मम्मी की चुदाई – माँ-बेटे की करवा चौथ चुदाई: नमस्ते दोस्तों, मैं राधिका, 31 साल की एक औरत, अपनी एक ऐसी कहानी लेकर आई हूँ जो मेरे पति राजेश ने मेरी जवानी की आग को शांत करने और अपनी इच्छा पूरी करने के लिए रची। ये कहानी मेरी और मेरे 18 साल के बेटे अंकित के बीच की है। हमारा परिवार पहले गाँव में रहता था, जहाँ की जिंदगी सादगी भरी थी। लेकिन अब मेरे पति ने हमें शहर में एक नया मकान दिलवाया है। मैं और अंकित अब शहर की चकाचौंध में रहते हैं। मेरे पति राजेश फौज में हैं, उनकी उम्र 65 साल है, और उनका वजन 90 किलो है, जो मोटापे और उम्र की वजह से उनकी सेक्स करने की ताकत को खत्म कर चुका है। मैं 42 किलो की हूँ, मेरा फिगर 36-28-34 है, मेरे दूध भरे हुए और रसीले हैं, जैसे पके हुए आम, और मेरी कमर पतली और कूल्हे भारी हैं, जो चलते वक्त लचकते हैं। मेरा रंग गोरा है, और मेरे काले घने बाल कमर तक लहराते हैं। अंकित 38 किलो का है, पतला-दुबला, लेकिन उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक है, जो मुझे हमेशा थोड़ा बेचैन करती थी। वो हाई स्कूल में पढ़ता है, और उसका चेहरा मासूमियत और जवानी का मिश्रण है। karva chauth xxx sex story
मेरी शादी तब हुई थी जब मैं 14 साल की थी। मेरे माता-पिता गरीब थे, और राजेश फौज में थे, इसीलिए मेरे घरवालों ने जल्दी शादी कर दी। राजेश की उम्र तब भी मुझसे बहुत ज्यादा थी, लेकिन अब उनकी उम्र और मोटापा उन्हें बिस्तर पर बेकार कर चुका है। फिर भी वो मुझसे फोन पर सेक्सी बातें करते हैं, जो मेरी जवानी को और भड़का देता है। मेरी चूत अक्सर रात को गीली हो जाती है, और मैं अपनी उंगलियों से उसकी आग बुझाती हूँ। लेकिन ये काफी नहीं था। मेरी जवानी अपने उफान पर थी, और मुझे कुछ ऐसा चाहिए था जो मेरे बदन की हर नस में आग लगा दे।
इस बार करवा चौथ का व्रत था। मैंने लाल रंग की सिल्क की साड़ी पहनी थी, जो मेरे बदन पर चिपक रही थी। मेरी काले रंग की ब्रा मेरे भारी दूधों को कसकर पकड़े थी, और मेरी पैंटी भी काली थी, जो मेरी चूत को ढक रही थी। मेरे होंठों पर गहरी लाल लिपस्टिक थी, और मेरी आँखों में काजल मेरे चेहरे को और नशीला बना रहा था। राजेश को इस बार छुट्टी नहीं मिली थी, और वो फोन पर मुझसे बात कर रहे थे। उनकी आवाज में एक अजीब सा जोश था। “राधिका, मैं इस करवा चौथ को खास बनाना चाहता हूँ। मैं तुझे चुदते हुए देखना चाहता हूँ।”
मैं चौंक गई। “क्या बोल रहे हो, राजेश? तुम तो यहाँ हो ही नहीं। ये कैसे होगा?” मेरी आवाज में घबराहट थी।
“मैं एक प्लान बनाता हूँ। तुम बस मेरे इशारों पर चलना।” उनकी आवाज में एक साजिश थी, जो मेरे दिल की धड़कनें बढ़ा रही थी।
“ठीक है, बताओ क्या करना है।” मैंने हिचकिचाते हुए कहा।
“रात को जब चाँद निकले, मेरे हिस्से के फल अंकित को दे देना। उससे कहना कि ये उसके पापा के लिए हैं। और ये भी कहना कि जब पापा नहीं होते, तो उनका काम बेटे को ही करना पड़ता है। चाहे वो कोई भी काम हो।” राजेश की बातों में कुछ ऐसा था जो मेरे मन में डर और उत्साह दोनों जगा रहा था।
मैं कुछ समझ नहीं पाई, लेकिन मेरे बदन में एक अजीब सी सिहरन दौड़ रही थी। रात को राजेश का फोन आया। मैं रसोई में पकवान बना रही थी। मैंने लाल साड़ी पहनी थी, और मेरा ब्लाउज इतना टाइट था कि मेरे दूध उसमें से बाहर आने को बेताब थे। अंकित मेरे पास ही था, नीली टी-शर्ट और काली जींस में। मैंने कहा, “अंकित, तुम्हारे पापा तुमसे बात करना चाहते हैं। अंदर जाकर बात करो।”
अंकित रूम में चला गया। मैं नहीं जानती थी कि राजेश उससे क्या कह रहे थे, लेकिन मेरे मन में एक तूफान सा उठ रहा था। थोड़ी देर बाद अंकित वापस आया। उसकी आँखों में कुछ अलग था, जैसे वो कुछ छुपा रहा हो। उसने चुपचाप मुझे देखा और कहा, “मम्मी, पापा ने सब बता दिया। आप बस कहो, मैं सब करूँगा।”
मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई। “क्या बताया, अंकित?” मैंने पूछा, लेकिन मेरे दिल को सब पता था।
“पापा ने कहा कि मुझे आपके इशारों पर चलना है। और जो वो नहीं कर सकते, वो मुझे करना है।” अंकित की आवाज में एक गंभीरता थी, लेकिन उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी।
मैंने गहरी साँस ली। “ठीक है, बेटा। चल, मेरे साथ।” मैंने उसे अपने बेडरूम में ले जाकर दरवाजा बंद किया। कमरे में हल्की रोशनी थी, और मैंने अपने फोन को स्टैंड पर रखकर राजेश से वीडियो कॉल कनेक्ट की। वो स्क्रीन पर थे, और उनकी आँखों में एक भूख थी। मैंने धीरे से अपनी साड़ी का पल्लू सरकाया। मेरे ब्लाउज के बटन मेरे भारी दूधों को मुश्किल से रोक रहे थे। मैंने एक-एक करके बटन खोले, और मेरा काला ब्लाउज खुल गया। मेरी काली ब्रा में मेरे गोरे, भरे हुए दूध चमक रहे थे। मेरे निप्पल ब्रा के ऊपर से सख्त होकर उभर रहे थे, और उनकी गुलाबी रंगत साफ दिख रही थी।
“अंकित, मेरे पास आ,” मैंने धीरे से कहा और उसका हाथ पकड़कर अपने पास खींच लिया। “तुझे मेरे दूध पीने हैं। पापा देख रहे हैं।” मेरी आवाज काँप रही थी, लेकिन उसमें एक वासना थी।
अंकित हिचकिचाया। “मम्मी, ये… ठीक है?” उसकी आवाज में डर था।
“हाँ, बेटा… ये हमारे परिवार का प्यार है। तू बस मेरे साथ चल।” मैंने उसका चेहरा अपने हाथों में लिया और उसे अपनी ओर खींचा। उसने मेरी ब्रा का हुक खोला, और मेरे भारी दूध आजाद हो गए। मेरे निप्पल गुलाबी और सख्त थे, और वो उन्हें देखकर ठिठक गया। “मम्मी, ये… बहुत सुंदर हैं,” उसने धीरे से कहा और मेरे एक निप्पल को अपने मुँह में लिया।
“आह्ह…” मेरी सिसकारी निकल गई। उसकी गर्म जीभ मेरे निप्पल पर गोल-गोल घूम रही थी, और मैं सिहर उठी। “धीरे, बेटा… आह्ह… ऐसे ही चूस…” मैंने उसका सिर अपने सीने पर दबाया। उसका मुँह मेरे दूध पर था, और वो उन्हें चूस रहा था जैसे कोई भूखा बच्चा। मेरी चूत में गीलापन होने लगा, और मैंने अपनी साड़ी को और नीचे सरकाया। मेरा पेटीकोट अब मेरी कमर तक था, और मेरी काली पैंटी साफ दिख रही थी। मेरी चूत इतनी गीली थी कि पैंटी पर एक गहरा दाग बन गया था।
“अंकित, मेरी नाभि को चूम,” मैंने फुसफुसाते हुए कहा। वो नीचे झुका और मेरी नाभि पर अपने होंठ रख दिए। उसकी गर्म साँसें मेरे पेट पर लग रही थीं, और मैं पागल हो रही थी। “आह्ह… बेटा… और नीचे…” मैंने उसका सिर धीरे से नीचे की ओर धकेला। उसने मेरे पेटीकोट का नाड़ा खींचा, और वो फर्श पर गिर गया। अब मैं सिर्फ अपनी काली पैंटी में थी। मेरी चूत के होंठ पैंटी के ऊपर से उभर रहे थे, और वो गीलेपन से चमक रहे थे।
अंकित ने मेरी पैंटी को धीरे से नीचे खींचा। मेरी चूत पूरी तरह नंगी थी। मेरी चूत के होंठ गुलाबी थे, और मेरा क्लिट सख्त होकर बाहर निकल रहा था। “मम्मी, ये… बहुत गीली है,” उसने कहा, और उसकी आवाज में एक अजीब सा जोश था।
“हाँ, बेटा… इसे चूम,” मैंने कहा, और मेरी आवाज में वासना साफ झलक रही थी। उसने मेरी चूत पर अपने होंठ रखे, और उसकी जीभ मेरे क्लिट पर फिसलने लगी। “आह्ह… उह्ह… अंकित… ऐसे ही… ओह्ह…” मैं सिसक रही थी। उसकी जीभ मेरी चूत के अंदर तक जा रही थी, और मैं अपने कूल्हों को हिलाने लगी। “आह्ह… बेटा… मेरी चूत को चाट… और जोर से…” मेरी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं। राजेश स्क्रीन पर सब देख रहे थे, और उनकी साँसें तेज थीं।
मैंने अंकित की नीली टी-शर्ट उतारी। उसका पतला-दुबला बदन मेरे सामने था, और उसकी छाती पर हल्के-हल्के बाल थे। मैंने उसकी काली जींस का बटन खोला और उसका अंडरवियर नीचे खींचा। जब उसका लंड बाहर आया, मेरे होश उड़ गए। वो कम से कम 8 इंच लंबा और इतना मोटा था कि मेरी चूत में डर पैदा हो गया। उसका सुपारा गुलाबी और चमकदार था, और उसकी नसें साफ उभर रही थीं। “अंकित, ये… इतना बड़ा… ये तो मेरी चूत फाड़ देगा,” मैंने डरते हुए कहा।
“मम्मी, मैं धीरे करूँगा,” उसने कहा और मेरे माथे को चूम लिया। उसने मेरे होंठों पर अपने होंठ रखे, और हम एक गहरे चुम्बन में खो गए। उसकी जीभ मेरे मुँह में थी, और मैं उसका स्वाद ले रही थी। “मम्मी, आप बहुत गर्म हो,” उसने कहा और मेरे दूधों को फिर से चूसना शुरू किया। उसकी जीभ मेरे गुलाबी निप्पल पर लपलपा रही थी, और मैं सिसक रही थी। “आह्ह… अंकित… मेरे दूधों को और चूस… ओह्ह…”
मैंने उसे बेड पर लिटाया और उसका लंड अपने हाथ में लिया। वो गर्म और सख्त था, जैसे लोहे की रॉड। मैंने उसकी चमड़ी को पीछे किया और उसके सुपारे को अपने मुँह में लिया। “आह्ह… मम्मी…” अंकित की सिसकारी निकल गई। मैंने उसके लंड को धीरे-धीरे चूसना शुरू किया। मेरी जीभ उसके सुपारे पर गोल-गोल घूम रही थी, और वो सिसक रहा था। “ओह्ह… मम्मी… ये क्या कर रही हो… आह्ह…” उसका लंड मेरे मुँह में और सख्त हो रहा था। मैंने उसके लंड को गहराई तक लिया, और मेरे होंठ उसके लंड की जड़ तक पहुँच गए। “आह्ह… मम्मी… आपकी जीभ… ओह्ह…”
मैंने उसका लंड अपने मुँह से निकाला और कहा, “अब तू मेरी चूत में डाल, बेटा।” मैं बेड पर लेट गई और अपनी टाँगें फैला दीं। मेरी चूत पूरी तरह गीली थी, और मेरा क्लिट सख्त होकर चमक रहा था। अंकित मेरे ऊपर आया और अपने लंड को मेरी चूत पर रगड़ने लगा। “आह्ह… अंकित… डाल दे… मेरी चूत को फाड़ दे…” मैं चिल्ला रही थी।
उसने धीरे से अपने लंड को मेरी चूत में डाला। पहला झटका इतना जोरदार था कि आधा लंड मेरी चूत में चला गया। “आह्ह… उह्ह… अंकित… धीरे…” मेरी चीख निकल गई। मेरी चूत में जलन हो रही थी, और मुझे लगा कि वो फट गई। मैंने नीचे देखा, तो थोड़ा खून बह रहा था। “अंकित, रुक… कुछ गलत हुआ…” मैंने डरते हुए कहा।
वो डर गया। “मम्मी, क्या हुआ? मैंने कुछ गलत किया?” उसकी आवाज काँप रही थी।
“नहीं, बेटा… ऐसा होता है। ये गंदा पानी है। तू बस धीरे-धीरे कर।” मैंने उसे दिलासा दिया। उसने फिर से अपने लंड को मेरी चूत में डाला, और इस बार वो धीरे-धीरे अंदर-बाहर करने लगा। “आह्ह… उह्ह… अंकित… ऐसे ही… ओह्ह…” मेरी सिसकारियाँ फिर से शुरू हो गईं। उसका लंड मेरी चूत को पूरा भर रहा था, और हर धक्के के साथ मेरी चूत में आग लग रही थी। “फच-फच-फच…” चुदाई की आवाजें कमरे में गूँज रही थीं।
“मम्मी, आपकी चूत बहुत टाइट है… आह्ह…” अंकित ने कहा और अपने धक्कों की रफ्तार बढ़ा दी। मैंने अपनी टाँगें और फैलाईं, और वो और गहराई तक मेरी चूत में घुस गया। “आह्ह… अंकित… और जोर से… मेरी चूत को चोद… ओह्ह…” मैं चिल्ला रही थी। उसका लंड मेरी चूत की दीवारों को रगड़ रहा था, और मेरा क्लिट हर धक्के के साथ उत्तेजित हो रहा था।
कुछ देर बाद मैंने उसे रोका। “रुक, बेटा… अब मैं ऊपर आती हूँ।” मैंने उसे बेड पर लिटाया और उसके लंड पर बैठ गई। मैंने धीरे से उसका लंड अपनी चूत में लिया और ऊपर-नीचे होने लगी। “आह्ह… उह्ह… अंकित… तेरा लंड मेरी बच्चेदानी तक जा रहा है… ओह्ह…” मैं जोर-जोर से उछल रही थी, और मेरे दूध हवा में लहरा रहे थे। अंकित ने मेरे दूध पकड़ लिए और उन्हें मसलने लगा। “मम्मी, आपके दूध बहुत मुलायम हैं… आह्ह…” वो सिसक रहा था।
मैंने अपनी रफ्तार बढ़ा दी। “फच-फच-फच…” मेरी चूत उसके लंड पर बार-बार टकरा रही थी, और मेरी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं। “आह्ह… अंकित… मेरी चूत को और चोद… ओह्ह…” मैं पागल हो रही थी। अचानक मुझे लगा कि मेरा शरीर काँप रहा है। “आह्ह… बेटा… मैं झड़ने वाली हूँ… ओह्ह…” मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया, और मैं अंकित के ऊपर ढह गई।
लेकिन अंकित अभी नहीं झड़ा था। उसने मुझे फिर से बेड पर लिटाया और मेरी टाँगें अपने कंधों पर रखीं। “मम्मी, अब मैं आपको और चोदूँगा।” उसने अपने लंड को मेरी चूत में एक झटके में डाल दिया। “आह्ह… उह्ह… अंकित… तेरा लंड मेरी चूत को फाड़ रहा है… ओह्ह…” मैं फिर से सिसक रही थी। वो जोर-जोर से धक्के मार रहा था, और उसका लंड मेरी चूत की गहराई तक जा रहा था। “फच-फच-फच…” चुदाई की आवाजें और तेज हो गईं।
“मम्मी, आपकी चूत का पानी कितना गर्म है… आह्ह…” अंकित ने कहा और मेरे क्लिट को अपनी उंगलियों से रगड़ने लगा। मैं पागल हो रही थी। “आह्ह… अंकित… मेरे क्लिट को और रगड़… मेरी चूत को चोद… ओह्ह…” मैं चिल्ला रही थी। उसने मुझे पलटा और मुझे घोड़ी बनाया। मेरे भारी कूल्हे हवा में थे, और मेरी चूत पूरी तरह खुली थी। उसने पीछे से अपने लंड को मेरी चूत में डाला और जोर-जोर से धक्के मारने लगा। “आह्ह… उह्ह… अंकित… मेरी चूत फाड़ दे… ओह्ह…” मैं सिसक रही थी।
“मम्मी, मैं झड़ने वाला हूँ… आह्ह…” अंकित ने कहा, और उसने अपने लंड को मेरी चूत से निकाला। उसका गर्म माल मेरे कूल्हों और कमर पर गिरा। मैंने उसका लंड अपने हाथ में लिया और उसे चूसने लगी। “आह्ह… मम्मी… ये बहुत अच्छा लग रहा है…” वो सिसक रहा था।
हम दोनों बेड पर लेट गए। मेरी साँसें तेज थीं, और मेरा शरीर पसीने से भीगा था। राजेश स्क्रीन पर सब देख रहे थे। “वाह, राधिका… तूने मेरा करवा चौथ यादगार बना दिया,” उन्होंने कहा और फोन काट दिया।
मैंने अंकित को देखा। वो मेरे पास लेटा था, और उसकी साँसें भी तेज थीं। “मम्मी, ये गलत तो नहीं था?” उसने धीरे से पूछा।
“नहीं, बेटा… ये हमारे परिवार का प्यार है।” मैंने उसे गले लगाया।
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