मेरी मम्मी और गोपाल अंकल

Maa Ki Chudai दोस्तो, मेरा नाम चीनू है और मैं अभी इंजीनियरिंग कर रहा हूँ। ये कहानी बहुत पुरानी है, जब मैं छोटा था और उदयपुर, राजस्थान में रहता था। वहाँ मेरे नानाजी काम के सिलसिले में रहते थे और उनका एक खास दोस्त था, गोपाल अंकल। गोपाल अंकल मेरी मम्मी को अच्छे से जानते थे, और मम्मी भी उनसे वाकिफ थीं। अक्सर नानाजी के साथ उनकी मुलाकात हो जाया करती थी। मैं उस वक्त उनके रिश्ते की गहराई नहीं समझता था, लेकिन अब, इतना बड़ा होकर, सब साफ-साफ समझ आता है कि उस दिन मम्मी और गोपाल अंकल क्या कर रहे थे।

सबसे पहले मैं आपको मेरी मम्मी और गोपाल अंकल का परिचय देता हूँ। मेरी मम्मी एक घरेलू औरत हैं, उनका रंग गोरा है, कद 5 फुट 2 इंच, और उनकी उम्र उस वक्त करीब 26 साल थी। उनका फिगर भरा हुआ था, कर्व्स ऐसे कि किसी का भी दिल धड़क जाए। गोपाल अंकल की उम्र 50-55 के बीच थी, थोड़े भारी-भरकम, लेकिन चेहरे पर एक अजीब सी शरारत भरी मुस्कान हमेशा रहती थी। उनके बाल हल्के सफेद हो चुके थे, लेकिन शरीर में अभी भी जोश और ताकत थी।

तो अब कहानी शुरू होती है। एक दिन मम्मी ने मुझसे कहा, “चीनू, चलो, नानाजी से मिलने चलते हैं।” मैं तो बच्चा था, मम्मी के साथ चल पड़ा। नानाजी का घर उदयपुर के एक घुमावदार टीले पर था, जहाँ आसपास कुछ कच्चे-पक्के मकान थे। चारों तरफ हरियाली थी, लेकिन गलियाँ संकरी और धूल भरी थीं। हम जब नानाजी के घर पहुँचे, तो दरवाजा गोपाल अंकल ने खोला। मुझे देखते ही उनकी आँखें चमक उठीं, “अरे, चीनू बेटा! तू भी आया?” उन्होंने मुझे गोद में उठा लिया, मेरे गाल खींचे और बड़े प्यार से अंदर ले गए। मम्मी ने नानाजी के बारे में पूछा, तो अंकल ने बताया कि वो किसी काम से बाहर गए हैं और थोड़ी देर में आएँगे।

मम्मी और गोपाल अंकल एक पुरानी खटिया पर बैठ गए, जो कमरे के कोने में बिछी थी। कमरा छोटा सा था, दीवारें पुरानी, और हल्की सी नमी की गंध हवा में तैर रही थी। मैं इधर-उधर कमरे में घूमने लगा, पुराने सामान को देखने लगा। मुझे बच्चों वाली जिज्ञासा थी, लेकिन उनकी बातों में कोई दिलचस्पी नहीं थी। वो दोनों धीरे-धीरे बातें कर रहे थे, कभी हँसते, कभी चुप हो जाते। मैंने गौर किया कि मम्मी की साड़ी का पल्लू बार-बार उनके कंधे से सरक रहा था, और वो उसे ठीक करती थीं, लेकिन उनकी आँखों में एक अजीब सी बेचैनी थी।

थोड़ी देर बाद गोपाल अंकल ने मुझसे कहा, “चीनू, जरा बाहर जाकर खेलो ना, हम अभी बात कर रहे हैं।” मैंने मम्मी की तरफ देखा, उनके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान थी, लेकिन वो कुछ ऐसी थी जैसे वो चाहती थीं कि मैं बाहर चला जाऊँ। मैं जिद्दी था, और मुझे बाहर जाने का मन नहीं था। फिर मम्मी ने बड़े प्यार से कहा, “बेटा, जरा बाहर खेलो, हम तुझे बुला लेंगे।” उनकी आवाज़ में एक अजीब सी नरमी थी, जो मुझे समझ नहीं आई। मैंने हल्का सा मुँह बनाया, लेकिन बाहर चला गया।

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बाहर की गर्मी और धूल में मैं कुछ देर इधर-उधर टहलता रहा। लेकिन बच्चों की तरह उत्सुकता थी, सो मैंने सोचा कि अंदर झाँक कर देखूँ कि वो क्या कर रहे हैं। मैंने दरवाजे के पास एक छोटा सा छेद देखा, जो शायद पुरानी लकड़ी का था। मैंने उसमें से आँख लगाई और जो देखा, वो मेरे लिए उस वक्त समझ से बाहर था।

अंदर मम्मी खटिया पर लेटी थीं। उनकी साड़ी का पल्लू एक तरफ सरक गया था, और उन्होंने अपनी साड़ी को धीरे-धीरे ऊपर उठाना शुरू किया। उनकी गोरी, मांसल जाँघें धीरे-धीरे नज़र आने लगीं। उनकी पायल की हल्की सी छनछन की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी। गोपाल अंकल घुटनों के बल खटिया पर बैठे थे, उनकी आँखें मम्मी की जाँघों पर टिकी थीं। उनकी जीभ बार-बार होंठों पर फिर रही थी, जैसे कोई भूखा जानवर अपनी शिकार को देख रहा हो। मम्मी ने साड़ी को और ऊपर उठाया, उनकी जाँघें पूरी तरह नज़र आ रही थीं, मुलायम और गोरी, जैसे दूध में नहाई हों।

मम्मी ने धीरे से अपनी अंडरवियर को एक तरफ खिसकाया। मैं उस वक्त छोटा था, लेकिन उनकी चूत का हल्का सा दर्शन मुझे हुआ। गोपाल अंकल की साँसें तेज़ हो रही थीं, वो बेचैन हो रहे थे। उन्होंने अपनी पैंट का हुक खोला, फिर जिप नीचे की, और अंडरवियर को नीचे सरकाया। उनका लंड बाहर आया, मोटा, काला, और करीब 8 इंच लंबा। वो पूरी तरह तना हुआ था, जैसे मम्मी की चूत को भोगने के लिए बेताब हो।

मम्मी ने अपनी टाँगें और फैलाईं, उनकी चूत अब पूरी तरह खुली थी, गुलाबी और गीली। गोपाल अंकल धीरे-धीरे उनके ऊपर झुके, उनकी साँसें एक-दूसरे से टकरा रही थीं। मम्मी की आँखों में एक अजीब सी चाहत थी, लेकिन साथ में हल्का सा डर भी, जैसे वो जानती थीं कि ये गलत है, पर रुक नहीं सकती थीं। अंकल ने धीरे से अपना लंड मम्मी की चूत के मुँह पर रखा, और हल्का सा रगड़ा। मम्मी की सिसकारी निकली, “आह्ह…” उनकी आवाज़ में एक मिश्रित सा दर्द और मज़ा था।

अंकल ने धीरे से एक झटका मारा, उनका लंड मम्मी की चूत में आधा घुस गया। मम्मी की चीख निकली, “उफ्फ… धीरे…” लेकिन अंकल रुके नहीं। उन्होंने एक और जोरदार झटका मारा, और उनका पूरा लंड मम्मी की चूत में समा गया। खटिया ज़ोर से हिली, और फच-फच की आवाज़ कमरे में गूँजने लगी। मम्मी की पायल और चूड़ियाँ हर झटके के साथ छनछन कर रही थीं। मम्मी ने अपने हाथों से अंकल की कमर पकड़ ली, जैसे वो उन्हें और करीब खींचना चाहती हों।

“आह्ह… गोपाल जी… कितना मोटा है तुम्हारा…” मम्मी की आवाज़ में वासना थी, लेकिन साथ में एक अजीब सी शर्मिंदगी भी। अंकल ने हँसते हुए कहा, “तेरी चूत तो इससे भी टाइट है, रानी… आज तो तुझे पूरा भोगूँगा।” उनकी बातों में गंदगी थी, लेकिन मम्मी को वो सुनकर और जोश आ रहा था। अंकल ने अपने झटके तेज़ कर दिए, हर धक्के के साथ मम्मी की जाँघें हिल रही थीं, और उनकी चूत से गीली आवाज़ें आ रही थीं, फच-फच-फच। मम्मी की सिसकारियाँ अब और तेज़ हो गई थीं, “आह्ह… उफ्फ… हाय… और जोर से…”

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अंकल ने मम्मी की साड़ी को और ऊपर कर दिया, उनकी कमर तक। अब मम्मी का पेट और नाभि भी नज़र आ रही थी। अंकल ने एक हाथ से मम्मी की जाँघ पकड़ी और दूसरा हाथ उनके ब्लाउज़ के ऊपर रखा, उनके भारी स्तनों को दबाते हुए। मम्मी की साँसें और तेज़ हो गईं, वो अंकल के हर धक्के के साथ खुद को और खोल रही थीं। “गोपाल… आह्ह… ये गलत है… पर रुकना मत…” मम्मी की आवाज़ में एक अजीब सी बेचैनी थी।

अचानक अंकल का ध्यान मुझ पर गया, जो दरवाजे के छेद से झाँक रहा था। मम्मी ने भी मुझे देख लिया। उनकी आँखें चौड़ी हो गईं, और वो हड़बड़ा गईं। “चीनू! बाहर जा, बेटा!” उनकी आवाज़ में घबराहट थी। अंकल ने थोड़ा गुस्से से कहा, “बाहर जा, चीनू! तुझे बोला ना, अभी बुलाएँगे।” मैं डर गया और बाहर भाग गया। लेकिन मेरी जिज्ञासा मुझे चैन से नहीं बैठने दे रही थी। मैंने फिर से छेद से झाँकने का फैसला किया।

अंदर का नज़ारा अब और गर्म हो चुका था। अंकल मम्मी के ऊपर पूरी तरह चढ़े हुए थे, उनके धक्के अब और तेज़ और गहरे थे। मम्मी की साड़ी पूरी तरह कमर तक चढ़ी थी, और उनकी चूत में अंकल का लंड बार-बार अंदर-बाहर हो रहा था। हर धक्के के साथ खटिया चरमरा रही थी, और मम्मी की सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं, “आह्ह… हाय… गोपाल… और जोर से… उफ्फ…” अंकल ने मम्मी की एक टाँग उठाकर अपने कंधे पर रख ली, जिससे उनकी चूत और खुल गई। अब हर धक्का और गहरा था, और मम्मी की चूत से गीली आवाज़ें और तेज़ हो गई थीं, फच-फच-फच।

अंकल ने मम्मी के ब्लाउज़ के बटन खोल दिए, और उनकी ब्रा को ऊपर सरका दिया। मम्मी के गोरे, भरे हुए स्तन बाहर आ गए, उनके निप्पल गुलाबी और तने हुए थे। अंकल ने एक स्तन को मुँह में लिया और चूसने लगे, जैसे कोई भूखा बच्चा हो। मम्मी की सिसकारी और तेज़ हो गई, “उफ्फ… धीरे… दुखता है…” लेकिन अंकल रुके नहीं। वो एक स्तन को चूस रहे थे और दूसरे को अपने बड़े, खुरदुरे हाथों से मसल रहे थे। मम्मी की चूड़ियाँ और पायल की आवाज़ अब हर धक्के और चूसने के साथ ताल मिला रही थी।

“तेरे ये दूध… कितने रसीले हैं…” अंकल ने कहा, और फिर ज़ोर से मम्मी के निप्पल को चूसा। मम्मी चीख पड़ीं, “आह्ह… गोपाल… काटो मत… उफ्फ…” लेकिन उनकी आवाज़ में मज़ा साफ झलक रहा था। अंकल ने अपने धक्के और तेज़ कर दिए, और मम्मी की चूत अब पूरी तरह गीली थी। हर धक्के के साथ उनकी जाँघें थरथरा रही थीं, और कमरा फच-फच और मम्मी की सिसकारियों से भर गया था।

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करीब 20 मिनट तक ये सिलसिला चलता रहा। अंकल का शरीर अब अकड़ने लगा था। उन्होंने 8-10 और जोरदार धक्के मारे, और फिर एक ज़ोरदार सिसकारी के साथ वो मम्मी के अंदर झड़ गए। मम्मी की भी साँसें तेज़ थीं, वो पसीने से तर थीं। अंकल ने धीरे से अपना लंड बाहर निकाला, और मम्मी की चूत से उनका गर्म माल बाहर रिसने लगा। मम्मी ने जल्दी से अपनी साड़ी नीचे की, लेकिन उनकी आँखों में एक अजीब सी संतुष्टि थी।

अंकल मम्मी के बगल में लेट गए, और दोनों कुछ देर तक हाँफते रहे। मम्मी ने धीरे से अंकल के बालों में हाथ फेरा और उनके माथे को चूमा। “तुम तो बिल्कुल जवान हो गए हो,” मम्मी ने हँसते हुए कहा। अंकल ने जवाब दिया, “तूने तो मुझे फिर से 20 साल का कर दिया, रानी।” दोनों हल्के से हँसे, और फिर मम्मी ने अपना ब्लाउज़ और साड़ी ठीक की।

अब मम्मी उठीं और दरवाजे की तरफ आईं। मैं जल्दी से सीढ़ियों की तरफ भागा और सड़क पर गाड़ियों को देखने का बहाना करने लगा। मम्मी ने मुझे आवाज़ दी, “चीनू, अंदर आ जाओ!” मैं चुपचाप उनके पास गया, लेकिन मन में एक अजीब सा गुस्सा था। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि ये सब क्या था, और मुझे बाहर क्यों भेजा गया। मम्मी ने मेरी उदासी देखी और मुझे अपने पास बुलाया। “क्या हुआ, बेटा?” उन्होंने पूछा।

मैंने गुस्से में कहा, “अंकल ने मुझे डाँटा, और आपने भी कुछ नहीं कहा।” मम्मी ने मुझे अपने सीने से लगाया, उनके ब्लाउज़ पर दूध के गीले निशान थे। “अब कोई नहीं डाँटेगा, मेरा बेटा,” उन्होंने प्यार से कहा और मुझे चूम लिया। फिर वो मुझे अंदर ले गईं, खाने को कुछ दिया, और मैं धीरे-धीरे खुश हो गया।

दोस्तो, ये मेरी पहली कहानी है, और बिल्कुल सच्ची घटना पर आधारित है। आपको ये कहानी कैसी लगी, अपने विचार ज़रूर बताएँ। क्या आपको लगता है कि मम्मी और गोपाल अंकल का ये रिश्ता सिर्फ एक बार का था, या फिर आगे भी कुछ हुआ होगा?

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