शाबाश भैया और जोर से चोदो मुझे

मेरा नाम गिरीश चंद्रा है। मैं 28 साल का हूँ, कद 5 फीट 11 इंच, कसरती जिस्म, चौड़ा सीना, और गहरी भूरी आँखें जो मेरे चेहरे को एक आकर्षक तेज देती हैं। मैं एक प्राइवेट कंपनी में मैनेजर के तौर पर काम करता हूँ। मेरी त्वचा सांवली है, लेकिन जिम में घंटों पसीना बहाने की वजह से मेरा शरीर तराशा हुआ है। जिस कंपनी में मैं काम करता हूँ, उसकी मालकिन मिस सक्सेना हैं, 42 साल की एक प्रभावशाली औरत, जिनका हुस्न अभी भी जवानी की गवाही देता है। उनकी त्वचा गोरी, बाल काले और घने, और कद 5 फीट 6 इंच है। उनके पति का देहांत कई साल पहले हो चुका है। उनके दो बच्चे हैं—बेटा माधव, 24 साल का, और बेटी श्रृष्टि, 21 साल की। माधव मेरा दोस्त है, स्लिम, बहुत गोरा, गुलाबी होंठ, भूरे बाल, कद 5 फीट 7 इंच, और उसकी गांड इतनी उभरी हुई कि मेरे दोस्त अक्सर मज़ाक में कहते हैं, “माधव को लड़की होना चाहिए था।” श्रृष्टि स्लिम, सेक्सी, 5 फीट 4 इंच, भूरी आँखें, भूरे बाल, 34 साइज़ की चूचियाँ, और कसी हुई गांड। उसका चेहरा इतना खूबसूरत है कि कोई भी उसका दीवाना हो जाए।

मैं सक्सेना परिवार का करीबी हूँ। मिस सक्सेना मुझे अपने बेटे जैसा मानती हैं। मेरी माँ, 50 साल की, स्कूल टीचर हैं, गोरी, सौम्य चेहरा, और मेरे पिताजी का देहांत 10 साल पहले हो गया। मेरी दीदी रागिनी, 25 साल की, कॉलेज में पढ़ती है। वो 5 फीट 5 इंच की, 36-24-36 का फिगर, गोरा रंग, कटीली आँखें, और इतनी सेक्सी कि कॉलेज में लड़के उसकी वजह से आपस में भिड़ जाते हैं। वो अक्सर टाइट जीन्स और टॉप पहनती है, जिसमें उसकी चूचियों का उभार और गांड की गोलाई साफ दिखती है। भले ही वो मेरी बहन है, लेकिन उसका हुस्न मुझे बार-बार खींचता है।

एक बार मैं घर पर था। रागिनी अपने कमरे में कपड़े बदल रही थी। उसने दरवाजा लॉक करना भूल गया। मैं अनजाने में अंदर घुस गया। वो सिर्फ़ काले रंग की ब्रा और पैंटी में थी, जो उसकी गोरी त्वचा पर चमक रही थी। उसकी लंबी टांगें, कसरती जांघें, और सपाट पेट देखकर मेरा 9 इंच का मोटा लंड पैंट में तन गया। उसने फटाफट अपनी ब्रा को ठीक किया और चिल्लाई, “गिरीश, बाहर निकल!” मैं माफी मांगकर बाहर भागा, लेकिन उसका वो जिस्म मेरे दिमाग में अटक गया। उस रात मैंने बाथरूम में उसकी तस्वीर सोचकर मुठ मारी, और मन में एक अजीब सी उत्तेजना थी।

रागिनी का जन्मदिन था। मैं सक्सेना परिवार को न्योता देने गया। श्रृष्टि घर के लॉन में टाइट ब्लैक ड्रेस में थी, जो उसके जिस्म को और निखार रही थी। उसने मुझे देखकर मुस्कुराया और गले लगाया। उसकी चूचियाँ मेरे सीने से टकराईं, और मैंने खुद को संभाला। वो बोली, “गिरीश भैया, दीदी का बर्थडे है, मैं जरूर आऊँगी।” उसकी आवाज में एक नजाकत थी। मिस सक्सेना ने कहा, “बेटा, मैं तो व्यस्त हूँ, लेकिन माधव और श्रृष्टि जरूर जाएंगे।” मैंने शुक्रिया कहा और चला गया।

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जन्मदिन पर माधव रागिनी को देखकर पागल हो गया। रागिनी ने लाल रंग की टाइट ड्रेस पहनी थी, जिसमें उसकी चूचियाँ और गांड उभर रही थीं। श्रृष्टि ने माधव को कुछ कहा, और माधव मेरे पास आया। वो बोला, “गिरीश, तेरी बहन बहुत मस्त है। मैं उसे अपनी बीवी बनाना चाहता हूँ। तू मुझे जीजा बना ले। मैं उसे हर सुख दूँगा।” माधव अमीर, सुंदर, और ईमानदार था। मैंने माँ से बात की, वो तुरंत मान गई। फिर मिस सक्सेना ने मुझे ऑफिस में बुलाया। वो नीली साड़ी में थीं, जिसमें उनका फिगर और भी आकर्षक लग रहा था। वो बोलीं, “गिरीश, मुझे कोई ऐतराज नहीं। लेकिन बाद में मुझे दोष मत देना।” मैंने कहा, “आंटी, आप चिंता न करें।” शादी की तैयारियाँ शुरू हो गईं।

शादी की शॉपिंग में श्रृष्टि मेरे करीब आई। वो टाइट जीन्स और सफेद टॉप में थी। कभी मेरे कंधे पर हाथ रखती, कभी हंसते हुए मेरे सीने पर हल्का धक्का देती। एक बार तो उसने मुझे गले लगाया, और उसकी चूचियाँ मेरे सीने से दब गईं। मेरे लंड में हलचल हुई, लेकिन मैंने खुद को रोका। मुझे लगा वो मेरे साथ चक्कर चलाना चाहती है। मैं भी उसकी जवानी का दीवाना था।

शादी हो गई। रागिनी ने लाल लहंगा पहना था, जिसमें वो किसी दुल्हन से कम नहीं लग रही थी। लेकिन कुछ दिन बाद जब वो हमारे घर आई, उसने वही लाल ड्रेस पहनी थी, जो अब ढीली लग रही थी। उसका चेहरा उदास था। मेरा दोस्त रमेश बोला, “गिरीश, रागिनी दीदी खुश नहीं लगती। शादी के बाद औरत को अच्छी चुदाई मिले, तो उसका चेहरा खिल जाता है। कहीं माधव के लंड में कमी तो नहीं?” मैं गुस्से में बोला, “चुप कर, रमेश!” लेकिन उसकी बात मेरे दिमाग में अटक गई।

अगले दिन मैं माधव से मिलने गोदाम गया। चौकीदार ने कहा, “साहब, आप साले हो, अंदर जाओ।” गोदाम खाली था, लेकिन एक कमरे से आवाजें आईं, “आहह, मनीष भाई, जोर से चोदो! मेरी गांड को फाड़ दो! ओह्ह, क्या लंड है!” ये माधव की आवाज थी। मनीष, हमारा ड्राइवर, 30 साल का, 6 फीट का मर्द, उसे चोद रहा था। मैंने दरवाजे की झिरी से देखा। माधव नंगा, घुटनों पर था, उसकी गोरी गांड ऊपर उठी थी। मनीष का 7 इंच का मोटा लंड उसकी गांड में धपाधप पेल रहा था। मनीष बोला, “मालिक, आपकी गांड जन्नत है। मेरी बीवी भी ऐसी गांड नहीं देती।” माधव सिसकते हुए बोला, “मनीष, मैंने रागिनी से शादी करके गलती की। मुझे तो तेरे जैसे मर्द का लंड चाहिए।” मैं गुस्से से कांपने लगा।

मैं मिस सक्सेना के पास गया। वो सफेद साड़ी में थीं। मैं चिल्लाया, “आंटी, माधव गांडू है! वो मनीष से गांड मरवा रहा है। रागिनी की जिंदगी बर्बाद हो गई!” वो मुझे गले लगाकर बोलीं, “गिरीश, मैंने कहा था न, मुझे दोष मत देना। माधव के पिता भी कमजोर थे। मुझे नहीं पता था कि माधव को ये बीमारी है। मैं रागिनी का दुख नहीं होने दूँगी। श्रृष्टि तुझसे शादी करना चाहती है। मैं सब ठीक कर दूँगी।”

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उसी रात माधव ने मुझे बार में बुलाया। वो काली शर्ट और जीन्स में था। दो पेग व्हिस्की के बाद बोला, “गिरीश, तुझे मेरे शौक का पता चल गया। मेरे लंड में दम नहीं। लेकिन सुन, रागिनी की चुदाई तो होगी। अगर मैं नहीं करूँगा, तो कोई और करेगा। किसी गैर से चुदवाने से इज्जत जाएगी। तू रागिनी की चुदाई कर ले। तुम भाई-बहन पर शक नहीं होगा। मैं तुझे मनाली की कोठी की चाबी दूँगा। तुझे उसका मजा मिलेगा, और रागिनी माँ बनेगी। मैं बाप कहलाऊँगा।” मैंने कहा, “वो मेरी बहन है!” वो बोला, “तो क्या, उसे किसी गैर से चुदने दें? कल हम मनाली जाएंगे। मैं चोदने की कोशिश करूँगा। जब नहीं होगा, तो वो गाली देगी। तू आ जाना।”

अगले दिन हम मनाली गए। रागिनी ने नीली जीन्स और काला टॉप पहना था। माधव बार-बार उसके जिस्म पर हाथ फेर रहा था। दोपहर को हमने शराब पी। माधव रागिनी से सेक्सी बातें करने लगा, “रानी, आज रात तुझे चोदकर तारों पे ले जाऊँगा।” रागिनी का चेहरा लाल हो गया। मनाली पहुँचकर माधव बोला, “गिरीश, तू पास वाले कमरे में सो जा। मैं अपनी बीवी को चोदता हूँ।” रागिनी शर्म से झुकी, लेकिन उसकी आँखों में हल्की चमक थी। शराब की वजह से माधव का लंड नहीं खड़ा हुआ। रागिनी गुस्से में चिल्लाई, “माधव, बहनचोद! लंड में दम नहीं, तो शादी क्यों की? मेरी चूत जल रही है! नपुंसक!” माधव शर्मिंदा होकर बाहर निकला और बोला, “5 मिनट बाद जा। तेरा काम हो जाएगा।”

5 मिनट बाद मैं रागिनी के कमरे में गया। वो नंगी पलंग पर थी, सिर्फ़ काली पैंटी में। उसकी जांघें फैली थीं, और वो अपनी चूत में उंगली कर रही थी। उसकी शेव की हुई चूत से पानी टपक रहा था। उसकी चूचियाँ हिल रही थीं। वो कामदेवी लग रही थी। मैंने हिम्मत की और उसके पास गया। मेरी जीन्स में लंड तन रहा था। मैंने उसकी जांघों पर हाथ फेरा। उसने आँखें खोलीं और चिल्लाई, “गिरीश, ये क्या कर रहे हो? निकल जाओ!” मैंने उसकी चूचियों को दबाया और बोला, “दीदी, तुझे प्यासी कैसे छोड़ दूँ? जीजा नपुंसक है। भाई का फर्ज है कि बहन की चूत की आग बुझाए।” वो चुप हो गई, उसकी सांसें तेज थीं। मैंने अपनी जीन्स और शर्ट उतारी। मेरा 9 इंच का लंड काली झांटों में फुंकार रहा था। मैंने कहा, “देख, तेरा भाई का लंड मस्त है। तेरी चूत इसे चाहती है।”

रागिनी की आँखों में वासना थी, लेकिन वो बोली, “गिरीश, ये गलत है।” मैंने कहा, “गलत वो है जो तेरी जवानी बर्बाद कर रहा है।” मैंने उसकी पैंटी उतारी। उसकी चूत गीली थी। मैंने दरवाजा बंद करने की कोशिश की, लेकिन वो बोली, “खुला रहने दे। मेरा नपुंसक पति देख ले कि मर्द क्या होता है। आ, मेरी सील तोड़ दे। मुझे अपनी औरत बना।” मैं जोश में आ गया। मैंने उसके होंठ चूमे, उसकी जीभ को चूसा। उसका नंगा जिस्म मेरे जिस्म से टकरा रहा था। वो मेरे लंड को पकड़े थी। मैंने कहा, “दीदी, लंड चूस लिया?” वो बोली, “पहली बार है, लेकिन अपने भैया का लंड चूसूँगी।” उसने मेरे लंड का टोपा चूमा, फिर उसे मुँह में लिया। मैंने उसके बाल पकड़े और कमर हिलाई। वो “म्म्म” की आवाजें निकाल रही थी।

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मैंने उसे लिटाया और 69 पोजीशन में आ गए। मेरा मुँह उसकी चूत पर था। मैंने उसकी चूत चाटी, उसका रस नमकीन था। वो “आहह, भैया!” चिल्लाई। उसकी चूत फड़फड़ा रही थी। मैंने कहा, “चुदाई शुरू करें?” वो बोली, “हाँ, भैया! पेल दे! मेरी चूत तेरे लंड के लिए तरस रही है।” मैंने उसकी चूत की फांकों को फैलाया और लंड टिकाया। एक धक्के में टोपा घुसा। वो चिल्लाई, “आहह, धीरे! मर गई!” मैंने धीरे से लंड आगे बढ़ाया। उसकी चूत की गर्माहट मेरे लंड को लपेट रही थी। मैंने उसकी गांड थामी और धीरे-धीरे पेला। “फच-फच” की आवाजें कमरे में गूँज रही थीं। वो सिसक रही थी, “आहह, भैया, धीरे!” आधा लंड घुसने पर वो अपनी गांड उठाने लगी। मैंने और जोर लगाया। 5 मिनट में मेरा पूरा लंड उसकी चूत में था। मैंने कहा, “रागिनी, तेरी चूत जन्नत है।” वो बोली, “भैया, अब चोद! मुझे मस्ती चाहिए।”

मैंने जोर-जोर से धक्के मारे। कमरा “फच-फच-फच” की आवाजों से भर गया। वो चिल्ला रही थी, “आहह, भैया! और जोर से! मेरी चूत फाड़ दे!” मैंने उसकी चूचियाँ दबाईं, उसके निप्पल चूसे। वो “ओह्ह्ह, भैया! चूस ले!” कह रही थी। हमारे जिस्म पसीने से चिपक रहे थे। मैंने उसकी टांगें कंधों पर रखीं और और गहराई में पेला। वो “आआआ, भैया! मर गई!” चिल्ला रही थी। मैंने कहा, “रागिनी, तू मेरी रानी है।” वो बोली, “हाँ, भैया! मुझे रोज चोद! मुझे तेरे बच्चे की माँ बना!” 10 मिनट की चुदाई के बाद वो झड़ गई, उसकी चूत ने मेरे लंड को निचोड़ा। मैं भी झड़ गया, उसकी चूत में गर्म वीर्य भर दिया। वो संतुष्ट होकर लेट गई। अब हम रोज चुदाई करते हैं, और वो मेरी रानी है।

आपको ये भाई-बहन की इन्सेस्ट सेक्स कहानी कैसी लगी? अपने विचार कमेंट में जरूर बताएं।

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