Aunt anal sex story – Family anal incest sex story: मेरा नाम दीपक है, मैं बैंगलोर में रहता हूं, मेरी उम्र अब 27 साल की है और मेरा लंड 6 इंच लंबा और ढाई इंच मोटा है।
यह कहानी करीब छह साल पुरानी है, जब मैं 21 साल का था और एक दिन की छुट्टी मनाने अपने चाचा के घर गया था।
मेरे चाचा रमेश की उम्र उस समय 52 साल के करीब थी, उन्होंने पहली पत्नी के देहांत के बाद माया चाची से दूसरी शादी की थी, चाची उस वक्त सिर्फ 37 साल की थीं।
चाचा की पहली पत्नी से दो बेटे थे, इसलिए घर में हमेशा भीड़ रहती थी, चाचा का घर छोटा सा एक कमरे का था, जिसमें मुश्किल से पांच लोग सो पाते थे।
जब मैं शाम को पहुंचा तो चाची काले रंग की साड़ी में तैयार होकर बैठी थीं, ब्लाउज गहरे गले का और इतना चुस्त कि उनकी आधी चूचियां बाहर झांक रही थीं।
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साड़ी नाभि के काफी नीचे बंधी थी, जिससे उनकी गहरी नाभि और चिकनी कमर साफ दिख रही थी, उनका फिगर 34-30-38 था और गांड इतनी बड़ी कि चलते वक्त मटकती हुई मन को भटकाती थी।
चाची मुझे देखते ही बहुत खुश हुईं, गले लगाकर स्वागत किया, मैं भी उनकी जवानी और खुशबू से कामातुर हो गया, पर कुछ कहा नहीं।
चाय बनाकर लाईं, हम दोनों बातें करने लगे, मेरी नजर बार-बार उनकी चूचियों पर जा रही थी, लंड पैंट में अकड़ने लगा।
रात को चाचा आए, सबने खाना खाया, फिर सोने का समय हुआ, चाची ने साड़ी बदलकर लाल रंग की पतली नाइटी पहन ली, ब्रा उतार दी थी, इसलिए उनके बड़े-बड़े चूचे आजाद होकर हिल रहे थे।
नाइट लैंप की मद्धिम नीली रोशनी में उनके निप्पल साफ दिख रहे थे, कमरे में हम चारों नीचे बिस्तर पर सोए, चाची सोफे पर।
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सब सो गए, पर मुझे नींद नहीं आ रही थी, रात के दो बज रहे थे, मैंने सोफे की तरफ देखा तो चाची की नाइटी कमर तक ऊपर खिसक गई थी, काली पैंटी पूरी नजर आ रही थी।
लंड तुरंत खड़ा हो गया, तभी चाचा उठे और चाची के ऊपर लेट गए, सिर्फ अंडरवियर में थे।
चाची जाग गईं, धीरे से बोलीं, जय उठ जाएगा, चाचा बोले, मुझे अभी चाहिए, आग लगी है, सब सो रहे हैं, जल्दी खोलो।
चाचा ने चाची की नाइटी उतार दी, चाची सिर्फ पैंटी में रह गईं, दोनों किस करने लगे, चाचा ने चूचियां दबाईं, एक मुंह में लेकर चूसने लगे, चाची आह आह करते हुए दूध चुसवा रही थीं।
फिर चाचा ने चाची की पैंटी उतारी, खुद भी नंगे हो गए, चाची की टांगें चूचों तक उठाकर चूत में लंड घुसाने लगे।
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चाची ने टांगें और चौड़ी कीं, लंड अंदर सरक गया, चाचा ने जोर से पूरा पेला और हुच्च हुच्च करने लगे, पर सिर्फ दो मिनट में ही झड़ गए।
चाची उदास हो गईं, चाचा सॉरी बोलकर नीचे उतर गए, चाची ने खुद चूत में उंगली करके शांत होने की कोशिश की और सो गईं।
मुझे बहुत बुरा लगा, सुबह चाचा काम पर चले गए, चाची नहाकर लाल साड़ी पहनकर आईं, मुझे उठाया और नहाने भेजा।
बाथरूम में चाची की काली ब्रा और पैंटी पड़ी थी, मैंने पैंटी सूंघी, चूत की महक से पागल हो गया, चूत वाले हिस्से को मुंह में डालकर चाटा, फिर पैंटी लंड पर पहनकर मुठ मार ली, सारा वीर्य पैंटी में गिरा दिया।
शाम को मैं घर लौट आया, पर चाची की चूत चोदने की इच्छा मन में बनी रही।
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कुछ दिन बाद मौका मिला, रिश्तेदार की शादी में घर के सब लोग हफ्ते भर के लिए गए, मेरे एग्जाम थे इसलिए मैं रुक गया, मम्मी ने चाची को मेरे साथ रहने बुला लिया।
चाची के बच्चे मामा के घर गए थे, चाचा को छुट्टी नहीं मिली, चाची मेरे घर आ गईं, मैं मन ही मन बहुत खुश था।
अगली सुबह मैं सिर्फ तौलिया लपेटकर नहाने जा रहा था, चाची से बोला, कुछ नाश्ता बना दो, मुझे एग्जाम देने जाना है।
बाथरूम में नंगा होकर चाची को याद करते हुए लंड सहलाने लगा, दरवाजे के नीचे परछाईं देखी, समझ गया चाची झिरी से देख रही हैं।
मैंने धीमी आवाज में बोला, हाय माया रानी, तेरी चूत में अपना मोटा लंड पेलकर तुझे चोदने का मन कर रहा है, चाचा से तुझे मजा नहीं मिलता, मैं तेरी आग ठंडी कर दूंगा।
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चाची की गर्म सांसें सुनाई देने लगीं, बाहर निकला तो तौलिया खोलकर खड़ा लंड दिखाया, चाची स्तब्ध रह गईं।
एग्जाम जल्दी खत्म हुआ, घर लौटा तो चाची बाथरूम में थीं, झिरी से देखा तो नंगी होकर चूत में उंगली कर रही थीं, आह इह्ह ओह्ह कर रही थीं।
मैंने दूर से बोला, चाची मैं कोचिंग जा रहा हूं, फिर जल्दी लौट आया।
दोपहर को बेल बजाई, चाची ने दरवाजा खोला, पूरी भीगी हुई थीं, काली साड़ी नाभि के नीचे, पल्लू कमर में खोंसा हुआ, गीला ब्लाउज चूचियों से चिपका हुआ, निप्पल साफ दिख रहे थे।
चाची इठलाकर बोलीं, इतनी जल्दी आ गया, मैं बोला भूख लगी है, कुछ खाना दे दो, वो बोलीं कपड़े सूखने डालकर आती हूं।
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पीठ घुमाईं तो गांड की गहरी दरार दिखी, पांच मिनट बाद और ज्यादा गीली होकर आईं, मुझे गीले कपड़ों में ही खाना परोसा।
फिर बोलीं, साड़ी बदल लेती हूं, कमरे में गईं, दरवाजा बंद करना भूल गईं, मैंने देखा साड़ी, पेटीकोट, ब्लाउज उतार रही हैं, सिर्फ पिंक ब्रा-पैंटी में थीं।
मुझसे रहा नहीं गया, अंदर घुस गया, चाची घबराने का नाटक करने लगीं, बोलीं बाहर जाओ, मैं बोला सॉरी चाची, अब मुझसे नहीं रुका जाता, मुझे करने दो।
उन्हें पकड़ लिया, वो छूटने का ड्रामा करती रहीं, पर आवाज में दम नहीं था, मैंने चूचियां मसल दीं, वो आह आह करने लगीं।
बोला, चाची लंड की जरूरत है ना, चाची बोलीं, हां जय, जब से तूने मेरी पैंटी में मुठ मारी थी, तब से तेरे लंड को तड़प रही हूं।
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मैं उन्हें बेड पर ले गया, लिटाया, बोला तुम बहुत सेक्सी हो, चाची बोलीं आज से माया बोलो, मैं बोला ओके माया डार्लिंग।
हम लिपटकर किस करने लगे, जीभ एक दूसरे के मुंह में डालकर चूसने लगे, चाची ने मेरी पैंट, शर्ट, अंडरवियर उतार दी, मेरा 6 इंच का मोटा लंड देखकर बोलीं, कितना बड़ा है, मुझे इतने बड़े की आदत नहीं।
मैं बोला आदत डाल दूंगा, चाची ने लंड पकड़कर सहलाया, फिर मुंह में लिया, ग्ग्ग्ग ग्ग्ग्ग गी गी गों गों करके चूसने लगीं, मैं जल्दी झड़ने वाला था।
बताया तो बोलीं मुंह में ही निकाल दो, मैंने सारा रस उनके मुंह में छोड़ दिया, चाची ने सब पी लिया, बोलीं मस्त गाढ़ा माल है।
फिर बोलीं पहली बार था इसलिए जल्दी हुआ, अब देखो मैं कैसे खड़ा करती हूं, फिर मुंह में लेकर चूसने लगीं, लंड फिर तन गया।
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चाची बेड पर लेटीं, टांगें चौड़ी कीं, चूत पर हाथ फेरते हुए बोलीं आओ ऊपर चढ़ जाओ, मैंने लंड चूत पर रखा, चाची ने खुद सेट किया, मैंने झटका मारा, आधा अंदर गया।
चाची चिल्लाईं, आह्ह बहुत मोटा है, धीरे साले, मैंने फिर जोर से पेला, पूरा लंड चूत में समा गया, चाची आह ह ह ह्हीईई करके कसमसाने लगीं।
मैंने मुंह पर मुंह रखकर किस किया, फिर ताबड़तोड़ धक्के मारने लगा, चाची आह्ह ह्ह आऊ ऊउइ ऊईई करके मस्ती में भर गईं।
पंद्रह मिनट तक लगातार चोदा, चाची झड़ गईं, उनकी चूत ने लंड को जोर से जकड़ा, वो हांफते हुए बोलीं, वाह मेरा हीरो चोदना सीख गया।
मैंने चूचियां चूसते हुए चुदाई जारी रखी, फिर मेरा होने वाला था, पूछा कहां निकालूं, चाची बोलीं अंदर ही, ऑपरेशन हो चुका है।
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मैंने पूरी रबड़ी चूत के अंदर छोड़ दी, हम नंगे चिपककर सो गए।
एक घंटे बाद चाची ने जगाया, बोलीं उठो पढ़ाई करो, मैं बोला चाय बना लाओ, वो नंगी ही रसोई में गईं, चाय बनाकर लाईं।
चाय पीकर मैंने फिर चोदा, नहाए, चाची बोलीं तूने मेरी चूत की आग ठंडी कर दी, चाचा से अब कुछ नहीं होता, मैं बोला जब मन करे बुला लेना।
तीसरे दिन चाची ने खुद कहा, जय आज मेरी गांड मारोगे, मुझे गांड मारने का बहुत मन है, चाचा कभी नहीं मारते, डरते हैं।
मैं खुश हो गया, चाची को नंगाकर बेड पर घुटनों के बल बैठाया, उनकी बड़ी गांड ऊपर उठी हुई थी, मैंने गांड की दरार चाटी, जीभ गांड के छेद में डाली, चाची आह इह्ह ओह्ह करके मचलने लगीं।
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फिर मैंने चूत का रस गांड पर लगाया, उंगली से गांड ढीली की, एक उंगली अंदर डाली, चाची बोलीं आह्ह धीरे, फिर दो उंगलियां डालकर खोलने लगा।
लंड पर थूक लगाया, चाची की गांड पर सेट किया, धीरे धीरे सुपारा अंदर घुसाया, चाची चिल्लाईं आअह्ह्ह दर्द हो रहा है, पर रुक मत।
मैंने कमर पकड़ी और जोर से झटका मारा, आधा लंड गांड में घुस गया, चाची ह्ह्हीईई आह ह ह करके रोने लगीं, पर बोलीं पूरा पेलो।
मैंने पूरा लंड गांड में उतार दिया, कुछ देर रुककर धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा, चाची की गांड टाइट थी, लंड को जोर से जकड़ रही थी।
फिर स्पीड बढ़ाई, डॉगी स्टाइल में ताबड़तोड़ पेलने लगा, चाची आह्ह ह्ह आऊ ऊउइ ऊईई मादा की तरह चिल्लाने लगीं, उनकी बड़ी गांड मेरे पेट से टकरा टकरा कर लाल हो गई।
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दस मिनट तक गांड मारने के बाद चाची झड़ गईं, उनकी गांड ने लंड को और जोर से दबाया, मैं भी नहीं रुका, और पांच मिनट चोदता रहा।
फिर बोला माया डार्लिंग गांड में ही माल डालूं, चाची बोलीं हां राजा भर दो अंदर, मैंने गांड के अंदर गर्म वीर्य की पिचकारी छोड़ दी।
चाची हांफते हुए बोलीं, मजा आ गया, पहली बार इतना अच्छा गांड मारा है किसी ने।
अगले दिनों हमने अलग अलग पोजिशन में गांड मारी, कभी मिशनरी में टांगें ऊपर करके, कभी चाची ऊपर बैठकर खुद गांड में लंड लेकर उछलती हुईं, उनकी बड़ी गांड ऊपर नीचे होती देखकर मजा आता था।
पूरे सात दिन हमने खूब चुदाई की, चूत और गांड दोनों भरपूर मारी, हर बार नई मस्ती की।
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