रात का सन्नाटा था, लेकिन मेरे मन और शरीर में एक तूफान सा मचा हुआ था। रमेश के पास लेटे हुए मैंने छत की ओर देखा और गहरी सांस ली। आज फिर वही हुआ था – रमेश चुदाई के बीच में ही जल्दी झड़ गया, और मैं अधूरी रह गई। ये कोई नई बात नहीं थी, लेकिन इस बार मेरा शरीर मानो ज्यादा ही गर्म था। दिल में कुछ अजीब सा खिंचाव महसूस हो रहा था।
पलंग के उस ओर रमेश खर्राटे भर रहा था, जैसे कुछ हुआ ही न हो। मैं करवट बदलकर दीवार की तरफ मुंह करके लेट गई, लेकिन मेरी चूत में अभी भी वो कसक थी। ऐसा लगा जैसे किसी ने आग लगाकर छोड़ दिया हो।
“कब तक ये चलता रहेगा?” मैंने खुद से पूछा।
कुछ देर तक मैं इसी बेचैनी में करवटें बदलती रही। अंत में मैंने बाथरूम जाने का बहाना बनाया। चुपचाप उठकर मैंने साड़ी ठीक की और बाहर निकल गई।
जैसे ही मैं बाहर आई, ड्राइंग रूम की तरफ नजर पड़ी। संजय वहीं बैठा था, शायद रमेश और मेरी बातचीत सुन रहा था। उसकी नजरें सीधी मुझ पर टिकी हुई थीं। मैं कुछ देर के लिए ठिठक गई।
“क्या रमेश और मेरी बातों को सुन रहा था?” लेकिन उसकी आंखों में कुछ और था – कुछ ऐसा जिसे देखकर मेरी बेचैनी और बढ़ गई।
मैंने नज़रें चुराते हुए बाथरूम की ओर कदम बढ़ाए। लेकिन जैसे ही मैं उसके पास से गुजरी, संजय ने हल्के से मेरा हाथ पकड़ लिया।
“भाभी…” उसकी आवाज में एक अजीब सी गर्मी थी।
मैंने मुड़कर उसकी तरफ देखा, और मेरी सांसें तेज होने लगीं।
“क्या कर रहे हो संजय?” मैंने धीमी आवाज में कहा, लेकिन मेरा हाथ अभी भी उसके मजबूत हाथों में था।
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संजय ने धीरे से मेरा हाथ नीचे की ओर खींचा, और अचानक मेरा हाथ उसके गरम, कड़क लंड पर था। उसकी गर्मी ने मेरे पूरे बदन में बिजली सी दौड़ा दी।
मैं कुछ देर के लिए वहीं रुक गई। उसका लंड मेरे हाथ में था – लंबा, मोटा और पूरी तरह खड़ा।
मैंने अनजाने में उसे सहलाना शुरू कर दिया। उसकी सांसें भी तेज होने लगीं।
“ये तो बहुत बड़ा है…” मेरे मुंह से खुद ही निकल गया।
संजय हल्के से मुस्कुराया और बोला, “जब लंड बड़ा और मजबूत होगा, तभी मजा भी बड़ा होगा भाभी।”
मैंने हल्की मुस्कान के साथ कहा, “लगता है यही सच है, लेकिन ये तो मेरी चूत फाड़ देगा।”
संजय ने मेरी आंखों में झांकते हुए कहा, “फिकर मत करो भाभी, मैं बहुत प्यार से करूंगा।”
मैंने उसके लंड को एक बार फिर सहलाया और उसकी गर्मी महसूस की।
“मूठ मत मारना संजू भाई, मैं रमेश के सोने के बाद तुम्हारे पास आऊंगी।” ये कहते हुए मैंने उसके लंड को दबाया और अपने कमरे की ओर लौट गई।
कमरे में वापस लौटते ही रमेश ने कहा, “ये दूध में शक्कर डाला ही नहीं है, जाके शक्कर मिला के लाओ।”
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मुझे समझ में आ गया कि अब रमेश के जल्दी सोने का समय आ चुका है।
मैंने बिना कुछ कहे दूध का गिलास उठाया और किचन में चली गई।
संजय वहीं खड़ा था। उसकी नजरें मेरी हर हरकत पर टिकी हुई थीं।
मैंने इशारे से उसे किचन में बुलाया।
जैसे ही वो मेरे पास आया, मैंने धीरे से पूछा, “कोई नींद की गोली है?”
संजय ने मुस्कुराते हुए कहा, “बहुत हैं भाभी, मम्मी पहले लेती थीं।”
उसने अलमारी से दो गोलियां निकालीं और मेरी हथेली पर रख दीं।
मैंने उन गोलियों को हल्के से कुचलकर दूध में डाल दिया और चम्मच से धीरे-धीरे घोलने लगी।
संजय वहीं खड़ा होकर मुझे देख रहा था।
“अब रमेश को अच्छी नींद आएगी…” मैंने मन ही मन सोचा और चम्मच चलाते हुए संजय की तरफ देखा।
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उसकी नजरें मेरे ब्लाउज के खुले हिस्से पर अटकी हुई थीं।
“अब क्या देख रहे हो?” मैंने हल्की मुस्कान के साथ पूछा।
संजय ने बिना कुछ कहे अपना पाजामा नीचे किया और अपना लंड मेरे सामने निकाल लिया।
वो पहले से भी ज्यादा बड़ा और कड़क था।
मैंने खुद को रोक नहीं पाई।
दूध का गिलास एक तरफ रखकर मैंने उसके लंड को हाथ में ले लिया।
“बाप रे, इतना लंबा और मोटा…” मेरे मुंह से खुद ही निकल गया।
संजय ने धीरे से कहा, “आज तो तुम्हारी चूत इसी से भरेगी भाभी।”
मैंने उसके लंड को कुछ देर तक सहलाया और हल्के से चूमा।
“आज मुझे इस लंड से चुदना ही है।”
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दूध में नींद की गोलियां मिलाने के बाद मैंने गिलास उठाया और संजय के लंड को एक आखिरी बार सहलाते हुए कहा, “आज रात तुम्हारे पास आऊंगी, बस इंतजार करना।”
संजय ने हल्के से मेरे निप्पल के ऊपर उंगली फिराते हुए मुस्कुरा दिया। उसके स्पर्श से मेरे बदन में और भी सनसनी दौड़ गई। मैंने खुद को संभालते हुए कमरे की ओर कदम बढ़ाए।
रमेश वैसे ही लेटा था, आंखें आधी बंद थीं। मैंने मुस्कान दबाते हुए उसे दूध का गिलास दिया। उसने एक ही बार में सारा दूध गटक लिया और करवट लेकर सो गया।
मैंने उसकी पीठ की ओर देखते हुए मन ही मन कहा, “अब तू आराम से सो रमेश, आज तेरी बीवी की प्यास कोई और बुझाएगा।”
रमेश के खर्राटे सुनकर मुझे यकीन हो गया था कि वो अब सुबह से पहले नहीं उठने वाला। मैंने धीरे से अपना ब्लाउज और साड़ी ठीक की, लेकिन पेटीकोट उतार दिया। मेरी चूत अब भी गरम हो रही थी और मैं उसे रोकना नहीं चाहती थी।
मैंने हल्के कदमों से संजय के कमरे की तरफ बढ़ना शुरू किया। जैसे ही मैंने दरवाजा खोला, संजय नंगा बिस्तर पर लेटा मेरा इंतजार कर रहा था। उसका लंड हाथ में था और वो धीरे-धीरे उसे सहला रहा था।
मुझे देखते ही उसने उठकर मुझे अपनी ओर खींच लिया।
“भाभी, बहुत इंतजार कराया आपने…” उसने फुसफुसाते हुए कहा और मेरी गर्दन को चूम लिया।
“अब और नहीं… आज पूरी रात तेरी हूं संजू।”
मैंने धीरे-धीरे अपना ब्लाउज खोल दिया। उसके हाथों ने मेरी कमर को कसकर पकड़ लिया। वो मेरी ब्रा के ऊपर से चुचियों को मसलने लगा। मैंने आंखें बंद कर लीं और उसके हर स्पर्श को महसूस करने लगी।
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संजय ने धीरे से मेरे ब्लाउज के हुक खोले और मेरी ब्रा नीचे खिसका दी। मेरे चुचियों की निप्पल तुरंत उसके मुंह में थी। वो उन्हें हल्के-हल्के चूसने लगा।
“संजू… धीरे, रमेश को जगाना मत…” मैंने दबे स्वर में कहा, लेकिन मेरे अंदर की गर्मी बढ़ती जा रही थी।
उसने मेरी साड़ी नीचे कर दी। मैं अब सिर्फ अपने चूत के बालों के साथ उसके सामने खड़ी थी। संजय ने मुझे बिस्तर पर खींच लिया और मेरे ऊपर चढ़ गया।
“भाभी, तुम्हारी चूत इतनी गरम है…” उसने फुसफुसाते हुए कहा और अपनी उंगली मेरे चूत में डाल दी।
“आह… संजू…” मेरी कमर खुद-ब-खुद ऊपर उठ गई।
संजय अब पूरी तरह तैयार था। उसने अपनी लंड को मेरी चूत के पास रखा और धीरे-धीरे अन्दर धकेलना शुरू किया।
“संजू… धीरे… मेरी चूत फट जाएगी…” मैंने अपने नाखून उसकी पीठ में गड़ा दिए।
“भाभी, सब ठीक होगा, बस थोड़ी देर में तुम भी मजे में आ जाओगी।”
उसका आधा लंड मेरी चूत के अंदर जा चुका था, लेकिन बाकी हिस्सा फंस रहा था।
“और डालो संजू… पूरा अंदर डालो…” मैंने खुद उसकी कमर को नीचे की ओर खींचा।
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उसने एक जोर का धक्का दिया और पूरा लंड मेरी चूत में घुस गया।
“आउच… संजू…” मेरी आंखों से आंसू आ गए, लेकिन मजा भी उतना ही हो रहा था।
“भाभी, तुम्हारी चूत तो बहुत टाइट है… रमेश तुम्हें अच्छे से चोदता नहीं क्या?” उसने हंसते हुए कहा।
“वो झड़ जाता है… आधे रास्ते में ही…” मैंने हांफते हुए कहा।
अब संजय ने अपनी रफ्तार बढ़ा दी थी। हर बार जब उसका लंड मेरी चूत में जाता, मेरे बदन में करंट सा दौड़ जाता।
“संजू… अब मैं झड़ने वाली हूं…” मैंने जोर से उसकी पीठ को पकड़ लिया और अपनी चूत को कसकर दबा लिया।
“मैं भी भाभी… बस थोड़ी देर और…”
उसने और तेज धक्के मारने शुरू किए। मेरी चूत से पानी निकल रहा था और संजय का लंड भी गरम हो गया था।
“आहहह… संजू… पूरा अंदर डालो… हां…” मैंने खुद उसकी कमर को खींचकर लंड को और अंदर ले लिया।
फिर एक झटका महसूस हुआ और संजय का गरम वीर्य मेरी चूत में भर गया।
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हम दोनों हांफते हुए बिस्तर पर लेट गए। उसकी बाहें मेरे इर्द-गिर्द थीं और मैं उसके सीने पर सिर रखकर सो गई।
“अब तो मैं हर रात तुम्हारे पास ही आऊंगी संजू…” मैंने मुस्कुराते हुए कहा।
संजय ने मेरे चुचियों को फिर से सहलाना शुरू कर दिया और धीरे से बोला, “मैं तो कब से तुम्हारा इंतजार कर रहा था भाभी… बस अब हर रात तुम्हारी चूत मेरी होगी।”
“रात अभी बाकी है संजू…” मैंने उसके लंड को सहलाते हुए कहा।
उस रात हम दोनों ने एक बार और चुदाई की।
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