मेरी माँ मेरे दोस्त से चुदती हैं और मैं उसको देख कर मूठ मारता हूँ

Meri hot Maa ki mere dost se chudai: मैं, सचिन, महाराष्ट्र के एक छोटे से शहर में रहता हूँ। मेरी फैमिली में मैं, मेरे पापा, और मेरी मम्मी शोभना हैं। पापा मजदूरी करते हैं, सुबह जल्दी निकल जाते हैं और देर रात लौटते हैं। मेरी बहन कॉलेज के लिए शहर से बाहर रहती है, तो ज्यादातर घर में सिर्फ मैं और मम्मी रहते हैं। मम्मी की उम्र 43 साल है, लेकिन उनकी जवानी देखकर कोई नहीं कह सकता कि वो इतनी उम्र की हैं। उनकी फिगर 36-28-38 की है, गोरी चमड़ी, बड़े-बड़े दूध, और गोल-मटोल गांड, जो उनकी टाइट साड़ियों में और भी उभर कर सामने आती है। मम्मी को हमेशा से हॉट और स्टाइलिश रहने का शौक रहा है। वो ज्यादातर पतली साड़ियाँ या टाइट सलवार-सूट पहनती हैं, जिसमें उनकी हर अदा कातिलाना लगती है। उनकी हँसी, उनकी चाल, और उनकी खुली बातचीत हर किसी को उनका दीवाना बना देती है। मैं अब 26 साल का हूँ, लेकिन जब ये सब शुरू हुआ, तब मैं 18 का था, पॉलिटेक्निक में पढ़ रहा था, और मम्मी 35 की थीं, जवानी के पूरे जोश में।

मम्मी की बातचीत बिल्कुल फ्रैंक थी। वो मेरे दोस्तों के साथ ऐसी बातें करती थीं कि मैं हैरान रह जाता था। जब मैं 16-17 साल का था, तब मुझे शक होने लगा था कि मम्मी का कुछ न कुछ चक्कर जरूर रहा होगा। मेरे दोस्त, जो घर आते थे, उनके साथ वो खुलकर हँसती-बोलती थीं। “क्या रे, कोई लड़की पटी या नहीं? बैटिंग-बॉलिंग की या बस हवा में बातें?” ऐसे गंदे शब्दों का इस्तेमाल करती थीं कि मैं सोच में पड़ जाता था कि मम्मी का दिमाग कहाँ-कहाँ भागता है। लेकिन जैसे-जैसे मैं बड़ा हुआ, मैं भी उनके साथ खुल गया। वो मुझसे कहती थीं, “सचिन, अपने दोस्तों को बुला, क्रिकेट खेलने जा रहा है तो मुझे भी बता।” पापा जॉब पर होते थे, बहन कॉलेज में, और मैं ग्राउंड पर क्रिकेट खेलने जाता था। उस वक्त मम्मी घर में अकेली रहती थीं, और मुझे लगता था कि वो अपनी जवानी के मजे लेने का कोई मौका नहीं छोड़ती थीं।

अब सीधे कहानी पर आता हूँ। पॉलिटेक्निक में मेरा एक दोस्त था, बंटी। 6 फीट लंबा, गोरा, स्मार्ट, और जवान लड़का। उसकी बॉडी ऐसी थी कि लड़कियाँ उस पर फिदा हो जाती थीं। वो मेरे साथ लंच ब्रेक के बाद घर आता था, क्योंकि हमारा कॉलेज घर के पास ही था। मम्मी उसे बार-बार देखती थीं, और उनकी नजरों में एक अजीब सी चमक आती थी। मैंने कई बार नोटिस किया कि जब बंटी घर आता, मम्मी उससे ज्यादा बात करती थीं, हँसती थीं, और कभी-कभी तो उसकी तारीफ भी कर देती थीं, “बंटी, तू तो बिल्कुल हीरो जैसा लगता है!” बंटी भी हँसकर जवाब देता, “अरे आंटी, आप भी तो किसी हीरोइन से कम नहीं!” मम्मी की हँसी और चुलबुलापन देखकर मुझे शक होने लगा कि वो बंटी को पसंद करती हैं।

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बंटी ने एक बार मुझे बताया था कि उसका 2-3 लड़कियों के साथ चक्कर चल चुका है। वो उन्हें अपनी बाइक पर पहाड़ियों में ले जाता था, और वहाँ उनकी चुदाई करता था। उसकी बातों से साफ था कि वो इस खेल में उस्ताद था। ये सिलसिला 2-3 महीने तक चलता रहा। एक दिन मैंने मम्मी से पूछ ही लिया, “मम्मी, तुझे बंटी कैसा लगता है?” वो हँस पड़ीं और बोलीं, “क्या मतलब तेरा? कुछ भी बोलता है!” मैंने कहा, “नहीं, मैंने देखा है तू उससे खूब बात करती है। वो कॉलेज में बताता है कि उसने कई लड़कियों को पटा रखा है, पहाड़ियों में ले जाकर चुदाई करता है।” मम्मी की आँखों में एक चमक सी आई, और वो बोलीं, “अच्छा? तो तू उसे कभी घर बुला ना।” मैं समझ गया कि मम्मी की नीयत क्या है।

एक दिन दीवाली की छुट्टियों में मौका मिला। पापा दोपहर को खाना खाकर काम पर चले गए। बहन गाँव गई थी, और मोहल्ले में सन्नाटा था, क्योंकि सामने की इंडस्ट्री में 15 दिन की छुट्टी थी। बंटी लंच ब्रेक के बाद मुझे बुलाने आया। मैंने सोचा, आज मौका भी है और दस्तूर भी। मैंने उससे कहा, “बंटी, मम्मी ने तुझे घर बुलाया है। कोई पर्सनल काम है, लेकिन किसी को बताना मत।” वो पहले तो हिचकिचाया, बोला, “सचिन, तू ऐसा कैसे बोल सकता है? शर्म नहीं आती?” मैंने कहा, “ये मेरी ख्वाहिश नहीं, मम्मी की है।” वो 10 मिनट चुप रहा, लेकिन उसकी आँखों में लालच साफ दिख रहा था। आखिरकार उसने हाँ कह दी।

मैंने मम्मी को बताया कि बंटी आ रहा है। वो बोलीं, “ठीक है, तू बाहर रहना, और कॉन्डम ले आ।” हम मेडिकल स्टोर गए, कॉन्डम और लुब्रिकेंट लिया। मम्मी ने उस दिन हल्की गुलाबी साड़ी पहनी थी, जो उनकी गोरी चमड़ी पर गजब ढा रही थी। उनकी ब्रा की स्ट्रैप साड़ी के नीचे से साफ दिख रही थी, और उनकी गहरी नाभि देखकर मेरा ही मन डोल गया। बंटी घर पहुँचा, और मैं बाहर खड़ा रहा। मम्मी ने नीचे बिस्तर बिछा दिया था, और कमरे में हल्की रोशनी थी। मैंने दरवाजा हल्का सा खोला और देखा कि मम्मी बिस्तर पर लेटी थीं। उनकी साड़ी कमर तक चढ़ी थी, और बंटी उनकी ब्रा ऊपर करके उनके बड़े-बड़े दूध मसल रहा था। मम्मी के गुलाबी निप्पल सख्त हो चुके थे, और वो सिसकार रही थीं, “उउउह्ह… बंटी… आह्ह… धीरे…” बंटी उनके दूध को ऐसे दबा रहा था जैसे कोई आटा गूँथ रहा हो। मम्मी शर्मा गईं और बोलीं, “सचिन, जा बाहर!” लेकिन मैं टस से मस नहीं हुआ। बंटी ने उनके एक निप्पल को मुँह में लिया और चूसने लगा। मम्मी की सिसकारियाँ तेज हो गईं, “आह्ह… बंटी… उउउईई… कुत्ते… और चूस…”

मम्मी ने कहा, “सचिन, रजाई ओढ़ के सो जा!” मैंने रजाई ली, लेकिन उसमें एक छोटा सा छेद था, जिससे मैं सब देख रहा था। बंटी ने मम्मी को दीवार से सटा लिया। उनकी साड़ी अब पूरी तरह कमर तक चढ़ी थी, और उनकी चिकनी, गोरी जाँघें खुली थीं। बंटी ने उनकी जाँघों को चूमा, फिर धीरे-धीरे उनकी चूत की तरफ बढ़ा। मम्मी की चूत पूरी शेव्ड थी, हल्की गुलाबी, और पहले से ही गीली। बंटी ने उनकी साड़ी को और ऊपर किया, और उनकी चूत को चाटना शुरू कर दिया। उसकी जीभ मम्मी की चूत के दाने को बार-बार छू रही थी, और मम्मी की टाँगें काँप रही थीं। वो सिसकार रही थीं, “उउउईई… मम्मी… बंटी… आह्ह… कुत्ते… चाट ना… और जोर से…” बंटी उनकी चूत को ऐसे चूस रहा था जैसे कोई भूखा शेर। उसने अपनी एक उँगली उनकी चूत में डाली और अंदर-बाहर करने लगा। मम्मी की सिसकारियाँ अब चीखों में बदल रही थीं, “आह्ह… बंटी… उउउईई… फाड़ दे मेरी चूत…”

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लगभग 25 मिनट तक बंटी ने उनकी चूत चाटी और उँगलियों से खेला। मम्मी अब बेकाबू हो रही थीं। वो बोलीं, “बस कर, कुत्ते! अब चोद दे मुझे!” बंटी ने अपनी पैंट खोली। उसका लंड 7 इंच का था, मोटा, सख्त, और नसों से भरा हुआ। मम्मी ने उसे देखा और उनकी आँखें चमक उठीं। बंटी ने कॉन्डम निकाला, लेकिन मम्मी बोलीं, “पहले थोड़ा तेल लगा।” उसने लुब्रिकेंट लिया, अपनी उँगलियों पर लगाया, और मम्मी की चूत में धीरे-धीरे मलने लगा। मम्मी की सिसकारियाँ फिर शुरू हो गईं, “आह्ह… बंटी… उउउह्ह… और रगड़…” बंटी ने मम्मी को बिस्तर पर लिटाया, उनकी टाँगें फैलाईं, और उनके नीचे एक तकिया रखा ताकि उनकी चूत ठीक उसके लंड के सामने आए।

बंटी ने अपना लंड उनकी चूत पर रगड़ा। मम्मी की चूत इतनी गीली थी कि तेल की जरूरत ही नहीं पड़ी। उसने धीरे से लंड अंदर डाला, और मम्मी की आँखों से आँसू निकल आए। वो चिल्लाईं, “कमीने, धीरे कर!” लेकिन बंटी ने एक जोरदार धक्का मारा, और पूरा लंड अंदर चला गया। मम्मी की चीख निकल गई, “उउउईई… मम्मी… कुत्ते… फाड़ दी मेरी चूत!” बंटी ने उनका मुँह दबाया और जोर-जोर से किस करने लगा। वो धीरे-धीरे धक्के मारने लगा। हर धक्के के साथ मम्मी की चूत से “पच-पच… फच-फच…” की आवाज आ रही थी। मम्मी अब मजे लेने लगी थीं। वो बोलीं, “हाँ… चोद… और जोर से… मेरी चूत का भोसड़ा बना दे…”

बंटी ने पोजीशन बदली। उसने मम्मी को घोड़ी बनाया। मम्मी की गोरी गांड अब हवा में थी, और उनकी चूत पूरी तरह खुली थी। बंटी ने पीछे से अपना लंड उनकी चूत में डाला और जोर-जोर से धक्के मारने लगा। मम्मी की सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं, “आह्ह… उउउईई… बंटी… चोद दे… मेरी गांड हिला दे…” बंटी भी गंदी बातें करने लगा, “ले साली… मेरा लंड ले… रंडी, कितनी टाइट है तेरी चूत…” हर धक्के के साथ मम्मी की गांड लाल हो रही थी, और उनकी चूत से रस टपक रहा था। बंटी ने उनकी गांड पर हल्का सा थप्पड़ मारा, और मम्मी की सिसकारी और तेज हो गई, “उउउह्ह… मार ना… और मार…”

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लगभग 20 मिनट तक बंटी ने उन्हें घोड़ी बनाकर चोदा। फिर उसने मम्मी को बिस्तर पर लिटाया और उनकी टाँगें अपने कंधों पर रखीं। इस पोजीशन में उसका लंड और गहराई तक जा रहा था। मम्मी अब पूरी तरह बेकाबू थीं। वो चिल्ला रही थीं, “उउउईई… मम्मी… बस कर… आह्ह… झड़ने वाली हूँ…” बंटी ने अपनी रफ्तार और तेज कर दी। हर धक्के के साथ मम्मी की चूत से “पच-पच” की आवाज और तेज हो रही थी। मम्मी की चूत से रस बहने लगा, और उनकी टाँगें काँप रही थीं। बंटी ने फिर पोजीशन बदली, मम्मी को अपनी गोद में बिठाया, और नीचे से धक्के मारने लगा। मम्मी की साड़ी अब पूरी तरह बिखर चुकी थी, और उनके दूध हवा में उछल रहे थे। वो चिल्ला रही थीं, “आह्ह… बंटी… चोद… मेरी चूत फाड़ दे…” बंटी बोला, “ले मेरी रानी… मेरा लंड ले… तेरी चूत का भोसड़ा बनाऊँगा…”

आखिरकार मम्मी झड़ गईं। उनकी चूत से रस की धार बहने लगी, और उनकी साँसें तेज हो गईं। बंटी ने 5 मिनट और चोदा, और फिर वो भी झड़ गया। उसका कॉन्डम गर्म रस से भर गया था। दोनों बिस्तर पर लेट गए। मम्मी की साड़ी अब पूरी तरह बिखरी थी, और उनकी चूत तेल और रस से चमक रही थी। बंटी बाथरूम गया, और मम्मी ने अपनी साड़ी ठीक की। मैं बाहर खड़ा सब देख रहा था, और मेरा लंड भी जवाब दे चुका था। मैं टॉयलेट गया और मूठ मार ली।

उस दिन के बाद हमने 2-3 दिन बात नहीं की। फिर एक दिन बंटी फिर घर आया। अब तो ये रूटीन बन गया था। जब भी वो मेरे साथ घर आता, मम्मी उसे अपने कमरे में ले जातीं, और दरवाजा बंद कर देतीं। अंदर से सिर्फ उनकी सिसकारियाँ और गालियाँ सुनाई देती थीं, “आह्ह… चोद… लंड डाल… जोर से… कुत्ते…” बंटी भी जवाब देता, “ले रंडी… मेरी जान… चूत चाट…” मैं बाहर मूठ मारता रहता। लेकिन अब मेरी भी बर्दाश्त की हद खत्म हो रही थी। मैंने सोच लिया कि अब मैं भी मम्मी को चोदूँगा।

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