मेरी प्यारी भाभी

मेरा नाम राहुल है, और मैं 25 साल का हूँ। दिल्ली में एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करता हूँ और अकेले एक छोटे से फ्लैट में रहता हूँ। मैं एवरेज हाइट का हूँ, 5 फीट 8 इंच, और जिम जाता हूँ, तो बदन ठीक-ठाक फिट है। चेहरा साफ-सुथरा है, और लोग कहते हैं कि मेरी मुस्कान में एक अलग ही चार्म है। ये कहानी मेरी और मेरी भाभी रश्मि की है, जो दो साल पहले मेरे साथ घटी। रश्मि भाभी मेरे बड़े भाई राकेश की बीवी हैं। भाभी 32 साल की हैं, लेकिन उनकी खूबसूरती ऐसी है कि वो 20-22 की लगती हैं। उनका रंग दूध-सा गोरा है, और उनकी आँखें बड़ी-बड़ी, कajar से सजी, हमेशा एक नशीली चमक लिए रहती हैं। उनकी हाइट 5 फीट 4 इंच है, और उनका फिगर भरा-भरा है—पतली कमर, भारी चूचियाँ, और गोल-मटोल गाँड, जो उनकी साड़ी या जींस में और भी उभरकर दिखती है। रश्मि एक 4 साल की बेटी, दिव्या, की माँ हैं, जो बेहद प्यारी और चुलबुली है। दिव्या का चेहरा अपनी माँ पर गया है—वही गोरा रंग और बड़ी-बड़ी आँखें। भैया राकेश 35 साल के हैं, साधारण कद-काठी, गेहुंआ रंग, और कानपुर में अपनी गारमेंट की दुकान चलाते हैं। वो मेहनती हैं, लेकिन अपने बिजनेस की वजह से अक्सर बाहर रहते हैं।

अब कहानी पर आता हूँ। भैया का काम दिल्ली में अक्सर लाता था, और एक बार वो रश्मि भाभी और दिव्या के साथ मेरे यहाँ रुके। उस दिन सुबह ट्रेन से वो लोग दिल्ली पहुँचे। मैं रात को देर तक ऑफिस का काम निपटाने में लगा था, तो सुबह देर से उठा। दरवाजे की घंटी बजी, तो मैंने जल्दी से कुर्ता-पायजामा डाला और दरवाजा खोला। सामने भैया, भाभी, और दिव्या खड़े थे। मैंने उन्हें गर्मजोशी से अंदर बुलाया और दिव्या को गोद में उठाकर प्यार किया। वो हँसते हुए मेरे गले लग गई। भाभी ने गुलाबी साड़ी और लाल ब्लाउज पहना था। ब्लाउज का गला थोड़ा गहरा था, और उनकी गोरी चूचियाँ उसमें से हल्का-हल्का झाँक रही थीं। उनका गोरा बदन और साड़ी का रंग ऐसा लग रहा था मानो कोई अप्सरा खड़ी हो। मैंने भैया-भाभी से थोड़ी बात की, फिर भाभी चाय बनाने किचन में चली गईं। मैं ऑफिस के लिए तैयार होने लगा। भाभी ने नाश्ते में गरमा-गरम पूरियाँ और आलू की सब्जी बनाई थी, जो इतनी स्वादिष्ट थी कि मैंने दो बार और माँगा। नाश्ता करके मैं ऑफिस निकल गया, और भैया भी अपने किसी काम से बाहर चले गए।

ऑफिस में मेरा दिमाग बार-बार भाभी की तरफ जा रहा था। वो पहले से और खूबसूरत हो गई थीं। उनका चेहरा पहले से ज्यादा भरा-भरा और चमकदार लग रहा था। उनकी कमर पहले जितनी पतली थी, लेकिन अब उनकी चूचियाँ और गाँड थोड़ी और भारी हो गई थीं, जो उन्हें और मादक बना रहा था। मैं सारा दिन उनके बारे में सोचता रहा। उनके साथ समय बिताने का खयाल, उनकी नशीली आँखों में देखने का खयाल, और उनके करीब होने का खयाल मेरे दिमाग में घूमता रहा।

शाम को 7 बजे मैं घर लौटा। भाभी ने दरवाजा खोला। वो अब हरे रंग की साड़ी और स्लीवलेस ब्लाउज में थीं। उनकी गोरी बाहें और गहरी नेकलाइन वाला ब्लाउज देखकर मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। वो मुस्कुराईं, और उनकी वो मुस्कान मेरे दिल में आग लगा गई। रात के खाने पर भैया ने बताया कि उन्हें अगले दिन जयपुर जाना है, अपनी दुकान के लिए कुछ साड़ियाँ खरीदने। मैंने तुरंत कहा, “भैया, आप निश्चिंत जाओ, मैं भाभी और दिव्या का ख्याल रख लूँगा।” भैया ने मुस्कुराकर हामी भरी। अगली सुबह वो 10 बजे मेरे साथ ही जयपुर के लिए निकल गए।

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मैं ऑफिस में सारा दिन बेचैन रहा। सोच रहा था कि आज रात मैं भाभी के साथ अकेला हूँ। मेरे दिमाग में बस उनके साथ बिताए पलों के खयाल चल रहे थे। शाम को 7 बजे मैं घर पहुँचा। भाभी ने फिर से मुस्कुराते हुए दरवाजा खोला। उनकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी, जो मुझे और बेचैन कर रही थी। मैंने कहा, “भाभी, आज बाहर डिनर करते हैं। दिल्ली में कई अच्छे रेस्तरां हैं।” भाभी ने थोड़ा सोचा और बोलीं, “ठीक है, राहुल, चलो।” हम तैयार होने लगे। भाभी ने लाल साड़ी और स्लीवलेस ब्लाउज पहना। उन्होंने मेकअप किया—हल्की लिपस्टिक, कajar, और एक ऐसा परफ्यूम जो इतना मादक था कि मेरे होश उड़ गए। उनकी चूचियाँ ब्लाउज में गोल-मटोल और भारी लग रही थीं। उनका गोरा चेहरा चमक रहा था, और उनकी आँखों में नशा सा झलक रहा था।

हम कार में बैठे और एक अच्छे रेस्तरां में गए। वहाँ भाभी खुलकर मुझसे बातें करने लगीं। हँस-हँसकर बातें कर रही थीं, और उनकी हर हँसी मेरे दिल को छू रही थी। मैं उनकी आँखों में देखकर बात कर रहा था। उनकी नशीली आँखें और गोरे चेहरे की चमक मुझे पागल कर रही थी। बातों-बातों में मैंने उनका हाथ पकड़ लिया। वो थोड़ा शरमाईं, लेकिन कुछ बोलीं नहीं। मैं उनके नरम हाथ को सहलाने लगा। मेरे लंड में हलचल होने लगी। मन कर रहा था कि अभी उनके करीब जाऊँ, लेकिन मैंने खुद को रोका। खाना आने के बाद हमने डिनर किया। खाना खाकर जब हम घर लौट रहे थे, रास्ते में एक डिस्को दिखा। भाभी ने पूछा, “राहुल, ये क्या जगह है?” मैंने कहा, “ये डांस और मस्ती की जगह है, भाभी। यहाँ लोग नाचते हैं और मजे करते हैं।” वो थोड़ा शरमाईं। मैंने कहा, “चलें, भाभी? बहुत मजा आएगा।” वो थोड़ा हिचकिचाईं, लेकिन फिर बोलीं, “ठीक है, चलो।”

साड़ी में डिस्को नहीं जा सकते थे, तो हम पहले घर गए। भाभी ने दिव्या को सुलाया और फिर तैयार होने लगीं। उन्होंने टाइट नीली जींस और पिंक टी-शर्ट पहनी। जब वो बाहर आईं, तो मैं उन्हें देखकर दंग रह गया। उनकी जींस इतनी टाइट थी कि उनकी जाँघें और गाँड पूरी तरह उभर रही थीं। उनकी गाँड इतनी भारी और गोल थी कि जब वो चल रही थीं, तो हर कदम पर लचक रही थी। उनकी टी-शर्ट में उनकी चूचियाँ और भी उभरी हुई लग रही थीं। मैंने हँसकर कहा, “भाभी, आज तो तुम सबको मार डालोगी।” वो शरमाकर बोलीं, “बस कर, राहुल, चुप रह।”

रात 11 बजे हम डिस्को पहुँचे। वहाँ का माहौल गजब का था—लाउड म्यूजिक, रंग-बिरंगी लाइट्स, और लोग मस्ती में नाच रहे थे। भाभी ने जैसे ही डांस फ्लोर पर कदम रखा, वो थिरकने लगीं। उनकी कमर का लचकना और उनकी गाँड का हिलना देखकर मैं पागल हो रहा था। हम डांस करने लगे। भाभी डांस में इतनी माहिर थीं कि मैं दंग रह गया। डांस करते-करते हम करीब आ गए। मैंने उनकी कमर पकड़ी और उन्हें अपने पास खींच लिया। वो मस्ती में थीं और कुछ बोलीं नहीं। मैंने धीरे से उनकी गाँड को सहलाना शुरू किया। उनकी गाँड इतनी नरम और भारी थी कि मेरा लंड तन गया। मैंने अपना हाथ नीचे किया और उनकी जींस के ऊपर से उनकी चूत को दबाया। वो थोड़ा सिहरीं, लेकिन कुछ बोलीं नहीं।

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मैंने पूछा, “भाभी, थोड़ी ड्रिंक लें?” वो बोलीं, “राहुल, मैं तो पीती नहीं।” मैंने कहा, “बस थोड़ा सा, डांस में और मजा आएगा।” वो थोड़ा हिचकिचाईं, लेकिन फिर मान गईं। मैंने उनके लिए दो पेग ऑर्डर किए। वो धीरे-धीरे पीने लगीं। नशा चढ़ते ही वो और खुल गईं। हम फिर डांस करने लगे। इस बार मैंने उन्हें और करीब खींच लिया। उनकी कमर को जोर से पकड़ा, और वो मेरे सीने से टकरा गईं। उनकी चूचियाँ मेरे सीने से चिपक गईं। मैंने उनकी चूचियों का गर्म स्पर्श महसूस किया। उनके निप्पल सख्त होकर मेरे सीने में चुभ रहे थे। मैंने मौका देखकर उनके होंठों पर हल्का सा किस किया। वो चौंकीं और बोलीं, “राहुल, ये क्या कर रहे हो? चल, अब घर चलते हैं।”

मैंने उनकी बात मानी, और हम रात 12 बजे घर के लिए निकल पड़े। कार में हम दोनों चुप थे। भाभी पर नशा चढ़ चुका था। वो ठीक से बैठ भी नहीं पा रही थीं। घर पहुँचते ही मैंने उन्हें सहारा देकर फ्लैट में ले गया और बेड पर लिटा दिया। उनकी आँखें बंद थीं, और वो नशे में पूरी तरह डूबी थीं। उनका चेहरा गुलाबी हो गया था। उनके होंठ रसीले और गुलाब की पंखुड़ियों जैसे लग रहे थे। उनकी साँसों के साथ उनकी चूचियाँ ऊपर-नीचे हो रही थीं, और उनकी टाइट टी-शर्ट में वो और भी भारी लग रही थीं।

मैं खुद को रोक नहीं पाया। उनके खूबसूरत बदन को देखकर मेरा लंड सख्त हो गया। मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए और नंगा हो गया। फिर उनके बगल में बेड पर बैठ गया। भाभी की आँखें बंद थीं। मैंने धीरे से उनकी जींस की बटन खोली और जिप नीचे की। उनकी काली पैंटी नजर आई। मैंने उनकी जींस को उनकी कमर से खींचने की कोशिश की, लेकिन तभी उनकी आँखें खुल गईं। वो बोलीं, “राहुल, ये क्या कर रहे हो?” मैंने कहा, “भाभी, तुम नशे में हो। मैं तुम्हारा ड्रेस चेंज कर देता हूँ, ताकि तुम आराम से सो सको।” वो मना करने लगीं, लेकिन मैंने धीरे से उनकी जींस खींचकर उतार दी। उनकी गोरी, मखमली जाँघें नजर आईं। क्या चिकनी और बेदाग जाँघें थीं! एक भी बाल नहीं, बस गोरापन और नरमी। मेरा लंड और सख्त हो गया, और उससे चिपचिपा सा पानी निकलने लगा।

भाभी ने अपनी जाँघें सटा लीं और हल्की-हल्की सिसकियाँ लेने लगीं। मैंने कहा, “भाभी, टी-शर्ट भी उतार देता हूँ, वरना खराब हो जाएगी।” मैंने उन्हें थोड़ा उठाया और उनकी टी-शर्ट उतार दी। अब वो सिर्फ ब्रा और पैंटी में थीं। तभी भाभी ने फिर आँखें खोलीं और मेरे नंगे लंड को देखकर बोलीं, “राहुल, ये क्या? तुम नंगे क्यों हो?” मैंने कहा, “भाभी, मैं भी तो ड्रेस चेंज कर रहा हूँ।” मैं उनके बगल में नंगा ही लेट गया। मेरा लंड उनकी नाभि को छू रहा था, और मेरे टट्टे उनकी चूत के ऊपर थे। वो बोलीं, “राहुल, प्लीज अपने रूम में जाओ।” मैंने कहा, “भाभी, आज मैं यहीं सोऊँगा।”

मैंने उनके होंठों पर अपने होंठ रखे और धीरे-धीरे चूमने लगा। उनके होंठ इतने नरम और रसीले थे कि मैं खो गया। मैंने उनकी जीभ को चूसा और अपने होंठों से उनके होंठों को दबाया। वो थोड़ा हटने की कोशिश कर रही थीं, लेकिन नशे की वजह से कमजोर थीं। मैंने उनकी ब्रा का स्ट्रैप नीचे खींचा और उनकी एक चूची को बाहर निकाला। उनकी चूची गोल, भारी, और गोरी थी, जिसका निप्पल गुलाबी और सख्त था। मैंने उसे मुँह में लिया और चूसने लगा। भाभी सिसकियाँ लेने लगीं। मैंने अपना लंड उनकी जाँघों पर रगड़ना शुरू किया। वो बोलीं, “राहुल, ये गलत है। मैं तुम्हारी भाभी हूँ।” मैंने कहा, “भाभी, बस एक बार। मुझे तुम बहुत अच्छी लगती हो।”

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मैं उनके ऊपर लेट गया और उनकी चूचियों को जोर-जोर से दबाने लगा। मैंने उनकी ब्रा उतार दी। उनकी दोनों चूचियाँ अब मेरे सामने थीं। मैंने एक को मुँह में लिया और दूसरे को मसलने लगा। भाभी अब सिसकियाँ ले रही थीं और अपनी गाँड हल्के-हल्के हिला रही थीं। मैंने उनकी पैंटी नीचे खींची। उनकी चूत पूरी तरह नंगी थी। गुलाबी, साफ, और बिना बालों की। मैंने उनकी टाँगें फैलाईं और उनकी चूत को चूसने लगा। उसका स्वाद इतना नशीला था कि मैं पागल हो गया। मैंने उनकी चूत के दाने को चाटा, और भाभी जोर-जोर से सिसकियाँ लेने लगीं। उनकी चूत गीली हो गई थी, और वो अपनी गाँड उछाल रही थीं।

मैंने मौका देखकर अपने लंड का सुपारा उनकी चूत पर रखा और धीरे से अंदर धकेला। भाभी सिहर गईं और बोलीं, “राहुल, नहीं!” लेकिन मैंने धीरे-धीरे अपना लंड उनकी चूत में डाला। उनकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड उसमें फँसता-सा जा रहा था। मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। भाभी की सिसकियाँ अब तेज हो गई थीं। वो अपनी गाँड हिलाकर मेरा साथ देने लगीं। मैंने उनकी चूचियों को चूसते हुए धक्के मारने जारी रखे। उनकी चूत गर्म और गीली थी, और हर धक्के के साथ वो और उत्तेजित हो रही थीं।

मैंने अपनी रफ्तार बढ़ाई और उनकी गाँड को सहलाते हुए एक उंगली उनकी गाँड के छेद में डाल दी। वो जोर से सिसकी और बोलीं, “राहुल, बस कर।” लेकिन उनकी आवाज में अब मना करने की ताकत नहीं थी। मैंने उनकी चूत में जोर-जोर से धक्के मारे। वो अपनी टाँगें मेरी कमर के चारों ओर लपेटकर मुझे जकड़ रही थीं। तभी उनका बदन अकड़ गया, और वो झड़ गईं। उनकी चूत से गर्म पानी निकल रहा था। मैं भी अब झड़ने वाला था। मैंने कुछ और तेज धक्के मारे और उनकी चूत में ही अपना माल छोड़ दिया। फिर मैं उनकी चूचियों पर लेट गया।

अगली सुबह भाभी जल्दी उठ गईं। वो थोड़ा शांत थीं, लेकिन उनकी आँखों में कोई गुस्सा नहीं था। वो किचन में चाय बनाने चली गईं। मैं भी उठा और उनके पास गया। वो बोलीं, “राहुल, जो हुआ, वो ठीक नहीं था। लेकिन मैं कुछ नहीं कहूँगी। बस ये किसी को पता नहीं चलना चाहिए।” मैंने उनकी तरफ देखा और हल्का सा मुस्कुराया। मैंने कहा, “भाभी, आप चिंता मत करो।” उस दिन के बाद हमारा रिश्ता बदल गया। जब भी भैया बाहर जाते, हम ऐसे ही पल बिताते।

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