ससुर जी ने मुझे अपने पहलवान दोस्त से चुदवाया

मेरी जिंदगी की कहानी ऐसी है कि सुनकर शायद आप भी सोच में पड़ जाएं। मैं, रानी, कभी गांव की सबसे चुलबुली लड़की थी। टिकटॉक पर डांस के वीडियो बनाती थी, यूट्यूब पर अपनी छोटी-छोटी खुशियां बांटती थी। हंसी-खेल में दिन गुजरते थे, लेकिन दो साल पहले शादी ने सब कुछ बदल दिया। अब मैं एक ऐसी ससुराल में हूं जहां ना कोई मेरा साथी है, ना सुनने वाला। बस एक बहू बनकर जिंदगी काट रही हूं, वो भी बिना प्यार, बिना सुकून, और बिना उस सुख के जो हर औरत का हक है।

मेरे पति, राहुल, ससुर जी के इकलौते बेटे हैं। ससुर जी का गांव में बड़ा रुतबा है। जमीन-जायदाद, बिजनेस, इज्जत—सब कुछ है। लोग उनके सामने सिर झुकाते हैं। लेकिन राहुल? वो एकदम नालायक। बचपन की बीमारी ने उनका दिमाग खराब कर दिया। गांव वाले उन्हें पागल कहते हैं। ना काम, ना इज्जत, और ना ही वो मर्दानगी जो मुझे मां बना सके। उनकी कोई गलती नहीं, लेकिन मेरी जिंदगी तो बर्बाद हो गई। मैंने सपने देखे थे—प्यार भरा घर, बच्चे, हंसी-खुशी। लेकिन सब धरा रह गया।

मैं अपने मां-बाप की इकलौती बेटी थी। पिछले साल कोरोना ने मेरा सब कुछ छीन लिया। मेरे मां-बाप स्वर्ग सिधार गए। मैं इस दुनिया में अकेली रह गई। ससुराल में ना कोई मेरा, ना कोई सहारा। बस ससुर जी हैं, जो मेरी जरूरतें पूरी करते हैं। लेकिन उनकी भी मजबूरी है। उनकी उम्र हो चुकी है, और वो चाहते हैं कि उनका वंश आगे बढ़े। एक पोता चाहिए, जो उनका नाम रोशन करे। लेकिन राहुल से ये मुमकिन नहीं।

शुरुआत में ससुर जी ने खुद कोशिश की। उन्होंने मुझे लंबे-चौड़े सपने दिखाए। बोले, “बहू, मैं तुम्हें मां बनने का सुख दूंगा। मेरा बेटा नहीं कर पा रहा, तो मैं हूं ना।” मैं उनकी बातों में आ गई। Poor girl from a poor family, मां-बाप भी नहीं रहे, तो कहां जाती? ससुर जी ने छह महीने तक मुझे खूब पेला। शिलाजीत खा-खाकर रात-रात भर मेरे साथ बिताए। लेकिन कुछ नहीं हुआ। हर महीने मेरे मासिक आते रहे। मैं निराश हो गई, और ससुर जी भी। फिर हम डॉक्टर के पास गए। डॉक्टर ने जांच की और साफ बोला, “आपके पति का शुक्राणु ठीक नहीं। मां बनना है तो IUI करना होगा। किसी और का वीर्य आपके अंडे तक पहुंचाना होगा।”

ससुर जी का चेहरा लाल हो गया। बोले, “नहीं, ये नहीं चलेगा! अनजान मर्द का वीर्य? पता नहीं कौन-सा जात, कौन-सा धर्म। मैं ऐसा पोता नहीं चाहता।” मैं भी उनकी बात से सहमत थी। अनजान का वीर्य? सोचकर ही अजीब लगता था। ससुर जी ने कहा, “बहू, एक बार और कोशिश करते हैं।” फिर वो पंद्रह दिन तक मुझे रात-दिन चोदते रहे। मैंने पूरी उम्मीद लगाई, लेकिन फिर मासिक आ गया। सब बेकार। मैं टूट चुकी थी।

एक रात ससुर जी मेरे पास आए। उनकी आंखों में अजीब चमक थी। बोले, “रानी, मैंने रास्ता ढूंढ लिया। मेरा दोस्त है, पहलवान जी। आठ बेटों का बाप, एक भी बेटी नहीं। उसका लंड ऐसा है कि जो औरत चुदवाए, वो मां बन जाए। अगर तुम तैयार हो, तो मैं उसे बुला लूं।” मैं सन्न रह गई। मैंने कहा, “ऐसे कैसे, ससुर जी? मैं कोई बाजारू औरत नहीं। मेरी भी इज्जत है, गरिमा है। किसी अनजान मर्द के साथ कैसे सो जाऊं?” वो गुस्से में बोले, “देखो बहू, मेरी भी मजबूरी है। मेरा बेटा पागल है, उसे कुछ नहीं पता। अगर तुम मां नहीं बनी, तो मेरा वंश खत्म हो जाएगा। सब बर्बाद हो जाएगा।”

उनकी बात सुनकर गुस्सा भी आया, लेकिन उनकी मजबूरी समझ आई। राहुल की हालत देखकर मेरा दिल पिघल जाता था। और ससुर जी? उनका रुतबा, उनका साम्राज्य—सब एक पोते के लिए तरस रहा था। मैं चुप रही। कई दिन तक यही बात मेरे दिमाग में घूमती रही। क्या करूं? कैसे करूं? लेकिन आखिरकार मैंने हां कर दी। शायद ये मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा फैसला था।

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ससुर जी ने पहलवान जी से बात की। मुझे बताया कि पहलवान इश्कमिजाज आदमी हैं। अपनी बीवी के अलावा दो और औरतों को भी चोदते हैं। गांव में उनकी चर्चा रहती है। लोग कहते हैं, उनका लंड ऐसा है कि औरत को एक बार चोद दे, तो वो गर्भवती हो जाए। मैंने ससुर जी से पूछा, “अगर पहलवान ने हमें ब्लैकमेल किया? बाद में गड़बड़ हुई तो?” ससुर जी ने ठंडी सांस ली और बोले, “फिक्र मत करो, बहू। काम बनते ही मैं पहलवान को दूसरी दुनिया में भेज दूंगा।” मैं समझ गई। सुपारी देने की बात कर रहे थे। मुझे उनका ख्याल अच्छा लगा। कोई खतरा तो नहीं रहेगा।

अगले दिन ससुर जी पहलवान को घर ले आए। रात के आठ बजे। मैंने दरवाजा खोला तो सामने लंबा-चौड़ा मर्द। बड़ी-बड़ी मूंछें, चौड़ा सीना, कुरता-पजामा, कंधे पर गमछा। उम्र करीब 55 साल, लेकिन बदन ऐसा कि जवान मर्द शरमा जाए। मैंने सोचा, “ये तो सांड है, जो मुझे गर्भवती करने आया।” ससुर जी ने पहलवान को मेरे हवाले किया और बोले, “मैं रात खेत पर सोऊंगा। मुझे तुम्हारे सामने ये सब बर्दाश्त नहीं होगा।” इतना कहकर वो चले गए।

पहलवान जी अंदर आए। मैंने डरते-डरते पूछा, “पानी पिएंगे? चाय?” वो हंस पड़े और बोले, “पानी-चाय की क्या जरूरत, रानी? मुझे तो तुम्हारी चूत का नमकीन रस पीना है। रात भर तुम्हारी चूचियों से दूध निकालना है।” उनकी बात सुनकर मेरे बदन में सिहरन दौड़ गई। डर भी लगा, लेकिन उनकी बेशर्मी अच्छी लगी। मैंने हंसकर कहा, “अच्छा, इतनी जल्दी? पहले थोड़ा बात तो कर लें।” वो बोले, “अरे, मजाक कर रहा हूं। जैसा तुम चाहोगी, वैसा ही होगा। मैं तुम्हारी खुशी के लिए आया हूं, अपनी गर्मी बुझाने नहीं।”

उनकी बात सुनकर मेरा डर कम हुआ। मैंने कहा, “हां, पता है।” वो मेरे पास आए और बोले, “रानी, तुम बहुत खूबसूरत हो। काश तुम मेरी बीवी होती, तो मैं तुम्हें रात-दिन खुश रखता।” मैंने हल्के से मुस्कुराकर कहा, “तो आज की रात के लिए तो मैं आपकी बीवी हूं ना?” वो जोर से हंसे और बोले, “ये बात तो है। लेकिन एक रात से क्या होगा? तुम्हें मां बनाने के लिए महीनों चाहिए।” मैंने कहा, “पहले आज की रात को रंगीन बनाएं, फिर देखते हैं।”

इतना कहकर मैं उनके करीब चली गई। मेरी साड़ी का पल्लू उनके हाथ में था। वो मेरी आंखों में झांकते हुए मेरे ब्लाउज के हुक खोलने लगे। मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। मैं नर्वस थी, लेकिन उत्साह भी था। आज मुझे असली मर्द का साथ मिलने वाला था। उन्होंने मेरा ब्लाउज उतारा, ब्रा का हुक खोलकर मेरी चूचियों को आजाद किया। उनकी आंखों में वासना की चमक थी। मैंने साड़ी और पेटीकोट उतार दिया। अब सिर्फ पैंटी में थी।

पहलवान जी ने अपने कपड़े उतारे। उनका गठीला बदन देखकर मेरे होश उड़ गए। और फिर उनका लंड—10 इंच का, मोटा, काला, सख्त। ऐसा लंड मैंने कभी नहीं देखा। मेरे मुंह से निकला, “हाय राम, ये तो मेरी चूत फाड़ देगा।” वो हंस पड़े और बोले, “डर मत, रानी। मैं जानता हूं औरत को कैसे खुश करना है।”

पहला राउंड: चूत की चटाई और लंड की सवारी

पहलवान जी ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया। मेरी पैंटी उतारी और मेरी टांगें फैला दीं। उनकी उंगलियां मेरी चूत पर फिरीं। मैं गीली हो चुकी थी। वो बोले, “रानी, तेरी चूत तो रसीली है।” मैंने कामुक आवाज में कहा, “चाय बन गई, अब पी लो।” वो हंस पड़े और मेरी चूत पर अपनी जीभ रख दी। उनकी जीभ मेरी चूत के दाने को चाट रही थी, और मैं सिसकारियां ले रही थी, “हाय… और चाटो… मत रुको!” वो मेरी चूत को चूस रहे थे, जैसे कोई भूखा शेर मांस खाए। उनकी उंगलियां मेरी गांड में थीं, और मैं चीख रही थी, “हाय… पहलवान जी… और करो!”

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वो मेरी चूचियों को दबा रहे थे, निप्पल चूस रहे थे। मेरी चूचियां सख्त हो गई थीं। फिर उन्होंने मुझे पलट दिया। मेरी गांड को चाटने लगे। उनकी जीभ मेरी गांड के छेद पर थी, और मैं पागल हो रही थी। वो मेरी पीठ, कंधे, गर्दन—हर जगह चूम रहे थे। मैंने कहा, “बस अब लंड डाल दो, नहीं रहा जाता।” वो बोले, “अरे रानी, अभी तो शुरूआत है।”

उन्होंने मुझे सीधा किया, मेरी कमर के नीचे तकिया रखा। उनका मोटा लंड मेरी चूत के मुहाने पर था। मैंने कहा, “धीरे डालना, बहुत मोटा है।” वो बोले, “चिंता मत कर, तुझे सिर्फ मजा आएगा।” और फिर एक जोरदार धक्का। उनका लंड मेरी चूत में पूरा घुस गया। मैं चीख पड़ी, “हाय मर गई… निकालो!” लेकिन वो रुके नहीं। धीरे-धीरे धक्के मारने लगे। दर्द के साथ मजा आने लगा। मेरी चूत उनके लंड को समा रही थी। पलंग चरमराने लगा, मेरी सिसकारियां कमरे में गूंज रही थीं।

वो जोर-जोर से चोद रहे थे। कभी मेरी चूचियों को मसलते, कभी होंठ चूसते। मैंने उनके जिस्म को नाखूनों से नोच डाला। वो बोले, “रानी, तेरी चूत तो स्वर्ग है।” मैंने कहा, “और चोदो… मुझे मां बना दो।” वो और जोश में आए। मेरी टांगें अपने कंधों पर रखीं और गहरे धक्के मारने लगे। हर धक्के के साथ मेरा बदन हिल रहा था। मैं चीख रही थी, “हाय… और जोर से… फाड़ दो मेरी चूत!” करीब बीस मिनट की चुदाई के बाद वो झड़ गए। उनका गर्म वीर्य मेरी चूत में भरा था। मैं पसीने से तर थी, लेकिन मजा ऐसा कि मैं थमना नहीं चाहती थी।

दूसरा राउंड: घोड़ी बनाकर पेलाई

थोड़ी देर बाद पहलवान जी फिर तैयार थे। उनका लंड फिर सख्त था। वो बोले, “रानी, अब तुझे घोड़ी बनाकर चोदूंगा।” मैंने हंसकर कहा, “चलो, दिखाओ कितना दम है।” उन्होंने मुझे घोड़ी बनाया। मेरी गांड ऊपर थी, चूत खुली हुई। वो मेरी गांड पर थप्पड़ मारने लगे। मैंने कहा, “हाय, ये क्या कर रहे हो?” वो बोले, “तेरी गांड तो मक्खन है, इसे लाल करना है।”

उन्होंने अपना लंड मेरी चूत में पीछे से डाला। एक ही धक्के में पूरा लंड अंदर। मैं चीख पड़ी, “हाय… धीरे!” लेकिन वो कहां मानने वाले। वो जोर-जोर से धक्के मारने लगे। मेरी चूचियां हिल रही थीं, और मैं सिसकारियां ले रही थी, “हाय… और पेलो… मत रुको!” वो मेरी गांड को थप्पड़ मारते, मेरी कमर पकड़कर मुझे चोदते। मैंने कहा, “पहलवान जी, तुम तो सांड हो!” वो हंस पड़े और बोले, “और तू मेरी गाय है, आज तुझे गर्भवती कर दूंगा।”

वो मेरी चूत को रगड़ते हुए चोद रहे थे। कभी मेरी चूचियों को पीछे से पकड़कर दबाते, कभी मेरे बाल खींचकर मुझे और जोश दिलाते। मैं पूरी तरह उनकी हो चुकी थी। मेरी चूत गीली थी, और उनका लंड अंदर-बाहर हो रहा था। करीब आधे घंटे की चुदाई के बाद वो फिर झड़ गए। उनका वीर्य मेरी चूत से टपक रहा था। मैं थककर बिस्तर पर गिर पड़ी, लेकिन मेरा मन अभी भरा नहीं था।

तीसरा राउंड: गोद में चुदाई और दीवार के सहारे

पहलवान जी ने मुझे पानी पिलाया और बोले, “रानी, अभी तो रात बाकी है। तैयार हो जा।” मैंने हंसकर कहा, “तुम्हारा स्टैमिना तो गजब है।” वो बोले, “अरे, आठ बेटों का बाप हूं, इतना तो बनता है।” उन्होंने मुझे अपनी गोद में उठाया। मेरा नंगा बदन उनके गठीले जिस्म से चिपक गया। उनका लंड फिर सख्त था। वो मुझे गोद में लिए-लिए मेरी चूत में लंड डालने लगे। मैं उनके गले से लिपट गई और चीखने लगी, “हाय… ये तो बहुत गहरे जा रहा है!”

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वो मुझे गोद में उछाल-उछालकर चोद रहे थे। मेरी चूचियां उनके सीने से रगड़ रही थीं। मैंने कहा, “और जोर से… मुझे पूरा चोद दो!” वो मेरे होंठ चूसते हुए चोद रहे थे। फिर उन्होंने मुझे दीवार के सहारे खड़ा किया। मेरी एक टांग उठाकर अपने कंधे पर रखी और मेरी चूत में लंड डाल दिया। मैं दीवार से टिकी थी, और वो जोर-जोर से धक्के मार रहे थे। मेरी सिसकारियां कमरे में गूंज रही थीं, “हाय… पहलवान जी… तुम तो जान ले लोगे!”

वो मेरी गांड को सहलाते, मेरी चूचियों को दबाते, और चोदते रहे। मैंने कहा, “अब गांड में मत डालना, बस चूत पेलो।” वो हंस पड़े और बोले, “जैसी तेरी मर्जी।” करीब पैंतालीस मिनट की चुदाई के बाद वो तीसरी बार झड़ गए। उनका वीर्य मेरी चूत से बह रहा था। मैं थककर बिस्तर पर गिर पड़ी। मेरी चूत, गांड, चूचियां—सब दुख रहे थे। लेकिन मजा ऐसा कि मैं बार-बार चुदना चाहती थी।

चौथा राउंड: सुबह की चुदाई

सुबह होने को थी, लेकिन पहलवान जी रुके नहीं। वो बोले, “रानी, एक बार और, ताकि पक्का हो जाए।” मैंने हंसकर कहा, “तुम तो मशीन हो!” उन्होंने मुझे बिस्तर पर लिटाया और मेरी चूत को फिर चाटना शुरू किया। उनकी जीभ मेरी चूत के अंदर तक जा रही थी, और मैं सिसकारियां ले रही थी, “हाय… और चाटो… मत रुको!” वो मेरी चूचियों को दबाते, मेरे निप्पल चूसते। मैं फिर गीली हो गई।

उन्होंने मुझे अपने ऊपर बिठाया। मैं उनके लंड पर बैठ गई। उनका मोटा लंड मेरी चूत में पूरा घुस गया। मैं ऊपर-नीचे होने लगी, और वो मेरी चूचियों को दबा रहे थे। मैं चीख रही थी, “हाय… और गहरे… चोद दो मुझे!” वो मेरी कमर पकड़कर मुझे उछाल रहे थे। मैंने कहा, “पहलवान जी, तुमने तो मेरी चूत का भोसड़ा बना दिया।” वो हंस पड़े और बोले, “यही तो मजा है, रानी।”

करीब आधे घंटे की चुदाई के बाद वो चौथी बार झड़ गए। उनका वीर्य मेरी चूत में भरा था। मैं थककर उनके सीने पर गिर पड़ी। मेरे बदन में जान नहीं थी, लेकिन मन में सुकून था। शायद ये रात मेरी जिंदगी बदल दे।

अंत

रात भर की चुदाई ने मुझे वो सुख दिया जो मैंने सालों से नहीं महसूस किया। पहलवान जी ने सिर्फ मेरी चूत नहीं पेली, बल्कि एक औरत की हर ख्वाहिश पूरी की। अब इंतजार है कि क्या मैं मां बन पाऊंगी। ससुर जी का सपना पूरा होगा या नहीं, ये वक्त बताएगा। लेकिन उस रात ने मुझे जिंदगी का वो मजा दिया जो मैं भूल नहीं सकती। मेरी चूत, गांड, चूचियां—सब दुख रहे हैं, लेकिन दिल खुश है। देखते हैं, आगे क्या होता है।

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