माँ का बुर मजदूर ने चोदा

Majdoor ne choda मेरा नाम सुनील है। ये कहानी पिछले महीने की है, जब मेरा मकान बन रहा था। मेरे घर में चार लोग रहते हैं—मैं, मेरी माँ जो 43 साल की हैं, मेरी बहन जो 18 साल की है, और मेरा भाई जो 16 साल का है। माँ का नाम राधा है, वो एक हाउसवाइफ हैं, गोरी-चिट्टी, भरा हुआ बदन, 36-30-38 का फिगर, और लंबे काले बाल। उनकी साड़ी में उनका फिगर और भी उभरता है। मैं 22 साल का हूँ, साधारण कद-काठी, कॉलेज में पढ़ता हूँ। मेरी बहन प्रिया, पतली, चुलबुली, और भाई अजय, थोड़ा शरारती है।
गर्मियों का समय था, स्कूल-कॉलेज की छुट्टियाँ थीं। मेरी बहन और भाई लखनऊ मामा के यहाँ घूमने चले गए। मैं मकान के काम की वजह से रुक गया। मकान का काम मामा ने संभाला था, और उन्होंने ललितपुर से मजदूर भेजे थे, क्योंकि वहाँ की लेबर सस्ती थी। मजदूरों में चार लोग और एक कारीगर था। उनमें से एक मुसलमान था, जिसका नाम मुनव्वर खान था। मुनव्वर 6 फुट लंबा, चौड़ा, काला-कलूटा, और बालों से भरा हुआ इंसान था। वो दिनभर सिर्फ़ अंडरवियर में काम करता था, जिससे उसका पसीने से भरा, गठीला बदन साफ दिखता था। उसका चेहरा सख्त था, लेकिन आँखों में एक अजीब सी चमक थी, जैसे वो हर चीज़ को गौर से देखता हो।
एक हफ्ते में मजदूरों ने एक कमरा बना दिया। फिर उनके यहाँ शादी थी, तो बाकी मजदूरों ने एक हफ्ते बाद आने को कहा और चले गए। मुनव्वर को कारीगर ने रुकने को कहा, ताकि वो ईंटें चढ़ाने का काम देख ले। उस दिन मजदूरों को छोड़ने के बाद मुनव्वर अकेला रह गया। रात को माँ ने उसे खाना दिया—सादी रोटी, दाल और सब्जी। खाना खाकर वो ऊपर छत पर सोने चला गया। माँ ने मुझसे कहा, “बेटा, तुम पीछे वाले कमरे में सो जाओ। मैं आगे वाले कमरे में सोती हूँ। खिड़की से देखती रहूँगी, ताकि कोई ईंट न चुरा ले।” मैं पीछे वाले कमरे में चला गया। दोनों कमरों में तख्त सटे हुए थे, ताकि बाहर की हवा आए। खिड़की से आगे वाला कमरा साफ दिखता था।
रात को अचानक बारिश शुरू हो गई। बारिश की आवाज़ से मेरी नींद खुली। मैंने देखा मुनव्वर नीचे आया और माँ के कमरे का दरवाज़ा खटखटाने लगा। मैं जाग गया, लेकिन चुप रहा। माँ ने दरवाज़ा खोला। मुनव्वर ने कहा, “बारिश हो रही है, मैं यहीं सो जाऊँ?” माँ ने पूछा, “तुमने शराब तो नहीं पी है ना?” उसने इनकार किया। माँ ने कहा, “ठीक है, नीचे अपना बिस्तर लगा लो और सो जाओ। CFL जलने देना।” वो नीचे बिस्तर लगाकर सो गया। मैं भी वापस सो गया।
रात के करीब 2 बजे मेरी फिर नींद खुली। मुझे कुछ अजीब सी आवाज़ें सुनाई दीं। मैंने खिड़की से झाँका तो देखा मुनव्वर माँ को जगा रहा था। उसने कहा, “मुझे पानी पीना है।” माँ उठीं और किचन से पानी की बोतल लाईं। मुनव्वर ने अपनी जेब से भांग निकाली, उसे खाया और पानी पी लिया। माँ ने पूछा, “ये क्या है?” उसने कहा, “ये देसी दवा है, दर्द और थकान के लिए। तुम भी खाओ, बदन दर्द में काम करती है।” माँ ने हिचकते हुए कहा, “क्या ये सच में काम करेगी?” उसने कहा, “मैं दिनभर काम करता हूँ, रात को ये लेके सोता हूँ।” फिर उसने माँ को एक गोली दी। माँ ने खाकर पानी पिया और कहा, “अब तुम सो जाओ।” मुनव्वर सिर्फ़ अंडरवियर में था, उसका शरीर ईंट की भट्टी की धूल से गंदा था। मैं चुपचाप देख रहा था। मेरे कमरे की लाइट बंद थी, इसलिए वो मुझे नहीं देख सकता था।
थोड़ी देर बाद मेरी फिर नींद खुली। मैंने देखा मुनव्वर माँ के पास तख्त पर लेटा था और उन्हें अपनी बाहों में लिए हुए था। मैं घबरा गया, लेकिन चुप रहा। वो माँ की जाँघों को सहला रहा था। माँ कुछ नहीं बोल रही थीं, शायद भांग का असर था। उसने धीरे-धीरे माँ की मैक्सी ऊपर उठाई। माँ थोड़ा हिलीं, लेकिन कुछ नहीं बोलीं। मुनव्वर ने कहा, “रानी, तू तो मस्त माल है। आज मेरी ज़िंदगी सफल हो जाएगी।” उसने माँ को उठने को कहा, उनकी ब्रा खोली और फिर लिटा दिया। माँ के नंगे स्तन मुझे दिख रहे थे। वो बड़े, गोल और गोरे थे, जिनके निप्पल गहरे भूरे रंग के थे। माँ की साँसें तेज़ थीं, शायद उन्हें मज़ा आ रहा था। मैं कुछ बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाया।
मुनव्वर ने माँ के स्तनों को ज़ोर-ज़ोर से दबाना शुरू किया। वो उनके निप्पलों को मुँह में लेकर चूसने लगा, जैसे कोई भूखा जानवर हो। “आह्ह… उफ्फ…” माँ के मुँह से हल्की सिसकारियाँ निकलने लगीं। उसने माँ के होंठों को चूमना शुरू किया, उनके पूरे बदन को रगड़ने लगा। माँ का गोरा बदन लाल होने लगा। मुनव्वर ने उनके स्तनों को इतना मसला कि वो और लाल हो गए। माँ भी भांग के नशे में मस्त थीं, शायद उन्हें दर्द नहीं हो रहा था। इधर मेरा लंड ये सब देखकर खड़ा हो चुका था। मैं उसे सहलाने लगा।
मुनव्वर ने माँ की पैंटी पर हाथ फेरा। माँ की काली पैंटी पूरी गीली थी। उसने पैंटी के ऊपर से माँ की चूत को जीभ से चाटना शुरू किया। माँ “आआह्ह… उउउ… ओह्ह…” करके सिसकने लगीं। फिर उसने माँ की पैंटी उतार दी। माँ की झाँटों वाली चूत मुझे साफ दिख रही थी। वो काली, घनी झाँटों से ढकी थी, जो गीली होकर चमक रही थी। मुनव्वर ने कहा, “वाह, क्या चूत है तेरी, रंडी! तू तो कुछ मना भी नहीं कर रही।” माँ चुप रहीं, शायद डर गई थीं। उसने माँ की चूत पर मुँह रख दिया और आइसक्रीम की तरह चाटने लगा। माँ “आआह्ह… उफ्फ्फ… ओह्ह…” ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगीं। मुनव्वर कुत्ते की तरह उनकी चूत और गांड को चाट रहा था। वो 20 मिनट तक चाटता रहा। माँ दो-तीन बार झड़ चुकी थीं। उन्होंने उसे हटाने की कोशिश की, लेकिन वो नहीं हटा।
फिर मुनव्वर ने कहा, “रंडी, अब मेरा लौड़ा चूस!” उसने अपना 9 इंच लंबा, काला, मोटा लंड माँ के मुँह के पास ले जाकर डालने की कोशिश की। माँ ने मना करना चाहा, लेकिन उसने उनके सिर को पकड़कर मुँह में लंड डाल दिया। माँ को उल्टी सी आ रही थी, वो “उउ… उउ…” कर रही थीं। उसका बदन गंदा था, बदबू मार रहा था। वो 69 की पोजीशन में आ गया। 10 मिनट तक दोनों ने एक-दूसरे को चाटा। मुनव्वर माँ के मुँह में झड़ गया, और माँ भी झड़ गईं। मैं भी ये सब देखकर झड़ चुका था।
मुझे लगा अब वो सो जाएगा, लेकिन उसने फिर अपना लंड हिलाना शुरू किया। थोड़ी देर में उसका लंड फिर खड़ा हो गया। उसने माँ को उठाकर बिठाया और तख्त से नीचे उतारकर फिर उनके मुँह में लंड डाल दिया। माँ अब थोड़ा होश में लग रही थीं। वो “नहीं… प्लीज़…” कहने लगीं, लेकिन मुनव्वर ने ज़ोर-ज़ोर से उनके मुँह में चोदना शुरू कर दिया। फिर उसने माँ की दोनों टाँगें अपने कंधों पर रखीं और उनकी चूत को थप्पड़ मारने लगा। तीन-चार थप्पड़ मारे तो माँ रोने सी लगीं। उन्होंने कहा, “प्लीज़, मत करो… सुनील जाग जाएगा।” मुनव्वर ने उनकी चूत पर लंड रगड़ना शुरू किया। मुझे लगा आज माँ की चूत फट जाएगी, क्योंकि उसका लंड माँ की चूत से कहीं बड़ा था।
थोड़ी देर रगड़ने के बाद उसने अपना टोपा माँ की चूत में डाला। माँ ऊपर की ओर खिसक गईं। उसका टोपा ही 4 इंच मोटा था। उसने कहा, “आराम से करवा, वरना कसकर पेलकर फाड़ दूँगा।” माँ डर गईं। उसने फिर धीरे-धीरे लंड डालना शुरू किया। माँ बार-बार ऊपर खिसक रही थीं। उसका मूड खराब हो गया। उसने माँ का कंधा पकड़ा और एक झटके में आधा लंड पेल दिया। माँ “आआआह्ह… उउउ… मर गई…” चिल्लाईं। उसने माँ की पैंटी उठाकर उनके मुँह में ठूंस दी और धीरे-धीरे पूरा लंड पेल दिया। माँ काँप रही थीं। वो फिर झड़ गईं। मुनव्वर ने माँ को गोद में उठा लिया और ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगा। “पच… पच… पच…” की आवाज़ कमरे में गूंज रही थी। माँ उसकी गोद में बच्ची सी लग रही थीं। वो काला सांड था, और माँ गोरी, नाज़ुक गाय। 15 मिनट तक चोदने के बाद उसने माँ को नीचे उतारा और उनके मुँह में झड़ गया। माँ ने उसका सारा पानी पी लिया।
ये सब रात 3:30 तक चला। फिर मुनव्वर ने माँ को गोद में उठाकर बाथरूम ले गया। उसने उन्हें नहलाया, वापस कमरे में लाकर उनकी ब्रा, पैंटी और मैक्सी पहनाई। उसने माँ को होंठों पर चूमा और कहा, “वाह, ज़िंदगी का मज़ा आ गया।” माँ ने उसका जवाब नहीं दिया और सो गईं। वो अपना काम करने लगा, और मैं भी सो गया।
आपको ये कहानी कैसी लगी? क्या माँ को मुनव्वर के साथ फिर से ऐसा करना चाहिए? कमेंट में बताएँ।

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