मेरी पहली गांड की चुदाई

Professor se phli baar gand chudai – मेरा नाम सविता है। मेरी उम्र 22 साल है और मैं एक इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ती हूँ। मेरा फिगर 33-36-38 है, और मेरी बड़ी, गोल गांड हर किसी का ध्यान खींच लेती है। मेरे बाल लंबे, काले और चमकदार हैं, और मेरी गोरी त्वचा मेरे टाइट कपड़ों में और भी उभरकर सामने आती है। मैंने अब तक 8-10 लड़कों के साथ चुदाई की है, लेकिन मेरी चूत और मुँह को ही निशाना बनाया गया। मेरी गांड, जो हमेशा एक मोटे, दमदार लंड के लिए तरसती थी, अब तक अनछुई थी। उसकी तड़प मुझे रातों को सोने न देती थी, और मैं हमेशा सोचती थी कि कब कोई मेरी गांड को फाड़कर उसकी प्यास बुझाएगा।

आज मैं आपको अपनी पहली गांड की चुदाई की कहानी सुनाने जा रही हूँ। ये एक सच्ची और बेहद रोमांचक घटना है, जो मेरे साथ मेरे कॉलेज के प्रोफेसर अजय सर के साथ हुई। अजय सर 35 साल के थे, लंबे-चौड़े, गोरे, और एकदम फिट। उनकी आँखों में हमेशा एक शरारती चमक रहती थी, और उनकी गहरी आवाज़ सुनकर मेरे बदन में सिहरन दौड़ जाती थी। वो मुझे कई महीनों से लाइन मार रहे थे। क्लास में जब वो मुझे देखते, उनकी नजरें मेरे टाइट टॉप में उभरे हुए बूब्स और जीन्स में कैद मेरी भारी गांड पर ठहर जाती थीं। मैं भी उनकी तरफ हल्का सा मुस्कुरा देती थी, जिससे वो और उत्साहित हो जाते थे। मैंने कई बार उनकी पैंट में उनका खड़ा लंड देखा था, और अनुमान लगाया था कि वो कम से कम 6-7 इंच का तो होगा ही। मेरे मन में उनके लंड को अपनी गांड में लेने की इच्छा बार-बार उठती थी।

एक दिन की बात है, मेरा लेक्चर खत्म हुआ और मैं कैंटीन की तरफ जा रही थी। तभी पीछे से किसी ने मुझे आवाज़ दी। मैं रुकी और पलटकर देखा तो अजय सर मुझे बुला रहे थे। मैं उनके पास गई। उन्होंने मुझे अपने केबिन में आने को कहा। मैं उनके पीछे-पीछे उनके छोटे से केबिन में चली गई, जहाँ एक टेबल, दो कुर्सियाँ और कुछ किताबें थीं। मैंने टाइट नीली जीन्स और सफेद टाइट टॉप पहना था, जिसमें मेरी गांड और बूब्स पूरी तरह उभरे हुए थे। मेरी जीन्स इतनी टाइट थी कि मेरी गांड का हर कर्व साफ दिख रहा था, जैसे वो अभी फटकर बाहर आ जाएगी।

अजय सर ने मुझे कुर्सी पर बिठाया और खुद मेरे सामने बैठ गए। उनकी आँखें मेरे बदन को स्कैन कर रही थीं, और मैं उनकी नजरों का मजा ले रही थी। फिर वो बोले, “सविता, मुझे तुम्हारी मदद चाहिए। मुझे उम्मीद है तुम मना नहीं करोगी।”

मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “बोलिए सर, अगर मेरे बस में हुआ तो जरूर करूँगी।”

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वो थोड़ा झिझके, फिर बोले, “देखो, तुम्हें पता है मैं इस शहर में अकेला रहता हूँ। मुझे घर के काम-काज ज्यादा नहीं आते। आज मेरा बर्थडे है, और मैं अपने फ्लैट पर एक छोटी सी पार्टी करना चाहता हूँ। लेकिन मुझे नहीं पता कि पार्टी में क्या-कैसे करना है। क्या तुम आज मेरे साथ मेरे घर चलकर पार्टी की तैयारी में मेरी मदद करोगी?”

मैंने उनकी बात सुनी और तुरंत बोली, “सबसे पहले तो आपको हैप्पी बर्थडे, सर! और हाँ, मैं भी पीजी में रहती हूँ, तो मुझे कोई दिक्कत नहीं कि कहीं लेट हो जाऊँ। आप बिलकुल फिकर न करें, आपकी पार्टी आज धमाकेदार होगी।”

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अजय सर ने राहत की साँस ली और बोले, “थैंक यू, सविता। मुझे तुमसे यही उम्मीद थी। चलो, फिर कॉलेज के बाद तुम मेरे साथ चलना, ठीक है?”

मैंने हँसकर कहा, “ठीक है, सर।”

कॉलेज खत्म होने के बाद मैं अजय सर की कार में उनके साथ उनके फ्लैट पर चली गई। उनका फ्लैट शहर के एक पॉश इलाके में था, छोटा लेकिन साफ-सुथरा। मैं उनके पीछे-पीछे अंदर गई। मेरी टाइट जीन्स और टॉप में मेरा बदन ऐसा लग रहा था जैसे कोई मॉडल रैंप पर चल रही हो। मेरी गांड हर कदम पर हिल रही थी, और मैं जानती थी कि सर की नजरें उस पर टिकी थीं।

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उन्होंने मुझे सोफे पर बिठाया और खुद किचन में चले गए। कुछ देर बाद वो दो ग्लास कोल्ड ड्रिंक लेकर आए और बोले, “सविता, पहले कोल्ड ड्रिंक पी लेते हैं, फिर काम शुरू करते हैं।”

मैंने ग्लास लिया और हल्का सा सिर हिलाकर पीने लगी। जैसे ही मैंने पहला घूँट लिया, मुझे स्वाद में कुछ अजीब सा लगा। लेकिन मैंने बिना कुछ कहे पूरा ग्लास पी लिया। कोल्ड ड्रिंक पीते ही मेरा सिर हल्का-हल्का घूमने लगा। मुझे तुरंत समझ आ गया कि सर ने इसमें कुछ मिलाया था। मेरे बदन में एक अजीब सी गर्मी और कमजोरी सी महसूस होने लगी। मैंने मन ही मन सोचा कि शायद आज मेरी चुदाई होने वाली है, और मेरे मन में एक अजीब सी उत्सुकता जाग उठी।

तभी सर मेरे पास आए। मैं थोड़ा लड़खड़ाई, और वो मुझे गिरने से बचाने के लिए मेरे करीब आ गए। उनकी मजबूत बाहों ने मुझे थाम लिया, और अगले ही पल उन्होंने मुझे अपनी बाहों में भर लिया। उनकी साँसें मेरे चेहरे पर पड़ रही थीं। वो मेरे गुलाबी होंठों को चूमने लगे, धीरे-धीरे लेकिन गहरे। मेरी आँखें हल्की-हल्की खुली थीं, और मैं सब कुछ महसूस कर रही थी। मेरे बदन में नशे का असर था, लेकिन मेरी चूत में एक गर्मी सी दौड़ रही थी।

अजय सर ने मुझे अपनी गोद में उठाया और अपने बेडरूम में ले गए। वहाँ उन्होंने मुझे बेड पर पटक दिया और मेरे ऊपर आ गए। वो फिर से मेरे होंठों को चूसने लगे, इस बार और जोर से। उनके हाथ मेरे टॉप के ऊपर से मेरे बूब्स को दबाने लगे। वो मेरे मोटे, गोल बूब्स को ऐसे मसल रहे थे जैसे कोई गूंधा हुआ आटा। मेरे मुँह से हल्की सी सिसकारी निकल रही थी, “आह्ह… सर…”

मैं नशे में थी, लेकिन मुझे सब कुछ अच्छा लग रहा था। उनके हाथ मेरे टॉप के अंदर घुसे और उन्होंने उसे खींचकर उतार दिया। फिर उन्होंने मेरी जीन्स को नीचे खींचा। मेरी काली ब्रा और पैंटी में मैं उनके सामने थी। सर ने मेरी ब्रा और पैंटी को इतने जोर से खींचा कि वो फट गईं। अब मैं उनके सामने पूरी नंगी थी। मेरे 33 इंच के बूब्स हवा में झूल रहे थे, और मेरी गोरी चूत पर हल्की सी झांटें साफ दिख रही थीं। मेरी गांड बेड पर ऐसी लग रही थी जैसे कोई बड़ा, रसदार फल।

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अजय सर मेरे बूब्स देखकर पागल हो गए। वो मेरे ऊपर टूट पड़े और मेरे एक बूब को मुँह में लेकर चूसने लगे। उनकी जीभ मेरे निप्पल पर गोल-गोल घूम रही थी, और वो उसे काट रहे थे। “आह्ह… सर… धीरे… आह्ह…” मैं सिसकार रही थी। वो मेरे दूसरे बूब को हाथ से मसल रहे थे, और मेरी चूत गीली होने लगी थी। करीब 15 मिनट तक वो मेरे बूब्स को चूसते रहे, कभी बाएँ को, कभी दाएँ को। मेरे निप्पल्स लाल हो चुके थे, और मेरी साँसें तेज चल रही थीं।

फिर वो खड़े हुए और अपने कपड़े उतारने लगे। जब उन्होंने अपनी पैंट उतारी, तो मैंने उनका लंड देखा। 8 इंच का मोटा, लंबा लंड, जिसकी नसें उभरी हुई थीं। मैंने ऐसा लंड पहले कभी नहीं देखा था। मेरी आँखें चमक उठीं। मैं तुरंत बेड पर उठी और उनके लंड पर झपट पड़ी। मैंने उसे अपने मुँह में लिया और चूसने लगी। उसका स्वाद नमकीन और गर्म था। मैं उनकी टट्टियों को भी चाट रही थी, और मेरी जीभ उनके लंड के टोपे पर गोल-गोल घूम रही थी। “आह्ह… सविता… चूस… और जोर से…” वो सिसकार रहे थे।

वो हैरान होकर बोले, “साली, तुझे तो मैं शरीफ समझता था। तू तो एक नंबर की रंडी निकली! अगर मुझे पहले पता होता, तो मैं तुझे नशा न देता।”

मैं कुछ नहीं बोली, बस उनकी तरफ देखकर मुस्कुराई और उनके लंड को और गहराई तक अपने मुँह में ले लिया। मेरी चूत अब पूरी तरह गीली हो चुकी थी, और मेरी गांड में एक अजीब सी खुजली हो रही थी। मैं चाहती थी कि वो मेरी गांड को चोदें। मैंने उनका लंड मुँह से निकाला और बोली, “सर, प्लीज… आज मेरी गांड मार लो। मैंने आज तक कभी अपनी गांड नहीं मरवाई। आपके इस लंड से मेरी गांड की प्यास बुझ जाएगी।”

अजय सर ने मेरी बात सुनी और हँसते हुए बोले, “साली, बहन की लोड़ी, आज तेरा ये मोटा माल मेरे लंड से फट जाएगा। चल, बन जा मेरी कुतिया।”

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मैं तुरंत बेड पर कुतिया बन गई। मेरी गांड हवा में थी, और मेरी चूत गीली होकर चमक रही थी। सर ने मेरी गांड के छेद पर ढेर सारा थूक लगाया और अपने लंड पर भी थूक लगाकर उसे मेरी गांड के छेद पर सेट किया। मैंने अपनी साँस रोक ली, क्योंकि मुझे पता था कि अब दर्द होने वाला है। उनके दोनों हाथों ने मेरी कमर को कसकर पकड़ लिया।

अचानक, सर ने एक जोरदार धक्का मारा, और उनका पूरा 8 इंच का लंड मेरी गांड में समा गया। “आआह्ह्ह… सर… निकालो… प्लीज… आह्ह… मैं मर जाऊँगी…” मैं चीख पड़ी। मेरी गांड में ऐसा दर्द हुआ जैसे किसी ने उसमें आग लगा दी हो। मेरी आँखों से आँसू निकल आए, और मैं रोने लगी। लेकिन सर ने मेरी एक न सुनी। वो मेरी कमर को और कसकर पकड़कर अपने लंड को मेरी गांड में अंदर-बाहर करने लगे। “चुप कर, साली… ले मेरा लंड… आज तेरी गांड का भोसड़ा बना दूँगा…” वो गुर्राए।

पहले तो मुझे बहुत दर्द हुआ, लेकिन 10-15 मिनट की चुदाई के बाद दर्द धीरे-धीरे मजा में बदलने लगा। मेरी गांड अब उनके लंड को स्वीकार कर रही थी। मैं मस्ती में बोली, “आह्ह… सर… और जोर से… चोदो अपनी कुतिया को… आह्ह… मेरी गांड को फाड़ दो… आह्ह…” मेरी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं।

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फिर सर ने अपना लंड मेरी गांड से निकाला और बेड पर लेट गए। मैं समझ गई कि वो अब क्या चाहते हैं। मैं उनके ऊपर चढ़ गई और उनकी गोद में बैठकर उनके लंड को अपनी गांड में लिया। मैं धीरे-धीरे उछलने लगी। “आह्ह… सर… कितना मोटा है आपका लंड… आह्ह… मेरी गांड में पूरा समा रहा है…” मैं मस्ती में सिसकार रही थी। सर मेरे बूब्स को मसल रहे थे और मेरे निप्पल्स को चूस रहे थे।

फिर उन्होंने मुझे नीचे लिटाया और मेरी टाँगें अपने कंधों पर रखीं। इस बार उन्होंने मेरी चूत को निशाना बनाया। उनका लंड मेरी गीली चूत में आसानी से घुस गया। “आह्ह… सविता… तेरी चूत तो बिलकुल रसीली है…” वो बोले और जोर-जोर से धक्के मारने लगे। “पच-पच… पच-पच…” की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी। मैं चिल्ला रही थी, “आह्ह… सर… और जोर से… मेरी चूत को फाड़ दो… आह्ह…”

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करीब 20 मिनट की चुदाई के बाद सर ने अपना लंड मेरी चूत से निकाला और फिर से मेरी गांड में डाल दिया। इस बार वो और जोर से धक्के मार रहे थे। “आह्ह… ले साली… मेरे लंड का मजा ले…” वो चिल्लाए। मैं भी मस्ती में थी, “आह्ह… सर… और गहरा… मेरी गांड को पूरा भर दो… आह्ह…” करीब 30 मिनट की जबरदस्त चुदाई के बाद सर ने अपना सारा माल मेरी गांड में छोड़ दिया। मेरी गांड उनके गर्म माल से भर गई। मैंने उनके लंड को अपने मुँह में लिया और उसे चाट-चाटकर साफ कर दिया।

सर हाँफते हुए बोले, “साली, तू तो कमाल की चीज है। बन जा मेरी रंडी, मैं तुझे हर रोज़ चोदूँगा।”

मैंने हँसकर कहा, “हाँ मेरे राजा, अगर मुझे ऐसा लंड हमेशा मिले, तो मैं दिन-रात इसे अपनी गांड और चूत में लूँगी।”

सर ने फिर से मेरी चूत को चोदने की बात कही, लेकिन उस दिन हम दोनों थक चुके थे। इसके बाद हमने कई बार चुदाई की। सर का नकली पार्टी का आइडिया काम कर गया, और मुझे एक दमदार लंड मिल गया। अब हर रोज़ कॉलेज के बाद मैं उनके फ्लैट पर जाती हूँ, और रात 8 बजे तक वो मुझे अलग-अलग तरीके से चोदते हैं।

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