तीन बहनों की भैया के साथ चुदाई

मेरा नाम शोभा है। मेरी छोटी बहन सुधा और उससे छोटी अनीता। हम तीनों बहनें अपनी जवानी के चरम पर थीं, और आज मैं आपको एक ऐसी कहानी सुनाने जा रही हूँ, जो मेरे जीवन का सबसे कामुक और अविस्मरणीय अनुभव है। जब भी मैं उस रात को याद करती हूँ, मेरी चूत में गर्मी सी दौड़ने लगती है, मेरी साँसें तेज हो जाती हैं, और मन करता है कि काश वो रात फिर से लौट आए। उस रात हम तीनों बहनों ने जो मजे लिए, वो शायद ही कोई भूल सकता है। ये कहानी इतनी मस्त और हॉट है कि इसे सुनकर आप भी खो जाएँगे।

ये बात चार साल पहले की है, जब मैं 22 साल की थी, सुधा 21 और अनीता 20। हम तीनों बहनें अपनी खूबसूरती और फिगर के लिए कॉलेज में मशहूर थीं। मेरे बूब्स 34C, गोल और टाइट, सुधा के 36D, भारी और उभरे हुए, और अनीता के 34B, नाजुक लेकिन आकर्षक। हमारी गांडें गोल और रसीली थीं, और चेहरों पर ऐसी चमक कि लोग हमें मॉडल समझते। हमारा एक छोटा भाई, लल्ला, भी था, जो बिल्कुल निकम्मा था। न पढ़ाई, न काम, बस इधर-उधर भटकता रहता। लेकिन हम तीनों बहनें पढ़ाई में अब्बल थीं। कॉलेज में हमेशा टॉप करतीं। हमारा घर लखनऊ में था। माँ एक छोटी सी दुकान चलाती थीं, और पापा का एक छोटा सा बिजनेस था, जिसे वो बड़े जतन से संभालते थे।

हमारा परिवार मिलजुलकर रहता था, लेकिन माँ पुराने ख्यालों की थीं। पापा को हमेशा दबाकर रखती थीं। घर में माँ का ही राज चलता था। वो हमें फैशन के लिए महँगे और स्टाइलिश कपड़े तो देती थीं, लेकिन लड़कों से बात करने की सख्त मनाही थी। उन्हें डर था कि कहीं कोई लड़का हमें पटा न ले और भगा न ले जाए। इस वजह से वो हम पर कड़ी नजर रखती थीं। हमें बाहर जाने की आजादी कम थी, लेकिन हमारी खूबसूरती और जवानी को कोई छिपा नहीं सकता था।

अब सीधे कहानी पर आती हूँ। हमारे सामने वाले घर में एक लड़का रहता था, राहुल। उम्र करीब 22 साल। वो पढ़ाई और नौकरी के लिए लखनऊ आया था। वो शादीशुदा था, लेकिन उसकी शादी को ज्यादा समय नहीं हुआ था। उसकी बीवी गाँव में रहती थी, और वो अकेले लखनऊ में किराए के मकान में रहता था। हम उससे ज्यादा बात नहीं करते थे, बस घर में उसे ‘भैया’ कहकर बुलाते थे। वो हमें देखकर मुस्कुराता, और हम भी हल्की-फुल्की बातें कर लेते। उसकी स्माइल में कुछ तो था, जो हमें अंदर तक छू जाता था।

एक दिन अचानक उसकी बीवी गाँव से लखनऊ आ गई। वो एकदम सीधी-सादी थी, सलवार-कुर्ते में, गाँव की औरत जैसी। हम तीनों बहनों की उससे जल्दी दोस्ती हो गई। जब माँ दुकान पर जातीं और भैया नौकरी पर, हम उसकी बीवी के घर चले जाते या वो हमारे घर आ जाती। घंटों गप्पें मारते। धीरे-धीरे राहुल भैया भी हमारे घर आने लगे। माँ को वो बहुत पसंद थे। वो उन्हें ‘बेटा’ कहकर बुलाती थीं, और हम भी ‘भैया’ कहते। ऐसा ही तीन-चार महीने चला। फिर एक दिन भैया की बीवी गाँव लौट गई, क्योंकि वो प्रेग्नेंट थी। उसी दौरान माँ-पापा को सीतापुर जाना पड़ा, क्योंकि मामा जी की तबीयत बहुत खराब थी। वो बोले कि कुछ दिन लगेंगे, और हमें ठीक से रहने की हिदायत देकर चले गए।

घर में अब सिर्फ़ हम तीन बहनें और लल्ला था। लल्ला तो अपने दोस्तों के साथ दिन-रात घूमता रहता। एक शनिवार की रात मैंने राहुल भैया को खाने के लिए घर बुलाया। “भैया, आज रात हमारे साथ खाना खा लो,” मैंने फोन पर कहा। वो खुशी-खुशी मान गए। रात 9 बजे वो आए। हमने मिलकर खाना बनाया था—पनीर की सब्जी, दाल, चावल और रोटी। खाना खाने के बाद हम ड्राइंग रूम में बैठकर बातें करने लगे। शनिवार था, अगला दिन छुट्टी का, तो कोई जल्दी नहीं थी। बातचीत इतनी लंबी खिंच गई कि रात के 11 बज गए। मैंने कहा, “भैया, अब इतनी रात को कहाँ जाओगे? यहीं सो जाओ, सुबह चले जाना।” उस समय मेरे या मेरी बहनों के मन में कोई गलत ख्याल नहीं था। सुधा और अनीता अपने कमरे में सोने चली गईं। मैं और भैया ड्राइंग रूम में सोफे पर बैठकर बातें करने लगे।

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बातचीत शुरू में आम थी—कॉलेज, नौकरी, लखनऊ की जिंदगी। लेकिन धीरे-धीरे बातें पर्सनल होने लगीं। भैया ने पूछा, “शोभा, तुम इतनी खूबसूरत हो, कोई बॉयफ्रेंड नहीं बना?” मैंने शर्माते हुए कहा, “नहीं भैया, माँ तो हमें किसी लड़के से बात भी नहीं करने देतीं।” वो हँसे और बोले, “अच्छा? फिर तुम अपनी जवानी का मजा कैसे लेती हो?” उनकी इस बात में एक शरारत थी, जो मुझे अंदर तक गुदगुदा गई। मैंने हँसकर टाल दिया, लेकिन मेरे गाल लाल हो गए।

अचानक भैया मेरे करीब आए। उनकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी। मेरी धड़कनें तेज हो गईं। वो मेरे और करीब आए और मेरे गाल को धीरे से छुआ। उनकी उंगलियाँ मेरे चेहरे पर रेंग रही थीं। फिर, बिना कुछ कहे, उन्होंने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए। “आह्ह…” मेरे मुँह से हल्की सी सिसकारी निकल गई। मेरे लिए ये पहला अनुभव था। मेरे मन में हलचल मच गई। मैं चाहकर भी उन्हें रोक नहीं पाई। उनकी गर्म साँसें मेरे चेहरे पर महसूस हो रही थीं। “भैया… ये… ये क्या कर रहे हो?” मैंने धीमी आवाज में कहा, लेकिन मेरी आवाज में विरोध कम और उत्साह ज्यादा था।

वो मेरे होंठ चूसने लगे। उनकी जीभ मेरे होंठों पर खेल रही थी। मैं मदहोश हो रही थी। फिर उन्होंने मेरे बूब्स पर हाथ रखा। मेरी टी-शर्ट के ऊपर से मेरे टाइट बूब्स को धीरे-धीरे दबाने लगे। “आह्ह… भैया…” मैं सिसकारी। मेरे निप्पल्स सख्त हो गए थे। मेरे बदन में आग सी लग गई। मेरी साँसें तेज हो गईं, होंठ सूखने लगे, और मैं किसी नशे में डूब रही थी। “शोभा, तू कितनी हॉट है…” भैया ने कहा और मेरी गर्दन पर चुम्बन देने लगे। उनकी गर्म साँसें मेरी गर्दन पर महसूस हो रही थीं। मैंने जल्दी से देखा—सुधा और अनीता अपने कमरे में गहरी नींद में थीं।

भैया ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे बेडरूम में ले गए। वहाँ जाते ही उन्होंने मेरी टी-शर्ट उतार दी। मेरी काली ब्रा में मेरे बूब्स और भी उभरे हुए लग रहे थे। वो मेरी ब्रा के ऊपर से मेरे बूब्स दबाने लगे। “शोभा, तेरे बूब्स कितने मस्त हैं,” उन्होंने कहा और मेरी ब्रा खोल दी। मेरे गुलाबी निप्पल्स देखकर वो पागल से हो गए। वो मेरे निप्पल्स को उंगलियों से रगड़ने लगे, चूसने लगे। “आह्ह… ओह्ह… भैया… ये क्या… उफ्फ…” मेरी सिसकारियाँ तेज हो गईं। मेरे पूरे शरीर में करंट सा दौड़ रहा था।

फिर उन्होंने मेरी जींस खोली। मेरी काली पैंटी देखकर वो मुस्कुराए। “शोभा, तू तो पूरी चुदक्कड़ है,” उन्होंने कहा और मेरी पैंटी भी उतार दी। मैं अब पूरी नंगी थी। मेरी चूत बिल्कुल क्लीन शेव्ड थी, क्योंकि मैंने उसी दिन शेव किया था। मुझे शर्मिंदगी महसूस हो रही थी, लेकिन मेरी चूत में इतनी गर्मी थी कि मैं कुछ बोल नहीं पाई। “क्या मस्त चूत है तेरी,” भैया ने कहा और मेरी चूत को चाटने लगे। उनकी जीभ मेरी चूत के दाने को छू रही थी। “आह्ह… ओह्ह… भैया… और चाटो… उफ्फ…” मैं सिसकार रही थी। मैंने अपने पैर फैला दिए ताकि वो और अच्छे से मेरी चूत चाट सकें। मेरी चूत से पानी टपकने लगा। वो मेरे चूतड़ों को सहलाते, मेरे बूब्स दबाते, और मेरी चूत को चूसते। “उम्म… आह्ह… भैया… और… और…” मैं पागल सी हो रही थी।

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फिर उन्होंने अपने कपड़े उतारे। उनका लंड देखकर मैं दंग रह गई। 7 इंच लंबा, मोटा, और गर्म। नसें उभरी हुई थीं, और टोपा लाल हो रहा था। मैंने उसे हाथ में लिया। “भैया, ये तो बहुत बड़ा है…” मैंने शर्माते हुए कहा। “शोभा, इसे अपनी चूत में लेगी?” उन्होंने पूछा। मेरी चूत गीली थी, और मैं चाह रही थी कि वो मुझे चोदें। “हाँ भैया… मेरी चुदाई करो… मेरी चूत की आग बुझाओ…” मैंने कामुक आवाज में कहा।

उन्होंने मुझे बेड पर लिटाया। मेरे पैर फैलाए और अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ने लगे। उनका गर्म लंड मेरी चूत के दाने को छू रहा था। “आह्ह… भैया… डाल दो… प्लीज…” मैंने कहा। उन्होंने एक जोरदार धक्का मारा। “आह्ह… मम्मी… मर गई…” मैं दर्द से चीख पड़ी। मेरी चूत टाइट थी, और ये मेरा पहला अनुभव था। मेरी चूत से हल्का सा खून निकलने लगा। मैं डर गई, लेकिन भैया ने मुझे सहलाते हुए कहा, “शोभा, पहली बार ऐसा होता है। डर मत।” उन्होंने मेरे बूब्स दबाए, मेरे होंठ चूसे, और मेरी गर्दन पर चुम्बन दिए। मैं धीरे-धीरे शांत हुई।

फिर उन्होंने दूसरा धक्का मारा। इस बार उनका पूरा लंड मेरी चूत में समा गया। “आह्ह… ओह्ह… भैया… कितना मोटा है…” मैं सिसकारी। वो धीरे-धीरे धक्के मारने लगे। “चटाक… चटाक…” उनकी जाँघें मेरी चूत से टकराने की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी। “शोभा, तेरी चूत कितनी टाइट है… आह्ह…” भैया बोले। मैं भी नीचे से अपनी गांड उछाल रही थी। “भैया… और जोर से… मेरी चूत फाड़ दो…” मैंने कामुक आवाज में कहा। मेरे बाल बिखर गए, मेरी आँखें लाल हो गईं, मेरा काजल फैल गया। मेरी लिपस्टिक मेरे होंठों पर बिखर गई थी। मैं एकदम चुदक्कड़ लग रही थी।

वो मुझे अलग-अलग पोजीशन में चोदने लगे। पहले मुझे लिटाकर, फिर मुझे अपने ऊपर बिठाकर। “शोभा, ऊपर से चुद… दिखा अपनी चुदक्कड़ी…” उन्होंने कहा। मैं उनके लंड पर बैठ गई और ऊपर-नीचे होने लगी। “आह्ह… ओह्ह… भैया… कितना गहरा जा रहा है…” मेरी सिसकारियाँ तेज हो गईं। फिर उन्होंने मुझे घोड़ी बनाया। मेरी गांड ऊपर उठी थी, और वो पीछे से मेरी चूत में लंड पेल रहे थे। “चटाक… चटाक…” चुदाई की आवाज़ और मेरी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं। “आह्ह… भैया… और जोर से… मेरी चूत को रगड़ दो…” मैं चिल्ला रही थी।

करीब एक घंटे तक चुदाई चली। मैं दो बार झड़ चुकी थी। मेरी चूत से गर्म पानी टपक रहा था। आखिरकार, भैया भी मेरे ऊपर झड़ गए। उनका गर्म माल मेरे पेट पर गिरा। हम दोनों हाँफते हुए बेड पर लेट गए। मैंने अपनी पैंटी और टी-शर्ट पहनी और बाहर निकली। तभी मुझे सुधा खिड़की के पास खड़ी दिखी। उसने सब देख लिया था। “दीदी, तुमने तो मस्त मजा लिया! मुझे भी चाहिए!” उसने शरारती अंदाज में कहा। मैंने हँसते हुए कहा, “ठीक है, मैं सोने जा रही हूँ। तू जा, भैया के पास।”

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मैं अपने कमरे में सोने चली गई। सुधा भैया के पास गई। आधे घंटे बाद मैंने चुपके से खिड़की से देखा। सुधा पूरी नंगी थी। उसकी भारी चूचियाँ और मोटी गांड देखकर भैया पागल हो रहे थे। सुधा की कमर तक लंबे बाल बिखरे हुए थे। वो बेड पर लेटी थी, और भैया उसकी चूत चाट रहे थे। “आह्ह… भैया… और चाटो… मेरी चूत को चूस लो…” सुधा सिसकार रही थी। उसकी सिसकारियाँ इतनी कामुक थीं कि मैं भी गीली हो गई। फिर भैया ने उसकी चूत में लंड डाला। “चटाक… चटाक…” चुदाई की आवाज़ और सुधा की सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं। “आह्ह… भैया… मेरी चूत फाड़ दो… उफ्फ…” सुधा चिल्ला रही थी। बेड की चरमराहट और उनकी कामुक आवाज़ें माहौल को और गर्म कर रही थीं।

जब वो दोनों झड़ गए, मैं सोने चली गई। सुबह उठी तो देखा, अनीता खिड़की पर खड़ी थी। उसने सुधा और भैया को चुदते देख लिया था। “दीदी, ये क्या हो रहा है? तुम दोनों ने तो मजे ले लिए! मेरा क्या?” उसने शिकायती लहजे में कहा। मैंने कहा, “ठीक है, आज दोपहर तेरा नंबर। मैं और सुधा मार्केट जा रहे हैं। तू भैया के साथ मजे ले लेना।”

हमने प्लान बनाया। सुधा और मैं मार्केट गए। भैया घर पर ही थे। जब हम लौटे, तो अनीता भैया के साथ चुद रही थी। वो अलग-अलग पोजीशन में चुदवा रही थी। उसकी टाइट चूत और पतली कमर को देखकर भैया पागल हो रहे थे। “आह्ह… भैया… मेरी चूत में और जोर से… उफ्फ…” अनीता की सिसकारियाँ गूँज रही थीं। “चटाक… चटाक…” चुदाई की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी। अनीता के नाजुक बूब्स उछल रहे थे, और उसके बाल बिखरे हुए थे। वो चुदाई की देवी लग रही थी।

शाम को हम तीनों बहनों ने फिर प्लान बनाया। भैया ने मार्केट से टैबलेट लाकर खा ली थीं। उस रात हम तीनों ने एक साथ चुदाई की। भैया बारी-बारी से हमारी चूत चोदते रहे। “आह्ह… ओह्ह… भैया… और जोर से…” हमारी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं। बेड की चरमराहट, “चटाक… चटाक…” की आवाज़, और हमारी कामुक आवाज़ें मिलकर माहौल को और गर्म कर रही थीं। भैया ने हमें अलग-अलग पोजीशन में चोदा—कभी लिटाकर, कभी घोड़ी बनाकर, कभी अपने ऊपर बिठाकर। हम तीनों की चूतें उनकी चुदाई से तृप्त हो गईं।

आज भी वो रात याद आती है, तो मेरी चूत गीली हो जाती है। पिछले साल मेरी शादी हो गई, लेकिन मेरा पति मुझे वैसा मजा नहीं दे पाता। भैया की चुदाई आज भी मेरे ख्वाबों में आती है।

आपको हमारी ये कहानी कैसी लगी? क्या आपने भी कभी ऐसी चुदाई का मजा लिया है? कमेंट में जरूर बताएँ!

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