Principal ki Beti ki chudai हेल्लो दोस्तों, मेरा नाम मोहित है और मैं कानपुर का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 18 साल है, और मैं इंटर में पढ़ता हूँ। मैं एक प्राइवेट कॉलेज में पढ़ाई करता हूँ, जहाँ की पढ़ाई बहुत अच्छी है। मैं देखने में औसत हूँ, ज्यादा स्मार्ट नहीं, लेकिन पढ़ाई में मैं टॉप पर रहता हूँ। मेरे बाल थोड़े घुंघराले हैं, और मैं हमेशा साधारण-सी टी-शर्ट और जीन्स में रहता हूँ। आज मैं आपको अपनी जिंदगी की एक ऐसी चुदाई की कहानी सुनाने जा रहा हूँ, जिसने मेरी जिंदगी को पूरी तरह बदल दिया। College girl sex story
मेरे कॉलेज में ढेर सारी हॉट लड़कियाँ पढ़ती हैं। उनकी टाइट ड्रेस में उभरी चूचियाँ और मटकती गांड देखकर मेरा लंड तो खड़ा हो जाता है, लेकिन मैं जानता हूँ कि ऐसी लड़कियाँ ज्यादातर स्मार्ट और पैसे वालों के पीछे भागती हैं। मैं पढ़ाई में तेज हूँ, इसलिए कुछ लड़कियाँ मुझसे सिर्फ नोट्स या पढ़ाई की बातें करने आती हैं। मेरी जिंदगी में बस एक ही लड़की थी, जिसके साथ मैंने चुदाई की थी। वो मेरे पड़ोस में रहती थी। उसका नाम रिया था, गोरी, लंबी, और उसकी चूचियाँ मस्त भरी हुई थीं। उसकी गांड तो ऐसी थी कि देखते ही लंड सलामी देने लगे। वो भी पढ़ाई में अच्छी थी, और यही वजह थी कि वो मुझसे बात करती थी।
धीरे-धीरे हमारी दोस्ती बढ़ी। एक दिन मैंने हिम्मत करके उसे प्रपोज कर दिया, और उसने हाँ बोल दिया। कुछ दिन बाद मौका मिला तो मैंने उसकी चूत की ऐसी चुदाई की कि वो सिसकने लगी। उसकी चूत टाइट थी, और मेरा लंड उसे चोदते हुए बार-बार अंदर-बाहर होता था। वो जोर-जोर से “आह… आह… मोहित… चोदो… और जोर से…” चिल्लाती थी। कई दिन तक मैंने उसकी चुदाई की, लेकिन फिर छोटी-मोटी बातों पर हमारी लड़ाई शुरू हो गई। आखिरकार, कुछ महीनों बाद हमारा ब्रेकअप हो गया। ब्रेकअप के बाद मैं उदास रहा। कई दिन तक मेरी किसी से सेटिंग नहीं हुई।
जब मैं इंटर में आया, तो मेरे क्लास में प्रिंसपल की बेटी प्रियांशी पढ़ती थी। प्रियांशी को देखकर मेरा लंड हमेशा तन जाता था। वो 18 साल की थी, गोरी, छोटा-सा चेहरा, बड़ी-बड़ी कजरारी आँखें, और लाल रसीले होंठ। उसकी चूचियाँ करीब 34D की थीं, जो उसकी टाइट ड्रेस में हमेशा उभरी रहती थीं। उसकी निप्पल्स तो ड्रेस के ऊपर से ही दिखती थीं। उसकी गांड गोल और मस्त थी, जब वो चलती थी तो उसकी मटकती गांड देखकर मेरा मन करता था कि उसे पकड़कर अभी चोद दूँ। मैं पढ़ाई में अच्छा था, इसलिए वो मुझसे बात करती थी। कभी-कभी वो मेरे पास बैठ जाती थी, और मैं जानबूझकर अपने पैर हिलाता था ताकि मेरा पैर उसकी जांघ से टच हो जाए। वो हँसते हुए कहती, “मोहित, ये क्या गंदी आदत है? पैर क्यों हिलाते हो?” मैं मन ही मन सोचता, “अरे, तुझे चोदने का मन करता है, इसीलिए तो हिलाता हूँ!”
एक दिन मैंने मजाक में पूछा, “प्रियांशी, तेरा कोई BF है?” वो हँस पड़ी और बोली, “हाँ, तू ही तो है!” मैं चौंक गया, “अरे, मैं तेरा BF कब बना?” उसने ठहाका लगाया, “अरे यार, BF मतलब बेस्ट फ्रेंड, बॉयफ्रेंड नहीं!” हम दोनों खूब हँसे। धीरे-धीरे हमारी दोस्ती गहरी होने लगी। अगर एक दिन भी उससे बात न होती, तो दिन अधूरा लगता था। क्लास के बाकी लड़के जलते थे कि प्रिंसपल की बेटी मुझसे इतनी बात क्यों करती है।
एक दिन प्रियांशी ने मुझसे बात नहीं की। छुट्टी के बाद मैंने पूछा, “क्या हुआ, तू आज चुप क्यों थी?” उसने उदास होकर बताया, “यार, किसी टीचर ने पापा से झूठ बोल दिया कि मेरी और तेरी सेटिंग चल रही है। पापा ने मुझसे कहा कि तुझसे बात न करूँ। मैंने उनसे कहा कि तू सिर्फ मेरा दोस्त है और पढ़ाई में तेज है, इसलिए बात करती हूँ। लेकिन वो नहीं माने।” मैंने उसे सुझाव दिया, “कोई बात नहीं, तू मेरा नंबर ले ले। जब मन करे, फोन कर लेना।” उसने मेरा नंबर ले लिया, और उस दिन से हमारी बातें फोन पर होने लगीं।
धीरे-धीरे हमारी बातें गंदी होने लगीं। वो फोन पर मुझसे चुदाई की बातें करती, और मैं भी खुलकर जवाब देता। एक रात मैंने हिम्मत करके उसे फोन पर प्रपोज कर दिया। उसने तुरंत हाँ बोल दिया और कहा, “मोहित, मैं तो तुझे बहुत पहले से लाइक करती थी, लेकिन सोचती थी कि शायद तू किसी और को पसंद करता है।” मैंने हँसते हुए कहा, “अरे, मुझे भी यही डर था कि तू किसी और को लाइक करती होगी। मैं ज्यादा स्मार्ट तो हूँ नहीं, इसलिए डरता था। लेकिन जो दिल में था, वो बोल दिया।”
अगले दिन कॉलेज में प्रियांशी और मैं चुपके से टॉयलेट में मिले। वहाँ मैंने उसके रसीले होंठों को चूमना शुरू किया। उसकी साँसें गर्म थीं, और मैं उसके होंठों को चूसते हुए उसकी मुलायम चूचियों को दबाने लगा। उसकी टाइट टी-शर्ट के नीचे उसकी चूचियाँ और सख्त हो रही थीं। मैंने उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसकी निप्पल्स को मसला, और वो सिसकने लगी, “उम्म… मोहित… आह…” हम दोनों कुछ देर तक चूमते रहे, फिर क्लास का टाइम होने की वजह से बाहर निकल आए।
कुछ दिन बाद प्रियांशी ने फोन पर कहा, “मोहित, तेरा मन और कुछ करने का नहीं करता?” मैंने जवाब दिया, “यार, मेरा तो मन बहुत कुछ करने का है, लेकिन जगह कहाँ है?” उसने बताया, “मेरी एक सहेली है, उसकी मम्मी नहीं हैं, और पापा सुबह ही काम पर चले जाते हैं। वो घर में अकेली रहती है। हम वहाँ मिल सकते हैं।” मैंने पूछा, “तूने उससे बात की?” वो बोली, “हाँ, मैंने पहले ही बात कर ली है। कल मैं कॉलेज नहीं आऊँगी। घर पर बोल दूँगी कि सहेली के घर जा रही हूँ। मेरे घरवाले उसकी फैमिली को अच्छे से जानते हैं, तो कोई दिक्कत नहीं होगी।”
अगले दिन मैं प्रियांशी के बताए पते पर पहुँचा। वो पहले से ही अपनी सहेली के घर पर थी। उसकी सहेली नेहा थी, जो देखने में भी काफी हॉट थी। उसका घर बड़ा और अच्छा था। हमने कुछ देर नेहा के साथ बातें कीं, फिर वो हमें अपने कमरे में ले गई और बोली, “तुम लोग बात करो, मैं किचन में हूँ।” मैं और प्रियांशी कमरे में अकेले थे। प्रियांशी ने टाइट ब्लू टॉप और जीन्स पहनी थी, जिसमें उसकी चूचियाँ और गांड गजब की लग रही थीं।
हम बेड पर बैठे और कुछ देर बातें करने लगे। मैंने धीरे से उसका हाथ पकड़ लिया और उसके गोरे, मुलायम हाथों को चूमने लगा। मेरे होंठ उसके गले तक पहुँचे, और मैं उसके गले को चूमते हुए हल्के-हल्के काटने लगा। वो सिसकने लगी, “आह… मोहित… क्या कर रहा है…” मैंने उसके होंठों को चूमना शुरू किया। उसके रसीले होंठों का स्वाद मुझे पागल कर रहा था। मैंने उसके निचले होंठ को हल्के से काटा, और वो भी मेरे होंठों को चूसने लगी। हमारी साँसें एक-दूसरे से टकरा रही थीं। उसकी चूचियाँ मेरे सीने से दब रही थीं, और मैंने धीरे से अपने हाथ उसकी टॉप के नीचे डाले। उसकी ब्रा के ऊपर से मैंने उसकी चूचियों को दबाया, और वो सिसकते हुए बोली, “उम्म… मोहित… और जोर से…”
मैंने उसकी टॉप को ऊपर किया और उसकी नीली जालीदार ब्रा के ऊपर से उसकी निप्पल्स को मसला। उसकी चूचियाँ इतनी मुलायम थीं कि मैं खुद को रोक नहीं पा रहा था। मैंने उसकी ब्रा को नीचे सरकाया और उसकी गुलाबी निप्पल्स को मुँह में लिया। मैं उन्हें चूसने लगा, और वो जोर-जोर से सिसकने लगी, “आह… आह… मोहित… और चूसो…” मैंने एक चूची को चूसते हुए दूसरी को मसलना शुरू किया। उसकी साँसें तेज हो रही थीं, और वो मेरे बालों में उंगलियाँ फिराते हुए मुझे और करीब खींच रही थी।
कुछ देर बाद मैंने उसकी जीन्स का बटन खोला और उसकी पैंटी को नीचे सरकाया। उसकी चूत पूरी तरह गीली थी। मैंने उसकी चूत को हल्के से सहलाया, और वो तड़पने लगी, “मोहित… प्लीज… कुछ करो…” मैंने अपनी उंगलियाँ उसकी चूत में डालीं और धीरे-धीरे अंदर-बाहर करने लगा। उसकी चूत टाइट थी, और वो हर धक्के के साथ सिसक रही थी, “आह… उम्म… और तेज…” मैंने अपनी उंगलियों की स्पीड बढ़ा दी, और उसकी चूत से पानी निकलने लगा।
मैं इतने जोश में था कि मैंने जल्दी से अपने कपड़े उतारे। मेरा 7 इंच का लंड पूरा तना हुआ था। मैंने प्रियांशी को बेड पर लिटाया और उसकी टाँगें फैलाईं। उसकी चूत गुलाबी और गीली थी। मैंने अपने लंड को उसकी चूत के छेद पर रखा और धीरे से अंदर डालने लगा। उसकी चूत इतनी टाइट थी कि उसे दर्द हो रहा था। वो बोली, “मोहित… आराम से… दर्द हो रहा है…” मैंने थोड़ा रुककर उसकी चूत पर थूक लगाया और फिर धीरे-धीरे अपने लंड को अंदर डाला। उसकी चूत मेरे लंड को जकड़ रही थी, और मैं धीरे-धीरे धक्के देने लगा।
जैसे-जैसे मैंने स्पीड बढ़ाई, प्रियांशी जोर-जोर से सिसकने लगी, “आह… आह… मोहित… चोदो… और जोर से…” मैंने उसकी टाँगें अपने कंधों पर रखीं और पूरी ताकत से धक्के देने लगा। मेरा लंड उसकी चूत की गहराई में जा रहा था, और कमरे में “चट… चट… चट…” की आवाज गूँज रही थी। प्रियांशी अपनी गांड उठाकर मेरे धक्कों का जवाब दे रही थी, “उम्म… आह… मोहित… और गहरा… चोदो… मेरी चूत फाड़ दो…” उसकी गंदी बातें मुझे और जोश दिला रही थीं।
मैंने इतने जोर से धक्के देने शुरू किए कि बेड हिलने लगा। प्रियांशी चीख रही थी, “आह… आह… मम्मी… मोहित… प्लीज… और जोर से… मेरी चूत फट रही है…” मैंने उसकी चूचियों को मसलते हुए और तेजी से चोदना शुरू किया। उसकी चूत मेरे लंड को जकड़ रही थी, और वो अपने हाथों से अपनी चूत के दाने को मसल रही थी। कुछ देर बाद मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ। मैंने जल्दी से अपना लंड बाहर निकाला और मुठ मारने लगा। कुछ ही पलों में मेरा माल निकल गया, और मैं सुस्त पड़ गया।
लेकिन प्रियांशी का जोश अभी बाकी था। वो बोली, “मोहित, मेरा मन अभी भरा नहीं है। मेरी चूत चाटो ना…” मैंने उसकी ब्रा को पूरी तरह उतार दिया और उसकी चूचियों को फिर से चूसने लगा। मैं एक चूची को चूस रहा था और दूसरी को मसल रहा था। प्रियांशी अपनी चूत में उंगली कर रही थी और सिसक रही थी, “आह… मोहित… और चूसो… मेरी चूचियाँ खा जाओ…” मैंने उसकी कमर को सहलाते हुए अपनी उंगलियाँ उसकी चूत में डालीं और तेजी से अंदर-बाहर करने लगा। उसकी चूत से फिर से पानी निकलने लगा, और वो तड़प रही थी, “उम्म… आह… मोहित… और तेज…”
फिर मैंने उसकी टाँगें फैलाईं और उसकी चूत को चाटना शुरू किया। मेरी जीभ उसकी चूत के दाने पर थी, और वो चीख रही थी, “आह… मोहित… चाटो… मेरी चूत चाटो…” मैंने अपनी जीभ को उसकी चूत के अंदर डाला और उसे चूसने लगा। कभी-कभी मैं उसके चूत के दाने को हल्के से काटता, और वो पागल हो जाती, “आह… मम्मी… मोहित… और चाटो…” मेरे लंड में फिर से जान आ गई थी। प्रियांशी बोली, “मोहित, एक बार और चोदो ना…” मैंने उसे फिर से बेड पर लिटाया और उसकी चूत में अपना लंड डालकर तेजी से चोदना शुरू किया। इस बार मैंने और जोर से धक्के मारे, और वो चीखती रही, “आह… आह… मोहित… फाड़ दो मेरी चूत…”
चुदाई के बाद हम दोनों थककर लेट गए। जब हम कमरे से बाहर निकले, तो नेहा कहीं दिखी नहीं। हम किचन में गए तो देखा कि वो वहाँ अपनी चूत में उंगली कर रही थी। शायद हमारी चुदाई की आवाजें सुनकर उसका भी मन मचल गया था।
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