पति के मालिक ने मेरी चूत को रगड़-रगड़कर फाड़ डाला

दोस्तों, मेरा नाम प्रियंका है। 28 साल की हूँ मैं, एक ऐसी औरत जिसका जिस्म हर मर्द के दिल में आग लगा देता है। मेरी शादी राहुल से हुई, जो दिखने में तो किसी हीरो से कम नहीं और बिस्तर पर भी मुझे रात-दिन जन्नत की सैर कराता है। उसका 7 इंच का मोटा लौड़ा मेरी चूत की हर रात ऐसी ठुकाई करता है कि मैं सुबह तक सिसकारियाँ लेती रहती हूँ। वो मुझे पेल-पेलकर मेरी चूत का पानी निकाल देता है, और उसकी ये मर्दानगी मुझे उससे बेइंतहा प्यार करने पर मजबूर करती है। लेकिन मुझे कहाँ पता था कि मेरी ये खूबसूरती और गदराया जिस्म एक दिन मेरे लिए मुसीबत बन जाएगा। मैं 5 फुट 5 इंच की हसीना हूँ, मेरा चेहरा ऐसा कि लोग एकटक देखते रह जाएँ। भले ही मैं दूध-सी गोरी न हूँ, मगर मेरी सांवली त्वचा में एक अलग ही चमक है। मेरी गहरी आँखें, नुकीली नाक, और रसीले होंठ जैसे किसी ने नक्शा बनाकर तराशे हों। मेरे चेहरे का नूर जवानी के रस से ऐसा दमकता है कि हर मर्द मेरे ख्वाबों में खो जाता है।

मेरा फिगर है 34-28-36—पतली कमर, भारी-भरकम चूचियाँ, और उभरी हुई गांड, जो हर मर्द के लौड़े में तूफान ला देती है। मेरी चूचियाँ इतनी कसी हुई हैं कि ब्लाउस में बस फटने को बेताब रहती हैं। मेरी गांड का उभार ऐसा है कि जब मैं चलती हूँ, तो हर कदम पर मर्दों की नजरें मेरे चूतड़ों पर ठहर जाती हैं। अगर मैं किसी को भैया भी बोल दूँ, तो वो मुझे अपनी बाहों में भरकर बिस्तर पर लिटाने के सपने देखने लगता है। मेरे हुस्न का जादू ऐसा है कि कोई भी मर्द मेरे सामने खुद को रोक नहीं पाता। राहुल का बॉस, अजय, भी मेरी इस आग से नहीं बच सका। मैं सांवली हूँ, मगर मेरा जिस्म इतना रसीला और भरा हुआ है कि लोग बस मुझे निहारते रह जाते हैं। मैं हमेशा गुलाबी लिपस्टिक लगाती हूँ, जो मेरे होंठों को और भी कामुक बना देती है। खासकर जब कोई मेहमान घर आता है, तो मैं अपने हुस्न का जलवा बिखेर देती हूँ।

अजय अक्सर हमारे घर आया करता था। मैं उसके लिए चाय, समोसे, या कुछ और लाती, और वो मेरे जिस्म को ऐसे घूरता जैसे कोई भूखा शेर अपनी शिकार को देख रहा हो। उसका आना-जाना इतना बढ़ गया कि मैं समझ ही नहीं पाई कि वो मेरे बदन का दीवाना हो चुका है। एक रात राहुल और अजय हमारे घर आए। मैंने उनके लिए लाजवाब डिनर बनाया—पनीर की सब्जी, गरमा-गरम रोटियाँ, और मटन करी। खाने के बाद दोनों सोफे पर बैठकर व्हिस्की पीने लगे। मैं उस वक्त काली साड़ी और गहरे गले का लाल ब्लाउस पहने थी। मेरा ब्लाउस इतना टाइट था कि मेरी 34 इंच की चूचियाँ उसमें से उभर-उभरकर बाहर आने को बेताब थीं। साड़ी का पल्लू बार-बार सरक रहा था, और मेरी गहरी नाभि हर बार झलक देती थी।

अजय मेरे पास आकर बैठ गया। उसकी आँखें मेरे जिस्म पर इस तरह टिकी थीं जैसे वो मुझे निगल लेना चाहता हो। “प्रियंका, आओ ना, तुम भी एक पैग ले लो,” उसने नशे में डूबी आवाज़ में कहा।

“नहीं सर, मैं नहीं पीती,” मैंने हल्की सी मुस्कान के साथ जवाब दिया, मगर मेरे दिल में एक अजीब सी हलचल होने लगी।

“अरे, तुम तो मुझसे हमेशा शरमाती हो। कभी ढंग से बात भी नहीं करती,” उसने शिकायत भरे लहजे में कहा और धीरे से मेरी तरफ सरक आया।

“ऐसी कोई बात नहीं है,” मैंने हँसकर टालने की कोशिश की, मगर उसकी नजरें मेरे ब्लाउस के गहरे गले में अटक गई थीं।

वो और करीब आया और मेरे हाथ को छूने की कोशिश करने लगा। तभी राहुल का फोन बजा। उसे नेटवर्क की दिक्कत थी, तो वो बाहर चला गया। अजय ने मौका देखते ही मेरा कलाई पकड़ ली और मेरे गाल को चूमने की कोशिश की। उसकी गर्म साँसें मेरे चेहरे पर टकराईं, और मेरे जिस्म में सिहरन दौड़ गई। मैं झट से पीछे हटी।

“सर, ये क्या कर रहे हैं? प्लीज, अपने आप को कंट्रोल करें! मैं ऐसी औरत नहीं हूँ जो अपने पति की तरक्की के लिए बॉस के साथ सो जाए!” मैंने गुस्से और डर के मिश्रण में चिल्लाकर कहा।

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मेरी बात सुनकर अजय का चेहरा गुस्से से लाल हो गया। वो बिना कुछ बोले उठा और दरवाजा पटककर चला गया। मैंने सारी बात राहुल को बताई। वो चुप रहा, मगर उसकी आँखों में बेबसी साफ दिख रही थी। अगले दिन सुबह अजय ने राहुल को जॉब से निकालने का ऑर्डर दे दिया। राहुल जब घर लौटा, तो उसका चेहरा सूखा हुआ था। उसने बताया कि अजय ने उससे मेरी चूत की मांग की है।

“राहुल, तू अपनी बीवी को मेरे हवाले कर दे। तेरी नौकरी भी बचेगी, और मैं तुझे डबल प्रमोशन दूँगा,” अजय ने बेहयाई से कहा था।

राहुल ने आकर मुझे सब बता दिया। मेरी दुनिया अंधेरे में डूब गई। एक तरफ मेरे पति की नौकरी थी, दूसरी तरफ मेरी इज्जत। लेकिन नई नौकरी का जुगाड़ इतना आसान नहीं था। आखिरकार, मैंने अजय से चुदने का फैसला कर लिया। रविवार की शाम थी। अजय हमारे घर आ धमका। मैंने सोच लिया था कि आज इस हरामी का बिस्तर गर्म करना ही पड़ेगा। उसने राहुल के सामने मुझे चोदने की बात कही, मगर मैंने साफ मना कर दिया। हैरानी की बात, वो मान गया। मैंने उसकी हवस मिटाने की पूरी तैयारी कर ली थी। मैंने गर्म पानी से नहाया, अपनी चूत, गांड, चूचियाँ, और कमर को साबुन से रगड़-रगड़कर चमकाया। चूत के सारे बाल साफ किए, हाथ-पैर वैक्स किए, और बालों में शैंपू डालकर उन्हें सिल्की बनाया।

मैंने वैसा मेकअप किया, जैसे कोई नई दुल्हन अपनी सुहागरात के लिए सजती है। मैंने अपनी शादी का लाल जोड़ा पहना—लहंगा, चोली, और दुपट्टा। मेरी चोली इतनी टाइट थी कि मेरी चूचियाँ उसमें कैद होने को छटपटा रही थीं। मेरा चेहरा चमक रहा था। मेरी भौहें थ्रेडिंग से तराशी हुई थीं, और गुलाबी लिपस्टिक मेरे होंठों को और रसीला बना रही थी। मैं किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी। अजय पहले ही व्हिस्की की पूरी बोतल गटक चुका था। मुझे शराबी मर्द बिल्कुल पसंद नहीं, मगर आज इस बेटीचोद की हवस शांत करनी थी। मैं कमरे में दाखिल हुई, तो अजय मुझे देखकर पागल सा हो गया। उसकी आँखें मेरे जिस्म पर इस तरह टिकीं, जैसे वो मुझे अभी निगल लेगा।

“आ जा, प्रियंका रानी! कब से तेरा इंतज़ार कर रहा हूँ,” वो नशे में डोलता हुआ बोला।

मैं उसके पास गई और बिस्तर पर बैठी। उसने तुरंत मुझे अपनी बाहों में खींच लिया। उसकी उंगलियाँ मेरे चेहरे पर फिरने लगीं, और उसने मेरे रसीले होंठों पर अपने होंठ रख दिए। वो मेरे होंठों को ऐसे चूसने लगा जैसे कोई भूखा इंसान सालों बाद खाना पा गया हो। शराब की तेज़ बदबू मेरे नाक में चढ़ रही थी, मगर मैं चुपचाप चुसवाती रही। उसकी जीभ मेरे मुँह में घूम रही थी, और मेरे जिस्म में गर्मी बढ़ने लगी थी।

“प्रियंका बेबी, आज तो तू किसी माल से कम नहीं लग रही!” उसने मेरी चोली की तरफ देखते हुए कहा।

उसने मेरे लहंगे का पल्लू सरका दिया। मेरी टाइट चोली में मेरी चूचियाँ उभर-उभरकर बाहर आने को तड़प रही थीं। उसने मेरी चूचियाँ चोली के ऊपर से ही पकड़ लीं और ज़ोर-ज़ोर से मसलने लगा। मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं— “आह… ओह माँ… स्स्स…”। उसने मुझे बिस्तर पर धीरे से लिटा दिया। उसका मुँह मेरे गालों पर, मेरे गले पर, मेरे कानों पर—हर जगह चूम रहा था। उसकी गर्म साँसें मेरी त्वचा पर टकरा रही थीं, और मेरे जिस्म में करंट सा दौड़ रहा था। आज तक राहुल के सिवा किसी ने मुझे इस तरह नहीं छुआ था। ये नया अनुभव मेरे लिए डरावना भी था और रोमांचक भी।

वो मेरी चूचियाँ चोली के ऊपर से ही नोचने लगा। उसका हर दबाव मेरे निप्पल्स को और सख्त कर रहा था। मैं सिसकारियाँ ले रही थी— “आह… स्स्स… उई माँ…”। उसने मेरी चोली के हुक खोल दिए। मेरी गुलाबी ब्रा में कसी चूचियाँ देखकर वो पागल हो गया। “साली, ये क्या माल है!” उसने कहा और ब्रा के ऊपर से ही मेरी चूचियाँ चूमने लगा। उसकी जीभ मेरे निप्पल्स पर ब्रा के कपड़े के ऊपर से फिर रही थी। मेरी साँसें तेज़ हो गईं। मैं अब धीरे-धीरे उसकी हवस में डूबने लगी थी। कोई भी औरत हो, अगर उसकी चूचियाँ इस तरह मसली जाएँ, तो वो चुदास में डूब ही जाती है। मैं भी डूब रही थी।

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“बेबी, अपनी चूचियाँ चुसवा दे,” उसने हवस भरी आवाज़ में कहा।

मैंने धीरे से ब्रा उतार दी। मेरी 34 इंच की चूचियाँ आज़ाद हो गईं। मेरे काले, चमकदार निप्पल्स उसके सामने चमक रहे थे। वो मेरी चूचियाँ देखकर तड़प उठा। उसने मेरी एक चूची मुँह में ली और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा। उसकी जीभ मेरे निप्पल को चाट रही थी, और उसका दूसरा हाथ मेरी दूसरी चूची को मसल रहा था। मैं “आह… ओह… स्स्स… उई…” सिसकार रही थी। उसने मेरी चूची पर हल्के से दाँत गड़ा दिए। दर्द और मज़े का मिश्रण मेरे जिस्म में आग लगा रहा था। वो मेरी दोनों चूचियाँ बारी-बारी से चूसने लगा। मेरी चूचियाँ अब गीली हो चुकी थीं, और मेरी चूत में खुजली बढ़ने लगी थी।

“अजय जी, ज़रा आराम से… मेरी चूचियाँ दुख रही हैं,” मैंने मinnat भरी आवाज़ में कहा।

“उस दिन तो बोल रही थी तू शरीफ़ औरत है। अब देख, गैर मर्द के सामने नंगी पड़ी है, रंडी!” उसने ताना मारा।

उसका गुस्सा और भड़क गया। उसने मेरी चूचियाँ और ज़ोर से पकड़ीं और अपने मुँह में ठूंस लीं। वो मेरे निप्पल्स को ऐसे चूस रहा था जैसे कोई बच्चा दूध पीता हो। मैं चीख रही थी— “आह… स्स्स… ओह माँ…”। उसने मेरी चूचियाँ लाल कर दीं। फिर उसने मेरे दोनों हाथ ऊपर उठाए। मेरी बगलें मैंने पहले ही साफ़ कर ली थीं। वो मेरे सांवले जिस्म को एक-एक इंच निहार रहा था। उसकी उंगलियाँ मेरी बगल पर फिरीं, और फिर उसने अपनी जीभ से मेरी बगल चाटना शुरू कर दिया। मैं सिहर उठी। राहुल ने कभी ऐसा नहीं किया था। उसकी गीली जीभ मेरी बगल पर रगड़ रही थी, और मैं उसकी रंडी बनती जा रही थी।

“चाट, बहनचोद! और ज़ोर से चाट!” मैंने जोश में चिल्लाया।

मेरी बात सुनकर वो और पागल हो गया। उसने मेरे गालों पर दो-चार हल्के थप्पड़ जड़ दिए। फिर मेरी बगल को और ज़ोर से चाटने लगा। मैं जोश में डूब गई। मैंने उसकी गर्दन पकड़ी और उसके होंठों को अपने मुँह में ले लिया। मैंने उसके होंठ चूस-चूसकर उसे पागल कर दिया। उसकी जीभ मेरे मुँह में थी, और मैं उसकी जीभ को चूस रही थी।

“साली, तुझमें तो ज्वालामुखी भरा है! आज तेरी चूत और गांड दोनों फाड़ दूंगा!” उसने गुर्राकर कहा।

“तो चोद ना, बेटीचोद! कब तक बातें करेगा?” मैंने छिनाल की तरह जवाब दिया।

उसके ऊपर हवस का भूत सवार हो गया। उसने मेरी चूचियाँ फिर से पकड़ लीं और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा। वो मेरे निप्पल्स को अपने दाँतों से हल्के से काट रहा था। मैं सिसकार रही थी— “आह… स्स्स… ओह…”। मेरी चूचियाँ अब पूरी तरह गीली थीं। वो मेरी चूचियाँ मसल-मसलकर दबाने लगा। मेरे काले निप्पल्स और उनके चारों ओर के बड़े गोले उसे पागल कर रहे थे। उसका लौड़ा अब तन चुका था। वो मेरी चूचियाँ 20 मिनट तक चूसता रहा—कभी मुँह में लेता, कभी ज़ोर से दबाता। मेरी चूत अब पूरी तरह गीली हो चुकी थी, और मेरे जिस्म में आग लग रही थी।

“अब अपनी चूत दिखा, रंडी! देखूँ तो तेरा भोसड़ा कितना रसीला है!” उसने हवस भरी नजरों से कहा।

मैंने धीरे से लहंगा कमर से खोला। मेरा पेटीकोट उतारा, और काली पैंटी को साइड में फेंक दिया। “देख ले, हरामी!” मैंने टाँगें फैलाते हुए कहा। मेरा जिस्म गदराया हुआ था। मेरी चूत सांवली मगर रसीली थी। उसकी चूत के होंठ मोटे और गीले थे। उसने मेरी चूत को देखा और उसकी आँखें चमक उठीं। वो नीचे झुका और अपनी जीभ मेरी चूत पर फिराने लगा। उसकी गर्म जीभ मेरे चूत के दाने को छू रही थी। मैं “आह… ओह… स्स्स… मम्मी…” चिल्लाने लगी। वो मेरी चूत को काट-काटकर चूसने लगा। उसकी जीभ मेरी चूत के अंदर तक जा रही थी। वो मेरे चूत के होंठ खोलकर उसका रस चूस रहा था। मैं बिस्तर पर तड़प रही थी। मेरी कमर बार-बार ऊपर उठ रही थी।

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“अजय, ज़रा धीरे चूस… आह… मेरी चूत…” मैंने सिसकारते हुए कहा।

मगर वो कहाँ मानने वाला था? वो और ज़ोर से मेरी चूत चूसने लगा। उसकी जीभ मेरी चूत के अंदर-बाहर हो रही थी। मैं उछल रही थी। वो मेरी चूत का सारा रस पी जाना चाहता था। उसने मेरे चूत के होंठ खोलकर ज़ोर-ज़ोर से चूसा। मैं इस बीच दो बार झड़ गई। उसने मेरा सारा पानी चाट लिया। मेरी चूत अब पूरी तरह लाल हो चुकी थी।

“अब चोद दे मुझे! रंडी बना दे!” मैंने हवस में डूबकर कहा।

उसने जल्दी से अपनी पैंट, शर्ट, और अंडरवियर उतार फेंका। उसका 10 इंच का लौड़ा बाहर निकला। वो किसी काले नाग की तरह तन रहा था। उसका लौड़ा पहले से टपक रहा था। “पहले मेरा लौड़ा चूस, साली!” उसने कहा और बिस्तर पर लेट गया।

मैं नीचे बैठी और उसके मोटे लौड़े को हाथ में पकड़ लिया। मैंने उसे ज़ोर-ज़ोर से हिलाना शुरू किया। उसका लौड़ा इतना सख्त था कि मेरे हाथ में थरथरा रहा था। मैंने अपनी जीभ निकाली और उसके सुपारे को चाटने लगी। फिर मैंने पूरा लौड़ा अपने मुँह में ले लिया और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी। उसका लौड़ा मेरे गले तक जा रहा था। वो सिसकारने लगा— “आह… प्रियंका… और चूस… स्स्स…”। मैंने उसकी गोलियाँ पकड़ लीं और उन्हें हल्के से दबाते हुए चूसने लगी। मैं उसके लौड़े को अपने मुँह में ऊपर-नीचे कर रही थी। उसका लौड़ा अब पूरी तरह स्टील जैसा हो गया था।

उसने मेरी टाँगें खोलीं और अपने लौड़े को मेरी चूत पर रगड़ने लगा। उसका मोटा सुपारा मेरे चूत के दाने को छू रहा था। मैं “आह… स्स्स… ओह… हाय…” सिसकार रही थी। उसने मेरी चूत के होंठ खोले और अपने लौड़े को अंदर घुसा दिया। उसका लौड़ा मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर गया। मैं चीख पड़ी— “आह… माँ…”। वो ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगा। मैं अपनी कमर उठा-उठाकर चुदवाने लगी। उसका लौड़ा मेरी चूत की गहराइयों को छू रहा था।

“साली रंडी, आज तेरी चूत का भोसड़ा बना दूंगा!” वो गुर्राया।

वो मेरी चूत में तेज़-तेज़ धक्के मारने लगा। उसका लौड़ा मेरी चूत को रगड़-रगड़कर लाल कर रहा था। मैं बिस्तर पर उछल रही थी। “पेल, बहनचोद! और ज़ोर से पेल! मेरी चूत फाड़ दे!” मैं किसी छिनाल की तरह चिल्लाई।

उसने अपनी पूरी ताकत झोंक दी। वो अपनी गांड हिला-हिलाकर मुझे चोदने लगा। मेरी चूत में बिजली सी दौड़ रही थी। मैंने उसके हाथ पकड़े और अपनी चूचियों पर रख दिए। वो मेरे ऊपर लेट गया और मेरे होंठ चूसने लगा। उसकी जीभ मेरे मुँह में थी, और मैं उसकी जीभ चूस रही थी। वो धकाधक चोदता रहा। मेरी चूत से पट-पट, चट-चट की आवाज़ें गूंजने लगीं। मैं किसी रंडी की तरह कमर उछाल-उछालकर चुदवा रही थी। वो मेरी चूत को फाड़ रहा था। आखिरकार वो ज़ोर से चिल्लाया और मेरी चूत में झड़ गया। उसका गर्म माल मेरी चूत में भर गया। फिर उसने मुझे घोड़ी बनाया और मेरी गांड में भी अपना लौड़ा पेल दिया। उसकी हरकतों ने मेरी गांड को भी रगड़-रगड़कर लाल कर दिया।

दोस्तों, ये थी मेरी कहानी। आपको कैसी लगी, ज़रूर बताना!

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