हाय दोस्तों, मेरा नाम है रोशन, और आज मैं तुम्हें अपनी जिंदगी की एक ऐसी चुदाई की कहानी सुनाने जा रहा हूँ, जो मेरे दिलो-दिमाग में हमेशा ताजा रहेगी। मैं दिल्ली में रहता हूँ, और मेरी शादीशुदा जिंदगी ठीक-ठाक चल रही है। मैंने अपनी जिंदगी में कई लड़कियों, भाभियों, और यहाँ तक कि आंटियों को भी पेला है। जब भी मौका मिलता है, मैं अपने लंड का ऐसा इस्तेमाल करता हूँ कि सामने वाला तृप्त हो जाए। मेरी बीवी की एक सहेली है, नीता, जिसकी बात आज मैं तुमसे करूँगा। यार, क्या माल है वो! उसकी पर्सनालिटी, उसका स्टाइल, उसकी चाल—सब कुछ ऐसा कि मेरा लंड उसे देखते ही सलामी देने लगता है। मैंने उसकी याद में ना जाने कितनी बार मुठ मारी। लेकिन एक दिन ऐसा आया, जब मेरी तमन्ना पूरी हो गई, और मैंने नीता की चूत की ऐसी चुदाई की कि वो भी मेरे लंड की दीवानी हो गई। चलो, अब मैं तुम्हें पूरी कहानी विस्तार से सुनाता हूँ।
मैं दिल्ली के एक अच्छे मोहल्ले में रहता हूँ। मेरा घर छोटा-मोटा है, लेकिन एसी और सारी सुख-सुविधाएँ हैं। नीता मेरी बीवी की पुरानी दोस्त है, और वो अक्सर हमारे घर आती-जाती रहती है। नीता की शादी रमेश नाम के एक लड़के से हुई है, जो प्यार में तो ठीक था, लेकिन कमाई के मामले में ज्यादा कुछ करता नहीं। इस वजह से नीता और रमेश का अक्सर झगड़ा होता रहता था। नीता अपनी सारी बातें मेरे साथ शेयर करती थी, क्योंकि मेरी उससे अच्छी बनती थी। वो जब भी घर आती, मुझसे गले मिलती, और यार, उसकी बड़ी-बड़ी चूचियाँ मेरे सीने से टकरातीं, तो ऐसा लगता जैसे मैं सातवें आसमान पर हूँ। उसकी गोल-मटोल गांड, जब वो चलती थी, तो ऐसे मटकती थी जैसे कोई मोरनी नाच रही हो। उसकी गोरी-चिट्टी स्किन, लंबा कद, और भरा-पुरा बदन—सब कुछ ऐसा कि कोई भी उसका दीवाना हो जाए। मैं तो बस मौके की तलाश में रहता था कि कब नीता को चोदने का मौका मिले।
एक दिन की बात है, मेरी बीवी कहीं बाहर गई थी। वो किसी रिश्तेदार के यहाँ थी और दोपहर तीन बजे तक लौटने वाली थी। मेरा उस दिन ऑफिस का छुट्टी थी, तो मैं घर पर ही आराम कर रहा था। सुबह के करीब ग्यारह बजे होंगे, जब अचानक डोरबेल बजी। मैंने सोचा, कौन होगा? जाकर दरवाजा खोला, तो सामने नीता खड़ी थी। मैं तो देखते ही चौंक गया। उसने टाइट जींस और लाल रंग का टॉप पहना था, जिसमें उसकी चूचियाँ साफ उभर रही थीं। मैंने कहा, “अरे नीता, तू? अचानक कैसे?” वो हँसते हुए बोली, “रमेश मुझे नीचे छोड़कर गया है। उसका ऑफिस में कुछ जरूरी काम आ गया, तो वो शाम को आएगा। दीदी घर पर नहीं हैं क्या?” मैंने कहा, “नहीं यार, वो तो बाहर गई हैं, तीन बजे तक आएगी।” नीता ने मुँह बनाया और बोली, “ओह्ह नो, अभी तो सिर्फ ग्यारह बजे हैं। अब मैं क्या करूँ?” मैंने उसे अंदर बुलाया, “कोई बात नहीं, आ जा, अंदर आ।”
वो अंदर आई, और हमेशा की तरह मुझसे गले मिली। लेकिन इस बार, क्योंकि बीवी घर पर नहीं थी, मैं थोड़ा ज्यादा उत्साहित था। उसकी चूचियाँ मेरे सीने से लगीं, तो मेरा लंड तुरंत टाइट होने लगा। मैंने उसे थोड़ा ज्यादा देर तक गले लगाए रखा, और फिर हिम्मत करके उसके माथे को चूम लिया। नीता थोड़ा शरमाई, और बोली, “ये क्या, दीदी कुछ सोचेगी तो? तू भी अकेला, मैं भी अकेली।” मैंने हँसते हुए कहा, “अरे, अगर तू कहे तो अभी बीवी को फोन कर दूँ?” वो जल्दी से बोली, “नहीं-नहीं, ऐसा मत कर। वो तीन बजे आएगी, तो ढाई बजे फोन करना, बोलना नीता आई है।” फिर उसने मुझसे कहा, “वैसे, मैंने रमेश से झूठ बोला था। वो तो जयपुर गया है, मैं ऑटो से आई हूँ।”
ये सुनकर तो मेरी खुशी का ठिकाना ना रहा। मैंने फिर से नीता को गले लगाया, और इस बार उसने भी मेरे माथे को चूम लिया। माहौल गर्म होने लगा था। नीता ने कहा, “रोशन, मुझे भूख लगी है।” मैंने तुरंत डोमिनोज को फोन किया और पिज्जा ऑर्डर कर दिया। आधे घंटे में पिज्जा आ गया। हमने खाना खाया और फिर मेरे एसी वाले कमरे में जाकर आराम करने लगे। मैं कुर्सी पर बैठा था, और नीता बिस्तर पर लेट गई थी। उसने मुझे बुलाया, “रोशन, इधर आ, यहाँ लेट।” मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। मैं बिस्तर पर गया और उसके पास लेट गया।
हम इधर-उधर की बातें करने लगे, लेकिन मेरा ध्यान बार-बार उसकी चूचियों पर जा रहा था। मैंने धीरे से अपना हाथ उसकी चूची पर रख दिया। वो कुछ नहीं बोली, बस मुझे सेक्सी नजरों से देखने लगी। मैंने हौले-हौले उसकी चूची को सहलाना शुरू किया। नीता को भी मजा आने लगा। वो मेरी तरफ देखकर मुस्कुराई, और मैंने मौका देखकर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। फिर क्या था, मैंने एक टांग उस पर चढ़ाई और उसकी चूची को जोर-जोर से दबाने लगा। एक हाथ उसके सिर पर था, और मैं उसके होंठों को चूस रहा था। उसकी गर्म-गर्म साँसें मेरे चेहरे पर लग रही थीं। मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया और उसके ऊपर चढ़ गया। मैंने अपने लंड को उसकी चूत के ऊपर रगड़ना शुरू किया। अभी कपड़े नहीं उतरे थे, लेकिन उसकी चूत की गर्मी मुझे साफ महसूस हो रही थी।
नीता ने अपने पैरों को मेरी कमर के चारों ओर लपेट लिया और अपने हाथों से मेरे बालों को सहलाने लगी। वो अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल रही थी और बीच-बीच में “आह्ह… उफ्फ्फ…” की आवाजें निकाल रही थी। मैंने देखा कि अब वो पूरी तरह गर्म हो चुकी है। मैं उठा और अपनी टी-शर्ट उतार दी। फिर मैंने नीता से कहा, “अपना टॉप उतार दे।” वो थोड़ा हिचकिचाई और बोली, “रोशन, ये सब बात किसी को मत बताना। मेरी कसम खा, वरना अगर बीवी को या रमेश को पता चला, तो क्या होगा?” मैंने कहा, “नीता, तेरी कसम, मैं किसी को कुछ नहीं बताऊँगा। तू भरोसा कर।”
उसने अपना लाल टॉप उतार दिया। उसकी बड़ी-बड़ी चूचियाँ काले रंग की ब्रा में कैद थीं। मैंने पीछे से ब्रा का हुक खोला, और उसकी चूचियाँ आजाद हो गईं। यार, क्या मस्त चूचियाँ थीं—गोरी, टाइट, और बड़े-बड़े निप्पल। मैंने तुरंत एक चूची मुँह में ले ली और चूसने लगा। निप्पल को दाँतों से हल्का-हल्का काटा, तो नीता “उफ्फ… आह्ह… उफ्फ…” करने लगी। मैं दूसरी चूची को हाथ से मसल रहा था, और नीता की सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं।
फिर मैंने उसकी जींस का बटन खोला और उसे नीचे खींच दिया। उसने काले रंग की पैंटी पहनी थी, जो उसकी गोरी जाँघों पर गजब ढा रही थी। मैंने पैंटी के ऊपर से उसकी चूत को सूँघा। ओह्ह, क्या मादक खुशबू थी! मैंने पैंटी उतार दी, और नीता की चूत मेरे सामने थी—क्लीन शेव, गुलाबी, और पहले से ही गीली। मैंने उसके दोनों पैर फैलाए और उसकी चूत पर उंगली फिराई। वो उछल पड़ी और बोली, “आह्ह… रोशन, क्या कर रहा है!” मैंने उसकी चूत में एक उंगली डाली, और वो “आह्ह्ह… उफ्फ्फ…” करते हुए तड़पने लगी। उसकी चूत इतनी गर्म थी कि मेरा लंड फटने को तैयार था। मैंने उंगली को तेजी से अंदर-बाहर करना शुरू किया, और नीता अपनी गांड उठा-उठाकर मजे लेने लगी। वो अपने हाथों से अपनी चूचियों को जोर-जोर से दबा रही थी।
अचानक नीता ने कहा, “रोशन, अब और मत तड़पाओ। मुझे चोद दो। मैं बहुत प्यासी हूँ। रमेश मुझे संतुष्ट नहीं कर पाता। मैं आज इसलिए तेरे पास आई हूँ, ताकि तू मेरी चूत की आग बुझा दे।” ये सुनकर मेरा जोश और बढ़ गया। मैंने अपना पैंट उतारा, और मेरा 9 इंच का लंड बाहर आ गया। नीता ने उसे देखा और बोली, “हाय, इतना बड़ा! आज तो मेरी चूत फट जाएगी।” मैंने उसके पैर ऊपर किए, उसकी चूत पर लंड रगड़ा, और एक ही झटके में पूरा लंड अंदर पेल दिया। नीता की चीख निकल गई, “हायyyyyy… मर गई… आह्ह्ह!” वो अपनी गांड उठा-उठाकर चुदवाने लगी। मैंने धक्के मारने शुरू किए, और कमरे में “थप-थप” की आवाज गूँजने लगी।
नीता की चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड हर धक्के में और सख्त हो रहा था। मैंने उसे कभी डॉगी स्टाइल में चोदा, तो कभी खड़े-खड़े। एक बार वो मेरे ऊपर चढ़ गई और अपनी गांड को मेरे लंड पर जोर-जोर से पटकने लगी। उसकी चूचियाँ उछल रही थीं, और वो “आह्ह… चोदो… और जोर से… मेरी चूत फाड़ दो…” चिल्ला रही थी। मैंने उसकी गांड पर दो-तीन चपत लगाई, और वो और जोश में आ गई। करीब एक घंटे तक हमने अलग-अलग पोजीशन में चुदाई की। नीता बार-बार झड़ रही थी, और उसकी चूत का पानी मेरे लंड को और चिकना कर रहा था।
आखिर में, जब मेरा निकलने वाला था, नीता ने कहा, “रोशन, मेरी चूत में मत झड़ना। मेरे पास कंडोम नहीं है।” मैंने कहा, “तो क्या करूँ?” वो बोली, “मेरे मुँह में डाल दे।” मैंने अपना लंड उसकी चूत से निकाला और उसके मुँह में दे दिया। नीता ने मेरे लंड को ऐसे चूसा जैसे कोई पॉर्नस्टार हो। वो मेरे टट्टों को सहलाती रही, और आखिर में मैंने अपना सारा माल उसके मुँह में डाल दिया। नीता ने उसे पूरा पी लिया और हँसते हुए बोली, “रोशन, तू तो कमाल का चोदू है।”
चुदाई के बाद हम दोनों थककर एक-दूसरे से लिपटकर सो गए। आधे घंटे बाद उठे, और फिर प्लान के मुताबिक ढाई बजे मैंने बीवी को फोन किया, “नीता आई है।” बीवी बोली, “मैं दस मिनट में पहुँच रही हूँ।” उस दिन के बाद नीता और मेरी चुदाई का सिलसिला चल पड़ा। वो जब भी मौका मिलता, मेरे पास चुदवाने आती। कभी मेरे घर, कभी किसी होटल में, हमने खूब मजे किए। नीता कहती है कि मेरा लंड उसे जन्नत की सैर करवाता है, और मैं उसकी चूत का ऐसा दीवाना हूँ कि हर बार उसे चोदने में नया मजा आता है।