खेला।
अब मैंने भाभी की साड़ी और ब्लाउज उतारे।
भाभी ब्रा पैंटी में आ गईं।
मैंने उनकी पैंटी निकालकर उसे अपनी नाक में डालकर उसकी गंध को सांसों में भर लिया।
फिर मैं भाभी को किस करने लगा।
भाभी भी बहुत गर्म हो गई थीं और जल्दी से चुदाई कर रही थीं।
जब उनसे रहा नहीं गया, वे मेरे लिंग को अपनी चूत में डालने लगीं।
मैं भी उन्हें चोदना शुरू कर दिया।
वे सिहर गईं जब मैंने एक बार में लंड को अंदर डाला।
लंड ने चूत में कुछ ही झटकों में जगह बना ली और चूत ने भी रस छोड़कर लंड से प्यार करना शुरू कर दिया।
मैं अब भाभी की चूत को चोदने लगा।
वे कामुक भाषा में मुझे तेजी से चोदने के लिए उकसा थी, अपनी दोनों टांगें हवा में उठाकर।
भाभी, आह जान, जानेमन, राजा जी, तेज चोद दो आह।
वे यह सब कहकर मुझे उत्तेजित कर रही थीं और अपनी गांड उठा उठा कर चुदवा रही थीं।
भाभी बहुत उत्साहित थीं।
लगभग दो घंटे तक चोदने के बाद मैं भाभी की चूत में ही झड़ गया।
इस बीच, भाभी दो बार झड़ चुकी थीं।
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उस रात मैंने भाभी को चार बार चोदा।
हम दोनों ने पूरी रात सेक्स किया।
मैं चार दिन तक उनके घर रहा।
मैं भाभी को हर अवसर पर चुदाई करता था।
एक दिन मैंने उन्हें बाइक पर बैठाकर शौपिंग भी कराई।
एक दिन भाभी को पीहर में कुछ काम था,भाभी मुझे वहां भी ले गयी और शाम को बुआ घर आ गया।
हर दिन मैं उनके कमरे में सोता था।
भाभी ने बुआ से इसके बारे में कहा था।
बुआ भी इससे खुश नहीं था।
4 दिनों में हर रोज बुआ के खेत में जाने के बाद हम दो बार और रात में तीन बार चुदाई करते थे, यानि पूरे दिन – रात चुदाई करते थे।
फिर मैं घर आ गया क्योंकि कुछ काम था।
तब से, हर बार जब मैं भाभी के घर जाता, देसी भाभी देवर की चुदाई करती रहती थी।
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कभी-कभी रात में भी रहता था, और कभी-कभी दिन में ही वापस आता था।
हमारा घर बुआ के घर से कुछ ही किलोमीटर दूर था।
मैं इस तरह भाभी से अच्छी तरह चुदाई की।
मैं इंटर के बाद पढ़ने के लिए बाहर आ गया हूँ, इसलिए मैं अब भाभी की चुदाई नहीं कर सकता।
पढ़ाई के बाद मेरा काम भी शुरू हो गया, जिससे मैं अब अधिकांश समय बाहर रहता हूँ. इसलिए मुझे भाभी से चुदाई करने का मौका नहीं मिलता।
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