ऑफिस की नई स्टाफ निकिता के साथ चुदाई

मेरा नाम आकाश है। मैं नई दिल्ली में एक टेलीकॉम कंपनी में टीम लीडर हूँ। मेरी टीम में हाल ही में एक आग सी लड़की आई, नाम था निकिता। वो थी पतली, लंबी, और उसका फिगर एकदम कातिलाना—34-26-34। अभी बस तेईस-चौबीस की होगी, कॉलेज से निकलकर सीधे जॉब में। उसका चेहरा इतना प्यारा और बदन इतना सेक्सी था कि बस देखते ही लंड खड़ा हो जाए।

एक प्रोजेक्ट था, जिसे जल्दी निपटाना था। टाइम कम था, तो मैंने टीम से पूछा, “शनिवार को कोई मेरे साथ ऑफिस आ सकता है क्या, प्रोजेक्ट खत्म करने में मदद करने?” सब के मुँह लटके, लेकिन निकिता ने फट से हाथ उठाया और बोली, “मैं आऊँगी, बॉस!” उसका उत्साह देखकर मैं मन ही मन मुस्कुराया। शनिवार को ऑफिस आना तो वैसे भी उबाऊ है, लेकिन जब ऐसी माल साथ हो, तो मज़ा ही मज़ा है।

शनिवार सुबह मैं ऑफिस पहुँचा, तो निकिता पहले से ही वहाँ थी। उसने एकदम टाइट जींस और फिटेड क्रॉप टॉप पहना था, जिसमें उसका हर कर्व साफ दिख रहा था। उसकी चूचियाँ टॉप में कैद थीं, और उसकी पतली कमर और लंबी टाँगें देखकर मेरा दिल मचल गया। मैंने उसे देखते ही कहा, “वाह निकिता, तू तो आज बम लग रही है। एकदम हॉट माल!” मैं ऑफिस में हमेशा थोड़ा संभलकर बोलता हूँ, लेकिन उसकी गोल-मटोल चूचियाँ और गोरी जाँघें देखकर मेरा दिमाग घूम गया। मुझे लगा वो शरमाएगी, क्योंकि वो थोड़ी सीधी-सादी सी लगती थी, लेकिन वो तो उस्ताद निकली।

उसने आँख मारते हुए कहा, “सच में, बॉस? इतने तारीफ करने वाले हो?” मैंने हँसकर जवाब दिया, “हाँ यार, बिल्कुल! बस ये मत कहना कि तू मुझ पर इल्ज़ाम लगाएगी।”

वो और नजदीक आई और बोली, “इल्ज़ाम तो तब लगेगा, जब तुम कुछ करोगे ना। बोलो, आज क्या इरादा है?” मैंने इधर-उधर देखा, ऑफिस सूना था। मैंने उसका नरम, गर्म हाथ पकड़ा और बोला, “चल, पहले प्रोजेक्ट तो शुरू करें।” वो हँस पड़ी और बोली, “कौन सा प्रोजेक्ट, बॉस? वैसे, तुम भी तो काफ़ी जवान लग रहे हो।” मैंने कहा, “चल, कॉन्फ्रेंस रूम में बैठते हैं, वहाँ डिटेल में बात करेंगे।” वो मेरे पीछे-पीछे चल दी, उसकी गांड का हल्का-हल्का उछाल मुझे पागल कर रहा था।

कॉन्फ्रेंस रूम में मैंने प्रोजेक्ट का बहाना बनाया, लेकिन मेरा ध्यान तो बस उस पर था। मैंने हर मौके पर उसका हाथ छुआ, उसकी कमर पर हल्का-सा ब्रश किया। वो भी मज़े ले रही थी, उसकी आँखों में शरारत साफ दिख रही थी। अचानक उसने टॉपिक बदल दिया और नॉटी अंदाज़ में बोली, “तुमने अभी तक नहीं बताया, आज ऐसा क्या करोगे कि मैं तुम पर इल्ज़ाम लगाऊँ?” मैंने उसका हाथ पकड़ा, उसे अपनी तरफ खींचा। उसकी चूचियाँ मेरी छाती से सट गईं। मेरा लंड जींस में तंबू बन गया था। मैंने उसके रसीले, गुलाबी होंठों को अपने दाँतों से हल्के-से काट लिया। वो मुस्कुराई और बोली, “इसके लिए तो मैं तुम्हें माफ़ कर दूँगी।”

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मैंने तुरंत दरवाज़ा लॉक किया। एक हाथ उसकी चिकनी जाँघों पर रखा, जो गर्म थीं और मुलायम। दूसरा हाथ उसके क्रॉप टॉप के अंदर डालकर उसकी चूचियों को दबाने लगा। उसकी चूचियाँ इतनी नरम थीं, मानो रुई के गोले। वो मेरी जींस की ज़िप खोलने लगी और मेरे लंड को बाहर निकालकर सहलाने लगी। मैंने उसकी मदद की और मेरा लंबा, मोटा लंड बाहर आ गया। वो चौंककर बोली, “हाय राम, ये तो पूरा शेर है!” मैंने हँसते हुए कहा, “तो इस शेर को सजा देगी?” वो बोली, “अगर ये मुझे ज़ोर-ज़ोर से चोदे, तो मैं इसे भी माफ़ कर दूँगी।”

वो मेरे लंड के साथ खेलने में मस्त थी, उसे हल्के-हल्के सहला रही थी, जैसे कोई खजाना मिल गया हो। मैंने उसकी जींस और क्रॉप टॉप उतार दी। उसका बदन चाँदनी की तरह चमक रहा था—गोरा, चिकना और बिल्कुल बेदाग। उसने काली लेस वाली ब्रा और थॉन्ग पहनी थी, जो उसके फिगर को और कातिलाना बना रही थी। उसकी चूचियाँ गोल-गोल, मानो दो पके हुए आम, और उसकी गांड इतनी मस्त थी कि बस देखते ही चूमने का मन करे। मैंने उसे टेबल पर झुकाया और उसकी नंगी गांड पर एक ज़ोरदार चाँटा मारा। मैंने कहा, “ये सजा है, प्रोजेक्ट में ध्यान न देने की।” एक चाँटे में उसकी गांड लाल हो गई। मैंने और तीन-चार चाँटे मारे, हर बार वो सिसकारी भरती और उसकी गांड और लाल होती गई। वो मेरे चाँटों के साथ “आह… ऊह…” की आवाज़ें निकाल रही थी, जो मुझे और उकसा रही थीं।

मैंने उसकी ब्रा का हुक खोला, और उसकी चूचियाँ आज़ाद हो गईं। मैंने उन्हें दोनों हाथों से मसला, उनके गुलाबी निप्पल्स को अपनी जीभ से चाटा, हल्के-हल्के काटा। वो सिसकारी और बोली, “बॉस, मेरा बदन कैसा है?” मैंने हँसकर कहा, “इतना मस्त कि अब तुझे रोज़ नंगा करूँगा।” वो नीचे बैठ गई और मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया। क्या चूस रही थी वो—गहरा, गीला और इतने प्यार से कि मेरा लंड और सख्त हो गया। उसने मेरे लंड को अपने गले तक लिया, उसकी जीभ मेरे सुपारे पर नाच रही थी। मैंने उसकी थॉन्ग भी खींचकर उतार दी। जैसे ही उसकी चूत नंगी हुई, वो बोली, “मुझे पता था तुम आज मुझे चोदोगे, इसलिए मैंने इसे साफ करवाया है।” मैंने कहा, “चल, मुझे तेरी इस गुलाबी फूल सी चूत का ज़ायका लेने दे।”

मैंने उसे टेबल पर लिटाया, उसकी टाँगें फैलाईं। उसकी चूत गुलाबी, चिकनी और गीली थी, मानो शहद टपक रहा हो। मैंने अपनी जीभ उसकी चूत पर रखी और धीरे-धीरे चाटना शुरू किया। उसका स्वाद इतना मादक था कि मैं रुक ही नहीं पा रहा था। मैंने उसकी चूत के होंठों को चूसा, अपनी जीभ अंदर-बाहर की, और उसकी भगनासा को हल्के-हल्के काटा। वो सिसकारियाँ भर रही थी, “आह… बॉस… और चाटो… ऊह… मज़ा आ रहा है!” उसकी आवाज़ें मुझे और पागल कर रही थीं। मैंने उसकी चूत को इतना चाटा कि वो झटके खाने लगी। मैंने अपनी जीभ को और तेज़ी से चलाया, उसकी चूत के हर कोने को चूमा, और वो चिल्ला पड़ी, “आह… मैं गई…!” उसकी चूत से गर्म रस बह निकला, और मैंने उसे पूरा चाट लिया।

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मैंने पूछा, “कितनी बार चुदी है तू?” वो हँसकर बोली, “तू ही चेक कर ना।” मैंने अपनी बीच की उंगली उसकी चूत में डाली। वो इतनी टाइट थी कि उंगली मुश्किल से गई। मैंने कहा, “लगता है बस एक बार।” वो हँसी और बोली, “अच्छा, अब अपने लंड से चेक कर।” वो टेबल पर लेट गई, अपनी टाँगें हवा में उठाईं और बोली, “आ जा, बॉस। अपनी चूत का हाल बता दे।”

मैंने अपना लंड उसकी गीली चूत पर रखा। उसका गर्म अहसास मेरे लंड को और सख्त कर गया। मैंने धीरे से दबाया, और मेरा सुपारा उसकी चूत में घुस गया। वो इतनी टाइट थी कि मुझे लगा जैसे कोई कुंवारी चूत हो। मैंने धीरे-धीरे और अंदर पेला, और वो सिसकारी, “आह… और गहरा, बॉस… पूरा डाल दे!” मैंने एक ज़ोर का धक्का मारा, और मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया। उसकी चूत मेरे लंड को जकड़ रही थी, इतनी गर्म और गीली थी कि मैं पागल हो गया। मैंने धीरे-धीरे धक्के शुरू किए, हर धक्के के साथ उसकी चूचियाँ उछल रही थीं। मैंने अपने हाथों से उसकी चूचियों को मसला, उसके निप्पल्स को चुटकी में लेकर खींचा। वो चिल्ला रही थी, “और ज़ोर से… चोद मुझे… आह… फाड़ दे मेरी चूत!”

मैंने स्पीड बढ़ा दी। मेरा लंड उसकी चूत में तेज़ी से अंदर-बाहर हो रहा था, और हर धक्के के साथ उसकी चूत और गीली हो रही थी। मैंने उसकी एक टाँग अपने कंधे पर रखी, जिससे मेरा लंड और गहराई तक गया। वो सिसकार रही थी, “हाय… बॉस… ये तो मेरी बच्चेदानी तक जा रहा है!” मैंने उसकी चूत को ऐसे चोदा जैसे कोई जंग जीत रहा हो। मेरा एक हाथ उसकी चूचियों पर था, दूसरा उसकी कमर को पकड़े हुए। उसकी चूत से रस टपक रहा था, जो मेरे लंड को और चिकना कर रहा था। मैंने उसकी भगनासा को अपनी उंगली से रगड़ा, और वो तड़प उठी, “आह… बस… मैं मर जाऊँगी… और चोद!”

फिर मैंने उसे पलटा और घोड़ी बनाया। उसकी गांड मेरे सामने थी, गोल, चिकनी और लाल। मैंने उसकी गांड पर दो-तीन चाँटे और मारे, जिससे वो और सिसकारी। मैंने अपना लंड उसकी चूत में पीछे से पेल दिया और ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगा। हर धक्के के साथ उसकी गांड मेरे पेट से टकरा रही थी, और वो चिल्ला रही थी, “हाय… और ज़ोर से… मेरी चूत को रगड़ दे!” मैंने उसकी कमर पकड़ी और उसे इतनी तेज़ी से चोदा कि पूरा रूम हमारी आवाज़ों से गूँज रहा था। मैंने अपनी एक उंगली उसकी गांड में डाली, जो इतनी टाइट थी कि बस। मैंने उंगली को अंदर-बाहर किया, और वो और पागल हो गई, “बॉस… तू तो मुझे दोनों तरफ से मार रहा है… आह!”

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करीब बीस मिनट तक मैंने उसे हर पोज़ में चोदा—घोड़ी, मिशनरी, साइड। उसकी चूत बार-बार गीली हो रही थी, और वो दो बार झड़ चुकी थी। उसका चेहरा लाल हो गया था, और वो सिसकार रही थी, “बॉस… तेरा लंड तो जादू है… और चोद ना!” मैंने उसे फिर टेबल पर लिटाया, उसकी टाँगें हवा में उठाईं और अपना लंड उसकी चूत में गहरे तक पेल दिया। मैंने इतनी तेज़ी से धक्के मारे कि उसकी चूचियाँ हिल रही थीं। मैंने उसके निप्पल्स को मुँह में लिया, उन्हें चूसा, और वो चिल्ला पड़ी, “आह… बस… मैं फिर झड़ने वाली हूँ!”

फिर उसने मुझे टेबल पर लिटाया और मेरे ऊपर चढ़ गई। वो मेरे लंड पर उछल रही थी, जैसे कोई रानी अपने घोड़े पर। उसकी चूचियाँ मेरे चेहरे के सामने नाच रही थीं। मैंने उन्हें पकड़ा, चूसा, और उसकी गांड पर थप्पड़ मारे। वो ज़ोर-ज़ोर से चोद रही थी, चिल्ला रही थी, “बॉस… तेरा लंड मेरी चूत का राजा है… झड़ जा जल्दी… चोद… चोद!” उसकी चूत मेरे लंड को निचोड़ रही थी, और मैं भी अब झड़ने के कगार पर था। मैंने एक ज़ोर का धक्का मारा और उसकी चूत में ही सारा माल निकाल दिया। वो मुझसे लिपट गई, उसका बदन पसीने से तर था। वो मेरे कान में बोली, “बॉस, अगला राउंड जल्दी शुरू कर, वरना मैं तुझे सच में चोद डालूँगी।”

हम दोनों थोड़ी देर वैसे ही लेटे रहे, एक-दूसरे को चूमते हुए। फिर वो उठी, अपने कपड़े ठीक किए और बोली, “प्रोजेक्ट तो भूल ही गए, लेकिन ये वाला प्रोजेक्ट मुझे ज़्यादा पसंद आया।” मैंने हँसकर कहा, “अब हर शनिवार तेरा यही प्रोजेक्ट होगा।” वो हँस पड़ी और बोली, “देखते हैं, बॉस। अगली बार मैं तुझे और तड़पाऊँगी।”

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