Mom ko Majdur ne choda हेलो, मेरा नाम यज्ञेश है। मैं आपको अपनी माँ की एक दिहाड़ी मजदूर के साथ चुदाई की कहानी सुनाने जा रहा हूँ। ये कहानी 7 महीने पुरानी है। हम पुणे के पास एक छोटे से गाँव में रहते हैं। हमारे घर में मैं, मेरी माँ और मेरे पापा रहते हैं। मेरे पापा एक स्कूल में टीचर हैं, और मेरी माँ हाउसवाइफ हैं। मेरी माँ की उम्र 46 साल है। उनका रंग गोरा है, और उनकी हाइट 5.4 फीट है। माँ के बूब्स थोड़े छोटे हैं, लेकिन उनकी गांड थोड़ी बाहर निकली हुई है, जो उन्हें और आकर्षक बनाती है।
हमारा घर सिंगल मंजिल का था, लेकिन अब हमने ऊपरी मंजिल बनवाने का फैसला किया। पापा ने अपने एक जान-पहचान वाले ठेकेदार को घर का काम शुरू करने के लिए कहा। कुछ दिनों बाद काम शुरू हो गया। ठेकेदार अपने साथ 10 मजदूर लाया था, क्योंकि उस दिन घर का स्लैब डालने का काम था। उस सुबह माँ नीचे किचन में चाय बना रही थीं। पापा और ठेकेदार कुछ सामान लेने दुकान गए थे। घर में सिर्फ मैं और माँ थे। मैं हेडफोन लगाकर सीढ़ियों के पास बैठा था, और माँ चाय बनाकर मजदूरों को देने ऊपर जा रही थीं। माँ ने उस दिन नीली साड़ी पहनी थी। गर्मी का मौसम था, और कुछ मजदूर सिर्फ चड्डी में काम कर रहे थे। उनकी पसीने से तर-बतर बॉडी चमक रही थी।
जब माँ ऊपर चाय देने गईं, तो सारे मजदूर उन्हें हवस भरी नजरों से घूर रहे थे। कुछ तो उनके सामने ही अपने लंड को मसल रहे थे। माँ ने सभी को चाय दी। तभी एक मजदूर ने कहा, “आंटी, आप यहाँ क्यों आईं? हमें नीचे बुला देतीं।” माँ ने उसकी बात पर हल्की सी स्माइल दी और नीचे आने लगीं। नीचे आते वक्त एक मजदूर सीमेंट की बोरियां लेकर ऊपर जा रहा था। हमारा सीढ़ी का रास्ता इतना छोटा है कि एक बार में सिर्फ एक ही आदमी जा सकता है। माँ ने उसे साइड देने के लिए पीछे मुड़कर रास्ता दिया, लेकिन मजदूर का लंड माँ की गांड से टकरा गया। मैंने माँ का चेहरा देखा। उनका मुँह खुला था, जैसे वो हैरान थीं। शायद मजदूर का लंड बहुत बड़ा था। माँ जल्दी से नीचे आईं और बाथरूम में चली गईं। बाथरूम से थप-थप और चप-चप की आवाजें आने लगीं। ऐसा लग रहा था कि माँ अपनी चूत में उंगली डालकर हिला रही थीं। थोड़ी देर बाद माँ बाहर आईं, और मैं ऊपर चला गया। वहाँ कुछ मजदूर आपस में बात कर रहे थे, “ये आंटी क्या माल है! इसे चोदने में कितना मजा आएगा!” उनकी बातें सुनकर मेरा लंड भी खड़ा हो गया।
उस दिन के बाद माँ बेडरूम में सोने चली गईं। स्लैब का काम पूरा हो चुका था, और मजदूर अपने घर चले गए। कुछ दिनों बाद ठेकेदार ने बताया कि अब ऊपरी कमरे का काम शुरू होगा, और इसके लिए वो दो मजदूर लाएगा। उस रात, जब हम सोने गए, तो बाकी के कमरों में सामान इधर-उधर पड़ा था। इसलिए मैं भी माँ और पापा के कमरे में सोने चला गया। मैंने नीचे गद्दा बिछाया और सोने का नाटक करने लगा। मेरे सामने एक बड़ा सा शीशा था, जिसमें बेड पर क्या हो रहा था, सब दिख रहा था। माँ ने मुझे आवाज दी, लेकिन मैंने जवाब नहीं दिया। उन्हें लगा कि मैं सो गया हूँ। फिर पापा ने माँ का ब्लाउज उतारा और उनके बूब्स चूसने लगे। माँ ने पापा की लुंगी हटाई और उनका लंड पकड़कर हिलाने लगीं। पापा का लंड छोटा था, शायद 4-5 इंच का, और ढीला भी था। माँ ने उसे मुँह में लिया और चूसने लगीं। कुछ देर बाद पापा का लंड गीला हो गया। फिर पापा ने माँ की चूत पर लंड रखा और धक्के मारने लगे, लेकिन उनका लंड ढीला होने की वजह से एक मिनट में ही उनका माल निकल गया। पापा बगल में हटकर सो गए। माँ ने फिर अपनी चूत में उंगली डाली और करीब आधे घंटे तक हिलाती रहीं। इसके बाद माँ बाथरूम गईं, साड़ी पहनी, और सो गईं।
अगले दिन मुझे उठने में देर हो गई। पापा सुबह 10 बजे स्कूल चले गए। दोपहर 12 बजे ठेकेदार दो मजदूरों को लेकर आया। उसने माँ को बताया कि ये दोनों ऊपर के कमरे का काम करेंगे। दोनों मजदूर ऊपर काम शुरू करने चले गए। माँ ने उनके लिए चाय बनाई और ऊपर ले गईं। उस दिन गर्मी बहुत थी, और माँ ने लाल साड़ी पहनी थी। उन्होंने ब्रा नहीं पहनी थी, जिससे उनके बूब्स ब्लाउज से हल्के-हल्के दिख रहे थे। पसीने की वजह से उनका ब्लाउज चिपचिपा हो गया था। दोनों मजदूर सिर्फ चड्डी में थे। एक का नाम शोएब था, उम्र 30 साल, और दूसरे का नाम आफताब, उम्र 28 साल। दोनों की बॉडी पसीने से चमक रही थी।
माँ ने दोनों को चाय दी और बोलीं, “चाय ले लो।” दोनों मजदूर माँ के बूब्स को घूर रहे थे। माँ ने पूछा, “क्या देख रहे हो तुम दोनों?” आफताब ने जवाब दिया, “आंटी, आप आज बहुत खूबसूरत लग रही हो।” माँ ने हल्का सा शरमाते हुए कहा, “क्या बोल रहे हो? मेरा बेटा सुन लेगा।” शोएब ने हँसते हुए कहा, “नहीं सुनेगा, आंटी। वो हेडफोन लगाकर गाने सुन रहा है।”
माँ नीचे चली गईं। मैंने देखा कि दोनों मजदूर अपने लंड मसल रहे थे। नीचे जाकर मैंने देखा कि माँ फिर बाथरूम में गईं। वहाँ से थप-थप, चप-चप और “आह्ह… आह्ह…” की आवाजें आ रही थीं। ऐसा लग रहा था कि माँ अपनी चूत में उंगली डालकर हिला रही थीं। कुछ देर बाद पापा स्कूल से लौटे। उन्होंने ऊपर जाकर देखा तो कमरा आधा बन चुका था। मजदूर नीचे आए और माँ को स्माइल देने लगे। माँ ने भी उन्हें स्माइल दी।
दो दिन तक ऐसा ही चलता रहा। फिर ठेकेदार ने पापा से कहा कि दोनों मजदूर दूर से आते-जाते हैं, इसलिए 2-3 दिन तक उन्हें ऊपर वाले कमरे में रहने दें। कमरा लगभग बन चुका था, बस टाइल्स और खिड़कियाँ लगनी बाकी थीं। दरवाजा लग चुका था। पापा ने हाँ कह दिया। अगले दिन से दोनों मजदूर काम के बाद ऊपर ही सोने लगे। उस रात, मैं 11 बजे ऊपर गया। मजदूरों ने खिड़की पर सीमेंट की बोरियों का कवर लगा रखा था, लेकिन उसमें 2-3 छेद थे, जिससे अंदर का सब दिख रहा था। बाहर की लाइट की वजह से अंदर का नजारा साफ था। मैंने चुपके से देखा तो दोनों मजदूर नंगे सोए थे। उनके लंड खड़े थे, और दोनों के लंड का साइज 9-10 इंच होगा। तभी मुझे सीढ़ियों से किसी के आने की आवाज सुनाई दी। माँ ऊपर आ रही थीं। मैं पानी के ड्रम के पीछे छुप गया।
माँ ऊपर आईं और इधर-उधर देखने लगीं। नीचे पापा टीवी देख रहे थे। माँ ने खिड़की के छेद से अंदर देखा। उनके मुँह का भाव बदल गया। वो दोनों के बड़े-बड़े लंड देखकर हैरान थीं। माँ ने अपने बूब्स दबाने शुरू किए और साड़ी के ऊपर से ही अपनी चूत मसलने लगीं। शायद उन्होंने इतने बड़े लंड पहले कभी नहीं देखे थे। 10 मिनट तक वो वहीँ खड़ी रहीं, फिर नीचे चली गईं। मैं भी नीचे गया। देखा तो माँ बाथरूम में एक ककड़ी लेकर गई थीं। वो अपनी चूत में ककड़ी डालकर हिला रही थीं। “आह्ह… ऊह्ह…” की आवाजें आ रही थीं। आधे घंटे बाद माँ बाहर आईं और सो गईं। रात को माँ फिर अपनी चूत हिला रही थीं।
अगले दिन रात 8 बजे माँ ऊपर गईं। मैं चुपके से उनके पीछे गया। माँ को नहीं पता था कि मैं आ रहा हूँ। वो मजदूरों के कमरे के पास चक्कर काटने लगीं। नीचे पापा जोर-जोर से टीवी देख रहे थे। मजदूरों का दरवाजा खुला था, और वो दोनों खाना खा रहे थे।
शोएब ने कहा, “आंटी, अंदर आओ ना, खाना खा लो।” माँ ने जवाब दिया, “नहीं-नहीं, मेरा खाना हो गया।” शोएब ने मजाक में कहा, “क्या आंटी, आप गरीब का खाना नहीं खातीं?” माँ ने हँसते हुए कहा, “अरे शोएब, वैसी बात नहीं है। ठीक है, तुम बोल रहे हो तो थोड़ा खा लेती हूँ।”
माँ खाना खाने लगीं, लेकिन सब्जी बहुत तीखी थी। माँ “आह… आह…” करने लगीं। आफताब ने पूछा, “क्या हुआ, आंटी? सब्जी तीखी है?” माँ ने कहा, “हाँ, थोड़ा पानी दे दो।” शोएब ने आफताब को पानी लाने को कहा। दोनों के लंड खड़े हो चुके थे। खाना खत्म होने के बाद वो माँ के बूब्स को घूरने लगे।
अचानक तेज हवा चलने लगी, जैसे बारिश होने वाली हो। मजदूरों ने दरवाजा बंद कर दिया। मैं फटाफट खिड़की के पास गया और देखने लगा। आफताब पानी लेने गया, लेकिन उसका पैर मुड़ गया, और सारा पानी माँ के बूब्स पर गिर गया। माँ ने उस दिन ब्रा नहीं पहनी थी, इसलिए उनके बूब्स ब्लाउज से साफ दिखने लगे। शोएब और आफताब माँ के बूब्स को घूरते रहे।
माँ ने कहा, “अरे आफताब, ध्यान से! चोट तो नहीं लगी?” माँ उसे उठाने के लिए नीचे झुकीं। उनका साड़ी का पल्लू गिर गया, और बूब्स साफ दिखने लगे। आफताब ने कहा, “हाँ आंटी, पैर मुड़ गया था। सॉरी, आपकी साड़ी गीली कर दी।” शोएब ने भी कहा, “सॉरी, आंटी।”
माँ ने आफताब को उठाया और उसे साइड में बिठाने के लिए गईं। तभी पीछे से शोएब ने आफताब का हाथ पकड़ने की कोशिश की, लेकिन उसका हाथ माँ की गांड से टकरा गया। माँ ने कुछ नहीं कहा। आफताब का हाथ माँ के बूब्स को रगड़ रहा था। माँ धीरे-धीरे गर्म होने लगी थीं।
माँ ने साड़ी का पल्लू ठीक किया। शोएब और आफताब के लंड पूरी तरह खड़े थे। माँ ने उनके लंड देख लिए थे। शोएब ने कहा, “आंटी, आप सचमुच बहुत खूबसूरत लगती हो। अंकल बहुत लकी हैं।” माँ ने उदास स्वर में कहा, “थैंक यू, लेकिन मैं लकी नहीं हूँ। वो मुझे खुश नहीं रख पाते।” आफताब ने पूछा, “क्या हुआ, आंटी? कोई दिक्कत हो तो बताओ।” शोएब ने कहा, “हम कोई हेल्प कर सकते हैं?”
शोएब माँ के और पास गया। उसने माँ का हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया। माँ ने चौंककर कहा, “ये क्या कर रहे हो? किसी को पता चल गया तो गाँव में मेरी बेइज्जती हो जाएगी!” आफताब ने कहा, “कुछ नहीं होगा। कौन बताएगा? आपका बेटा और हसबैंड नीचे टीवी देख रहे हैं।” माँ ने डरते हुए कहा, “अगर मेरा बेटा ऊपर आ गया तो मुझे डांटेगा।” शोएब ने हँसते हुए कहा, “नहीं आएगा, आंटी। टेंशन मत लो।”
शोएब और आफताब ने अपने लंड बाहर निकाल लिए। माँ उनके बड़े-बड़े काले लंड देखती रह गईं। वो बोलीं, “तुम दोनों के लंड तो बहुत बड़े हैं। और पसीने की बदबू भी आ रही है। मैं नहीं ले पाऊँगी।”
शोएब ने माँ को नीचे बिठाया। दोनों मजदूर माँ के सामने खड़े हो गए और अपने लंड उनके मुँह के पास रख दिए। माँ ने पहले हिचकिचाते हुए उनके लंड पकड़े और हिलाने लगीं। 5 मिनट तक लंड हिलाने के बाद माँ ने शोएब का लंड मुँह में लिया। वो थोड़ा अजीब सा मुँह बना रही थीं, क्योंकि लंड से पसीने की बदबू आ रही थी। फिर भी वो चूसने लगीं। “चप… चप… ग्लप… ग्लप…” की आवाजें कमरे में गूँजने लगीं। शोएब ने माँ का ब्लाउज उतार दिया और उनके बूब्स दबाने लगा। माँ “आह्ह… ऊह्ह…” करने लगीं। तभी आफताब ने अपना लंड माँ के मुँह में दे दिया। Maa ko Majdur ne choda
थोड़ी देर बाद माँ को खड़ा किया गया। उनकी साड़ी उतार दी गई। माँ सिर्फ मंगलसूत्र और माथे पर लाल बिंदी में थीं। उनकी गुलाबी चूत चिकनी थी, और उनकी गांड बाहर निकली हुई थी। वो बेहद सेक्सी लग रही थीं। शोएब और आफताब की आँखों में हवस साफ दिख रही थी।
माँ को नीचे लिटाया गया। आफताब उनके मुँह के सामने बैठ गया और अपना काला लंड उनके मुँह में दे दिया। शोएब ने माँ के पैर फैलाए और उनकी चूत चाटने लगा। माँ ने कहा, “अरे शोएब, धीरे से चाटो।” शोएब ने गंदी हँसी हँसते हुए कहा, “आज तो तुम्हारी चूत का भोसड़ा बना दूँगा, आंटी!”
शोएब ने अपना काला लंड माँ की गुलाबी चूत में रखा और जोर से धक्का मारा। माँ चिल्लाने लगीं, “आह्ह… ऊह्ह… हाय… धीरे… तुम्हारा लंड बहुत बड़ा है… मैं मर जाऊँगी!” आफताब ने अपना लंड फिर से माँ के मुँह में डाल दिया। कमरे में “थप… थप… चप… चप…” की आवाजें गूँज रही थीं। शोएब ने माँ की चूत में जोर-जोर से धक्के मारने शुरू किए। माँ की चूत गीली हो चुकी थी, और हर धक्के के साथ उनकी सिसकारियाँ बढ़ रही थीं। “आह्ह… ऊह्ह… हाय… धीरे… आह्ह…”
आधे घंटे तक शोएब और आफताब ने बारी-बारी से माँ की चूत और मुँह में अपने लंड डाले। फिर उन्होंने पोजीशन बदली। आफताब ने माँ को अपने लंड पर बिठाया, और शोएब ने पीछे से उनकी गांड में लंड डाल दिया। माँ चिल्लाईं, “आह्ह… हाय… धीरे करो… बहुत दर्द हो रहा है… मेरी चूत और गांड फट जाएगी!”
लेकिन दोनों मजदूर रुके नहीं। वो और जोर-जोर से धक्के मारने लगे। माँ की चूत से हल्का खून निकलने लगा, लेकिन धीरे-धीरे उन्हें मजा आने लगा। वो सिसकारियाँ ले रही थीं, “आह्ह… ऊह्ह… और जोर से… हाय…” तीनों पसीने से तर-बतर हो चुके थे। तभी अचानक लाइट चली गई। अंधेरे में भी दोनों मजदूर 3 मिनट तक माँ को चोदते रहे। फिर माँ ने जल्दी से साड़ी पहनी और नीचे आने लगीं। मैं फटाफट नीचे भाग गया।
माँ लंगड़ाते हुए नीचे आईं। उन्हें चलने में दिक्कत हो रही थी। उनकी साड़ी गीली थी, और उस पर सीमेंट लगा हुआ था। मैंने पूछा, “माँ, क्या हुआ? आप तो पूरी गीली हो गईं, और साड़ी पर सीमेंट कैसे लगा?” माँ ने हड़बड़ाते हुए कहा, “अरे बेटा, मैं ऊपर गिर गई थी। और बाहर बारिश भी हो रही है ना।” मैंने कहा, “ठीक है, माँ।”
माँ सो गईं। अगले तीन दिन तक शोएब और आफताब ने माँ को खूब चोदा। उनकी चूत और गांड का बुरा हाल हो गया था। माँ के बूब्स का साइज भी बढ़ गया था। तीन दिन बाद दोनों मजदूर अपने गाँव चले गए।
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